खड़िया जनजाति और गोत्र के जानकारी के लिए नीचे 👇पढ़िए खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है| दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो| ढेलकी खड़िया के गोत्र आठ हैं - 1. मुरू- कछुआ; 2. सोरेन (सोरेंग, सेरेंग) या तोरेंग- पत्थर या चट्टान; 3. समाद- एक हरिण? अथवा बागे- बटेर; 4. बरलिहा- एक फल; 5. चारहाद या चारहा - एक चिड़िया; 6. हंसदा या डूंगडूंग या आईंद - एक लंबी मछली; 7. मैल - मैल अथवा किरो- बाघ; 8. तोपनो- एक चिड़िया| किरो : और तोपनो दूसरों से हीन समझे जाते हैं| मुरू और समाद सब से श्रेष्ठ | इन गोत्रों ही के पुरूषों को पंचायतों और सभा- सोसाइटियों में सभापति बनाया जाता है - मुरू- गोत्रीय, “पनदिहा” (पानी देने वाला) और समाद - गोत्रीय “भंडारी” (खचानची) मन जाता है| मुरू खानदान का पुरूष ही खानपान में पहला कौर खा सकता है| पौराणिक कथा तो ऐसी है| गंगपुर के ढेलकी खड़िया कहते हैं कि पुराने समय में जाती के “सियोन” (बड़े) श्राद्ध- भोजन के बाद नदी में नहाने ढोने के लिए उतरे| वर्तमान मैल - गोत्री का पुरखा, धारे के नीचे और मुरू- गोत्री का पुरूष सबसे ऊपर बैठा| नतीजा यह हुआ कि मैल- गोत्री को मैले पानी से नहाना पड़ा; इसलिए यही मैल गोत्री का मूल पुरूष कहा जाता है| दूसरे किस्से से यह पता चलता है कि मुरू वंश ही छोटानागपुर से निकलकर सब से पहले गंगपुर और जशपुर का प्रवेश किया और तोपनों वंश सब से पीछे| पीछे आने के कारण इस गोत्र को दूसरों के चूल्हों और जूठे बर्तनों का इस्तेमाल कनर पड़ा| यों सीए में हीनता रही| दूध खड़िया तो नव गोत्र मानते हैं| वे हैं- 1. डूंगडूंग - एक लंबी मछली; 2. कुलु- कछूवा; 3. समाद अथवा केरकेट्टा- एक पक्षी; 4. बिलूंग- निमक; 5. सोरेंग- चट्टान; 6. बा- धान; 7. टेटेहोंए - एक पक्षी; 8. टोपो से निकले हैं| सामाजिक चौधराई तो प्रथम तीन गोत्रों ही से की जाती है, क्योंकि ये ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं| पर्व0 त्योहारों में ये “कर्ताहास” (मुख्य) ही खाने का श्रीगणेश करते हैं| डूंगडूंग वंश राजा होता है; कुलू रानी और समाद या केरकेट्टा “भंडारी”
Hi sir thank you so much 👌👍you are having great work. Thanks Sir mai Abhiram kharia Baghwar gotor ka hu. Jo Dutch kharia ka he or mai kahna chata hu ki hamara gotor baghwar nam chut gaya he.Hamara gotor Baghwar he.
Toppna as I know Title comes in Munda category. Bilung and Toppa also not reflected . Tetehowin not body calls. They call as Tete. Better to incorporate Tetehowin to Tete. Kerketta Titles comes in Kharia Oroan and Munda. Thank you for info.
खड़िया जनजाति और गोत्र के जानकारी के लिए नीचे 👇पढ़िए खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है| दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो| ढेलकी खड़िया के गोत्र आठ हैं - 1. मुरू- कछुआ; 2. सोरेन (सोरेंग, सेरेंग) या तोरेंग- पत्थर या चट्टान; 3. समाद- एक हरिण? अथवा बागे- बटेर; 4. बरलिहा- एक फल; 5. चारहाद या चारहा - एक चिड़िया; 6. हंसदा या डूंगडूंग या आईंद - एक लंबी मछली; 7. मैल - मैल अथवा किरो- बाघ; 8. तोपनो- एक चिड़िया| किरो : और तोपनो दूसरों से हीन समझे जाते हैं| मुरू और समाद सब से श्रेष्ठ | इन गोत्रों ही के पुरूषों को पंचायतों और सभा- सोसाइटियों में सभापति बनाया जाता है - मुरू- गोत्रीय, “पनदिहा” (पानी देने वाला) और समाद - गोत्रीय “भंडारी” (खचानची) मन जाता है| मुरू खानदान का पुरूष ही खानपान में पहला कौर खा सकता है| पौराणिक कथा तो ऐसी है| गंगपुर के ढेलकी खड़िया कहते हैं कि पुराने समय में जाती के “सियोन” (बड़े) श्राद्ध- भोजन के बाद नदी में नहाने ढोने के लिए उतरे| वर्तमान मैल - गोत्री का पुरखा, धारे के नीचे और मुरू- गोत्री का पुरूष सबसे ऊपर बैठा| नतीजा यह हुआ कि मैल- गोत्री को मैले पानी से नहाना पड़ा; इसलिए यही मैल गोत्री का मूल पुरूष कहा जाता है| दूसरे किस्से से यह पता चलता है कि मुरू वंश ही छोटानागपुर से निकलकर सब से पहले गंगपुर और जशपुर का प्रवेश किया और तोपनों वंश सब से पीछे| पीछे आने के कारण इस गोत्र को दूसरों के चूल्हों और जूठे बर्तनों का इस्तेमाल कनर पड़ा| यों सीए में हीनता रही| दूध खड़िया तो नव गोत्र मानते हैं| वे हैं- 1. डूंगडूंग - एक लंबी मछली; 2. कुलु- कछूवा; 3. समाद अथवा केरकेट्टा- एक पक्षी; 4. बिलूंग- निमक; 5. सोरेंग- चट्टान; 6. बा- धान; 7. टेटेहोंए - एक पक्षी; 8. टोपो से निकले हैं| सामाजिक चौधराई तो प्रथम तीन गोत्रों ही से की जाती है, क्योंकि ये ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं| पर्व0 त्योहारों में ये “कर्ताहास” (मुख्य) ही खाने का श्रीगणेश करते हैं| डूंगडूंग वंश राजा होता है; कुलू रानी और समाद या केरकेट्टा “भंडारी”
डूंगडूंग + डूंगडूंग में शादी नही होता है लड़का - लड़की का अलग-अलग गोत्र हो तभी शादी होगा लेकिन उराँव जनजाति में बहुत ऐसा देखा गया है कि दोनो का एक होने पर गोत्र को छोटा बड़ा करके शादी कर दिया जाता है विशेष कर love married में होता है ( नीचे कुछ लिखा हुआ है उसे पढ़ लेना👇 खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है| दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो|
Very nice gumla se❤❤❤❤❤❤
धन्यवाद भाई
खड़िया जनजाति और गोत्र के जानकारी के लिए नीचे 👇पढ़िए
खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है|
दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो|
ढेलकी खड़िया के गोत्र आठ हैं - 1. मुरू- कछुआ; 2. सोरेन (सोरेंग, सेरेंग) या तोरेंग- पत्थर या चट्टान; 3. समाद- एक हरिण? अथवा बागे- बटेर; 4. बरलिहा- एक फल; 5. चारहाद या चारहा - एक चिड़िया; 6. हंसदा या डूंगडूंग या आईंद - एक लंबी मछली; 7. मैल - मैल अथवा किरो- बाघ; 8. तोपनो- एक चिड़िया| किरो : और तोपनो दूसरों से हीन समझे जाते हैं| मुरू और समाद सब से श्रेष्ठ | इन गोत्रों ही के पुरूषों को पंचायतों और सभा- सोसाइटियों में सभापति बनाया जाता है - मुरू- गोत्रीय, “पनदिहा” (पानी देने वाला) और समाद - गोत्रीय “भंडारी” (खचानची) मन जाता है| मुरू खानदान का पुरूष ही खानपान में पहला कौर खा सकता है|
पौराणिक कथा तो ऐसी है| गंगपुर के ढेलकी खड़िया कहते हैं कि पुराने समय में जाती के “सियोन” (बड़े) श्राद्ध- भोजन के बाद नदी में नहाने ढोने के लिए उतरे| वर्तमान मैल - गोत्री का पुरखा, धारे के नीचे और मुरू- गोत्री का पुरूष सबसे ऊपर बैठा| नतीजा यह हुआ कि मैल- गोत्री को मैले पानी से नहाना पड़ा; इसलिए यही मैल गोत्री का मूल पुरूष कहा जाता है| दूसरे किस्से से यह पता चलता है कि मुरू वंश ही छोटानागपुर से निकलकर सब से पहले गंगपुर और जशपुर का प्रवेश किया और तोपनों वंश सब से पीछे| पीछे आने के कारण इस गोत्र को दूसरों के चूल्हों और जूठे बर्तनों का इस्तेमाल कनर पड़ा| यों सीए में हीनता रही|
दूध खड़िया तो नव गोत्र मानते हैं| वे हैं- 1. डूंगडूंग - एक लंबी मछली; 2. कुलु- कछूवा; 3. समाद अथवा केरकेट्टा- एक पक्षी; 4. बिलूंग- निमक; 5. सोरेंग- चट्टान; 6. बा- धान; 7. टेटेहोंए - एक पक्षी; 8. टोपो से निकले हैं| सामाजिक चौधराई तो प्रथम तीन गोत्रों ही से की जाती है, क्योंकि ये ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं| पर्व0 त्योहारों में ये “कर्ताहास” (मुख्य) ही खाने का श्रीगणेश करते हैं| डूंगडूंग वंश राजा होता है; कुलू रानी और समाद या केरकेट्टा “भंडारी”
Gangapur(Sundargarh-Odisha)
Proud of you sir 👍😌👍
Thanks
खड़िया मे 9 गोत्र है आगे हम खड़िया लोग बतायेंगे
Bahut khoob
Thank you
Baraik gotra ke baare bhi video banaiye
Dada nice video,,Moi vi koshis karottho
Bilkul dada
sir Dudh khariya mein 9 gotra hota h
1 Soreng, 2 ,Dungdung 3, Kerketta, 4 ,Kullu ,5 ,Tete, 6, Bilung ,7 ,बा:, 8, कि डो: , 9 ,टो:प् पो
हां
Hahi hi
Very nice video. good sharing. support from Tinsukia.
Welcome
O laggi johar ❤️❤️❤️
Johar
Kharia jati ka kewal nao gotra hai na ki satra
Hi sir thank you so much 👌👍you are having great work. Thanks Sir mai Abhiram kharia Baghwar gotor ka hu. Jo Dutch kharia ka he or mai kahna chata hu ki hamara gotor baghwar nam chut gaya he.Hamara gotor Baghwar he.
Thank you
Great
भोगता जाति का गोत्र एवं अर्थ पर एक video बनाए
Good afternoon dada Johar dada moke aachh laglack
Good afternoon bhai 🙏Johar
3 KINDS OF KHARIYA-- 1. DUDH KHARIYA, 2. DHELKI KHARIYA& 3. PAHARI KHARIYA.
Thankyou so much
Welcome 🙏
Isme dudh Kharia ke gutro Baghwar too hona chahiya lakin yaha upload nahi hai
Han
Thank you sir
Welcome 🙏
Bhokta janjati video banaye sir
Kerketta konsa pakkhi please bataye dije 🙏
Bahut achha Dada mirdha logo ka batao n Dada
Bhagwar sab ka bhara hai kharia janjati meh ap ne ussa q add nai kiya
Mahli ka bhi banaye
Bhai Oraon me jo gotra hai same gotra mahli me bhi ata hai jati alag hai gotra same hai
Thankyou bro
𝑰 𝒍𝒐𝒗𝒆 𝒌𝒉𝒂𝒅𝒊𝒂
Toppo
धनवार
धनवार - धान
mera gotra back hai yani namak ya non hai surname kya likh sakte hain
Toppna as I know Title comes in Munda category. Bilung and Toppa also not reflected . Tetehowin not body calls. They call as Tete. Better to incorporate Tetehowin to Tete. Kerketta Titles comes in Kharia Oroan and Munda. Thank you for info.
मैं नंदकुमार खड़िया छत्तीसगढ़ से बाघ गोत्र से
बघवार सदानी भाषा में लिखते हैं लेकिन उसी को खड़िया भाषा में कीड़ों या किरो लिखते हैं ।❤
Rohtashgarh killa kiska h bhai ye pahle bata do
Sancha gotr koun sa janjati hai
Dudh kharia me samad nai aata hai
Sir Gour jati ka gotro k bare m ek video banau
इसका एक अलग से वीडियो बनाऊँगा
Dudh Khariya 9 Gotar hii - TETE,KIRO, KERKETTA, DUNGDUNG, BAA, SORENG, BILUNG , KULLU & TO:PPO.
Ok
EK chorahai. Lugon Gotro
Sir munda खड़िया उरांव tino एक ही हैं क्या
कुछ गोत्र मिलता जुलता है
Delki khadia ka Ghotra pura galat btao ho jo Ghotra bata rahe ho wo pura dut khadia ka h
Hlo sir kharia caste me hi noniya caste aati h kya sir
नही
Tappo ek chidiyaa ka nam bagterka nam se
Vai toppo gotor kharia me kon sa segi ko bolta hi
Tappo v ek chidiya ka nam he
Dudh kharia me 9 gotra hota hai sir aap 8 gotra hi likhe hai o bhi galat
Hasda ka3 borg ko thoda samjhaiyea
Kya khadiya or oraon language milte h
खड़िया मुंडा उरांव तीनों एक ही हैं
Kharia में 9 गोत्र
हैं मात्र बाकी। अन्य जाति के है
।
Kharia 3 prakar ka hain
Pahari kharia
Dhelki kharia
Dudh kharia
Dhuth kharia me 9 gotra he
Hiran nahi hota
Iha 2gotra chut gaye he
Kiro or tappo baki thik he
Hlo sir ,बेदिया जाति का विडियो बनाये!
बिल्कुल बनाऊंगा
खड़िया जाति में कुल 09 गोत्र हैं। 17 नहीं है।
✔
Tete ji apne sahi kaha 9 gotra hai
T:PPO। Bilung नहीं हुआ ।
Toppo bhi Dudh khariya me aata hai aad karo
Bhagwar v ha dud kharia ma
AK hai Dhanwar Jan jathi khariy me
chero
Munda cast me toppo gotra ka arth
Toppo ya toppowar ka arth
कछुआ
Sir koi aap do kharia bhasha sikhne ke liye
Sir. Samad dudh khariya me nahi hota h apko galt phahmi ho gaya h
एक मछली,लंबी मछली, एक चिड़िया - नाम तो बताओ कौन सी मछली या चिड़िया। पूरी जानकारी दीजिए।
Santhali ka pls.
Horo gotra ka arth batayen
Bhai Topno khadiya me nhi Munda me hota hai
Sir apne Dudh aur Dhelki kharia ka jikr to kiye lekin, Lekin Pahadi kharia ko bhool gaye
खड़िया जनजाति और गोत्र के जानकारी के लिए नीचे 👇पढ़िए
खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है|
दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो|
ढेलकी खड़िया के गोत्र आठ हैं - 1. मुरू- कछुआ; 2. सोरेन (सोरेंग, सेरेंग) या तोरेंग- पत्थर या चट्टान; 3. समाद- एक हरिण? अथवा बागे- बटेर; 4. बरलिहा- एक फल; 5. चारहाद या चारहा - एक चिड़िया; 6. हंसदा या डूंगडूंग या आईंद - एक लंबी मछली; 7. मैल - मैल अथवा किरो- बाघ; 8. तोपनो- एक चिड़िया| किरो : और तोपनो दूसरों से हीन समझे जाते हैं| मुरू और समाद सब से श्रेष्ठ | इन गोत्रों ही के पुरूषों को पंचायतों और सभा- सोसाइटियों में सभापति बनाया जाता है - मुरू- गोत्रीय, “पनदिहा” (पानी देने वाला) और समाद - गोत्रीय “भंडारी” (खचानची) मन जाता है| मुरू खानदान का पुरूष ही खानपान में पहला कौर खा सकता है|
पौराणिक कथा तो ऐसी है| गंगपुर के ढेलकी खड़िया कहते हैं कि पुराने समय में जाती के “सियोन” (बड़े) श्राद्ध- भोजन के बाद नदी में नहाने ढोने के लिए उतरे| वर्तमान मैल - गोत्री का पुरखा, धारे के नीचे और मुरू- गोत्री का पुरूष सबसे ऊपर बैठा| नतीजा यह हुआ कि मैल- गोत्री को मैले पानी से नहाना पड़ा; इसलिए यही मैल गोत्री का मूल पुरूष कहा जाता है| दूसरे किस्से से यह पता चलता है कि मुरू वंश ही छोटानागपुर से निकलकर सब से पहले गंगपुर और जशपुर का प्रवेश किया और तोपनों वंश सब से पीछे| पीछे आने के कारण इस गोत्र को दूसरों के चूल्हों और जूठे बर्तनों का इस्तेमाल कनर पड़ा| यों सीए में हीनता रही|
दूध खड़िया तो नव गोत्र मानते हैं| वे हैं- 1. डूंगडूंग - एक लंबी मछली; 2. कुलु- कछूवा; 3. समाद अथवा केरकेट्टा- एक पक्षी; 4. बिलूंग- निमक; 5. सोरेंग- चट्टान; 6. बा- धान; 7. टेटेहोंए - एक पक्षी; 8. टोपो से निकले हैं| सामाजिक चौधराई तो प्रथम तीन गोत्रों ही से की जाती है, क्योंकि ये ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं| पर्व0 त्योहारों में ये “कर्ताहास” (मुख्य) ही खाने का श्रीगणेश करते हैं| डूंगडूंग वंश राजा होता है; कुलू रानी और समाद या केरकेट्टा “भंडारी”
Naik ,Pradhan ,majhi kaha geya
Kerketta orean Or khadiya do kaise aa te hai
केरकेट्टा गोत्र- उराँव, मुंडा, खड़िया ये तीनो जाति में है
@@kurukhbhashatv939 to Phir jo munda hai astro asiatic Branch hai aur oraon Dravidian family se to yeh kaise
@@sureshvedia6889😂😂 bhai woh gotr hai jo 200 saal ke andar aaya hai
yee Christian hoty hai kyaa bhaiyaa
Gotr ka matalab kya hota hai
Khadia jati ka janm keisehua
Kitne bhai Thea ,nam kiya tha, bas bas kanha kia
Ek video banaiye
Oria jati main kitna hai
Kiro gor
Baghwar gotra skiped
बाघवर का अर्थ बाघ
सर आपसे मेरी एक सवाल का उत्तर चाहिए ,' सर Dungdung +Dungdung मे शादी हो सकती है ) सर उत्तर जरूर दीजिए
डूंगडूंग + डूंगडूंग में शादी नही होता है लड़का - लड़की का अलग-अलग गोत्र हो तभी शादी होगा लेकिन उराँव जनजाति में बहुत ऐसा देखा गया है कि दोनो का एक होने पर गोत्र को छोटा बड़ा करके शादी कर दिया जाता है विशेष कर love married में होता है ( नीचे कुछ लिखा हुआ है उसे पढ़ लेना👇
खड़िया- पहले लेखों में यह कहा गया है कि खड़िया लोग तीन वर्गों के होते हैं - दूध. ढेलकी खड़िया, पहाड़ी खड़िया| इनमें पहाड़ी खड़िया सब से निम्न श्रेणी के समझे जाते हैं और दूध सब से सभ्य| छोटानागपुर की अन्य जातियों के समान इनमें भी गोत्र- प्रथा जाती है| सिर्फ मयूरभंज के पहाड़ी खड़िया इस संस्था से वंचित हैं; हाँ मानभूम और सिंहभूमि के रहनेवाले गोत्र प्रथा को कुछ-कुछ मानते हैं|विचित्रता यह भी है कि मयूरगंज के सगोत्र, आपस में शादी-सगाई जोड़ते हैं| यों, मयूरभंजी, अपने “पदित” (उपनाम) और अपनी “संज्ञा” (उपाधि) के अंदर शादी तो कर सकता है; पर अपने घराने के परिवारों के साथ उसका विवाह वर्जित है|
दूसरे खड़िया लोग गोत्र की नीति-रीति रखते हैं| सगोत्र खड़ियाओं का ख्याल है कि हम सब एक ही पुरूष- पुरखे के वंशज हैं| कि हम भाई-बहन हो एक वृहत घराने अंग-अंग हैं| इस स्थिति में वैवाहिक नाता जोड़ा नहीं जा सकता; जो जोड़े वह गोत्रवध का दोषी ठहरता है| तो इस सजातीय संगठन का ध्येय यही है कि गोत्र - बाहर विवाह का सुरक्षण हो और सजातीय में सामाजिक सुप्रबंध हो|
सर इस बड़ी जनकारी देने के लिए आपको बहुत बहुत दिल से धन्यवाद ❤🌹
Santal gudr
To:ppo ka gotr kya hoga
टोप्पो गोत्र का अर्थ 👇👇
ruclips.net/video/9MQve0787sk/видео.html
Topwar nahi bola
Han
Minj endwar sem hain dada
Han
Kharia tribe ka aaj tak 9 gotra 50 sal se sun jan rahe hai . Kahan se 17 gotra Aap duniya ko bata rahe hai. Munda aur kurukh se millawat nai n kijiye.
😂😂 ing kharia ading odo delki te 9 gotra hoyta
1Suren
2mudu
3Hasda
4topno
5bage
6charhat
7barliha
8samad
9moil ok
Sahi bat hai
Sahi bat hai
Wrong information diye Hain.
गलत वीडियो हैं
Bilkul galat hai bina janne ka prachar kar rahe ho
To sahi kya h ?
Toppno chhut gaya