प्राचीन प्रभाती साखीया साखीया शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई आचार्य जी आपने बहुत अच्छा विडियो अपलोड किया इसके लिए ह्रदय से धन्यवाद आदरणीयआचार्य जी जय हो गुरु जमभेशवर भगवान की
बहुत खूब राग में गाते हैं आचार्य जी सचिनानंद जी रामसरूप जी खिचङ नाना जी, वहा वाह क्या बात है मीठी राग में जुगलबंदी की गायकी सुपर 👌👌music तो अति गजब 🔊🎵🎤🙋♂️
साखी - बाबो जंभू दीपे प्रगट्यो बाबो जंबू दीप प्रगट्यो चोचक हुवो उजास, आप दीठो केवल कथै जिहिं गुरू की हम आस ।।1।। बलि जाऊं जांभेजीरे नाम ने साधा मोमणा रो प्राण आधार। थे जारे हिरदे वसो ते जन पहुंता पार ।।2।। समराथल रलि आवणा, जित देव तणो दीवाण । परगटियो पगड़ो हुओ, निस अंधियारी भांण ।।3।। एक लवाई थली खड़यो, करत सभी मुख जाप । स्वयम्भू का सिवंरण करै, जो जपै सोई आप ।।4।। भूख नहीं तिसना नहीं, गुरू मेहली नींद निवार । काम क्रोध वियापै नहीं, जिहिं गुरु की बलिहारी ।I5।। भगवी टोपी पहरंतो, गहि कथा दस नाम । झीणी बाणी बालंतो, गुरू वरज्यो वाद विराम ।।6।। सिकंदर पर मोधियो, परच्यो मोहम्मद खान । राव राणा निवं चालियां, सांभल केवल ज्ञान ।।7।। मध्यम से उतम किया खरी घड़ी टकसाल । कहर क्रोध चुकाय के गुरू तोड़यो माया जाल ।।8।। सीप बसे मंझसायरा ओपत सायर साथ, रैणायर राचे नहीं अधर की आश ।।9।। जल सारे विण माछला जल बिन मच्छ मर जाय । देव थे तो सारो हम बिना तुम बिन हम मर जाय ।।10।। वोहो जल बेड़ी डूबता बूड़ नहीं गवार । केवल जंभे बाहरो म्हाने कोण उतारे पार ।।11।। हंसा रो मानु सरोवरां कोयल अम्बाराय । मधुकर कमल करे तेरा साधु विष्णु के नाम ।।12।। जल बिन तृसना न मिटे अन्न बिन तिरपत न थाय । केवल जंभे बाहरो म्हाने कोण कहे समझाय ।।13 ।। पपैयो पीव पीव करे बोली सहे पीयास । भूमि पड़ियो भावे नहीं बूंद धर की आशा ।।14 ।। ठग पोहमी पाहण धणां मेल्ही दूनी भूलाय । पाखड कर परमन हड़े तहां मेरो मन न पतियाय ।।15।। गुरू काच कथीर ने राचही विणज्या मोती हीन। मेरो मन लागो श्याम सू गूदड़ियों गुणा को गहीर ।।16।। निर्धनियां धन वाल्हमो किरपण वाल्हो दाम । विखियां ने वाली कामणी तेरा साधु विष्णु के नाम ।।17।। धन्यरे परेव बापड़ा थारो वासो थान मुकाम । चूंण चूगे गुटका करे सदा चितारे श्याम ।।18|| अम्बाराय बधावणां आनन्द ठामो ठाम ।। श्याम उमाहो मांडियो, पोह कियो पार गिराम ।।19।। बोल्यो गुरू उमावड़ो कर, मन मोटी आस । आवागवण चुकाय के, दो अमरापुर बास ।।20।। अवसर मिलियो मोमणा, भल मेलो कब होई। दुःखी बिहावै तुम बिना हरि बिन धीर न होय ।।21।। कांही के मन को धणी, कांहि के गुरू पीर । “विल्ह” भणै विश्नोइयां, आपा नांव विष्णु के सिर ।।22।।
जय श्री गुरु जंभेश्वर भगवान कि जय हो
हरी ऊं विष्णु जी व श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान आप को प्रणाम
Jay gurudev ji
बहुत अती sudar सखियाँ है गुरूजी
जय हो गुरु देव🙏🙏
🙏🙏 jai ho bhagwan vishnu
Sakhion K lye thanks
Or bhi bhejte rha karo sakhi
जय हो बहुत खुब आचार्य जी🙏🙏🙏
प्राचीन प्रभाती साखीया साखीया शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई आचार्य जी आपने बहुत अच्छा विडियो अपलोड किया इसके लिए ह्रदय से धन्यवाद आदरणीयआचार्य जी जय हो गुरु जमभेशवर भगवान की
Jay ho
बहुत सुंदर साखियां
Om vishnu
बहुत खूब राग में गाते हैं आचार्य जी सचिनानंद जी रामसरूप जी खिचङ नाना जी, वहा वाह क्या बात है मीठी राग में जुगलबंदी की गायकी सुपर 👌👌music तो अति गजब 🔊🎵🎤🙋♂️
हरि ओम विष्णु 🙏🙏
Jai guru Dev 🙏🙏🙏🙏🙏
साखी - बाबो जंभू दीपे प्रगट्यो
बाबो जंबू दीप प्रगट्यो चोचक हुवो उजास,
आप दीठो केवल कथै जिहिं गुरू की हम आस ।।1।।
बलि जाऊं जांभेजीरे नाम ने साधा मोमणा रो प्राण आधार।
थे जारे हिरदे वसो ते जन पहुंता पार ।।2।।
समराथल रलि आवणा, जित देव तणो दीवाण ।
परगटियो पगड़ो हुओ, निस अंधियारी भांण ।।3।।
एक लवाई थली खड़यो, करत सभी मुख जाप ।
स्वयम्भू का सिवंरण करै, जो जपै सोई आप ।।4।।
भूख नहीं तिसना नहीं, गुरू मेहली नींद निवार ।
काम क्रोध वियापै नहीं, जिहिं गुरु की बलिहारी ।I5।।
भगवी टोपी पहरंतो, गहि कथा दस नाम ।
झीणी बाणी बालंतो, गुरू वरज्यो वाद विराम ।।6।। सिकंदर पर मोधियो, परच्यो मोहम्मद खान ।
राव राणा निवं चालियां, सांभल केवल ज्ञान ।।7।।
मध्यम से उतम किया खरी घड़ी टकसाल ।
कहर क्रोध चुकाय के गुरू तोड़यो माया जाल ।।8।।
सीप बसे मंझसायरा ओपत सायर साथ,
रैणायर राचे नहीं अधर की आश ।।9।।
जल सारे विण माछला जल बिन मच्छ मर जाय ।
देव थे तो सारो हम बिना तुम बिन हम मर जाय ।।10।।
वोहो जल बेड़ी डूबता बूड़ नहीं गवार ।
केवल जंभे बाहरो म्हाने कोण उतारे पार ।।11।।
हंसा रो मानु सरोवरां कोयल अम्बाराय ।
मधुकर कमल करे तेरा साधु विष्णु के नाम ।।12।।
जल बिन तृसना न मिटे अन्न बिन तिरपत न थाय ।
केवल जंभे बाहरो म्हाने कोण कहे समझाय ।।13 ।।
पपैयो पीव पीव करे बोली सहे पीयास ।
भूमि पड़ियो भावे नहीं बूंद धर की आशा ।।14 ।।
ठग पोहमी पाहण धणां मेल्ही दूनी भूलाय ।
पाखड कर परमन हड़े तहां मेरो मन न पतियाय ।।15।।
गुरू काच कथीर ने राचही विणज्या मोती हीन।
मेरो मन लागो श्याम सू गूदड़ियों गुणा को गहीर ।।16।। निर्धनियां धन वाल्हमो किरपण वाल्हो दाम ।
विखियां ने वाली कामणी तेरा साधु विष्णु के नाम ।।17।।
धन्यरे परेव बापड़ा थारो वासो थान मुकाम ।
चूंण चूगे गुटका करे सदा चितारे श्याम ।।18||
अम्बाराय बधावणां आनन्द ठामो ठाम ।।
श्याम उमाहो मांडियो, पोह कियो पार गिराम ।।19।।
बोल्यो गुरू उमावड़ो कर, मन मोटी आस ।
आवागवण चुकाय के, दो अमरापुर बास ।।20।।
अवसर मिलियो मोमणा, भल मेलो कब होई।
दुःखी बिहावै तुम बिना हरि बिन धीर न होय ।।21।।
कांही के मन को धणी, कांहि के गुरू पीर ।
“विल्ह” भणै विश्नोइयां, आपा नांव विष्णु के सिर ।।22।।
Hari bol
🙏🙏🙏🙏🙏
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बहुत अती sudar सखियाँ है गुरूजी 👌👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏
Jai. Ho
Jay ho
Jai ho
jay ho
Jai ho
Jai ho
Jai ho