Kabir Satsang Badahara
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- Опубликовано: 16 апр 2022
- sadaguru abhilash saheb ji prvachan
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संतप्रवर श्री अभिलाष साहेब
(17/08/1933 - 26/09/2012)
मानव मात्र ही नहीं प्राणी मात्र को अपने प्रेम के आयाम में समेट लेने वाले संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहेब की परंपरा में परम पूज्य गुरुदेव संत श्री अभिलाष साहेब जी महान संतों में से एक हैं। सद्गुरु कबीर के पारख सिद्धांत को भारत में प्रचार-प्रसार करने में पूज्य गुरुदेव का अतुलनीय योगदान है। आपका जन्म उ0 प्र0 के जिला सिद्धार्थ नगर के खानतारा ग्राम में दिनांक 17 अगस्त 1933 तदनुसार भाद्र कृष्ण द्वादशी संवत 1990 दिन गुरुवार को हुआ।आपकी माता का नाम श्रीमती जगरानी देवी एवं पिता का नाम पं0 श्री दुर्गाप्रसाद शुक्ल जी जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। पिता के सामाजिक व्यस्ततता के कारण आपकी विधिवत स्कुली शिक्षा नहीं हो पाई थी। आपने कक्षा एक में छह महीने तथा कक्षा दो में छह महीने की पढ़ाई की, किन्तु आपको किसी भी कक्षा में परीक्षा देने का अवसर नहीं मिला।
17 वर्ष की अवस्था में आप कबीरपंथ से परिचित हुए। आपने 21 वर्ष की अवस्था में गृहत्याग कर कबीर आश्रम बड़हरा, जिला गोंडा (उ0प्र0) के प्रसिद्ध महंत पूज्यपाद सद्गुरु श्री रामसूरत साहेब जी द्वारा साधुवेष की दीक्षा ली | कबीर पारख संस्थान इलाहाबाद के संस्थापक तथा बीजक व्याख्या, पंचग्रंथी टीका, योगदर्शन भाष्य, रामायण रहस्य, गीतासार, उपनिषद सौरभ, कबीर दर्शन, वेद क्या कहते हैं? कहत कबीर, धर्म को डुबाने वाला कौन?, ढ़ाई आखर, मोक्षशास्त्र, बूंद.बूंद अमृत, व्यवहार की कला आदि लगभग 100 प्रकार के सामाजिक, आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक ग्रंथों के यशस्वी लेखक हैं। आपकी ओजस्वी वाणी में भारतीय संस्कृति के ऋषि मनीषियों के उद्गार समाहित रहते हैं।
परम पूज्य गुरुदेव श्री अभिलाष साहेब जी की निर्मल वाणियों से सभी वर्ग के लाखों लोग मानवीय गरिमा को समझकर जहां व्यावहारिक जीवन को सुख.शांति पूर्वक जीने में सफल हुए हैं वहीं अनेक साधक साधनामय जीवन जीते हुए कल्याण की दिशा में अग्रसर हुए हैं।
कबीर
विक्रमी संवत 1455-1575
सन-1398-1518
कबीर साहेब सन 1399 ई0 में शिशु रूप में काशी के लहरताला तालाब में जनश्रुति के अनुसार नीरू.नीमा जोलाहा दंपत्ति को मिले और उन्हीं द्वारा पाले-पोषे गये। आप अपने छुटपन से ही प्रखर बुद्धि के एवं चिंतनशील थे। शायद आपने स्वामी श्री रामानंद को अपना गुरु माना हो, परंतु आपका अपना वास्तविक गुरु स्वयं का विवेक था। आप आजीवन ब्रह्मचारी एवं विरक्त संत के रूप में रहे। आपने सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक तीनों क्षेत्रों में आंदोलन किया। आपने मानव मात्र की एक जाति बताया, मानवता एक धर्म बताया तथा आत्मा को ही परमात्मा कहा। अपने आप पर संयम की कड़ाई तथा दूसरे प्राणियों के प्रति दया तथा प्रेम का बरताव - इन दोनों आचरणों को आपने अपने जीवन में उतारा तथा समाज को इसी की सीख दी। आपके व्यक्तित्व में कवि, सुधारक, क्रांतिकारी आदि अनेक रूप उभरे किन्तु आपका सबसे बड़ा रूप परमार्थ.लीन संत का है। इसीलिए आप भारतवर्ष में संत.शिरोमणि के रूप में मान्य हैं और आपका यह रूप विश्व में विख्यात है।
उनका मुख्य ग्रन्थ बीजक है, जिसकी अनेक टिकाएं उपलब्ध हैं, बीजक कबीर को एक बुद्धजीवी के रूप में प्रस्तुत करता है | उनके अंतिम दिन मगहर में आमी नदी के किनारे बीते | वे हिन्दू और मुस्लमान दोनों द्वारा पूज्य मने गए
KABIR
kabir saheb 1398-1518 A D
No authentic history of Kabir Saheb is available in historical texts. It is presumed he was born in 1398 AD in Lahartara of kashi, the present day Varanasi city of Uttar praesh in Northern India.As per prevalent among public it is said he was brought up by a muslim weaver couple named Niru and Nima in kashi.Kabir Saheb was fiercely intellectual and contemplative since his young age.Probably he opted Swami Ramanand, the orthodox Hindu monk of his time, as his guru but his own discretion was his true guru.He lived a life of a celibate and a devout saint all through out his life.
Saheb bandagi saheb ji
Sahib bandagi sahib bandagi Jay Shri Kabir Saheb ki Jay
Saprem Saheb bandagi 🌹🌹🙏🙏🌹🌹
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब,,,
jay sad guru shree sant shree
kabir saheb
Jay guru 🙏🙏
Jay Satnam Jay Sahib Bandagi
Me brahara se
साहेब बंदगी
Stay nam Saheb bangi saheb bangi Saheb ki jay
🙏 साहेब बंदगी!🙏
Sadguru ji ki jay
Sadguru dev ji ke pavan charno me koti koti saheb bandagi 🙏🙏🙏
कोटि-कोटि नमन सतगुरु साहिब बंदगी
Sahib bandage saheb bandgi Saheb jii koti koti namen 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍎🌷🌷🌹🌹🌹🌺🌺🌺🌺🌺🌼🌼💓💓💞💞💞🍎🤷♀👨👩👧✍️😇
इस वात को सब जानते हैं।नाव पानी पर तैरती है ।उस पर वैठ कर पानी को पार किया जाता है।लेकिन ध्यान दो सब के सब नाव को कन्धे पर लेकर पानी मैं जा रहै है ं वह भी पत्थर की।
वाह क्या कहना जिसकी सुरक्षा हम कर रहै हैं।उससे हम आशा लगायें की यह हमारी रक्षा करेगा।
वाह री मेरी वुद्धी।
।।।। As zzz। We
Jay nijnaam guru
Satyugsuru
10sep 2020 ko
Satyguru Acukehe es dhartipar
@@balmeekyadav5304 . ... ,.... ..... j, j,.... .. .. ............. .. . . . ,...
Sat Saheb bandagi
साहेब🙏🙏🙏🙏 बनदगी साहेब बनदगी साहेब बनदगी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🍇🌹🍓🥀🥥🍍🥀🌹🍒🥗
saheb bandagi
Saheb bandagi
Sadar shahab bandagee
Dil sa saheb bandgi Saheb jiiii 🤷♀🤷♀🤷♀🤷♀😇✍️
Iu
सद् गुरु कबीर साहेब की जय साहेब बन्दगी साहेब 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏
sarkar bishwanath das narkatiya
साहिब बंदगी साहिब बंदगी साहिब बंदगी
Kabir is god
तोप हमारी रक्षा के लिये होती है। हम तोप की आकृति की, तोप की स्टेचू की आरती पूजा करके प्रसाद चढ़ा कर तोप के प्रवचन देकर,तोप के वढ़ा चढ़ा कर गीत गाकर, ढौल मजीरा वजा कर,तोप के विभिन्न जयकारे लगा कर। हम तोप की आकृति से आशा करैं,इससे वड़ी मेरी समझ दारी क्या हो सकती है।
अरे यह तो मैंने आकृति की वात की है।मैं यह भी ताल ठोक कर कहता हूँ। असली तोप का भी इसी प्रकार उपयोग किया जाय तो वह तोप असली होते हुए भी हमारी रक्षा नहीं करेगी।
ओ मूर्ख छज्जी अगर तूँ तोप से सुरक्षा चाहता है,तो सिर्फ तोप चलाना सीख ले। एसे गुरू की,शरण में जा जो तुझे तोप चलाना सिखा दे।
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@@。哈哈哈哈哈哈哈哈哈士奇是哈哈哈哈哈哈哈哈哈哈哈哈还回去4公司wqq1q1zaz
@@arvindarvind3344 कृपया ध्यान दें मेरी भाषा हिन्दी है!
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🕵️♀️💂🏿♀️👩🚀😂😂
पेट्रो मेक्स उजाला करने के लिये होती है।(पुराने समय की वात है)।पेट्रो मेक्स से उजाला वही प्राप्त कर सकता है जो पेट्रो मेक्स को जलाना जानता है। लोग पेट्रो मेक्स की पूजा करके,आरती करके प्रसाद चढ़ा कर माला पहना कर उजाला प्राप्त करना चाहते हैं।
हम इतने वड़े ज्ञानी हैं। ऊपर से ज्ञानी का साइन वॉर्ड लगा रखा है।