"आप सभी को मेरा स्नेह और धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं, और आपकी सहायता से ही हमारा यह प्रयास सफल हो सकता है। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो अभी लोगों तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहे हैं। हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया हमारे वीडियो को अधिक से अधिक साझा करें ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान को हर किसी तक पहुंचाया जा सके। आपका समर्थन और सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आपका समय और साथ के लिए हृदय से धन्यवाद!"
मैं अपने गुरु के सान्निध्य में बंकनाल में प्रतिदिन पार्ट के रूप में १/२घंटे का सफर तय कर रहा हूं । अनुभूतियां अवर्णनीय हैं। शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।🙏🌹🌹
आपके प्रेम और समर्पण के लिए धन्यवाद। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है, जिससे RUclips हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंचा रहा है। कृपया हमारे वीडियो साझा करें, ताकि RUclips का एल्गोरिदम फिर से हमारे चैनल को प्रमोट करने लगे और इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए अनमोल है। धन्यवाद!
“आपके स्नेह और आभार के लिए हृदय से धन्यवाद। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि हमारी बातों ने आपको लाभ पहुंचाया। आपकी इस प्रेरणा के लिए हम भी कृतज्ञ हैं। ईश्वर आपके जीवन को प्रकाश और शांति से भर दे। सादर प्रणाम।”
आपके प्रेम और समर्पण के लिए धन्यवाद। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है, जिससे RUclips हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंचा रहा है। कृपया हमारे वीडियो साझा करें, ताकि RUclips का एल्गोरिदम फिर से हमारे चैनल को प्रमोट करने लगे और इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए अनमोल है। धन्यवाद!
Jai gurudev sat koti koti pranam apke charno me atma hardey se,ye sab guru sanvyam pramatma ka he Jo is pal me sanse chala raha he Jo ye univarsal ki sanvaym guru ka hi khel jitna kheloge utne dupte jaoge sirf aap ko mlike ko samarpit kar dena hi ek purn sanrachna he Jo ek naya jivan ka sringar karta he Jo abhi aap ki jigyasa hi braham he Jo yehe so lila ko racha he ye hi satye he, jai gru dev name pramatma ka he.
“आपका गहन और सुंदर विचार साझा करने के लिए धन्यवाद। वास्तव में, आत्मा और परमात्मा के इस दिव्य खेल में समर्पण और समझ का बहुत बड़ा महत्व है। यह यात्रा गुरु के चरणों में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ समर्पित होकर ही संपूर्ण होती है। आपकी भावना और शब्द प्रेरणादायक हैं। जय गुरुदेव।”
Jise prakriti se pyar nahin vah Insan Dhyan mein kamyab hona mushkil hota hai khula khula Gagan hai hari bhari Dharti jitni bhi dekho tabiyat nahin Bharti Sundar se Sundar har EK Rachna phool kahe kanton mein bhi sikho hansna Om namah Shivay
Andheri gufa mein enter huye blissful state bhi feel hua but Legs bhot heavy feel hore thea gufa ko part nahi kar sake pl explain what it is how to cross that gufa why legs were heavy
“आपका अनुभव बहुत ही सुंदर और गहन है। मैं आपके अनुभव को गलत नहीं कह रही हूँ, बल्कि केवल अपना दृष्टिकोण साझा कर रही हूँ। जब हम चेतना के उच्चतम स्तर पर होते हैं, तो अक्सर शरीर का अहसास समाप्त सा हो जाता है, मानो शरीर है ही नहीं, क्योंकि हम शुद्ध चेतना के उच्चतम स्तर पर होते हैं। आपके मामले में, मैं आपको सलाह दूंगी कि आप अपने गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें। हो सकता है कि आपका अनुभव एक मानसिक अनुभूति हो, जिसे आपका मन ध्यान के दौरान प्रकट कर रहा हो। यदि आपके पास अभी कोई गुरु नहीं हैं, तो एक सच्चे और पूर्ण गुरु की खोज करें। गुरु का मार्गदर्शन आपके अनुभव को गहराई और सत्यता प्रदान करेगा। विश्वास रखिए, जब सही समय आएगा, गुरु स्वयं आपके जीवन में आएंगे। आपके इस अद्भुत और प्रेरणादायक अनुभव के लिए मेरी शुभकामनाएँ हैं। मैं आपकी आध्यात्मिक यात्रा पर आपके लिए केवल प्रकाश, शांति और अनंत आशीर्वाद की कामना करती हूँ।”
आपका यह कहना अत्यंत प्रेरणादायक है। मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर बात करूं, लेकिन सत्य की परख हर साधक की अपनी यात्रा और अनुभव पर आधारित होती है। आपके इस विश्वास के लिए धन्यवाद।
कृपय अाप ये बतानेका कृपा करे कि साधक कभ खुदकि शक्ति को जानकर होने वाले परिसानसे मुक्ति हो जायेगा बङ्कनाल मे प्रबेष के कित्ना अागे ताकि साधक अागेभि जन्ने से ना चुके हरहर माहादेब
आपका प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण और गहन है। साधक की आध्यात्मिक यात्रा में खुद की शक्ति को पहचानना और समझना अनिवार्य है। इसके लिए ध्यान और आत्मचिंतन के साथ-साथ एक पूर्ण गुरु का मार्गदर्शन होना बहुत आवश्यक है। इस मार्ग पर गुरु का होना इसलिए जरूरी है क्योंकि वही साधक को सही दिशा में ले जाकर उसकी चेतना को जागृत कर सकते हैं। साधक को अपने अहंकार और भौतिक इच्छाओं से ऊपर उठना चाहिए और अपने भीतर के परमात्मा को अनुभव करना चाहिए। गुरु की कृपा और उनकी दी गई वाणी ही साधक को अज्ञानता से बचाकर उसे प्रकाश की ओर ले जाती है। पूर्ण गुरु से पाँच नाम का बोध प्राप्त करना साधक के लिए अत्यंत आवश्यक है। ये पाँच नाम बीज मंत्र के समान हैं, जो साधक को बड़कनाल तक पहुँचने और उसकी आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाने में मदद करते हैं। यदि साधक निरंतर गुरु की शरण में रहकर साधना करता है, तो वह अपने उच्चतम चक्रों और चेतना के स्तर तक पहुँच सकता है। इस मार्ग पर गुरु और उनके द्वारा दिए गए नामों का महत्व अपरिहार्य है।
@beinwardshindi जिसे पाच नाम जिसे कहते है ये लगभग मिल चुका है पर मेरे सदगुरु सहसरिर नहि है ईसिलिये हामे कहि बार परिसानिये अाति है फिर गुरु उसे दुर करते है अगर गुरु सरिरसे मिल्ते तो अाज साहित मै ईश मायारुपि जाल काटकर लोगौके सेवामे रहता पर अाज मेरा खुदका समस्य नहि यैसायैसा समस्य दिखाई दि है जिसे कहना भि कैसे कहे शान्ति जैसा दुनियासे बिदा हुई है क्या यैसा लग्ता है देबिजि अापसे अनुरोध है कि बङ्कनालसे कितनि स्टेप अागे हामे खुदका ज्ञान होगा कृपय जरुर अाद कराये हजुर
प्रभुजी, बंकनाल से आगे ब्रम्ह लोक हैं,जब बंकनाल कि अंधेरी गुंफा से आगे आगे दुर तक जाते रहेंगे तो आगे लाल रंग वाला ऊजाला दिखेगा जैसे की एक घर के चारो और अंधेरा है और घर के अंदर लाईट जलरही है लाईट यानी ऊजाला वो तो घर के अंदर हे मगर दरवाजे के बाहर लाईट का ऊजाला कुछ धुंदलासा दिखाई देगा वैसा हि ब्रम्ह लोक का लालरंग वाला ऊजाला दिखेगा ऊसी उजाले कि प्रभा पारकर अंदर आत्मा प्रवेश करेगी तो हमें यानी मन जो यह देखरहा हे वो मन बाहर हि रहेगा सिर्फ आत्मा ही अंदर जायेगी ऊस लाल रंग के अंदर जाते ही सब कुछ ठप्प हो जाता है. यानी क्या हुआ ईसका समाचार लेने के लिये मन वंहा मन नहीं था ईसलिये आगे कुछ भी नहीं कह सकते. वो ही आत्मा और परमात्मा मिलन.
Allah Aasmaano aur Zameeno ka Nur hai. .Quraan . Allah ne Aadam ko Apni Surat ( rup,prakash, ) per paida kiya. . Prophet Muhammad p.b.u.h. . Mujh main aur Tujh main Ek hi Prakash hai, hum Khidkiyaan hain. .Prakash Ek hi hai. .Sufi Mehmud Al shabistari. .
“Sachmuch, sabhi dharm ek hi gehra satya dikhate hain, jo humein jodne wali divya ekta ke baare mein hai. Jab hum inki mool shikshao mein ghus kar dekhte hain, toh sabka sandesh ek hi tarah ka lagta hai, jo bhasha aur sanskriti ke bhed se pare hai. Islam: Quran mein likha hai, ‘Allah aasmaano aur zameen ka Noor hai.’ (Surah An-Nur 24:35). Yeh dikhata hai ki Allah ki hazri har jagah hai, jo poori srishti ko apne prakash se roshan karta hai. Hinduism: Upanishad mein kaha gaya hai, ‘Tat Tvam Asi’ (Tu wahi hai), jo is baat par zor deta hai ki paramatma har vyakti ke andar hai. Yeh sikhata hai ki poora brahmand ek hi shakti ke prakash se juda hai. Christianity: Jesus Christ kehte hain, ‘Main duniya ka prakash hoon. Jo mera anusaran karega, woh kabhi andhkaar mein nahi chalega, balki jeevan ka prakash payega.’ (John 8:12). Yeh us divya prakash ki baat karta hai jo humare andar margdarshan ke roop mein hai. Sikhism: Guru Granth Sahib mein Guru Nanak kehte hain, ‘Sab mein ek hi jyoti hai.’ (SGGS, 663). ‘Ik Onkar’ ka siddhant yeh dikhata hai ki srishti aur srishtikarta ek hi hain, aur sabhi prani usi divya prakash ke roop hain. Judaism: Torah mein kaha gaya hai ki ‘Manushya ko Ishwar ke swaroop mein banaya gaya.’ (Genesis 1:27). Yeh batata hai ki har aatma mein Ishwar ka ek ans vidyaman hai, jo humein ek hi divya sattva ka pratibimb banata hai. Sufism: Sufi kavi Mehmud Al-Shabistari kehte hain, ‘Mujh mein aur tujh mein ek hi prakash hai,’ yani humare beech koi dvait nahi hai; hum ek hi prakash ke jharokhe hain. Sabhi dharm ek aisa sarvabhaum satya dikhate hain ki hum sab ek hi divya shrota se jude hain. Agar hum is satya ko maan lein, toh yeh pyaar, ekta aur shanti ko badhava dega, dharm aur sanskriti ki seemaon ke paar. Chaliye, hum is sarvabhaum prakash ka sammaan karein aur ise apne andar aur bahar poshit karein.”
सहंसर से आगे की यात्रा आत्मा की सूक्ष्म चेतना और उच्च आध्यात्मिक अवस्थाओं की ओर ले जाती है। सहंसर के बाद साधक का ध्यान त्रिकुटी पर केंद्रित होता है, जो तीन धाराओं का संगम है। इसके बाद 'दसवां द्वार' आता है, जो सूक्ष्म जगत का प्रवेश द्वार है। यह अवस्था साधक को अनहद नाद (अविरत दिव्य ध्वनि) और दिव्य प्रकाश के अनुभव की ओर ले जाती है। यह ध्यान और साधना का एक अत्यंत गूढ़ और गहन स्तर है, जिसमें केवल एक पूर्ण गुरु के मार्गदर्शन से ही प्रगति संभव है। पूर्ण गुरु आपको इन उच्चतर अवस्थाओं की सही समझ और अनुभव प्रदान करते हैं। सहंसर से आगे का मार्ग आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की अंतिम प्रक्रिया है, जिसे गुरु की कृपा और सही साधना से ही पाया जा सकता है। अगर आप इस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं या इसकी गहराई में जाना चाहते हैं, तो किसी सच्चे और अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन अवश्य लें। धन्यवाद! 🙏✨
"आप सभी को मेरा स्नेह और धन्यवाद। आप हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं, और आपकी सहायता से ही हमारा यह प्रयास सफल हो सकता है। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है। इस बदलाव के कारण हमारे वीडियो अभी लोगों तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पा रहे हैं।
हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया हमारे वीडियो को अधिक से अधिक साझा करें ताकि इस आध्यात्मिक ज्ञान को हर किसी तक पहुंचाया जा सके। आपका समर्थन और सहयोग हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आपका समय और साथ के लिए हृदय से धन्यवाद!"
बेहद सुंदर मार्गदर्शन जी,,🙏🙏🙇♀️🙇♀️
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
राधास्वामी जी राधास्वामी जी ❤❤🙏🙏❤️❤️💕🧡
🙏🙏
Radha soami Ji 🙏
शुक्रिया सर 🙏
🙏🙏
यात्रा अपने घर की बहुत ही सुंदर मार्ग दर्शन बहिन जी प्रणाम जी हार्दिक जय सच्चिदानंद जी 🙏🙏
🙏🙏🙏
Dhan dhan satguru ji
🙏🏻🙏🏻
कोटि कोटि कोटि कोटि धन्यवाद कोटि कोटि कोटि कोटि आभार गुरु मां जी🙏🙏🙇♀️🙇♀️🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
....highly highly commendable inner path.
🙏🙏
Beutifully described the inner dificult path
🙏🙏
...bahut khoob ji.
🙏🙏
Satnam
🙏🏻🙏🏻
मैं अपने गुरु के सान्निध्य में बंकनाल में प्रतिदिन पार्ट के रूप में १/२घंटे का सफर तय कर रहा हूं । अनुभूतियां अवर्णनीय हैं। शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।🙏🌹🌹
आपके प्रेम और समर्पण के लिए धन्यवाद। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है, जिससे RUclips हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंचा रहा है। कृपया हमारे वीडियो साझा करें, ताकि RUclips का एल्गोरिदम फिर से हमारे चैनल को प्रमोट करने लगे और इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए अनमोल है। धन्यवाद!
Dhanyabad ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉
🙏🏻🙏🏻
Dhan dhan satguru Tera hi aasra
🙏🙏
Dhan dhan satguru tera hi aasra ❤️
ADBHUT !! GYAN MAHASAGAR, MERI MUSHKIL DOOR HO GAYI HAI, AAPKE AASHIRWAD SE, SADAR CHARAN SPARSH 😍😍🥰🥰😊😊😀😀😂😂❤️❤️🏵️🏵️🌺🌺🌻🌻🌹🌹🙏🙏
“आपके स्नेह और आभार के लिए हृदय से धन्यवाद। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि हमारी बातों ने आपको लाभ पहुंचाया। आपकी इस प्रेरणा के लिए हम भी कृतज्ञ हैं। ईश्वर आपके जीवन को प्रकाश और शांति से भर दे। सादर प्रणाम।”
@beinwardshindi 😊😊🌻🌻🌹🌹🙏🙏🙏🙏
कोटि कोटि नमन
Rwgards.🙏🏻🙏🏻
Parnam Ji
🙏🏻🙏🏻
Bahut achchha hai dhanyawad
🙏🙏
Jay ma kamkhya
🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻
❤❤🎉😅
best appreciate ❤
🙏🏻🙏🏻
Radha Swami ji
🙏🏻🙏🏻
🙏🏻🙏🏻
सत्य और बिल्कुल सत्य , लेकिन आगे क्या ??? मोक्ष (मृत्यु)अथवा जीवन ??? इसपर भी प्रकाश डालने की कृपा करे मान्यवर 🙏🌹🌹
आपके प्रेम और समर्पण के लिए धन्यवाद। हमने हाल ही में अपने चैनल का नाम ‘Beinwards’ से बदलकर ‘Sant Matt’ कर दिया है, जिससे RUclips हमारे वीडियो सही ढंग से लोगों तक नहीं पहुंचा रहा है। कृपया हमारे वीडियो साझा करें, ताकि RUclips का एल्गोरिदम फिर से हमारे चैनल को प्रमोट करने लगे और इस आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश हर जगह फैले। आपका समर्थन हमारे लिए अनमोल है। धन्यवाद!
Very true
Regards
Jai gurudev sat koti koti pranam apke charno me atma hardey se,ye sab guru sanvyam pramatma ka he Jo is pal me sanse chala raha he Jo ye univarsal ki sanvaym guru ka hi khel jitna kheloge utne dupte jaoge sirf aap ko mlike ko samarpit kar dena hi ek purn sanrachna he Jo ek naya jivan ka sringar karta he Jo abhi aap ki jigyasa hi braham he Jo yehe so lila ko racha he ye hi satye he, jai gru dev name pramatma ka he.
“आपका गहन और सुंदर विचार साझा करने के लिए धन्यवाद। वास्तव में, आत्मा और परमात्मा के इस दिव्य खेल में समर्पण और समझ का बहुत बड़ा महत्व है। यह यात्रा गुरु के चरणों में पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ समर्पित होकर ही संपूर्ण होती है। आपकी भावना और शब्द प्रेरणादायक हैं। जय गुरुदेव।”
🙏🙏🙏
🙏🙏
Jise prakriti se pyar nahin vah Insan Dhyan mein kamyab hona mushkil hota hai khula khula Gagan hai hari bhari Dharti jitni bhi dekho tabiyat nahin Bharti Sundar se Sundar har EK Rachna phool kahe kanton mein bhi sikho hansna Om namah Shivay
🙏🏻🙏🏻
Thank you
🙏🏻🙏🏻
🙏🙏
🙏🙏
This is the subject of experience inner space
Yes sir, you are right.🙏🙏
Jai shree Ram 🎉🎉🎉
🙏🏻🙏🏻 JAI SITA RAM .
Yeh Sant Mat ka drishtikon hai
Andheri gufa mein enter huye blissful state bhi feel hua but
Legs bhot heavy feel hore thea gufa ko part nahi kar sake pl explain what it is how to cross that gufa why legs were heavy
“आपका अनुभव बहुत ही सुंदर और गहन है। मैं आपके अनुभव को गलत नहीं कह रही हूँ, बल्कि केवल अपना दृष्टिकोण साझा कर रही हूँ। जब हम चेतना के उच्चतम स्तर पर होते हैं, तो अक्सर शरीर का अहसास समाप्त सा हो जाता है, मानो शरीर है ही नहीं, क्योंकि हम शुद्ध चेतना के उच्चतम स्तर पर होते हैं।
आपके मामले में, मैं आपको सलाह दूंगी कि आप अपने गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करें। हो सकता है कि आपका अनुभव एक मानसिक अनुभूति हो, जिसे आपका मन ध्यान के दौरान प्रकट कर रहा हो। यदि आपके पास अभी कोई गुरु नहीं हैं, तो एक सच्चे और पूर्ण गुरु की खोज करें। गुरु का मार्गदर्शन आपके अनुभव को गहराई और सत्यता प्रदान करेगा। विश्वास रखिए, जब सही समय आएगा, गुरु स्वयं आपके जीवन में आएंगे।
आपके इस अद्भुत और प्रेरणादायक अनुभव के लिए मेरी शुभकामनाएँ हैं। मैं आपकी आध्यात्मिक यात्रा पर आपके लिए केवल प्रकाश, शांति और अनंत आशीर्वाद की कामना करती हूँ।”
अाप खुदके अनुभबसे बताति हो या नहि पर अापके हर बातपर हामे सत्य नजर होता है
आपका यह कहना अत्यंत प्रेरणादायक है। मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर बात करूं, लेकिन सत्य की परख हर साधक की अपनी यात्रा और अनुभव पर आधारित होती है। आपके इस विश्वास के लिए धन्यवाद।
कृपय अाप ये बतानेका कृपा करे कि साधक कभ खुदकि शक्ति को जानकर होने वाले परिसानसे मुक्ति हो जायेगा बङ्कनाल मे प्रबेष के कित्ना अागे ताकि साधक अागेभि जन्ने से ना चुके हरहर माहादेब
आपका प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण और गहन है। साधक की आध्यात्मिक यात्रा में खुद की शक्ति को पहचानना और समझना अनिवार्य है। इसके लिए ध्यान और आत्मचिंतन के साथ-साथ एक पूर्ण गुरु का मार्गदर्शन होना बहुत आवश्यक है। इस मार्ग पर गुरु का होना इसलिए जरूरी है क्योंकि वही साधक को सही दिशा में ले जाकर उसकी चेतना को जागृत कर सकते हैं।
साधक को अपने अहंकार और भौतिक इच्छाओं से ऊपर उठना चाहिए और अपने भीतर के परमात्मा को अनुभव करना चाहिए। गुरु की कृपा और उनकी दी गई वाणी ही साधक को अज्ञानता से बचाकर उसे प्रकाश की ओर ले जाती है।
पूर्ण गुरु से पाँच नाम का बोध प्राप्त करना साधक के लिए अत्यंत आवश्यक है। ये पाँच नाम बीज मंत्र के समान हैं, जो साधक को बड़कनाल तक पहुँचने और उसकी आध्यात्मिक यात्रा को सशक्त बनाने में मदद करते हैं। यदि साधक निरंतर गुरु की शरण में रहकर साधना करता है, तो वह अपने उच्चतम चक्रों और चेतना के स्तर तक पहुँच सकता है।
इस मार्ग पर गुरु और उनके द्वारा दिए गए नामों का महत्व अपरिहार्य है।
@beinwardshindi जिसे पाच नाम जिसे कहते है ये लगभग मिल चुका है पर मेरे सदगुरु सहसरिर नहि है ईसिलिये हामे कहि बार परिसानिये अाति है फिर गुरु उसे दुर करते है अगर गुरु सरिरसे मिल्ते तो अाज साहित मै ईश मायारुपि जाल काटकर लोगौके सेवामे रहता पर अाज मेरा खुदका समस्य नहि यैसायैसा समस्य दिखाई दि है जिसे कहना भि कैसे कहे शान्ति जैसा दुनियासे बिदा हुई है क्या यैसा लग्ता है देबिजि अापसे अनुरोध है कि बङ्कनालसे कितनि स्टेप अागे हामे खुदका ज्ञान होगा कृपय जरुर अाद कराये हजुर
प्रभुजी, बंकनाल से आगे ब्रम्ह लोक हैं,जब बंकनाल कि अंधेरी गुंफा से आगे आगे दुर तक जाते रहेंगे तो आगे लाल रंग वाला ऊजाला दिखेगा जैसे की एक घर के चारो और अंधेरा है और घर के अंदर लाईट जलरही है लाईट यानी ऊजाला वो तो घर के अंदर हे मगर दरवाजे के बाहर लाईट का ऊजाला कुछ धुंदलासा दिखाई देगा वैसा हि ब्रम्ह लोक का लालरंग वाला ऊजाला दिखेगा ऊसी उजाले कि प्रभा पारकर अंदर आत्मा प्रवेश करेगी तो हमें यानी मन जो यह देखरहा हे वो मन बाहर हि रहेगा सिर्फ आत्मा ही अंदर जायेगी ऊस लाल रंग के अंदर जाते ही सब कुछ ठप्प हो जाता है. यानी क्या हुआ ईसका समाचार लेने के लिये मन वंहा मन नहीं था ईसलिये आगे कुछ भी नहीं कह सकते. वो ही आत्मा और परमात्मा मिलन.
Allah Aasmaano aur Zameeno ka Nur hai. .Quraan
.
Allah ne Aadam ko Apni Surat ( rup,prakash, ) per paida kiya. . Prophet Muhammad p.b.u.h.
.
Mujh main aur Tujh main Ek hi Prakash hai, hum Khidkiyaan hain. .Prakash Ek hi hai. .Sufi Mehmud Al shabistari. .
“Sachmuch, sabhi dharm ek hi gehra satya dikhate hain, jo humein jodne wali divya ekta ke baare mein hai. Jab hum inki mool shikshao mein ghus kar dekhte hain, toh sabka sandesh ek hi tarah ka lagta hai, jo bhasha aur sanskriti ke bhed se pare hai.
Islam: Quran mein likha hai, ‘Allah aasmaano aur zameen ka Noor hai.’ (Surah An-Nur 24:35). Yeh dikhata hai ki Allah ki hazri har jagah hai, jo poori srishti ko apne prakash se roshan karta hai.
Hinduism: Upanishad mein kaha gaya hai, ‘Tat Tvam Asi’ (Tu wahi hai), jo is baat par zor deta hai ki paramatma har vyakti ke andar hai. Yeh sikhata hai ki poora brahmand ek hi shakti ke prakash se juda hai.
Christianity: Jesus Christ kehte hain, ‘Main duniya ka prakash hoon. Jo mera anusaran karega, woh kabhi andhkaar mein nahi chalega, balki jeevan ka prakash payega.’ (John 8:12). Yeh us divya prakash ki baat karta hai jo humare andar margdarshan ke roop mein hai.
Sikhism: Guru Granth Sahib mein Guru Nanak kehte hain, ‘Sab mein ek hi jyoti hai.’ (SGGS, 663). ‘Ik Onkar’ ka siddhant yeh dikhata hai ki srishti aur srishtikarta ek hi hain, aur sabhi prani usi divya prakash ke roop hain.
Judaism: Torah mein kaha gaya hai ki ‘Manushya ko Ishwar ke swaroop mein banaya gaya.’ (Genesis 1:27). Yeh batata hai ki har aatma mein Ishwar ka ek ans vidyaman hai, jo humein ek hi divya sattva ka pratibimb banata hai.
Sufism: Sufi kavi Mehmud Al-Shabistari kehte hain, ‘Mujh mein aur tujh mein ek hi prakash hai,’ yani humare beech koi dvait nahi hai; hum ek hi prakash ke jharokhe hain.
Sabhi dharm ek aisa sarvabhaum satya dikhate hain ki hum sab ek hi divya shrota se jude hain. Agar hum is satya ko maan lein, toh yeh pyaar, ekta aur shanti ko badhava dega, dharm aur sanskriti ki seemaon ke paar. Chaliye, hum is sarvabhaum prakash ka sammaan karein aur ise apne andar aur bahar poshit karein.”
आपके गुरु?
“गुरु वही हैं जो हमें सच्चे मार्ग पर चलना सिखाते हैं और आत्मिक विकास में सहारा देते हैं। उनके नाम से ज़्यादा उनका ज्ञान और कृपा महत्वपूर्ण है।”
Guru दीक्षा bhi to jaruri hai
Simaran kis naam kare dhyan kis ka dhare
सहंसर से आगे क्या,,,करपया बताओ
सहंसर से आगे की यात्रा आत्मा की सूक्ष्म चेतना और उच्च आध्यात्मिक अवस्थाओं की ओर ले जाती है। सहंसर के बाद साधक का ध्यान त्रिकुटी पर केंद्रित होता है, जो तीन धाराओं का संगम है। इसके बाद 'दसवां द्वार' आता है, जो सूक्ष्म जगत का प्रवेश द्वार है। यह अवस्था साधक को अनहद नाद (अविरत दिव्य ध्वनि) और दिव्य प्रकाश के अनुभव की ओर ले जाती है।
यह ध्यान और साधना का एक अत्यंत गूढ़ और गहन स्तर है, जिसमें केवल एक पूर्ण गुरु के मार्गदर्शन से ही प्रगति संभव है। पूर्ण गुरु आपको इन उच्चतर अवस्थाओं की सही समझ और अनुभव प्रदान करते हैं। सहंसर से आगे का मार्ग आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की अंतिम प्रक्रिया है, जिसे गुरु की कृपा और सही साधना से ही पाया जा सकता है।
अगर आप इस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं या इसकी गहराई में जाना चाहते हैं, तो किसी सच्चे और अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन अवश्य लें। धन्यवाद! 🙏✨
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