ब्रह्मज्ञान का अर्थ है परमात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव या साक्षात्कार करना। इसे किसी किताब या बाहरी साधनों से प्राप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि यह ज्ञान गुरु की कृपा से मिलता है। ब्रह्मज्ञान वह अवस्था है, जब व्यक्ति निराकार परमात्मा को जानता और अनुभव करता है, जो सर्वत्र विद्यमान है और समस्त संसार का आधार है।जब गुरु कृपा करके व्यक्ति को इस निरंकार का साक्षात्कार कराते हैं, तब उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। यह ज्ञान आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझने लगता है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदलता है, जहां सभी जीव एक ही परमात्मा के अंश होते हैं, और सब में समानता, प्रेम, और भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है।ब्रह्मज्ञान के बिना धार्मिक क्रियाएं और साधनाएं अधूरी मानी जाती हैं, क्योंकि यह ज्ञान ही मोक्ष और जीवन की पूर्णता का मार्ग दिखाता है।
@@thoughtflowerhindi आप भटकं गये हो. मैं केवल ब्रम्हज्ञान की व्याख्या पूछ रहा हू. जैसे विज्ञान किसे कहते है.what is the Meaning of the science. क्या इसका जवाब आपके पास है. साहब मिशन का अर्थ क्या है. गलत जवाब दिया तो जुते मारुंगा. सही जवाब दिया तो आपके चरनोमे शरण हू 🌹🙏🌹
Dhan nirankar ji 🙏🙏🙏🙏
Mahatma ji Dhan nirankar ji❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Dhan nirankar ji
❤❤Dhan Nrinkar ji ❤❤
वाह जी.धन निरंकार जी .
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DHAN nirankar ji Santo
🎉❤
Dhan nirankar ji ❤
धन निरंकार जी
🙏🌹 Maharaj ji Dhan Nirankar ji 🙏🌹💐🌻❤❤❤❤❤❤
महाराज ब्रम्हज्ञान किसे कहते है,? धंनिरंकाऱजी 🌹🙏🌹
ब्रह्मज्ञान का अर्थ है परमात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव या साक्षात्कार करना। इसे किसी किताब या बाहरी साधनों से प्राप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि यह ज्ञान गुरु की कृपा से मिलता है। ब्रह्मज्ञान वह अवस्था है, जब व्यक्ति निराकार परमात्मा को जानता और अनुभव करता है, जो सर्वत्र विद्यमान है और समस्त संसार का आधार है।जब गुरु कृपा करके व्यक्ति को इस निरंकार का साक्षात्कार कराते हैं, तब उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। यह ज्ञान आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझने लगता है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदलता है, जहां सभी जीव एक ही परमात्मा के अंश होते हैं, और सब में समानता, प्रेम, और भाईचारे की भावना उत्पन्न होती है।ब्रह्मज्ञान के बिना धार्मिक क्रियाएं और साधनाएं अधूरी मानी जाती हैं, क्योंकि यह ज्ञान ही मोक्ष और जीवन की पूर्णता का मार्ग दिखाता है।
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