6/84 स्वर्णजालेश्वर महादेव | 84 Mahadev Ujjain | चौरासी महादेव उज्जैन | Mahakal | Ujjain | Avantika

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  • Опубликовано: 14 окт 2024
  • 6/84 स्वर्णजालेश्वर महादेव | 84 Mahadev Ujjain | चौरासी महादेव उज्जैन | Mahakal
    जब महादेव को उमा के साथ कैलाश पर्वत पर क्रीड़ा करते सौ बरस बीत गए तो देवताओं ने अग्नि नारायण को उनके पास भेजा। महादेव ने अग्नि के मुँह में वीर्य डाल दिया। इससे अग्नि जलने लगा और वीर्य को गंगाजी में डाल दिया। फिर भी मुख में वीर्य के शेष रहने पर अग्नि जलने लगा। इस वीर्य शेष से अग्नि को पुत्र हुआ। इस तेजस्वी पुत्र का नाम सुवर्ण पुत्र था। इसे प्राप्त करने के लिए देवताओं तथा असुरों में युद्ध शुरू हो गया। दोनों और से अनेक मर गए। इस पर ब्रह्मघातक सुवर्ण को शिवजी ने बुलाया और श्राप दिया कि उसका शरीर बल के सहित विकारमय हो जाए तथा धातु रूप बन जाए। पुत्र मोह में अग्नि ने महादेव से कहा कि ये आपका ही पुत्र है, इसकी रक्षा आप ही करो। लोभवश महादेव ने उसे अभयदान दे दिया और वरदान माँगने को कहा। उसे यह भी कहा कि तुम महाकाल वन में जाकर कर्काेअकेश्वर के दक्षिण भाग में स्थित लिंग के दर्शन करो। दर्शन मात्र से तुम कृतकृत्य हो जाओगे। सुवर्ण के द्वारा उस लिंग के दर्शन-पूजन से प्रसन्न हो महादेव ने वरदान दिया कि तुम्हारी अक्षयकीर्ति होगी तथा तुम स्वर्णजालेश्वर के नाम से प्रसिद्धि पाओगे। जो भी तुम्हारी अर्चना करेगा वह पुत्र-पौत्र का सुख प्राप्त करेगा। ये महादेव राम सीढ़ी पर स्थित है।
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