जैन किसे कहते हैं? | Episode 2 | Basic of Jainism | 24 July 2024 | Muni Veersagar Ji

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  • Опубликовано: 16 окт 2024
  • Basics of Jainism - 2
    जैन धर्म के अनुसार अनादि है ईश्वर का स्वरूप
    1. जैन धर्म की कुछ विशेषताएं इसे अपने आप में अद्भुत बनाती हैं। अन्य धर्मों में बताया गया है कि भगवान ही दुनिया को बनाता है, चलाता है और नष्ट करता है। यह भी माना जाता है कि भगवान हमेशा से हैं और हमेशा रहेंगे। जैन धर्म के अनुसार ना तो कोई दुनिया को पैदा करने वाला है, ना कोई चलाने वाला और ना कोई नष्ट करने वाला। जैन धर्म में व्यक्ति ही GOD है। यानि Generator, Operator और Destroyer
    2. जिस तरह से लोहे में लगी जंग ही उसे नष्ट कर देती है, उसी तरह व्यक्ति अपने विचारों से ही खुद को समाप्त करता है और कोई दूसरा समाप्त करने वाला नहीं होता। जब अच्छे विचार होते हैं तो एक नया जन्म होता है और बुरे विचार उत्पन्न होते हैं तो नाश।
    3. विज्ञान कहता है कि ऊर्जा पैदा नहीं की जा सकती, ऊर्जा सिर्फ transform की जा सकती है। जैन धर्म भी सृष्टि, आत्मा और ईश्वर को इसी अर्थ में अनादि मानता है।
    4. जैन धर्म मानता है भगवान अनादि हैं, सारे द्रव्य अनादि हैं, जितने भी जीव हैं, आत्मा हैं, सब अनादि हैं। उनकी कभी शुरुआत नहीं हुई। जैन धर्म के अनुसार जैसा वातावरण मिलता है, उसके अनुसार ही जीवों का निर्माण हो जाता है चाहे वे एकेन्द्रिय जीव हों या पंचेन्द्रिय। शरीर को चलाने वाली आत्मा भी अनादि है। वह एक शरीर से दूसरे शरीर में जाती है यानी एक पर्याय से दूसरे पर्याय में गमन करती है। ऐसा अनादि काल से होता रहा है।
    5. जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना करने वाला कोई नहीं है। सूर्य को बनाने वाला, चंद्रमा को बनाने वाला कोई नहीं है। उनमें समय के अनुसार घटना बढ़ना होता रहता है। जैन धर्म कहता है कि पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु भी अनादि हैं। जैन धर्म में जीव और अजीव की बात की गई है जीव में चेतना होती है और अजीव में चेतना नहीं होती।

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