स्त्री और पुरुष परस्पर आकर्षण के शिकार क्यों होते हैं ? आचार्य प्रशान्त शर्मा

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  • Опубликовано: 16 окт 2024
  • सभी धर्म ग्रंथों को हम पढ़ लेते हैं फिर भी उसके बाद हम स्त्री के मोह या अन्य किसी प्रकार के मोह को क्यों नहीं छोड़ पाते हैं
    #darshnik_vichar

Комментарии • 428

  • @darshnikvichar
    @darshnikvichar  4 года назад +27

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    • @rkvideo2260
      @rkvideo2260 2 года назад

      आचार्य जी प्रश्न ये उठता है कि हम क्यों यहा आये है हम सब भोगने के लिए यहा आये है , और भोग रहे है वासना कोई गलत चीज़ नही है इसी के द्वारा आपका निर्माण भी हुआ है नही ये ना होता तो आप यहा लेक्चर न देते यहा इसलिए वासना भी हमारा अभिन्न अंग है और समस्त प्राणी इसका उपभोग करते है ,और आनंद की प्राप्ति करते है और यह उनका जन्मसिद्ध अधिकार है सबको आंनद भोगने दीजिये

  • @khalidmehmood-ww9tq
    @khalidmehmood-ww9tq 4 года назад +30

    १००% सत्य
    सुन्दर प्रस्तुति, भोजन के साथ साथ संस्कारों का भी सात्विक होना आवश्यक‌ हॆ।

  • @sssr3896
    @sssr3896 4 года назад +131

    गुरुकुल का नष्ट होना ही आज सम्पूर्ण विश्व की परेशानीयों की जड़ है, क्योंकि संस्कार गुरुकुल से ही प्राप्त होते थे.

    • @gopalverma2916
      @gopalverma2916 4 года назад +3

      bahut hi sundar and saral par gahary bat chintan prayas hona hi chahia

    • @Gauri774
      @Gauri774 4 года назад +4

      True...

    • @gaurawsingh5744
      @gaurawsingh5744 4 года назад +2

      क्या अपने मा बहन को देख कर भी कोई ऐसा सोच सकता है? नहीं न, हमे सोच बदलने की जरूरत है। सबसे पहले गलत काम को गलत मानना पड़ेगा। हम दूसरे गलत कामों में सुख नहीं ढूंढते, लेकिन काम वासना रूपी गलत काम में सुख ढूंढते है। हमे सजा का खौफ नहीं है, अपने चरित्र पर कलंक लगने का, मार खाने का डर ही नहीं है। हम ईश्वर के न्याय से डरते ही नहीं है। हम ये मानते ही नहीं की कर्मफल अटल है अर्थात् जो जैसा गलत काम करेगा वैसा लात खाएगा। यदि हम इन चीजों को गलत मानते है, तो सुधरना आसान है।
      🌅 🌅
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते।
      संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 60_
      ---
      भावार्थ:
      सांसारिक सुख के विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
      स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 61_
      ---
      भावार्थ:
      क्रोध से अत्यन्त मूढ़ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़ भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्धि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश हो जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      कोई इच्छाशक्ति की जरूरत नहीं है, मनुष्य जैसी संगति करता है जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता जाता है...माया के तीन गुणों मे सतोगुण है सबसे शक्तिशाली ..जो इसमें आशक्त होगया, इसके जाल में फस गया...उसे भक्ति मुकती ज्ञान के अलावा दूसरा कुछ सूझता नहीं, सतोगुण मतलब जप तप धयान भजन स्वाध्याय से है...सभी जीवो में परमात्मा का भाव, स्त्री को माता बहन की नजर से देखना, सारे संसार को एक परिवार मानना परन्तु शर्त ये है कि पहले का अभ्यास न होने के वजह से शुरुआत में ये विष के समान लगता है जब २४ घंटे की संगत हो जाने के बाद यह असर दिखाना चालू कर देता है
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्‌।
      सुखसङ्‍गेन बध्नाति ज्ञानसङ्‍गेन चानघ॥*
      _अध्याय 14, श्लोक 6_
      ---
      भावार्थ:
      हे निष्पाप! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के सम्बन्ध से और ज्ञान के सम्बन्ध से अर्थात उसके अभिमान से बंधता है॥
      सतोगुण में इंसान का अहंकार , मन बुद्धि इन्द्रिय द्वारा अध्यात्मिक सुख और ज्ञान को पकड़ के बैठ जाता है, अपना कर्तव्य कर्म भूल जाता है इसलिए बंधन में फस जाता है...अहंकार से मुक्ति के लिए मन द्वारा निरंतर सिर्फ परमात्मा का चिन्तन करते हुए निस्वार्थ भाव से फल की चिंता न करते हुए कर्तव्य कर्म करना चाहिए
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏

    • @sssr3896
      @sssr3896 4 года назад +1

      @@gaurawsingh5744 I totally agree with you. Thank you.

    • @__vaidic__purush_
      @__vaidic__purush_ 3 года назад +1

      @@gaurawsingh5744 tumhari behen ke saath tum shadi nai karoge kya iska matlab ye hai ki tum kisi se shadi nai karoge?
      Kya chiz ko dekhkar kya man me aata hai kya ye hme pata nai hai?
      Pehle to nazriya ki baat chhod do aur science padho jake...

  • @vanshshrimali7969
    @vanshshrimali7969 3 года назад +13

    मुझे गर्व होता है कि मे ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा हु । ओर अभी उम्र 18 ही है 25 कि उम्र तक ब्रह्मचारी ही रहुगा । जय सनातन धर्म 🕉️

  • @vishalyadav6674
    @vishalyadav6674 4 года назад +31

    गुरु जी बहुत प्रभावित हो गया मै आपकी बात सुनकर। आपने बहुत तरीके से सब बता दिया

  • @ISHAN-JOSHI
    @ISHAN-JOSHI 4 года назад +81

    अगर ये सब बातें बचपन में पढाई के वक्त सिखाई गयी होती तो अच्छा होता

    • @kushwahaconcept2.025
      @kushwahaconcept2.025 4 года назад +1

      Correct

    • @gaurawsingh5744
      @gaurawsingh5744 4 года назад +3

      क्या अपने मा बहन को देख कर भी कोई ऐसा सोच सकता है? नहीं न, हमे सोच बदलने की जरूरत है। सबसे पहले गलत काम को गलत मानना पड़ेगा। हम दूसरे गलत कामों में सुख नहीं ढूंढते, लेकिन काम वासना रूपी गलत काम में सुख ढूंढते है। हमे सजा का खौफ नहीं है, अपने चरित्र पर कलंक लगने का, मार खाने का डर ही नहीं है। हम ईश्वर के न्याय से डरते ही नहीं है। हम ये मानते ही नहीं की कर्मफल अटल है अर्थात् जो जैसा गलत काम करेगा वैसा लात खाएगा। यदि हम इन चीजों को गलत मानते है, तो सुधरना आसान है।
      🌅 🌅
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते।
      संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 60_
      ---
      भावार्थ:
      सांसारिक सुख के विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
      स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 61_
      ---
      भावार्थ:
      क्रोध से अत्यन्त मूढ़ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़ भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्धि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश हो जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      कोई इच्छाशक्ति की जरूरत नहीं है, मनुष्य जैसी संगति करता है जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता जाता है...माया के तीन गुणों मे सतोगुण है सबसे शक्तिशाली ..जो इसमें आशक्त होगया, इसके जाल में फस गया...उसे भक्ति मुकती ज्ञान के अलावा दूसरा कुछ सूझता नहीं, सतोगुण मतलब जप तप धयान भजन स्वाध्याय से है...सभी जीवो में परमात्मा का भाव, स्त्री को माता बहन की नजर से देखना, सारे संसार को एक परिवार मानना परन्तु शर्त ये है कि पहले का अभ्यास न होने के वजह से शुरुआत में ये विष के समान लगता है जब २४ घंटे की संगत हो जाने के बाद यह असर दिखाना चालू कर देता है
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्‌।
      सुखसङ्‍गेन बध्नाति ज्ञानसङ्‍गेन चानघ॥*
      _अध्याय 14, श्लोक 6_
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      भावार्थ:
      हे निष्पाप! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के सम्बन्ध से और ज्ञान के सम्बन्ध से अर्थात उसके अभिमान से बंधता है॥
      सतोगुण में इंसान का अहंकार , मन बुद्धि इन्द्रिय द्वारा अध्यात्मिक सुख और ज्ञान को पकड़ के बैठ जाता है, अपना कर्तव्य कर्म भूल जाता है इसलिए बंधन में फस जाता है...अहंकार से मुक्ति के लिए मन द्वारा निरंतर सिर्फ परमात्मा का चिन्तन करते हुए निस्वार्थ भाव से फल की चिंता न करते हुए कर्तव्य कर्म करना चाहिए
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏

    • @chhotulalpatil6897
      @chhotulalpatil6897 4 года назад +1

      बच्चे मन के सच्चे। सही है, बचपन से ऐसा संस्कार होना जरूरी था। दस बच्चे मे से एक पर जरूर असर होकर १० टक्का १०० टक्का गंदगी पर भारी होता। कलयुग का आदमी का ❓मत पूछो आप समजदार हो तो समजो।धन्यवाद😘💕

  • @जगदीशप्रसादगौङमहाराज

    भीतर की आँखे खोलने वाला प्रवचन है आपका ,प्रणाम आचार्य जी, ओउम्

  • @surajmalbalotiya8735
    @surajmalbalotiya8735 4 года назад +15

    वासनाओं का प्रवाह अतितीव्र होता है , यही कारण है के सनातन वर्ग में कहा जाता है कि भाई , पराई स्त्री को मातृभाव से देखना और व्यवहार करना मानव के लिये , भौतिक , आध्यात्मिक और अनुषाशनात्मक दृष्टिकोण से भी जीवन के लिये उत्तम होता है ॥

  • @Yogirambhai.9621
    @Yogirambhai.9621 2 года назад +3

    आचार्य जी आप को शत-शत नमन प्रणाम अबकी वाणी से इन विचारों को इन शब्दों को सुनकर मेरे रोम रोम खड़े हो गए ऐसा ही सत्यता पूर्ण तर्कपूर्ण विवेक पूर्वक सभी संत यदि बात रखें सत्संग करें प्रवचन करें तो समाज में अभी भी बदलाव तीव्र गति से हो सकते हैं आचार्य जी ऐसे ही विस्तृत जानकारी देते रहे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आभार शत शत नमन प्रणाम

  • @devidayalsharma3822
    @devidayalsharma3822 4 года назад +18

    सरल शब्दों में तात्विक ज्ञान

  • @lokendrabhati1808
    @lokendrabhati1808 2 года назад +1

    अत्यंत दुर्लभ ज्ञान.. पुस्तकों में तो बहुत कुछ लिखा हुआ होता है परंतु आपके माध्यम से जो ज्ञान श्रुति प्राप्त हुई वो अमूल्य है..धन्यवाद गुरुवर इसी प्रकार से ज्ञान की ज्योति से हम अज्ञानियो को प्रज्वलित करते रहे....

  • @zafarazami7990
    @zafarazami7990 3 года назад +4

    Great sir bahut hi achhi baat batai aapne...fan hogaya main aapka

  • @vinod22kar
    @vinod22kar Год назад

    🙏Gurudev!! Om!! Apaki baatein such me sochane ko majboor kar rahi hai.Aur Kitana satik aur samarpak spashtikaran aap dete ho.Aapki baatein katha kirtan sunane se acchhi hai. Sahi me Aisa kisi ne aaj tak pure knowledge kisi ne nahi Diya sabhi log marketing karte hai.Jai ho 🙏apko Mera pranam gurdev!!

  • @Aarya_Rajan
    @Aarya_Rajan 4 года назад +33

    ये बात तो है भाई ....संस्कार और अनादि वासनाओं का वेग....जीवन का कब विनाश कर देता है बोध ही नहीं होता... बाद में बस पछतावा.... ओम् ।

    • @rabindranathdwivedi9504
      @rabindranathdwivedi9504 4 года назад

      C
      I in TV

    • @gaurawsingh5744
      @gaurawsingh5744 4 года назад

      क्या अपने मा बहन को देख कर भी कोई ऐसा सोच सकता है? नहीं न, हमे सोच बदलने की जरूरत है। सबसे पहले गलत काम को गलत मानना पड़ेगा। हम दूसरे गलत कामों में सुख नहीं ढूंढते, लेकिन काम वासना रूपी गलत काम में सुख ढूंढते है। हमे सजा का खौफ नहीं है, अपने चरित्र पर कलंक लगने का, मार खाने का डर ही नहीं है। हम ईश्वर के न्याय से डरते ही नहीं है। हम ये मानते ही नहीं की कर्मफल अटल है अर्थात् जो जैसा गलत काम करेगा वैसा लात खाएगा। यदि हम इन चीजों को गलत मानते है, तो सुधरना आसान है।
      🌅 🌅
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते।
      संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 60_
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      भावार्थ:
      सांसारिक सुख के विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
      स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 61_
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      भावार्थ:
      क्रोध से अत्यन्त मूढ़ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़ भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्धि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश हो जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      कोई इच्छाशक्ति की जरूरत नहीं है, मनुष्य जैसी संगति करता है जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता जाता है...माया के तीन गुणों मे सतोगुण है सबसे शक्तिशाली ..जो इसमें आशक्त होगया, इसके जाल में फस गया...उसे भक्ति मुकती ज्ञान के अलावा दूसरा कुछ सूझता नहीं, सतोगुण मतलब जप तप धयान भजन स्वाध्याय से है...सभी जीवो में परमात्मा का भाव, स्त्री को माता बहन की नजर से देखना, सारे संसार को एक परिवार मानना परन्तु शर्त ये है कि पहले का अभ्यास न होने के वजह से शुरुआत में ये विष के समान लगता है जब २४ घंटे की संगत हो जाने के बाद यह असर दिखाना चालू कर देता है
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्‌।
      सुखसङ्‍गेन बध्नाति ज्ञानसङ्‍गेन चानघ॥*
      _अध्याय 14, श्लोक 6_
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      भावार्थ:
      हे निष्पाप! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के सम्बन्ध से और ज्ञान के सम्बन्ध से अर्थात उसके अभिमान से बंधता है॥
      सतोगुण में इंसान का अहंकार , मन बुद्धि इन्द्रिय द्वारा अध्यात्मिक सुख और ज्ञान को पकड़ के बैठ जाता है, अपना कर्तव्य कर्म भूल जाता है इसलिए बंधन में फस जाता है...अहंकार से मुक्ति के लिए मन द्वारा निरंतर सिर्फ परमात्मा का चिन्तन करते हुए निस्वार्थ भाव से फल की चिंता न करते हुए कर्तव्य कर्म करना चाहिए
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏

  • @shivakshijangid9618
    @shivakshijangid9618 4 года назад +30

    दार्शनिक ज्ञान😊🙏

  • @Classess-1111
    @Classess-1111 4 года назад +18

    आपने सत्य कहा।स्पर्शिन्द्री अति प्रबल है। जिसने इसे जीता उसने जग जीता। 🙏

    • @kuldeeppawar8432
      @kuldeeppawar8432 4 года назад

      इतना जोर लगाने के बाद आप इंद्रजीत भी बन जाओ उसके बाद आपको क्या मिलेगा एक अहंकार ही उत्पन्न दुनिया में हो सकता है कि आपकी जय-जय कार हो यह वैसा ही है जैसे अाच को राख के नीचे दबाना वासनाओं की आंधी चलेगी तो यह राख उड़ जाएगी और आंच नीचे से फिर प्रज्वल हो जाएगी यह चक्कर आदि अनादि तक खत्म नहीं होगा ," बांबी पीटी सांप ना मुआ " इसका एक ही हाल है के अंदर के जो वासनाओं के मसाले धरे हुए हैं उसको खत्म करना वह चाहे भोग कर हो चाहे निराश होकर के जब इस का अनभव बढ़ेगा तब कुछ हासिल और इसके बाद फिर आत्मा का कोई टारगेट भी होना चाहिए यह तो ठीक है के कुछ टाइम के लिए हम इंद्रियां रोक सकते हैं जबरदस्ती लेकिन यह तो कंट्रोल है जब कंट्रोल हटा तो फिर वासना के वच्छीभूत हो करके इंद्रियों के रसों में पड़ जाएगा सीधा सीधा मतलब तो यह है कि यह जो पांच विकार हैं इनका मसाला झड़ जाए और मन निर्मल हो करके उस प्रभु परमात्मा के चरणों में जुड़ जाए खाली इंद्रजीत बन कर भी हमें क्या हासिल मेरा यह मतलब नहीं है कि हम इंद्रियों के भोग भोगे समझना मेरी बात

  • @aryashashibhushanjha3886
    @aryashashibhushanjha3886 4 года назад +17

    धन्यवाद भाई जी , आप ने आज मन पर से पर्दा उठा दिया धन्यवाद भाई जी

  • @Rohit_manik214
    @Rohit_manik214 4 года назад +21

    बहुत अच्छे विषय पर बात कि आचार्य जी सादर प्रणाम
    ओम् आर्यावर्त🌍 🕉🕉🙏🏻

    • @SantoshSharma-rz3lt
      @SantoshSharma-rz3lt 3 года назад

      Aap log bahot achchha kar rhe h aap logo ko naman h hamara❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏

  • @abhinavsharma3424
    @abhinavsharma3424 2 года назад +1

    Guru ji Charan sparsh Jai shree radhe Krishna 🙏

  • @Mr_Original_
    @Mr_Original_ 4 года назад +18

    Wonderful & Practically Knowledge 💖
    You Are Right ✅ Ek dum 100℅ About Women.. 🙏

  • @vinay.hirkane.358
    @vinay.hirkane.358 3 года назад +2

    जय। भीम बहुत अच्छे विचार है

  • @umashankarjangid8848
    @umashankarjangid8848 2 года назад

    बहुत अच्छा वीडियो है।

  • @aayushgupta3246
    @aayushgupta3246 2 года назад +1

    Aise hi uttar ki khoj kai dino se thi..aaj saral shabdo me prapt hua..,aap ka bahut-bahut dhanyawad...🙏🙏🙏

  • @ramayanbybabahanuman6776
    @ramayanbybabahanuman6776 4 года назад +15

    आचार्य जी कामवासना ने सप्तर्षियों में महान विश्वमित्र को नहीं छोड़ा

    • @aadarshgupta2526
      @aadarshgupta2526 3 года назад +3

      परंतु उन्होंने ही रंभा को लात मार कर भगाया था।

  • @yougeshchouhan9974
    @yougeshchouhan9974 4 года назад

    शानदार प्रस्तुति है, संतगी

  • @dr.taragupta3782
    @dr.taragupta3782 4 года назад +1

    स्वामी जी आप के प्रवचन में ऐसा लग रहा है कि आप स्त्रियों को ही दोषी मान रहे हैं बहुत सारी बातों से हम आप से सहमत हैं संस्कार और मनोविज्ञान का संबंध भी अगर विस्तार से समझाते तो हमें ज्यादा अच्छा लगता कहीं-कहीं कहीं आप ने स्पष्ट तो किया है इसके लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद
    डॉ तारा गुप्ता 98107 2791

    • @darshnikvichar
      @darshnikvichar  4 года назад +4

      दोषी दोनों ही होते हैं स्त्री और पुरुष

    • @dr.taragupta3782
      @dr.taragupta3782 4 года назад

      बहुत शुक्रिया आपका स्वामी जी

    • @Aao_Baat_Krenge
      @Aao_Baat_Krenge 4 года назад +2

      Acharya prashant ko suniye

    • @drvk6776
      @drvk6776 25 дней назад

      ​@आओ_बात_करेंगे आचार्य प्रशांत की बातें शास्त्रोक्त नहीं है.... मनघंत है.... धोखाधड़ी है

  • @highlyacidic5009
    @highlyacidic5009 4 года назад +10

    आपके प्रवचन हमें बुरे संस्कार छुड़वाने में मदत कर रहें हैं l

  • @chhotulalpatil6897
    @chhotulalpatil6897 4 года назад +3

    आचार्य जी प्रणाम। इंद्रिय काम, क्रेाध,लोभ, मोह, माया, मत्सर यह तप के भागीदारी होना बहोत जरूरी है। परंतु जादा से जादा यह विरोधी होते है। तप सफल से विफल हो जाता है। वह सब भागीदार बने इसलीए उन्हे विवेक का प्रलोभन देना होगा। बहुत अच्छा समझाया आपने। धन्यवाद😘💕

  • @brajpalsingh4852
    @brajpalsingh4852 2 года назад

    बहुत सही विचार और विश्लेषण आचार्य जी प्रमाण सहित आभार आपका जी नमस्ते जी

  • @sagardeshmukh8657
    @sagardeshmukh8657 4 года назад +9

    I agree with you, Acharya ji. It's my own experience and almost 10 years have passed still trying to control my willing. For today's world this is just a ' foolish act ' but I believe in spiritual life. That's why I have not given up.
    Please give me some advice about brahmacharya.
    Thank you.

    • @gaurawsingh5744
      @gaurawsingh5744 4 года назад +1

      क्या अपने मा बहन को देख कर भी कोई ऐसा सोच सकता है? नहीं न, हमे सोच बदलने की जरूरत है। सबसे पहले गलत काम को गलत मानना पड़ेगा। हम दूसरे गलत कामों में सुख नहीं ढूंढते, लेकिन काम वासना रूपी गलत काम में सुख ढूंढते है। हमे सजा का खौफ नहीं है, अपने चरित्र पर कलंक लगने का, मार खाने का डर ही नहीं है। हम ईश्वर के न्याय से डरते ही नहीं है। हम ये मानते ही नहीं की कर्मफल अटल है अर्थात् जो जैसा गलत काम करेगा वैसा लात खाएगा। यदि हम इन चीजों को गलत मानते है, तो सुधरना आसान है।
      🌅 🌅
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते।
      संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 60_
      ---
      भावार्थ:
      सांसारिक सुख के विषयों का चिन्तन करने वाले पुरुष की उन विषयों में आसक्ति हो जाती है, आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पड़ने से क्रोध उत्पन्न होता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
      स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥*
      _अध्याय 2, श्लोक 61_
      ---
      भावार्थ:
      क्रोध से अत्यन्त मूढ़ भाव उत्पन्न हो जाता है, मूढ़ भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है, स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्धि अर्थात ज्ञानशक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश हो जाने से यह पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है॥
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏
      कोई इच्छाशक्ति की जरूरत नहीं है, मनुष्य जैसी संगति करता है जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता जाता है...माया के तीन गुणों मे सतोगुण है सबसे शक्तिशाली ..जो इसमें आशक्त होगया, इसके जाल में फस गया...उसे भक्ति मुकती ज्ञान के अलावा दूसरा कुछ सूझता नहीं, सतोगुण मतलब जप तप धयान भजन स्वाध्याय से है...सभी जीवो में परमात्मा का भाव, स्त्री को माता बहन की नजर से देखना, सारे संसार को एक परिवार मानना परन्तु शर्त ये है कि पहले का अभ्यास न होने के वजह से शुरुआत में ये विष के समान लगता है जब २४ घंटे की संगत हो जाने के बाद यह असर दिखाना चालू कर देता है
      🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉
      *तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्‌।
      सुखसङ्‍गेन बध्नाति ज्ञानसङ्‍गेन चानघ॥*
      _अध्याय 14, श्लोक 6_
      ---
      भावार्थ:
      हे निष्पाप! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार रहित है, वह सुख के सम्बन्ध से और ज्ञान के सम्बन्ध से अर्थात उसके अभिमान से बंधता है॥
      सतोगुण में इंसान का अहंकार , मन बुद्धि इन्द्रिय द्वारा अध्यात्मिक सुख और ज्ञान को पकड़ के बैठ जाता है, अपना कर्तव्य कर्म भूल जाता है इसलिए बंधन में फस जाता है...अहंकार से मुक्ति के लिए मन द्वारा निरंतर सिर्फ परमात्मा का चिन्तन करते हुए निस्वार्थ भाव से फल की चिंता न करते हुए कर्तव्य कर्म करना चाहिए
      🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉
      ॐ नमो नारायण 🙏

  • @susheelkumarsharma402
    @susheelkumarsharma402 4 года назад +3

    अपने को अन्तरमुखी करके अपने राम में ही शांत होने का प्रयास करे मन, इन्द्रियां सब धीरे धीरे शान्त हो जायेगे एवं विवेक भी जाग्रत हो जायेगा।

  • @Ugotthis772
    @Ugotthis772 3 года назад +1

    Are vah vah guruji , kya baate kahi h aapne.

  • @vivekbhardwaj5301
    @vivekbhardwaj5301 Год назад

    ADBHUT PRAVACHAN ACHARYA JI

  • @madanlalgaurkar7702
    @madanlalgaurkar7702 3 года назад

    बहुत सुन्दर

  • @raghurajsingh3421
    @raghurajsingh3421 3 года назад

    बहुत सटीक और सुंदर 🙏🙏

  • @chandrakantsonawane9103
    @chandrakantsonawane9103 4 года назад +2

    Very good lecture for emotion control.Thank you very much.

  • @yougeshchouhan9974
    @yougeshchouhan9974 4 года назад +3

    आपके चितन मनन तथा ज्ञान को शत-शत नमन ।

  • @DINESHPRAJAPATI-lq7ei
    @DINESHPRAJAPATI-lq7ei 4 года назад +2

    मैं कई कई सालों से साधना कर रहा हूं ब्रह्मचारी पालन कर रहा हूं ग्रस्त होने के बावजूद भी मेरी मेरी स्त्री के साथ में रहती है तो आज आपने मेरा भ्रम दूर कर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद गुरु जी

  • @WPI.
    @WPI. 4 года назад +7

    अति उत्तम आचार्य जी।🙏🙏

  • @UmeshKumar-ho8jv
    @UmeshKumar-ho8jv 3 года назад

    Great though

  • @manishachaudhary1069
    @manishachaudhary1069 Год назад +1

    इस संसार का त्याग करना गलत है किन्तु उसे जीना सही है सही रूप मै सही विधि के साथ ज्ञान और समझ के साथ हमें हमारी वास्तविकता ज्ञात हो, यह अध्यात्म कहता है हम संसार मै ना रहे यह अध्यात्म नहीं कहता है हम सत्य के साथ जीवन जिय यही अध्यात्म है क्योंकि अज्ञान के कारण हम दुःखी होते है अज्ञान के कारण हम मोह माया मै फसकर दुःखी होते है अध्यात्म सत्य से अवगत कराता है और जीवन क़ो सही दिशा देता है संसार के त्याग करना किसी अध्यात्म के लिए गलत है क्योंकि त्याग नहीं करना है उस राश्ते पर चलना है जिससे सब कुछ ख़ुद से ही छूट जाये छोड़ना नहीं है छूट जाये यह सही है क्योंकि जो छोड़ा जायेगा वह वापस पकड़ लेगा किन्तु जो छूट जायेगा उसके वापस आने कि सम्भावना नहीं होती है

  • @spsingh5580
    @spsingh5580 4 года назад +1

    बहुत सुन्दर विश्लेषण आपको बहुत बहुत धन्यवाद इतनी अच्छी तरह से आप नेइतने गूढ रहस्य कोसमझाया आप वास्तव में बधाई के पात्र हैं

  • @manmohan6787
    @manmohan6787 Год назад

    Very useful talk by Acharya ji

  • @dineshgupta-fi7zd
    @dineshgupta-fi7zd 4 года назад +4

    Isko main apne sabhi doston me share krunga

  • @आर्य_वैदिक
    @आर्य_वैदिक 3 года назад +1

    अद्भुत आचार्य जी

  • @VirenderJSR
    @VirenderJSR 3 года назад +3

    नमस्ते आचार्य जी इसमे आपने कहा की श्राप देने से उनकी मृत्यु हो गई, क्या ये संभव है कृपा कर बताइए ।

  • @mukeshvaghela9736
    @mukeshvaghela9736 4 года назад +5

    आप का कंथन सही है मैं भी काफी नियमित होने के बावजूद ऐक स्त्री के सम्पर्क में हु ओर सब कुछ हुआ है तो महाराज वो मुझे बार बार बुला रही है मैं क्या करु बड़ी दिक्कत है मुझे क्या बात चीत बन्द करनी चाहिए

    • @happymitra8226
      @happymitra8226 4 года назад

      जहा आनंद मिले उसका भोग लो

    • @jitendrarajguru6071
      @jitendrarajguru6071 4 года назад

      जब जानते हो तो देर क्यों

    • @manishkumarpandit8233
      @manishkumarpandit8233 4 года назад +1

      हार जाना कायर का काम होता है हम पूरा नियम के साथ निरंतर अभ्यास करेगें हम एक दिन जीत जाएंगे

    • @happymitra8226
      @happymitra8226 4 года назад

      आनंद का भोग करो,नसीब वालों को ही मिलता है,आनंद का मज़ा नहीं लेना चाहते हो तो हमारे no,de दो,हम संभाल लेंगे,आपको याद भी रखेंगे

    • @happymitra8226
      @happymitra8226 4 года назад +1

      @@manishkumarpandit8233 शाबाश सबसे बड़ी लड़ाई खुद की लड़ाई होती है,अपनेआप की लड़ाई में जो जीतता वह बाद में कम ही हारता है

  • @humanonly5498
    @humanonly5498 4 года назад +6

    Bahut sundar 🙏🙏

  • @aryadinesh7971
    @aryadinesh7971 4 года назад +2

    pura vedio dekha aapki tarkik shakti ko koti koti vandan

  • @suniltrivedi5975
    @suniltrivedi5975 4 года назад

    बहुत सुन्दर... नमन

  • @AjmeraAmit
    @AjmeraAmit 4 года назад +3

    तथ्य और मुल बात यह है की हमारे चित की अंदर ही जन्मो जन्म की हमारी खुद की ही पैदा करी खास प्रकार की चित वासना कीसी जन्म मे बहार के जगत मे आकर्शन का कारण बनती है।

  • @Albertbob11703
    @Albertbob11703 2 года назад

    So divine 🙏🏾🙏🏾

  • @you925
    @you925 3 года назад

    Very good video 🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌👌♥️♥️♥️♥️

  • @rakeshmarbate7707
    @rakeshmarbate7707 4 года назад +16

    नमस्ते आचार्यजी।क्या विवाह करने पर भी इस विषय को नियंत्रित किया जा सकता है?कृपया ऊलझण सुलझाए।

    • @manishjain1600
      @manishjain1600 4 года назад

      Ha vivah karne ka karan hi yhi hai ki vasna se tairna sikhe

    • @रॉयलराठौड
      @रॉयलराठौड 3 года назад +1

      बंधू इंसान के पास जों नहीं है उसके लिए लालायित रहता है जैसें आपके पास जों नहीं है वों मिल जाए तो मन परेशान नहीं करता है अनुभव हो जाता है जैसे शादी से पहले काम वासना बहुत सताती हैं शादी के बाद नही

  • @RajeshYadav-gk6ox
    @RajeshYadav-gk6ox 4 года назад +9

    _इस घोर कलयुग में सत्य,धर्म,मानवता और नैतिकता के मार्ग में।_
    _स्वयं ही krishna और Arjun बनके है सत्य,धर्म,मानवता और नैतिकता को बचा सकतें है।_
    _परन्तु बहुत ही कठिन है, इस घोर कलयुग में Krishna का होना Arjun के साथ और बहुत ही कठिन है स्वयं ही krishna बनना स्वयं बने Arjun का।_
    _और बिना krishna के सत्य,धर्म,मानवता और नैतिकता को नही बचाया जा सकता है।_

  • @smartshetkaria1300
    @smartshetkaria1300 2 года назад

    You are great 🙏🙏🙏

  • @joydebmahato8711
    @joydebmahato8711 4 года назад +2

    Thank you achrya ji for life vision.

  • @जगदीशप्रसादगौङमहाराज

    बहुत मार्मिक बात है आपकी आचार्य जी

  • @rameshwaghode9585
    @rameshwaghode9585 4 года назад +1

    ACHARYA PRASHANT SHARMA KI JAY HO, HARI OM TAT SAT SHRI GURUBHYO NAMO NAMAHA.

  • @Ugotthis772
    @Ugotthis772 3 года назад +1

    Guruji ki baate Dhyan rakhna.
    Sirf sunne se nhi hoga. 🌹🌹
    Be controlled guys.

  • @radharajput.5192
    @radharajput.5192 3 года назад +1

    Aap Bilkul theek bol rahe ho guru ji
    Very good

  • @रणजीतजांगिड़

    शानदार सोच है।

  • @MukeshKumar-ni3tw
    @MukeshKumar-ni3tw 3 года назад

    बहुत बहुत धन्यवाद .

  • @prhaladprsad4152
    @prhaladprsad4152 4 года назад +47

    काश आप आशा राम, राम रहीम को पहले मिल गए होते तो आज वो सब जेल मे ना होते 😟😟😟😟😟
    लगे हाथ मुरारी बापू को भी बता दीजिये
    बड़ी कृपा होगी 🙏

    • @onlytruth1416
      @onlytruth1416 4 года назад +5

      Raam rahim hindu nhi hai

    • @jaishriram234
      @jaishriram234 4 года назад +6

      @@onlytruth1416 aap ne sahi kaha 👏,
      ram k sath rahim
      Laganay ka matlab
      Mulla ban gaya tha
      Murari ka bhi yahi h
      Aur
      Mulla to bhai aisa hi hoga

    • @PixEditWorld
      @PixEditWorld 4 года назад +3

      आचार्य जी ने पूरे वीडियो में जो भी बताया उसे आपने सही से सुना नही। यही वजह है कि इस तरह कीबात कही। आचार्य ने अपने वीडियो के शुरू में ही बताया कि मनुष्य विभिन्न ग्रंथो, शास्त्रों और दर्शन को पढ़ता या सुनता है और उसे मालूम होता है कि सही या गलत क्या है पर फिर भी वो वासनाओ के वशीभूत होकर गलत कर्म कर देता है।

  • @pardeeparya9986
    @pardeeparya9986 4 года назад +3

    Wah Acharya ji. Jai Ho rishi dayanand ki, jai shree raam.

  • @Hindinews11967
    @Hindinews11967 8 месяцев назад

    Nice guruji

  • @dileepsingh6090
    @dileepsingh6090 4 года назад +1

    सत्य वचन।

  • @tiwaribuddhisagar9449
    @tiwaribuddhisagar9449 4 года назад +1

    Hare Krishna

  • @parshramyadav3773
    @parshramyadav3773 4 года назад +2

    Aapka video Suna bahut hi acche Swaroop Mein aapane explain Kiya thank you so very much Om Shanti Om Shanti Om Shanti

    • @bikashpradhan640
      @bikashpradhan640 3 года назад

      🙏Gurujii parnam🙏🙏 apka bat🙏 sunkar aaxa lga 🙏

  • @kwdcg9810
    @kwdcg9810 3 года назад +1

    स्वामी जी आज मुझे स्पष्ट हुआ की जो प्यार, प्रसंग जो है स्त्री-पुरुष में उत्पन्न होते है
    वास्तव मे प्रेम नहीं आकर्षण है|

  • @narendrakumardukkat9685
    @narendrakumardukkat9685 4 года назад

    Excellent information thanks

  • @satykamal6266
    @satykamal6266 2 года назад

    True fact

  • @deepakdalal9609
    @deepakdalal9609 4 года назад +2

    नमस्कार महान हिन्दुस्तानी जी ।

  • @anandmore1233
    @anandmore1233 4 года назад

    Very best

  • @sachindas1196
    @sachindas1196 4 года назад

    Sat sang daka Sant Rampal Ji ka my sekvast

  • @akhandbharatrajupaswan123
    @akhandbharatrajupaswan123 4 года назад +1

    Bahut sahi..... kaha aapne.

  • @खुशीयोंकेपल
    @खुशीयोंकेपल 4 года назад +4

    ओशो कहते हैं कि जिस विचार से हम लड़ते हैं वह और अधिक प्रबल हो जाता है

    • @darshnikvichar
      @darshnikvichar  4 года назад +3

      लडना नहीं, विचारों को जानना हैं

    • @WPI.
      @WPI. 4 года назад +2

      ओशो तो सम्भोग से समाधि लगाने की कहता था। जब एनर्जी समाप्त हो जाती है तो अवचेतना होती है समाधि नही।

    • @rogerskunk555
      @rogerskunk555 4 года назад +5

      Osho chutiya tha

    • @खुशीयोंकेपल
      @खुशीयोंकेपल 4 года назад

      @@rogerskunk555 sabhi vichar galat nahi h

    • @ravimalik7996
      @ravimalik7996 4 года назад

      @@rogerskunk555 Sahi kaha bhai duanand ji ke satyarth parksah pado....usme har chij ka Tod he

  • @kanyakuwari5829
    @kanyakuwari5829 4 года назад

    Really
    #Elakshya

  • @Priya00023
    @Priya00023 4 года назад +5

    Kind a addicted to this channel

  • @gajanandmahawar5042
    @gajanandmahawar5042 4 года назад

    Good thought

  • @tejasbhatt8526
    @tejasbhatt8526 4 года назад +1

    धन्यवाद जी...

  • @somveer7086
    @somveer7086 4 года назад

    Bahut hi acche vichar rakhe he aapne...ase hi logo ko jagane ka kam karte rahiye om namah shivay

  • @एकदेशप्रेमीगोवत्स

    अच्छी वार्ता

  • @PrinceKumar-de7zq
    @PrinceKumar-de7zq 4 года назад

    Wah guruji aap bahut acchi bat batyi hai

  • @thebestcreation6530
    @thebestcreation6530 4 года назад

    Bat to aapne 100 % sahi kahi..............I am agree with you.............

  • @nekram2072
    @nekram2072 3 года назад

    Really

  • @manishchoudhryaarya5608
    @manishchoudhryaarya5608 4 года назад +1

    Jai Ho Guru Ji

  • @RajeshYadav-gk6ox
    @RajeshYadav-gk6ox 4 года назад +17

    *आपकी बातों से सहमत हूं परन्तु स्त्री दूर रहिये सहमत हूं परन्त विवाह क्या है, और श्री राम और श्री कृष्ण भी विवाह किए थे,सहमत हूं वे दोनों वासना के आधीन नही थे परन्तु स्त्री से दूर भी नही थे स्त्री यानी पत्नी*

    • @umashankarjangid8848
      @umashankarjangid8848 4 года назад +7

      भाई बुरी स्त्रियों से दूर रहने की बात कही जा रही हैं,विवाह भी ब्रहमचारी स्त्री से ही करना चाहिए,पति पत्नी का रिश्ता सिर्फ मन का ही होना चाहिए।

    • @AjayThakur-uf3hd
      @AjayThakur-uf3hd 4 года назад +2

      @@umashankarjangid8848 aaj k time me bramchari stri milegi hi ni

    • @khalidmehmood-ww9tq
      @khalidmehmood-ww9tq 4 года назад +6

      विवाह का उद्देश्य संस्कारी संतान उत्पत्ति होता हॆ विषय लोलुपता की संतुष्टि नहीं । यहां वासनाओं की बात चल रही। वॆसे भी बहुत कम लोग अपनी पत्नी के प्रति आकर्षित होते हॆं, दूसरी महिलाओं के प्रति ज्यादा होते हॆं वही वासना हॆ जिसका उस वस्तु के लिये चाहत अधिक हॆ जो अभी उनके पास नहीं ‌हॆ।

    • @vishnudayal9958
      @vishnudayal9958 4 года назад

      lakin musalmaan too ek hi baar me jannt chaley jatey hai

    • @khalidmehmood-ww9tq
      @khalidmehmood-ww9tq 4 года назад

      @@vishnudayal9958
      इसका ‌जवाब मुसलमान देंगे

  • @docilerohit
    @docilerohit 4 года назад

    Jaroor

  • @ramnareshtyagi4371
    @ramnareshtyagi4371 2 года назад

    जिन बातों पर चिंतन-विचार किया जाता है वह हमारे संस्कारों में परिवर्तित हो जाती है। इसलिए कामवृत्ति को विचार का केन्द्र नहीं बनाना चाहिए।

  • @rishi_uppal
    @rishi_uppal 4 года назад +4

    Amazing. I'm very much impressed with your knowledge and explanation. I want more videos from you.

  • @Deepak-eb1wn
    @Deepak-eb1wn 4 года назад +21

    🙏 प्रणाम जी।
    मैं जानना चाहता हूं कि मोक्ष के बाद जन्म का क्या कारण है।मोक्ष में तो कुछ कर्म ही नही होगा और फिर उसके फलस्वरूप हमे दोबारा जन्म की क्या आवश्यकता।

    • @darshnikvichar
      @darshnikvichar  4 года назад +12

      कभी किसी वीडियो में.....कृपया प्रतीक्षा करें

    • @WPI.
      @WPI. 4 года назад +1

      Deepak kumar जी आत्मा सीमितसामर्थ्यवान् है वो कुछ भी कर्म अनन्त नहीं करती इसलिए उसको फल अनन्त मिले यह भी तो सही नहीं होगा।
      🙏🙏🙏🙏

    • @rogerskunk555
      @rogerskunk555 4 года назад +5

      13. मोक्ष का समय अर्थात् आत्मा की मुक्ति का समय(जन्म और मृत्यु से) ३१ नील १० खरब ४० अरब वर्ष यानी ३६००० बार सृष्टि और प्रलय का समय होता है। मोक्ष के समय आत्मा ईश्वर के आनंद को भोगती है तथा देखने, सुनने, आने, जाने आदि शक्तियां ईश्वर से प्राप्त करती है। जीवात्मा मोक्ष तक ईश्वर की व्यवस्थाओं में ईश्वर के आनन्द में रहती है तब मोक्ष के बाद ईश्वर पुनः उसे जन्म मरण में भेज देते हैं। कुल मिलाकर बात ऐसी है कि ईश्वर जीवात्माओं को निकम्मा नही रखते।
      प्रशन = मोक्ष हमेशा के लिए क्यों नहीं होता है
      उत्तर = जीवात्मा को जिस जन्म के बाद मोक्ष मिला था, उसमे आत्मा ने कर्म अनंत समय तक किए थे ? वो कर्म तो सिर्फ उस जन्म के थे तो बला मोक्ष अनंत समय तक कैसे मिल सकता है।

    • @Ishadhyan108
      @Ishadhyan108 4 года назад

      @@rogerskunk555 very nice answers👍👍

    • @Deepak-eb1wn
      @Deepak-eb1wn 4 года назад

      @@rogerskunk555 जी धन्यवाद।
      पर मोक्ष के बाद योनि किस आधार पर मिलेगी।मानुष या जीव

  • @basantbatra9061
    @basantbatra9061 2 года назад

    कया नारी के बिना जीवन सही हे।नारी ही ससार को बढाती हे नारी के लिये अछे विचार होने चाहिये।सीता भी बहुत ही सुदर थी पर नारी थी।नारी ही मा बनकर बचो का पालन पोशन करती हे।कया पुरुष छल कपटी नही करते।ससार मे सुदर नारी को माना गया हे चाहे वह किस रूप मे हो।पुरुष की नजर पर सभव होता हे ।कया नारी के साथ रहकर सत नही बना जा सकता।नारी कया सभोग की चीज हे ।कया उसकी आतमा नही हे ।हम आपके विचारो से सहमत नही हे।

  • @Jagdishbhai-vs1ho
    @Jagdishbhai-vs1ho 3 года назад +1

    🙏

  • @sachinraj-rn7cb
    @sachinraj-rn7cb 4 года назад

    Thanks ji good video.

  • @harekrishna4837
    @harekrishna4837 4 года назад

    Very good bhai ji

  • @vaidikpathanugami7971
    @vaidikpathanugami7971 4 года назад +2

    Acharya ji yeh shrap Jaise vastu sachmein Hoti hai ya sirf ek mithak hai ?

  • @vedprakasharya1014
    @vedprakasharya1014 4 года назад

    Ati sundar prastuti

  • @AshishKumar-qk6vo
    @AshishKumar-qk6vo 4 года назад +1

    Sir aapka gyan hum logo kay liye bahut upyogi hai. Dhanyavad.

  • @PintuKumar-vy1uu
    @PintuKumar-vy1uu 4 года назад

    Nice videos