राग जयजयवंती । संक्षिप्त विवरण:- इस राग की उत्पत्ति खमाज थाट से मानी गई है। इसमें दोनो गंधार और दोनो निषाद प्रयोग किए जाते है। जाति संपूर्ण-संपूर्ण है। वादी ऋषभ और संवादी पंचम है। रात्रि के दूसरे प्रहर के अंतिम भाग में इसे गया बजाया जाता है। न्यास के स्वर:- सा रे और प। संप्रकृति राग:- देश आरोह : सा ध़ ऩि रे ग म प, नि॒ सां। अवरोह : सां नि॒ ध प, ध ग म रे ग॒ रे सा। पकड़ : रे ग॒ रे सा, ऩि सा ध़ ऩि॒ रे। विशेषता:- * आरोह में पंचम के साथ शुद्ध निषाद और धैवत के साथ कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है जैसे- म प नि सां, ध नि॒ रें, किंतु अवरोह में सदैव कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है। * इसकी प्रकृति गंभीर है तथा चलन तीनो सप्तको में समान होती है। इसमें बड़ा खयाल, छोटा खयाल व ध्रुपद, धमार सभी शोभा देते है। * यह राग क्रमशः दो अंगो से गाया जाता है- देश और बागेश्वरी। देश अंग के आरोह मे धैवत वर्ज्य कर शुद्ध नि प्रयोग करते है। जैसे रे ग म प नि सां , किंतु बागेश्री अंग के आरोह में कोमल नी प्रयोग करते है। देश अंग की जयजयवंती, जिसके बीच में कभी कभी बागेश्री अंग भी दिखा देते है, प्रचार में अधिक है। दोनो प्रकार की जयजयवंती में ध़ ऩि॒ रे , राग वाचक स्वर-समूह माना गया है। * कोमल गंधार का अल्प प्रयोग केवल अवरोह में दो ऋषभ के बीच होता है, जैसे - रे ग॒ रे सा ऩि सा, ध़ ऩि॒ रे। * इसमें प रे की संगति प्रचुरता से होती है। प रे में पंचम मंद्र सप्तक का होना चाहिए। दोनो स्वर मध्य सप्तक के नही होते। अगर पंचम मध्य सप्तक का है तो ऋषभ तार सप्तक का होगा। * इसे प्रमेल प्रवेशक राग कहा जाता है। इसका कारण यह है की यह राग रात्रि के दूसरे प्रहर के अंतिम समय में गाया बजाया जाता है। इस राग के पश्चात काफी थाट के रागों का समय प्रारंभ होता है। इसमें खमाज और काफी दोनो थाट के स्वर लगते है। शुद्ध गंधार खमाज थाट का और कोमल गंधार काफी थाट का परिचायक है।
Extraordinary Musical Duo!!!!..🧡🧡 Bahot hii sukun bhari gaayki...,, truly a spiritual experience✨✨ PadmaBhushan Pandit Ji's Divine Singin is Eternal & may his great soul rest in Eternal Peace 🕉️🙏
you probably dont give a shit but if you guys are stoned like me atm then you can stream pretty much all of the latest movies and series on instaflixxer. Been watching with my girlfriend for the last months :)
Sthai - Eso Nawal ladli Radha Sang niratat lapat jhapat kahna Antra - jhule hindola bagiyan bagiyan Sakhiyan sab mil nachat gawat Sang natwar pad laage kahna
आप को सुनकर आनंदविभोर हो जाता हूं.
Embodiment of pure music...they sing in shruties...it’s sublime...so proud of India and such Indian gems.
True, singing in shruti's is just magical
अत्यंत परिपक्व गायन, सादर नमन पंडित जी को, बहुत खूबसूरत बन्दिश।
राग जयजयवंती ।
संक्षिप्त विवरण:-
इस राग की उत्पत्ति खमाज थाट से मानी गई है। इसमें दोनो गंधार और दोनो निषाद प्रयोग किए जाते है। जाति संपूर्ण-संपूर्ण है। वादी ऋषभ और संवादी पंचम है। रात्रि के दूसरे प्रहर के अंतिम भाग में इसे गया बजाया जाता है।
न्यास के स्वर:- सा रे और प।
संप्रकृति राग:- देश
आरोह : सा ध़ ऩि रे ग म प, नि॒ सां।
अवरोह : सां नि॒ ध प, ध ग म रे ग॒ रे सा।
पकड़ : रे ग॒ रे सा, ऩि सा ध़ ऩि॒ रे।
विशेषता:-
* आरोह में पंचम के साथ शुद्ध निषाद और धैवत के साथ कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है जैसे- म प नि सां, ध नि॒ रें, किंतु अवरोह में सदैव कोमल निषाद प्रयोग किया जाता है।
* इसकी प्रकृति गंभीर है तथा चलन तीनो सप्तको में समान होती है। इसमें बड़ा खयाल, छोटा खयाल व ध्रुपद, धमार सभी शोभा देते है।
* यह राग क्रमशः दो अंगो से गाया जाता है- देश और बागेश्वरी। देश अंग के आरोह मे धैवत वर्ज्य कर शुद्ध नि प्रयोग करते है। जैसे रे ग म प नि सां , किंतु बागेश्री अंग के आरोह में कोमल नी प्रयोग करते है। देश अंग की जयजयवंती, जिसके बीच में कभी कभी बागेश्री अंग भी दिखा देते है, प्रचार में अधिक है। दोनो प्रकार की जयजयवंती में ध़ ऩि॒ रे , राग वाचक स्वर-समूह माना गया है।
* कोमल गंधार का अल्प प्रयोग केवल अवरोह में दो ऋषभ के बीच होता है, जैसे - रे ग॒ रे सा ऩि सा, ध़ ऩि॒ रे।
* इसमें प रे की संगति प्रचुरता से होती है। प रे में पंचम मंद्र सप्तक का होना चाहिए। दोनो स्वर मध्य सप्तक के नही होते। अगर पंचम मध्य सप्तक का है तो ऋषभ तार सप्तक का होगा।
* इसे प्रमेल प्रवेशक राग कहा जाता है। इसका कारण यह है की यह राग रात्रि के दूसरे प्रहर के अंतिम समय में गाया बजाया जाता है। इस राग के पश्चात काफी थाट के रागों का समय प्रारंभ होता है। इसमें खमाज और काफी दोनो थाट के स्वर लगते है। शुद्ध गंधार खमाज थाट का और कोमल गंधार काफी थाट का परिचायक है।
Totally satisfied by hearing this 😊
कितना सुंदर शब्दों को पिरोया गया है । ❤️
Extraordinary Musical Duo!!!!..🧡🧡
Bahot hii sukun bhari gaayki...,, truly a spiritual experience✨✨
PadmaBhushan Pandit Ji's Divine Singin is Eternal & may his great soul rest in Eternal Peace 🕉️🙏
you probably dont give a shit but if you guys are stoned like me atm then you can stream pretty much all of the latest movies and series on instaflixxer. Been watching with my girlfriend for the last months :)
@Kamdyn Kellen yea, been watching on Instaflixxer for months myself :)
They just capture us ! Great singers 👍🌹
Awesome. Speechless..💕❤️
आनन्दमय अद्भुत अप्रतिम🙏🏻
Really awesome!
Wah
Beautiful
Outstanding
Ultimate
Just superb Can anyone provide the lyrics to this bandish?
Here you go :
www.swarganga.org/record/index.php?bandishid=4854&type=bandish&showrecorder=true&scale=G%23
Sthai - Eso Nawal ladli Radha
Sang niratat lapat jhapat kahna
Antra - jhule hindola bagiyan bagiyan
Sakhiyan sab mil nachat gawat
Sang natwar pad laage kahna
@@garimasingla2990 thanks. Sang natwar pad laage taa dhA
❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏
Uchha kiti til gaayki