नक्षत्र ज्योतिष से फलादेश का अद्भुत सिद्धांत,how to predict through Nakshtras,
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- Опубликовано: 16 сен 2024
- DevGuruAstro, नक्षत्र तक, Nakshtra Tak,
Astrology is an ancient concept, as old as time, you can say. It is an importance aspect of our lives - our past, present and future. To a great extent, astrology is used to forecast and predict future events and can also be used as a medium to get rid of any kind of mishap related to planetary positions.
नक्षत्र ज्योतिष से फलादेश का अद्भुत सिद्धांत,how to predict through Nakshtras,
नक्षत्र वर्गीकरण : स्वाभाव के आधार पर -
संज्ञा या स्वाभाव के आधार पर नक्षत्रो को निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है!
१. ध्रुव (स्थिर) नक्षत्र :- रोहिणी, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा षाढा, उत्तरा भाद्रपद !
इन नक्षत्रों में स्थिर कार्य करना चाहिए अर्थात वह कार्य जिनमे स्थिरता की जरुरत हो!जैसे- ग्रह प्रवेश,बीज बोना, व्यपारारम्भ, ग्रहशांति आदि के कार्य, बाग़- बगीचा बनवाना,धर्मशाला बनवाना, मंदिर बनवाना, गाना बजाना, कपडा पहनना, प्रेम करना,अलंकार धारण करना,पदग्रहण करना आदि !
नोट- यदि कोई व्यक्ति स्थिर नक्षत्रों के कार्य चर नक्षत्रों या किन्ही और नक्षत्रों में करता है तो उसे हानी ही होती है!
२. चल (चर) नक्षत्र:- पुनर्वसु, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा!
इनमे सवारी करना, यात्रा, मंत्र सिद्धि, हल चलाना, वाहनों को खरीदना, आदि शुभ है!
वह कार्य जिनमे मन को चलायमान रखना हो इन्ही नक्षत्रों में करने चाहिए !
३. उग्र (क्रूर) नक्षत्र:- भरणी, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वा षाढा, पूर्वा भाद्रपद ! इनमे उग्र कार्य करना अच्छा होता है!
जैसे- तांत्रिक प्रयोग, जहर देना, आग लगाना, मुकद्दमा, दायर करना, शत्रु पर आक्रमण, संधि कार्य, चतुराई चालाकी के काम आदि !
४.साधारण (मिश्र) नक्षत्र :- कृतिका, विशाखा !
इनमे सामान्य कार्य, अग्नि कार्य और उग्र नक्षत्र के कार्य भी किये जा सकते है !
५.क्षिप्र (लघु) नक्षत्र:- अस्वनी, पुष्य, हस्त, अभिजित !
इनमे व्यपारारम्भ, स्त्री-पुरष से मैत्री, साँझा, ज्ञान प्राप्ति, खेलना,औषधि तैयार करना,
चित्रकारी, शिल्पकारी,आदि कार्य करना लाभकारी होता है !
इसमें चर नक्षत्रों के काम भी किये जा सकते है!
६.मृदु (मैत्र ) नक्षत्र :- मृगशिरा , चित्रा, अनुराधा, रेवती !
इनमे सभी मित्रता पूर्ण और कोमल कार्य करने चाहिए !
जैसे-गीत गाना, नाटक करना, खेल-कूद, चित्र बनना आदि !
७. तीक्ष्ण (दारुण ) नक्षत्र :- आदर, आश्लेषा, ज्येष्ठा, मूल ! इनमे उग्र कार्य, फूट डालना, प्रहार करना, भूत-प्रेत बाधा निवारण, जादू टोना आदि