सरदार, ताऊ और तीसरे तीन तालिये को प्रणाम ,जय हो। बहुत दिन से सोच रहें थे की चिट्ठी लिखी जाए नहीं लिख पा रहें थें पर आज सभी किंतु- परंतु पर ब्रेक लगाकर लिख ही देते है ऐसे मन बना है। मूलतः बिहार से हूं पर अभी बसेरा हवा महल और आमेर महल के शहर में है। तीन ताल का पहला एपिसोड 1 साल पहले देखा था जब सरपंच सौरभ द्विवेदी पहली बार आए थें। उसके बाद से हमने प्लेलिस्ट को किया सेव और लगे सुनने, जैसे-जैसे सुनते गया ऐसा लगा इस महानगर में जहां एक कुत्ता भी आपको नहीं पूछता ,आप किसी से बोलना चाहो भी, अपनी कहानियां सुनना भी चाहें तो लोग बोलते हैं “अभी प्रोजेक्ट कंप्लीट करना है बाद में बात करता हूं बोलकर फोन रख देते हैं।” वहां मुझे आपने गांव के दिन याद आने लगे जैसे मास्टर साहब वाला एपिसोड, हमारे मास्टर साहब भी ऐसे ही खजूर के छड़ी से पीटते थें। याद न करने पर धूप में खड़ा कर देते थें गर्मी में, हुमच के पिटाई होती थी।गुज़िश्ता एपिसोड में सरपंच को देखकर अच्छा लगा और ताऊ का तो मैं जिंदगी भर के लिए प्रशंसक बन गया हूं उनके ट्वीट भी देखता रहता हूं और सरदार बहुत अपने से लगते हैं और खान चा तो कमाल ही हैं। तीन ताल उन सभी लोगों के लिए अमृत जैसा है जो पहले गांव में रहते थें और अब किसी भी कारण से शहर में रह रहें हैं। यात्रा अनवरत चलती रहे यही उम्मीद है। बहुत आभार।
मजा आ गया संरपंच जी को देखकर तीन तालियो की प्रतिक्षा पुरी हुई वेसे बता दे की हमारा भी तीन ताल रूपी समुद्र से परिचय सौरभ जी के कानपुर वाले एपिसोड जी से ही हुआ था!
जय हो, जय हो, जय हो! सरपंच का हार्दिक स्वागत। सरपंच द्वारा दोहा पूरा नहीं किया जो कि ऐसे है - आँख में अंजन, दाँत में मंजन नित कर नित कर नित कर। कान में तिनका, नाक में उँगली, मत कर मत कर मत कर।
सौरव जी और ताऊ और वो बुद्धिजीवी के तरह दिख रहे सच में बुद्धि के महासागर भाई साहेब आप का ये प्रोग्राम सच में व्यंग की एक अनोखी संगोष्ठी है तीनो की जोड़ी बेमिसाल है बस नजर ना लगे वर्ना आप के शब्द और नजरया से चीजों को देखने का जो आत्म अनुभव है वो कही नही मिलपाए गा
1.5x is the best speed to listen. tau represents the mystique of what people born in 70s have experienced and are still evolving with the present landscape..depth and gravity
जय हो क्या बात है मजा ही आ गया , , सबसे बेहतरीन सरपंच का वो किस्सा जिसमे मामा के लड़के ने तमंचे से किया फायर , फायर गया लग और लाइट गई चली, और जब नमकीन से कारतूस निकला अहा,,, जय हो जय हो ।
*काल मुहर/Timestamps* जय हो जय हो जय हो! सरपंच का इंतज़ार था, होना भी चाहिए था। अब पूरा हुआ। गुल, गुलाब और गुलबदन का ये मेल कानों को प्रिय लगा। आप अंदाज़ा लगा लें कौन क्या है। चलिए अब शुरु करते हैं - S2 E59 0:01 - शुरुआत और प्रीकैप 2:52 - सरदार के सुवचन और 'जालेदार' भविष्यवाणी 5:17 - न्याय-संहिता और (आवारा) भीड़ के खतरे, पाँव की मिट्टी और ज़मींदोज़ होना 17:40 - बाल-खीर और बालक-बुद्धि के वाक्य-विन्यास, छू-कित कित, संसद की मीम-मैटेरियल रीलें 22:46 - मंचूरियन मामा ऊर्फ बाइडेन, छुपेरुस्तम एलियंस 27:47 - ताऊ के 'पास्तानी' चाव, रेखा थिन है, भारत-पास्तान के पॉलिटिशियंस के घोड़े और चोरी-उधारी 36:13 - वर्ल्ड कप और टोटकाबाज़ी के चोचले 40:02 - विषयों का ब्यौरा, *गुलसंघ की 'संपादित' कहानी सरपंच और ताऊ की ज़ुबानी, गुलमंजन से गुलगुरु और गुल-मर्यादा से गुलमंत्र तक, गुलाध्यक्ष, गुलसंघ का पदानुक्रम गुलपति, गुल निरीक्षक, गुलतीर्थ, गुल के गुलगुले क़िस्से* 1:07:06 - छिपकली के नशे, गुल-चालीसा, गुलछर्रे, उपयोग-दुरुपयोग-सदुपयोग 1:14:58 - फिसलते लड़कों का बड़ा होना, पैन-कैरम का द्वंद, बड़े होते हुए नियम और प्रतिबंध, गुड़हल के निशान 1:22:04 - प्रेम, होमो-सेपियंस और हिंसा, समाज का कॉन्सेप्ट, सोयाचाप से नफ़रत, गुलसंघ के जौहरी 1:33:52 - सरस्वती शिशु मंदिर - ताऊ का का माह-प्रवास का अनुभव, सरस्वती शिशु मंदिर के संस्कार, सरदार और सरपंच के अनुभव, ताऊ के विद्यालय के अनुभव और क़िस्से 1:48:57 - बिज़्जार न्यूज़ - फतेहपुरी साँप के पंच-चुम्बन, सर्प और मानुष का संबंध, सरपंच के बिच्छू-डंक और साँपों के क़िस्से, ताऊ का बिच्छू-डंक का क़िस्सा 2:04:41 फेक न्यूज़, रिकमेंडेशन - It Follows (2014), प्रिंटिंग प्रेस की क़रामात 2:03:56 - त्वमनलिका के कॉमेंट्स एवम् प्रिय तीन तालियों की चिट्ठियाँ और उन पर टीका-टिप्पणी, लल्लनटॉप के साधु की सुन्दर चिट्ठी 🤍✨ और सरपंच के एक और क़िस्से के साथ जय हो जय हो जय हो!!!
इतने दर्दनाक हादसे का मज़ाक़ नहीं बनाया जा सकता, लेकिन बाबाओं के चरणों की धूल चाटने वाले लोग पहले से ही मरे हुए होते हैं। बस साँसें चल रही होती हैं, विवेक तो मरा हुआ ही होता है पहले से।
M bengaluru m reh raha hu. Or is podcast ko sunke ..apne gaaon ki yaad aati ..achi vali yaad. Apni bhasha ki yaad , apne logo.n ki yaad, aachi vali yaad. Jai Ho
मेरी तीन ताल के लीये पेहली चिट्टी. अहमदनगर, महाराष्ट्र से हु तो हिंदी संभाल लेना. ताऊ की समर व्हेकेशन की कहानी सून कर एक फिल्म याद आयी. पीच्छले साल ऑस्कर मे नोमिनेट हुई थी. 'Holdovers' जरूर देखिये. बहुत अच्छी हे.
Time staPm 2:07:25 my sincere thanks to all three of you. My previous comment was an involuntary sharing of my emotions triggered by your narrative. I never expected it to be read and it jolted me out of my reverie while I was listening to your podcast. thanks sourav for your suggestion.
गुल का एक अर्थ और होता है किसी भी सुलगती हुई चीज़ जैसे सिगरेट,बीड़ी, अगरबत्ती, लकड़ी जब पूरी तरह जलके राख हो जाती है पर वो अभी भी intact रहता है जिसको जरा छिटक कर या झड़ाकर गिराते हैं। सिगरेट पीते समय उस सिगरेट के अगले सिरे पर गुल बन जाता है और उसी पॉइंट से धुंए के छल्ले निकलते हैं। इसी कारण "गुलछर्रे " शब्द आया। क्योंकि पहले लड़कों के बिगड़ने की पहली निशानी सिगरेट बीड़ी का सेवन था और ये एक बहुत ही बड़ा गुनाह सा था। तो गुलछर्रे शब्द में गुल का अर्थ फूल नहीं है बल्कि वो राख है जो जलती सिगरेट के अगले सिरे पर होता है।
जय हो जय हो जय हो कुलदीप सरदार, ताऊ और खान चा प्रणाम स्वीकार कीजिए। मेरा ताऊ से एक प्रश्न है कि साठ से एक कम उनसठ(उन सठ) में किन सठों कि बात हो रही है? धन्यवाद जय हो!
Guest in the newsroom के सारे एपिसोड्स देखता था पिछले साल तक लेकिन इस साल पढ़ाई के चक्कर में दो तीन ही देख पाया हूं पुष्पेश पंत जी वाले गेस्ट इन द न्यूरूम में विश्व इतिहास और खाने के बारे में बहुत जानने मिला था अभी इसी पॉडकास्ट की उनकी समोसे वाली क्लिप रील में वायरल हुई है तो कल परसों मुझे भी दिखी तब सोचा किसी दिन देखूंगा उनका वाला तीन ताल का एपिसोड अभी इंस्टाग्राम में सौरभ भईया की स्टोरी में देखा कि उनका तीन ताल का एपिसोड आया है तब तुरंत ये वाला देखना शुरू किया और खत्म करके ही दम लिया अब जा रहा हूं पुष्पेश पंत जी वाला देखने
हमारे यहाँ बाक़ा में एक चचा थे तनिक चा रोज आधा एक किलो भाँग और 5 बख्त गुल, अब तो नहीं है दुनिया में पर जिए लगभग 75 साल, वर्ष 1999 में बोर्ड के बाद गए थे गाँव तो आँखों देखी शाम को चचा गए गोईठा निकालने गेहूवन ने काट लिया, 2 मिनट में सांप मर गया तड़प तड़प कर और चचा उसके बाद भी जिए लगभग 10 साल।
जय हो जय हो जय हो ! तीन तालियों को मेरा सादर प्रणाम ।ये मेरा पहली चिट्ठी है कोई गलती हो तो नजरअंदाज करिएगा । मैं देश के उन 13 लाख jee aspirants में से ही एक विद्यार्थी हूं जिसको हिसाब नहीं अपनी सुबह का , अपनी शाम का, जो 2 सालों से कोचिंग आने जाने में बीत जाती है , और अभी भी हिसाब नहीं मिल रहा । मैं उत्तर प्रदेश के उस शहर से हूं जिसने अनेक ब्रह्मवाक्य दिए है जैसे "तुम हो वहीं जिसमें जमती है दही " आशा है आप समझ गए होंगे । तीन ताल सुनने का प्रारंभ तब हुआ जब किसी रात electrodynamics और chemical kinetics के सवालों के साथ जूझते जूझते जब दिमाग का equilibrium बिगड़ चुका था और मन ने सोने का आदेश दिया , तभी सोते समय संगीत का चयन करते वक्त तीन ताल का एक एपिसोड सामने आया जिसके थंबनेल में लिखा था "कानपुर की चिकईबाजी ", बस फिर क्या था उठाया हेडफोन और बंद की लाइट और वॉल्यूम मध्यम करके ये कारवां चालू किया , सोचा था सुनते सुनते ही सो जाऊंगा पर उन चर्चाओं पर हस्ते समझते नींद चली गई , अफीम कोठी में अफीम न बिकना , फूलबाग में फूल न दिखना और मोतीझील में झील ही न मिलना , जो कानपुर का एक दृढ़ संकल्प दिखाता है कि न होते हुए भी कुछ तो है । पहली चिट्ठी / कमेंट लिखने का मन मुझे गुल की चर्चा के बाद हुआ , जब ताऊ ने कहा कि अगर आप 18 वर्ष से कम है तो हेडफोन्स लगा ले , पर मैं अपनी मां के साथ खाना खाते हुए ये चर्चा देख रहा था , फिर क्या , मम्मी ने शक की निगाहों से देखा और कहां स्पीकर में ही सुन लो, हमें भी सुनाओ आखिर आजकल क्या सुनते रहते हो । बिना कुछ कहे मैने वीडियो प्ले करा, पर पीठ पीछे उंगलिया crossed (अंठी गुलंठी) थी कि ताऊ आज कमान तुम्हारे हवाले है । गुल संघ और गुल मंजन की बात जानकर मम्मी हस पड़ी , और अपनी गुल से जुड़ी एक कहानी बताने लगी , उन्होंने बताया कि एक बार दूर गांव की शादी में सुबह मंजन मांगने पर उन्हें गुल मंजन मिला था , पहले तो उन्होंने मना कर दिया, पर घर की एक चाची के सुझाए जाने के बाद की यह नशीला बिल्कुल भी नहीं होता , उन्होंने गुलमंजन कर लिया । उसके बाद मम्मी ने उसी शब्द का प्रयोग किया : "झनझनाना" और बताया कि मंजन करते ही वही बेहोश भी हो गई थी , हम दोनों ही उनकी पुरानी याद सुनकर हंसे और खूब बतियाए । बस यही किस्सा सुनाने के मन से पहली चिट्ठी लिखी है । बात रही मेरे नाम की तो वैसे तो घर का नाम मेरा सक्षम है पर ये नाम शायद अपनी जगह बनाने के सक्षम नहीं था इसीलिए घर के सभी लोग बउआ या फिर बेटू कहकर बुलाते है।असली नाम तो नहीं बताऊंगा पर हां , मेरे नाम का कुछ हिस्सा और मिडिलनेम का कुछ हिस्सा मिला कर " शार्क" बनता है तो गुप्त रखने के लिए वही बताता हूं । शार्क को हिंदी में क्या कहते है मुझे नहीं पता पर सुना है शार्क पैदा होते ही तैरने लगते है और शायद मुझे भी इस JEE के समंदर में तैरना है। धन्यवाद -शार्क वर्मा / सक्षम वर्मा
आपने समोसे और अन्य भोजन के ऊपर अछा विमर्श किया . लेकिन उत्तर प्रदेश ख़ासकर लखनऊ के और पूर्वी ओर नहीं बढ़े. समोसे इलाहाबाद , जौनपुर , आज़मगढ़ के समोसे। इधर मिलने वाली घाटी जो अन्य कही नहीं मिलती उस पर चर्चा. अनर्षा की गोली (वर्तनी ग़लत हो सकती है) आदि। ताऊ का वो कथन बहुत अछा लगा कि गुटके ने पान की हत्या कर दी । बहुत बढ़िया है आपका शो। ऐसे ही अच्छी सामग्री आपसे मिलती रहती है। अनुभूति मेल खाती है आप तीनों से। लगता है अपने ही लोग बैठे हैं सुनते सुनते लगता है कि बगल में एक कुर्सी अपनी भी लगी और कभी कभी सुनते सुनते हम भी बोलने लगते है या हुकारी भर देते हैं फिर याद आता है अरे हम तो यहाँ इलाहाबाद में बैठे है।
Netanargri se jyada mza an teen taal dekhne me aata hai....kyuki yaha par hasya hai, vyang hai, or vibbhin vishayo ki jaankari hai.....tau or sardar ki jodi ki jai ho hai ho jai ho
गुल k खाली डब्बे मैं छेद कर के सुता बांध हम दूरभाष बना खेलते थे। उसके ढक्कन मैं 2 छेद बना घिरनी बनाते थे। इन खेलों की वजह से गुल की खुशबू पता है, हालांकि कभी चखा नहीं। आज तक आपके reels देखे थे आज पूरा एपिसोड देखा। मैं बाबाधाम झारखंड से हूं, ताऊ तो हमेशा पहचान के लगते थे आज पता चला हमारे तरफ के हूं हैं। उनकी बातें सुन बचपन की याद आ गई जब पिताजी बिजली जाने पे छत पे कहानियां सुनाते थे। अब पिताजी हम दोनों एक कमरे मैं भी हों तो अपने अपने फोन पे आपके जैसे किसी से कहानियां सुनते हैं।
सौरभ जी के मात्रा की गलती निकालने से मुझे मेरी अम्मा की स्टाइल याद आ रही है जो रोज अखबार में से गलतियां निकाल कर मेरे बेटों को बताती हैं और अक्सर मेरे बेटों को बोलती हैं कि तुम्हारे पापा भी यही गलती करते थे ।।
आजकल काम करते हुए, खान चा, ताऊ की बतकही सुन रहा हूं😂🤣 मजेदार किस्सों से भरा तीन ताल , बेहतरीन टाइमपास है , खान च्चा के किस्से ऐस् है जैसे मानों वो हमारे बचपन की यादों ताजा कर देते है.. हम तो बनारसी हैं नो भी पैदाइशी तो एक छोटा सा किस्सा बताते है… बनारस जिंदादिल मिजाज वाला शहर है. वहां हर आदमी के पास कमाल का सेंस आंफ ह्यूमर है. एक छोटी सी घटना है आप भी पढ़िए एक सज्जन ने BHU लाइब्रेरी में जाकर लाइब्रेरियन से पूछा - “सुसाइड करने के तरीके" की किताब है क्या ?? लाइब्रेरियन ने 2 मिनट तक उन सज्जन को ऊपर से नीचे तक देखा, फ़िर पान थूकते हुए पूछा "कितबिया लउटइबा कैसे ??"
--- **"Prem Ki Rasoi"** Raghubir bhaiya ke man mein aaj kuch naya karan ko soch bhayo. Apni priyatam Sita ke liye aaj apne haathon se kuch banao. Sochyo toh bahut rahi din se, par aaj hi toh samay milyo ki pyaar ka izhaar unka manpasand bhojan banao ke karun. Vaise toh gaon mein sab unki khetihari ko hi jaanat hain, par aaj woh rasoi mein haath aajmaavat hain. Raaghu ne haathein ghee, jeera, aur dhanay ka masalo lagayo, laal mirch ke saath pyaar se rotiyaan sekyo. Par kauno ras kadhai mein ab tak na ayo. Kitna bhi masala daal lo, Sita ke liye jo khaas swaad hona chahiye vo toh na ayo. Pehlo yah masala reh gayo ya mirch kam rah gayi, na samajh paat hain. Tabhe Sita aayi, uske honthon pe halki si muskurahat aur akhein pyaar se bhari bhayen. Usne dekho ki Raaghu ka mukh thoda bicharat hain. Dheere se bolin, “Kaa karat ho Raaghav? Aaj toh tumne rasoi ka rang hi badal diye ho!” Raaghav ne thak ke bola, “Sita, sab kuch daal diye hai, par abhi tak vo mazedaar swaad nahi ayo. Samajh mein hi na aawat ki kami hai ka.” Sita hasi, aur apne madhur swar mein boli, “Arre, Raaghav ji, kami toh hai. Tumne prem toh daalyo hi nahi! Prem ki chutki bina kaise banegi prem ki rasoi?” Ye sunke Raaghu ka mann khil gayo. Usne sochi, “Sita sahi kahi rahi hain.” Aur usne pyar bhari aankhon se Sita ko dekhat, uske haathon ka sparsh paat hi laga ki bhai, yahi toh kami thi. Va din dono ke liye yaadgar ban gayo. Jo swaad unki thaali mein aaj aayo, wo na mirch se na masale se - sirf prem ke swaad se bharyo rahyo. Aur Sita ne muskurake kaha, “Aaj toh tumhaare hath ka bhojan mere hriday mein bas gayo hai, Raaghav ji!”
विश्व कप फाइनल मैं नहीं देख रहा था कि कहीं मैं देखूं तो पनौती ना लग जाए और कहीं हम मैच हार ना जाए, हांलाकि स्कोर थोड़ा देर में देख ले रहा था। पर जब ३० पे ३० वाला मामला आया तब मुझे लगा कि अब देखना चाहिए जो ठीक साबित हुआ।
बस सुनना शुरू किया है। धन्यवाद प्रोड्यूसर्स तीन ताल , सौरभ को देख दिल ख़ुश हो गया।
सरदार, ताऊ और तीसरे तीन तालिये को प्रणाम ,जय हो।
बहुत दिन से सोच रहें थे की चिट्ठी लिखी जाए नहीं लिख पा रहें थें पर आज सभी किंतु- परंतु पर ब्रेक लगाकर लिख ही देते है ऐसे मन बना है।
मूलतः बिहार से हूं पर अभी बसेरा हवा महल और आमेर महल के शहर में है। तीन ताल का पहला एपिसोड 1 साल पहले देखा था जब सरपंच सौरभ द्विवेदी पहली बार आए थें। उसके बाद से हमने प्लेलिस्ट को किया सेव और लगे सुनने, जैसे-जैसे सुनते गया ऐसा लगा इस महानगर में जहां एक कुत्ता भी आपको नहीं पूछता ,आप किसी से बोलना चाहो भी, अपनी कहानियां सुनना भी चाहें तो लोग बोलते हैं “अभी प्रोजेक्ट कंप्लीट करना है बाद में बात करता हूं बोलकर फोन रख देते हैं।” वहां मुझे आपने गांव के दिन याद आने लगे जैसे मास्टर साहब वाला एपिसोड, हमारे मास्टर साहब भी ऐसे ही खजूर के छड़ी से पीटते थें। याद न करने पर धूप में खड़ा कर देते थें गर्मी में, हुमच के पिटाई होती थी।गुज़िश्ता एपिसोड में सरपंच को देखकर अच्छा लगा और ताऊ का तो मैं जिंदगी भर के लिए प्रशंसक बन गया हूं उनके ट्वीट भी देखता रहता हूं और सरदार बहुत अपने से लगते हैं और खान चा तो कमाल ही हैं। तीन ताल उन सभी लोगों के लिए अमृत जैसा है जो पहले गांव में रहते थें और अब किसी भी कारण से शहर में रह रहें हैं। यात्रा अनवरत चलती रहे यही उम्मीद है। बहुत आभार।
मजा आ गया संरपंच जी को देखकर
तीन तालियो की प्रतिक्षा पुरी हुई
वेसे बता दे की हमारा भी तीन ताल रूपी समुद्र से परिचय सौरभ जी के कानपुर वाले एपिसोड जी से ही हुआ था!
जय हो, जय हो, जय हो! सरपंच का हार्दिक स्वागत। सरपंच द्वारा दोहा पूरा नहीं किया जो कि ऐसे है - आँख में अंजन, दाँत में मंजन नित कर नित कर नित कर। कान में तिनका, नाक में उँगली, मत कर मत कर मत कर।
P
Sir abhi teen taal sunna shuru kiya hai sarpanch kon hai Zara bata dijiye
Aur baaki logo ka naam bhi bata dijiye
@@cocomylove4569 Saurav bhai is Sarpanch.
@@cocomylove4569Kuldeep ji is sardar
सौरव जी और ताऊ और वो बुद्धिजीवी के तरह दिख रहे सच में बुद्धि के महासागर भाई साहेब आप का ये प्रोग्राम सच में व्यंग की एक अनोखी संगोष्ठी है तीनो की जोड़ी बेमिसाल है बस नजर ना लगे वर्ना आप के शब्द और नजरया से चीजों को देखने का जो आत्म अनुभव है वो कही नही मिलपाए गा
1.5x is the best speed to listen. tau represents the mystique of what people born in 70s have experienced and are still evolving with the present landscape..depth and gravity
Bhut hi sundar and underrated podcast on youtube 😅
जय हो क्या बात है मजा ही आ गया , , सबसे बेहतरीन सरपंच का वो किस्सा जिसमे मामा के लड़के ने तमंचे से किया फायर , फायर गया लग और लाइट गई चली, और जब नमकीन से कारतूस निकला अहा,,, जय हो जय हो ।
*काल मुहर/Timestamps*
जय हो जय हो जय हो!
सरपंच का इंतज़ार था, होना भी चाहिए था। अब पूरा हुआ। गुल, गुलाब और गुलबदन का ये मेल कानों को प्रिय लगा। आप अंदाज़ा लगा लें कौन क्या है। चलिए अब शुरु करते हैं -
S2 E59
0:01 - शुरुआत और प्रीकैप
2:52 - सरदार के सुवचन और 'जालेदार' भविष्यवाणी
5:17 - न्याय-संहिता और (आवारा) भीड़ के खतरे, पाँव की मिट्टी और ज़मींदोज़ होना
17:40 - बाल-खीर और बालक-बुद्धि के वाक्य-विन्यास, छू-कित कित, संसद की मीम-मैटेरियल रीलें
22:46 - मंचूरियन मामा ऊर्फ बाइडेन, छुपेरुस्तम एलियंस
27:47 - ताऊ के 'पास्तानी' चाव, रेखा थिन है, भारत-पास्तान के पॉलिटिशियंस के घोड़े और चोरी-उधारी
36:13 - वर्ल्ड कप और टोटकाबाज़ी के चोचले
40:02 - विषयों का ब्यौरा, *गुलसंघ की 'संपादित' कहानी सरपंच और ताऊ की ज़ुबानी, गुलमंजन से गुलगुरु और गुल-मर्यादा से गुलमंत्र तक, गुलाध्यक्ष, गुलसंघ का पदानुक्रम गुलपति, गुल निरीक्षक, गुलतीर्थ, गुल के गुलगुले क़िस्से*
1:07:06 - छिपकली के नशे, गुल-चालीसा, गुलछर्रे, उपयोग-दुरुपयोग-सदुपयोग
1:14:58 - फिसलते लड़कों का बड़ा होना, पैन-कैरम का द्वंद, बड़े होते हुए नियम और प्रतिबंध, गुड़हल के निशान
1:22:04 - प्रेम, होमो-सेपियंस और हिंसा, समाज का कॉन्सेप्ट, सोयाचाप से नफ़रत, गुलसंघ के जौहरी
1:33:52 - सरस्वती शिशु मंदिर - ताऊ का का माह-प्रवास का अनुभव, सरस्वती शिशु मंदिर के संस्कार, सरदार और सरपंच के अनुभव, ताऊ के विद्यालय के अनुभव और क़िस्से
1:48:57 - बिज़्जार न्यूज़ - फतेहपुरी साँप के पंच-चुम्बन, सर्प और मानुष का संबंध, सरपंच के बिच्छू-डंक और साँपों के क़िस्से, ताऊ का बिच्छू-डंक का क़िस्सा
2:04:41 फेक न्यूज़, रिकमेंडेशन - It Follows (2014), प्रिंटिंग प्रेस की क़रामात
2:03:56 - त्वमनलिका के कॉमेंट्स एवम् प्रिय तीन तालियों की चिट्ठियाँ और उन पर टीका-टिप्पणी, लल्लनटॉप के साधु की सुन्दर चिट्ठी 🤍✨ और सरपंच के एक और क़िस्से के साथ जय हो जय हो जय हो!!!
शुक्रिया परितोष भाई
@@vdixit11 सुस्वागतम
इतने दर्दनाक हादसे का मज़ाक़ नहीं बनाया जा सकता, लेकिन बाबाओं के चरणों की धूल चाटने वाले लोग पहले से ही मरे हुए होते हैं। बस साँसें चल रही होती हैं, विवेक तो मरा हुआ ही होता है पहले से।
M bengaluru m reh raha hu. Or is podcast ko sunke ..apne gaaon ki yaad aati ..achi vali yaad. Apni bhasha ki yaad , apne logo.n ki yaad, aachi vali yaad.
Jai Ho
मेरी तीन ताल के लीये पेहली चिट्टी. अहमदनगर, महाराष्ट्र से हु तो हिंदी संभाल लेना. ताऊ की समर व्हेकेशन की कहानी सून कर एक फिल्म याद आयी. पीच्छले साल ऑस्कर मे नोमिनेट हुई थी. 'Holdovers' जरूर देखिये. बहुत अच्छी हे.
Time staPm 2:07:25 my sincere thanks to all three of you. My previous comment was an involuntary sharing of my emotions triggered by your narrative. I never expected it to be read and it jolted me out of my reverie while I was listening to your podcast. thanks sourav for your suggestion.
The moment when sardar blinks his eyes ..."ankho se photo khich lete hain na...." was awesome
My boyfriend suggested your podcast, and now I just can't wait to watch your next teen taal episodes. Love your videos.
मैं महाराष्ट्र से हूँ, थोडे अन्वेषण से पता पड़ा ये गुलजो है शायद ये महाराष्ट्र में "मशेरी" नाम से प्रसिद्ध है, मेरे नाना नानी इस्तेमाल करते थे। 😃
Barobar
ताऊ का शर्ट बिल्कुल आज के टॉपिक से sync में है बिल्कुल 🌿
गुल का एक अर्थ और होता है किसी भी सुलगती हुई चीज़ जैसे सिगरेट,बीड़ी, अगरबत्ती, लकड़ी जब पूरी तरह जलके राख हो जाती है पर वो अभी भी intact रहता है जिसको जरा छिटक कर या झड़ाकर गिराते हैं। सिगरेट पीते समय उस सिगरेट के अगले सिरे पर गुल बन जाता है और उसी पॉइंट से धुंए के छल्ले निकलते हैं। इसी कारण "गुलछर्रे " शब्द आया। क्योंकि पहले लड़कों के बिगड़ने की पहली निशानी सिगरेट बीड़ी का सेवन था और ये एक बहुत ही बड़ा गुनाह सा था।
तो गुलछर्रे शब्द में गुल का अर्थ फूल नहीं है बल्कि वो राख है जो जलती सिगरेट के अगले सिरे पर होता है।
Started watching/listening teen taal with sarpanch last time in teen taal but realise that khan ke saath jyada maaja aata h sunne mei..
सरपंच और अन्य तीन तालियो को सादर प्रणाम🙏
जय हो जय हो जय हो
कुलदीप सरदार, ताऊ और खान चा प्रणाम स्वीकार कीजिए।
मेरा ताऊ से एक प्रश्न है कि साठ से एक कम उनसठ(उन सठ) में किन सठों कि बात हो रही है?
धन्यवाद
जय हो!
Jai ho! Teen taal ik aisi vaitarni hai jisse jo na guzra wo bas pret yoni meiñ atka sa reh gaya! Moksh ki raah yahiñ se hai 🙏
Arre Sarpanch, Sardaar aur Tau😍😍
Please provide time stamp...
Guest in the newsroom के सारे एपिसोड्स देखता था पिछले साल तक लेकिन इस साल पढ़ाई के चक्कर में दो तीन ही देख पाया हूं
पुष्पेश पंत जी वाले गेस्ट इन द न्यूरूम में विश्व इतिहास और खाने के बारे में बहुत जानने मिला था
अभी इसी पॉडकास्ट की उनकी समोसे वाली क्लिप रील में वायरल हुई है तो कल परसों मुझे भी दिखी तब सोचा किसी दिन देखूंगा उनका वाला तीन ताल का एपिसोड
अभी इंस्टाग्राम में सौरभ भईया की स्टोरी में देखा कि उनका तीन ताल का एपिसोड आया है तब तुरंत ये वाला देखना शुरू किया और खत्म करके ही दम लिया
अब जा रहा हूं पुष्पेश पंत जी वाला देखने
*यार मैं सोच रहा हूं कहीं मेरे मम्मी पापा गुल संघ के सदस्य तो नहीं थे जो उन्होंने मेरा नाम "गुल्लू" रखा* 😳
Jai ho😂
Jai Ho 😂
Jai ho😂😂😂
बहारो फूल बरसाओ मेरा gul आया है 😂😂😂 जय हो
Inspiring story, way to go dude! Good luck with your new project.
हमारे यहाँ बाक़ा में एक चचा थे तनिक चा रोज आधा एक किलो भाँग और 5 बख्त गुल, अब तो नहीं है दुनिया में पर जिए लगभग 75 साल, वर्ष 1999 में बोर्ड के बाद गए थे गाँव तो आँखों देखी शाम को चचा गए गोईठा निकालने गेहूवन ने काट लिया, 2 मिनट में सांप मर गया तड़प तड़प कर और चचा उसके बाद भी जिए लगभग 10 साल।
आखिर तीन तालियों की बहुप्रतीक्षित मांग पूर्ण हुई....जय हो...जय हो...जय हो!
Thanks all who are involved in creating such work. Stick to your art and science of this . Jai Ho!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आप लोग को बहुत बहुत आभार ❤❤❤❤❤
"नेता नारी" देखने में देर हो गई 😀😀😀😀😀, फिर देखा सरपंच यहाँ भी वापिक है क्या बात!
फतेहपुर उत्तर प्रदेश से ताऊ को ढेर सारा आदर सम्मान और प्रणाम 🙏❤
सरदार सरपंच और ताऊ को मेरा प्रणाम😊
Love you so much Khan ChaCha and miss you 😘😘😘😘😘😘😘
Saurabh Dwivedi Jii I bet you can make even the crankiest babies smile😂..
शानदार 🎉
जय हो जय हो जय हो ! तीन तालियों को मेरा सादर प्रणाम ।ये मेरा पहली चिट्ठी है कोई गलती हो तो नजरअंदाज करिएगा । मैं देश के उन 13 लाख jee aspirants में से ही एक विद्यार्थी हूं जिसको हिसाब नहीं अपनी सुबह का , अपनी शाम का, जो 2 सालों से कोचिंग आने जाने में बीत जाती है , और अभी भी हिसाब नहीं मिल रहा । मैं उत्तर प्रदेश के उस शहर से हूं जिसने अनेक ब्रह्मवाक्य दिए है जैसे "तुम हो वहीं जिसमें जमती है दही " आशा है आप समझ गए होंगे । तीन ताल सुनने का प्रारंभ तब हुआ जब किसी रात electrodynamics और chemical kinetics के सवालों के साथ जूझते जूझते जब दिमाग का equilibrium बिगड़ चुका था और मन ने सोने का आदेश दिया , तभी सोते समय संगीत का चयन करते वक्त तीन ताल का एक एपिसोड सामने आया जिसके थंबनेल में लिखा था "कानपुर की चिकईबाजी ", बस फिर क्या था उठाया हेडफोन और बंद की लाइट और वॉल्यूम मध्यम करके ये कारवां चालू किया , सोचा था सुनते सुनते ही सो जाऊंगा पर उन चर्चाओं पर हस्ते समझते नींद चली गई , अफीम कोठी में अफीम न बिकना , फूलबाग में फूल न दिखना और मोतीझील में झील ही न मिलना , जो कानपुर का एक दृढ़ संकल्प दिखाता है कि न होते हुए भी कुछ तो है । पहली चिट्ठी / कमेंट लिखने का मन मुझे गुल की चर्चा के बाद हुआ , जब ताऊ ने कहा कि अगर आप 18 वर्ष से कम है तो हेडफोन्स लगा ले , पर मैं अपनी मां के साथ खाना खाते हुए ये चर्चा देख रहा था , फिर क्या , मम्मी ने शक की निगाहों से देखा और कहां स्पीकर में ही सुन लो, हमें भी सुनाओ आखिर आजकल क्या सुनते रहते हो । बिना कुछ कहे मैने वीडियो प्ले करा, पर पीठ पीछे उंगलिया crossed (अंठी गुलंठी) थी कि ताऊ आज कमान तुम्हारे हवाले है । गुल संघ और गुल मंजन की बात जानकर मम्मी हस पड़ी , और अपनी गुल से जुड़ी एक कहानी बताने लगी , उन्होंने बताया कि एक बार दूर गांव की शादी में सुबह मंजन मांगने पर उन्हें गुल मंजन मिला था , पहले तो उन्होंने मना कर दिया, पर घर की एक चाची के सुझाए जाने के बाद की यह नशीला बिल्कुल भी नहीं होता , उन्होंने गुलमंजन कर लिया । उसके बाद मम्मी ने उसी शब्द का प्रयोग किया : "झनझनाना" और बताया कि मंजन करते ही वही बेहोश भी हो गई थी , हम दोनों ही उनकी पुरानी याद सुनकर हंसे और खूब बतियाए । बस यही किस्सा सुनाने के मन से पहली चिट्ठी लिखी है । बात रही मेरे नाम की तो वैसे तो घर का नाम मेरा सक्षम है पर ये नाम शायद अपनी जगह बनाने के सक्षम नहीं था इसीलिए घर के सभी लोग बउआ या फिर बेटू कहकर बुलाते है।असली नाम तो नहीं बताऊंगा पर हां , मेरे नाम का कुछ हिस्सा और मिडिलनेम का कुछ हिस्सा मिला कर " शार्क" बनता है तो गुप्त रखने के लिए वही बताता हूं । शार्क को हिंदी में क्या कहते है मुझे नहीं पता पर सुना है शार्क पैदा होते ही तैरने लगते है और शायद मुझे भी इस JEE के समंदर में तैरना है।
धन्यवाद
-शार्क वर्मा / सक्षम वर्मा
जय हो जय हो
ये के बाद का? ऊ तो रहि गा
राहुल बहुत अच्छा बोला संसद में ।
Baddi fas gayi......😂😂😂 your podcast is like a walk in the memory lane....❤
Thumbnail dekhte hi baith gaye hain .... Yahin sadak kinare ..... Ab uthenge episode poora hone ke baad
jao kaam dhandha karo
@@luckygarg9315 Bhaiya gariyana hi tha to thoda poetic ho jaate?
Sab aap jaise bhojpuri gaane sunte huye paseena nahi bahate n guru@@luckygarg9315
तीन ताल मतलब राजनीतिक स्वर्ग ♥️
जय हो जय हो ताऊ सरदार सरपंच की
Saurabh sir❤❤❤
मुंगेर में चार साल रहा हूं।गुल पर चर्चा अच्छी थी। रांची से आपको सुनता हूं.... लगातार।
Kafi der se intezar tha....❤❤
You guys should include time stamps. It would be really helpful and increase the no. Of viewers.
जय हो साउथ कैंपस से मोहब्बत भेज रहे हैं जय हो जय हो जय हो ❤
Kya jugal bandi h app logo ka❤❤❤🎉🎉😊😊
❤❤❤bahut badiya
आपने समोसे और अन्य भोजन के ऊपर अछा विमर्श किया . लेकिन उत्तर प्रदेश ख़ासकर लखनऊ के और पूर्वी ओर नहीं बढ़े. समोसे इलाहाबाद , जौनपुर , आज़मगढ़ के समोसे। इधर मिलने वाली घाटी जो अन्य कही नहीं मिलती उस पर चर्चा. अनर्षा की गोली (वर्तनी ग़लत हो सकती है) आदि। ताऊ का वो कथन बहुत अछा लगा कि गुटके ने पान की हत्या कर दी । बहुत बढ़िया है आपका शो। ऐसे ही अच्छी सामग्री आपसे मिलती रहती है। अनुभूति मेल खाती है आप तीनों से। लगता है अपने ही लोग बैठे हैं सुनते सुनते लगता है कि बगल में एक कुर्सी अपनी भी लगी और कभी कभी सुनते सुनते हम भी बोलने लगते है या हुकारी भर देते हैं फिर याद आता है अरे हम तो यहाँ इलाहाबाद में बैठे है।
Netanargri se jyada mza an teen taal dekhne me aata hai....kyuki yaha par hasya hai, vyang hai, or vibbhin vishayo ki jaankari hai.....tau or sardar ki jodi ki jai ho hai ho jai ho
Sourabh Sir,
तस्फ़िया होता है ऊर्दू origin का लफ़्ज़ है जिसका मतलब होता है भूल सुधार।
सांप के किस्से सुनकर कुलदीप का गला सूख गया 😂
गुरु सुन के बजा आ गया
जय हो जय हो जय हो
सरपंच ने बचपन याद दिला दिया😊
Jai ho jai ho jai ho🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुल k खाली डब्बे मैं छेद कर के सुता बांध हम दूरभाष बना खेलते थे।
उसके ढक्कन मैं 2 छेद बना घिरनी बनाते थे।
इन खेलों की वजह से गुल की खुशबू पता है, हालांकि कभी चखा नहीं।
आज तक आपके reels देखे थे आज पूरा एपिसोड देखा।
मैं बाबाधाम झारखंड से हूं, ताऊ तो हमेशा पहचान के लगते थे आज पता चला हमारे तरफ के हूं हैं।
उनकी बातें सुन बचपन की याद आ गई जब पिताजी बिजली जाने पे छत पे कहानियां सुनाते थे।
अब पिताजी हम दोनों एक कमरे मैं भी हों तो अपने अपने फोन पे आपके जैसे किसी से कहानियां सुनते हैं।
Aaj ka podcast kab aayega
Pta lage to batana
100k जायेगा ये वीडियो ❤❤❤❤
Saurabh Bhai Jai ho maza aa gaya
हमारे यहाँ महाराष्ट्र में गुल को मशेरी कहा जाता है।
Bahut khoob
That's how people used to talk in villages back in the days pre internet era
Wah wah maza aagaya
Please add timestamps to your video
ताऊ लिख ही दीजिए अब गुल पुराण। इंतज़ार रहेगा। राजकमल प्रकाशित कर देगा और साहित्य आजतक में विमोचन हो जायेगा।
Jai ho 🥳❤️
What a pleasant surprise.
गजब मजा आगया
आज मैं भी हिम्मत कर के स्वीकार करता हूं कि मैं भी हास्टल में दो साल तक गुल संघ का सदस्य रहा....हालंकि अभी हर तरह के गुलगुले से कोसों दूर हूं
bhai sahab, First time mere ko ye word Gul ke bare me itna pata chala, Odisa me isko Gudakhu bolte hain, Mujhe nehi pata tha Gul ka itna History he.
Sarpanch deserves a long monolog
49:30 ताऊ के गुलगुरू को गुल भरा नमस्कार
जय हो जय हो जय हो
हम एक विशाल भीड़ तंत्र का हिस्सा हैं ये हमारा सौभाग्य है या दुर्भाग्य पता नहीं
गाँव में मेरे चाचा चाची गुल मंजन बहुत ज्यादा करते हैं, उन्हें मना करने पर भी नहीं मानते, कोई उपाय बताओ। रायबरेली से
ताऊ ने गुल का व्याख्यान शुरू किया... नीचे वैधानिक चेतावनी आई और हमने कहा.... लो सुरु हो गई फिलम
गुलका निर्माण चिलम में फुकने के लिए कियागया , उस गुल को जलाकर उसे मंजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था
Musa ka gul, Noor ka gul 😂😂
सौरभ जी के मात्रा की गलती निकालने से मुझे मेरी अम्मा की स्टाइल याद आ रही है जो रोज अखबार में से गलतियां निकाल कर मेरे बेटों को बताती हैं और अक्सर मेरे बेटों को बोलती हैं कि तुम्हारे पापा भी यही गलती करते थे ।।
मोदीजी ने राहुल को "बालक बुद्धि " गलत कहा...राहुलजी के लिए "जड़ बुद्धि " ज्यादा उपयुक्त है 😂😂😂
ख्वाहिश पूरी हुई जय हो
sarpanch is back , jai ho.
Jai Ho Jai Ho Jai Ho
Jai Ho! Jai Ho! Jai Ho!
Mast maza aata hai ye episode dekhkar
Jai ho
आजकल काम करते हुए, खान चा, ताऊ की बतकही सुन रहा हूं😂🤣 मजेदार किस्सों से भरा तीन ताल , बेहतरीन टाइमपास है ,
खान च्चा के किस्से ऐस् है जैसे मानों वो हमारे बचपन की यादों ताजा कर देते है.. हम तो बनारसी हैं नो भी पैदाइशी तो एक छोटा सा किस्सा बताते है…
बनारस जिंदादिल मिजाज वाला शहर है. वहां हर आदमी के पास कमाल का सेंस आंफ ह्यूमर है. एक छोटी सी घटना है आप भी पढ़िए
एक सज्जन ने BHU लाइब्रेरी में जाकर लाइब्रेरियन से पूछा -
“सुसाइड करने के तरीके" की किताब है क्या ??
लाइब्रेरियन ने 2 मिनट तक उन सज्जन को ऊपर से नीचे तक देखा, फ़िर पान थूकते हुए पूछा
"कितबिया लउटइबा कैसे ??"
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**"Prem Ki Rasoi"**
Raghubir bhaiya ke man mein aaj kuch naya karan ko soch bhayo. Apni priyatam Sita ke liye aaj apne haathon se kuch banao. Sochyo toh bahut rahi din se, par aaj hi toh samay milyo ki pyaar ka izhaar unka manpasand bhojan banao ke karun. Vaise toh gaon mein sab unki khetihari ko hi jaanat hain, par aaj woh rasoi mein haath aajmaavat hain.
Raaghu ne haathein ghee, jeera, aur dhanay ka masalo lagayo, laal mirch ke saath pyaar se rotiyaan sekyo. Par kauno ras kadhai mein ab tak na ayo. Kitna bhi masala daal lo, Sita ke liye jo khaas swaad hona chahiye vo toh na ayo. Pehlo yah masala reh gayo ya mirch kam rah gayi, na samajh paat hain.
Tabhe Sita aayi, uske honthon pe halki si muskurahat aur akhein pyaar se bhari bhayen. Usne dekho ki Raaghu ka mukh thoda bicharat hain. Dheere se bolin, “Kaa karat ho Raaghav? Aaj toh tumne rasoi ka rang hi badal diye ho!”
Raaghav ne thak ke bola, “Sita, sab kuch daal diye hai, par abhi tak vo mazedaar swaad nahi ayo. Samajh mein hi na aawat ki kami hai ka.”
Sita hasi, aur apne madhur swar mein boli, “Arre, Raaghav ji, kami toh hai. Tumne prem toh daalyo hi nahi! Prem ki chutki bina kaise banegi prem ki rasoi?”
Ye sunke Raaghu ka mann khil gayo. Usne sochi, “Sita sahi kahi rahi hain.” Aur usne pyar bhari aankhon se Sita ko dekhat, uske haathon ka sparsh paat hi laga ki bhai, yahi toh kami thi.
Va din dono ke liye yaadgar ban gayo. Jo swaad unki thaali mein aaj aayo, wo na mirch se na masale se - sirf prem ke swaad se bharyo rahyo. Aur Sita ne muskurake kaha, “Aaj toh tumhaare hath ka bhojan mere hriday mein bas gayo hai, Raaghav ji!”
आ गया वामपंथी सौरभ
2:15:03 ye kin sadhu ki baat ho rahi hai?
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Waaah sarpanch Sardar Tau
Missing Khan cha💥💫💫
सौरभ द्विवेदी हमेशा lallantop mode में रहते है.....यहां खान चा ही ठीक हैं.....
विश्व कप फाइनल मैं नहीं देख रहा था कि कहीं मैं देखूं तो पनौती ना लग जाए और कहीं हम मैच हार ना जाए, हांलाकि स्कोर थोड़ा देर में देख ले रहा था। पर जब ३० पे ३० वाला मामला आया तब मुझे लगा कि अब देखना चाहिए जो ठीक साबित हुआ।
Wholesome bak…. ☺️
Gulab marka Gul - from my hometown Ranchi 😊
Jai ho, jai ho, jai ho......