My eyes are filled with tears automatically...and I have never watched the full episodes of Siya ke Ram...everytime I start watching the show I'm stuck at the war episodes in lanka😢...
तीन नदियों के किनारे स्थित इस स्थान पर रामायण काल में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। बिहार के बगहा और नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकि आश्रम की खूबसूरती गजब की है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, भगवान राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर अयोध्या लौट गए थे। वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में मिलता है। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वहीं, जुड़वा लव और कुश का जन्म हुआ। वर्तमान में वाल्मीकि आश्रम वाल्मीकि नगर के भारत और नेपाल सीमा पर स्थित है। यहां आसानी से पहुंचने के लिए नेपाल भी झूला पुल का निर्माण कर रहा है। इस आश्रम के पास नारायणी, तमसा व सोनभद्र नाम की नदी बहती है। नारायणी को गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी है।एक कुआं भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यहीं लव-कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। वहीं, आश्रम में पेड़ की टहनियों से झूले बने हुए हैं। मान्यता है कि इसी झूले पर वे झूलते थे। भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा यहां पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम का घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां घोड़े को बांधा गया था। इस जगह पर वाल्मीकि द्वारा बनाए हवन कुंड भी है। मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
as closer as the time of separation is coming the more im becoming distressed. I Really cannot see them separating. its so painful
My eyes are filled with tears automatically...and I have never watched the full episodes of Siya ke Ram...everytime I start watching the show I'm stuck at the war episodes in lanka😢...
Sabi Shri Ram Bhaktoo Ko Mere Or Se JAI SHRI RAM JI 🙏🙏🙏
🥀Jay jay Siya Ram🥀
🌺🌺❤️🙏❤️🌺🌺
0:28 ये वही धोबी है ना जो अपनी बेटी को निर्दोष बता रहा था और अब अपनी पत्नी पर आरोप लगा रहा है 😂😂😂😡😡😡😡😡
तीन नदियों के किनारे स्थित इस स्थान पर रामायण काल में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। बिहार के बगहा और नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकि आश्रम की खूबसूरती गजब की है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, भगवान राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर अयोध्या लौट गए थे। वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में मिलता है। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वहीं, जुड़वा लव और कुश का जन्म हुआ।
वर्तमान में वाल्मीकि आश्रम वाल्मीकि नगर के भारत और नेपाल सीमा पर स्थित है। यहां आसानी से पहुंचने के लिए नेपाल भी झूला पुल का निर्माण कर रहा है।
इस आश्रम के पास नारायणी, तमसा व सोनभद्र नाम की नदी बहती है। नारायणी को गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी है।एक कुआं भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यहीं लव-कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। वहीं, आश्रम में पेड़ की टहनियों से झूले बने हुए हैं। मान्यता है कि इसी झूले पर वे झूलते थे।
भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा यहां पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम का घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां घोड़े को बांधा गया था। इस जगह पर वाल्मीकि द्वारा बनाए हवन कुंड भी है।
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी।
ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी।
ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram
Jai siyaram 🕉️🚩🙏🏻
Fast comment 😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊 jai shree raam jai sita mata❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
Jai siya ram 🙏🙏
Very Beautiful pair ..feast on eyes
Jay siyaram raksha karjo ❤❤
Jay shree Ram ji lakshaman ji Sita Maya bhakat Hanuman ji raksha karjo 🙏🙏
Jay Sita Ram 🙏🙏🙏
जय श्री सियाराम जी
jay siya ram
জয় সীতারাম ❤❤❤❤
Dharm ki jay
Ye dhovi bda durt h pahle beti ko nirdosh bta rha tha or aaj apni patni ko kalankit or apman kr parityag kr rha h
😢😢😢
Put at least 5 more episodes. 2 episodes will be divided into 2 parts😊 please
Jay shree sita ram 🙏