4/84 डमरूकेश्वर महादेव | 84 Mahadev Ujjain | चौरासी महादेव उज्जैन | सावन का महीना | शिप्रा घाट

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  • Опубликовано: 14 окт 2024
  • 4/84 डमरूकेश्वर महादेव | 84 Mahadev Ujjain | चौरासी महादेव उज्जैन | सावन का महीना | शिप्रा घाट
    वैवस्वत कल्प में रू रू नाम का महाअसुर था। उसका पुत्र महाबाहु बलिष्ठ वज्र था। महाकाय तीक्ष्ण दंत वाले इस असुर ने देवताओं के अधिकार तथा संपत्ति छीन ली और स्वर्ग से निकाल दिया। पृथ्वी पर वेद पठन-यज्ञ आदि बंद हो गए और हाहाकार मच गया। तब सभी देवता ऋषि आदि एकत्रित हुए और असुर के वध का विचार किया। विचार करते ही तेज पुंज के साथ एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उसने बारंबार अट्टाहास किया, जिससे संया में देवियाँ उत्पन्न हुई। उन सभी ने मिलकर वज्रासुर से युद्ध किया। दैत्य युद्ध स्थल से भागने लगे तो वज्रासुर ने माया प्रकट की। माया से कन्याएँ मोह को प्राप्त हो गई। तभी देवी कन्याओं को लेकर महाकाव वन में गई, लेकिन वज्रासुर भी उनके पीछे-पीछे वन में पहुँच गया। यह समाचार नारद मुनि ने शिवजी को दिया। शिवजी ने उाम भैरव का रूप धारण किया और वज्रासुर पर डमरू से प्रहार शुरू कर दिया। डमरू के शद से उाम लिंग उत्पन्न हुआ, जिससे निकली ज्वाला में वज्रासुर भस्म हो गया। उसकी सेना का भी नाश हो गया। तब देवताओं ने उाम लिंग का नाम डमरूकेश्वर रखा। इनके दर्शन से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। श्री डमरूकेश्वर महादेव का मंदिर राम सीढ़ी के ऊपर स्थित है।
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