आपका वीडियो देखकर बहुत खुशी हुई, मैं भी ग्वाड़ की बेटी हूं,आप 10 जून को पहुंचे, मैं 7 से 9 जून तक ग्वाड़ में ही थी, आपके वीडियो में जो गिरीश पाण्डे जी आए हैं मैं उनकी बहन हूं। आदरणीय पूरन ददा, आदरणीय रमेश ददा सब हमारे परिजन हैं।आप अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए इतना प्रयास कर रहे हैं, और सबसे मिलने की उत्सुकता भी है। आपको साधुवाद, ढेर सारी शुभकामनाएं।
आपके वीडियो को मैं ऑस्ट्रेलिया से देख रहा हूँ बहुत आनंद आया, अपने गाँव pauri गढ़वाल की याद ताजा हो गयी। बहुत अच्छी वीडियो बना रहेहैं आप। धन्य बाद आपका। s
अवर्णनीय वृतांत , अपने पूर्वजों की भूमि को शत शत नमन आपने पाण्डेय परिवार के प्रतिअविस्मरणीय योगदान प्रदान किया है । आपने बुद्धिमत्ता के साथ वस्तुतः सामंजस्य प्रदान किया है ।
बहुत ही शानदार और सराहनीय विडियो........ श्रीमान महती पांडेय् जी कान्यकुब्ज ब्राह्मण जो कान्यकुब्ज के डैढियाखेड़ा गांव के रहने वाले थे..... (वर्तमान में यह डौंडियाखेड़ा गांव उ०प्र० के उन्नाव जिले में है) ........ श्रीमान महती पांडे जी ने भगवान बद्रीनाथ जी की तीन बार यात्रा की थी......... जोशीमठ नृसिंह भगवान के परम भक्त होने के कारण ही इन्होंने, अपने दोनों पुत्रों का नाम उन्हीं के नाम से सिंह और नृसिंह पांडे रखा........ सिंह पांडे जी की संतान, भीमताल के आसपास (छखाता) नाहन (हि०प्र०) और नेपाल में हैं....... नृसिंह पांडे जी के नाती को, तत्कालीन चंद राजाओं के, अनुरोध पर द्वाराहाट के कत्यूरी राजाओं ने, पांडेजर से, कोणां तक का एक अत्यंत विशाल भू-भाग प्रदान किया......... उनकी पहली पत्नी (बड़ी पत्नी) के छः बेटे हुए........ जो ग्वाड़ यानी वर्तमान गवाड़ में बसे......... और दूसरी शादी (छोटी पत्नी) के दो लड़के हुए........ जो बैरती में बसे......... ये काश्यप गोत्रीय पांडे हुए........ वर्तमान में, नृसिंह पांडे जी की संतान, ग्वाड़, बैरती, भटकोट, पान, गैराड़, ककनर में रहती हैं.......... ग्वाड़ गांव से आठरहवीं शताब्दी में अलग-अलग समय पर लगभग पांच परिवार विभिन्न -विभिन्न क्षेत्रों में माइग्रेट हुए हैं.......... और जहां वो माइग्रेट होकर गये....... वर्तमान में वहां वो आज एक-एक गांव बन चुके हैं......... आप इधर आए........ आपको साधुवाद........ हमें भी बहुत खुशी और अत्यधिक प्रसन्नता हुई......... कि अतीत में हमसे बिछुड़ा हुए हमारे बिरादर पुनः हमसे जुड़ गए हैं..........
आप तो हमारे इतिहास क़ी जानकारी का विस्तृत सागर है, सम्पूर्ण दुर्लभ जानकारी जुटाना और उसे संग्रहित और सुरक्षित करना बहुत ही सराहनीय कार्य है,आपकी लेखनी के सौजन्य से आने वाले समय मे हमारे बच्चो क़ो भी अपनी जड़ो और इतिहास का पता चलता रहेगा। बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻
बहुत अच्छी जानकारी, इसके लिए साधुवाद. हम भी पान ग्राम के कश्यप गोत्रीय पांडे हैं। अपने बुजुर्गों से सुना है हमलोग झूसी के रहने वाले महादेव पांडे के वंश वृक्ष में आते हैं। बाकी विद्वान जनों से अपेक्षा है।
पांडे जी नमस्ते, जो आपकी भावनात्मक स्थिति अपने गाँव को लेकर हुई है, वही स्थिति मेरी भी है मैने अपने पूर्वजों का गाँव बुघाण नहीं देखा में उसे देखना चाहता हूँ। 🎉❤
जैसा लगाअ आपको अपने गांव अपनी संस्कृति अपनी बोली से है ऐस ही लगाओ हमारे बड़े दाजयू मनोज पाण्डेय जी को भी है वह हमेशा गांव में हम जैसे युवाओं का हमेशा मार्गदर्शन करते रहते हैं कुमाऊनी होली को जीवंत उन्होंने ही रखा है और भी कई प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम समय पर समय पर वह आयोजित करते रहते हैं आज गांव में जितने भी हमारे लोक देवी देवताओं के मंदिर का निर्माण हुआ है या हो रहा है यह सब उन्हीं की प्रेरणा उन्हें के मार्गदर्शन में हुआ है।मनोज दा एक सभ्य एव सामाजिक व्यक्तित्व के इंसान हैं। इतिहास से संबंधित जानकारियां वह हमें समय समय पर देते रहते हैं। आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद आपने अपने मूल गांव हमारे गांव जाकर वहां के विभिन्न स्थानों के दर्शन कराए ईश्वर आपको लंबी उम्र दे आप हमेशा खुश रहें प्रसन्न रहे मस्त रहें जय देवभूमि उत्तराखंड जय पहाड़ जय गवाड़।🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sir hum Bairti se hein now settled in Haldwani since 1935.hamare ancestors kannauj ke Dyodiyakheda village se Badrinath yatra per aaye the . Wo log do bhai the Nrasingh( not Narsingh) Pandey and Singh Pandey. Nrasingh Pandey ki santaaan Bairti, Paan, Gairad, Dantola, Bhatkot, Khargoli, Kaknar, Gewad etc. me rehte hai. Singh Pandey ki santaan Chhakata-Pandegaon Bhimtal, Sirmaur-Himanchal Pradesh, Nahan-Himanchal Pradesh, Nepal me Rajguru the.
पांडेय जी नमस्कार हम और आप बिरादर हैं आप और हम।मिले थे आप ने मेरे से और रमेश पांडेय जी से बहुत जानकारी ली इस में मनोज पांडे जी का बहुत योगदान है उनकी और आपकी बातचीत फेश बुक द्वारा होते रहती थी आप को अपने मूल गांव में आने पर अपार खुशी हुई ऐसा बिरला आदमी ही होता है जो अपने मूल गांव से प्रेम करता है आप ऐसे ही वीडियो बनाते रहे।आपका उज्वल भविष्य हो जय श्री राम
NAMAN HAIN APKE ES JAJBE KO. BAHUT ACHHI BAAT KI. HAR KUMAONI KO APNI MOOL KADON SE JUDNA CHAHIYE. KYUNKI HUMARE PURWAZON NE HUMKO ES LAYAK BNA DIYA H KI HUM KO APNI PURVAZON KI DHARATI KE VIKASH M APNA YOGDAN DENA CHAHIYE🙏🙏🙏🙏🙏🙏 JAI UTTRAKHAND JAI KUMAON
मेरे ख्याल से आपको गढ़वाल का प्रतिनिधित्व भी करना चाहिए ऐसे लोग बहुत कम होंगे जो अपनी दादा पर दादा की भूमि की खोज करें मैं लंबी उम्र की दुआ करता हूं ताकि आप ताकि समय समय पर इस प्रकार की वीडियो हम लोगों को को दिखाया करेंगे धन्यवाद
एक तो यहां पर हल्का ढलान है......... ऊपर से कई गाड़ियां खड़ी होने से, रास्ता नहीं दिखता है.......... इसलिए पहले - पहल सभी लोग ऊपर को ही चले जाते हैं..........
भाई ये जिस गांव की तुम बात कर रहे हो वह न तो ग्वाड़ है न गवाड़ है उसका नाम गेवाड़ है। ये गांव के लोग बहुत सज्जन लग रहे हैं जिस तरह से ये लोग व्यवहार कर रहे हैं।
आदरणीय जोशी जी......... ये ग्वाड़ गांव ही है........ जो वर्तमान में प्रचलन में गवाड़ है.......... इस क्षेत्र में दूर-दूर तक गेवाड़ नामक कोई भी गांव नहीं है....... बल्कि गेवाड़ एक क्षेत्र (राजस्व क्षेत्र) है........ वर्तमान चौखुटिया क्षेत्र को पुराने समय में गेवाड़ या गिंवाड़ के नाम से राजस्व अभिलेखों में जाना जाता था........ इसमें 1- गाड़ी, 2- कौथलाड़ 3- खतसार 4- गिंवाड़ नामक चार पट्टियां आज भी मौजूद है.......... यह सम्पूर्ण क्षेत्र पाली पछाऊं परगने का ही हिस्सा है..........
@@_Manoj....hamrahi ओ के । हो सकता है ये पूरा रिजन गेवाड़ कहलाता हो । जानकारी दी धन्यवाद । वास्तविकता यह है कि हम लोगों ने गांवों को बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण हम नाम पट्टी क्षेत्र सब भूल गये हैं। मैं बैंगलोर में रह रहा हूं । इतने दूर से घर आना मुश्किल हो गया है।यही कारण है पहाड़ बीरान हो रहे हैं।
जोशी जी......... गेवाड़ या गिंवाड़ क्षेत्र आज भी चौखुटिया को ही कहते हैं........... द्वाराहाट को नहीं........ इस क्षेत्र की अपनी चार पट्टियां हैं.......... जो मैंने ऊपर बताई हैं........... जबकि यह गांव ग्वाड़ यानी गवाड़ है जो द्वाराहाट के पास है.......... द्वाराहाट की अपनी तीन पट्टियां अलग हैं.......... वैसे विडियो में भी साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि, यह गांव द्वाराहाट के पास ही है............. दोनों क्षेत्र ऐतिहासिक हैं और दोनों का अपना-अपना इतिहास में अलग-अलग स्थान है...........
@@_Manoj....hamrahi बहुत सुंदर । हमने बचपन में अपने बुजुर्गों से सुना था बैरती पान और गवाड़ इन गांवों के ब्राह्मण लोग उच्च कोटि के कुलीन होते हैं और अच्छी जगहों पर पहुंचे हुए हैं।
Bahut accha video. बहुत अच्छी प्रस्तुति। वीडियो का बहाव इतना अच्छा है कि देखने वाला इसमें खो जाता है। मनोज जी के और विडियोज के इंतजार में। एयर कमोडोर दीपक पांडे
पांडे जी मन कर रहा है कि बहुत लंबा लेख लिखों आपके बारे में, कृपया बिना लिखे ही आप समझ सकते हैं। इतना ही कहूंगा कि आप धन्य है। बहुत सुंदर लगा आपका यह ब्लॉग।
पांडेय जी आपके सुंदर कार्य को नमन। मैं नित्य आपके वीडियो देखता हूँ। आपसे एक प्रार्थना है कि जब भी आपको समय मिले कृपया करके एक वीडियो हमारे गांव "पिनोली" को भी कवर कीजिये। हमारा गाँव छाना गोलू और दुगोड़ा के पास पड़ता है। उसके पास कुछ अन्य गांव भी हैं जैसे कोटली, गुढोली, चमना इत्यादि।
Apka pariyas bahut sarhaniye hai jo apne mul jado ko khojne kai liye itna parishram kar rahe ho. Uttarakhand mai adhikatam gao isi tarah bane hai. Mere purwaj bhi Chachroti sai nikal kar Sainamanur (Manila) aye the.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सो्न्दौय मुझे बहुत अच्छा लगा
अपने मनोज पांडेय जी का ज्ञान बहुत ही गजब का होता है। संस्कृति संरक्षण के लिए उनका योगदान सराहनीय है। मै मनोज सर को सैल्यूट करता हूं।बहुत सुंदर।
आपका वीडियो देखकर बहुत खुशी हुई, मैं भी ग्वाड़ की बेटी हूं,आप 10 जून को पहुंचे, मैं 7 से 9 जून तक ग्वाड़ में ही थी, आपके वीडियो में जो गिरीश पाण्डे जी आए हैं मैं उनकी बहन हूं। आदरणीय पूरन ददा, आदरणीय रमेश ददा सब हमारे परिजन हैं।आप अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए इतना प्रयास कर रहे हैं, और सबसे मिलने की उत्सुकता भी है। आपको साधुवाद, ढेर सारी शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति लॉट आए आप अपने गांव जहां आपका परिवार रहता था जय बाबा की🙏🏻🙏🏻
कबके बिछड़े हुए आज कहा आके मिले❤🎉❤
आप सभी उत्तराखंडी भाइयों से सविनय अनुरोध है भाइयों अपनी पितृ भूमि को मत छोड़ना चाहे आप कितने बड़े पद,या कही भी हों ।
आप तो लेखिका भी हैं मैने आपकी किताब पढ़ी है उदिता मैडम
इस ग्राम के पांडे बंधु काफी सभ्य और सुसंस्कृति वाले लग रहे है इस प्रकार की दुर्लभ जानकारी देने के लिए साधुवाद है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई व शुभकामनाएं
काश गांव में सारे लोग ऐसे ही अपनी मातृभूमि की पहचान अपने गांव मैं आएं। मुझेआपके गांव का वीडियो बहुत सुंदर लगा । गांव का दृश्यभी बहुत सुंदर है।
अपने पैतृक गांव की खोज के लिए आपका धन्यवाद पाण्डेय जी आप महान हैं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ❤❤❤
पांडेय जी आपने भावुक कर दिया। आज मुझे भी अपने पुराने बजुर्गो के पत्रिक गांव की याद आ गई। आपको मेरा प्रणाम।🙏🙏🙏🙏🙏
It was nice watching the video and I got to know a lot, you work hard, thanks Dajyu.
आपके वीडियो को मैं ऑस्ट्रेलिया से देख रहा हूँ बहुत आनंद आया, अपने गाँव pauri गढ़वाल की याद ताजा हो गयी। बहुत अच्छी वीडियो बना रहेहैं आप।
धन्य बाद आपका।
s
बहुत, सुनदर, प्रसुती
अपनी जड़ों को ढूंढना और कामयाब हो जाना। इस खुशी को बयान करना मुश्किल होता है।
इस गांव में है बाकी
नामोनिशां हमारा
चाहे कहीं गया हो
कारवां हमारा।
अवर्णनीय वृतांत , अपने पूर्वजों की भूमि को शत शत नमन
आपने पाण्डेय परिवार के प्रतिअविस्मरणीय योगदान प्रदान किया है । आपने बुद्धिमत्ता के साथ वस्तुतः सामंजस्य प्रदान किया है ।
बहुत ही शानदार और सराहनीय विडियो........
श्रीमान महती पांडेय् जी कान्यकुब्ज ब्राह्मण जो कान्यकुब्ज के डैढियाखेड़ा गांव के रहने वाले थे..... (वर्तमान में यह डौंडियाखेड़ा गांव उ०प्र० के उन्नाव जिले में है) ........
श्रीमान महती पांडे जी ने भगवान बद्रीनाथ जी की तीन बार यात्रा की थी.........
जोशीमठ नृसिंह भगवान के परम भक्त होने के कारण ही इन्होंने, अपने दोनों पुत्रों का नाम उन्हीं के नाम से सिंह और नृसिंह पांडे रखा........
सिंह पांडे जी की संतान, भीमताल के आसपास (छखाता) नाहन (हि०प्र०) और नेपाल में हैं.......
नृसिंह पांडे जी के नाती को, तत्कालीन चंद राजाओं के, अनुरोध पर द्वाराहाट के कत्यूरी राजाओं ने, पांडेजर से, कोणां तक का एक अत्यंत विशाल भू-भाग प्रदान किया......... उनकी पहली पत्नी (बड़ी पत्नी) के छः बेटे हुए........ जो ग्वाड़ यानी वर्तमान गवाड़ में बसे......... और दूसरी शादी (छोटी पत्नी) के दो लड़के हुए........ जो बैरती में बसे......... ये काश्यप गोत्रीय पांडे हुए........
वर्तमान में, नृसिंह पांडे जी की संतान, ग्वाड़, बैरती, भटकोट, पान, गैराड़, ककनर में रहती हैं..........
ग्वाड़ गांव से आठरहवीं शताब्दी में अलग-अलग समय पर लगभग पांच परिवार विभिन्न -विभिन्न क्षेत्रों में माइग्रेट हुए हैं.......... और जहां वो माइग्रेट होकर गये....... वर्तमान में वहां वो आज एक-एक गांव बन चुके हैं.........
आप इधर आए........ आपको साधुवाद........
हमें भी बहुत खुशी और अत्यधिक प्रसन्नता हुई......... कि अतीत में हमसे बिछुड़ा हुए हमारे बिरादर पुनः हमसे जुड़ गए हैं..........
आप तो हमारे इतिहास क़ी जानकारी का विस्तृत सागर है, सम्पूर्ण दुर्लभ जानकारी जुटाना और उसे संग्रहित और सुरक्षित करना बहुत ही सराहनीय कार्य है,आपकी लेखनी के सौजन्य से आने वाले समय मे हमारे बच्चो क़ो भी अपनी जड़ो और इतिहास का पता चलता रहेगा। बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🏻
आप नई पीढ़ी (Gen z) के मार्गदर्शक हैं 🙏🏻🙏🏻 इसप्रकार की कई छोटी - बड़ी जानकारियां हमें मुश्किल वक़्त पर सही दिशा प्रदान करती हैं और आत्मविश्वास बढाती हैं।
सिंह पांडे जी की संताने भीमताल के आसपास शायद शिलोटी, पांडे गांव और बड़ाखेत में बसी है।
@@devesh431 जी हां
बहुत अच्छी जानकारी, इसके लिए साधुवाद. हम भी पान ग्राम के कश्यप गोत्रीय पांडे हैं। अपने बुजुर्गों से सुना है हमलोग झूसी के रहने वाले महादेव पांडे के वंश वृक्ष में आते हैं। बाकी विद्वान जनों से अपेक्षा है।
पांडे जी नमस्ते, जो आपकी भावनात्मक स्थिति अपने गाँव को लेकर हुई है, वही स्थिति मेरी भी है मैने अपने पूर्वजों का गाँव बुघाण नहीं देखा में उसे देखना चाहता हूँ। 🎉❤
जैसा लगाअ आपको अपने गांव अपनी संस्कृति अपनी बोली से है ऐस ही लगाओ हमारे बड़े दाजयू मनोज पाण्डेय जी को भी है वह हमेशा गांव में हम जैसे युवाओं का हमेशा मार्गदर्शन करते रहते हैं कुमाऊनी होली को जीवंत उन्होंने ही रखा है और भी कई प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम समय पर समय पर वह आयोजित करते रहते हैं आज गांव में जितने भी हमारे लोक देवी देवताओं के मंदिर का निर्माण हुआ है या हो रहा है यह सब उन्हीं की प्रेरणा उन्हें के मार्गदर्शन में हुआ है।मनोज दा एक सभ्य एव सामाजिक व्यक्तित्व के इंसान हैं। इतिहास से संबंधित जानकारियां वह हमें समय समय पर देते रहते हैं। आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद आपने अपने मूल गांव हमारे गांव जाकर वहां के विभिन्न स्थानों के दर्शन कराए ईश्वर आपको लंबी उम्र दे आप हमेशा खुश रहें प्रसन्न रहे मस्त रहें जय देवभूमि उत्तराखंड जय पहाड़ जय गवाड़।🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बेटा बहुत सुन्दर। आपको सुझाव है कि आप सभी पाण्डेय लोगों की वंशावली बनाऐं। आपको पता लग जाएगा कि कौन कहाँ गया?
आप बार बार सूतक पातक भी निभाना चाहते हैं। जब बहुत बड़ा परिवार हो जाता है तो निभाना कठिन हो जाता है। जुडिये पर जैसा आप कभी निभा रहे हैं निभाते रहिए।
शानदार जानकारी मैं भी बैरती का पांडे हूं धन्यवाद इतिहास बताने के लिए
Va va dil chhu liya❤🎉❤ जय बाबा की🙏🏻🚩🚩🙏🏻
मनोज जी नमस्कार। बहुत हार्दिक बधाई आपकी मेहनत के लिए। बहुत अच्छा लगा।❤❤
Dhanya hai aap mai bhi bairty ka rahne wala hu
जय हो पान्डे जी आपने अपना मूल गॉव खोज डाला द्वाराहाट का ग्वाड़ ।
आपके इस अथक प्रयास से बहुत ही हार्दिक खुशी हुई।।बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर और दिल को छू जाने वाला वीडिओ
कितनी खुशी होती है, अपना पैतृक गांव देखकर, बहुत ही सुंदर volg 🙏🏻
बहुत सुन्दर जानकारी हमे बहुत अच्छा लगायह जानकर सभी पूर्वजों को शत शत नमन
Mujhe tio aapka har janwar se baat karna bahut accha lgta h...bahut swtly aap baat krte h...lgta h jaise vi sb samajh rahe ho
Really your Biradars are very nice and appreciating.
District Almora ke jalali gaon ki
Devpura gaon ka ek drishya suit karo dhanyvad
Really aap bahut kismat wale h
इस गांव की स्टोरी भी बहुत अच्छी है हमारा भी गांव प्लान करके पौड़ी से कुमाऊं में आ गए थे
Kalikholi Mei 1975 Mei government polytechnic Tha jiska Mei students Tha 😊
बहुत ही सुंदर गाँव
वर्ष 1875 में गंगाधर पांडेय ग्राम गेवाड से माइग्रेट हुए थे
Apka video dekhkar bahut acha laga sir
Sir hum Bairti se hein now settled in Haldwani since 1935.hamare ancestors kannauj ke Dyodiyakheda village se Badrinath yatra per aaye the . Wo log do bhai the Nrasingh( not Narsingh) Pandey and Singh Pandey. Nrasingh Pandey ki santaaan Bairti, Paan, Gairad, Dantola, Bhatkot, Khargoli, Kaknar, Gewad etc. me rehte hai. Singh Pandey ki santaan Chhakata-Pandegaon Bhimtal, Sirmaur-Himanchal Pradesh, Nahan-Himanchal Pradesh, Nepal me Rajguru the.
Main aapki video dekhta hun bahut acchi lagti hai aur ham up ke district shravasti se Hain
पांडेय जी नमस्कार हम और आप बिरादर हैं आप और हम।मिले थे आप ने मेरे से और रमेश पांडेय जी से बहुत जानकारी ली इस में मनोज पांडे जी का बहुत योगदान है उनकी और आपकी बातचीत फेश बुक द्वारा होते रहती थी आप को अपने मूल गांव में आने पर अपार खुशी हुई ऐसा बिरला आदमी ही होता है जो अपने मूल गांव से प्रेम करता है आप ऐसे ही वीडियो बनाते रहे।आपका उज्वल भविष्य हो
जय श्री राम
NAMAN HAIN APKE ES JAJBE KO. BAHUT ACHHI BAAT KI. HAR KUMAONI KO APNI MOOL KADON SE JUDNA CHAHIYE. KYUNKI HUMARE PURWAZON NE HUMKO ES LAYAK BNA DIYA H KI HUM KO APNI PURVAZON KI DHARATI KE VIKASH M APNA YOGDAN DENA CHAHIYE🙏🙏🙏🙏🙏🙏 JAI UTTRAKHAND JAI KUMAON
Ati sunder wo ghar dekh ber moj arga daju
बहुत सुंदर प्रस्तुति🎉🎉
मैं हिमाचल प्रदेश से हूं,लेकिन मैं आपकी वीडीयो देखती हूं,बहुत मेहनत करते हैं वीडीओ बनाने में,बहुत सुंदर प्रस्तुति
Itna effort nd gesture...bahut mahan h aap
राम राम जी बहुत अच्छा लगा कि आप ने अपना आवास पर पहुंचे
आपसे पहले मनोरथ दादा जी और हीरा चाचाजी रमेश चाचाजी भी यहां गेवाड ग्राम आए थे हमारे ईष्ट देव नरसिंह भगवान है
Bahut ache manojda ❤❤❤
Bahut saha kaha ...aap ishwar k bhete ek dut h...bahut great kaam kr rahe h aap
आपका प्रयास को नमनः , यैसा प्यार बना रहे ।
एक सदी से भी अधिक समय बाद अपने पैतृक गाँव को खोजना अपनों के बीच पहुचना और बड़ी आत्मियता से मिलना काफी भावुक कर गया
Pandey ji bahut achha laga aap kai family Katur mai settle hai .
बहुत सुंदर विडिओ ❤
Aapko Naman krte dekh aankhon mai aansu aa gaye...hats off to u...great personality
Pichle कॉमेंट में गलती से मनोज लिख दिया, इंतजार रहेगा चंद्र शेखर पांडे जी के विडियोज का। अति सुंदर प्रस्तुति
5/9/24 ke baad aapka vlogs nahi aa rha hai. Hum log new vlog ka wait Kar rhe hai. Aapke vlog bahut knowledgeable hai. Well done. Thanks
वाह बहुत सुंदर
Jay Uttrakhand Jay devbhumi
आपके ब्लॉग बहुत अच्छे लगते है🙏
वहा भेरब दत्त व श्री शम्भूदत्त जी , श्री डा0 जी सी पाण्डेय जी का घर है । ये लोग मेरे रिश्तेदार भी होते है ।
शुभ यात्रा ।
बी डी पाण्डेय
Very informative
About five hundred years ago our ancestors came from kumaon region to Nepal. Bandhu may i know your gotra.
काश्यप गोत्र (Kaasyap Gotr)
Jai gol jau bahut prerdadayak video hai aapka
मेरे ख्याल से आपको गढ़वाल का प्रतिनिधित्व भी करना चाहिए ऐसे लोग बहुत कम होंगे जो अपनी दादा पर दादा की भूमि की खोज करें मैं लंबी उम्र की दुआ करता हूं ताकि आप ताकि समय समय पर इस प्रकार की वीडियो हम लोगों को को दिखाया करेंगे धन्यवाद
जय हो देवभूमि उत्तराखंड जय बद्री विशाल कौसानी में खाती कहां से आए उनका भी वीडियो बनाना भाई प्लीज आपके वीडियो बहुत सुंदर अच्छे होते हैं
भैया मेंरा मायेका भी यही है आप ने बचपन की याद दिला दी
द्वाराहाट में होटल की क्या व्यवस्था है तथा एक दिन का रेंट क्या है जरूर बताइएगा
400 से 2000 तक के होटल आपको शहर के 2 किमी की परिधि में आराम से सुगमता से मिल जाएंगे,
कोई खास मारामारी और प्रतिस्पर्धा नहीं यहां।
प्रणाम् साब
;योगदा आश्रम हमारा अक्सर जाना होता है❤
Sir apni Dp per apna gwad wale makano ko lagaye
Bahut sunder gaw👌👌
मै भी सीधे आगे निकल गया था काली खोली रोड पर , रास्ता भटक कर..ये जो वेगन आर ख़डी है, वो हमारा ही घर है।
एक तो यहां पर हल्का ढलान है......... ऊपर से कई गाड़ियां खड़ी होने से, रास्ता नहीं दिखता है.......... इसलिए पहले - पहल सभी लोग ऊपर को ही चले जाते हैं..........
Lila ji ka bhavuk hona ...antratma se pyar dikhata h...bahut aacha laga
भाई ये जिस गांव की तुम बात कर रहे हो वह न तो ग्वाड़ है न गवाड़ है उसका नाम गेवाड़ है। ये गांव के लोग बहुत सज्जन लग रहे हैं जिस तरह से ये लोग व्यवहार कर रहे हैं।
आदरणीय जोशी जी.........
ये ग्वाड़ गांव ही है........ जो वर्तमान में प्रचलन में गवाड़ है..........
इस क्षेत्र में दूर-दूर तक गेवाड़ नामक कोई भी गांव नहीं है....... बल्कि गेवाड़ एक क्षेत्र (राजस्व क्षेत्र) है........ वर्तमान चौखुटिया क्षेत्र को पुराने समय में गेवाड़ या गिंवाड़ के नाम से राजस्व अभिलेखों में जाना जाता था........ इसमें 1- गाड़ी, 2- कौथलाड़ 3- खतसार 4- गिंवाड़ नामक चार पट्टियां आज भी मौजूद है..........
यह सम्पूर्ण क्षेत्र पाली पछाऊं परगने का ही हिस्सा है..........
@@_Manoj....hamrahi ओ के । हो सकता है ये पूरा रिजन गेवाड़ कहलाता हो । जानकारी दी धन्यवाद । वास्तविकता यह है कि हम लोगों ने गांवों को बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण हम नाम पट्टी क्षेत्र सब भूल गये हैं। मैं बैंगलोर में रह रहा हूं । इतने दूर से घर आना मुश्किल हो गया है।यही कारण है पहाड़ बीरान हो रहे हैं।
जोशी जी.........
गेवाड़ या गिंवाड़ क्षेत्र आज भी चौखुटिया को ही कहते हैं........... द्वाराहाट को नहीं........ इस क्षेत्र की अपनी चार पट्टियां हैं.......... जो मैंने ऊपर बताई हैं...........
जबकि यह गांव ग्वाड़ यानी गवाड़ है जो द्वाराहाट के पास है.......... द्वाराहाट की अपनी तीन पट्टियां अलग हैं.......... वैसे विडियो में भी साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि, यह गांव द्वाराहाट के पास ही है.............
दोनों क्षेत्र ऐतिहासिक हैं और दोनों का अपना-अपना इतिहास में अलग-अलग स्थान है...........
@@_Manoj....hamrahi बहुत सुंदर । हमने बचपन में अपने बुजुर्गों से सुना था बैरती पान और गवाड़ इन गांवों के ब्राह्मण लोग उच्च कोटि के कुलीन होते हैं और अच्छी जगहों पर पहुंचे हुए हैं।
Pandeyji को नमस्कार
पांडे जी कृपया भिकियासैण की विडियो भी बना दीजिये
Very nice 👍
🙏🏻🙏🏻👍🏻👍🏻❤️👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
bahut badiya ❤❤
Bahut accha video.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। वीडियो का बहाव इतना अच्छा है कि देखने वाला इसमें खो जाता है।
मनोज जी के और विडियोज के इंतजार में।
एयर कमोडोर दीपक पांडे
Aap pandey ji propar kis goun ke ho
Very nice vellag ❤ aap bhi village me gahr banana Bhai Vapi Gujarat
पांडे जी मन कर रहा है कि बहुत लंबा लेख लिखों आपके बारे में, कृपया बिना लिखे ही आप समझ सकते हैं। इतना ही कहूंगा कि आप धन्य है। बहुत सुंदर लगा आपका यह ब्लॉग।
😢easi video har gaon ki honi chahiye
सर गवाड़ तो आप देखा रहे हो 🙏 ये धारी कौन सी हे अल्मोड़ा वाली ❓
Bahut bahut dhanyvad Mera Mai ke dikhane ke liye
Chaukhutia se aage dipakot gaon ka bhi video banaye...vaha chaukhutia mai bhi katyuri raja logo ki kuch jaankari bhi h ..kisi ne mujhe bataya tha
पांडेय जी आपके सुंदर कार्य को नमन। मैं नित्य आपके वीडियो देखता हूँ।
आपसे एक प्रार्थना है कि जब भी आपको समय मिले कृपया करके एक वीडियो हमारे गांव "पिनोली" को भी कवर कीजिये।
हमारा गाँव छाना गोलू और दुगोड़ा के पास पड़ता है। उसके पास कुछ अन्य गांव भी हैं जैसे कोटली, गुढोली, चमना इत्यादि।
अच्छा मपहडीगबटुलगांहमरपैतकदलमोडीहैबजनकनचेहै
यार पांडे तुमने तो रुला ही दिया यार😢
AAP KAHA SE HO?
आप वीडियो में माईक का उपयोग किया करो। ताकि सामने वाले की आवाज सही आये।
Superb
❤❤❤❤
Haldwani se bol rahi hun
Ham rajpurohit h hamare bhejo purvaj kanoj se aaye the ham marwad me rajsthan me rajput rajao ke guru bane is rajpurohit baje
इनका नाम। पुरन चंद्रपांडे है
👌👌👌🙏🙏🙏
Apka pariyas bahut sarhaniye hai jo apne mul jado ko khojne kai liye itna parishram kar rahe ho. Uttarakhand mai adhikatam gao isi tarah bane hai. Mere purwaj bhi Chachroti sai nikal kar Sainamanur (Manila) aye the.
Nice video
Mera gaon bhi yahi h
भूमकिया मेरा गाओं है जहा तक सडक है