ICE CREAM FACTORY: उत्तराखंड के उद्यमी के हौसले की कहानी I Buransh Ice Cream I Milky Day

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  • Опубликовано: 23 авг 2024
  • ‪@DugDugiRajesh‬
    देहरादून के ग्रामीण इलाके कालूवाला में, आइसक्रीम फैक्ट्री सुंदरम डेयरी को लगभग तीन साल हो गए हैं। यहां मिल्की डे (Milky Day) ब्रांड 85 फ्लेवर में आइसक्रीम उपलब्ध करा रहा है। आठ हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता वाले प्लांट में इन दिनों दिनरात की शिफ्ट में आइसक्रीम बनाई जा रही है, देशभर में आइसक्रीम मार्केट के ट्रेंड को देखते हुए उम्मीद है कि इस साल मांग पिछले साल से अधिक होगी।
    बुद्धि सिंह ज्याड़ा, जिन्हें भारत में, दूध और आइस्क्रीम के बड़े ब्रांड अमूल में लगभग 24 साल की सेवाओं का अनुभव है। 47 साल के ज्याड़ा अमूल के इंजीनियरिंग विभाग में थे। नवंबर 2019 में, उत्तराखंड में आइसक्रीम फैक्ट्री की शुरुआत की। शुरुआत में, गर्मियों में बढ़ती सप्लाई को देखते हुए शुरुआती तौर पर, लगभग 35 से 40 लाख की लागत का उत्पादन किया गया। इसमें से लगभग 24-25 लाख की आइसक्रीम कोल्ड रूम में रखी गई थी।
    ज्याड़ा बताते है, पहला साल बहुत अच्छा नहीं रहा। मार्च में कोविड के चलते लॉकडाउन लग गया। पूरे साल कोल्ड रूम में पड़ा उत्पादन एक्सपायरी डेट पर पहुंच गया। दिसंबर में उनको भरे मन से लगभग 25 लाख का उत्पादन बड़ा गड्ढा खोदकर दबाना पड़ा। डिस्ट्रीब्यूटर्स को सप्लाई की गई आइसक्रीम का लगभग छह-सात लाख रुपया भी नहीं मिल पाया। लगभग 40 लाख रुपये का भारी नुकसान पहले साल ही झेलना पड़ा। इसमें बिजली - पानी के बिल, कर्मचारियों की तनख्वाह, बैंक की किस्तों सहित कई और खर्चे शामिल हैं।
    पर, हम हिम्मत नहीं हारने वाले थे, फिर से नई शुरुआत की, 2021-22 में हमारा टर्नओवर 30 से 35 लाख रहा, जो 2022-23 में लगभग सवा करोड़ पहुंच गया। अब 2023-24 में लक्ष्य इस टर्नओवर को लगभग साढ़े तीन करोड़ तक पहुंचाना है, देखते हैं, इसमें कितना सफल होते हैं। वर्तमान में कालूवाला और आसपास के गांवों से 20 लोगों को प्रत्यक्ष तथा लगभग 40 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से आइसक्रीम रोजगार से जोड़ा है। यदि, यह कारोबार सफल हो जाता है तो 70 लोगों को प्रत्यक्ष और लगभग 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने की योजना है।
    फैक्ट्री संचालक बुद्धि सिंह ज्याड़ा बताते हैं, आइसक्रीम में बुरांश का प्रयोग पहली बार हो रहा है। टिहरी गढ़वाल की डागरपट्टी के दो गांवों के कुछ लोगों को असम भेजकर बुरांश कलेक्शन का प्रशिक्षण दिया है। इसको ठीक उसी तरह कलेक्ट किया जाता है, जैसे चाय की पत्तियों को। बुरांश हमारे खानपान से जुड़ा है। हम चाहते हैं कि देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले पर्यटक बुरांश की आइसक्रीम को स्वाद जरूर चखें।
    ज्याड़ा के अनुसार, उत्तराखंड में आइसक्रीम के कारोबार की काफी संभावना है। यहां आइसक्रीम का बाजार लगभग 500 करोड़ का है, जिसमें हर साल लगभग 20 फीसदी बढ़ोतरी हो रही है। जबकि यहां मांग के अनुरूप उत्पादन काफी कम है।
    भारत में आइसक्रीम का बाजार कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है, IMARC Group की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में यह INR 194.1 बिलियन तक पहुंच गया। उम्मीद है कि 2028 तक बाजार 508.4 बिलियन तक पहुंच जाएगा। 2023-2028 के दौरान 17.5% की वृद्धि दर प्रदर्शित करेगा।
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