शर्मा ब्राह्मण का इतिहास | शर्मा शब्द का अर्थ क्या है? | पहला शर्मा ब्राह्मण कौन था?
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- Опубликовано: 7 фев 2025
- गोत्र के आधार पर भी ब्राह्मणों में बड़ी संख्या में विभाजन हैं. बाद में ब्राह्मणों ने अपने नाम के साथ द्विवेदी, चतुर्वेदी, पाठक, जोशी, पंडित, दीक्षित आदि कई उपनाम जोड़ने शुरू कर दिए. आइए इसी क्रम में जानते हैं कि शर्मा कौन से ब्राह्मण होते हैं.@castehistory
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References:
•Monier-Williams, Monier (1899). A Sanskrit-English Dictionary: Etymologically and Philologically Arranged with Special Reference to Cognate Indo-European Languages. Oxford: Clarendon Press. p. 1058 col.2. OCLC 685239912.
•"Assamese Surnames". Languageinindia.com. 4 April 2003. Retrieved 20 October 2011.
•"Sensharma Origin according to Vabisyapurana". m.tribuneindia.com.
•Man Madhukar Khelat Vasant
By Osho · 1995Monier-Williams, Monier (1899). A Sanskrit-English Dictionary: Etymologically and Philologically Arranged with Special Reference to Cognate Indo-European Languages. Oxford: Clarendon Press. p. 1058 col.2. OCLC 685239912.
•"Assamese Surnames". Languageinindia.com. 4 April 2003. Retrieved 20 October 2011.
•"Sensharma Origin according to Vabisyapurana". m.tribuneindia.com.
•Man Madhukar Khelat Vasant
By Osho · 1995
Sharma tittle belongs to all the Saraswat Bhatt Brahmins as per the Vedic history.
Vishwakarma barhamin samaj ki jay🚩🚩
I AM ASSAMESE BRAHMIN SARMA❤Jai maa kamakhya❤
Sharma most popular surname of Brahman
Kuch jaati ke log hamara surname chura rahe hain
Whi na bhai
@@modsawandadonisala1235😅😅
Shi kaha hame rokna chahiye
Hmm Sahi kaha aapne
Sahi jha
मनुस्मृति के द्वितीय अध्याय में वर्णित है कि ब्राह्मण का नाम शर्म युक्त, क्षत्रिय का नाम शर्म युक्त और शूद्र का नाम दास युक्त होना चाहिए। मनुस्मृति ६ वीं सदी लिखी गई थी।
क्षत्रिय का नाम वर्मा ना की शर्मा
Yes sharma/vishwakarma
Brahman hai
Sharma from Nepal here
बलि देने का काम शर्मा ब्राह्मण ही करते थे। इस तथ्य को आपने बताया ही नहीं ।
बलि को शरमन भी कहा जाता था,उसी से शर्मा शब्द बना है।
शर्मा का अर्थ सुखदाता होता है ना की बली
सत्य नहीं बताते हैं पाखंड फैलाना है
यजुर्वेद पढ़ो शर्मा शब्द विश्वकर्मा ब्राह्मण के लिए है।।तुम अर्ध ज्ञानी हो।।
Bohot acha video par bhai music kuch bhi mat daala karo
Dhol wol kaun daalta hai educational video me
The main surname of Brahmins is शर्मा as per अग्नि पुराण।
शर्मा का शाब्दिक अर्थ विद्वान होता है पुरातन काल में सभी ब्राह्मण शर्मा ही कहलाते थे बहुत बाद में त्रिवेदी पाठक मिश्रा आदि का वर्गीकरण हुआ वर्गीकरण होने के समय त्रिवेदी पाठक मिश्रा आदि एक दूसरे को छोटा साबित करने लगे तब से ब्राह्मण अधोपतन की ओर चल गया
सनातन में सभी प्रकार की पूजा अर्चना हवन आदि की पद्धति में आचार्य के बिना कोई अनुष्ठान संपन्न नहीं हो सकता और आचार्य का पद ya स्थान शर्मा के अतिरिक्त अन्य कोई धारण नही कर शक्ता है यदि धारण करता है तो वह अपने को स्थापित मंत्र श्लोक के द्वारा शर्मा में कनवर्ट करेगा तभी आचार्य का पद धारण करने का अधिकारी होगा
जिसे शर्म भी शर्मा जाए उसे कहते हैं शर्मा 😂😂
यजुर्वेद के अध्याय-4 श्लोक-9 के अनुसार शर्मा लिखने व कहलाने का अधिकार केवल शिल्पी विश्वकर्मा ब्राह्मणो को ही है।
बहुत सुंदर🫡👏
ऋग्वेद के अध्याय 4 श्लोक 9 में ऐसा कुछ नही लिखा कृपया फेसबुक का ज्ञान मत दो असलियत पढ़ो :-
ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑। शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः ॥
हे विद्वान! आप जो मैं (ऋक्सामयोः) ऋग्वेद और सामवेद के पढ़ने के पीछे (उदृचः) जिसमें अच्छे प्रकार ऋचा प्रत्यक्ष की जाती है, (अस्य) इस (यज्ञस्य) शिल्पविद्या से सिद्ध हुए यज्ञ के सम्बन्धी (वाम्) ये (शिल्पे) मन वा प्रसिद्ध किया से सिद्ध की हुई कारीगरी की जो विद्यायें (स्थः) हैं, (ते) उन दोनों को (आरभे) आरम्भ करता हूँ.
जो (मा) मेरी (आ) सब ओर से (पातम्) रक्षा करते हैं, (ते) वे (स्थः) हैं, उनको विद्वानों के सकाश से ग्रहण करता हूँ.
Sharma bharaman❤❤❤
Bhai इतिहास को इतिहास रहने दीजिए मिथिहास मत बनाएं
Caste is not helping for unity , caste is not helping for development of all people in india. Caste is not helping to make all people happy . Caste is not helping to treat all people in a same way.
*Barber are not Sharma*
*They are Sen and Thakur(Nanda),*
they don't have any lineage and profession from Brahmin varna.
Carpenters are pure Brahmin.
Their lineage is *Jangid, Dhiman and Panchal* and the wood working(Engineering) is profession of Brahman from Vastu-Shastra, Atharvaveda and Yajurveda.
*Brahman belongs to knowledge not begging*
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
‘ ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है।
ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है।
ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है।
‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है।
शर्मा'' या ''सरमा'' भारत और नेपाल में सनातनी ब्राह्मणों का एक मुख्य उपनाम है। ' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं
Tujhe knowledge nahi h
@@kingsenfightclubTujhe hai kya
शर्म से ही शर्मा बना होगा
Par sharm to inme hoti hi nahi saari sharma ladkiyo ke boyfriend musalman h 🤣😂
@@stealthtomcat4739 तुम्हारी बहन का भी बॉयफ्रेंड मुस्लिम ही है लेकिन अफसोस तुझको उसने बताया ही नहीं
प्राचीन काल मे शरमन कहलाते थे
@@stealthtomcat4739jodha bai 😂😂😂😂kon thi😂😂😂
natkon se hi nam utha kr history bnate rehte ho tumhari ramayan or mahabhart bhi kavya h or abhi isme bhi kisi natak ka jikar kiya
धन्यवाद आपका शर्मा बंसज बताए कृप्या गोत्र बताएं
गोत्र तो तुम्हे ही पता होगा । जब तुम्हे अपने गोत्र ही नहीं पता कैसे ब्राह्मण हो यार।😅
Jai ho
Jay shree vishwakarma
Visvkarma bramhan hote hi nahi hai lohar ka kaam karne wale hote hai inka bramhan ke koi vasta nahi hai hamare u. P. Me o. B. C. Ke Visvkarma suddh lohar hai bramhan se kahi door door tak koi sambandh nahi.
💯 Right
Shilpi brahman sharma lagane ka vidhan hai yajurved ki adhhay 9 mantr 4
🫡👏
Asli sharma brahman , Sain log hai jo ki ab , ve log barahman varna chhod ke kshatriya varna me aa chuke hai , agar aap logo kisi prakar ka sandeh hai , to aap data nikaal sakte hai
Sharma all India ke brahmins use karte ha. Jaise Jaato me title hota ha chaudhary aur Rajputo me hota ha Singh vaide hi pandito me SHARMA hota ha. Koi bhi Gotra ka pandit sharma laga sakta ha
Ben stokes China tune kyu de Raha he😮
mandir me ye pashu badh karate the Sharman matalab gala katana
Vishwakarma Brahman ki Jaya
Sharma is a surname not caste!
Sab galat salat bta rhe ho....
Fake knowledge de raha hai ye
Are kon nakli sab garntho ko mila milakr bak bak kr rha hai pahle sar +man usko sarman kaha jata hai sar matlb dimag matha or man ka matlb andar man se jo kala kirti nikal kr jo akar ka sorup apne mehnat jigyase rachna silp ke duyar kiya hai usi ko sarnem sharma kaha jata hai vedo ke adhar par sharma sarnem vishwkarma vishwbarahman ka hai bematlb tum anab sanab bake ga to man manlega purip kro bak bak mat kro vishwkarma barahman ka sab kuch leliya or krm nhi liya nakli bakta or nakli barahman badiyi kon badiyi or lohar vedo ke anusar lati nhi hai tatb hai jise shiristi ka rachna huya hai vhogkali se dunse diniya nhi chalta hai hakikat se chalta vedo ke adhar par avi vi duniya chal rha hai krm hi pardhan hai muh se bolnne siraf bahs hota hai pet to khane se vharta hai silp se sharma bana hai sharma ke matlb sukh shanti or jiban hota hai ae sab.kon deta hai vishwkarma bansaj or koyi nhi ak kishan ko kishan kishan hal dekar kishan bandiya vishwkarma bansaj ak dakdar ko hathiyar dekar dakdar bana diya vishakarma bansaj ak kampani ka malika mashin dekar vishwkar abansaj bandiya ae sab savi krm ko sukh kaha jata hai is liye sharma sarnem vishwkarma bansaj ka hai mene purup vi kiya udharan vi diya ab tup purup kro ki vhswkarma ba saj ka sarnem nhi hai
'''''शर्मा'' या ''सरमा''
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
‘ ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है।
ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है।
ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है।
‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है।
Bhai to rohit sharma kaun hai dekh le jakar Google per mai khud up se hu sharma brahman hai
शर्मा मैथिल ब्राह्मण भी होते हैं।
Nahin hote hain, Mithila region of Bihar mein ek bhi Maithil brahmanon ka surname Sharma nahin hai. Jha Mishra Thakur Pathak Chaudhari Kumar Rai also some people are using Khan surname yahi Maithil brahmanon ka mukhya surname hai aur yahi tak ham log simte hue hain aur hamara rishta bhi inhin sab mein hota hai. Maine Aaj Tak Koi Sharma ko Maithil Brahman batate hue Nahin dekha aur Sharma Maithil Brahman Nahin dekha.
OBC aur RBC wale Lohar barhai bhi khud Ko Maithil Brahman batane Lage ab isase yah ho gaya hai ki real wale Maithil Brahman Badnaam Ho Gaye hain.
Vishwakarma/badhai (itihas m lakdi ka kaam krne wale) aajkal apna surname Sharma likhne lage hai. Ye ek bada farziwada hai. Sbse zyada ye Bihar k area m dekha gaya hai. Bihar m jaativad itna zyada hai ki ek taraf samaj m brahmano ki izzat paane k lie Sharma likhte hai par dusri taraf sarkari kaamo k liye OBC bane rehte hai. Mere kuch bihari mitro ne btaya ki ye ek giroh sa chal rha h Bihar m. Aane wale samay m ye kisi bhi Brahman surname ke sath khel skte hai.
Kher agar aap sachme Brahman wale Sharma ho to tension lene ki baat nahi h. Kisi ke bolne se ya likhne se wo Sharma nahi ho jayega. Rishtedari se sab pata chal jata hai kaun kya h. Jisko bhi Brahman varnavali k accha gyan hai wo janta hai ki Sharma kitne unche Brahman hote hai. Jai hind.
abe phle pura gyaan le phir bol .. badhai/lohar/sonar aur v bahut sari jaati brahman hote hai jinka kaam (karm) creation krna hai .. aur yeh caste ke purwaj hai brahma ji .. yeh jaati alag alag jagah pe alag alag title use krte hai jaise ki panchal(haryana) , sharma(up/bihar) , lakkha(punjab) etc
aur yeh sb skand puran mein likha hai aur vishwakarma puran mein v likha hai
@@truechannel13241'''''शर्मा'' या ''सरमा''
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
*Barber are not Sharma*
*They are Sen and Thakur(Nanda),*
they don't have any lineage and profession from Brahmin varna.
Carpenters are pure Brahmin.
Their lineage is *Jangid, Dhiman and Panchal* and the wood working(Engineering) is profession of Brahman from Vastu-Shastra, Atharvaveda and Yajurveda.
*Brahman belongs to knowledge not begging*
@@truechannel13241 ' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
शर्मा सिर्फ विश्वकर्मा ब्राह्मण ही लगा सकते है।
😂Sharma Up East aur Bihar me Vishwkarma hai Baki sab jagah Brahman hai 😂 Mai khud Gaur Brahman sharma hoon...
bap bol de😂
@Krunal24J Aisa kalyug aa gaya baap ko hi bola baap beta bol araha hai
सुथार समाज ब्राह्मणों में कब से आने लगे भाई
पूरी दुनिया को पता है शर्मा सिर्फ जनरल कैटेगरी के ब्राह्मण ही लगते है
Rohit sharma kaun bhai dekh google me jake
Tum viskarma ho luhar vale
Prachin etihas batao?
Sharma name Vishvkarma se nikla hai vedo me bhi iska ullekh hai sharma aadhiktar vishwakarma samaj ke log hi lagate hai jo sahi hai
Sab itihaas tune hi pada hai tu kon hai bina matlab ke bakwaas ke rha hai
शर्मा बंसी है
Isliye hum sharma nahi lagate humara apna title hai bawa hum bhriguvanshi vaishnav brahman hai
'''''शर्मा'' या ''सरमा''
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
‘ ब्राह्मणोत्पत्तीमार्तण्ड ‘ ग्रंथ जो ब्राह्मणों की जगत प्रसिद्ध पुस्तक है उसके लेखक पं.हरिकृष्ण शास्त्री जी थे। यह पुस्तक लगभग 100 वर्ष पुरानी है। जिसमें समस्त विश्व के मुख्य ब्राह्मणों का उल्लेख है उसमें पृष्ठ ५६२ - ५६८ तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों का उल्लेख ‘ अथ पांचालब्राह्मणोंत्पत्ती प्रकरण ‘ बताकर दिया गया है। जिसमें शिल्प कर्म करने वाली पांचों शिल्पी उपजातियों जिसमें लौहकार(लोहार) , काष्टकार(बढ़ई), ताम्रकार, शिल्पकार औऱ स्वर्णकार को ब्राह्मण मानकर उन्हें ब्राह्मणों के प्रमुख कर्म षटकर्म एवं अन्य ब्राह्मण कर्मो के करने का अधिकारी कहा गया है।
ब्राह्मण विद्वान पं.ज्वालाप्रसाद मिश्र ने अपनी पुस्तक ‘ जाति भास्कर ‘ के पृष्ठ २०३-२०७ में शिल्पकर्म को ब्राह्मणों कर्म मानते हुये एवं विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों को ब्राह्मण जाति कुल का स्वीकार करते हुये उन्हें षटकर्म अर्थात यज्ञ करना , यज्ञ कराना , वेद पढ़ना , वेद पढ़ाना , दान देना औऱ दान लेने के अधिकार के साथ अन्य ब्राह्मणों के कर्म करने का अधिकारी माना है।
ब्राह्मणोंत्पत्ति दर्पण ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक डॉ पंडित मक्खनलाल मिश्र ‘मैथिल ‘ जी है। जिनकी पुस्तक में विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति में पृष्ठ क्रमांक 358 से 361 तक विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति बताई गई है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख आया है कि विश्वकर्मा पांचाल ब्राह्मण समाज मूल रूप से ब्राह्मण समाज है और इन्हें षटकर्म के साथ-साथ ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ, पितृ यज्ञ ,भूत यज्ञ और जप यज्ञ का पूर्ण रूप से अधिकार है।
‘ ब्राह्मण गोत्रावली ‘ नामक पुस्तक जिसके लेखक ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र देवलाल जो उत्तराखंड से छपी थी। इस पुस्तक के पृष्ठ 114 से 117 के बीच विश्वकर्मा शिल्पी ब्राह्मणों में जांगिड़ ब्राह्मणों की उत्पत्ति एवं पांचाल ब्राह्मणों की उत्पत्ति का वर्णन है।
Sharma brahman ke sath viswakrma lohar ghar banane ke liye gaye thee
Are vhayi lohar banya hai vishwkarma bansaj ne silp krm sikha kr vedo ko nhi manege to tum.adhrmi hai
Sharma barahman ke shath q jayega kya kam hai Karni hathota dekr lohar ka kam sikhaya hai or savi jati ko sikhaya hai tvi to Muslim se lekar st SC obc sab krta hai
Se lekr sc st obc sab jati krta hai vishwkarma bansaj to sikchak hai ae to sarkar ne namlohardekr jati bandiya hai
Lekin vishwkarmabansaj devi devta me.se hai vishw me krm feline ka Sikh dene ke karan vishwbarahman kha jata hai
Koyi vi barahman vishw barahman nhi khalata hai ae upadhi vishwkarma barahman ka hota hai or tum lohar kata hai Kane ka to vagwan ko vi log gali de deta hai bolo jo bolo bolne ke liye soshntr hai
कहानी अच्छी गढ़ते हो
पुराण के गपौड़े बड़े गहरे तिलक के साथ चिपका लिये हैं
' शर्मा ' शब्द की उत्पत्ति वैदिक शब्द ' शर्मन 'से हुई हैं। शर्मन का मूल शुद्ध अर्थ ' ब्राह्मण ' या सुखदाता होता हैं। यही शर्मन कालांतर में अपभ्रंश होकर 'शर्मा' कहलाया। जिसप्रकार उपाध्याय शब्द का अपभ्रंश ओझा या झा हैं। संसार का कोई भी ब्राह्मण हो उसको किसी भी धार्मिक अनुष्ठानों में या वैदिक संकल्पों में हाथ में जल लेकर अपने को शर्मा या शर्मन ही बताना पड़ता हैं। चाहें उसका आस्पद आचार्य , शर्मा , दुबे , मिश्रा, शुक्ला , उपाध्याय,ओझा , झा ,तिवारी , विश्वकर्मा , धीमान , पांचाल , जांगिड़ आदि हो सभी ब्राह्मणों को संकल्पों में अपने को ' शर्मा ' या ' शर्मन ' ही बताना पड़ता हैं। क्योंकि इन लोगों की मूलजाती ब्राह्मण ही हैं। वैसे देखने में आता है की कुछ लोग जेसे शर्मा और मिश्रा : शर्मा ब्राह्मणों का एक उपनाम है। दक्षिण भारत और असम में यह सरमा है। वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन उपनाम व्यक्ति बदल नहीं पाता, इसीलिए बहुत से भारतीय ईसाइयों में शर्मा लगता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ मुस्लिम भी शर्मा लगाते हैं। बाकी सब उपजाति, व्यवसाय या पेशा होता हैं ये मूल जाति नहीं हैं। जैसे विश्वकर्मा कोई जाति नहीं हैं अपितु , विश्वकर्मा समाज के लोगों की मूल जाति विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मण है। देवाचार्य देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा इनके आराध्य एवं ईस्टदेवता हैं। यजुर्वेद अध्याय 4 श्लोक 9 के अनुसार शिल्पी अर्थात विश्वकर्मा वैदिक ब्राह्मणों को शर्मा अर्थात सुखदाता कहा गया है इसलिये इन्हें 'शर्मा' उपनाम प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार है। यथा प्रमाण ;
यजुर्वेद में शिल्प विद्या में निपुण ब्राह्मणों को देवता और शिल्प विद्या को करने वालों को शर्मा (ब्राह्मण) या सुखदाता कहा गया है ;
*ऋ॒क्सा॒मयोः॒ शिल्पे॑ स्थ॒स्ते वा॒मार॑भे॒ ते मा॑ पात॒मास्य य॒ज्ञस्यो॒दृचः॑।*
*शर्मा॑सि॒ शर्म॑ मे यच्छ॒ नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः॥*
- (यजुर्वेद अध्याय - ४, श्लोक - ९)
अर्थात - हे शिल्प रूपी ऋक और साम के अधिष्ठाता देवताओं! हम यज्ञ में गाई गई ऋचाओं द्वारा आपका स्पर्श करते हैं। आप हमारी रक्षा कीजिए। आप हमारे आश्रय अर्थात सुखदाता हैं। आप हमें आश्रय (सुख) देने की कृपा करें। आप हमें कष्ट ना दें।
महीधर ने इसी श्लोक को अपने वेद भाष्य में शिल्पी ब्राह्मणों को देवता कहकर संबोधित करते हुये चातुर्य हुनर का नाम शिल्प कहा है।
*यथा-ऋक, साम अभिमाजी देवतयोः सम्बन्धिनी शिल्पे चातुर्ये लद् रुपे भवतः।।* -
(यजुर्वेद - अ- ४, श्लोक - ९ - महीधर भाष्य)
अर्थात - ऋग्वेद तथा सामवेद के ज्ञाता देवताओं (शिल्पी ब्राह्मणों) के चातुर्य को सीखो।
संकल्पों के बिना कोई पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण ही नहीं होता जिसमें हमें अपनी मूलजाति और गोत्र के साथ अन्य जानकारियां ब्राह्मण पुरोहित को बतानी पड़ती हैं। अगर ब्राह्मण मूलजाति हैं तो शर्मन अर्थात शर्मा , अगर क्षत्रिय हैं तो वर्मन अर्थात वर्मा , वैश्य हैं तो गुप्त अगर इन तीनों में से कुछ नहीं हैं तो उन्हें शूद्र मानकर उसके नाम के साथ ' दास ' उच्चारण किया जाता हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान हो उसमें संकल्पों में पुरोहित या पंडित को ब्राह्मण जाति के लोग अपनी जाति ब्राह्मण (शर्मा) ही बताइए अन्यथा, वो आपको 'दास' उच्चारित करके आपकी पूजा संपन्न करा देंगे। अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि इन चारों के अलावा अन्य कोई उपजातियाँ या व्यवसाय संकल्पों में उच्चारित किया ही नहीं जा सकता।
भगवान विश्वकर्मा जी को शास्त्रों में देवशर्मा अर्थात देव ब्राह्मण कहा गया है।
*विश्वकर्मा विश्वधर्मा देवशर्मा दयानिधि:॥* -(गर्ग संहिता बलभद्रखण्ड 13/52)
अर्थात - विश्वकर्मा जी विश्व के धर्मों के धारणकर्ता, देवशर्मा अर्थात देवब्राह्मण हैं और दया के भंडार हैं।
😂😂😂😂😂
Sushrma and kritverma Mahabharata Kaal.
😭
शर्मा गर्ग ऋषि ब्राह्मण
My gotra is Garg
Garg risi vishwkarma bansj hai
@@vishnudeosharma3363ha😂 Garg Kaun hai pata nahi aur bap bana liya ak repat me dhul chatta firega 😂Garg ka vishwkarma se Chand bhi Lena Dena nahi hai 😂😂 mar jao sal.o
Sharma Up East aur Bihar me Vishwkarma hai Baki sab jagah Brahman hai 😂 Mai khud Gaur Brahman sharma hoon@@vishnudeosharma3363vishwkarma se Mera kuchh Lena Dena nahi hai 😂 ghanta bhi nahi
Sharma bhumihar
😂😂😂😂
Sharma tittle viswakarma brahman ka hota hai ved puran me likha hai
Bhai vishwakarma Brahman kuch nahi hota hai. Vishwakarma badhai hote hai jo lakdi ka kaam krte the. Aaj ki date m wo OBC category m aate hai. Tum unko Brahman m mix nahi kr skte.
Aur kis ved puraan m Aisa likha hai naam batana ?
@@prateek9327 bhai Thoda soch samjh kr bola kr ye apne aap ko brahman se alag kr kr rakhe hai iska mtlb ye nhi ki ye brahman nhi hai jis din in logo ka mn karega ussi din apna brahman ka hakk le lenge kyuki har ved puran me inka jikra hai aur krishna bhagwan khud kaha hai ki jis yag me viswakarma brahman na ho wo yag pura nhi hota
@@prateek9327 jangid kaha jata hai badhi to kam hai
पलड़िया ब्राह्मण शर्मा को कहते है
@@pooranpalariya9982 ab ye kaha se aa gya
Fake, misinformative 🐸
सब काल्पनिक ,कथा,गापोड लीला है ।
Sandilya gotriya brahman