शब्द संख्या 116 का भावार्थ !! ॐ आयसां मृगछाला पावोड़ी कांय फिरावो !! शब्दवाणी !! स्वामी सच्चिदानंद
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- Опубликовано: 19 сен 2024
- शब्द संख्या 116 का भावार्थ !! ॐ आयसां मृगछाला पावोड़ी कांय फिरावो !! शब्दवाणी !! स्वामी सच्चिदानंद
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शब्द संख्या 116 का भावार्थ
शब्दवाणी 116/120
ओ३म् आयसां मृगछाला पावोड़ी कांय फिरावो ।
मतूंत आयसां ऊगंतो भांण थंभाऊं ।।
दोनों परबत मेर उजागर ।
मर्तृत अधबिच आन भिडाऊं ।।
तीन भुवन की। राही रूकमण ।
मतूंत थल सिर आंण बसाऊं ।।
नवसै नदी निवासी नाला ।
मतूंतो थल सिर आन बहाऊं ।।
सीत बहोड़ी लंका तोड़ी ।
ऐसो कियो संग्रामो ।।
जां बांगै म्हे रावण मारयो ।
मतूतो आयसां गढ़ हथनापुर सै आन दिखाऊं ।।
जो तू सोने की मृगी कर चलावै ।
मतूंत घन पाहण बरसाऊं ।।
मृगछाला पावोड़ी कांय फिरावो ।
मतूं तो उगंतो भाण थंमाऊं ।।
स्वामी सच्चिदानंद आचार्य
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