वेदों में निराकार साकार काज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेदका मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार साकार माया है। तो परमात्माक्या है उसके लिए भी वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। जो सृष्टि से भिन्न है वही पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद है इसे वेद भी मानते हैं। लेकिन उसका नाम धाम लीला क्या है उसका वेदों को पता नहीं है।🎉🎉
उद्धव ने गोपियों के दिल को तोड़ा था महर्षि दयानंद ने सनातन के दिल को तोड़ा है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की ब्रज लीला 11 वर्ष 52 दिन को काल्पनिक बता दिया। पूर्ण ब्रह्म की लीलाको सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी नहीं समझ सके तो महर्षि दयानंद कैसे समझ सकते हैं। इसे सनातन कभी माफ नहीं करेगा।🎉🎉
बहुत ही सुंदर विचार आचार्य जी🎉🎉🎉🎉🎉🎉
बहुत सुंदर व्याख्या आचार्य जी
बहुत सुन्दर संदेश
Bahut sundar Acharya ji 🙏🙏🙏🙏
🙏🇮🇳
Bahut hi sundar pravchan 🙏🙏
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Bahut sundar vaidik vakta
जय आर्य समाज बहुत बहुत धन्यवाद
वेदों में निराकार साकार काज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेदका मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार साकार माया है।
तो परमात्माक्या है उसके लिए भी वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं।
जो सृष्टि से भिन्न है वही पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद है इसे वेद भी मानते हैं। लेकिन उसका नाम धाम लीला क्या है उसका वेदों को पता नहीं है।🎉🎉
उद्धव ने गोपियों के दिल को तोड़ा था महर्षि दयानंद ने सनातन के दिल को तोड़ा है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की ब्रज लीला 11 वर्ष 52 दिन को काल्पनिक बता दिया। पूर्ण ब्रह्म की लीलाको सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी नहीं समझ सके तो महर्षि दयानंद कैसे समझ सकते हैं। इसे सनातन कभी माफ नहीं करेगा।🎉🎉