क्यों छोड़नी पड़ रही है अपनी पुरखों की धरती!

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  • Опубликовано: 24 ноя 2024

Комментарии • 290

  • @kusumbisht1961
    @kusumbisht1961 3 года назад +13

    बहुत दर्द भरी कहानी है |ये कहानी पुरे उत्तराखण्ड की है |हम भी जब गाँव जाते है खंडहर पड़े घरों को देखकर बहुत रोना आता हे 😢

  • @hemalatadas1294
    @hemalatadas1294 3 года назад +29

    हर घर हर गाँव की यही हाल है
    जब तक हम सब साथ मिलके ना रहेंगे बिखर जाएँगे
    बंदे माँ तरम

    • @ajverma775
      @ajverma775 3 года назад +3

      कम से कम हिमाचल में ये स्थिति नहीं है..... वहां की सरकार ने बहुत सामाजिक कार्य भी कराये है लेकिन बहुत कुछ असर घरेलू भी है और इसका कोई इलाज नहीं

  • @सड़कसेसांसदतक

    बहुत बहुत धन्यवाद पर्वतीय न्यूज़ का जो ऐसे ही हकीकत न्यूज़ दिखाता रहता है

  • @dineshchandrakantidineshka5621
    @dineshchandrakantidineshka5621 3 года назад +23

    सही कहा आपने आज हमें अपनी चीजों को देखकर पीड़ा होती है इतनी बड़ी जटिल समस्याओं मां बापू ने अपने बच्चों को बड़ा किया इतनी मेहनत की लेकिन लास्ट में छोड़ कर चला गये मेरी पहाड़ों की पीड़ा

  • @brbhatt071
    @brbhatt071 3 года назад +19

    यदि मुझे दूसरा जन्म मिला तो उतरा खंड में ही मिले भगवान से यही प्रार्थना है जै देव भूमि

  • @Deepak94-S
    @Deepak94-S 3 года назад +43

    बहुत विटक कहानी है अपने वीरान होते पहाड़ों कि यहाँ के बंजर होते खेत खलिहानो कि आखिर कौन समझेगा मेरे वीरान होते पहाड़ कि पीड़ा को 🙏🙏

    • @sunilSagar09
      @sunilSagar09 3 года назад

      Very nice

    • @KiranYadav-cu5py
      @KiranYadav-cu5py 3 года назад

      Deepak Singh Ji Kya aap khud samzte hai apne pahad ki pidaa ko.Kya aap khud rehte hai Uttarakhand me?

    • @Deepak94-S
      @Deepak94-S 3 года назад +1

      @@KiranYadav-cu5py m khud pahaad m hi rhta hu apni jnmbhumi se bahut payar h mujhe but Rojgaar na hone ke kaaran uttrakhand se baahar dusre sahro m jana padta h aakhir pahaad ki pida ko ek pahaadi hi smjh skta h wese aap kaha se ho

    • @KiranYadav-cu5py
      @KiranYadav-cu5py 3 года назад

      @@Deepak94-S Mai bhi Uttarakhand se hi hu, lekin keval Nam ke liye .Apna. number send kijiye,phir baat latte hai,yedi aapko uchit page to.

    • @YouMrDeepak
      @YouMrDeepak 3 года назад +3

      डर है रोहिंग्या लोग न बस जाए, इसलिए त्योहार अपने गांव में मनाते रहे

  • @nandanbhandari3854
    @nandanbhandari3854 2 года назад +2

    हमारे बुजुर्गों का दर्द बता रहा है कि उन्होंने इस पहाड़ के लिए क्या नहीं किया कितना संघर्ष किया कितना दर्द सहा फिर भी हार नहीं मानी लेकिन जब समय आया खुशियों का तो पलायन ने जिंदगी भर की मेहनत और संघर्षों पर पानी फेर दिया

    • @anitaukpahadi
      @anitaukpahadi 2 года назад

      सही बोला आपने 😊

  • @devbhumi__uttrakhand
    @devbhumi__uttrakhand 3 года назад +13

    ये सरकार अगर कुछ करती तो उत्तराखंड भी हिमांचल की तरह बिकसित होता पर इनको बजट ठिकाने लगाने से मतलब है

    • @ultimatetruth2007
      @ultimatetruth2007 3 года назад

      @Deepak Nautiyal apka kehna sach hai magar puri tarah nahi.Sarkar ke bina karwai aage nahi badhega,lekin jansamuh ka puri hissedari bhi jaroori hai.Muje patta pahar ke log mehnoti aur kathor parishram karte hai.Kami hai to aise leaders ki jo vissionery , determined aur iske sath gyan aur samaj ka bhandar.Education, science and technology ka mahatta ajj ki duniya me bahut hi mahatta hai.is ke bikas ke bina ek khushal Uttrakhand sapna hi rah jayega.Ye bhool na nahi hoga har samasya hal bhi sath leke atta hai.Rasta hai magar knowledge, science and technology ke bina andha jaisa hai.Jai Hind Jai Bharat Jai Uttrakhand.

    • @ashanid7
      @ashanid7 3 года назад

      ruclips.net/video/4sbl9aKejJE/видео.html

    • @sureshkandari3254
      @sureshkandari3254 2 года назад

      सरकार कि कन भैजी हमन कन जु कन हमत घौंरमा रैणां ई निछा हिमांचल जै देखा वखा का लोग अपणु घौंर नि छुडणां छन मि बुनु छौं हमन भी घौंर छोडी़ याली भैजी हम कैथी दोष नी दे सकदा न ही सरकार थै नाराज न हुययां भैजी किकन तब

  • @santoshprasad9427
    @santoshprasad9427 3 года назад +3

    भाई का दर्द दिल को छू गया...भैजी जुगराज रोउ वो...आपाकी आत्मा पहाड़ों मा घोंर बसद...तुमकु मेरी जय राम जी की वो...खूब भला रयान वो राजी खुशी 🙏

  • @ambapandey2879
    @ambapandey2879 23 дня назад

    पत्रकार महोदय आप गांव के हाल दिखाकर लोगों की आंखें खोल रहे हो आपका बहुत बहुत धन्यवाद

  • @महावीरसिंहराजपूत-छ1ढ

    I am really agree with uncle they are very simply and truth heart's...
    May you live long..

  • @SinghJaibharat
    @SinghJaibharat 3 года назад +3

    रूला दिया चाचा आपने,, 😢😢
    लोग बदल गए हैं,, मै दस साल से कह रहा हूँ,, सरकार और सुविधा का बहाना बनाते हैं खुद दिल्ली में रहते हैं और हम गाँव वालो से हीसाब मांगते है

  • @ckjoshi1118
    @ckjoshi1118 3 года назад +20

    ये पलायन नाम की बीमारी सिर्फ उत्तराखण्ड मैं ही है। लोग लेह लद्दाक जैसी अपनी मात्र भूमि भी नही छोड़ते जहां घास भी नही उगती है। बारह मास बर्फ रहती है ।ये निक्कमो का काम है। जो इस स्वर्ग मैं भी नही रह पा रहे है ओरतों के कहने पर।वह तो पूर्वज ही थे मेहनती लोग जो शेर की तरह इज्जत की जिंदगी जी गए इस पावन भूमि मैं।

    • @GURMEETKAUR-ok4xl
      @GURMEETKAUR-ok4xl 3 года назад +1

      True said 👍

    • @garvaliann
      @garvaliann 3 года назад +1

      Sahi baat kahi aapne..👏

    • @siritachighibliuchiha7617
      @siritachighibliuchiha7617 3 года назад +1

      भाई पहला इंसान सच बोला। हिमाचली लाधाखी तो न जा रहे।

    • @parkashnegi6528
      @parkashnegi6528 3 года назад +1

      What a reply sir, aapke jaie need percent log bhi aise soche,uttrakhandi top ke state mein hoga, aapke soch ko salam karta hoon

    • @dellagro307
      @dellagro307 3 года назад +1

      दोस्तो कई मौके हैं यहां कमाने के लकिन लोगों को अपनी मातृभूमि की फ़िक्र नहीं.

  • @gauravchandramaulekhi8418
    @gauravchandramaulekhi8418 3 года назад +3

    Heart touching sir Jai uttrakhand Jai dev bhumi

  • @munnisharma2671
    @munnisharma2671 3 года назад +3

    प्रणाम। पुरूष वर्ग प्राचीन काल से धन उपार्जन करने गांवों से बाहर जाते थे,परन्तु बीबी बच्चे गांवों में रहते थे इसलिए गांव बसे थे।नयी पीढ़ी पढ़ कर बीबी बच्चे अपने साथ रखना चाहते हैं। पुरानी पीढ़ी तो इस दुनिया से जा चुकी है,जो गांव कभी गयए ही नहीं, उन्हें आकर्षण नहीं। गांव आज सूने हैं।

  • @chandrashekharbhatt8894
    @chandrashekharbhatt8894 3 года назад +9

    क्यों हमारे बुजुर्ग रिटायर होने के बाद शहरों में बस जाते हैं

    • @chandrikaachudhannair8870
      @chandrikaachudhannair8870 2 года назад

      because after retirement they have to depend on son city has facilites like hospital
      other facilities if all these are in village no one will sit in city

  • @premrawat7149
    @premrawat7149 3 года назад +5

    सही कह रहे हैं हमने भी तो अपनी जमीन पूरी की है अब मजबूर हैं अब यदि जो वहाँ रह नहीं रहा है तो उसे बेदखल कर दिया जाय उनका कोई हक न हो उस पर।

  • @3D_eyes
    @3D_eyes 3 года назад +11

    Right....my dad also tell me like that...he love village and he will never leave till his last breath...hats off rawat sir

    • @vivek16235
      @vivek16235 3 года назад +2

      Same here

    • @Akaynorth
      @Akaynorth 3 года назад +1

      Same Mere Papa ko Bhi bhut zada Yaad Aata Hain😞

    • @anitaukpahadi
      @anitaukpahadi 2 года назад

      बहुत सही किया 🙏🙏😊

  • @kripalsinghbhauryal4164
    @kripalsinghbhauryal4164 3 года назад +5

    दर्द भरी कहानी च रावत जी !

  • @dindayalbandooni2440
    @dindayalbandooni2440 2 года назад

    भौत मार्मिक कहानी,

  • @jaggunegigarhkumok3564
    @jaggunegigarhkumok3564 3 года назад +8

    यह स्थिति अमूमन हर तीसरे चौथे उत्तराखंडी की है पलायन की पीड़ा बहुत ही दुखदाई होता है।और खास तौर से जो लोग पहले उत्तराखंड में अपने जीवन का लंबा दौर बिता चुके हैं ऐसे लोग पूरे उम्र भर इस पीड़ा को सहते हैं। इस पलायन को रोकने के लिए सरकार को कोई ना कोई ठोस नीति अवश्य बनानी होगी वरना हर उत्तराखंडी कहेगा पहाड़ी पहाड़ी मत बोलो जी देहरादून वाला हूं...

  • @dinkartewari1329
    @dinkartewari1329 3 года назад +1

    बिलकुल सही कहा गुरुजी ने. बेबाक कारण बताया पलायन का.

  • @B308jhu
    @B308jhu 3 года назад +1

    सरकार ने उत्तराखंड पर
    ध्यान। दिया होता पलायन नहीं होता।
    उत्तराखंड 1990में भी अलग हो गया होता साइड
    ये नौबत नहीं आती।
    दुःख तो होता है

  • @vimalbhatt2828
    @vimalbhatt2828 2 года назад

    आपकी बातें सत्य है यह बात हर कोई नहीं सोचता है।

  • @rajiv4dxn
    @rajiv4dxn 3 года назад +4

    You are a great person ,I really respect your feelings

  • @santoshrawat8158
    @santoshrawat8158 3 года назад +2

    हर गांव के यही हल है सर कभी कभी मन नहीं लगता गांव से दूर जाने का प़र क्या करे सर घर वालों के लिए करना पड़ता है 😭😭

  • @bharatyatra295
    @bharatyatra295 2 года назад +1

    ये कहानी उत्तर प्रदेश के गाँव की भी है, यहाँ भी हालात कुछ अलग नहीं है

  • @SANDEEPKUMAR-rg2xm
    @SANDEEPKUMAR-rg2xm 3 года назад +1

    गांव से पलायन किसी मुसीबत का हल नहीं हैं हम भी हिमाचल प्रदेश में ऐसी ही पहाड़ी गांव में रहते है लेकिन हमने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से और वर्षा का जल टैंकों में इकठा कर के अपनी जमीनों को सींचा और उपजाऊ बनाया जीना गांव का ही है शहर में तो केवल समय काटा जाता है

  • @rameshpanwar6592
    @rameshpanwar6592 3 года назад +2

    Aap ki bhawna dekhar khusi hoti hai ki aaj bhi aapka man apne jamin say laga hai

  • @sanjaikumartripathi617
    @sanjaikumartripathi617 3 года назад +1

    भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार दोनो मिलकर पलायन रोके।यहां के लोगो की समस्या का त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थाई निदान करे। पहाड़ी दुख सुनकर बहुत ही कष्ट हुआ ।बहुत ऐसे उत्तराखंड के भाई बन्धु परेशान है उनकी सुनी जाए केवल वोट बैंक न समझा जाए । UP से

  • @jaibhagwanantil8358
    @jaibhagwanantil8358 3 года назад +3

    जननी जन्म भूमि स्वर्गादिपि ग्रीयशी। मैं विदेश में बैठा हुआ हूं लेकिन अपने देश भारत और घर हरियाणा की बहुत याद आती है।

  • @vimalbhatt2828
    @vimalbhatt2828 2 года назад

    जिसने मेहनत की इस दर्द को वहीं जानता है जी।

  • @bhartidhoundiyal1377
    @bhartidhoundiyal1377 2 года назад +1

    बहुत सुंदर प्रस्तुति हर गाँउ की यही कहानी है 🙏😊

    • @anitaukpahadi
      @anitaukpahadi 2 года назад

      हमारे गांव भी बंजर हो चुका है दीदी जी, अब तो केवल बाघ सियार रहते हैं

  • @seemadatta5634
    @seemadatta5634 Год назад

    यह कहानी उत्तराखंड की ही नही अपितु पूरे संसार की है ।सब छूट जाता है ।जीवन ऐसा ही है ।😊😊

  • @amannegi8732
    @amannegi8732 3 года назад +3

    Really story tau ji apko sun kar hmari ankho me bhi aa jate hai thanks you

    • @Deepak94-S
      @Deepak94-S 3 года назад

      बहुत दुख होता अपने वीरान होते गावो को देखकर 🙏🙏😭

  • @sarsawatirawat3544
    @sarsawatirawat3544 3 года назад +1

    हर गांव का यही हाल है बहुत घरों में इसी तरह कि कहानी है

  • @guav1153
    @guav1153 3 года назад +1

    Apne v gaaw ha yahi haal hai .. bht dukh hota h .. puraani yaade soch ke . Kya din hua krte the but ab 😭😭😭

  • @anitaukpahadi
    @anitaukpahadi 2 года назад

    बहुत दुख की बात है लोग अपनी धरती को छोड़कर जा रहे हैं

  • @ukboy3048
    @ukboy3048 3 года назад +1

    गुरूजी प्रणाम मैं आपका शिष्य

  • @shashinaik5986
    @shashinaik5986 3 года назад +9

    Looking like life on earth is going towards end# Low water level, no rain, corona, cyclone, black fungus,

  • @shishpalsingh5796
    @shishpalsingh5796 3 года назад +1

    Bilkul sach janmbhumi ko koi nahi bhula skta

  • @girdharirawatgr7155
    @girdharirawatgr7155 3 года назад +4

    दर्द भरी कहानी च। जै आदिमा अपणा भटूड़ अपणा मकान अपणीखेतीबाड़ी पर खपयां ह्वाला उ कनके भूली सकदा रोण आग्या हमरा बि सेम यी हाल छन भैजी पर क्य कन टक उखी लगी रैंद ।
    द्वी चीज सतांदन पैली स्वास्थ्यालय दुसरी बागे डौर ।ये डौरला घौर नि जयेद पर आंखी डबडबाणी रैंदन ।

  • @dr.n.joshiretiredprofessor8370
    @dr.n.joshiretiredprofessor8370 3 года назад

    बहुत वास्तविक.

  • @kalawatijoshi5927
    @kalawatijoshi5927 3 года назад +4

    Aapko bahut yad kerte hain sab guruji 🙏🙏🙏

    • @M_M_textile
      @M_M_textile 3 года назад

      Yeh aap ke guru hai.

    • @jai_yogi
      @jai_yogi 3 года назад

      Ye aapke guru hain kya?

  • @RL-wq5dg
    @RL-wq5dg 3 года назад +7

    Govt ko har gaon mai local self help group banane chaye.. otherwise kuch nahi ho sakta

  • @Cookie23827
    @Cookie23827 3 года назад +4

    Bilkul apne haath se sinchai bagicha.... Ese haal main ho to rona to aa hi jaata hai so sweet sir...

  • @kushlanandmaithani1595
    @kushlanandmaithani1595 3 года назад

    सही बात है जब छोडकर चले जाओ तो हम अपनी पित्रों की इस धरोहर को भूल जाते है, लेकिन जब यहाँपर आओ तो सारी पीडा,माया- मोह और यादें रहरह कर रूलाती है,भला जहाँ पर हम पले बडे हुए है उसकी यद न आए यह तो हो ही नहीं सकता,
    सहयोग का आपने सटीक उदाहरण दिया जबतक कोई भाई अफनी मेहनत मजदूरी और अपने रिस्कपर यहाँ खाता कमाता है तब तक भयात का भी आना जाना रोना धोना बना रहता है, सहयोग की जगह उसे उपहास का पात्र बनाते है लेकिन जब करने वाला भी छोड जाता है फिर सभी चैन से बैठ जाते है,यह हमारा दर्भाग्य है कि जो भाई इतने सक्षम है कि वे अपने दम पर यहाँ एक दो लोगों को नौकरी पर रख कर अपनी जीवन दायनी जमीन और घर द्धार को सही सलामत रख सकते है,लेकिन उनका ब्योहार दूसरों को छोडो अपनौ के प्रति भी सहयोगपूर्ण नहीं है,धन्यबाद आपका जो कि आपके दिल में आपने प्रदेश के प्रति प्रेम बनारखा है और आपने उत्तराखण्ड का दर
    द बयाँ किया है ।

  • @beenathakur8443
    @beenathakur8443 3 года назад +1

    Meri prardhana hai bhagwan se mujhe vishwas hai jaldi hi aap ka zh ghar sab logo se bhara hoga aap bhi khush honge.

  • @kamlanegi4474
    @kamlanegi4474 3 года назад +1

    100% सही बोला आपने

  • @pahadibhai4
    @pahadibhai4 3 года назад +1

    सरकारों पर भरोसा छोड़े खुद पर भरोसा करें 👍

  • @dakshnegi1438
    @dakshnegi1438 3 года назад +2

    Bahut dukh hota hai ye sab dekh ker

  • @arjunrawat7234
    @arjunrawat7234 3 года назад +2

    गाँवो में सब का अपना घर है। पर शादी के बाद दिल्ली चलो। और कोटला, मीठापुर, करावल नगर, विनोद नगर, तंग गलियों में रहने के लिए तैयार है। पर गांव का खुला वातावरण सुध पानी, हवा में नही रहना चाहते। अब तो लोगो के दो बच्चे या 1 पर ही टीके है। पहले 8 से 12 बच्चे होते थे। उन लोगो ने भी खेती से ही बच्चो को पाला। औऱ जो पुराने लोग गाँव से जुड़े थे। वे भी रिटायर मेन्ट के बाद भी अपने गाँव नही जाते। ये लोग मोह माया में ही रह गए और जियेंगे।😢😢😢

  • @parveen-papola-pahade-guru-RJ
    @parveen-papola-pahade-guru-RJ 3 года назад

    Sahi kaha jamin tabe hoga jab penshan rahuga wah

  • @BhagwatiSondrya
    @BhagwatiSondrya 3 года назад +1

    जय हो ...

  • @bhanusvlogchannel7244
    @bhanusvlogchannel7244 3 года назад +1

    Shi kha sir hamara v yhi haal he 😭😭

  • @siritachighibliuchiha7617
    @siritachighibliuchiha7617 3 года назад +2

    और एक हम दिल्ली वाले पहाड़ों पे जमीन खरीदने को मरे जा रहे हैं

  • @kailashkhanduri825
    @kailashkhanduri825 3 года назад +2

    सरकार रोजगार की व्यवस्था क्यो नही कर रही है केवल बेदखल करने का अधिकार है पलायन रोकना किसका काम है

  • @ravisherawat6448
    @ravisherawat6448 3 года назад +1

    himmat na haro bhai, ap log bde bagyawaan ho jo aisi swarg jaisi dhrtibpnapne jnm lya h. apne yadeein apne aukhbdukh in darohar m snjo krr rkho.

  • @rajneeshdimridoonvalley383
    @rajneeshdimridoonvalley383 3 года назад +1

    आपके आसू जेनवन है सर कोई भी हो जिस की मेहनत लगी हो उसको पता है हमारे पूर्वजों की बसाई ये धरती केसे छोड़ दें

  • @anilpathak064
    @anilpathak064 3 года назад +2

    Rawat ji aajkal ke logon mein Insaniyat ki Kami ho gai hai aur insaaniyat khatm ho gai hai

  • @kuensanglama4408
    @kuensanglama4408 3 года назад +8

    We r coming back..
    Baba ji I respect u n salute u.
    One day every one will have to come back....

  • @meharbansinghrawat1762
    @meharbansinghrawat1762 3 года назад +2

    कोई अपना वसा वसाया घर नहीं छोड़ना चाहते। जब समय था तो लोग अपने तक ही सीमित थे केवल पेट भरना और पालन करना ही एक ही मकसद था लेकिन अब समय बदल चुका है। जरूरतें बहुत हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में और समाज के साथ चलना जरूरी हो गया है। इसलिए यदि सरकार हर सुविधाएं दे तो अभी भी लोग अपने जन्म भूमि में आने के लिए तैयार हो सकते हैं। पहाड़ों में बिना मेहनत का कुछ भी नहीं हो सकता है। हर जरूरत की चीजें चाहिए।‌ दुःख तो होता है लेकिन नयी पीढ़ी भले न समझे लेकिन जिस पीढ़ी ले दुःख झेले हैं उनके आंसू कोई नहीं रोक सकता। क्या पुराने लोग जिन्होंने टेहरी डाम के कारण अपने गांव को छोड़ना पड़ा रोना नहीं आता होगा। भले नयी पीढ़ी इससे बेखबर है।‌ समय के साथ यदि पहाड़ में प्रगति की होती या कहा जाए कि हिमाचल की तरह यदि उत्तराखंड में प्रगति होती तो इतना बड़ा पलायन नहीं होता। आज भी लोग अपना इलाज कराने के लिए दिल्ली जैसे नजदीक शहरों में जाते हैं। यही कारण है कि रिटायरमेंट के बाद बुढ़ापे की जिंदगी कोई पहाड़ में नहीं जीना चाहता।‌

    • @chandrikaachudhannair8870
      @chandrikaachudhannair8870 2 года назад

      very correctly you have told mr rawat one of my friend mrs Negiji tell us

    • @chandrikaachudhannair8870
      @chandrikaachudhannair8870 2 года назад

      mein kerala se hu hamare kerala mein log naukri ki talash mein gulf jathe hai aur apne gao mein ghar banathe hai samaj ki paisewale dukhan
      shops kholthe hai kuch log chanda ikkata karke hospital koltha hai
      agar aap log mein aisa kare tho acchi baath hai

  • @MaheshJoshi-vf7dp
    @MaheshJoshi-vf7dp 3 года назад +1

    है हिम्मत तो महेश को दान कर दो जमीन। खेल की जरूरत हहैनहीग तो गढ़वाल में कोई ओर बस जाएगा तभ रोना।

  • @thenaturesbuddy6243
    @thenaturesbuddy6243 3 года назад +1

    पर सवाल अभी भी वही है , कि इसे कैसे रोका जा सकता है ?
    कृपया विचार साझा करें

  • @heerasing1982
    @heerasing1982 3 года назад +3

    sachi khabar h ye sabhi ke asu nikalte h is khabar ko dekh kar jo bhi apni matri bhumi se pyar karta hoga

  • @RAUTHAN992
    @RAUTHAN992 2 года назад

    पलायन तो करते हैं पर पलायन का दर्द सीने में सबके सताता है सहर में कितना भी अमीर बन जाओ। इस दर्द से अछूता कोई नहीं है कोई दिखाता कोई छुपाता है जो गांव की मिट्टी में जन्म लिया खेला कूदा उन्हें याद जरूर आती है

  • @rani-dc1mb
    @rani-dc1mb 3 года назад +3

    Apna ghar apna hota h,, jaha ki har diware bohot kuch bolti h,, 😢😢😢

  • @Pahadanvibes
    @Pahadanvibes 3 года назад +1

    Muje apna gaau ka ghr yaad aa gaya ... Thamana pauri k nikat.... Jo ki playan k chalte aaaj khandar ho chukaaa hai....

    • @Pahadanvibes
      @Pahadanvibes 3 года назад +1

      Ab hum sirf kbhi jaate hai ek din k liye... Naaa paaani hai naa log

  • @edencampchopta2309
    @edencampchopta2309 3 года назад +1

    Jay dhevbhoomi🙏🙏

  • @vinodraturi5920
    @vinodraturi5920 3 года назад +2

    *पित्रों की भूमि छोड़ोगे तो आने वाले समय में खून के आंसू रोओगे..पलायन करने वाले..*

    • @ashanid7
      @ashanid7 3 года назад

      ruclips.net/video/4sbl9aKejJE/видео.html

  • @udaydelmundo
    @udaydelmundo 2 года назад

    So emotional 😢...I like this Sanskriti...I have same thing as Uncle ji...)))

  • @shantishanu206
    @shantishanu206 3 года назад

    Sachi bat cha

  • @jaydeepnegi-jd5061
    @jaydeepnegi-jd5061 3 года назад +1

    Mera Dil ro raha hai. Enka dard me samajh sakta hun.

  • @rakeshpanwar5075
    @rakeshpanwar5075 3 года назад +1

    पहाड़ियों का दुख

  • @mahendrapalsharma5749
    @mahendrapalsharma5749 3 года назад +4

    Jay davbumi 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @bhawanbisht7178
    @bhawanbisht7178 2 года назад

    बेरोजगारी के कारण बहुत पलायन हो रहा है

  • @MacPro-m5d
    @MacPro-m5d 3 года назад

    गांव विरान हैं इसके जिम्मेदार बड़े बुजुर्ग लोग नहीं बल्कि वहां के युवा है ...5 हजार की नौकरी दिल्ली में कर लेंगे लेकिन अपने गांव में रहकर मेहनत नहीं करेंगे.. शर्म आती है इनको गांव में रहने में...फट्टू हैं ये लोग... अपने हक के लिए लड़ो ..गांव में सड़क बनवाओ, धरना दे दो, पानी की सप्लाई ठीक करवाओ..नहीं तो बाज के जंगल लगाओ अपने आप पानी आ जायेगा...फल सब्जी उगाओ , सारे गांव वाले एक साथ बेचो बाजार मैं... कैसे विकास नहीं होगा.. उसके लिए हिम्मत चाहिए.. लेकिन जो ये पहाड़ की बहुएं आने नहीं देंगी.. सबसे बडी़ दुश्मन पहाड़ों की यहां की लडकियां और बहुएं हैं इनको शहरों में रहना है

  • @mohansinghrawat4645
    @mohansinghrawat4645 3 года назад

    बहुत ही दर्दनाक कहानी सुनाई आपने। आखिर क्या कमाया हमने। जमीन बंजर हो जाय परन्तु कोई भी वहां हमारी खेती संभालते हुए आराम से जीवन यापन करें ये मंजूर नही। क्या इनके सभी भाई ये नही कह सकते थे कि भाई आप सँभालो यहां, हम आपको मदद करते रहेंगें। हरे भरे गाओं में जब जाते तो आपको दरवाजे खुले मिलते। कोई खाना पानी देने वाला सामने खड़ा होता। ईर्षा भाव मे हम अपनापन भी खोते जा रहे हैं। बड़े दुःख होता है, हम क्या से क्या हो गए।

  • @naveenjoshi6064
    @naveenjoshi6064 3 года назад +3

    Playan ko badhwa dene mai hamre bugurgo ka bhi bada yogdaan hai kyuki retyarment ke baad wo dehradun mai jakar baste hai or apne pahdo ko bhool jaate hai

  • @anishkumar-jj1rh
    @anishkumar-jj1rh 3 года назад

    Bahut dukhad, soti sarkaar aur prashashan

  • @TrilokSingh-yj4fw
    @TrilokSingh-yj4fw 3 года назад

    O. M. Good gurji prnamm humare gaun h

  • @himalayanboysati6678
    @himalayanboysati6678 3 года назад +2

    One day every uttranchali will back home

  • @ajverma775
    @ajverma775 3 года назад +1

    भाई पहाड़ की कहानी छोड़ो... यहां हमारे आजमगढ़ पूर्वी उत्तरप्रदेश में भी यही कहानी है....... मेरे पिताजी डिप्टी कमिश्नर हो कर रिटायर हुए और लखनऊ में मकान बना कर सेटल हो गये....... वो 4 भाई थे..... एक गांव में बाकी राजधानी लखनऊ में .....अब कोई ना कोई बीच बीच में गांव आता जाता है......बस उसके आगे कुछ नहीं...... ये पूरे भारत देश की घर घर की समस्या है...... चाहे हिन्दू , मुस्लिम या सिक्ख.......घर की कहानी औरतों से ही बिगड़ती है........

  • @RameshSingh-kc8yg
    @RameshSingh-kc8yg 3 года назад

    बड़ा जी सब जगा ई हाल छन।

  • @diwansyunari925
    @diwansyunari925 2 года назад

    हर गांव उजड़ने की एक कहानी है.

  • @bhopalsingh3145
    @bhopalsingh3145 2 года назад

    बहुत ही चिन्ता की बात है

  • @sauravsharma4238
    @sauravsharma4238 3 года назад +4

    दिल को‌‌ छूती रिपोर्ट 😭

    • @ashanid7
      @ashanid7 3 года назад +1

      ruclips.net/video/4sbl9aKejJE/видео.html

  • @deepdeepak3887
    @deepdeepak3887 3 года назад +2

    ज्ञान सब देते है बस देहरादून दिल्ली में बैठ कर

  • @shivhisundarhaivishwakarma6920
    @shivhisundarhaivishwakarma6920 3 года назад +1

    Sukh Suvidha ko Hi Zindagi samajh te Hain Log Apne purvajo Ki Dharti per Rahane ka Kuchh aur Anand Hota Hai

  • @sidhepahadse5682
    @sidhepahadse5682 3 года назад +1

    Pure pahad ke yahi haal hain...dukhad

  • @parmindersinghparmar7734
    @parmindersinghparmar7734 3 года назад +2

    Still in utrakhand land is very costly without investment in the industry ifrarasture road and hospitals school not possible for any area to florissh without the support of outer investment which is difficult in the present time

  • @uttarasingh6494
    @uttarasingh6494 3 года назад +5

    kAs agar yahan paani hota to ye swarg se kam n hota. phir bhi upaya to dundna padega.

  • @ishitatiwari6596
    @ishitatiwari6596 3 года назад +1

    Ek to uttrakhand ki sabse bari dikkat ye ha ki vaha koi local party nahi rahi, or jo cm mile vo bhi bekar material nikle or tisra ki sadke or pani bhi gao gai tak samay se nahi mil paya gaon ke logo ko

  • @hariharjoshi8344
    @hariharjoshi8344 3 года назад

    हमारे पूर्वजभी वहाँ से पलायन हो गए यहीं से । नेपाल घुस गए । चारधाम दर्शनसे लौटते अपनी गाँव देखे ।कुछ देर रुककर स्थानीय लोगों से वात चित किए अच्छा लगा । घर वापस लौटना सा हुवा । लेकिन कुमाऊँनी भाषा नहीं सिखी थी, हिन्दीमै हि काम चला लिए ।

  • @khushalsinghkoranga1701
    @khushalsinghkoranga1701 3 года назад +2

    जननी जन्म भूमि ! कौन छोड़ना चाहता है ? कुछ तो मजबूरी होती हैं ,जो इन आंसुओ को भी अनदेखा करने को बाध्य करती हैं |

  • @BharatRwt-Gairsain
    @BharatRwt-Gairsain 9 месяцев назад

    ❤❤❤❤

  • @shere-punjabsinghshergill3257
    @shere-punjabsinghshergill3257 3 года назад

    Master ji aap sach bolte hey. Mann fir us jagah jane ko karta hey. mein USA mein hu par dil har time India Punjab and apne gawn mein ghoomta hey. Ji mein aata hey kissi pahari pe Himachal ja garhwal mein ghar ho. Kudrat and Bhgwan wahi hey.

  • @kidscorner...9067
    @kidscorner...9067 3 года назад +1

    Himachal bhe hilly area hai but baha plaayn ke problem nahi hai as Vaha govt. nae apni n school Gao Gao paunchaaya hai.

  • @Chandra3333
    @Chandra3333 3 года назад

    सोचने पर मजबूर कर दिया आपने.. 🙏

    • @ashanid7
      @ashanid7 3 года назад

      ruclips.net/video/4sbl9aKejJE/видео.html

  • @NSR194339
    @NSR194339 3 года назад +5

    There must be solution to water problem internally. Making ponds. What was the source of water earlier.

    • @सुशीलापुर्वालरतूड़ी
      @सुशीलापुर्वालरतूड़ी 3 года назад +2

      natural spring water used to be the source probably, now without water conservation and climate change water level has decreased n natural dhara n springs gone extinct. the only solution is rain water harvesting

    • @ashanid7
      @ashanid7 3 года назад

      ruclips.net/video/4sbl9aKejJE/видео.html