लल्लन टॉप वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला चैनल है। कृपया सतर्क रहें 🙏 जो कविता में दर्शाया गया है ऐसा कभी नहीं होता था। कविता का क्या है कुछ भी लिख डालो। यह मूर्ख पत्रकार कविता को सच मानकर भावुक हो रही है 🤣 कमज़ोरों को ताकतवर ने हमेशा सताया है। जाति से इसे जोडना अपराध और अपराधी को बचाने जैसा है। क्या सवर्ण लड़कियों के रेप नहीं होते?? क्या सवर्णों पर अत्याचार नहीं होते?? क्या किसी दलित का उत्पीडन उसकी अपनी ही जाति के व्यक्ति द्वारा नहीं हो सकता?? उत्पीडन और शोषण का सम्बन्ध ताकतवर और कमजोर से है जाति से नहीं। यह सरकारी तंत्र का फेल्योर है न कि जाति व्यवस्था का।
एडम गोंडवी (जन्म राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) [1] [2] अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे । [1] [3] उन्होंने हाशिए पर पड़ी जातियों, दलितों , दरिद्र लोगों की दुर्दशा को उजागर करते हुए हिंदी में कविता लिखी । [2] एक गरीब किसान परिवार में जन्मे, हालांकि, उनके पास काफी कृषि योग्य भूमि थी। गोंडवी की कविता सामाजिक टीका-टिप्पणी, भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के तीखे दृष्टिकोण और क्रांतिकारी स्वभाव के लिए जानी जाती थी। [1] [2] एडम गोंडवी स्थानीयनाम आदम गोंडवी जन्म राम नाथ सिंह 22 अक्टूबर 1947 अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश मृत 18 दिसंबर 2011 (आयु 64) संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान , लखनऊ पेशा कवि भाषा हिंदी , अवधी राष्ट्रीयता भारतीय उल्लेखनीय पुरस्कार 1998 में दुष्यंत कुमार पुरस्कार 1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें दुष्यंत कुमार पुरस्कार से सम्मानित किया। [1] 2007 में उन्हें अवधी/हिंदी में उनके योगदान के लिए शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया। [4] गोंडवी की 18 दिसंबर 2011 को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान , लखनऊ में पेट की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। [2] [3] उनके कविता संग्रह धरती की सतह पर (पृथ्वी की सतह) और समय से मुठभेद (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। [1] [3] उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएँ हैं - तुम्हारी फिल्मों में गांवों का मौसम गुलाबी है [5] मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको, आइए महसूस कीजिए [6] काजू भुनी थाली में, व्हिस्की भरी गिलास में संदर्भ संपादन करना "कवि राम नाथ सिंह, जिन्हें आदम गोंडवी के नाम से जाना जाता है, का लखनऊ में निधन हो गया"। जागरण जोश डॉट कॉम। 19 जनवरी 2011। 22 अक्टूबर 2016को पुनःप्राप्त। "अदम गोंडवीः विद्रोह की रोशनी से लिखा बेबाक कलाम" . aajtak.intoday.in (हिंदी में) । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त । "कुछ इस तरह थी गोंडवी की राजनीति पर कटाक्ष" . hindi.oneindia.com । 3 नवंबर 2016 को मूल से संग्रहीत । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त । "जन-जन के कवि आदम गोंडवी" । दैनिक जागरण । 23 अगस्त 2020 को पुनःप्राप्त । "Hindisamay.com: अदम गोंडवी की कविताएँ :: अदम गोंडवी की कविता" . hindisamay.com । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त । "\'मैं चमारों की गली तक ले जाऊंगा आपको\'" . aajtak.intoday.in (हिंदी में) । 22 अक्टूबर 2016 को लिया गया । आदम गोंडवी कविता/ग़ज़ल/कविता (हिंदी)en.m.wikipedia.org/wiki/Adam_Gondvi
Jaisa jinhe reservation milta h woh iska support kerte ha jinhe nhi woh iska virodh kerta hai . Waise hi jinhe swarn caste milti h woh iska support kerta h jinhe nhi woh iska support kerte hai
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली। वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂। पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा? बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है? बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा? बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है? असभ्य बकवास करना क्षुद्रक पाशविक सोच उजागर करना सवाल का जवाब नहीं होता है? असभ्य बकवास करना दण्डनीय अपराध होता है।
शिक्षित विद्वान मित्रो ! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। हरएक मानव जन कोई भी वर्ण करके किसी भी वर्ण को मानकर नामधारी वर्ण वाला होकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। इसके साथ ही चार वर्ण में ब्रह्म वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण हैं , क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय हैं, शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण हैं और वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य हैं। पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत हैं। पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ाना उचित सोच कदम है। इस अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान वाली पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करवाना चाहिए और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना चाहिए। सबजन को खुद की अपनी सोच सुधार कर किसी भी वर्ण को मानकर बताकर जीवन निर्वाह करने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।
आँखों में आंसू आ गये कविता सुन कर😢 इस कविता ने हमारे समाज की जाती प्रथा का सही आईना दिखाया है आपको सलाम हैं गोंडवी जी को लेकिन बड़े दुख की बात है यह आज भी प्रचलित है।
@@pratyushrajput1090 jhooth mat bol. Sab kuch British ke upar blame mat karo. Hinduism and scriptures of Hinduism are all about Casteism. Accept it and change it.
@@nisargdhamecha8476 aap koi bhi ek scripture (written in sanskrit) utha ke usmein se koi bhi ek line bta do mujhe ki ismein yaha jaatibaad h... Ya fir Kisi bhi sanskrit scripture mein chamar, dalit, jaise sbd milein to aap mujhe comment krke btaye
ये कविता मैंने हजारों बार पढ़ी है। और यकीनन ये दौर आज भी जारी है। अदम साहब गोंडा के ही रहने वाले थे और ये घटना गोंडा उनके गांव की हैं। इस बारे में मैंने कई लोगो से पता जो उसी गॉव के थे। आखिरी चंद पंक्तियों को पढ़ते वक़्त मैंने आपकी आवाज में वो भारी पन देखा आपका गला भर आया था। आपने उसे महसूस किया जो मैं हजारों बार कर चुका हूं
kya samman se jeene ka haq diya samvidhan me b to obc sc st h baaki hm log to hai hi general wale to alag kya kiya ...aarakshan tumko hmari wajah se mila..caste certificate me to jaati bharte hi ho to kya samman diya ye bta do jra.
@@cloudless_night beta mere laal mere poot padne ki jaroorat tumko h abi tumko pta nhi h baba ambedkar ko gyan kisne diya tha. Jin brahmano ko Kos rahi h na bhim army ...unke baap ko bnane wale brahman the ...smjhe isliye baap ka virodh nhi krte ...tumhare khandaan me mila kr itna koi pada likha nhi h jitne abi hm h thik h na beta ...to baap ko kosna bnd kro aur suno chuslims se bade dogle tum log ho ...sbse pahle tumhi bhagte the tumhi hhagoge abki baar phir 24 me modi aaega rok k dikha dena
Samvidhan ka matalab saman vidhan hota hai...angrezo ke vidhan copy paste nahi...jo samaj ko jatiyon me bantata ho wo kahe ka samvidhan 😂 sirf divide n rule he
पूरी पंक्तियां सुनने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, माफ़ करना. जब लिखा इतना दर्दनाक है तो कैसा सुलूक करते रहे होंगे ये लोग छोटी जाति के लोगों के साथ. धन्य हो बाबा साहब जो आपने हम सबके लिए संविधान जैसा पवित्र ग्रन्थ लिखा वरना ये सब तो खा जाते.
Jin sawarno ne aisa kiya wo neech the jo bhedbhaw karte the unka mn dushit tha lekin un logo ki saja pura savarn paye ye to uchit nhi na😞 Aaj hamara shoshan kiya ja rha hai tb sb kyu chup hai yahi hota hai jb kisi varg vishesh ko dabaya jata hai ek din wo uthega aur wahi karega jo uske sath hua aur ye pratha chalti rahegi
शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि अदम गोंडवी जी स्वयं ठाकुर थे। जिनका असली नाम रामनाथ सिंह था। ठाकुर होकर भी चमारों के लिए ऐसी कविता लिखने की हिम्मत सभी में नहीं होती। अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उन्होंने जातिगत भेदभाव, समाज की कुरीतियों, और सत्ता को आइना दिखाया।
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली। वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂। पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
अदम गोंडवी की इन पंक्तियों को सुनकर मेरा मन नि शब्द हो गया ❤❤❤❤ चमारों की गली तक ले चलूंगा❤❤❤ भारतीय संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जय हो❤❤❤❤
ye sachai h is samaj ki or kavita bhi dil ko bhavik kar gai or samajh main aa gaya ki Somnath mandir ko hajaro bar q loota tha jab temurlung ne Delhi main khoon ki nadhiya baha di thi tab ye dalit ko ghodi se utarne wale kahan chhipa gaye the
Bas yahi hamari galti h hum haar chj haar baat ko bas gernalise kr lete hn. Takatwar ko kmjoor ne hmesha dbya h dabyega, haar koe apne se kmjoor ko dbata h. Or jo ajj kmjoor hn kal jab takawr bn jayega wo phir dusre kmjoor ko dbayega. Ye bas insani chetna ki kmi h jo kmjoor or taktwr sab me mjood h. Lekin takawr ki kmyn ko takt ka sath milta h jiske wjh se man mana bhviour rkh pata h, destructive bn jata h, uski kmyaan smne ate hn. Andaar sbke jaanwar bhara h bs ye smjik dawaab use roke hue h. Yhi manv chetana ki kmi. Kabhi kala - gore , gareeb - Ameer, uchi jati or neechi jati ke roop me smne ayi h.
Ha ...abhi bhi Bratman m bhi ...y hi Hal h ....uchi jati bale dalet k uper Utne par Chad jate h ...Ander hi Ander khate ...y hamari barabri nhi karne chaye
मैं ब्राह्मण हूं और मेरे जन्म के दौरान मुझे इस दुनिया में लाने में एक बड़ा सहयोग उस विशेष जाति को जाता हैं जिसके हाथ का छुआ नहीं खाना चाहते कुछ पीना नही चाहते वह महिला अशिक्षित थी पर आज के डॉक्टर से ज्यादा अनुभवी नमन करता हूं उस महिला को जिसने मेरी मां का उस दर्द में साथ दिया, उसे लोग शब्दों में चमाइन कहते है सच तो यह है वह महिला मेरी मां के समान है, वह देवी थी.
शिक्षित मानव द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! हरेक ग्राम, ब्लॉक और जिले में कितने जन पैदा हुए, कितने जन बाहर से आकर बसे, यह जांच पड़ताल हरेक तीन महीने सौ दिन दिन में होनी चाहिए। इसी के साथ किस किस साम्प्रदायिक पंथी गुरुओ के फालोअर अंधभक्त होकर माइंड सेटिंग कर जीने वाले किस ग्राम, ब्लाक और जिले में कितने जन्मे और कितने बाहर से आकर बसे ? यह जन जांच पड़ताल हरेक सौ दिन तीन महीने में अवश्य होनी चाहिए। ताकि प्रदूषण,सड़क जाम , नाली जाम बाढ आदी से राहत मिलती रहे। ग्राम और शहर में बसने रहने वाले की गिनती अवश्य होती रहनी चाहिए। सनातन राजधर्म ( जनसेवा धर्म ) = [ (ब्राह्म धर्म (शिक्षण ज्ञान कर्म ) + क्षात्र धर्म (सुरक्षा ध्यान कर्म) + शौद्र धर्म ( उत्पादण तपस कर्म ) + वैश्य धर्म ( वितरण तमस कर्म ) + ब्रह्मचर्य आश्रम धर्म ( ज्ञान प्राप्त कर्म ) + गृहस्थ आश्रम धर्म ( संतान प्राप्त कर्म ) ] + [ वानप्रस्थ आश्रम धर्म ( ऋण उतार कर्म ) + यतिआश्रम धर्म ( संन्यास मोक्ष कर्म ) ] । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।।
ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग। ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक। हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
शिक्षित विद्वान मित्रो ! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं। हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है। हरएक मानव जन कोई भी वर्ण करके किसी भी वर्ण को मानकर नामधारी वर्ण वाला होकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। इसके साथ ही चार वर्ण में ब्रह्म वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण हैं , क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय हैं, शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण हैं और वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य हैं। पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत हैं। पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है। बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ाना उचित सोच कदम है। इस अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान वाली पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करवाना चाहिए और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना चाहिए। सबजन को खुद की अपनी सोच सुधार कर किसी भी वर्ण को मानकर बताकर जीवन निर्वाह करने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।
वर्णजाति और वंशज्ञाति - दोनो का मतलब समझना चाहिए। विभाग/ पदवी ( वर्ण/जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग जीविका पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका विभाग पदवि वर्ग में कार्यरत जनों की सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि वर्णाश्रम संस्कार व्यवस्था प्रबंधन किया गया है । वैदिक सनातन ऋषि राजर्षि संसद जनों द्वारा निर्मित वर्णाश्रम प्रबन्धन संस्कार विधि-विधान नियम ज्ञान सबजन को प्राप्त करना चाहिए। वंशज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आश्रम व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है चार आश्रम परिवार कल्याण विधि-विधान नियम वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा किया गया है। चारवर्ण शब्द और चार आश्रम शब्द को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण किया गया है । मानव समाज को बेहतर बनाने के लिए वर्णाश्रम संस्कार विधान की की गई है चार वर्ण कर्म विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन जनसेवक ( दासजन ) नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण में कार्यरत हैं । चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा चिकित्सा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान सुरक्षा न्याय विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण वाणिज्य व्यापार विभाग l पांचवे वेतन भोगी दासज़न जनसेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचजन सनातन वेद दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण क्रय विक्रय वाणिज्य वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र आयु के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य को बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन शाश्वत दक्ष धर्म संस्कार ज्ञान विज्ञान विधान है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो वे बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से उठाकर क्रय कर दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट कर विक्रय वितरण कैसे होगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वित्त आढ़त कैसे होगा ? पोस्ट निर्मिता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ। हे मानव जनो इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को उनकी सोच सुधार के लिए भेजते रहें । जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
Jaati ek post hain koi insan nahi sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎
प्रणाम है श्री अदम गोंडवी जी को जिसने इतनी सुंदर छवि और वास्तविक समाज से रूबरू कराया इस कविता के माध्यम से। कविता के शब्द और पंक्ति अदभुत हैं और मैम की आवाज एहसास दिलाती है जेसे की कविता के शब्द सीधे कानों को छूते हुए हृदय को छू गई। शायद यह कविता समाज को एक साथ कदम से कदम मिलाकर बिना जातिवादी और बिना भेद भाव के आगे बढ़ाए। धन्यवाद
Adarniye gondvi ji ko bahut bahut saidu vaad aap ki mahenat ko ham khali nahi jane denge is ko jan jan ko pahuchakar chodenge or jinhone ye kavita sunai h unka bhi bahut badhai bahut dhaniywad 🙏💐💐
.tum batao puri duniya me jati pratha..aaj tum proof karo ab kaha jati hai..koi jati ko nahi manta....except shadi vivah ke Aur adam gondavi ko musalmano me 72 firake hajn usper likho.. 72 hoor ka dalal alla per kucch likho.. Hallala per likho. Ladki ko gulam banao..rape karo muhammad ne yahi likha hai us per likho..kafir ko loot maro usper likho
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली। वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂। पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
कविता ----अदम गोंडवी जी बेहद जीवन्त लगी। आज भी दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के समाज के साथ दरिंदगी को बयां करती ये कविता कितनी प्रासंगिक है जो देश की सत्ता पर काबिज सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है।बहन ऐसी कविताएं लाती रहिए,आपका ये प्रयास सराहनीय है।
@@akm9101 qud se ku nahi karte qud me himmat nahi kab tak dusre k sahara apne liy rasta saaf karo to zyada acha h qud par confidenc karo aqir tum bhe es desh k nagrik ho
सदा सर्वदा सटीक सत्य है ये कविता ही नही बल्कि निम्न वर्ग समाज के लोगों का पीड़ा है जो अदम गोंडवी जी ने महसूस करके उसका वर्णन किया है। मैं ऐसे कवि को बार बार सादर प्रणाम करता हूं🙏🙏🙏
Thank you mam Mene aapko or in lekhak ko pehli bar suna h or is ko sun kr meri aakhon me aanshu aa gye Aisa lag rha tha jese pura drashya aankhon ke samne hi chal rha ho Me bhi esi jati se hu or ye such h jo bhi aapne padha Thanks
Jaati ek post hain koi insan nahi sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎
@@underworldevolution2564 epitome of moulding arguments according to your needs...things which you cant defend you blame it to non scientific concept of karma to perpetuate your position of power defined by caste...
मैं राजपूत समाज से हूं इस कविता को सुनकर निशब्द हूं क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की कड़वी सच्चाई है जितनी बार भी इस कविता को पढ़ती हूं मैं जोर जोर से रो पड़ ती हूं लेखक तथा वक्ता दोनों को मेरा सलाम
@@Traderdhiraj इस बारे में अभी तक में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई समय समय पर ब्राह्मणों ने अपने मंदिर तथा अपने धार्मिक साम्राज्य की रक्षा के लिए आम कबीले वालों को क्षत्रिय बताकर सीमांत में नियुक्त कर दिया करते थे वह उन्हें कभी अग्नि से कभी सूर्य तथा कभी चंद्रमा से उत्पन्न हुआ बताया करते थे लेकिन विज्ञान पढ़ने के बाद हम यह जानते हैं कि इसे कभी कोई मनुष्य उत्पन्न नहीं होता स्पष्ट होता है कि ब्राह्मण क्षत्रियों को उनका उत्पत्ति का स्थल नहीं बताना चाहते थे कई क्षत्रिय शुद्र भी हो सकते हैं कई विदेशी रक्त भी हो सकते हैं
Koi bhi kisi ka dushman anayaas nahi hota ek ki galti ki vajah se sabako gali sunna padata hai samaj main aise bahut se thakur mil jayenge jo apane jindagi samaj kalyaan ke liye lga diye aadami ka charitra kabhi nahi badalta hai jab se sanvidhan lagu hua hai tab se dekh lo kitane thakuro ne ye ghatiya kaam kiya hai aur jo karte hai usake virodh main bahut se thakur khade bhi ho jaate hai jisaka samman hota hai usi ka sabase jyada bejjati bhi ki jaati hai
चाहे कितना भी दर्द दिल में ये कविता सुनने के बाद आया हो पर जब वोट देने की बात आयेगी, तो ये कविता दूर दूर तक याद नही आयेगी। चाहे वो कितना भी बुरा इंसान क्यो ना हो। कुछ 1% को छोड़कर।
वाकई एक बड़ा दिल चाहिए ऐसी कविता से रूबरू होने के लिए. दिल भर आया. कविता का नाम है चमारों की गली. इसीलिए मैं जाती के बारे मे कहना चाहता हूँ कि मैं एक जाट हू. और मुझे खुशी इस बात की है कि मेरे गाँव में कभी ऐसा नहीं हुआ. बल्कि किसी गरीब की बेटी की शादी में मैंने देखा मेरी माँ उनकी छोटी सी मदद कर देती थी. एक छोटी सी मदद करके उससे ऐसे कमेन्ट में लिखना अच्छा नहीं है. लेकिन मुझे गर्व है कि मेरे गाँव में लोग प्यार प्रेम से रहते हैं. सभी को सादर प्रणाम 🙏
अदम गोंडवी साहब ने दलितों का दर्द अपनी कविताओं में लिखा है उसके लिए मैं दिल से धन्यवाद देता हूं आपकी कविता मेरे दिल को छू गई इसमें वास्तविकता व्यक्त की गई
Such a powerful poem. Have read many poets from subaltern, marginalised and oppressed sections from across the world.. but this is one of the best I have ever come across. I must also admire the recitation. Such works deserve to be translated into other languages.
कसम से बहन जी खून खोल गया 😡😠😠 इतनी बद्तर हालात थी हमारी,हमारा कसूर क्या था की हम चमार थे,जिसे नीच जाति के नाम से जाना जाता था,,,आपकी हिम्मत है जो नई जागृति समाज में लेकर आ रहे हो
Oye tere paise diye the kya bo kuch ban gaya hai tho tujhe bhi hak hai jineka or chamaro ko bhi hak hai jine ka jo sale tu un chamaro khane deta hai kya🤬😡😠😡😡
भाई जाति तो एक फैक्टर जरूर था पर सबसे बड़ा फैक्टर जो था वो मत भूलो वो था उनका कमजोर होना साहस की कमी अगर वो होता तो ठाकुर क्या थे मैं भी ठाकुर हूं पर मेरी गलती के लिए सारे ठाकुर दोषी नहीं हो सकते जाति ने ठाकुरों को ताकत दी मगर इससे बड़ी ताकत शोषण होने वाले के द्वारा विरोध ही न होना और न ही समाज द्वारा इश्का विरोध होना अगर उस समय वो साहस दिखाते और उनके लोग हिम्मत करते तो क्या वो ठाकुर कुछ कर पाता ठाकुर बहादुर और साहस के बल पर ही राज करते रहे गांव देहात में इनकी संख्या बाकी जातियों से कम रही पर दबदबा रखा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में गए तो वहां भी कब्जा किया साहस के बल पर और वही साहस तुम्हें भी दिखाना चाहिए तभी जाति प्रथा खत्म होगी मैं स्वयं चाहता हूं ये नष्ट हो जाए बहुत ही क्रूर और शोषण करने वाली है ठाकुर से उम्मीद करने के बजाय स्वयं कुछ करो क्योंकि वो अपनी सत्ता ताकत बनाए रखना चाहत है
@कोलाहल स्वामी kolahal swami Kavi sahi bol Raha hai...iska live example hai Phoolen Devi...jao pehle uske bare me search Karo...ye sirf kavi ki kalpana nahi hai...
@कोलाहल स्वामी kolahal swami andhbhakto ke andbhakt tu kitna padha hai ki tere ye pata nahi poet reality likhte hai sam aj ki dasha aur samaj me ho Rzahi ghatnao ko dekhte huye hai wah Kavita ko roop me sabhi dasao ko prastut karta hai tere ko dalito ki kahani jhoothi hai to itihas dekh pandit pakhandi
दीदी आपने कविता का बड़े मार्मिक ढंग से वर्णन किया है आपके मुंह से कविता सुनकर हम भी भावुक हो गए ये सच्चाई है मानवता तथा हिंदू धर्म को कलंकित करने वाली सच्चाई है लेकिन आज भी यही हो रहा है बड़े शर्म की बात है कि 21 वी शदी में भी ऐसी घटिया मानसिकता के लोग रहते हैं जो छूआ छूट की बीमारी से ग्रसित हैं घृणा इस कदर भरी है कि मासूम बच्चों पर भी रहम नहीं खाते हैं अभी राजस्थान के जालोर जिले की घटना है 9 साल के मासूम को स्कूल में अध्यापक ने पीट पीट कर मार डाला कसूर सिर्फ इतना कि उसने मटके को छू लिया
बहुत खूब। यही है भारतवर्ष की असलियत। बहुत दुख होता है जब सरकारें बोलती हैं कि देश ने बहुत तरक्की कर ली है। मैं कहती हूँ कि जब तक किसी एक भारतीय पर भी जाती के कारण या गरीबी के कारण अन्याय हो रहा है तब तक ना तो देश ने तरक्की की और ना ही वह गुलामी से मुक्त हो सका। मुझे England में रहते हुए 45 साल हो गये हैं लेकिन अपने देश के लोगो के लिए आज भी आंख भर आती है।
अदम गोंडवी की कविता जो आप ने पढी सच मे भाव विभोर कर दिया ❤आपके बोलने के तरीके से कविता में जान सी भर देती है। धन्यवाद हमारे साहित्य के अनमोल खजाने से रूबरू करवाने के लिए ❤❤🎉 तहदिल से शुक्रिया 🎉🎉
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली। वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂। पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
@Jonty Mol hamare purvajo ne jo bhukta uski ladayi Ladi or unko fayda mila apke purvajo ne jo chori or beimani ki uske badle me apse reservation cheen gya jo salo se ap ke pas tha Jab bhagwan Ram ne apne father ka karm bhugta vanvas kar kar to app bhi bhugtane ke patr he
@Jonty Mol government ke bolne se khatam hota to kab ka ho jata government sirf kanoon banati he or ek bat sabhi kota ka upyog nhi krte he jiske pas pesa he wo gov job ki seat kharid skta he ajj bhi wo ye sach he
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली। वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂। पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
@@haryanvijatt2672 acha mazak he poem ka mtlb apko samjh nhi aya usme ek ladki ke rape ki bat ho rahi he jiski awaj ko dabaya ja raha he free rashan Pani par hi dimag chal raha he abb tak ye insaniyat ke upar he poem Or likhne wala bhi ek swarn hi he
में भी ब्राह्मण हु किंतु सभी दलित मेरे प्यारे मित्र हे हमने सुना जरूर है किंतु तीन पीढ़ी से मैने मेरे परिवार में कोई भेदभाव नही देखा और ना ही किया ये चालीस वर्ष पूर्व ही हमने हमारे दादाजी से सीखा, हे।सभी धरती के लाल हे और दिल से भाई है,जय भारत माता।हम सभ सनातनी हे थे और एक होकर रहेंगे।❤
आदरणीय अदम गोंडवी जी अमरकविता भारतीय समाज की सामाजिक न्याय व्यवस्था पर गहन चिंतन करने को मजबूर करती हैं।यह कविता साझा करने के लिए आप को बहुत-बहुत शुक्रिया।✨✨✨🙏
आपको रोना देखकर मुझे रोना आ गया 😥😥 ऐसा जानवरो के साथ व्यवहार नहीं होता है जैसा हमारे साथ होता है ऐसा लगता है की हम कचड़े में पैदा हुए है मां की पेट में नही 😥
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए। पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है। वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
सुन कर दिल झकझोर दिया। गोंडवी जी ने 21वीं सदी के वर्तमान भारत में भी हो रहे 4000 बरस पहले की तरह अत्याचार को उन्होंने अपनी कविता में वस्तुतः उतार दिया, और आज के समाज को भी उन्होंने वास्तविकता से परिचय कराया है इस कविता के माध्यम से। इतनी हिम्मत करने के लिए उन्हें मेरा बार-बार नमन,और साथ-साथ आपकी भावना से भरी कविता का पाठ करना, नमनीय है ।
लेकिन श्रीमान मुगल काल से पहले चमार शब्द का तू कहीं भी वर्णन नहीं है हां राजस्थान के चमार वंश का इतिहास इब्राहिम लोदी के समय जरूर पाया जाता है लेकिन उस समय तो चमर वंश क्षत्रिय था
बहुत ही अद्भुत पाठ पढ़ा है आपने अत्यंत आत्मीयता से परिपूर्ण समाज का वास्तविक चित्रण करने के लिए, आपको आपकी वाणी लिए बहुत-बहुत शुक्रिया और अदम गोंडवी साहब को इस सच्चाई को लिखने के लिए शत शत नमन
Jaati to ek post hain sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎😎😎😎😎
@@Gfjfjfhbbdb Western philosophers ka manana hain india ke vedshastra surya ke saman hain jabki west ki books unke samne jugnu hain wo vedo pe resarch karte hain itne zayda scientific hain wo unka manana hain ki ye kisi insani buddhi ke likhe ho hi nahi sakte
बहन , आपने कितनी साहस से यह यह कविता सुनाया , दिल को झकझोर गई , मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए सुनने में , ऐसे लेखकों को चरण स्पर्श .
गली चमारों की (महान हिंदी कवितायेँ) ruclips.net/video/4ay3KIXOfpE/видео.html
ब्राह्मण हूं! निश्चय ही साहस नहीं जुटा पाया सुनने का। वर्षों पहले हमने "जूठन" भी पढ़ी थी। दलित समाज को आगे बढ़ाने वाले कार्यकर्ताओं को मेरा प्रणाम।🙏🙏🙏
लल्लन टॉप वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाने वाला चैनल है। कृपया सतर्क रहें 🙏
जो कविता में दर्शाया गया है ऐसा कभी नहीं होता था। कविता का क्या है कुछ भी लिख डालो। यह मूर्ख पत्रकार कविता को सच मानकर भावुक हो रही है 🤣
कमज़ोरों को ताकतवर ने हमेशा सताया है। जाति से इसे जोडना अपराध और अपराधी को बचाने जैसा है। क्या सवर्ण लड़कियों के रेप नहीं होते?? क्या सवर्णों पर अत्याचार नहीं होते?? क्या किसी दलित का उत्पीडन उसकी अपनी ही जाति के व्यक्ति द्वारा नहीं हो सकता?? उत्पीडन और शोषण का सम्बन्ध ताकतवर और कमजोर से है जाति से नहीं। यह सरकारी तंत्र का फेल्योर है न कि जाति व्यवस्था का।
अरे tohre chhinaro ke 52 log fela ke chhuwa chhot gyan pelta h
एडम गोंडवी (जन्म राम नाथ सिंह ; 22 अक्टूबर 1947 - 18 दिसंबर 2011) [1] [2] अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश के एक भारतीय कवि थे । [1] [3] उन्होंने हाशिए पर पड़ी जातियों, दलितों , दरिद्र लोगों की दुर्दशा को उजागर करते हुए हिंदी में कविता लिखी । [2] एक गरीब किसान परिवार में जन्मे, हालांकि, उनके पास काफी कृषि योग्य भूमि थी। गोंडवी की कविता सामाजिक टीका-टिप्पणी, भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के तीखे दृष्टिकोण और क्रांतिकारी स्वभाव के लिए जानी जाती थी। [1] [2]
एडम गोंडवी
स्थानीयनाम
आदम गोंडवी
जन्म
राम नाथ सिंह 22 अक्टूबर 1947 अट्टा परसपुर, गोंडा , उत्तर प्रदेश
मृत
18 दिसंबर 2011 (आयु 64)
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान , लखनऊ
पेशा
कवि
भाषा
हिंदी , अवधी
राष्ट्रीयता
भारतीय
उल्लेखनीय पुरस्कार
1998 में दुष्यंत कुमार पुरस्कार
1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें दुष्यंत कुमार पुरस्कार से सम्मानित किया। [1] 2007 में उन्हें अवधी/हिंदी में उनके योगदान के लिए शहीद शोध संस्थान द्वारा माटी रतन सम्मान से सम्मानित किया गया। [4]
गोंडवी की 18 दिसंबर 2011 को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान , लखनऊ में पेट की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। [2] [3]
उनके कविता संग्रह धरती की सतह पर (पृथ्वी की सतह) और समय से मुठभेद (समय के साथ मुठभेड़) काफी लोकप्रिय हैं। [1] [3]
उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएँ हैं -
तुम्हारी फिल्मों में गांवों का मौसम गुलाबी है [5]
मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको, आइए महसूस कीजिए [6]
काजू भुनी थाली में, व्हिस्की भरी गिलास में
संदर्भ
संपादन करना
"कवि राम नाथ सिंह, जिन्हें आदम गोंडवी के नाम से जाना जाता है, का लखनऊ में निधन हो गया"। जागरण जोश डॉट कॉम। 19 जनवरी 2011। 22 अक्टूबर 2016को पुनःप्राप्त।
"अदम गोंडवीः विद्रोह की रोशनी से लिखा बेबाक कलाम" . aajtak.intoday.in (हिंदी में) । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त ।
"कुछ इस तरह थी गोंडवी की राजनीति पर कटाक्ष" . hindi.oneindia.com । 3 नवंबर 2016 को मूल से संग्रहीत । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त ।
"जन-जन के कवि आदम गोंडवी" । दैनिक जागरण । 23 अगस्त 2020 को पुनःप्राप्त ।
"Hindisamay.com: अदम गोंडवी की कविताएँ :: अदम गोंडवी की कविता" . hindisamay.com । 22 अक्टूबर 2016 को पुनःप्राप्त ।
"\'मैं चमारों की गली तक ले जाऊंगा आपको\'" . aajtak.intoday.in (हिंदी में) । 22 अक्टूबर 2016 को लिया गया ।
आदम गोंडवी कविता/ग़ज़ल/कविता (हिंदी)en.m.wikipedia.org/wiki/Adam_Gondvi
Aapke paas emotions h yhi kafi h hmare liye thanks
@@Kamal_Sings ye Brahman he sale kshatriya Samaj ko badnam bhi carte he aur hiteshi bhi bante he
जाति के आधार पर भेदभाव हिंसा प्रताड़ना ....ऐसे कवियों को ह्रदय से नमन
लेकिन आज कल के चमार तो बोलते है की हम किंग है शेर 🤣 फिर प्रताड़ना कैसे हुई 😂
ये पंक्ति बस पंक्ति ही नहीं है... किसी समाज पर हो रहे दमन व अत्याचार का प्रमाण है 😢😢😢.🙏
अरे मेम क्या ही चमत्कारी शब्दों में आपने समाज की सच्चाई कहीं है! जो भी सुनेगा उसका भावुक होना स्वाभाविक है
धन्यवाद मेम 🙏🏻
जाति है कि जाती ही नही
मैंने कई बार इस कविता को सुना जब भी सुनता हूँ आँखे नम हो जाती है लगता है आज की ही व्यथा है।
आपको और आपकी टीम को साधुवाद।
गली चमारों की (महान हिंदी कवितायेँ) ruclips.net/video/4ay3KIXOfpE/видео.html
ये जाति है कि जाती ही नहीं, इसका दर्द सिर्फ वो ही लोग समझ सकते है।इतनी बेहतरीन रचना के लिए दिल से धन्यवाद और इसे दिखाने के लिए आपका आभार🙏
Jaisa jinhe reservation milta h woh iska support kerte ha jinhe nhi woh iska virodh kerta hai . Waise hi jinhe swarn caste milti h woh iska support kerta h jinhe nhi woh iska support kerte hai
Bhai ye jati h kabhi nhi jayegi yad rkhana q ki na to political parties chahti h or na log q ki dono ko maja arha h
@@lightsforall7076 hmm
Aao ek jatibihin samaj ka nirman kare aur , Ambedkar Sahab ke sapano ko sakar kare .
Jai Hind Jai Bheem
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली।
वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂।
पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे
जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
सलाम है लेखक की सोच को ,
आपके हृदय में उठे जोश को |
ये जोश हृदय में हमेशा बरकरार रहे,
हम भी ऐसी कुरीतियों से लड़ने के लिए तैयार रहे |🫡
बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा?
बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है?
बताओ चार वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण-ब्रह्म, सुरक्षण-क्षत्रम, उत्पादन-शूद्रम और वितरण-वैशम वर्ण कर्म किए बिना जीविकोपार्जन प्रबन्धन और समाज सुरक्षा प्रबंधन कैसे होगा?
बताओ किस राष्ट्र राज्य देश प्रदेश में चार वर्ण कर्म विभाग का प्रबंधन विधान किये बिना समाज संचालन हो रहा है?
असभ्य बकवास करना क्षुद्रक पाशविक सोच उजागर करना सवाल का जवाब नहीं होता है?
असभ्य बकवास करना दण्डनीय अपराध होता है।
शिक्षित विद्वान मित्रो ! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय,
पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं।
हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है।
हरएक मानव जन कोई भी वर्ण करके किसी भी वर्ण को मानकर नामधारी वर्ण वाला होकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
इसके साथ ही चार वर्ण में ब्रह्म वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण हैं ,
क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय हैं,
शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण हैं और
वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य हैं।
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत हैं।
पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ाना उचित सोच कदम है।
इस अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान वाली पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करवाना चाहिए और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना चाहिए।
सबजन को खुद की अपनी सोच सुधार कर किसी भी वर्ण को मानकर बताकर जीवन निर्वाह करने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।
आँखों में आंसू आ गये कविता सुन कर😢 इस कविता ने हमारे समाज की जाती प्रथा का सही आईना दिखाया है आपको सलाम हैं गोंडवी जी को लेकिन बड़े दुख की बात है यह आज भी प्रचलित है।
Right but abhi kuchh badlav h log educated hone lage law ka power lene lage
4000 साल की क्रूर जाति प्रथा का दर्द चंद लाइनों में उतर दी... अदम गोंडवी को मेरा सलाम 🙏
ادم گوںڈوی کی نظم ایک سچی اور تلخ حقیقت ہے
Phooan Devi ji ki kavita likho. Jisme reply hai.
4000 nhi.. 200 saal purani
@@pratyushrajput1090 jhooth mat bol. Sab kuch British ke upar blame mat karo. Hinduism and scriptures of Hinduism are all about Casteism. Accept it and change it.
@@nisargdhamecha8476 aap koi bhi ek scripture (written in sanskrit) utha ke usmein se koi bhi ek line bta do mujhe ki ismein yaha jaatibaad h...
Ya fir
Kisi bhi sanskrit scripture mein chamar, dalit, jaise sbd milein to aap mujhe comment krke btaye
सचमुच बहुत भावुक और दलितों के जीवन की कठिनाइयो को जीवंत कर देनी वाली कविता है,साथ ही आपकी प्रस्तुति भी बहुत शानदार थी। बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
ruclips.net/user/shorts6JEGIegBipE?si=jLsNBhrP0SAfV6Uj
Me Ise Km se km 100 baar dekh liya 😢😢
ruclips.net/user/shorts6JEGIegBipE?si=jLsNBhrP0SAfV6Uj
❤❤❤
Ak baar aur dekh lete 101 subh hota h 👍😢😢😂😂😂
@@NeetGirl_KRISHiii 😂😂😂😁
गली चमारों की (महान हिंदी कवितायेँ) ruclips.net/video/4ay3KIXOfpE/видео.html
निःशब्द हूं।
समाज का ऐसा आइना सामने लाने के लिए ऐसे कवियों को ह्रदय से नमन करता हूं।ऐसी हिम्मत सभी में नहीं होती है..... 🙏🙏🙏
Aisi kavita phli bar suni ankho se ansu aaaa gye
👍👍👍👍
Kaha se ho
@@MukeshKumar-mp6bs इंद्रलोक से
नि शब्द हूँ
ये कोई कविता नहीं हैं ये किसी के जीवन का परिचय हैं 😭😭😭😭 जय भीम 🙏🙏🙏
Jai bhim
ये कविता मैंने हजारों बार पढ़ी है। और यकीनन ये दौर आज भी जारी है। अदम साहब गोंडा के ही रहने वाले थे और ये घटना गोंडा उनके गांव की हैं। इस बारे में
मैंने कई लोगो से पता जो उसी गॉव के थे।
आखिरी चंद पंक्तियों को पढ़ते वक़्त मैंने आपकी आवाज में वो भारी पन देखा आपका गला भर आया था।
आपने उसे महसूस किया जो मैं हजारों बार कर चुका हूं
हृदय को भेद गई 😔 कई बार पढ़ी हूं ,ये घटना सत्य है ये सुनकर बहुत द्रवित हूं😢
@@sarlasiddharth sahi kaha ma'am
यही असली हिंदुओ की कहानी है इसीलिए मुझे अपने आपको हिंदू कहने मे शरम आती है
Bhai ye kahani asli hindu ki ho hi nahi sakti. Ek sacha Hindu kavi v aysi neech harkat nahi kar sakta.
Iska matab zyada tar hindu jaahil hai ?@@AbhishekKumar-wx1vg
Kon h scha hindu btaayega @@AbhishekKumar-wx1vg
अदम गोंडवी जी की कविता जितनी खूबसूरत है,
आपके पढ़ने का लहज़ा भी उतना ही खुबसूरत है।🙏🙏
और ये खुद भी
@@rishisharmasharma5437 बजरंग बली की फोटो लगाकर उल्टी बात क्यूं करे है।
Sahi kaha aapne.
धन्य है बाबा साहब जो संविधान के माध्यम से वंचित समाज को सम्मान से जीने का हक दिया । आप को कोटि कोटि नमन ।
kya samman se jeene ka haq diya samvidhan me b to obc sc st h baaki hm log to hai hi general wale to alag kya kiya ...aarakshan tumko hmari wajah se mila..caste certificate me to jaati bharte hi ho to kya samman diya ye bta do jra.
@@shivammishra5103aur pdho beta abhi, jaativaad me itne andhe na ban jao ki ye puchne lago ki ambedkar ne kya kiya.
@@cloudless_night beta mere laal mere poot padne ki jaroorat tumko h abi tumko pta nhi h baba ambedkar ko gyan kisne diya tha. Jin brahmano ko Kos rahi h na bhim army ...unke baap ko bnane wale brahman the ...smjhe isliye baap ka virodh nhi krte ...tumhare khandaan me mila kr itna koi pada likha nhi h jitne abi hm h thik h na beta ...to baap ko kosna bnd kro aur suno chuslims se bade dogle tum log ho ...sbse pahle tumhi bhagte the tumhi hhagoge abki baar phir 24 me modi aaega rok k dikha dena
@@shivammishra5103half knowledge is always dangerous and you're having too much pain
Samvidhan ka matalab saman vidhan hota hai...angrezo ke vidhan copy paste nahi...jo samaj ko jatiyon me bantata ho wo kahe ka samvidhan 😂 sirf divide n rule he
पूरी पंक्तियां सुनने की हिम्मत नहीं जुटा पाए, माफ़ करना. जब लिखा इतना दर्दनाक है तो कैसा सुलूक करते रहे होंगे ये लोग छोटी जाति के लोगों के साथ. धन्य हो बाबा साहब जो आपने हम सबके लिए संविधान जैसा पवित्र ग्रन्थ लिखा वरना ये सब तो खा जाते.
Bhai tum apni cast ko chhota kyu bol rhe ho
@@AbhishekKumar-hf4ps syd aapne pda nhi shi se
शरीर की जाति होती नहीं और आत्म अजात है। अब आप किस जाति की बात कर रहे हैं मित्र। उधार के ज्ञान से अज्ञान भला...🙏🙏🙏😊
A Huge respect and love to Respected Adam Gondvi ji
इस कविता को सुनने के बाद आज ये एहसास हुआ की हमारे बाप दादाओं ने कड़े संघर्ष के बाद ये स्वतंत्रता पाई है
जाति के नाम पर आरक्षण सबको दिखाई देता है लेकिन जाति के आधार पर भेदभाव हिंसा प्रताड़ना किसी को दिखाई नहीं देता.. निःशब्द
Right
Reservation se bhedbhav or badhega
@@jitubannaji pehle bhedbhav phir reservation aaya
Jab tak reservation tb tk bhedbhav
Jin sawarno ne aisa kiya wo neech the jo bhedbhaw karte the unka mn dushit tha lekin un logo ki saja pura savarn paye ye to uchit nhi na😞
Aaj hamara shoshan kiya ja rha hai tb sb kyu chup hai yahi hota hai jb kisi varg vishesh ko dabaya jata hai ek din wo uthega aur wahi karega jo uske sath hua aur ye pratha chalti rahegi
शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि अदम गोंडवी जी स्वयं ठाकुर थे। जिनका असली नाम रामनाथ सिंह था। ठाकुर होकर भी चमारों के लिए ऐसी कविता लिखने की हिम्मत सभी में नहीं होती। अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में उन्होंने जातिगत भेदभाव, समाज की कुरीतियों, और सत्ता को आइना दिखाया।
@@anwaransari9095 चुप रह ये दया और सहानुभूति एक गुण है जो अच्छे लोग में होता है
राम नाथ सिंह ,अदम गोंडवी
एक सच्चे मानस से उसकी जाति मत पूछो
Isme tere bare me sahi kaha likha h bhai🤣
Adam gondvi Ji ko shat shat Naman
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
I have no words, tears are just flowing from my eyes😥
रोंगटे खड़े हो गए ये कविता सुनकर,,,, धन्य हैं आप अदम गोंडवी जी 🙏🙏🙏🙏
अदम गोंडवी (रामनाथ सिंह) नहीं रहे।
कवि साहस को कोटी कोटी नमन 🌹 🌹🙏🙏
जाति धर्म अपनी छोड़।
मानवता से नाथा जोड लो।।
गर्व से कहो हम भारतीय हैं 💪🤝🇮🇳
मैडम अगर कोई व्यक्ती इस कविता को सुनकर भावुक होता है तो इंसान कहलाने लायक वो ही है 👌👌
Hmm bossi ke kyu nhi
Ye kavita nhi samaj ka adhura sach hai.
Thakur bhi garib bebas hote hai.
@@abhishekkumarpandey1842 kas
@@abhishekkumarpandey1842 ... Are lallu hum thakur kbhi gareeb nhi hote... Tum bheeksha mngo hum zamindaar the smjha
@@xyz6297 to bhai EWS kyo liya...
मानवता के नाम पर कलंक दर्शाया गया है इस कविता में वास्तव में दिल भर आता है ऐसी घटनाओं को सुनकर
आज तक ऐसी कविता नही सुनी ।आंखों में आंसू का गया।
अद्भुत
Jatiwaad k kaaran desh avi takk trakki nhi kar aaka
Tumlog ka gand se khun bhi ayega sabar Karo beta sabar
आपने तो कहानी सुनी है जिनके साथ यह हादसा हुआ होगा उनका सोचिए उनका क्या हाल हुआ होगा
@RUclips Addict matlab system thik nahi karna..?? privatisation nahi usko bechna kehte hain
कविता नहीं सर सच्चाई है।
आज भी ऐसी सच्चाई अनेकों मिल जाएगी।
समाज के घिनौने सच से रूबरू कराती कविता है।
अदम गोंडवी जी को नमन है।
अद्भुत 👏👏👏
ये कविता दलितो के साथ होने वाले अन्याय और प्रताड़नाओ का सदृश्य वर्णन करती हैं!
कवि के चरणों में नमन 🙏
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली।
वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂।
पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे
जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
अदम गोंडवी साहब को दिल से नमन
कुरीतियों के प्रति सच्ची घटना को दर्शाती यह कविता l
अदम गोंडवी की इन पंक्तियों को सुनकर मेरा मन नि शब्द हो गया ❤❤❤❤
चमारों की गली तक ले चलूंगा❤❤❤
भारतीय संविधान के जनक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जय हो❤❤❤❤
दिल को छू गया ये कविता।
आंख से अचानक ही आंसू छलक गए।
ये कही न कही समाज की वास्तविकता को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किए हैं।
नमन है ऐसे कवि को। 🙏🙏🙏
ye sachai h is samaj ki or kavita bhi dil ko bhavik kar gai or samajh main aa gaya ki Somnath mandir ko hajaro bar q loota tha jab temurlung ne Delhi main khoon ki nadhiya baha di thi tab ye dalit ko ghodi se utarne wale kahan chhipa gaye the
ये कविता मात्र नहीं , समाज की सच्चाई है और मार्मिक भाव है जो भारत के हर 7 वें इंसान को झेलना होता है हर रोज 😕
समाज की सच्चाई याने हिंदू धर्म की गंदगी. जातीभेद हिंदू धर्म की देन है.
Sahi baat sir....ye durbhagya hai
Bas yahi hamari galti h hum haar chj haar baat ko bas gernalise kr lete hn.
Takatwar ko kmjoor ne hmesha dbya h dabyega, haar koe apne se kmjoor ko dbata h. Or jo ajj kmjoor hn kal jab takawr bn jayega wo phir dusre kmjoor ko dbayega. Ye bas insani chetna ki kmi h jo kmjoor or taktwr sab me mjood h. Lekin takawr ki kmyn ko takt ka sath milta h jiske wjh se man mana bhviour rkh pata h, destructive bn jata h, uski kmyaan smne ate hn. Andaar sbke jaanwar bhara h bs ye smjik dawaab use roke hue h. Yhi manv chetana ki kmi.
Kabhi kala - gore , gareeb - Ameer, uchi jati or neechi jati ke roop me smne ayi h.
Absolutely right...
Ha ...abhi bhi Bratman m bhi ...y hi Hal h ....uchi jati bale dalet k uper Utne par Chad jate h ...Ander hi Ander khate ...y hamari barabri nhi karne chaye
मैं ब्राह्मण हूं और मेरे जन्म के दौरान मुझे इस दुनिया में लाने में एक बड़ा सहयोग उस विशेष जाति को जाता हैं जिसके हाथ का छुआ नहीं खाना चाहते कुछ पीना नही चाहते वह महिला अशिक्षित थी पर आज के डॉक्टर से ज्यादा अनुभवी नमन करता हूं उस महिला को जिसने मेरी मां का उस दर्द में साथ दिया, उसे लोग शब्दों में चमाइन कहते है सच तो यह है वह महिला मेरी मां के समान है, वह देवी थी.
❤
शिक्षित मानव द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) !
हरेक ग्राम, ब्लॉक और जिले में कितने जन पैदा हुए, कितने जन बाहर से आकर बसे, यह जांच पड़ताल हरेक तीन महीने सौ दिन दिन में होनी चाहिए। इसी के साथ किस किस साम्प्रदायिक पंथी गुरुओ के फालोअर अंधभक्त होकर माइंड सेटिंग कर जीने वाले किस ग्राम, ब्लाक और जिले में कितने जन्मे और कितने बाहर से आकर बसे ? यह जन जांच पड़ताल हरेक सौ दिन तीन महीने में अवश्य होनी चाहिए। ताकि प्रदूषण,सड़क जाम , नाली जाम बाढ आदी से राहत मिलती रहे। ग्राम और शहर में बसने रहने वाले की गिनती अवश्य होती रहनी चाहिए।
सनातन राजधर्म ( जनसेवा धर्म ) =
[ (ब्राह्म धर्म (शिक्षण ज्ञान कर्म ) + क्षात्र धर्म (सुरक्षा ध्यान कर्म) + शौद्र धर्म ( उत्पादण तपस कर्म ) + वैश्य धर्म ( वितरण तमस कर्म ) + ब्रह्मचर्य आश्रम धर्म ( ज्ञान प्राप्त कर्म ) + गृहस्थ आश्रम धर्म ( संतान प्राप्त कर्म ) ] + [ वानप्रस्थ आश्रम धर्म ( ऋण उतार कर्म ) + यतिआश्रम धर्म ( संन्यास मोक्ष कर्म ) ] ।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्राजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।।ॐ ।।
ब्रह्म = ज्ञान
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग।
ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक।
हे मनुष्यो !
जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं।
हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं।
इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है।
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं।
यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
शिक्षित विद्वान मित्रो ! जन्म से हरएक मानव जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन को जानना चाहिए कि वे जन्म से मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय,
पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं । इसलिए हरएक मानव जन खुद को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला मानकर बताकर जी सकते हैं।
हरएक महिला मुख समान ब्राह्मणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैशाणी हैं।
चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म होता है।
हरएक मानव जन कोई भी वर्ण करके किसी भी वर्ण को मानकर नामधारी वर्ण वाला होकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। सबजन को समान अवसर उपलब्ध है।
इसके साथ ही चार वर्ण में ब्रह्म वर्ण कर्म जैसे कि शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत कर्मी जन हैं वे कर्मधारी ब्रह्मण हैं ,
क्षत्रम वर्ण में सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश गार्ड कर्मी जन क्षत्रिय हैं,
शूद्रम वर्ण में तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार कर्मिक जन शूद्रण हैं और
वैशम वर्ण में वितरक वणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर जन वैश्य हैं।
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन चारो वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत हैं।
पौराणिक वैदिक सनातन दक्षधर्म शास्त्र के साथ साथ प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध है।
बुद्ध प्रकाश प्रजापत की इस पोस्ट को पढ़कर समझकर ज्ञान बढ़ाना उचित सोच कदम है।
इस अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान वाली पोस्ट पढ़कर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन करवाना चाहिए और आवश्यक प्रिंट सुधार करवाना चाहिए।
सबजन को खुद की अपनी सोच सुधार कर किसी भी वर्ण को मानकर बताकर जीवन निर्वाह करने का समान अवसर सबजन को उपलब्ध है।
वर्णजाति और वंशज्ञाति -
दोनो का मतलब समझना चाहिए।
विभाग/ पदवी ( वर्ण/जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग जीविका पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका विभाग पदवि वर्ग में कार्यरत जनों की सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि वर्णाश्रम संस्कार व्यवस्था प्रबंधन किया गया है । वैदिक सनातन ऋषि राजर्षि संसद जनों द्वारा निर्मित वर्णाश्रम प्रबन्धन संस्कार विधि-विधान नियम ज्ञान सबजन को प्राप्त करना चाहिए।
वंशज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आश्रम व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है चार आश्रम परिवार कल्याण विधि-विधान नियम वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा किया गया है।
चारवर्ण शब्द और चार आश्रम शब्द को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण किया गया है । मानव समाज को बेहतर बनाने के लिए वर्णाश्रम संस्कार विधान की की गई है
चार वर्ण कर्म विभाग =
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education
2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection
3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production
4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन जनसेवक ( दासजन ) नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण में कार्यरत हैं ।
चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा चिकित्सा विभाग
2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान सुरक्षा न्याय विभाग
3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग
4 - वैशम वार्न = वितरण वाणिज्य व्यापार विभाग l
पांचवे वेतन भोगी दासज़न जनसेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचजन सनातन वेद दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान व्यवस्था है l
हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण क्रय विक्रय वाणिज्य वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l
चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र आयु के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l
जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य को बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन शाश्वत दक्ष धर्म संस्कार ज्ञान विज्ञान विधान है l
जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो वे बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से उठाकर क्रय कर दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट कर विक्रय वितरण कैसे होगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वित्त आढ़त कैसे होगा ?
पोस्ट निर्मिता बुद्ध प्रकाश प्रजापत।
जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ।
हे मानव जनो इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को उनकी सोच सुधार के लिए भेजते रहें ।
जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
आपको और कवि अदम गोंडवी जी को बहुत बहुत धन्यवाद। समाज की सच्चाई को बयां करती एक महान कविता।
Jaati ek post hain koi insan nahi sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎
@@underworldevolution2564😂😂😂😂castiest parasites defending everything
प्रणाम है श्री अदम गोंडवी जी को जिसने इतनी सुंदर छवि और वास्तविक समाज से रूबरू कराया इस कविता के माध्यम से। कविता के शब्द और पंक्ति अदभुत हैं और मैम की आवाज एहसास दिलाती है जेसे की कविता के शब्द सीधे कानों को छूते हुए हृदय को छू गई। शायद यह कविता समाज को एक साथ कदम से कदम मिलाकर बिना जातिवादी और बिना भेद भाव के आगे बढ़ाए।
धन्यवाद
दिल को छू लिया, आंखें नम हो गया इस वास्तविक कविताएं सुनकर ऐसे ही कविताएं सुनाए करे दिल से धन्यवाद 😭😭😭😭🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Yeh kavita nhi सच्चाई है दलितों की ठाकुरों ने बहुत जूल्म किया था 🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺🇪🇺
अश्वेत जाति का जो प्रताड़ना हुआ है कई दशक पहले उसको सुन कर मन घबरा जाता है की क्या कुछ नहीं झेला होगा
Yeh aaj bhee sach hai, hathras main kya hua
जातिवाद व स्त्री शोषण को प्रस्तुत करती अदम गोंडवी की कविता। गोंडवी जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
Adarniye gondvi ji ko bahut bahut saidu vaad aap ki mahenat ko ham khali nahi jane denge is ko jan jan ko pahuchakar chodenge or jinhone ye kavita sunai h unka bhi bahut badhai bahut dhaniywad 🙏💐💐
.tum batao puri duniya me jati pratha..aaj tum proof karo ab kaha jati hai..koi jati ko nahi manta....except shadi vivah ke
Aur adam gondavi ko musalmano me 72 firake hajn usper likho..
72 hoor ka dalal alla per kucch likho..
Hallala per likho.
Ladki ko gulam banao..rape karo muhammad ne yahi likha hai us per likho..kafir ko loot maro usper likho
लिखने मात्र से काम नहीं चलता ! नारीमुक्ति दाता भेदभाव का अंत करने वाले हस्ती बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को नमन
अदम गोंडवी जी भी एक ठाकुर जाती से थे
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली।
वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂।
पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे
जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
इसे सुनकर आंसू आ गए
सलाम है ऐसे कवि को जो देश की वास्तविकता को सामने लाए
भावुक हो गया धन्य है वो लोग जिन्होने समाज से जातिवाद खत्म करने का प्रयास किया।
यह कविता सुनकर आखों में आंसु आ गय😢😢😢😢😢😢
*अदम गोंडवी जी को नमन*
*लाजवाब कविता*
*कविता दिल को छू गई और आँखों में आँसू आ गए*
Jati todo samaj jodo.Arthik asamanat ki khayi. ko puri tarah pato.
बहूत ही सुन्दर पंक्तियाँ ,ये कड़वी सच्चाई है जिसको कोई झुठला नही सकता
कविता ----अदम गोंडवी जी बेहद जीवन्त लगी। आज भी दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के समाज के साथ दरिंदगी को बयां करती ये कविता कितनी प्रासंगिक है जो देश की सत्ता पर काबिज सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है।बहन ऐसी कविताएं लाती रहिए,आपका ये प्रयास सराहनीय है।
ऐसे लेखक को सलाम है, सच लिखने हिम्मत हर किसी में नहीं होती, विरले होते हैं।
सुनकर बड़ा भावुक हो गए हैं
ये कैसी आज़ादी है जो आजादी मे गुलाम है
कितनी पीढ़ा की बात है कि जिस समाज में
इंसान को इंसान नहीं समझा जाता है
Apke ki soch achchi lgi sir ji
समाज की हकीकत बयां करती कविता अदम गोंडवी जी को इस लेखन शैली के लिए मेरा कोटि कोटि नमन।💐🙏🙏💐
बहुत खूब लिखा है। मेरे देश के मजबूर, मजलूम लोगों की गाथा है ये कविता। कहीं धर्म के नाम पर कहीं जाती के नाम पर उत्पीड़न की इंतहा हो रही है।
@@akm9101 qud se ku nahi karte qud me himmat nahi kab tak dusre k sahara apne liy rasta saaf karo to zyada acha h qud par confidenc karo aqir tum bhe es desh k nagrik ho
@Secret Superstar sunni shiya h par esa nahi karte or Bodh snatan Panjabi wo kiy h aha ha
Adam godaji ji ne kitne logo ki aankhe khol di...salute to him..
Aap ne sab k samne rkha ..Sukanya ma'am
सदा सर्वदा सटीक सत्य है ये कविता ही नही बल्कि निम्न वर्ग समाज के लोगों का पीड़ा है जो अदम गोंडवी जी ने महसूस करके उसका वर्णन किया है।
मैं ऐसे कवि को बार बार सादर प्रणाम करता हूं🙏🙏🙏
में इस कविता को सुनकर भावुक और आखों में आसुं आ गये वो लोग जिन्हेंने वो दर्द सहा
बहुत मार्मिक कविता दीदी जी , और आपकी प्रस्तुति भी अत्यंत शानदार है , शायद ही इसके भाव को समझाने का कोई दूसरा आवाज़ मिले 🙏🙏
Thank you mam
Mene aapko or in lekhak ko pehli bar suna h or is ko sun kr meri aakhon me aanshu aa gye
Aisa lag rha tha jese pura drashya aankhon ke samne hi chal rha ho
Me bhi esi jati se hu or ye such h jo bhi aapne padha
Thanks
जाती और समाज के नाम पर कड़वा प्रहार करने वाली कविता के लिए ....
'अदम गोंडवी' जी को सादर नमन...🙏
Jaati ek post hain koi insan nahi sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎
@@underworldevolution2564 to
@@underworldevolution2564 epitome of moulding arguments according to your needs...things which you cant defend you blame it to non scientific concept of karma to perpetuate your position of power defined by caste...
अदम गोंडवी को पढ़ने की हिम्मत और कोई चैनल कर भी नही सकता, साधुवाद ।।
इस समाज की सच्चाई से रूबरू कराती है यह कविता , रुला दिया 🙏🙏
Ye kavita sunkar Mera bhi gala bhar aya kese jeete honge log is duvidha me , aj bhi ye duvidha hai hamare desh me😢😢
अदम गोंडवी जी ने इस कविता में दलित जिंदगी को पूरी तरह से छू लिया है। सबसे ज्यादा दिल छू लेने वाली कविता।
kushwaha kon hote hai
@@alwayswithhumanity4520 बहुत सही जवाब दिया भाई
Aap dalit h😳
@@mrinalsingh2016 dalit
@@mrinalsingh2016 Dalit
आपके पढ़ने से ऐसा लगा जैसे यह घटना हमारे सामने चल रही हो 🙏🙏🙏
जिस तरह आपने सुनाया उससे कविता का बल दस गुना बढ़ गया।
When you can actually feel the emotion and depth. It's just amazing.
मैं राजपूत समाज से हूं
इस कविता को सुनकर निशब्द हूं क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की कड़वी सच्चाई है
जितनी बार भी इस कविता को पढ़ती हूं मैं जोर जोर से रो पड़ ती हूं
लेखक तथा वक्ता दोनों को मेरा सलाम
@@Traderdhiraj इस बारे में अभी तक में किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई
समय समय पर ब्राह्मणों ने अपने मंदिर तथा अपने धार्मिक साम्राज्य की रक्षा के लिए
आम कबीले वालों को क्षत्रिय बताकर सीमांत में नियुक्त कर दिया करते थे
वह उन्हें कभी अग्नि से कभी सूर्य तथा कभी चंद्रमा से उत्पन्न हुआ बताया करते थे
लेकिन विज्ञान पढ़ने के बाद हम यह जानते हैं कि इसे कभी कोई मनुष्य उत्पन्न नहीं होता
स्पष्ट होता है
कि ब्राह्मण क्षत्रियों को उनका उत्पत्ति का स्थल नहीं बताना चाहते थे
कई क्षत्रिय शुद्र भी हो सकते हैं
कई विदेशी रक्त भी हो सकते हैं
@@Traderdhirajbakchodi band kro
@@Traderdhiraj rajput pahle bhi kshatriya the or ab bhi kshatriya hai or aage bhi kshatriya rahenge
Chutney😂
Koi bhi kisi ka dushman anayaas nahi hota ek ki galti ki vajah se sabako gali sunna padata hai samaj main aise bahut se thakur mil jayenge jo apane jindagi samaj kalyaan ke liye lga diye aadami ka charitra kabhi nahi badalta hai jab se sanvidhan lagu hua hai tab se dekh lo kitane thakuro ne ye ghatiya kaam kiya hai aur jo karte hai usake virodh main bahut se thakur khade bhi ho jaate hai jisaka samman hota hai usi ka sabase jyada bejjati bhi ki jaati hai
चाहे कितना भी दर्द दिल में ये कविता सुनने के बाद आया हो पर जब वोट देने की बात आयेगी, तो ये कविता दूर दूर तक याद नही आयेगी। चाहे वो कितना भी बुरा इंसान क्यो ना हो। कुछ
1% को छोड़कर।
रुला दिया इस कविता ने।
Awesome voice Aastha
वाकई एक बड़ा दिल चाहिए ऐसी कविता से रूबरू होने के लिए. दिल भर आया. कविता का नाम है चमारों की गली. इसीलिए मैं जाती के बारे मे कहना चाहता हूँ कि मैं एक जाट हू. और मुझे खुशी इस बात की है कि मेरे गाँव में कभी ऐसा नहीं हुआ. बल्कि किसी गरीब की बेटी की शादी में मैंने देखा मेरी माँ उनकी छोटी सी मदद कर देती थी. एक छोटी सी मदद करके उससे ऐसे कमेन्ट में लिखना अच्छा नहीं है. लेकिन मुझे गर्व है कि मेरे गाँव में लोग प्यार प्रेम से रहते हैं. सभी को सादर प्रणाम 🙏
इस कविता ने अंदर से झकझोर दिया हर हाल मे ऐसा ही साहित्य लोगो को पढ़ कर जागरूक होना चाहिए बहुत बहुत आभार साधुवाद एवं सद्भावनाएं जय संविधान जय भीम
अदम गोंडवी साहब ने दलितों का दर्द अपनी कविताओं में लिखा है उसके लिए मैं दिल से धन्यवाद देता हूं आपकी कविता मेरे दिल को छू गई इसमें वास्तविकता व्यक्त की गई
Such a powerful poem. Have read many poets from subaltern, marginalised and oppressed sections from across the world.. but this is one of the best I have ever come across. I must also admire the recitation. Such works deserve to be translated into other languages.
यह सत्य और दलित वर्ग के दर्द को अपके द्वारा इस कविता के माध्यम से जाने के लिए धन्यवाद आपका 🙏🏻
हिन्दू कौम दुनिया की एकमात्र ऐसी कौम जो अपने बच्चों को कुछ और सिखाये या नहीं
पर जाति व्यवस्था की ऊंच नीच ज़रूर सिखाते हैं 🤔🤔🤔🤔🤔🤔
Ryt bro
Right
अरबो रुपये की बात केह दी आप ने सर 🙏
कसम से बहन जी खून खोल गया 😡😠😠 इतनी बद्तर हालात थी हमारी,हमारा कसूर क्या था की हम चमार थे,जिसे नीच जाति के नाम से जाना जाता था,,,आपकी हिम्मत है जो नई जागृति समाज में लेकर आ रहे हो
Oye tere paise diye the kya bo kuch ban gaya hai tho tujhe bhi hak hai jineka or chamaro ko bhi hak hai jine ka jo sale tu un chamaro khane deta hai kya🤬😡😠😡😡
भाई जाति तो एक फैक्टर जरूर था
पर सबसे बड़ा फैक्टर जो था वो मत भूलो
वो था उनका कमजोर होना
साहस की कमी
अगर वो होता तो ठाकुर क्या थे
मैं भी ठाकुर हूं पर
मेरी गलती के लिए सारे ठाकुर दोषी नहीं हो सकते
जाति ने ठाकुरों को ताकत दी
मगर इससे बड़ी ताकत शोषण होने वाले के द्वारा विरोध ही न होना
और न ही समाज द्वारा इश्का विरोध होना
अगर उस समय वो साहस दिखाते और
उनके लोग हिम्मत करते तो क्या वो ठाकुर कुछ कर पाता
ठाकुर बहादुर और साहस के बल पर ही राज करते रहे
गांव देहात में इनकी संख्या बाकी जातियों से कम रही पर दबदबा रखा
एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में गए तो वहां भी कब्जा किया साहस के बल पर
और वही साहस तुम्हें भी दिखाना चाहिए
तभी जाति प्रथा खत्म होगी
मैं स्वयं चाहता हूं ये नष्ट हो जाए
बहुत ही क्रूर और शोषण करने वाली है
ठाकुर से उम्मीद करने के बजाय स्वयं कुछ करो
क्योंकि वो अपनी सत्ता ताकत बनाए रखना चाहत है
@कोलाहल स्वामी kolahal swami
Kavi sahi bol Raha hai...iska live example hai Phoolen Devi...jao pehle uske bare me search Karo...ye sirf kavi ki kalpana nahi hai...
@कोलाहल स्वामी kolahal swami andhbhakto ke andbhakt tu kitna padha hai ki tere ye pata nahi poet reality likhte hai sam aj ki dasha aur samaj me ho Rzahi ghatnao ko dekhte huye hai wah Kavita ko roop me sabhi dasao ko prastut karta hai tere ko dalito ki kahani jhoothi hai to itihas dekh pandit pakhandi
@कोलाहल स्वामी kolahal swamiऐसे तो महाभारत aur रामायण भी काव्य थे तो वो भी क्या लेखक की ऐशनाये थी
दीदी आपने कविता का बड़े मार्मिक ढंग से वर्णन किया है आपके मुंह से कविता सुनकर हम भी भावुक हो गए ये सच्चाई है मानवता तथा हिंदू धर्म को कलंकित करने वाली सच्चाई है लेकिन आज भी यही हो रहा है बड़े शर्म की बात है कि 21 वी शदी में भी ऐसी घटिया मानसिकता के लोग रहते हैं जो छूआ छूट की बीमारी से ग्रसित हैं घृणा इस कदर भरी है कि मासूम बच्चों पर भी रहम नहीं खाते हैं अभी राजस्थान के जालोर जिले की घटना है 9 साल के मासूम को स्कूल में अध्यापक ने पीट पीट कर मार डाला कसूर सिर्फ इतना कि उसने मटके को छू लिया
बहुत खूब। यही है भारतवर्ष की असलियत। बहुत दुख होता है जब सरकारें बोलती हैं कि देश ने बहुत तरक्की कर ली है। मैं कहती हूँ कि जब तक किसी एक भारतीय पर भी जाती के कारण या गरीबी के कारण अन्याय हो रहा है तब तक ना तो देश ने तरक्की की और ना ही वह गुलामी से मुक्त हो सका। मुझे England में रहते हुए 45 साल हो गये हैं लेकिन अपने देश के लोगो के लिए आज भी आंख भर आती है।
लल्लनटॉप हमेशा कुछ नया लेकर आती है👍
सराहनीय एक कविता रोज 🙏
मेरी आँखे नम हो गई ये एक सच्चाई है जो दलित भाईयो बहनो पर हर रोज किसी न किसी तरीके से बितती है😌
जब कभी उदास होता हूं तो यह कविता सुनता हूं बार-बार सुनने का मन करता है बार-बार धन्यवाद अदम गोंडवी जी
Aapke sahas ko mera 🙏🏼 naman ❤❤❤❤❤
अदम गोंडवी की कविता जो आप ने पढी सच मे भाव विभोर कर दिया ❤आपके बोलने के तरीके से कविता में जान सी भर देती है।
धन्यवाद हमारे साहित्य के अनमोल खजाने से रूबरू करवाने के लिए ❤❤🎉 तहदिल से शुक्रिया 🎉🎉
लेख में सचाई है और mam ने पढ़ा बहुत अच्छा है
कण्ठ मे पीड़ा का ज्वार फूट पड़ा, ज़बान भी कुछ लड़खड़ाई।भावुक होना ये पहचान है कि आप कविता के मर्म को समझने मे सफल रहे।
Peeda sabko hoti hai sirf manuwadiyo ko maja aata hai
वाकई ।। हृदय को झिंझोड़ देने वाली कविता है, शायद इस कविता के माध्यम से कुछ लोगों को समझ आए, गरीब व दलितों का दर्द
हमें गर्व है कि हमारी पावन धरती गोंडा पर अदम गोंडवी जैसे कवि लेखक हुए नमन 🙏
Wah kye acting krte ho . award milna chahiye notanki
gonda me kha se ho bhai
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली।
वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂।
पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे
जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
अदम गोंडवी साहब को मेरी सत सत नमन,,🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमन है ऐसे कवि को जो इस जाति प्रथा को उजागर किया 😓😭😭😭देश में दलितों का आरक्षण सबको दिखाई देता है लेकिन उनकी हालतों को कोई भी नहीं समझता 🙏🙏🙏🙏
@Jonty Mol hamare purvajo ne jo bhukta uski ladayi Ladi or unko fayda mila apke purvajo ne jo chori or beimani ki uske badle me apse reservation cheen gya jo salo se ap ke pas tha
Jab bhagwan Ram ne apne father ka karm bhugta vanvas kar kar to app bhi bhugtane ke patr he
@Jonty Mol ajj ki generation intercaste marriage kar rahi he mostly jese jese cast khatm hogi wese wese reservation bhi khatam ho jayega
@Jonty Mol government ke bolne se khatam hota to kab ka ho jata government sirf kanoon banati he or ek bat sabhi kota ka upyog nhi krte he jiske pas pesa he wo gov job ki seat kharid skta he ajj bhi wo ye sach he
Aaj ke समय मैं ये कविता लिखी जाती तो इसका नाम होता- सवर्णो की गली।
वो सवर्ण जिनका हक छीना गया सबसे ज्यादा मेहनत के बाद भी फल उन्हें सबसे कम दिया गया, न स्कॉलरशिप मिली, न फ्री राशन, न मेरिट के आधार पर चयन, न किसी योजना का लाभ, न सरकार से कोई सहायता🙂।
पर फिर भी कहने को ये हुआ कि ये सवर्ण है इनके पूर्वजो ने हमे नीच दिखाया इसीलिए सजा इनको देगे, इनके बच्चो की रोटी छीनेंगे
जी हां ये सवर्ण है जिनका दुखड़ा भी सुनकर लोग भड़क जाते हैं
@@haryanvijatt2672 acha mazak he poem ka mtlb apko samjh nhi aya usme ek ladki ke rape ki bat ho rahi he jiski awaj ko dabaya ja raha he free rashan Pani par hi dimag chal raha he abb tak ye insaniyat ke upar he poem
Or likhne wala bhi ek swarn hi he
में भी ब्राह्मण हु किंतु सभी दलित मेरे प्यारे मित्र हे हमने सुना जरूर है किंतु तीन पीढ़ी से मैने मेरे परिवार में कोई भेदभाव नही देखा और ना ही किया ये चालीस वर्ष पूर्व ही हमने हमारे दादाजी से सीखा, हे।सभी धरती के लाल हे और दिल से भाई है,जय भारत माता।हम सभ सनातनी हे थे और एक होकर रहेंगे।❤
Ye shanatni kya lga rkha h hindu bolne mae sharm lgta h
Dimag thikane hai ki nhi sanatani bola to kya galat bola satya jo hai wahi to bola @@palakison1970
India me rehne waale saare log Hindu hai.
Sanatan ek alag shabd hai. Hame na hindu bolne me sharam aati hai na Sanatani @@palakison1970
निपच्छ पत्रकारिता के लिए आपको सादर प्रणाम जो समाज के सभी वर्ग विशेष के लोगो की दुख दर्द को बताती है ।🙏🙏🙏
आदरणीय अदम गोंडवी जी अमरकविता भारतीय समाज की सामाजिक न्याय व्यवस्था पर गहन चिंतन करने को मजबूर करती हैं।यह कविता साझा करने के लिए आप को बहुत-बहुत शुक्रिया।✨✨✨🙏
आप की सशक्त प्रस्तुति ने अदम गोंडवी जी के शब्दचित्रों को जीवंत कर दिया। लगा, जैसे आँखों के सामने कोई फ़िल्म चल रही है। बहुत-बहुत साधुवाद।
हम अपने आप को तो गर्व से चमार कहते हैं ,
हैं जय भीम जय चवर वंश
आपको रोना देखकर मुझे रोना आ गया 😥😥
ऐसा जानवरो के साथ व्यवहार नहीं होता है
जैसा हमारे साथ होता है ऐसा लगता है की हम कचड़े में पैदा हुए है मां की पेट में नही 😥
Sahi haha Bhai
Mai jaha bhi Jata Hun log MERI Kati poochate hai aisa feel ata hai Jaise Mai ensan Nahi Hun
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है ।
यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं ।
शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं।
चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है।
कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं।
कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं।
द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं।
शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं।
अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है।
क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) !
जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए।
पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है।
वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है।
विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l
चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है
चार वर्ण विभाग =
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education
2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection
3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production
4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution
वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं ।
शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l
जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है।
चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l
1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग
2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग
3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग
4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l
पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l
हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l
चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l
जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l
जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
I really felt like crying...samaaj ko Aina dikhane wali kavita. Truly beautiful
आंखों में आंसू और पूरे शरीर मे सिरहन सी दौड़ गयी। अद्भुत। समाज को आइना दिखाती कविता
Whenever i read or listen this poem ,I feel pain,grief,anger at the same time.
सुन कर दिल झकझोर दिया। गोंडवी जी ने 21वीं सदी के वर्तमान भारत में भी हो रहे 4000 बरस पहले की तरह अत्याचार को उन्होंने अपनी कविता में वस्तुतः उतार दिया, और आज के समाज को भी उन्होंने वास्तविकता से परिचय कराया है इस कविता के माध्यम से। इतनी हिम्मत करने के लिए उन्हें मेरा बार-बार नमन,और साथ-साथ आपकी भावना से भरी कविता का पाठ करना, नमनीय है ।
4000 बरस पहले कोइ चमार नाम की जाति नही थी भाइ।
4000 साल पहले कहा जाति थी
लेकिन श्रीमान मुगल काल से पहले चमार शब्द का तू कहीं भी वर्णन नहीं है हां राजस्थान के चमार वंश का इतिहास इब्राहिम लोदी के समय जरूर पाया जाता है लेकिन उस समय तो चमर वंश क्षत्रिय था
यह कविता सुनकर मेरे हृदय रूपी यमुना से आंसुओं की गंगा बहने लगी। आप जिस प्रकार से कविता को पढ़ें। उस मर्म को जानकर मैं आंसू को रोक नहीं पाया।
बहुत ही अद्भुत पाठ पढ़ा है आपने अत्यंत आत्मीयता से परिपूर्ण समाज का वास्तविक चित्रण करने के लिए, आपको आपकी वाणी लिए बहुत-बहुत शुक्रिया और अदम गोंडवी साहब को इस सच्चाई को लिखने के लिए शत शत नमन
Jaati to ek post hain sharir to karmo anusar har janam mein badal jata hain jo aaj vaushya sudra hain wo kabhi bramhan thakur thae hum sab to atmaa hain jiska sambandh sirf bhagwan se hain 😎😎😎😎😎😎😎😎😎
@@underworldevolution2564 tere naam se teri soch mel nhi khati it cell...
@@Gfjfjfhbbdb Western philosophers ka manana hain india ke vedshastra surya ke saman hain jabki west ki books unke samne jugnu hain wo vedo pe resarch karte hain itne zayda scientific hain wo unka manana hain ki ye kisi insani buddhi ke likhe ho hi nahi sakte
@@underworldevolution2564 WhatsApp se pta chala na 😂😂
@@Gfjfjfhbbdb nahi sabko apni tarah samjha kyaa 😂😂😂😂😂
बेहद मार्मिक कविता है , जिसे रोंगटे खड़े हो गए 😢
एक जमीनी हकीकत को बया करती यह कविता ने झकझोर दिया 🙏🥺🇮🇳❤️
बहुत-बहुत साधुवाद है जी आपको लेखक की कविता सुनकर मैं भी भावुक हो गया सलाम करता हूं आपको