हरिशंकर परसाई जी जैसे साहित्यकार जिनकी सामाजिक राजनीतिक न्यायिक शैक्षणिक आर्थिक वैज्ञानिक चेतना इतनी महान थी कि वो आज के दौर में भी सबमें सटीक बैठती है जी ऐसे महान विभूति को हमारा दिल से विनम्र कोटि कोटि नमन है जी 💯 💕🙏🙏🙏 💯 💐💐💐
ऐलोपैथी में आदमी का बुखार उतारने का तरीका उसका सारा खून निकालना था😂। आज तक ऐलोपैथी में कब्ज या अपच की कोई दवा नहीं बनी, जुकाम पर अभी तक रिसर्च जारी है।🤔
जब अज्ञानता और अनपढ़ता हुआ करती थी उस समय इस तरह के आचार विचार में लोग पड़े हुए थे और वह आगे चलते चलते संस्कारों में ढल गई संस्कारों से धर्म में आ गई जहां से इंसानों को निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि धर्म का मामला है बेशक इसका अंजाम आशा के विपरीत होताथा नतीजा हुआ यह के आज के लोग भी इस भ्रम से नहीं निकाल पाए हैं
हरिशंकर परसाई जी जैसे साहित्यकार जिनकी सामाजिक राजनीतिक न्यायिक शैक्षणिक आर्थिक वैज्ञानिक चेतना इतनी महान थी कि वो आज के दौर में भी सबमें सटीक बैठती है जी ऐसे महान विभूति को हमारा दिल से विनम्र कोटि कोटि नमन है जी 💯 💕🙏🙏🙏
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इस देश को मानसिक गुलाम बना कर रखा दिया जब तक लोगों कि सोच विज्ञानिक नहीं होगी मानसिक गुलामी समाप्त नहीं होगी।
ऐलोपैथी में आदमी का बुखार उतारने का तरीका उसका सारा खून निकालना था😂।
आज तक ऐलोपैथी में कब्ज या अपच की कोई दवा नहीं बनी, जुकाम पर अभी तक रिसर्च जारी है।🤔
व्यंग मगर सत्य है 😢
परसाई जी युग पुरुष थे।
जब अज्ञानता और अनपढ़ता हुआ करती थी उस समय इस तरह के आचार विचार में लोग पड़े हुए थे और वह आगे चलते चलते संस्कारों में ढल गई संस्कारों से धर्म में आ गई जहां से इंसानों को निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि धर्म का मामला है बेशक इसका अंजाम आशा के विपरीत होताथा नतीजा हुआ यह के आज के लोग भी इस भ्रम से नहीं निकाल पाए हैं
बहुत अच्छा वाचन किया अपने।मगर मुझे यह लगता है कि यह व्यंग्य नहीं बल्कि उनका निबंध है
You ate doing a great work 👏 ❤
Nice
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