शीतला माता की कथा -Shitla Mata Vrat Katha -शीतला माता कहानी -Sheetla mata Kahani - Basoda pooja 2024

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  • Опубликовано: 27 мар 2024
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    Song :- Shitla Mata Vrat Katha
    Singer :- Riya Barun Biswas
    Music :- Pritam Rawat
    Label :- Bhakti Veena
    Digital :- Fatafat Digital Pvt. Ltd.
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    Full Katha Available: -
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    www.jiosaavn.com/song/sheetla...
    gaana.com/song/sheetla-mata-k...
    एक पौराणिक कथा के अनसुसार, एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा। मान्यता के मुताबिक अष्टमी के दिन बासी चावल माता शीतला को चढ़ाए व खाए जाते हैं। लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताजा खाना बना लिया। क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए।
    शीतला माता गधे पर क्यों बैठी है?
    शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण करती हैं। देवी मां ठंडे खाने का भोग लगाने की परंपरा है। देवी मां का ये स्वरूप साफ-सफाई का महत्व दर्शाता है। जो साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं, उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
    शीतला माता किसका अवतार है?
    शीतला ( संस्कृत : शीतला , आईएएसटी : शीतला ) लिट। ''शीतलता'', जिसे शीतला और शीतला भी कहा जाता है, एक हिंदू देवी है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में पूजी जाती है। उन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है।
    शीतला माता को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
    इस पूजा के बाद अष्टमी तक चूल्हा न जलाएं. शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद मिट्टी के कंडवारे में दही, रबड़ी, चावल, पुआ, पूड़ी, सब्जी आदि आपने जो भी कुछ पकवान तैयार किए हैं, सभी को इसमें शीतला माता के भोग लिए भर दें.
    शीतला माता को खुश कैसे करें?
    इसलिए शीतला माता को खुश करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है। शीतला षष्ठी से एक दिन पहले पकवान बनाया जाता है और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर शीतला मां की पूजा की जाती है और देवी मां को भी पिछले दिन का बना बांसी और ठंडा खाना भोग में चढ़ाया जाता है और घर आकर वही बासी खाना खाया जाता है।
    शीतला माता का दिन कौन सा होता है?
    पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शीतला माता चेचक की देवी कहलाती हैं और मां की कृपा बच्‍चों पर बनी रहे, इसके शीतला अष्‍टमी पर पूजा और उपाय किए जाते हैं। चैत्र मास के चैत्र मास के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को शीतला अष्‍टमी कहते हैं। जो कि बार 15 मार्च बुधवार को है। इसका आरंभ सप्‍तमी से ही हो जाता है।
    शीतला माता का मंत्र क्या है?
    अर्थात् - हे माता शीतला! आप ही इस संसार की आदि माता हैं, आप ही पिता हैं और आप ही इस चराचर जगत को धारण करतीं हैं, अतः आप को बारंबार नमस्कार है। माता शीतला का यह पौराणिक मंत्र ''ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः'' भी प्राणियों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हुए समाज में मान-सम्मान, पद एवं गरिमा की वृद्धि कराता है
    शीतला माता की पूजा करने से क्या होता है?
    माना जाता है शीतला माता चेचक रोग, खसरा आदि बीमारियों से बचाती हैं। मान्यता है, शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्दी ही छुटकारा मिलता है।
    क्या शीतला माता एक शक्ति पीठ है?
    शीतला देवी मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो देवी शीतला को समर्पित है, जो उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में गंगा नदी के तट पर सिराथू के पास स्थित एक शहर कारा में स्थित है। यह हिंदू धर्म के शक्ति संप्रदाय के 51 शक्तिपीठों में से एक है ।
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