Dashrath krit Shani stotra | दशरथ कृत शनि स्तोत्र | hindi & english lyrics | aanjaney sharma anjul

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  • Опубликовано: 9 фев 2023
  • best dashrath krit shani stotra ( दशरथ कृत शनि स्तोत्र) By anjul sharma
    Saturn or Shani enters the star constellation of Rohini once in every 30 years. This is one of the most dreaded transits of the kings and his kingdom. The scriptures say “Kings will die and kingdoms will fall when Shani enters Rohini”. It is said that during the reign of king Dasaratha when Shani was about to enter Rohini Nakshatra, king Dasaratha worshipped Shani and pleased with his prayers Saturn did not enter Rohini during the reign of king Dasharatha. Hence the Dasaratha Shani stotra are considered an excellent remedy for Saturn related troubles
    dashrath krit shani stotra (new version)
    • Dashrath krit Shani st...
    जो भी जातक शनि ग्रह, शनि साढ़ेसात‍ी, शनि ढैया या शनि की महादशा से पीड़ित हैं उन्हें दशरथ कृत शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। इस पाठ को नियमित करने से भगवान शनि प्रसन्न होते हैं तथा जीवन की समस्त परेशानियों से मुक्ति दिलाकर जीवन को मंगलमय बनाते हैं…
    प्राचीन काल में रघुवंश में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए, जो सातों द्वीपों के स्वामी थे। उनके राज्यकाल में एक दिन ज्योतिषियों ने शनि को कृत्तिका के अन्तिम चरण में देखकर राजा से कहा कि अब यह शनि रोहिणी का भेदन कर जायेगा। इसको ‘रोहिणी-शकट-भेदन’ कहते हैं। यह योग देवता और असुर दोनों ही के लिये भयप्रद होता है तथा इसके पश्चात् बारह वर्ष का घोर दुःखदायी अकाल पड़ता है।
    ज्योतिषियों की यह बात मन्त्रियों के साथ राजा ने सुनी, इसके साथ ही नगर और जनपद-वासियों को बहुत व्याकुल देखा। उस समय नगर और ग्रामों के निवासी भयभीत होकर राजा से इस विपत्ति से रक्षा की प्रार्थना करने लगे। अपने प्रजाजनों की व्याकुलता को देखकर राजा दशरथ वशिष्ठ ऋषि तथा प्रमुख ब्राह्मणों से कहने लगे- ‘हे ब्राह्मणों ! इस समस्या का कोई समाधान मुझे बताइए।’।।१-६
    इस पर वशिष्ठ जी कहने लगे- ‘प्रजापति के इस नक्षत्र (रोहिणी) में यदि शनि भेदन होता है तो प्रजाजन सुखी कैसे रह सकते हें। इस योग के दुष्प्रभाव से तो ब्रह्मा एवं इन्द्रादिक देवता भी रक्षा करने में असमर्थ हैं।।७।।
    विद्वानों के यह वचन सुनकर राजा को ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि वे इस संकट की घड़ी को न टाल सके तो उन्हें कायर कहा जाएगा। अतः राजा विचार करके साहस बटोरकर दिव्य धनुष तथा दिव्य आयुधों से युक्त होकर रथ को तीव्र गति से चलाते हुए चन्द्रमा से भी तीन लाख योजन ऊपर नक्षत्र मण्डल में ले गए। मणियों तथा रत्नों से सुशोभित स्वर्ण-निर्मित रथ में बैठे हुए महाबली राजा ने रोहिणी के पीछे आकर रथ को रोक दिया।
    सफेद घोड़ों से युक्त और ऊँची-ऊँची ध्वजाओं से सुशोभित मुकुट में जड़े हुए बहुमुल्य रत्नों से प्रकाशमान राजा दशरथ उस समय आकाश में दूसरे सूर्य की भांति चमक रहे थे। शनि को कृत्तिका नक्षत्र के पश्चात् रोहिनी नक्षत्र में प्रवेश का इच्छुक देखकर राजा दशरथ बाण युक्त धनुष कानों तक खींचकर भृकुटियां तानकर शनि के सामने डटकर खड़े हो गए।
    अपने सामने देव-असुरों के संहारक अस्त्रों से युक्त दशरथ को खड़ा देखकर शनि थोड़ा डर गया और हंसते हुए राजा से कहने लगा।।८-शनि कहने लगा- ‘ हे राजेन्द्र ! तुम्हारे जैसा पुरुषार्थ मैंने किसी में नहीं देखा, क्योंकि देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और सर्प जाति के जीव मेरे देखने मात्र से ही भय-ग्रस्त हो जाते हैं। हे राजेन्द्र ! मैं तुम्हारी तपस्या और पुरुषार्थ से अत्यन्त प्रसन्न हूँ। अतः हे रघुनन्दन ! जो तुम्हारी इच्छा हो वर मां लो, मैं तुम्हें दूंगा।।१५-१६।दशरथ ने कहा- हे सूर्य-पुत्र शनि-देव ! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मैं केवल एक ही वर मांगता हूँ कि जब तक नदियां, सागर, चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी इस संसार में है, तब तक आप रोहिणी शकट भेदन कदापि न करें। मैं केवल यही वर मांगता हूँ और मेरी कोई इच्छा नहीं है।’
    तब शनि ने ‘एवमस्तु’ कहकर वर दे दिया। इस प्रकार शनि से वर प्राप्त करके राजा अपने को धन्य समझने लगा। तब शनि ने कहा- ‘मैं पुमसे परम प्रसन्न हूँ, तुम और भी वर मांग लो।।१७-तब राजा ने प्रसन्न होकर शनि से दूसरा वर मांगा। तब शनि कहने लगे- ‘हे सूर्य वंशियो के पुत्र तुम निर्भय रहो, निर्भय रहो। बारह वर्ष तक तुम्हारे राज्य में अकाल नहीं पड़ेगा। तुम्हारी यश-कीर्ति तीनों लोकों में फैलेगी। ऐसा वर पाकर राजा प्रसन्न होकर धनुष-बाण रथ में रखकर सरस्वती देवी तथा गणपति का ध्यान करके शनि की स्तुति इस प्रकार करने लगा।।२१-२४
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Комментарии • 23

  • @RamaSeth-jv3wf
    @RamaSeth-jv3wf 5 месяцев назад +2

    जै सीता राम पूज्य श्री शनिदेव को प्रणाम वंदन राम राम। इतना मघुर मीठे-मीठे संगीत में मीठे-मीठे स्वर में गाया है मैं रोज सुनती हूं बहुत बहुत आभार आपका।

  • @JagdeepSingh-zh2gm
    @JagdeepSingh-zh2gm Год назад +2

    JAI HO🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐

  • @durgaaura
    @durgaaura 9 месяцев назад +2

    Truly a voice connected to the divine . Thank you for sharing your gift. Every time I listen I feel like I want to cry 💖✨

    • @aanjaneysharmaanjul
      @aanjaneysharmaanjul  9 месяцев назад

      Thanks Vanessa
      ॐ शं शनैश्चराय नमः 🙏🙏

  • @rajanshrivastava6997
    @rajanshrivastava6997 Год назад +3

    जय न्याय के देवता शनि महाराज की जय❤️🙏

  • @harshashastri118
    @harshashastri118 Год назад +2

    Jay shree Shani Dev ji

  • @GSbyPankajchoudharysir
    @GSbyPankajchoudharysir Год назад +2

    Adbhut 🙏 pranaam Gurudev ji 🙏

  • @aayushmani9745
    @aayushmani9745 Год назад +1

    Uncle ur voice is just awesome ....charan sparsh 🙏💫

  • @pawanmehra4367
    @pawanmehra4367 Год назад +1

    Jai shani dev g ki

  • @patelanand7453
    @patelanand7453 Год назад +1

    🙏🌹🚩🕉🚩🌹🙏

  • @brijnayakdwivedi2600
    @brijnayakdwivedi2600 Год назад +1

    ऊं सं शनिश्चराय नमः

  • @drconnor8872
    @drconnor8872 Год назад +1

    Sir only listening will get benefits

    • @aanjaneysharmaanjul
      @aanjaneysharmaanjul  Год назад

      Yes 100%

    • @drconnor8872
      @drconnor8872 Год назад +1

      @@aanjaneysharmaanjul sir this one vs Shani chalisa are both same or has different or same benefits??

    • @aanjaneysharmaanjul
      @aanjaneysharmaanjul  Год назад +1

      @@drconnor8872 both are different and have benefits but i think this one is more powerful .
      You should also listen shri sundarkand or hanuman bahuk or hanuman chalisa daily or once or twice.in a week .