अहंकार और माया में क्या सम्बन्ध है? || आचार्य प्रशांत (2019)
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- Опубликовано: 12 сен 2024
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 10.05.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत
प्रसंग:
~ अहंकार माने क्या?
~ माया माने क्या?
~ अहंकार और माया में क्या सम्बन्ध है?
संगीत: मिलिंद दाते
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7:50 जो गलत जीवन जितना ज़्यादा जी गया उसके लिए वापस लौटना उतना मुश्किल होता जाता है। इसीलिए जिस क्षण जानो भूल हो रही है, तत्क्षण कदम रोक दो उसी समय वापस लौट पड़ो। जितनी देर तक अपने आप को भ्रम में निवेशित रखोगे उतना मुश्किल होता जाएगा भ्रम से वापस लौटना।
मूल झूठ को जान लो। अहंकार को जान लो। जीवन के भ्रम मिट जाएगा।
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19:45 अपने ही झूठ के गिरफ़्तार हैं हम। अहं वो जो ख़ुद अपना क़ैदी है। वह अपने ही झूठ की गिरफ़्त में है। वह कैसे मान ले कि वह है ही नहीं। उसने अपनी सारी दुनिया ही इसी बुनियाद पर खड़ी कर रखी है कि वह है। मान लिया कि वह नहीं है तो फिर उसकी दुनिया का क्या होगा।
Ego is that which we think we are and Maya is that which is not what we think we are.
Our egos want to survive above all, and when we set out to change the status quo, the ego brings out the nasty little internal voices that rationalize, accuse, blame, shame, taunt. So, we fall back into old patterns and feel rotten about ourselves.
What the ego presents to us is illusion: worries, anxieties, shoulds, coulds. All these thoughts about how our lives would be better are just stories.
They aren’t real and the thoughts behind them aren’t real. It’s all illusion.
19:04 मैंने कहा था आई लव यू बोलना मुश्किल है पर उससे भी ज़्यादा मुश्किल है आई लव यू बोल देने के बाद आई डोन्ट लव यू बोलना। आज़मा कर देखना। इसीलिए मुक्ति नहीं हो पाती। बड़ा मुश्किल है किसी से कह देना कि तुमसे प्रेम है पर एक बार कह दिया किसी से तुमसे प्रेम है फिर उससे यह कह पाना कि तुमसे प्रेम नहीं है पहले मैंने झूठ बोला था, यह और मुश्किल है। फँस जाते हो।
16:34 तो अहंकार वो जो अपनी ही बेवकूफियों पर इतराए, जो अपनी ही दुर्गति पर गर्वाए। उसकी जितनी दुर्गति होती है उसका गर्व उतना बढ़ता है। अब समझ में आ रहा है कि क्यों हम दुर्गति झेलने को तैयार रहते हैं सुधरने को नहीं? क्योंकि हमारी दुर्गति में भी बड़ा गुरुर है बड़ा अहं है। दुर्गति यूँ ही थोड़ी हो रही है, हमने जानबूझकर करवाई है, हमारी होशियारी है हमारी दुर्गति में। तो कितनी भी दुर्गति होती चले भीतर ही भीतर तो हम मुस्कुराते हैं, हम कहते हैं देखा कितना बुद्धू बनाया। एक घूसा और पड़ा मुँह पर बोले ये लो ये भी बेवकूफ़ बन गए इन्होंने भी बंता ही समझा हमको, एक और को बेवकूफ़ बनाया।
ये अकेला वीडियो ही काफी है सच और झूठ को स्पष्ट जानने के लिए।धन्यवाद आचार्य जी
13:46 वो चुटकुला है ना जो मैं बीच-बीच में सुनाता हूँ कि संता आया-फटे कपड़े, मुँह लाल, आँख नीली और काली, शरीर पर जगह-जगह निशान। लोगों ने कहा क्या हुआ? बोला पिटा हूँ और खिल-खिलाकर हँसने लगा। बोले हँस क्यों रहा है जब इतना पिटा है? बोला वो सब मूर्ख, पागल बना दिया मैंने उन्हें। वो मुझे बंता समझकर पीट रहे थे। बंता तो मैं हूँ ही नहीं। इतने लोगों को मूर्ख बनाया आज मैंने।
ऐसी हमारी हालत है। हम पिट भी रहे होते हैं तो हमें इस बात का बड़ा गर्व होता है कि तुम मुझे जो समझ के पीट रहे हो, वो तो मैं हूँ ही नहीं। मैंने तो झूठी पहचान पकड़ रखी है।
Love you aachariye ji ❤❤
Guruji Naman
Aapki vani se aisehi ego hil jatah guru ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌼🙏
अहंकार वो है जो तुम अपनेआप को समझते हो, और माया ये है तुम अपनेआप को जो समझते हो वो तुम हो नहीं।
Special thanks ❤️❤️💕💕
🙏🙏
Acharya ji ap mr jivan phle kyu nhi aaye 😭😭😭🙏🙏🙏..agr kuch sal pahle hi aye hote to mr jindgi kuch or hi hota 😭😭😭😭😭
10:48 सारे तुम्हारे दुःख और सारे तुम्हारे झूठ इसलिए है क्योंकि एक मूल झूठ बोला हुआ है और उसको पकड़ लिया है। और वो मूल झूठ तुमने विवशता में या भ्रमवश ही नहीं बोल दिया था, याद रखो कि वह मूल झूठ भी तुमने लालचवश बोला था। इसीलिए बताने वाले बता गए हैं कि लालच ही जन्म लेता है, कामनाएँ ही जन्म लेती हैं। ये जो शरीर का जन्म है, आकस्मिक नहीं है। शरीर के जन्म से पहले ही तुमने कामना कर ली कि आज ज़रा रबड़ी जलेबी का सेवन करना है इसलिए तुम्हारा जन्म हुआ। बात सांकेतिक है पर है बिल्कुल सही। उस ब्याह में तुम घुसे ही इसीलिए क्योंकि तुम पहले ही कामनातुर थे। और फिर घुस गए तो उसके बाद एक झूठ के बाद पचास झूठ और जितने झूठ बोलोगे उतने बर्तन माँझोगे।
12:50 अध्यात्म कहता है सही चुनाव कर लो, मान लो कि इस पूरे मेले में तुम्हारा प्रवेश ही तुम्हारे झूठ की वजह से हुआ है। मान लो, माफ़ी माँग लो, सज़ा भुगत लो और मुक्त हो जाओ।
माया क्या है अहम का ये विश्वास की वो है
सुख की चाहत में शरीर बन जाते हो फिर जब दुख आता है फिर पीछे कैसे हटोगे
जो गलत जीवन जितना ज्यादा जी गया उसके लिए वापस लौटना उतना मुश्किल हो जाता है
मांगी मांग लो सजा भुगत लो और मुक्त हो जाओ
अहंकार वो जो अपनी ही दुर्गति पर इतराए
बारंबार प्रणाम आचार्य श्री।🌼🙏
Pranam acharya ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
प्रणाम गुरु देव🙏🙏🙏🙏❤❤
Bahot badiya, bahot hi bariki se samajha hamari galti ko,sab kuch shishe ki tarah saaf ho gaya,archarya ji app mahan ho
Great man 👍 thanks ❤️
🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏
धन्यवाद आचार्य जी !
रिया नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏
Great
Pranam acharya ji
❤❤❤
Naman 🙏❤️
🙇👣
♥️♥️
Awesome.
💎🙏
Laalachi janam leti hai
🙏🙏🙏
❤
Pranam Acharya Jee 🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏
❤❤
🙏🙏🙏
🙏🏻
🙏❤️