वेदों की पढ़ाई लिखाई नहीं होने से वेद व्याकरण नहीं समझा जाता है।बचपन से मंत्रों को ग़लत सही बोल रहा हूं किन्तु ग्गुं का प्रयोग आज समझ में आया। मैं तो समझता था वर्णों को बोलने में सतत प्रवाह के लिए उदात्त अनुदात् स्वरों को हाई लो पिच के लिए , मंत्रों में वर्णों मात्राओं को छंदों के हिसाब से एडजेस्ट करने के लिए एक विशेष ध्वनि रूप है। आप श्री को सादर प्रणाम और धन्यवाद। त
दीर्घ और ह्रस्व अनुस्वार के चिह्न है। लेकिन पं. सातवळेकर के मत से गुं ऐसा उच्चारणही मिथ्याग्राहसे गलत होता है। उसके पहले आनेवाले स्वरकाही सानुनासिक अभ्यास करना चाहिए। जैसे, सिइँह। वैसे तो परम्परान्तर शाखाभेदसे रहता है। शास्त्रात् रूढीर्बलीयसी।
आखिर इसकी आवश्यकता क्या है जब आधे मकार से ही शब्द बन जाता है।मूल शब्द गणपतिम में आधे म के स्थान पर चिन्हांकित की आवश्यकता क्या है । सामान्य श्लोक पाठ में आधे म का उच्चारण किया जा सकता है।जो लोग वेदपाठी और आरम्भ से ही संस्कृत का पठन करते है वे तो सारे श्लोक का शुद्ध उच्चारण करे पर सामान्य जन को इन कठिन नियमों से मुक्ति होनी चाहिए।
This is wrong information! This is wrong pronunciation! It is just Anusvar! No Gum or Gun or Gung etc etc. ONLY ANUSVAR !! ONLY ANUSVAR !! ONLY ANUSVAR !!
विश्व की सात अरब से ऊपर है जनसंख्या मे संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त के पास सत्य ज्ञान है ना सत्य भक्ति नहीं है यह हमारा अभिमान नहीं सच्चाई है खुद सत्संग सुनकर देखोll सर्व सुख प्राप्त होते हैं
In sabka artificially intelligent ka support dilva do phir Duniya following karegi to next government aapki hee ban jayega Vedic math par reserch karwavo
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी इस बारे में पता चला
ॐ नमः
कोटि-कोटि धन्यवाद गुरुदेव साष्टांग दंडवत् प्रणाम
बहुत सुंदर, स्पष्ट वक्तव्य है। अभिनन्दन अभिवादन करता हूं।
वेदों की पढ़ाई लिखाई नहीं होने से वेद व्याकरण नहीं समझा जाता है।बचपन से मंत्रों को ग़लत सही बोल रहा हूं किन्तु ग्गुं का प्रयोग आज समझ में आया। मैं तो समझता था वर्णों को बोलने में सतत प्रवाह के लिए उदात्त अनुदात् स्वरों को हाई लो पिच के लिए , मंत्रों में वर्णों मात्राओं को छंदों के हिसाब से एडजेस्ट करने के लिए एक विशेष ध्वनि रूप है। आप श्री को सादर प्रणाम और धन्यवाद।
त
वेद भाषा के प्रति आपकी श्रद्धा अनुगमनीय है ।
प्रणाम गुरुजी ! सादर - साष्टाङ्ग - प्रणाम ! चरण - स्पर्श !
हम इसे ग्वं उच्चारण करते हैं ।यह एक स्थानीय भेद हो सकता है आपने वेदों के व्याकरण पर प्रकाश डाला वह बहुत ही ज्ञानवर्धक और उपयोगी है।
विलुप्त होती वेद भाषा की व्याकरण का ज्ञान देकर आप सनातन धर्म के लिए पुण्य का कार्य कर रहे हैं । साधुवाद। सादर नमन ।🙏🙏
नमन करता हूँ🙏🙏
Guru charan sparsh
Pranaam Guru Deb ji
🙏🙏🙏
बार बार नमन।
Bahut sundar.Aage badhenge.Dhanywaad !
अच्छी जानकारी gurushresth
स्वर के साथ अष्टाध्यायी शिकायत। आभार
🙏🏻 गुरूजी, गुं का अर्थ क्या होता है, इसको प्रयोग क्यों किया जाता है 🙏🏻
Thankyou guruji
Shree krishna bhagwan ki jay
मुझे अब तक समझ नहीं आता था, अब पता चला। 🙏🙏
मुझे तो पहले ही दिन पता चला था 🤣🤣🤣🤣🤣
अति सुन्दर।
Aapke class ko main dekhta hun badi gyanvardhak bate batai jati hai.aapko pranam
Namo namah mahoday
बहुत सुंदर
राम राम 🙏
🕉
दीर्घ और ह्रस्व अनुस्वार के चिह्न है। लेकिन पं. सातवळेकर के मत से गुं ऐसा उच्चारणही मिथ्याग्राहसे गलत होता है। उसके पहले आनेवाले स्वरकाही सानुनासिक अभ्यास करना चाहिए। जैसे, सिइँह। वैसे तो परम्परान्तर शाखाभेदसे रहता है। शास्त्रात् रूढीर्बलीयसी।
Absolutely right!
महेंद्र सिंह भाटी
महोदय (ग्गुं) शब्दांश का अर्थ क्या है?
यह भी दर्शकों को स्पष्ट कीजिए।
ધન્યવાદ
मंत्र में अनुस्वार का उच्चारण म या न होता है इसपर विडियो प्रकाश डालें ! धन्यवाद एवं नमस्कार
❤👌🌷🌺🕉
आदरणीय आप लोग कब तक वेद के नाम पर पुरण मिथ्या पढ़ाए जाएंगे जी
शास्त्र ज्ञान
નમો નમઃ
Krapya purush sukt ke path ke path karne ka vidio banayen
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
रोचक तथ्य
प्रणाम
आखिर इसकी आवश्यकता क्या है जब आधे मकार से ही शब्द बन जाता है।मूल शब्द गणपतिम में आधे म के स्थान पर चिन्हांकित की आवश्यकता क्या है । सामान्य श्लोक पाठ में आधे म का उच्चारण किया जा सकता है।जो लोग वेदपाठी और आरम्भ से ही संस्कृत का पठन करते है वे तो सारे श्लोक का शुद्ध उच्चारण करे पर सामान्य जन को इन कठिन नियमों से मुक्ति होनी चाहिए।
गूंग शब्द का अर्थ क्या होता है कृपा मार्गदर्शन के लिए गुरुजी
मकार के स्थान पर आता है
म्
गु + जन गुंजन के बरेमे काया होगा।
ग़ुरू का अर्थ ओर प्रभाव।
Kripya ved padhne shikhaiye
This is wrong information! This is wrong pronunciation! It is just Anusvar! No Gum or Gun or Gung etc etc.
ONLY ANUSVAR !! ONLY ANUSVAR !! ONLY ANUSVAR !!
विश्व की सात अरब से ऊपर है जनसंख्या मे संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त के पास सत्य ज्ञान है ना सत्य भक्ति नहीं है यह हमारा अभिमान नहीं सच्चाई है खुद सत्संग सुनकर देखोll सर्व सुख प्राप्त होते हैं
In sabka artificially intelligent ka support dilva do phir Duniya following karegi to next government aapki hee ban jayega Vedic math par reserch karwavo
'हृ' संयुक्ताक्षर नहीं है ।
हल् के पश्चात् हल् होने को संयोग कहते हैँ जैसे सत्य इन्द्र निन्द्रा हृद्रोग आदि।।
धन्यवाद.
जी