मे एक सनातनी हु मे मांश मदिरा और मादक पदार्थ और कुसंगतियों तथा हिंसा से बहुत दूर हु मे जैन मुनियों को हमेशा सुनता हु जैन मुनि facts पर बात करते है और उनके पास अथा ज्ञान होता है is कलयुगी संसार मे जैन मुनि और जैन धर्म इस समाज का नेतृत्व करने मे सक्षम है ❤🚩 Respect jainism 😊
Tere kahna ka MATLAB Buddha dhamma Jainism jaisa hai. Pahle apne aap ko Buddhism kahna chodo tum dalit hi kaha kro original Buddhist hum hai Jo sirf science mante hai faltu ki bakvas nai
@@Anonymous-ul7uz aap jain ki baat kar rahe ho toh prabhu mahaveer k vachno ka smaran karo vahi the jinhone varna vyavastha ka anth karna chaha aap abhi bhi dalit kar rahe ho agar mera vachan kathor the toh MICHYAMI DUKDAM
अज्ञान वश कई बार हम भगवान के अलग अलग रूपो को भी देवी देवता मान बैठते है, जैसे विष्णुजी, शिवजी, ब्रह्माजी, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी, पार्वतीजी इन्हें भी हम देवता मान लेते है, लेकिन ये देवता नही है, बल्कि साक्षात ईश्वर ही है, क्यो की भगवान श्री कृष्ण जी स्वयम ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के रूप में प्रकट होकर गुण अवतार में विराजते है, इस लिये इनमे कोई भेद नही माना जाता... इस लये हम अक्सर सुनते है, कोई कहता है कि शिव से संसार की उतपत्ति हुई है, तो कोई कहता है कृष्ण से संसार की उतपत्ति हुई तो कोई कहता हे की शक्ति से संसार की उतपत्ति हुई, तो ये सभी सही है, इनमे कोई भी गलत नही है, परन्तु सही ज्ञान न होने के कारण हर कोई अपने अपने इष्ट को ही परम ईश्वर कहते है, परन्तु वास्तव में रूप अनेक है लेकिन शक्ति एक ही है, रही बात देवताओ की तो देवता उन्हें कहते है जो ईश्वर के परम भक्त है और ईश्वर की आज्ञा से निरन्तर संसार के कार्य भार को संभालते है और ईश्वर की सेवा करते है, जैसे सूर्यदेव, अग्निदेव, पवनदेवता, वरुणदेव, इंद्रदेव आदि ये सभी देवता कहलाते है,
First Jainism doesn't believe in versions of god's or avtars. We all agree that there is something called devlok and naraklok. It's simple those who wish to achieve a state of knowledge to liberate their soul from this cycle are "Arihants" from manushya lok.If we think from a practical perspective worshipping arihant makes a person spiritually and mentally alert about his actions, because you reap what you sow, concept of karmakand followed in the Vedic doesn't deliver anything, rather purify your soul through actions, thoughts and meditation. Shramanic religions are comparatively advanced than Vedic branch, given they encourage you to believe in yourself by considering Arihants as your role model or lord.
सही रीति से समाज को ज्ञानवर्धक उपदेश, ... की चुनना है तो सर्वदा श्रेष्ठ ईष्ट को, लेकिन आदर भाव बाकी सभी से भी रहे, किसी का निरादर ना करे । सादर प्रणाम, मत्थेण वंदामि ।।
कोही माने या ना माने लेकीन मैं तो अरिहंतो के शीवाय और कोही देवीदेवताओ को नहीं मानता हु। इसलिए मानता हु की अरहंत देव मोक्ष के शीवाय और कुछ भी देते नहीं।
गणेश आदि पांच महादेव - विष्णु और उनके अवतार, शिव और उनके अवतार, दुर्गा, सूर्य - ये वैदिक धर्म में पंच महादेव हैं, जो कि ईश्वर, परमात्मा, का ही स्वरूप हैं, ये जन्म मरण से परे हैं, इनकी तुलना लौकिक आदि देवो से नही हो सकती। ये तो ईश्वर की अनंत शक्तियों का साकार रूपांकन मात्र हैं , ये महादेव हैं, अर्थात स्वयं परमात्मा का हो स्वरूप हैं जैसे - विष्णु - स्थिति, शिव - संहार, दुर्गा - तिरोधान, गणेश - अनुग्रह, सूर्य - उत्पत्ति आदि। जैनों को जो की ईश्वर वादी नहीं हैं, वैदिक धर्म के तथ्यों से छेड़ छाड़ नही करना चाहिए, उनसे समझे बिना..।
Follow everything by questioning self dont follow blindly i am a jain n a follower of jainism but it said in this religion too go for self enquiry b4 you bind u r beliefs... this way u will hv clarity of what u be doing
उत्तम प्रवचन। परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ। गीता।। मनुष्य अपने कर्म - यज्ञ हवन आदि द्वारा देवताओं का यजन करें पूजन करे। और देवता अपने कर्म द्वारा मनुष्य को बल, बुद्धि, वर्षा आदि प्रदान करके उन्नत करके, एक दूसरे का हित करके, दोनों भी परम पद की प्राप्ति करें।
आप जैन नही हो, जैन और बौद्ध कभी गर्वित नही होते। Proudness word n emotion is not within Jain or Buddhist followers because proudness is an attachment and attachment is a part of suffering।
Very Good Information , but unfortunately even after 3 Thousand years People are confused about Jainism and Buddhism , even very few have adopted and taken moral values.
प्रणाम💐💐हनुमानजी, लौकिक देवता हैं या अलोकोकि,,, बाकी हम अपने सेत्र,में देखते हैं, खेतलाजी, भोमियाजी, मोमाजी, वीर देवता, या फिर भारत, में अलग अलग शेत्र में, सेत्रपाल, देवता हैं वो किस सरेणी,में आते हैं,,,,,💐💐एक जिज्ञासु💐💐प्रणाम
Me Mahavir Swami ko bhi manta hu and Krishna Bhagvan ko bhi.. mere liye dono hi bhagvan hai aur pujniy hai.. Rahi bat Ham bhagvan ko yad isiliye karte hai ki woh hame dukh ke samne ladne ki shankti de.. Bhagvan ki pooja isiliye karte hai ki hamare andar rahe hue vikar aur galt vicharo ko ham nast kare aur Bhagwan ke bataye hue sahi rasto pe chale.. So... Krishna bhagvan jo already ek param aatma hai.. Ishwar hai...Aur unka Gita ka Updesh Jeevan me utarne jesa hai.. Ahinsa ka matalab yeh nahi ki tum kisi pe var na karo..Bhagvan Mahvir ne bhi apne aap ko Shatru se bachane ke liye Rakshah ko mara tha..(jab woh Vardhman the) Krishna bhagvan ne bhi Arjun ko Dharm ke bachav ke liye yudhh karne ka aadesh diya tha.. So, Ahinsa ka matalab hai..Apne swarth ke liye kisi ko chot na pahuchana..par agar aapke samne koi durachar kar raha hai to usko rokne ke liye agar usse yudhh bi karna pade to usme Pap nahi lagta
Devlok is astral body which I knew from it. Also I agree with even human becomes God and God becomes human. so both are making wrong and good deeds. It's right we should to reach to arahat or arhant to put full stop
Mahasatti ji Matthen vandaami.... Meri ek request hai ki aap Ek aisha schdule sanasaari logo k liye bataaye k jisase un sabhi ko jo yaha schdule ka paalan karange wo sabhi dharm arth kaam aur moksha ki prapti ho..... Isko follow karane unke sabhi dosh dua ho... Usakaa aantrik vikash hoo Aur bahyaa vikash bhi hoo...
mahraj saheb ........shri krishna , ye devta nahi he swayam bhagwan he ........app ko na manna ho to na mano par apko hindu shastro ka gyan na ho to kripa aap na bole
देवी-देवताओं और भगवान में अंतर समझें। ब्रह्मा विष्णु महेश देवता नहीं, भगवान है , सृष्टि के सर्जक,पालक और संहारक है। ज्ञान कभी भी सम्पूर्ण नहीं हो सकता। जो कहता है कि मुझे सम्पूर्ण ज्ञान हो गया है, वह सबसे बड़ा अज्ञानी है।
@@Inner.divinity bilkul sahi bola..Indra .Vishnu..etc sab devo ki post h...Mahadev ko devo ka dev bola gya h...shiv ka mtlb moshkah hota h ..yeh sab physical bodies m nae hote
Hamara goal Mokshy sthiti ko achieve karne ka hona chahiye (Rebirth cycle me se mukt hona) Bhagvan Krishna ne Mokshya pane ke 3 raste bataye hai.. 1. Bhaktiyog 2. Gyanyog 3. Karmyog Mokshya lena hai to jaroori nahi hai ki Arihant banna hi pade... Arihant Jo hote hai woh Gyani aatma hoti hai...unke marg ko Gyan yog bol skate hai.. Bhaktiyog..Jo Narsinh Mehta aur Mirabai ne Krishna bhagvan ke liye kiya tha..usko bol skate hai..Woh bhakti me itna Lin ho gaye unke sare purv janam ke pap nast hue..aur is janam me unse koi naya galat karm nahi hua...aur unho ne Mokshya ki prapti ki.. Karmyog..Bhagvan Krishna ne Karmayog ko best bataya hai..jisme hame dusro ki khushi ke liye jina hai..jaise aap koi bimar ya asahay logo ki sahayta karenge to aap ko Mokshya mil sakta hai..
If there is no God then why you worship Buddha and one more thing why you believes whatever buddha teaches you.As buddha saysविचार क्षणिक है then why you believes that क्षणिक विचार of buddha.
@Atheist If your anylizing acceptance and believes are towards indeeds like thief violence will it be right as you think it is right. I want what should you believe.whatever is right according to you may be harmful to others.
@@charvaak बौद्ध ज्ञान प्राप्त कर ही नही सकते वो तो कहते है ज्ञान को नष्ट कर दो तब मुक्ति मिलेगी।मुझे बौद्ध समझ मे नही आता। जब ये अनात्मवादी है तो मोक्ष किसका होना है बताए पहले
बिल्कुल सही है वर्धमान महावीर ही नहीं 24 तीर्थंकर क्षत्रिय थे और सबसे मुख्य जो वर्धमान महावीर थे उनके सभी शिष्य ब्राम्हण हुए हैं हिंदुओं जैनियो में कोई विशेष मतभेद नहीं बस दार्शनिक स्तर पर है
Ye wahi log hai joh sidha sidha kuch nahi batate are behna toh jb hume ki karna hai toh tumhari kyu sune गर्व से कहो हम सनातनी है हर हर महादेव जय श्री राम राधे श्याम।।।🚩🚩
Buddha made self realisation ... Buddha said instead of wasting time in soul god god's creation and it's presence or absence. Do self realisation.. realise yourselves... Seek into your actions carefully what u do ... Your karma of present is a part of future... Bad karma in present will be bad future'...
@Pradip Kumar Jai ho! Jo aapke chetan ko jagrit kare, we Guru hain. 'Guru' se related kai sare pravachan aur jigyasa-samadhan is channel par available hai, aap unhe sunkar is subject ko detail mein samajh sakte hain. Dhanyawad.
Aapka gyaan devi devtaon k liye thik hai but iswar kti k mahadevta devi k liye nahi hai jaise bhrama visnu Mahesh Shakti ye paramdev hai jo kaisi karm me nahi bandhe hai ye karmo separe hai
इश्वर यानी की ब्रम्हांड के सभी शक्तियां है, ग्रहों की गति, किरण, रसायन तत्व । भगवान अर्थात सभी भौतिक सुख के वासनाओं का भगन करना इसलिए भग्न वासना का बना भगवन। देवता देवी अर्थात देने वाले। सभी भौतिक सुखों की पूर्ति करने वाले देवता या देनेवाले को देवता कहते है देवता।
भगवान तो सत्य है l लेकिन अगर आप खुद कहो की गुरु की पूजा करो I तो ये गलत है। क्योंकि गुरु ऐसा नही कह सकते हैं, क्योंकि गुरु आपको भगवान का मार्ग दर्शन कराते
Guru aagar gross body chorte hai to wo dev lok kew gayenge wo to mukt ho gaue he unhe to moksh prapt hua hai to wo to sab lok par karke parmatma ya iswar me bilin ho gayenge.wo to maha nirban prapt honge. Please clear my understanding. I love the way you explain.
मेरे 1000 जन्म के एक हजार गुरु है ,किस गुरु की पूजा करू उदहारण वायरस बक्टिरिया मछली डायनासोर चूहा बिल्ली भैस बन्दर इत्यादि,अभी तक इस जन्म में तो कोई गुरु मिला नहीं, और लक्ष्मी जी धन डालर में देती है या रुपया में, अगर लक्ष्मी जी धन देती है तो क्या हमें काम धाम बंद कर देना चाहिए और बच्चो को स्कूल भेजने की बजाये सरस्वती जी से विद्या मांग लेनी चाहिए ?
धर्म एक सूक्ष्म चीज है उसको समझना सबके बस की बात नहीं है भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हिंदू धर्म में 18 पुराण चार वेद छह शास्त्र हैं उसको पढ़ना पढ़ कर समझना सबकी बस की बात नहीं है जैसे देश को चलाने के लिए किसी को मंत्री किसी को प्रधानमंत्री किसी को सचिव अध्यक्ष उपाध्यक्ष पुलिस मिलिट्री सबको रखना पड़ता है उसी तरह सबकी अपने स्थान पर रखा गया है और सब को एक उपाधि दिया गया है सरस्वती को ज्ञान की देवी इसलिए कहा जाता है कि जो हम गाना बजाना पढ़ना लिखना यह तो आज आप जानते हैं ना लेकिन संस्कृत भाषा का निर्माण सरस्वती नहीं किया था लोगों को पढ़ने लिखने और गिनती का ज्ञान सरस्वती ने दिया था इसलिए नहीं ज्ञान की देवी कहा जाता है आज हम गिटार बजाते हैं लेकिन पहले सतयुग में बीडा कहा जाता था जो कि माता सरस्वती बजाती थी पहली बार वाद्य यंत्र की खोज उन्होंने किया था गाना बजाना यह माता सरस्वती की देन है इसीलिए उन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता है गाना बजाना यह भी तो यह ज्ञान है ना सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है आज तो हजारों भाषाएं हैं लेकिन पहले वही था ना उसी के आधार पर बना है कोई बाहर से नहीं बना है यह तो तुम जानते हो कि जीरो की खोज आर्यभट्ट ने किया था लेकिन शास्त्रों में पहले से ही जीरो है लेकिन वह शब्द में था आर्यभट्ट ने सिर्फ उसे अंक में किया है
चार्वाक का नाम सुनते ही आपको ‘यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा, घृतं पीवेत’ (जब तक जीवो सुख से जीवो, उधार लो और घी पीयो) की याद आएगी. ‘चार्वाक’ नाम को ही घृणास्पद गाली की तरह बदल दिया गया है। मानों इस सिद्धांत को मानने वाले सिर्फ कर्जखोर, भोगवादी और पतित लोग थे। प्रचलित धारणा यही है कि चार्वाक शब्द की उत्पति ‘चारु’+’वाक्’ (मीठी बोली बोलने वाले) से हुई है। ज़ाहिर है कि यह नामकरण इस सिद्धांत के उन विरोधियों द्वारा किया गया है कि जिनका मानना था कि यह लोग मीठी-मीठी बातों से भोले-भले लोगों को बहकाते थे। चार्वाक सिद्धांतों के लिए बौद्ध पिटकों तक में ‘लोकायत’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका मतलब ‘दर्शन की वह प्रणाली है जो जो इस लोक में विश्वास करती है और स्वर्ग, नरक अथवा मुक्ति की अवधारणा में विश्वास नहीं रखती’. चार्वाक या लोकायत दर्शन का ज़िक्र तो महाभारत में भी मिलता है लेकिन इसका कोई भी मूल ग्रन्थ उपलब्ध नहीं। ज़ाहिर है कि चूंकि यह अपने समय की सत्ताधारी ताकतों के खिलाफ बात करता था, तो इसके ग्रंथों को नष्ट कर दिया गया और प्रचलित कथाओं में चार्वाकों को खलनायकों की तरह पेश किया गया। इसी तरह arjvisit का मत होगा ऐसा लगता है! यदि अनेकांत दृष्टि से देखा जाए तो सभी दर्शन शास्त्रों का समन्वय कर यथोचित निष्कर्ष निकाला जा सकता है, जो कि - अनेकांत सिर्फ ही सिर्फ जैन दर्शन के पास ही है; अन्य दर्शन शास्त्रों के पास नहीं। जब कि हिंदू धर्म के दर्शन शास्त्रों को मानने वाले सभी दर्शन जैसे कि न्याय, वैशेशिक , सांख्य उत्तर और पूर्व मीमांसा से भिन्न मत दर्शाते है फिर भी यह वेद को मानते हुए इन सभी को आस्तिक कहा है पर ईश्वर के कर्तुत्ववाद को सभी नहीं मानते हैं जब जैन दर्शन ईश्वर के कर्तुत्ववाद को स्वीकार नहीं करता है जो निरिष्वरीवाद दर्शन कहलाता है! यह निरिश्वरीवाद को वैदिक दर्शन वालों ने नास्तिक कह दिया जो गलत है! नास्तिक दर्शन सिर्फ चार्वाक दर्शन ही है। जैन दर्शन की आस्तिकता और सृष्टि का कर्ता के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी पाने के लिए वाचनामृत नामक पुस्तक जो कि सुप्रसिद्ध जैनाचार्य बुद्धीसागर सूरीश्वर जी घंटाकर्ण महावीर महुडी, गुजरात तीर्थ के स्थापक थे उन्होंने लिखा है, इसे एकबार पढ़ लेने से सभी शंका का समाधान हो सकता है!! अस्तु।
नेमिनाथ जी जो कि हिंदू भगवान श्री कृष्ण श्री कृष्ण जी के 22भाई थे। भगवान महावीर जी जिन्होंने जैन धर्म स्थापित कियाhai.. भगवान महावीर जी को Hindu भगवान विष्णु का अंश माना गया है, जैसे जैसे भगवान विष्णु का 23 वां अवतार है महात्मा बुद्ध , भगवान महावीर का भी जन्म सतानाक धर्म में ही हुआ है।
Kha ye gya hein aage jakr Shri Krishna ji bhii moksha lenge.. Isiliye hum mante hein.. Shri Krishna ji ne bahubali ji ko sahi rasta dikhaya firr unhone kewlya Gyan lekr mokshya liya...
Duniya me bartaman time pe mukti data upasthit he, bo dhelli me he, bo bartaman time pe atma or paramatma ka knowladge de raha he, unko shuno or pehechana. Thank You.
Jivan mukt souls are there too, who are liberated but just help the layman to progress in their inner and outer path and to guide them they stay in the world or in the cosmos with their subtle bodies. This concept is in Hind and boudh religion.
मे एक सनातनी हु मे मांश मदिरा और मादक पदार्थ और कुसंगतियों तथा हिंसा से बहुत दूर हु मे जैन मुनियों को हमेशा सुनता हु जैन मुनि facts पर बात करते है और उनके पास अथा ज्ञान होता है is कलयुगी संसार मे जैन मुनि और जैन धर्म इस समाज का नेतृत्व करने मे सक्षम है ❤🚩
Respect jainism 😊
I am Hindu to love Jainism
Yes I am also Buddhist and I respect jain religion and people
Tere kahna ka MATLAB Buddha dhamma Jainism jaisa hai. Pahle apne aap ko Buddhism kahna chodo tum dalit hi kaha kro original Buddhist hum hai Jo sirf science mante hai faltu ki bakvas nai
@@komalhadake9625 tuuuum kali mata ke lore ho khud ko Buddhist nhi
@@komalhadake9625
पहले बौद्ध मत को पढो
Sale dalit apne aap ko boddh bolke jainiyon ki barabari karana chahta hai
Sharab aur mans ka seven karata h Tu bhag yaha se
@@Anonymous-ul7uz aap jain ki baat kar rahe ho toh prabhu mahaveer k vachno ka smaran karo vahi the jinhone varna vyavastha ka anth karna chaha aap abhi bhi dalit kar rahe ho agar mera vachan kathor the toh MICHYAMI DUKDAM
अज्ञान वश कई बार हम भगवान के अलग अलग रूपो को भी देवी देवता मान बैठते है, जैसे विष्णुजी, शिवजी, ब्रह्माजी, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी, पार्वतीजी इन्हें भी हम देवता मान लेते है, लेकिन ये देवता नही है, बल्कि साक्षात ईश्वर ही है, क्यो की भगवान श्री कृष्ण जी स्वयम ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के रूप में प्रकट होकर गुण अवतार में विराजते है, इस लिये इनमे कोई भेद नही माना जाता... इस लये हम अक्सर सुनते है, कोई कहता है कि शिव से संसार की उतपत्ति हुई है, तो कोई कहता है कृष्ण से संसार की उतपत्ति हुई तो कोई कहता हे की शक्ति से संसार की उतपत्ति हुई, तो ये सभी सही है, इनमे कोई भी गलत नही है, परन्तु सही ज्ञान न होने के कारण हर कोई अपने अपने इष्ट को ही परम ईश्वर कहते है, परन्तु वास्तव में रूप अनेक है लेकिन शक्ति एक ही है, रही बात देवताओ की तो देवता उन्हें कहते है जो ईश्वर के परम भक्त है और ईश्वर की आज्ञा से निरन्तर संसार के कार्य भार को संभालते है और ईश्वर की सेवा करते है, जैसे सूर्यदेव, अग्निदेव, पवनदेवता, वरुणदेव, इंद्रदेव आदि ये सभी देवता कहलाते है,
kabi dekha h inme se ek ko bi ... achhi klpnaye bna rkkhi h 👌🏼👌🏼👌🏼
भाई ये कॉमेंट 2 साल पहले मैंने किया था आपने उसीको कॉपी कर दिया उस समय मेरी यूट्यूब नाम ऋषि यादव नाम से था अब शिव चरणों का दास है....
@@venom-pd6gx mene dekha h 🙂
First Jainism doesn't believe in versions of god's or avtars. We all agree that there is something called devlok and naraklok. It's simple those who wish to achieve a state of knowledge to liberate their soul from this cycle are "Arihants" from manushya lok.If we think from a practical perspective worshipping arihant makes a person spiritually and mentally alert about his actions, because you reap what you sow, concept of karmakand followed in the Vedic doesn't deliver anything, rather purify your soul through actions, thoughts and meditation. Shramanic religions are comparatively advanced than Vedic branch, given they encourage you to believe in yourself by considering Arihants as your role model or lord.
@@tanishqjain3633 jai ho fir aapki
Mai sanatan dharm se hu par mai jain dharm ka bahut samman kartahu
Hi and
Hi
Every religion is good... It's the interpretation of the religion by some selfish people that is creating problem
@@varshaturakhia5354 WPPQp2¹
@@varshaturakhia5354 0
सही रीति से समाज को ज्ञानवर्धक उपदेश, ... की चुनना है तो सर्वदा श्रेष्ठ ईष्ट को, लेकिन आदर भाव बाकी सभी से भी रहे, किसी का निरादर ना करे । सादर प्रणाम, मत्थेण वंदामि ।।
कोही माने या ना माने लेकीन मैं तो अरिहंतो के शीवाय और कोही देवीदेवताओ को नहीं मानता हु। इसलिए मानता हु की अरहंत देव मोक्ष के शीवाय और कुछ भी देते नहीं।
जी मैं भी नही मानती
गणेश आदि पांच महादेव - विष्णु और उनके अवतार, शिव और उनके अवतार, दुर्गा, सूर्य - ये वैदिक धर्म में पंच महादेव हैं, जो कि ईश्वर, परमात्मा, का ही स्वरूप हैं, ये जन्म मरण से परे हैं, इनकी तुलना लौकिक आदि देवो से नही हो सकती।
ये तो ईश्वर की अनंत शक्तियों का साकार रूपांकन मात्र हैं , ये महादेव हैं, अर्थात स्वयं परमात्मा का हो स्वरूप हैं जैसे - विष्णु - स्थिति, शिव - संहार, दुर्गा - तिरोधान, गणेश - अनुग्रह, सूर्य - उत्पत्ति आदि।
जैनों को जो की ईश्वर वादी नहीं हैं, वैदिक धर्म के तथ्यों से छेड़ छाड़ नही करना चाहिए, उनसे समझे बिना..।
Mahavir ki teachings ko follow karne koshish karta hu
Follow everything by questioning self dont follow blindly i am a jain n a follower of jainism but it said in this religion too go for self enquiry b4 you bind u r beliefs... this way u will hv clarity of what u be doing
Tushar Pandya hello
श्रद्धा जिनेन्द्र भगवान मै, है पर, सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ
L
Prasannata aur badh gai.
Very nice lession
उत्तम प्रवचन। परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ। गीता।। मनुष्य अपने कर्म - यज्ञ हवन आदि द्वारा देवताओं का यजन करें पूजन करे। और देवता अपने कर्म द्वारा मनुष्य को बल, बुद्धि, वर्षा आदि प्रदान करके उन्नत करके, एक दूसरे का हित करके, दोनों भी परम पद की प्राप्ति करें।
Apmanit karne walo ko gyan dene ki jarurat nahi.
I have proud to be a Jain 👍👍👍🤘🤘
आप जैन नही हो, जैन और बौद्ध कभी गर्वित नही होते। Proudness word n emotion is not within Jain or Buddhist followers because proudness is an attachment and attachment is a part of suffering।
Very Good Information , but unfortunately even after 3 Thousand years People are confused about Jainism and Buddhism , even very few have adopted and taken moral values.
Great knowledge in very simple words
Mathem vandami 🙏🙏
Mathen vandami 🙏🙏 apne bahot Krupa Kari bahot asan or Sundar samjaya
प्रणाम💐💐हनुमानजी, लौकिक देवता हैं या अलोकोकि,,, बाकी हम अपने सेत्र,में देखते हैं, खेतलाजी, भोमियाजी, मोमाजी, वीर देवता, या फिर भारत, में अलग अलग शेत्र में, सेत्रपाल, देवता हैं वो किस सरेणी,में आते हैं,,,,,💐💐एक जिज्ञासु💐💐प्रणाम
@nitin india, Hanuman Ji Siddh ho chuke hain. Isliye ab wo devta nahi hai.
धन्यवाद💐💐
Jay jinendra vandami Mataji vandami Mataji vandami Mataji vandami
Bahuj sundar vistar thi samjaveu. Sariri dukh mate doctor pase jaiye chiye avi rite emne pranam kari dukh mukti mate jethi saririk asatna ghate ane bhakti mate satna thai … jai jinendra
Wonderful knowledge maharaji
Sundar विवेचन
Bohat hi saral shabdo me devta aur bhagwan ka arth samjhane k liye dhanyawad
Mesmerizing way to explain....वन्दामि
Mathen Vandami Gurudeo
Me Mahavir Swami ko bhi manta hu and Krishna Bhagvan ko bhi.. mere liye dono hi bhagvan hai aur pujniy hai..
Rahi bat Ham bhagvan ko yad isiliye karte hai ki woh hame dukh ke samne ladne ki shankti de.. Bhagvan ki pooja isiliye karte hai ki hamare andar rahe hue vikar aur galt vicharo ko ham nast kare aur Bhagwan ke bataye hue sahi rasto pe chale..
So... Krishna bhagvan jo already ek param aatma hai.. Ishwar hai...Aur unka Gita ka Updesh Jeevan me utarne jesa hai..
Ahinsa ka matalab yeh nahi ki tum kisi pe var na karo..Bhagvan Mahvir ne bhi apne aap ko Shatru se bachane ke liye Rakshah ko mara tha..(jab woh Vardhman the)
Krishna bhagvan ne bhi Arjun ko Dharm ke bachav ke liye yudhh karne ka aadesh diya tha..
So, Ahinsa ka matalab hai..Apne swarth ke liye kisi ko chot na pahuchana..par agar aapke samne koi durachar kar raha hai to usko rokne ke liye agar usse yudhh bi karna pade to usme Pap nahi lagta
खूब खूब वंदना करते है।🙏
Amazing explained
माता प्रणाम 🚩🙏🌺🌺
बहुत अच्छा👍
Devlok is astral body which I knew from it. Also I agree with even human becomes God and God becomes human. so both are making wrong and good deeds. It's right we should to reach to arahat or arhant to put full stop
वन्दामि माताजी 🙏🙏
वीतरागी देव शास्त्र गुरु ही सच्चे है।
अर्हंत की महिमा मैं छद्मस्थ नही कर सकता हु।
हर आत्मा में अर्हंत होने की योग्यता है।
Pls ask my question kya Om akhchar hi bhrama hae
Ved or geeta ji k acc haa
Wonderful 🌟
100%सच🙏 guru dev.. Hi.. Moxsh. Data.... 🌹🌹🌹
Vandami maharaj sahib
Hame aapki prarthna ki book chahiye by post kya karna hoga
Very good n impressive
Tho kya kuldevi ko hath jod sakte hain
Arihant means ari means satru our hant means hann nar.kashay rupi satru ko hann nar .jiske kashay khatm ho gaye vo arihant
Mathey vandana maharaj ji. Simply superb
बहुत सुंदर माताजी vandami माता जी🙏
Gurudev ko kaise mile
Mahasatti ji
Matthen vandaami....
Meri ek request hai ki aap
Ek aisha schdule sanasaari logo k liye bataaye k jisase un sabhi ko jo yaha schdule ka paalan karange wo sabhi dharm arth kaam aur moksha ki prapti ho.....
Isko follow karane unke sabhi dosh dua ho...
Usakaa aantrik vikash hoo
Aur bahyaa vikash bhi hoo...
mahraj saheb ........shri krishna , ye devta nahi he swayam bhagwan he ........app ko na manna ho to na mano par apko hindu shastro ka gyan na ho to kripa aap na bole
,ete chamsa kala pumsa, krishnastu bhagwan swayam.
!!Bhagwatam!!
Aap hindu dharm ke bare me nahi jante to kripaya comment na kre.
jian baiya ko Naman sanatni ka
Bahut sunder🙏🙏
To. Phir hume saraswsti mantra jaise ki om aiim namaha ki mala sadhu bolne ko kyu khaite hai.
Jai guruma, Namh shivay.
JayGudhev
Mathen bandami marasa
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Mathanvandami
Jain philosophy ka bhi samman karta hu brahman ghar me paida hua hu par brahman abhi tak bana nah par jain jarur hu jo
Thanks
apke pravachan se bahut practical vigyan mil raha hai jo aajtak hum nahi samaj aya
pujay V. sadhvi ji aur unke guru ji ko koti koti vandan.
Matane vandan MI
MÀTHEN VANDAMI MAHARAJ SAHEB
देवी-देवताओं और भगवान में अंतर समझें।
ब्रह्मा विष्णु महेश देवता नहीं, भगवान है , सृष्टि के सर्जक,पालक और संहारक है। ज्ञान कभी भी सम्पूर्ण नहीं हो सकता। जो कहता है कि मुझे सम्पूर्ण ज्ञान हो गया है, वह सबसे बड़ा अज्ञानी है।
Brahma, Vishnu, Mahesh shirf post hai, ishwar bahut punya arjit karnewale devtaon ko promotion de kar Brahma, Vishnu, Mahesh banate hai..wese hi bahut punya arjit karnewale manyush devta yoni mein janam lete hai..
@@Inner.divinity bilkul sahi bola..Indra
.Vishnu..etc sab devo ki post h...Mahadev ko devo ka dev bola gya h...shiv ka mtlb moshkah hota h ..yeh sab physical bodies m nae hote
Hamara goal Mokshy sthiti ko achieve karne ka hona chahiye (Rebirth cycle me se mukt hona)
Bhagvan Krishna ne Mokshya pane ke 3 raste bataye hai..
1. Bhaktiyog 2. Gyanyog 3. Karmyog
Mokshya lena hai to jaroori nahi hai ki Arihant banna hi pade...
Arihant Jo hote hai woh Gyani aatma hoti hai...unke marg ko Gyan yog bol skate hai..
Bhaktiyog..Jo Narsinh Mehta aur Mirabai ne Krishna bhagvan ke liye kiya tha..usko bol skate hai..Woh bhakti me itna Lin ho gaye unke sare purv janam ke pap nast hue..aur is janam me unse koi naya galat karm nahi hua...aur unho ne Mokshya ki prapti ki..
Karmyog..Bhagvan Krishna ne Karmayog ko best bataya hai..jisme hame dusro ki khushi ke liye jina hai..jaise aap koi bimar ya asahay logo ki sahayta karenge to aap ko Mokshya mil sakta hai..
3 nahi 4 ishwar yog bhi tha na bhai👍🏻🙏🏻😇
Raj yog, hath yog, kriya yog na jane aur kitne type ke yog hai e ishwar jaane..
Jay jaynizam.
I am Buddhist and i believe there is no god 🙏
yess
If there is no God then why you worship Buddha and one more thing why you believes whatever buddha teaches
you.As buddha saysविचार क्षणिक है then why you believes that क्षणिक विचार of buddha.
बौद्ध बनके क्या ज्ञान प्राप्त किया है मुझे बता
@Atheist If your anylizing acceptance and believes are towards indeeds like thief violence will it be right as you think it is right.
I want what should you believe.whatever is right according to you may be harmful to others.
@@charvaak बौद्ध ज्ञान प्राप्त कर ही नही सकते वो तो कहते है ज्ञान को नष्ट कर दो तब मुक्ति मिलेगी।मुझे बौद्ध समझ मे नही आता।
जब ये अनात्मवादी है तो मोक्ष किसका होना है बताए पहले
👏👏
I am yadav hindu but i respect of all indian relious
Me sabhi Bhagwan ko manta hu ki mera dharm hindu h or jo bhagwan mahaveer ji bhi hindu the unka janam chatriyo ke ghar me huaa tha
बिल्कुल सही है वर्धमान महावीर ही नहीं 24 तीर्थंकर क्षत्रिय थे और सबसे मुख्य जो वर्धमान महावीर थे उनके सभी शिष्य ब्राम्हण हुए हैं हिंदुओं जैनियो में कोई विशेष मतभेद नहीं बस दार्शनिक स्तर पर है
Ye wahi log hai joh sidha sidha kuch nahi batate are behna toh jb hume ki karna hai toh tumhari kyu sune
गर्व से कहो हम सनातनी है
हर हर महादेव
जय श्री राम
राधे श्याम।।।🚩🚩
jo bol nahi sakta wo kya kare? kripya maarg prashast kare
Very good knowledge
That’s why bhudha was totally different from all the religions and was rational Jainism is another form of Hinduism....
harjinder22 hahaha
That is why Buddhism could spread outside India unlike Jainism and Hinduism
Buddha made self realisation ... Buddha said instead of wasting time in soul god god's creation and it's presence or absence. Do self realisation.. realise yourselves... Seek into your actions carefully what u do ... Your karma of present is a part of future... Bad karma in present will be bad future'...
jay jinedra
Apki Guru ji vagaban kaise bane the?
bhut acha
Aap ko sat sat naman.aapka sthan kaha hai.ek baar milna chahta hu
Mahasatiji ko koti koti pranam.
Very nice
Bahoot sunder samaj
Maa गुरु किसको बनाए
@Pradip Kumar Jai ho! Jo aapke chetan ko jagrit kare, we Guru hain.
'Guru' se related kai sare pravachan aur jigyasa-samadhan is channel par available hai, aap unhe sunkar is subject ko detail mein samajh sakte hain. Dhanyawad.
Jay guru dev
Aapka gyaan devi devtaon k liye thik hai but iswar kti k mahadevta devi k liye nahi hai jaise bhrama visnu Mahesh Shakti ye paramdev hai jo kaisi karm me nahi bandhe hai ye karmo separe hai
इश्वर यानी की ब्रम्हांड के सभी शक्तियां है, ग्रहों की गति, किरण, रसायन तत्व ।
भगवान अर्थात सभी भौतिक सुख के वासनाओं का भगन करना इसलिए भग्न वासना का बना भगवन।
देवता देवी अर्थात देने वाले। सभी भौतिक सुखों की पूर्ति करने वाले देवता या देनेवाले को देवता कहते है देवता।
भगवान तो सत्य है l लेकिन अगर आप खुद कहो की गुरु की पूजा करो I तो ये गलत है। क्योंकि गुरु ऐसा नही कह सकते हैं, क्योंकि गुरु आपको भगवान का मार्ग दर्शन कराते
सत्य वचन
सच्चा गुरु वही होता है जो परमात्मा से मिलन करवाता है।
Guru aagar gross body chorte hai to wo dev lok kew gayenge wo to mukt ho gaue he unhe to moksh prapt hua hai to wo to sab lok par karke parmatma ya iswar me bilin ho gayenge.wo to maha nirban prapt honge. Please clear my understanding. I love the way you explain.
जय गुरूदेव
ॐ
मेरे 1000 जन्म के एक हजार गुरु है ,किस गुरु की पूजा करू उदहारण वायरस बक्टिरिया मछली डायनासोर चूहा बिल्ली भैस बन्दर इत्यादि,अभी तक इस जन्म में तो कोई गुरु मिला नहीं, और लक्ष्मी जी धन डालर में देती है या रुपया में, अगर लक्ष्मी जी धन देती है तो क्या हमें काम धाम बंद कर देना चाहिए और बच्चो को स्कूल भेजने की बजाये सरस्वती जी से विद्या मांग लेनी चाहिए ?
धर्म एक सूक्ष्म चीज है उसको समझना सबके बस की बात नहीं है भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हिंदू धर्म में 18 पुराण चार वेद छह शास्त्र हैं उसको पढ़ना पढ़ कर समझना सबकी बस की बात नहीं है जैसे देश को चलाने के लिए किसी को मंत्री किसी को प्रधानमंत्री किसी को सचिव अध्यक्ष उपाध्यक्ष पुलिस मिलिट्री सबको रखना पड़ता है उसी तरह सबकी अपने स्थान पर रखा गया है और सब को एक उपाधि दिया गया है सरस्वती को ज्ञान की देवी इसलिए कहा जाता है कि जो हम गाना बजाना पढ़ना लिखना यह तो आज आप जानते हैं ना लेकिन संस्कृत भाषा का निर्माण सरस्वती नहीं किया था लोगों को पढ़ने लिखने और गिनती का ज्ञान सरस्वती ने दिया था इसलिए नहीं ज्ञान की देवी कहा जाता है आज हम गिटार बजाते हैं लेकिन पहले सतयुग में बीडा कहा जाता था जो कि माता सरस्वती बजाती थी पहली बार वाद्य यंत्र की खोज उन्होंने किया था गाना बजाना यह माता सरस्वती की देन है इसीलिए उन्हें ज्ञान की देवी कहा जाता है गाना बजाना यह भी तो यह ज्ञान है ना सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है आज तो हजारों भाषाएं हैं लेकिन पहले वही था ना उसी के आधार पर बना है कोई बाहर से नहीं बना है यह तो तुम जानते हो कि जीरो की खोज आर्यभट्ट ने किया था लेकिन शास्त्रों में पहले से ही जीरो है लेकिन वह शब्द में था आर्यभट्ट ने सिर्फ उसे अंक में किया है
arjvisit tum bahut bade wale murkh ho agar duniya me murkho ki ginti hogi to tumhara nam sabse pahle ayga
चार्वाक का नाम सुनते ही आपको ‘यदा जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा, घृतं पीवेत’ (जब तक जीवो सुख से जीवो, उधार लो और घी पीयो) की याद आएगी. ‘चार्वाक’ नाम को ही घृणास्पद गाली की तरह बदल दिया गया है। मानों इस सिद्धांत को मानने वाले सिर्फ कर्जखोर, भोगवादी और पतित लोग थे। प्रचलित धारणा यही है कि चार्वाक शब्द की उत्पति ‘चारु’+’वाक्’ (मीठी बोली बोलने वाले) से हुई है। ज़ाहिर है कि यह नामकरण इस सिद्धांत के उन विरोधियों द्वारा किया गया है कि जिनका मानना था कि यह लोग मीठी-मीठी बातों से भोले-भले लोगों को बहकाते थे। चार्वाक सिद्धांतों के लिए बौद्ध पिटकों तक में ‘लोकायत’ शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसका मतलब ‘दर्शन की वह प्रणाली है जो जो इस लोक में विश्वास करती है और स्वर्ग, नरक अथवा मुक्ति की अवधारणा में विश्वास नहीं रखती’. चार्वाक या लोकायत दर्शन का ज़िक्र तो महाभारत में भी मिलता है लेकिन इसका कोई भी मूल ग्रन्थ उपलब्ध नहीं। ज़ाहिर है कि चूंकि यह अपने समय की सत्ताधारी ताकतों के खिलाफ बात करता था, तो इसके ग्रंथों को नष्ट कर दिया गया और प्रचलित कथाओं में चार्वाकों को खलनायकों की तरह पेश किया गया। इसी तरह arjvisit का मत होगा ऐसा लगता है! यदि अनेकांत दृष्टि से देखा जाए तो सभी दर्शन शास्त्रों का समन्वय कर यथोचित निष्कर्ष निकाला जा सकता है, जो कि - अनेकांत सिर्फ ही सिर्फ जैन दर्शन के पास ही है; अन्य दर्शन शास्त्रों के पास नहीं। जब कि हिंदू धर्म के दर्शन शास्त्रों को मानने वाले सभी दर्शन जैसे कि न्याय, वैशेशिक , सांख्य उत्तर और पूर्व मीमांसा से भिन्न मत दर्शाते है फिर भी यह वेद को मानते हुए इन सभी को आस्तिक कहा है पर ईश्वर के कर्तुत्ववाद को सभी नहीं मानते हैं जब जैन दर्शन ईश्वर के कर्तुत्ववाद को स्वीकार नहीं करता है जो निरिष्वरीवाद दर्शन कहलाता है! यह निरिश्वरीवाद को वैदिक दर्शन वालों ने नास्तिक कह दिया जो गलत है! नास्तिक दर्शन सिर्फ चार्वाक दर्शन ही है। जैन दर्शन की आस्तिकता और सृष्टि का कर्ता के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी पाने के लिए वाचनामृत नामक पुस्तक जो कि सुप्रसिद्ध जैनाचार्य बुद्धीसागर सूरीश्वर जी घंटाकर्ण महावीर महुडी, गुजरात तीर्थ के स्थापक थे उन्होंने लिखा है, इसे एकबार पढ़ लेने से सभी शंका का समाधान हो सकता है!! अस्तु।
@@mannbhavv सही कहा मगर आपने विकीपिडिया से कापी पेस्ट किया है ।
arjvisit hi contact me 9426800935
To fir Jain mandir m padmavati devi or nakoda ji kyo h???
Kaha Rahtehai Devi devata parman batao
whatch ruclips.net/video/h0ULUsJGbMI/видео.html Mahamati Prannath Chaturth Shatabdi mahotsav -77 | Shri Mohan Priyacharya Ji Maharaj
ruclips.net/video/qalI91q36qE/видео.html
Mata ji jain dharam ke anusar sansar ko kisne banaya
Shaswat hei kishi ne nahi banaya chiz ke anadar dusari chiz milti he to tisari chiz banti hei
Sansar shashwat hai, eski koi srishtikarta nahin hai
ᴊᴀɪ ᴊɪɴᴇɴᴅʀᴀ
आप कहां पर है । और चौमासा कहां होगा।?
Sneha Parakh
Good information sadhu sadhu sadhu
Satyam shibham sundaram
शिव का अर्थ जैन धर्म में मोक्ष को कहते है यानी जन्म मरण से मुक्त
*Great Explanation* !!
ग्रेट एक्सपलिनेशन बट नॉट कम्प्लीट
Paanch indriya (5 senses) Mei kissmei paap zyada lagta hai?
5 physical indriya se jo bhaav aap karthe ho aapki bhavna ke intensity se karma band the ho ...
नेमिनाथ जी जो कि हिंदू भगवान श्री कृष्ण श्री कृष्ण जी के 22भाई थे। भगवान महावीर जी जिन्होंने जैन धर्म स्थापित कियाhai.. भगवान महावीर जी को Hindu भगवान विष्णु का अंश माना गया है, जैसे जैसे भगवान विष्णु का 23 वां अवतार है महात्मा बुद्ध , भगवान महावीर का भी जन्म सतानाक धर्म में ही हुआ है।
Galt h ye mahavir Ji kiski k bhi avatar nhi h
Kha ye gya hein aage jakr Shri Krishna ji bhii moksha lenge..
Isiliye hum mante hein..
Shri Krishna ji ne bahubali ji ko sahi rasta dikhaya firr unhone kewlya Gyan lekr mokshya liya...
I Proud🌈 Hinduzam & 🌈Jainism 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🏘🌴🌴🌴🌴🏠🏠🌴🌴🌴🌴🌴🌴
णमो अरिहंत 🙏 🙏 🙏
Duniya me bartaman time pe mukti data upasthit he, bo dhelli me he, bo bartaman time pe atma or paramatma ka knowladge de raha he, unko shuno or pehechana. Thank You.
Swamijee Namo Jinanam Pranam
Muje swameejee ke darshan karna he Jay Jinendra
મહાસતીજી નમસ્કાર મારે તમારા દર્શન કરવા છે
I believe in darvin's theory "theory of origin"..❤
Jivan mukt souls are there too, who are liberated but just help the layman to progress in their inner and outer path and to guide them they stay in the world or in the cosmos with their subtle bodies. This concept is in Hind and boudh religion.