Shiv main shri hari ka bash hain aur shri hari soyom paramatma parameshwar hain jo shiv bramma se lekor sobhi devi devta aur ananta kuti brammand ka sristi kiya hain, shri hari ka bash sob main hain por sob somoy shri hari nahi ,
*जब हमारे महान ऋषि, मुनी, ब्रम्हदेव, इंद्र देव और उस के वंशज ब्राह्मण वेष बदलकर दुसरो की बिबीपर रेप करते थे और शादी मंडप से नववधु को हलदी लगाकर अपने घर भगा ले जाते थे और तीन दिन रात उससे शुध्दी करते थे, उस युग को सतयुग कहते है..!* *अब rss (राक्षसी सेवा संघ) का मुखिया मोहन भागवत और उस का प्यादा आवतार पुरुष, विकास पुरूष मोदी उस सत्ययुग को वापस "हिंदुराष्ट्र" के नाम से लाना चाहता हैं..!* *जय श्रीराम... सब का जिना किया हराम..!* ब्राम्हणजात याने विश्वासघात..!
*@Sofiya Basu* सिर्फ शिव ही स्वयंभू नहीं है, परमपिता परमात्मा परमेश्वर नारायण और शिव दोनों स्वयंभू हैं। ना परमेश्वर नारायण का जन्म है और ना ही मृत्यु। वह ही आदि है वह ही अनंत हैं। वह ही देवों का देव महादेव के आराध्य हैं। हर हर महादेव, ॐ नमः नारायण 🙏❤️❤️❤️
@@abhaytiwari4716 शक्ति सर्वशक्तिमान परब्रह्म नारायण का प्रकृति रूप है। सभी देवी देवता भगवान विष्णु का ही अंश हैं। भगवान विष्णु शिव जी सहित सभी देवी देवताओं के परमात्मा परमेश्वर हैं। ॐ नमः नारायण 🙏
@@jaydutta7711 विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु जी, शिव पुराण के अनुसार शिव जी व देवी भागवत पुराण के अनुसार माँ आद्याशक्ति परम कारण या परमब्रह्म है, हमारे यहां पंच देवों की पूजा होती है "शक्ति, शिव, विष्णु,गणेश व सूर्य" सभी परब्रह्म में स्वरूप है ,जिनके जो भी इष्ट 🙏🏻😊
स्कन्द पुराण= "यथाशिवस्तथा विष्णुर्यथाविष्णुस्तथा शिवः । अंतरं शिवविष्ण्वोश्च मनागपि न विद्यते ॥" =जैसे शिव है वैसे विष्णु हैं, जैसे विष्णु हैं वैसे शिव हैं। शिव और विष्णु में तनिक भी अंतर नहीं है। विष्णु पुराण= "अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः । वदन्ति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर ॥" =हे हर! जिन लोगोंका चित्त अविद्यासे मोहित है, वे भिन्नदर्शी पुरुष ही हम दोनोंमें भेद देखते और बतलाते हैं। पद्म पुराण="शेवं च वैष्णवं लोकमेकरूप नरोत्तम। द्वयोक्षाप्यन्तरं नास्ति एकरूपं महात्मनोः ॥" =श्रीशिव और श्रीविष्णुके लोक एक से ही हैं, उन दोनों में कोई अंतर नहीं है। पद्म पुराण = "ये हीम• विष्णुमव्यक्तं देव वापि महेश्वरं । एकीभावेन पश्यन्ति न तेषां पुनरुद्भवः ॥" =जो इन अव्यक्त विष्णु तथा भगवान महेश्वरको एक भावसे देखते हैं, उनका पुन: इस संसारमें जन्म नहीं होता। पद्म पुराण ="येऽसमान प्रपश्यन्ति हरिं वे देवतान्तरं । ते यान्ति नरकान घोरान्न तांस्तु गणयेद्धरिः॥" =जो 'हरि' और 'हर' को समान भाव से नहीं देखते, श्रीहरिको दूसरा देवता समझते हैं, वो घोर नरकमें पड़ते हैं, उन्हें श्रीहरि अपने भक्तो में नहीं गिनते। रामचरितमानस= "शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।" = यहां भगवान राम कह रहे हैं- जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है। वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। रामचरितमानस= "संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास । ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ॥" = भगवान राम ने कहा--- जिनको शंकरजी प्रिय हैं, परन्तु जो मेरे द्रोही हैं एवं जो | शिवजी के द्रोही हैं और मेरे दास (बनना चाहते हैं, वे मनुष्य कल्पभर घोर नरक में निवास करते हैं॥ शिव पुराण= "वस्तुतश्चापि चेकत्वं वरतोऽपि तथैव च । लीलयापि महाविष्णो सत्यं सत्यं न संशयः ॥" = हे महाविष्णो! लीलासे भेद होनेपर भी वस्तुत: आप और मेरा स्व स्वरुप एक ही हैं। यह सत्य है, सत्य है, इसमें संशय नहीं है। शिव पुराण= "रुद्रभक्तो नरो यस्तु तव निंदा करिष्यति । तस्य पुण्यं च निखिलं द्रुतं भस्म भविष्यति ॥" = जो मनुष्य स्टुका भक्त होकर आपकी निंदा करेगा, उसका सारा पुण्य तत्काल भस्म हो जायेगा। शिव पुराण= "मम भक्तश्च यः स्वामिंस्तव निंदा करिष्यति । तस्य वै निरये वासं प्रयच्छ नियतं ध्रुवम् ॥ " = यहां भगवान विष्णु भगवान शिव से कह रहे हैं- हे महेश्वर! मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप निश्चय ही नरकवास प्रदान करें। नारद पुराण= "शिव एव हरिः साक्षात हरिः एव शिवः स्वयं। द्वयोरन्तरदृग्याति नरकारन्कोटिशः खलः ॥" "तस्माद्विष्णुं शिवं वापि समं बुद्धा समर्चय । भेदकृद्दुःखमाप्नोति इह लोके परत्र च ॥" = एक शिव ही हरि हैं, एक हरि ही शिव। इन दोनों में जो भेद देखता है वो अधम है और वो करोड़ नरकों में गिरता है। अतः इन दोनों को एक समझके ही पूजा करें। जो भेद करता है उसे इस लोक में और अन्य कहीं भी शांति नहीं मिलती।
🕉️ नमः शिवाय सीता राम लक्ष्मण हनुमान जय बागेश्वर धाम की जय ब्रह्मा विष्णु महेश सरस्वती माता लक्ष्मी माता पार्वती माता सब के माता पिता ठीक रहे भगवान जी सन्यासी बाबा की जय
स्कन्द पुराण= "यथाशिवस्तथा विष्णुर्यथाविष्णुस्तथा शिवः । अंतरं शिवविष्ण्वोश्च मनागपि न विद्यते ॥" =जैसे शिव है वैसे विष्णु हैं, जैसे विष्णु हैं वैसे शिव हैं। शिव और विष्णु में तनिक भी अंतर नहीं है। विष्णु पुराण= "अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः । वदन्ति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर ॥" =हे हर! जिन लोगोंका चित्त अविद्यासे मोहित है, वे भिन्नदर्शी पुरुष ही हम दोनोंमें भेद देखते और बतलाते हैं। पद्म पुराण="शेवं च वैष्णवं लोकमेकरूप नरोत्तम। द्वयोक्षाप्यन्तरं नास्ति एकरूपं महात्मनोः ॥" =श्रीशिव और श्रीविष्णुके लोक एक से ही हैं, उन दोनों में कोई अंतर नहीं है। पद्म पुराण = "ये हीम• विष्णुमव्यक्तं देव वापि महेश्वरं । एकीभावेन पश्यन्ति न तेषां पुनरुद्भवः ॥" =जो इन अव्यक्त विष्णु तथा भगवान महेश्वरको एक भावसे देखते हैं, उनका पुन: इस संसारमें जन्म नहीं होता। पद्म पुराण ="येऽसमान प्रपश्यन्ति हरिं वे देवतान्तरं । ते यान्ति नरकान घोरान्न तांस्तु गणयेद्धरिः॥" =जो 'हरि' और 'हर' को समान भाव से नहीं देखते, श्रीहरिको दूसरा देवता समझते हैं, वो घोर नरकमें पड़ते हैं, उन्हें श्रीहरि अपने भक्तो में नहीं गिनते। रामचरितमानस= "शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।" = यहां भगवान राम कह रहे हैं- जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है। वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। रामचरितमानस= "संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास । ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ॥" = भगवान राम ने कहा--- जिनको शंकरजी प्रिय हैं, परन्तु जो मेरे द्रोही हैं एवं जो | शिवजी के द्रोही हैं और मेरे दास (बनना चाहते हैं, वे मनुष्य कल्पभर घोर नरक में निवास करते हैं॥ शिव पुराण= "वस्तुतश्चापि चेकत्वं वरतोऽपि तथैव च । लीलयापि महाविष्णो सत्यं सत्यं न संशयः ॥" = हे महाविष्णो! लीलासे भेद होनेपर भी वस्तुत: आप और मेरा स्व स्वरुप एक ही हैं। यह सत्य है, सत्य है, इसमें संशय नहीं है। शिव पुराण= "रुद्रभक्तो नरो यस्तु तव निंदा करिष्यति । तस्य पुण्यं च निखिलं द्रुतं भस्म भविष्यति ॥" = जो मनुष्य स्टुका भक्त होकर आपकी निंदा करेगा, उसका सारा पुण्य तत्काल भस्म हो जायेगा। शिव पुराण= "मम भक्तश्च यः स्वामिंस्तव निंदा करिष्यति । तस्य वै निरये वासं प्रयच्छ नियतं ध्रुवम् ॥ " = यहां भगवान विष्णु भगवान शिव से कह रहे हैं- हे महेश्वर! मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप निश्चय ही नरकवास प्रदान करें। नारद पुराण= "शिव एव हरिः साक्षात हरिः एव शिवः स्वयं। द्वयोरन्तरदृग्याति नरकारन्कोटिशः खलः ॥" "तस्माद्विष्णुं शिवं वापि समं बुद्धा समर्चय । भेदकृद्दुःखमाप्नोति इह लोके परत्र च ॥" = एक शिव ही हरि हैं, एक हरि ही शिव। इन दोनों में जो भेद देखता है वो अधम है और वो करोड़ नरकों में गिरता है। अतः इन दोनों को एक समझके ही पूजा करें। जो भेद करता है उसे इस लोक में और अन्य कहीं भी शांति नहीं मिलती।
Bharatbhai Nayak Sanatan dharm thoki nakhi uch jati ye Kem ke ved puran upnishad Manav lakhiya he pramatama lakhiya nathi Sanatan dharm granth dalito Ane mahila dabanu kariy kariyu 6e Pruthvi par je pramatama avtar leta nathi 33koti devi devata ak pramatama pran pratistha upar se hoti hai baki darwaja je pran pratistha hoti he Brahma dev Vishnu dev ram Krishna Shami Narayan Maha dev Abhadha je diyan bese pramatama Pramatama har jiv me pramatama avinashi he Nijanand Gyan chidanand prakash SwaRupam Pramatama sabaka malik ak he Sanatan dharm ak shivling pranpratishta upar se hoti hai baki darwaja je ate he tridev bhi agye Shaminarayan sadhu Ane Sanatan dharm bava sant Gyan tamari pese rakho God fadhar only one pramatama ano koy akar Nathi avinashi he
कोई बड़ा छोटा नहीं है, सभी बराबर हैं, है तो वह एक ही महादेव 🙏❤️ बस अपनी अपनी श्रद्धा है ,जाता तो सब उस महादेव के लिए है, भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मैं और शिव जी अलग नहीं हैं। जब भगवान ने अपना विश्वस्वरूप दिखलाया अर्जुन को महाभारत के युद्ध में तो उस रूप में सभी थे तो बोलो हरे कृष्णा श्री रामा हर हर महादेव 🙏
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् -नैमिषारण्य में आये हुए सौतिजी शौनक जी को ब्रह्म वैवर्त पुराण के ब्रह्म खण्ड अध्याय-३ में श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ की कथा सुनते हैं कि - ब्रह्मन! जगत को इस शून्यावस्था में देख मन-ही-मन सब बातों की आलोचना करके दूसरे किसी सहायक से रहित एकमात्र स्वेच्छामय प्रभु ने स्वेच्छा से ही सृष्टि-रचना आरम्भ की। सबसे पहले उन परम पुरुष श्रीकृष्ण के दक्षिणपार्श्व से जगत के कारण रूप तीन मूर्तिमान गुण प्रकट हुए। उन गुणों से महत्तत्त्व, अहंकार, पाँच तन्मात्राएँ तथा रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द-ये पाँच विषय क्रमशः प्रकट हुए। तदनन्तर श्रीकृष्ण से साक्षात भगवान नारायण का प्रादुर्भाव हुआ, जिनकी अंगकान्ति श्याम थी, वे नित्य-तरुण, पीताम्बरधारी तथा वनमाला से विभूषित थे। उनके चार भुजाएँ थीं। उन्होंने अपने चार हाथों में क्रमशः - शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण कर रखे थे। उनके मुखारविन्द पर मन्द मुस्कान की छटा छा रही थी। वे रत्नमय आभूषणों से विभूषित थे, शांर्गधनुष धारण किये हुए थे। कौस्तुभमणि उनके वक्षःस्थल की शोभा बढ़ाती थी। श्रीवत्सभूषित वक्ष में साक्षात लक्ष्मी का निवास था। वे श्रीनिधि अपूर्व शोभा को प्रकट कर रहे थे; शरत्काल की पूर्णिमा के चन्द्रमा की प्रभा से सेवित मुख-चन्द्र के कारण वे बड़े मनोहर जान पड़ते थे। कामदेव की कान्ति से युक्त रूप-लावण्य उनका सौन्दर्य बढ़ा रहा था। वे श्रीकृष्ण के सामने खड़े हो दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे- श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् नारायण उवाच ।। वरं वरेण्यं वरदं वरार्हं वरकारणम् ।। कारणं कारणानां च कर्म तत्कर्मकारणम् ।। 1.3.१० ।। नारायण बोले- जो वर (श्रेष्ठ), वरेण्य (सत्पुरुषों द्वारा पूज्य), वरदायक (वर देने वाले) और वर की प्राप्ति के कारण हैं; जो कारणों के भी कारण, कर्मस्वरूप और उस कर्म के भी कारण हैं; तपस्तत्फलदं शश्वत्तपस्वीशं च तापसम् ।। वन्दे नवघनश्यामं स्वात्मारामं मनोहरम् ।।११।। तप जिनका स्वरूप है, जो नित्य-निरन्तर तपस्या का फल प्रदान करते हैं, तपस्वीजनों में सर्वोत्तम तपस्वी हैं, नूतन जलधर के समान श्याम, स्वात्माराम और मनोहर हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण मैं वन्दना करता हूँ। निष्कामं कामरूपं च कामघ्नं कामकारणम्।। सर्वं सर्वेश्वरं सर्वं बीजरूपमनुत्तमम् ।। १२ ।। जो निष्काम और कामरूप हैं, कामना के नाशक तथा कामदेव की उत्पत्ति के कारण हैं, जो सर्वरूप, सर्वबीज स्वरूप, सर्वोत्तम एवं सर्वेश्वर हैं, वेदरूपं वेदभवं वेदोक्तफलदं फलम् ।। वेदज्ञं तद्विधानं च सर्ववेदविदांवरम् ।। १३ ।। वेद जिनका स्वरूप है, जो वेदों के बीज, वेदोक्त फल के दाता और फलरूप हैं, वेदों के ज्ञाता, उसे विधान को जानने वाले तथा सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं के शिरोमणि हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ। इत्युक्त्वा भक्तियुक्तश्च स उवास तदाज्ञया ।। रत्नसिंहासने रम्ये पुरतः परमात्मनः ।। १४ ।। ऐसा कहकर वे नारायणदेव भक्तिभाव से युक्त हो उनकी आज्ञा से उन परमात्मा के सामने रमणीय रत्नमय सिंहासन पर विराज गये। नारायणकृतं स्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः ।। त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं पापं तस्य न विद्यते ।। १५ ।। : जो पुरुष प्रतिदिन एकाग्रचित्त हो तीनों संध्याओं के समय नारायण द्वारा किये गये इस स्तोत्र को सुनता और पढ़ता है, वह निष्पाप हो जाता है। : पुत्रार्थी लभते पुत्रं भार्य्यार्थी लभते प्रियाम् ।। भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं धनं भ्रष्टधनो लभेत् ।।१६।। उसे यदि पुत्र की इच्छा हो तो पुत्र मिलता है और भार्या की इच्छा हो तो प्यारी भार्या प्राप्त होती है। जो अपने राज्य से भ्रष्ट हो गया है, वह इस स्तोत्र के पाठ से पुनः राज्य प्राप्त कर लेता है तथा धन से वंचित हुए पुरुष को धन की प्राप्ति हो जाती है। कारागारे विपद्ग्रस्तः स्तोत्रेणानेन मुच्यते ।। रोगात्प्रमुच्यते रोगी ध्रुवं श्रुत्वा च संयतः ।। १७ ।। : कारागार के भीतर विपत्ति में पड़ा हुआ मनुष्य यदि इस स्तोत्र का पाठ करे तो निश्चय ही संकट से मुक्त हो जाता है। एक वर्ष तक इसका संयमपूर्वक श्रवण करने से रोगी अपने रोग से छुटकारा पा जाता है। इति ब्रह्मावैवर्ते नारायणकृतं श्रीकृष्णस्तोत्रम् ।
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः पिता है ब्रह्माजी प्रभु है विष्णुजी गुरु है शंकरजी जय हो त्रिदेव त्रिदेवी नमः मैं ही ब्रह्मा में ही नारायण में महादेव हू महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने यही कहा था कि मैं ही हूं ब्रह्मा में ही हूं विष्णु मैं ही हूं महादेव हूं मैं ही मत्स्य में ही वामन में ही परशुराम मैं ही रामचंद्र मैं ही रामचंद्र सारे जगत के जितने भी देवी देवता है वह लक्ष्मीनारायण के ही रुप है जय हो सनातन धर्म ❤️🙏🚩
Shiv puran ke hisab se shiv pita Brahma ,Brahma ke pita vishnu,vishnu ke pita shiv , phir shiv ke pita Brahma,Brahma ke pit vishnu ye chakra hai iska matlb sab ek hai manushya bhi prabraham ka hi ansh hai matlb ek ek kan main prabraham hai aur har kan parbrahm hai
*जब हमारे महान ऋषि, मुनी, ब्रम्हदेव, इंद्र देव और उस के वंशज ब्राह्मण वेष बदलकर दुसरो की बिबीपर रेप करते थे और शादी मंडप से नववधु को हलदी लगाकर अपने घर भगा ले जाते थे और तीन दिन रात उससे शुध्दी करते थे, उस युग को सतयुग कहते है..!* *अब rss (राक्षसी सेवा संघ) का मुखिया मोहन भागवत और उस का प्यादा आवतार पुरुष, विकास पुरूष मोदी उस सत्ययुग को वापस "हिंदुराष्ट्र" के नाम से लाना चाहता हैं..!* *जय श्रीराम... सब का जिना किया हराम..!* ब्राम्हणजात याने विश्वासघात..!
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् -नैमिषारण्य में आये हुए सौतिजी शौनक जी को ब्रह्म वैवर्त पुराण के ब्रह्म खण्ड अध्याय-३ में श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ की कथा सुनते हैं कि - ब्रह्मन! जगत को इस शून्यावस्था में देख मन-ही-मन सब बातों की आलोचना करके दूसरे किसी सहायक से रहित एकमात्र स्वेच्छामय प्रभु ने स्वेच्छा से ही सृष्टि-रचना आरम्भ की। सबसे पहले उन परम पुरुष श्रीकृष्ण के दक्षिणपार्श्व से जगत के कारण रूप तीन मूर्तिमान गुण प्रकट हुए। उन गुणों से महत्तत्त्व, अहंकार, पाँच तन्मात्राएँ तथा रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द-ये पाँच विषय क्रमशः प्रकट हुए। तदनन्तर श्रीकृष्ण से साक्षात भगवान नारायण का प्रादुर्भाव हुआ, जिनकी अंगकान्ति श्याम थी, वे नित्य-तरुण, पीताम्बरधारी तथा वनमाला से विभूषित थे। उनके चार भुजाएँ थीं। उन्होंने अपने चार हाथों में क्रमशः - शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण कर रखे थे। उनके मुखारविन्द पर मन्द मुस्कान की छटा छा रही थी। वे रत्नमय आभूषणों से विभूषित थे, शांर्गधनुष धारण किये हुए थे। कौस्तुभमणि उनके वक्षःस्थल की शोभा बढ़ाती थी। श्रीवत्सभूषित वक्ष में साक्षात लक्ष्मी का निवास था। वे श्रीनिधि अपूर्व शोभा को प्रकट कर रहे थे; शरत्काल की पूर्णिमा के चन्द्रमा की प्रभा से सेवित मुख-चन्द्र के कारण वे बड़े मनोहर जान पड़ते थे। कामदेव की कान्ति से युक्त रूप-लावण्य उनका सौन्दर्य बढ़ा रहा था। वे श्रीकृष्ण के सामने खड़े हो दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे- श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् नारायण उवाच ।। वरं वरेण्यं वरदं वरार्हं वरकारणम् ।। कारणं कारणानां च कर्म तत्कर्मकारणम् ।। 1.3.१० ।। नारायण बोले- जो वर (श्रेष्ठ), वरेण्य (सत्पुरुषों द्वारा पूज्य), वरदायक (वर देने वाले) और वर की प्राप्ति के कारण हैं; जो कारणों के भी कारण, कर्मस्वरूप और उस कर्म के भी कारण हैं; तपस्तत्फलदं शश्वत्तपस्वीशं च तापसम् ।। वन्दे नवघनश्यामं स्वात्मारामं मनोहरम् ।।११।। तप जिनका स्वरूप है, जो नित्य-निरन्तर तपस्या का फल प्रदान करते हैं, तपस्वीजनों में सर्वोत्तम तपस्वी हैं, नूतन जलधर के समान श्याम, स्वात्माराम और मनोहर हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण मैं वन्दना करता हूँ। निष्कामं कामरूपं च कामघ्नं कामकारणम्।। सर्वं सर्वेश्वरं सर्वं बीजरूपमनुत्तमम् ।। १२ ।। जो निष्काम और कामरूप हैं, कामना के नाशक तथा कामदेव की उत्पत्ति के कारण हैं, जो सर्वरूप, सर्वबीज स्वरूप, सर्वोत्तम एवं सर्वेश्वर हैं, वेदरूपं वेदभवं वेदोक्तफलदं फलम् ।। वेदज्ञं तद्विधानं च सर्ववेदविदांवरम् ।। १३ ।। वेद जिनका स्वरूप है, जो वेदों के बीज, वेदोक्त फल के दाता और फलरूप हैं, वेदों के ज्ञाता, उसे विधान को जानने वाले तथा सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं के शिरोमणि हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ। इत्युक्त्वा भक्तियुक्तश्च स उवास तदाज्ञया ।। रत्नसिंहासने रम्ये पुरतः परमात्मनः ।। १४ ।। ऐसा कहकर वे नारायणदेव भक्तिभाव से युक्त हो उनकी आज्ञा से उन परमात्मा के सामने रमणीय रत्नमय सिंहासन पर विराज गये। नारायणकृतं स्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः ।। त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं पापं तस्य न विद्यते ।। १५ ।। : जो पुरुष प्रतिदिन एकाग्रचित्त हो तीनों संध्याओं के समय नारायण द्वारा किये गये इस स्तोत्र को सुनता और पढ़ता है, वह निष्पाप हो जाता है। : पुत्रार्थी लभते पुत्रं भार्य्यार्थी लभते प्रियाम् ।। भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं धनं भ्रष्टधनो लभेत् ।।१६।। उसे यदि पुत्र की इच्छा हो तो पुत्र मिलता है और भार्या की इच्छा हो तो प्यारी भार्या प्राप्त होती है। जो अपने राज्य से भ्रष्ट हो गया है, वह इस स्तोत्र के पाठ से पुनः राज्य प्राप्त कर लेता है तथा धन से वंचित हुए पुरुष को धन की प्राप्ति हो जाती है। कारागारे विपद्ग्रस्तः स्तोत्रेणानेन मुच्यते ।। रोगात्प्रमुच्यते रोगी ध्रुवं श्रुत्वा च संयतः ।। १७ ।। : कारागार के भीतर विपत्ति में पड़ा हुआ मनुष्य यदि इस स्तोत्र का पाठ करे तो निश्चय ही संकट से मुक्त हो जाता है। एक वर्ष तक इसका संयमपूर्वक श्रवण करने से रोगी अपने रोग से छुटकारा पा जाता है। इति ब्रह्मावैवर्ते नारायणकृतं श्रीकृष्णस्तोत्रम् ।
जय बोलो महाकाल स्वामी जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏जय हरिहर नाथ स्वामी जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏जय श्री माता राधे पिता कृष्ण जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏माँ_पार्वती-पिता_शिव जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏 जय सीता माता पिता श्री रामचंद्र जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धादि-भिर्युतम्। अनिष्ट-हर्ता गृहाणेदं भगवती भक्त-वत्सला।। ॐ श्री वैष्णवी नमः।🙏🙏🌷🌷🚩🚩🌹🌹🛕🛕🌸🌸🕉️🕉️🌞🌞🙏🙏
Jai balaji maharaj ki jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev
@@Gopal_sharma..____._._.1._. apko islam dharm ki study karna chiye. Isme sirf aik god, iswer, allah ka concept hai . Allah ka koi image nahi hai. Allah ne puri duniya ko banaya. Hai
@@ErWarisIslam dharm ki utpatti kab huyi aapko pata hi hoga shayad lekin Santan dharm aadi aanadi Kalo se chala aa raha h Islam dharm jab tha hi nhi tabse ye shrusti ki rachna huyi tabhi se Santan dharm ki utpatti huyi aap kese keh sakte h alha ne duniya rachi h
@@bhupendrarajak6011 sabse pahle ap samjho ham sab hindustani hai. Hame apas me larna nahi hai.. Abh question ki baat karte . Sabse pahle samgho. Arbic, or sanskrit alag alag do language hai. Abh aik aik example se samgho. Sun ka hindi me kahte hai suraj. But apko ptah hai arbic me sun ko kiya kahte hai. Hame patah hai apke paass isak jawab nahi hoga. Kue ki apne arbic kavi padha nahi hoga. Mai apko batat hu suno sun ko arbic me shams kahte hai. Moon ko arbic me kamar kahte hai. Isiye agar apko arbic path nahi hai toh arbic language ka meaning jano Pahle. Phir baat karo. Abh samgho allah kise kahte hai. Allah aik hai. Haar cheej se paak hai. Allah ke jaisya koi nahi hai. Allah ne haar cheej ko paidya kiya. Muhamad sallahu alihuwasalam allah ka last paygamber (last messenger hai) . Muhamad salhu alhiuwasalam se pahle bahut sare allah ke messenger aye hai. Jaisey isa, yakub, yusuf, musa, adam alahaisalam sabse pahle messenger adam alihusalam hai. Total one lakh 24 thousand messenger aye hai. Sab ka aik hi messege hai aik iswer ki puja karo. Or kisi bhi cheej ki puja maat karo.Or sab ke pass iswer ke traf se aik book ya script aya hai. But sabke maane wale ne aik iswer ko chor kar bahut se iswer ko maan kar puja karne laga. Jo ki iswer ke nazar me galt hai. Isalam aik aisya deen hai jisme aik hi iswer ki puja karne ka hukum hai. Jo aik iswer ki puja nahi karta wo muslaman nahi hai. Baat a gya hoga samgh. Agar nahi aya ho toh batana. Or achhe se bata denge
Jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram
हे मेरे मार्गदर्शक अथवा मेरे विचार के जैसे भारत के सभी युवाओं के Leader मैं आपको बहुत मानता हूं आप जो कार्य कर रहे हो गुरुदेव, उस कार्य में सब से पहले मैं खड़ा हूं 🙏🏻 जय श्री राम - कृष्ण, हर हर महादेव 🙏🏻🙏🏻🚩🚩
Jay Shri Sita raam 🙏🙏 Jay bhageswer sambhu 🙏🙏 Jay bhageswer bala ji mharaaj 🙏🙏 Jay sanyasi baba 🙏🙏 Jay dada gurudev mharaaj 🙏🙏 apke charanon mein कोटि-कोटि pranam 🙏🙏 kripa kr do mere nath 🙏🙏
शिवाय विष्णु रूपाय शिव रूपाय विष्णवे | शिवस्य हृदयं विष्णुं विष्णोश्च हृदयं शिवः || यथा शिवमयो विष्णुरेवं विष्णुमयः शिवः | यथान्तरम न पश्यामि तथा में स्वस्तिरायुषि| यथान्तरम नभेदा: स्यु: शिवराघवयोस्तथा|| (यजुर्वेद) विष्णु शिव हैं और शिव विष्णु हैं। शिव के हृदय में विष्णु का वास है और विष्णु के हृदय में शिव का। अत: विष्णु को उसी स्थान पर पाया जा सकता है जिस स्थान पर शिव को और शिव को उसी स्थान पर पाया जा सकता है जहां विष्णु को। एक व्यक्ति जो उन्हें एक और अविभाज्य के रूप में देखता है, वह एक अनुग्रहपूर्ण जीवन जीने वाला है।
JAi shri radhe Krishna Jai shri ram Jai shri balaji maharaj ki Jai shri hanuman ji maharaj ki Jai shri khatu naresh ki Jai shri bageswar balaji maharaj ki Jai shri bageswar balaji maharaj ki Jai
Sahi kh rhe h y pehale meri shardha devi m hui uske baad Shri krishan k savroop m maine sare shastro dekha k sare kehte h guru Bina gati nhi to muje guru nanak pr vishwas tha jo abhi guru granth sahib ji k roop m hain to maine Amrit chaka .uske baad se m bhakti krta hu or bhut khush hu . satisfied hu
Shree Ram jay Ram jay jay Ram jay Shree Sita Ram jay Shree Radhe Krishna jay Shree Hanuman ji Mahraj ki jay jay Shree sanyasi Baba ki jay jay Shree Bageshwar Bala ji Sarkar ki jay jay Shree Divay darbar ki jay jay Shree Guru ji Mahraj ki jay aapko charno me koti koti parnam karta hu 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Shiva and Vishnu are like the heart and brain, and the body is related to Bramha. The transformation works like, The Shiva surrenders its Shakti to Vishnu, who transforms the Shakti into Laxmi (gravity) and value by navigating the right path, and the transformation from one state to another is finally converted into knowledge (Sarasvati) by the Bramha (body/existence). Every action/creation/Shakti starts from Shiva and end on Shiva. Every action/creation need a path/Vishnu. Vishnu converts all actions into the value/gravity by moving it into right path. Bramha converts value/gravity/Laxmi into the Knowledge/Sarasvati.
शिव सभी में श्रेष्ठ हैं ये उनकी वेश भूषा भी बताती है की वो सब देवों में भिन्न हैं । एक मात्र शिव ही हैं जिनकी वंदना हर कोई करता है चाहे फिर ब्रह्मा जी हों या विष्णु जी । एक मात्र वही हैं जिनको ओंकारेश्वर अर्थात ओम का आकार स्वरूप हैं वो, और हमारे वेदों में ॐ से ही सबकी उत्पत्ति हुई है
बहोत अच्छा उत्तर दिया. शिव में ही नारायण है. नारायण ही शिव है.
गोलमाल कर दिया सब।
Shiv main shri hari ka bash hain aur shri hari soyom paramatma parameshwar hain jo shiv bramma se lekor sobhi devi devta aur ananta kuti brammand ka sristi kiya hain, shri hari ka bash sob main hain por sob somoy shri hari nahi ,
Harihara ak hein
Somoy yeani mool kendra
जय भोलेनाथ
जय श्री राम..
जय श्री हरी विष्णु..
हर हर महादेव...
जय श्री हनुमान...
Har Har mahadev
अथाह ज्ञान का सागर हैं गुरु देव सच में मान गए जय हो
*जब हमारे महान ऋषि, मुनी, ब्रम्हदेव, इंद्र देव और उस के वंशज ब्राह्मण वेष बदलकर दुसरो की बिबीपर रेप करते थे और शादी मंडप से नववधु को हलदी लगाकर अपने घर भगा ले जाते थे और तीन दिन रात उससे शुध्दी करते थे, उस युग को सतयुग कहते है..!*
*अब rss (राक्षसी सेवा संघ) का मुखिया मोहन भागवत और उस का प्यादा आवतार पुरुष, विकास पुरूष मोदी उस सत्ययुग को वापस "हिंदुराष्ट्र" के नाम से लाना चाहता हैं..!*
*जय श्रीराम... सब का जिना किया हराम..!*
ब्राम्हणजात याने विश्वासघात..!
शिव स्वयंभू। ना उनका जन्म है ना ना ही मृत्यु। वह आदि है वह अनंत । वह है देवों का देव।
हर हर महादेव🙏🏻
*@Sofiya Basu* सिर्फ शिव ही स्वयंभू नहीं है, परमपिता परमात्मा परमेश्वर नारायण और शिव दोनों स्वयंभू हैं। ना परमेश्वर नारायण का जन्म है और ना ही मृत्यु। वह ही आदि है वह ही अनंत हैं। वह ही देवों का देव महादेव के आराध्य हैं।
हर हर महादेव, ॐ नमः नारायण 🙏❤️❤️❤️
@@jaydutta7711 शक्ति के विषय में बताएं??
Dhang se padho 18 va book , narayan se hi shiv hai...
@@abhaytiwari4716 शक्ति सर्वशक्तिमान परब्रह्म नारायण का प्रकृति रूप है। सभी देवी देवता भगवान विष्णु का ही अंश हैं। भगवान विष्णु शिव जी सहित सभी देवी देवताओं के परमात्मा परमेश्वर हैं। ॐ नमः नारायण 🙏
@@jaydutta7711 विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु जी, शिव पुराण के अनुसार शिव जी व देवी भागवत पुराण के अनुसार माँ आद्याशक्ति परम कारण या परमब्रह्म है, हमारे यहां पंच देवों की पूजा होती है "शक्ति, शिव, विष्णु,गणेश व सूर्य" सभी परब्रह्म में स्वरूप है ,जिनके जो भी इष्ट 🙏🏻😊
बिलकुल परफेक्ट उत्तर। भगवान ब्रम्हा ,विश्णू,महेस ऐकही है कार्य क्षेत्र अलग अलग है।
स्कन्द पुराण= "यथाशिवस्तथा विष्णुर्यथाविष्णुस्तथा शिवः । अंतरं शिवविष्ण्वोश्च मनागपि न विद्यते ॥"
=जैसे शिव है वैसे विष्णु हैं, जैसे विष्णु हैं वैसे शिव हैं। शिव और विष्णु में तनिक भी अंतर नहीं है।
विष्णु पुराण= "अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः । वदन्ति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर ॥"
=हे हर! जिन लोगोंका चित्त अविद्यासे मोहित है, वे भिन्नदर्शी पुरुष ही हम दोनोंमें भेद देखते और बतलाते हैं।
पद्म पुराण="शेवं च वैष्णवं लोकमेकरूप नरोत्तम। द्वयोक्षाप्यन्तरं नास्ति एकरूपं महात्मनोः ॥"
=श्रीशिव और श्रीविष्णुके लोक एक से ही हैं, उन दोनों में कोई अंतर नहीं है।
पद्म पुराण = "ये हीम• विष्णुमव्यक्तं देव वापि महेश्वरं । एकीभावेन पश्यन्ति न तेषां पुनरुद्भवः ॥"
=जो इन अव्यक्त विष्णु तथा भगवान महेश्वरको एक भावसे देखते हैं, उनका पुन: इस संसारमें जन्म नहीं होता।
पद्म पुराण ="येऽसमान प्रपश्यन्ति हरिं वे देवतान्तरं । ते यान्ति नरकान घोरान्न तांस्तु गणयेद्धरिः॥"
=जो 'हरि' और 'हर' को समान भाव से नहीं देखते, श्रीहरिको दूसरा देवता समझते हैं, वो घोर नरकमें पड़ते हैं, उन्हें श्रीहरि अपने भक्तो में नहीं गिनते।
रामचरितमानस= "शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।"
= यहां भगवान राम कह रहे हैं- जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है। वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
रामचरितमानस= "संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास । ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ॥"
= भगवान राम ने कहा--- जिनको शंकरजी प्रिय हैं, परन्तु जो मेरे द्रोही हैं एवं जो | शिवजी के द्रोही हैं और मेरे दास (बनना चाहते हैं, वे मनुष्य कल्पभर घोर नरक में निवास करते हैं॥
शिव पुराण= "वस्तुतश्चापि चेकत्वं वरतोऽपि तथैव च । लीलयापि महाविष्णो सत्यं सत्यं न संशयः ॥"
= हे महाविष्णो! लीलासे भेद होनेपर भी वस्तुत: आप और मेरा स्व स्वरुप एक ही हैं। यह सत्य है, सत्य है, इसमें संशय नहीं है।
शिव पुराण= "रुद्रभक्तो नरो यस्तु तव निंदा करिष्यति । तस्य पुण्यं च निखिलं द्रुतं भस्म भविष्यति ॥"
= जो मनुष्य स्टुका भक्त होकर आपकी निंदा करेगा, उसका सारा पुण्य तत्काल भस्म हो जायेगा।
शिव पुराण= "मम भक्तश्च यः स्वामिंस्तव निंदा करिष्यति । तस्य वै निरये वासं प्रयच्छ नियतं ध्रुवम् ॥ "
= यहां भगवान विष्णु भगवान शिव से कह रहे हैं- हे महेश्वर! मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप निश्चय ही नरकवास प्रदान करें।
नारद पुराण= "शिव एव हरिः साक्षात हरिः एव शिवः स्वयं। द्वयोरन्तरदृग्याति नरकारन्कोटिशः खलः ॥"
"तस्माद्विष्णुं शिवं वापि समं बुद्धा समर्चय । भेदकृद्दुःखमाप्नोति इह लोके परत्र च ॥"
= एक शिव ही हरि हैं, एक हरि ही शिव। इन दोनों में जो भेद देखता है वो अधम है और वो करोड़ नरकों में गिरता है।
अतः इन दोनों को एक समझके ही पूजा करें। जो भेद करता है उसे इस लोक में और अन्य कहीं भी शांति नहीं मिलती।
@@priyajitsaikia6244 सत्य कण कण मे ईश्वर तो कैसे इलेक्ट्रान ब्रम्हा ,प्रोट्रान विष्णु, न्युट्रान महेश और हिन्गबोसान मां काली सक्ति ।
🕉️ नमः शिवाय सीता राम लक्ष्मण हनुमान जय बागेश्वर धाम की जय ब्रह्मा विष्णु महेश सरस्वती माता लक्ष्मी माता पार्वती माता सब के माता पिता ठीक रहे भगवान जी सन्यासी बाबा की जय
स्कन्द पुराण= "यथाशिवस्तथा विष्णुर्यथाविष्णुस्तथा शिवः । अंतरं शिवविष्ण्वोश्च मनागपि न विद्यते ॥"
=जैसे शिव है वैसे विष्णु हैं, जैसे विष्णु हैं वैसे शिव हैं। शिव और विष्णु में तनिक भी अंतर नहीं है।
विष्णु पुराण= "अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः । वदन्ति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर ॥"
=हे हर! जिन लोगोंका चित्त अविद्यासे मोहित है, वे भिन्नदर्शी पुरुष ही हम दोनोंमें भेद देखते और बतलाते हैं।
पद्म पुराण="शेवं च वैष्णवं लोकमेकरूप नरोत्तम। द्वयोक्षाप्यन्तरं नास्ति एकरूपं महात्मनोः ॥"
=श्रीशिव और श्रीविष्णुके लोक एक से ही हैं, उन दोनों में कोई अंतर नहीं है।
पद्म पुराण = "ये हीम• विष्णुमव्यक्तं देव वापि महेश्वरं । एकीभावेन पश्यन्ति न तेषां पुनरुद्भवः ॥"
=जो इन अव्यक्त विष्णु तथा भगवान महेश्वरको एक भावसे देखते हैं, उनका पुन: इस संसारमें जन्म नहीं होता।
पद्म पुराण ="येऽसमान प्रपश्यन्ति हरिं वे देवतान्तरं । ते यान्ति नरकान घोरान्न तांस्तु गणयेद्धरिः॥"
=जो 'हरि' और 'हर' को समान भाव से नहीं देखते, श्रीहरिको दूसरा देवता समझते हैं, वो घोर नरकमें पड़ते हैं, उन्हें श्रीहरि अपने भक्तो में नहीं गिनते।
रामचरितमानस= "शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।"
= यहां भगवान राम कह रहे हैं- जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है। वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
रामचरितमानस= "संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास । ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास ॥"
= भगवान राम ने कहा--- जिनको शंकरजी प्रिय हैं, परन्तु जो मेरे द्रोही हैं एवं जो | शिवजी के द्रोही हैं और मेरे दास (बनना चाहते हैं, वे मनुष्य कल्पभर घोर नरक में निवास करते हैं॥
शिव पुराण= "वस्तुतश्चापि चेकत्वं वरतोऽपि तथैव च । लीलयापि महाविष्णो सत्यं सत्यं न संशयः ॥"
= हे महाविष्णो! लीलासे भेद होनेपर भी वस्तुत: आप और मेरा स्व स्वरुप एक ही हैं। यह सत्य है, सत्य है, इसमें संशय नहीं है।
शिव पुराण= "रुद्रभक्तो नरो यस्तु तव निंदा करिष्यति । तस्य पुण्यं च निखिलं द्रुतं भस्म भविष्यति ॥"
= जो मनुष्य स्टुका भक्त होकर आपकी निंदा करेगा, उसका सारा पुण्य तत्काल भस्म हो जायेगा।
शिव पुराण= "मम भक्तश्च यः स्वामिंस्तव निंदा करिष्यति । तस्य वै निरये वासं प्रयच्छ नियतं ध्रुवम् ॥ "
= यहां भगवान विष्णु भगवान शिव से कह रहे हैं- हे महेश्वर! मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप निश्चय ही नरकवास प्रदान करें।
नारद पुराण= "शिव एव हरिः साक्षात हरिः एव शिवः स्वयं। द्वयोरन्तरदृग्याति नरकारन्कोटिशः खलः ॥"
"तस्माद्विष्णुं शिवं वापि समं बुद्धा समर्चय । भेदकृद्दुःखमाप्नोति इह लोके परत्र च ॥"
= एक शिव ही हरि हैं, एक हरि ही शिव। इन दोनों में जो भेद देखता है वो अधम है और वो करोड़ नरकों में गिरता है।
अतः इन दोनों को एक समझके ही पूजा करें। जो भेद करता है उसे इस लोक में और अन्य कहीं भी शांति नहीं मिलती।
Very nice I belive both as HariHar
मूर्ख कहेंगे शिव बडे नारायण बडे
समझदार समझ जायेंगे हरी हरा एक है
जय हरीहर 🙏🙏🙏
एकदम सही उत्तर 👍
Grant padho gyan milega pakhand vadiyo ki vat man gaye
Sahi kaha tumne shiv aur Narayan ek heen hai
Bharatbhai Nayak Sanatan dharm thoki nakhi uch jati ye Kem ke ved puran upnishad Manav lakhiya he pramatama lakhiya nathi Sanatan dharm granth dalito Ane mahila dabanu kariy kariyu 6e
Pruthvi par je pramatama avtar leta nathi
33koti devi devata ak pramatama pran pratistha upar se hoti hai baki darwaja je pran pratistha hoti he
Brahma dev
Vishnu dev ram Krishna Shami Narayan
Maha dev
Abhadha je diyan bese pramatama
Pramatama har jiv me pramatama avinashi he
Nijanand Gyan chidanand prakash SwaRupam
Pramatama sabaka malik ak he
Sanatan dharm ak shivling pranpratishta upar se hoti hai baki darwaja je ate he tridev bhi agye
Shaminarayan sadhu Ane Sanatan dharm bava sant Gyan tamari pese rakho
God fadhar only one pramatama ano koy akar
Nathi avinashi he
SAHI KAHA BHAI. NARAYAN AUR MAHADEV ME KOI ANTAR NAHI
जय श्री राम जय श्री बालाजी महाराज की, जय श्री सन्यासी बाबा की, जय हो बागेश्वर धाम की, बोलो सच्चे दरबार की जय, हरे कृष्णा प्रभु जी
जय श्री सीताराम राधेश्याम बागेश्वर आए नमः गुरू देवाय नमः आपके श्री चरणों में पापी मन वाले दास रो कोटी कोटी प्रणाम नमन
कोई बड़ा छोटा नहीं है, सभी बराबर हैं, है तो वह एक ही महादेव 🙏❤️
बस अपनी अपनी श्रद्धा है ,जाता तो सब उस महादेव के लिए है, भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि मैं और शिव जी अलग नहीं हैं। जब भगवान ने अपना विश्वस्वरूप दिखलाया अर्जुन को महाभारत के युद्ध में तो उस रूप में सभी थे
तो बोलो हरे कृष्णा श्री रामा
हर हर महादेव 🙏
Iskcon wale nahi mante na.. woh toh sanatani ko divide karte hai.
@@mukeshrana8676 haa ,isckon ne nirgun parmatma ko shree Krishna ke gun se compare kar dia
ओम नम भगवती परमब्रहमेण नमः 🙏 जय मातापिता त्रिदेव जननी 🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम जय श्री सीता राम जय श्री शंकर भगवान की जय गुरु देव भगवान आप ने बहुत सुन्दर ऊधारन सुनाया मन बहुत खुश हो गया जय श्री राम जय श्री राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay shree ram Jay bageswar dham sarkar baba ji sarkar Jay sanyasi baba meri arji sun lo 😭😭🙇♀️🙇♀️😭🙏🙇♀️🙇♀️😭😭🙏🙏😭🙇♀️🙇♀️🙇♀️🙇♀️🙇♀️
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् -नैमिषारण्य में आये हुए सौतिजी शौनक जी को ब्रह्म वैवर्त पुराण के ब्रह्म खण्ड अध्याय-३ में श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ की कथा सुनते हैं कि - ब्रह्मन! जगत को इस शून्यावस्था में देख मन-ही-मन सब बातों की आलोचना करके दूसरे किसी सहायक से रहित एकमात्र स्वेच्छामय प्रभु ने स्वेच्छा से ही सृष्टि-रचना आरम्भ की। सबसे पहले उन परम पुरुष श्रीकृष्ण के दक्षिणपार्श्व से जगत के कारण रूप तीन मूर्तिमान गुण प्रकट हुए। उन गुणों से महत्तत्त्व, अहंकार, पाँच तन्मात्राएँ तथा रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द-ये पाँच विषय क्रमशः प्रकट हुए। तदनन्तर श्रीकृष्ण से साक्षात भगवान नारायण का प्रादुर्भाव हुआ, जिनकी अंगकान्ति श्याम थी, वे नित्य-तरुण, पीताम्बरधारी तथा वनमाला से विभूषित थे। उनके चार भुजाएँ थीं। उन्होंने अपने चार हाथों में क्रमशः - शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण कर रखे थे। उनके मुखारविन्द पर मन्द मुस्कान की छटा छा रही थी। वे रत्नमय आभूषणों से विभूषित थे, शांर्गधनुष धारण किये हुए थे। कौस्तुभमणि उनके वक्षःस्थल की शोभा बढ़ाती थी। श्रीवत्सभूषित वक्ष में साक्षात लक्ष्मी का निवास था। वे श्रीनिधि अपूर्व शोभा को प्रकट कर रहे थे; शरत्काल की पूर्णिमा के चन्द्रमा की प्रभा से सेवित मुख-चन्द्र के कारण वे बड़े मनोहर जान पड़ते थे। कामदेव की कान्ति से युक्त रूप-लावण्य उनका सौन्दर्य बढ़ा रहा था। वे श्रीकृष्ण के सामने खड़े हो दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे-
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम्
नारायण उवाच ।।
वरं वरेण्यं वरदं वरार्हं वरकारणम् ।।
कारणं कारणानां च कर्म तत्कर्मकारणम् ।। 1.3.१० ।।
नारायण बोले- जो वर (श्रेष्ठ), वरेण्य (सत्पुरुषों द्वारा पूज्य), वरदायक (वर देने वाले) और वर की प्राप्ति के कारण हैं; जो कारणों के भी कारण, कर्मस्वरूप और उस कर्म के भी कारण हैं;
तपस्तत्फलदं शश्वत्तपस्वीशं च तापसम् ।।
वन्दे नवघनश्यामं स्वात्मारामं मनोहरम् ।।११।।
तप जिनका स्वरूप है, जो नित्य-निरन्तर तपस्या का फल प्रदान करते हैं, तपस्वीजनों में सर्वोत्तम तपस्वी हैं, नूतन जलधर के समान श्याम, स्वात्माराम और मनोहर हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण मैं वन्दना करता हूँ।
निष्कामं कामरूपं च कामघ्नं कामकारणम्।।
सर्वं सर्वेश्वरं सर्वं बीजरूपमनुत्तमम् ।। १२ ।।
जो निष्काम और कामरूप हैं, कामना के नाशक तथा कामदेव की उत्पत्ति के कारण हैं, जो सर्वरूप, सर्वबीज स्वरूप, सर्वोत्तम एवं सर्वेश्वर हैं,
वेदरूपं वेदभवं वेदोक्तफलदं फलम् ।।
वेदज्ञं तद्विधानं च सर्ववेदविदांवरम् ।। १३ ।।
वेद जिनका स्वरूप है, जो वेदों के बीज, वेदोक्त फल के दाता और फलरूप हैं, वेदों के ज्ञाता, उसे विधान को जानने वाले तथा सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं के शिरोमणि हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ।
इत्युक्त्वा भक्तियुक्तश्च स उवास तदाज्ञया ।।
रत्नसिंहासने रम्ये पुरतः परमात्मनः ।। १४ ।।
ऐसा कहकर वे नारायणदेव भक्तिभाव से युक्त हो उनकी आज्ञा से उन परमात्मा के सामने रमणीय रत्नमय सिंहासन पर विराज गये।
नारायणकृतं स्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः ।।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं पापं तस्य न विद्यते ।। १५ ।।
: जो पुरुष प्रतिदिन एकाग्रचित्त हो तीनों संध्याओं के समय नारायण द्वारा किये गये इस स्तोत्र को सुनता और पढ़ता है, वह निष्पाप हो जाता है।
: पुत्रार्थी लभते पुत्रं भार्य्यार्थी लभते प्रियाम् ।।
भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं धनं भ्रष्टधनो लभेत् ।।१६।।
उसे यदि पुत्र की इच्छा हो तो पुत्र मिलता है और भार्या की इच्छा हो तो प्यारी भार्या प्राप्त होती है। जो अपने राज्य से भ्रष्ट हो गया है, वह इस स्तोत्र के पाठ से पुनः राज्य प्राप्त कर लेता है तथा धन से वंचित हुए पुरुष को धन की प्राप्ति हो जाती है।
कारागारे विपद्ग्रस्तः स्तोत्रेणानेन मुच्यते ।।
रोगात्प्रमुच्यते रोगी ध्रुवं श्रुत्वा च संयतः ।। १७ ।।
: कारागार के भीतर विपत्ति में पड़ा हुआ मनुष्य यदि इस स्तोत्र का पाठ करे तो निश्चय ही संकट से मुक्त हो जाता है। एक वर्ष तक इसका संयमपूर्वक श्रवण करने से रोगी अपने रोग से छुटकारा पा जाता है।
इति ब्रह्मावैवर्ते नारायणकृतं श्रीकृष्णस्तोत्रम् ।
Bhagwaan shiv ji and Lord Krishna ji is all mighty God
Krishn to avatar h vishnu kah dijiye n
"बहुत ही सुन्दर और तार्किक उत्तर दिया गुरुदेव जी ने" धन्यवाद ! 🙏👌🙂
महाराज जी आप बिल्कुल सच बोल रहे ह
शिव शक्ति के बारे मे जितना खोजेगे ये समुद्र उतना ही गहरा होता जाता ह
जय जय श्रीराम दुताय नमः
Maharaj Dhirendra Shastri ji ki jai ho 🇮🇳🙏👍. A good deed always comes around. Jai Shri Krishna 🙏🙏🙏💐💐💐
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः पिता है ब्रह्माजी प्रभु है विष्णुजी गुरु है शंकरजी जय हो त्रिदेव त्रिदेवी नमः मैं ही ब्रह्मा में ही नारायण में महादेव हू महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने यही कहा था कि मैं ही हूं ब्रह्मा में ही हूं विष्णु मैं ही हूं महादेव हूं मैं ही मत्स्य में ही वामन में ही परशुराम मैं ही रामचंद्र मैं ही रामचंद्र सारे जगत के जितने भी देवी देवता है वह लक्ष्मीनारायण के ही रुप है
जय हो सनातन धर्म ❤️🙏🚩
जय श्री राम जय श्री कृष्णा जय बजरंग बली वागेश्वरधाम सरकार कोटि कोटि प्रणाम
जय गुरुदेव, जय सियाराम, जय हनुमान, जय शनिदेव, जय बागेश्वर धाम सरकार की👏👏
हारे का सहारा बागेश्वर धाम हमारा ♥️🙏 जय हो परम पूज्य गुरुदेव भगवान 🚩
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Guru ji sat sat naman ap bahut achhe v sachhe ap kis trike Mila Jaye bahut echha h guru ji koi sadhan bannayo seeta ram jay bagheshver dham
Guru ji .sat sat naman
जय मां वैष्णो धाम जय गुरु जी
🙏🏽🙏🏽
मैं आपकी बात से पूरी तरह संतुष्ट हो गया गुरुदेव 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 जय बागेश्वर बाला जी 🙏🏼 से
कर्ता करे न कर सके शिव करे से होय तीन लोक 9 खंड में शिव सेबड़ा न कोई 🕉🔱
HAR HAR MAHADEV 🚩
Shiv puran ke hisab se shiv pita Brahma ,Brahma ke pita vishnu,vishnu ke pita shiv , phir shiv ke pita Brahma,Brahma ke pit vishnu ye chakra hai iska matlb sab ek hai manushya bhi prabraham ka hi ansh hai matlb ek ek kan main prabraham hai aur har kan parbrahm hai
Shiv shambhu
जय श्रीराम, मेरे महादेव प्रभु जी 👏🚩🥀☘️
श्री बागेश्वर धाम बालाजी महाराज जी सदा ही जय हो। श्री गुरुदेव महाराज के श्री चरणों में मेरा प्रणाम। गुरुदेव मेरी भी अर्जी सुन लो। बहुत ही परेशान हूं।
Jay Shree Ram🙏
Hare Krishna🙏
Har Har Mahadev🙏🙇🏻🙌🏻
Jai Shree Ram जय सियाराम जय हनुमान Jai Shiv Shambhu Jai Shiv Shakti ॐ पशुपतये नमः ॐ अंबिकानाथाय नमः ॐ नमः शिवाय 🙏
five stages of every DEITY
Jain
1) Sadhu
2) Upadhaya
3) Acharya
4) Arihant
5) Siddha
*जब हमारे महान ऋषि, मुनी, ब्रम्हदेव, इंद्र देव और उस के वंशज ब्राह्मण वेष बदलकर दुसरो की बिबीपर रेप करते थे और शादी मंडप से नववधु को हलदी लगाकर अपने घर भगा ले जाते थे और तीन दिन रात उससे शुध्दी करते थे, उस युग को सतयुग कहते है..!*
*अब rss (राक्षसी सेवा संघ) का मुखिया मोहन भागवत और उस का प्यादा आवतार पुरुष, विकास पुरूष मोदी उस सत्ययुग को वापस "हिंदुराष्ट्र" के नाम से लाना चाहता हैं..!*
*जय श्रीराम... सब का जिना किया हराम..!*
ब्राम्हणजात याने विश्वासघात..!
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम् -नैमिषारण्य में आये हुए सौतिजी शौनक जी को ब्रह्म वैवर्त पुराण के ब्रह्म खण्ड अध्याय-३ में श्रीकृष्ण से सृष्टि का आरम्भ की कथा सुनते हैं कि - ब्रह्मन! जगत को इस शून्यावस्था में देख मन-ही-मन सब बातों की आलोचना करके दूसरे किसी सहायक से रहित एकमात्र स्वेच्छामय प्रभु ने स्वेच्छा से ही सृष्टि-रचना आरम्भ की। सबसे पहले उन परम पुरुष श्रीकृष्ण के दक्षिणपार्श्व से जगत के कारण रूप तीन मूर्तिमान गुण प्रकट हुए। उन गुणों से महत्तत्त्व, अहंकार, पाँच तन्मात्राएँ तथा रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द-ये पाँच विषय क्रमशः प्रकट हुए। तदनन्तर श्रीकृष्ण से साक्षात भगवान नारायण का प्रादुर्भाव हुआ, जिनकी अंगकान्ति श्याम थी, वे नित्य-तरुण, पीताम्बरधारी तथा वनमाला से विभूषित थे। उनके चार भुजाएँ थीं। उन्होंने अपने चार हाथों में क्रमशः - शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण कर रखे थे। उनके मुखारविन्द पर मन्द मुस्कान की छटा छा रही थी। वे रत्नमय आभूषणों से विभूषित थे, शांर्गधनुष धारण किये हुए थे। कौस्तुभमणि उनके वक्षःस्थल की शोभा बढ़ाती थी। श्रीवत्सभूषित वक्ष में साक्षात लक्ष्मी का निवास था। वे श्रीनिधि अपूर्व शोभा को प्रकट कर रहे थे; शरत्काल की पूर्णिमा के चन्द्रमा की प्रभा से सेवित मुख-चन्द्र के कारण वे बड़े मनोहर जान पड़ते थे। कामदेव की कान्ति से युक्त रूप-लावण्य उनका सौन्दर्य बढ़ा रहा था। वे श्रीकृष्ण के सामने खड़े हो दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करने लगे-
श्रीकृष्णस्तोत्रं ब्रह्मवैवर्तपुराणे नारायणकृतम्
नारायण उवाच ।।
वरं वरेण्यं वरदं वरार्हं वरकारणम् ।।
कारणं कारणानां च कर्म तत्कर्मकारणम् ।। 1.3.१० ।।
नारायण बोले- जो वर (श्रेष्ठ), वरेण्य (सत्पुरुषों द्वारा पूज्य), वरदायक (वर देने वाले) और वर की प्राप्ति के कारण हैं; जो कारणों के भी कारण, कर्मस्वरूप और उस कर्म के भी कारण हैं;
तपस्तत्फलदं शश्वत्तपस्वीशं च तापसम् ।।
वन्दे नवघनश्यामं स्वात्मारामं मनोहरम् ।।११।।
तप जिनका स्वरूप है, जो नित्य-निरन्तर तपस्या का फल प्रदान करते हैं, तपस्वीजनों में सर्वोत्तम तपस्वी हैं, नूतन जलधर के समान श्याम, स्वात्माराम और मनोहर हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण मैं वन्दना करता हूँ।
निष्कामं कामरूपं च कामघ्नं कामकारणम्।।
सर्वं सर्वेश्वरं सर्वं बीजरूपमनुत्तमम् ।। १२ ।।
जो निष्काम और कामरूप हैं, कामना के नाशक तथा कामदेव की उत्पत्ति के कारण हैं, जो सर्वरूप, सर्वबीज स्वरूप, सर्वोत्तम एवं सर्वेश्वर हैं,
वेदरूपं वेदभवं वेदोक्तफलदं फलम् ।।
वेदज्ञं तद्विधानं च सर्ववेदविदांवरम् ।। १३ ।।
वेद जिनका स्वरूप है, जो वेदों के बीज, वेदोक्त फल के दाता और फलरूप हैं, वेदों के ज्ञाता, उसे विधान को जानने वाले तथा सम्पूर्ण वेदवेत्ताओं के शिरोमणि हैं, उन भगवान श्रीकृष्ण को मैं प्रणाम करता हूँ।
इत्युक्त्वा भक्तियुक्तश्च स उवास तदाज्ञया ।।
रत्नसिंहासने रम्ये पुरतः परमात्मनः ।। १४ ।।
ऐसा कहकर वे नारायणदेव भक्तिभाव से युक्त हो उनकी आज्ञा से उन परमात्मा के सामने रमणीय रत्नमय सिंहासन पर विराज गये।
नारायणकृतं स्तोत्रं यः पठेत्सुसमाहितः ।।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं पापं तस्य न विद्यते ।। १५ ।।
: जो पुरुष प्रतिदिन एकाग्रचित्त हो तीनों संध्याओं के समय नारायण द्वारा किये गये इस स्तोत्र को सुनता और पढ़ता है, वह निष्पाप हो जाता है।
: पुत्रार्थी लभते पुत्रं भार्य्यार्थी लभते प्रियाम् ।।
भ्रष्टराज्यो लभेद्राज्यं धनं भ्रष्टधनो लभेत् ।।१६।।
उसे यदि पुत्र की इच्छा हो तो पुत्र मिलता है और भार्या की इच्छा हो तो प्यारी भार्या प्राप्त होती है। जो अपने राज्य से भ्रष्ट हो गया है, वह इस स्तोत्र के पाठ से पुनः राज्य प्राप्त कर लेता है तथा धन से वंचित हुए पुरुष को धन की प्राप्ति हो जाती है।
कारागारे विपद्ग्रस्तः स्तोत्रेणानेन मुच्यते ।।
रोगात्प्रमुच्यते रोगी ध्रुवं श्रुत्वा च संयतः ।। १७ ।।
: कारागार के भीतर विपत्ति में पड़ा हुआ मनुष्य यदि इस स्तोत्र का पाठ करे तो निश्चय ही संकट से मुक्त हो जाता है। एक वर्ष तक इसका संयमपूर्वक श्रवण करने से रोगी अपने रोग से छुटकारा पा जाता है।
इति ब्रह्मावैवर्ते नारायणकृतं श्रीकृष्णस्तोत्रम् ।
जय बोलो महाकाल स्वामी जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏जय हरिहर नाथ स्वामी जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏जय श्री माता राधे पिता कृष्ण जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏माँ_पार्वती-पिता_शिव जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏
जय सीता माता पिता श्री रामचंद्र जी 🙏 👸 🕉️🙏🚩🌹🙏🕉️🕉️🌹🌞🇮🇳⛳🚩🛕🌹🕉️🙏ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳🌞🛕🌹🕉️🚩🙏🚩🕉️🌹🛕🌞⛳🇮🇳⛳ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धादि-भिर्युतम्। अनिष्ट-हर्ता गृहाणेदं भगवती भक्त-वत्सला।। ॐ श्री वैष्णवी नमः।🙏🙏🌷🌷🚩🚩🌹🌹🛕🛕🌸🌸🕉️🕉️🌞🌞🙏🙏
जय श्री सीता राम गुरु जी के चरणों हमारे नमस्कार हैं गुरु जी 🙏कब हमारे नसीब में लीखा है आप के दर्शन के यगे
ॐ बागेश्वराय नमः
🙏🙏🙏🙏🙏जय सीताराम हनुमान जी गुरु जी को कोटि कोटि प्रणाम🌹🌺🌹🌺🌹🌺
Jai Shree Ram 🙏 Jai Bageshwar dham 🙏 Jai guru Dev 🙏🌼
जय श्री राम जय हनुमान जय बागेश्वर बालाजी महाराज जय सन्यासी बाबा जय दादा गुरु जय परम पूज्य गुरुदेव भगवान 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गुरु देव भगवान की जय
हर हरि महादेव
जय जय
बजरंग बली
five stages of every DEITY
Shiv
1) Rudr
2) Shankar
3) Mahesh
4) Sda Shiv
5) Adi Shiv
🥰🥰ॐ बागेश्वर नमः 🙏🏻🙏🏻
Jai balaji maharaj ki jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev jai gurudev
Om namah shivay Jay shree ram 🌼🙏🏻 jay shree ram om namah shivay 🌼🙏🏻
Vishnu hi shiv hai shiv hi vishnu ,,koi kisi se bada nahi kyuki ek hi hai sab
Very satisfactorily explained 🙏🙏🙏
No bro i am not satisfied; even this question is asked by me
@@Gopal_sharma..____._._.1._. apko islam dharm ki study karna chiye. Isme sirf aik god, iswer, allah ka concept hai . Allah ka koi image nahi hai. Allah ne puri duniya ko banaya. Hai
@@ErWarisIslam dharm ki utpatti kab huyi aapko pata hi hoga shayad lekin Santan dharm aadi aanadi Kalo se chala aa raha h Islam dharm jab tha hi nhi tabse ye shrusti ki rachna huyi tabhi se Santan dharm ki utpatti huyi aap kese keh sakte h alha ne duniya rachi h
@@bhupendrarajak6011 sabse pahle ap samjho ham sab hindustani hai. Hame apas me larna nahi hai.. Abh question ki baat karte . Sabse pahle samgho. Arbic, or sanskrit alag alag do language hai. Abh aik aik example se samgho. Sun ka hindi me kahte hai suraj. But apko ptah hai arbic me sun ko kiya kahte hai. Hame patah hai apke paass isak jawab nahi hoga. Kue ki apne arbic kavi padha nahi hoga. Mai apko batat hu suno sun ko arbic me shams kahte hai. Moon ko arbic me kamar kahte hai. Isiye agar apko arbic path nahi hai toh arbic language ka meaning jano Pahle. Phir baat karo. Abh samgho allah kise kahte hai. Allah aik hai. Haar cheej se paak hai. Allah ke jaisya koi nahi hai. Allah ne haar cheej ko paidya kiya. Muhamad sallahu alihuwasalam allah ka last paygamber (last messenger hai) . Muhamad salhu alhiuwasalam se pahle bahut sare allah ke messenger aye hai. Jaisey isa, yakub, yusuf, musa, adam alahaisalam sabse pahle messenger adam alihusalam hai. Total one lakh 24 thousand messenger aye hai. Sab ka aik hi messege hai aik iswer ki puja karo. Or kisi bhi cheej ki puja maat karo.Or sab ke pass iswer ke traf se aik book ya script aya hai. But sabke maane wale ne aik iswer ko chor kar bahut se iswer ko maan kar puja karne laga. Jo ki iswer ke nazar me galt hai. Isalam aik aisya deen hai jisme aik hi iswer ki puja karne ka hukum hai. Jo aik iswer ki puja nahi karta wo muslaman nahi hai. Baat a gya hoga samgh. Agar nahi aya ho toh batana. Or achhe se bata denge
@@bhupendrarajak6011 Reality ye hai ap log apne grant ko padhte nahi hai. But ham log Quran shif padhte hai.
Jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram jai shree Ram
आती सुन्दर बोले गुरु jiii 🙏🙏🙏🙏🙏
Aaj MN me bahut Shanti mili asking bate Saunkar gurudev mujhe pr asirwad De do sarkar
हे मेरे मार्गदर्शक अथवा मेरे विचार के जैसे भारत के सभी युवाओं के Leader मैं आपको बहुत मानता हूं आप जो कार्य कर रहे हो गुरुदेव, उस कार्य में सब से पहले मैं खड़ा हूं 🙏🏻
जय श्री राम - कृष्ण, हर हर महादेव 🙏🏻🙏🏻🚩🚩
बोलो bageswar dham सरकार की जय...जय सीताराम
Jay Shri Sita raam 🙏🙏 Jay bhageswer sambhu 🙏🙏 Jay bhageswer bala ji mharaaj 🙏🙏 Jay sanyasi baba 🙏🙏 Jay dada gurudev mharaaj 🙏🙏 apke charanon mein कोटि-कोटि pranam 🙏🙏 kripa kr do mere nath 🙏🙏
Jai Bageshwar dham ki jay 🙏🙏🙏 Apne sahi roop main samjhaya ..HAR HAR Mahadev 🙏🙏❤️❤️ Sri Ram🙏🙏🌷🌷🌷🙏❤️
five stages of every DEITY
Vedic
1) Kshar
2) Akshar
3) Pra
4) Pratpar
5) Pooran
Dhanyawad guru ji ye question mera bhi tha aapne bhut acche se btaya
Radhe Radhe Guruji Jay Shri Ram Guru ji Jay Bageshwar Dham mansarkar aapke Kamal Charanon Mein Mera कोटि-कोटि dandvat Pranam Guruji
True bhakti is to realize that mahadeva and shree Hari are one and same 🙏
जय श्री महा अरबुदा माता जी नम शिवाय
नमन गुरु जी , रूप गुण दोनो में देवत्व है ,आप साक्षात अवतार हैं ।
Bageswar dham Sarkar ki jai sadguru sanyasi Baba ki jai bala ji maharaj ki jai jai shri ram
Ram ram
Guru Ji is such an intelligent Person
Bhagwan श्री हरि विष्णु ने ही बनाए है सबको ही
जय बागेश्वर बालाजी धाम सरकार की जय हो जय सीताराम
शिवाय विष्णु रूपाय शिव रूपाय विष्णवे |
शिवस्य हृदयं विष्णुं विष्णोश्च हृदयं शिवः ||
यथा शिवमयो विष्णुरेवं विष्णुमयः शिवः |
यथान्तरम न पश्यामि तथा में स्वस्तिरायुषि|
यथान्तरम नभेदा: स्यु: शिवराघवयोस्तथा||
(यजुर्वेद)
विष्णु शिव हैं और शिव विष्णु हैं। शिव के हृदय में विष्णु का वास है और विष्णु के हृदय में शिव का। अत: विष्णु को उसी स्थान पर पाया जा सकता है जिस स्थान पर शिव को और शिव को उसी स्थान पर पाया जा सकता है जहां विष्णु को। एक व्यक्ति जो उन्हें एक और अविभाज्य के रूप में देखता है, वह एक अनुग्रहपूर्ण जीवन जीने वाला है।
Jai Sree Ram 🌼🙏
भगवान शिव के आलावा दूसरा कोई बड़ा नही है शिव ही सत्य है हर हर महादेव 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
भगवानों में कोई भी छोटा या बड़ा नहीं हो सकता ये बात सही है जो काम हुई कर सकती वह काम भाला या सब्बल नहीं कर सकता।
Jay Shree Ram 🙏❤
Jay Shree Hanuman 🙏❤
Om Bageshwaray Namah 🙏❤
🙏🙏jai shri sita ram jai bagehshwar balaji maharaj🌺🌺🌺
Sita ram guruji 🌺🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺 Har har mahadev 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🙏🙏🌺🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏🙏🌺🙏🌺🌺🙏
Jai Bageswar Maharaj Ki Jai🙏🙏
2:47 Dhanyavaad Bageshwar Dham ❤
जय श्री सीताराम 🙏 जय श्री राम राम राम राम 🙏 जय श्री बाला जी सरकार 🙏 हर हर महादेव 🙏
ॐ नमः शिवाय
सीता राम
राधे कृष्णा 🚩🙏
First time i felt majestic energy towards this guy due to his answer
श्री गणेशाय नमः श्री सीताराम जी जय श्री बालाजी
Bageshwar dham ki jay🙏🙏
Jai shree pita brahma🙏🙏🙏🙏❣️❣️❣️❣️jai shree pita vishnu❣️❣️❣️❣️❣️🙏🙏🙏🙏🙏jai shree pita mahesh🙏🙏🙏🙏🙏❣️❣️❣️❣️❣️❣️
Jay bageshwar dham Sarkar
Jay dhiren Krishna sashri ji 🥰🥰❤❤🙏🙏
सही कहा गुरु जी जय हो🥰🥰 मेरे पिता श्री हरि आर मेरे महादेव एक ही है हरिहर 💯🥰🥰🥰🚩🚩🚩🙏🙏🙏
Jisme shiv nhi vo shav h or har jagah hi to shiv h shiv anant h shiv hi adi h shiv hi ant h ..jai jai shiv shankar ..
Bilkul sahi kaha sab shiv ji ka hi ansh hai. 🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Om 🕉 namah shivay. Shiv ke vina shav.
Shiv Ji Aadi aur Aant Hai 🔱
five stages of every DEITY
Avatar Krishna
1) Purush
2) Abhas Purush
3) Kutasth Purush
4) Nishkaam Purush
5) Divya Daiv Purush
Haa Bhai ek don
Jai bageshwar dham 🙏🙏
एकदम सही बोले गुरु जी मंदिर घर है घर ही मंदिर
JAi shri radhe Krishna Jai shri ram Jai shri balaji maharaj ki Jai shri hanuman ji maharaj ki Jai shri khatu naresh ki Jai shri bageswar balaji maharaj ki Jai shri bageswar balaji maharaj ki Jai
Sahi kh rhe h y pehale meri shardha devi m hui uske baad Shri krishan k savroop m maine sare shastro dekha k sare kehte h guru Bina gati nhi to muje guru nanak pr vishwas tha jo abhi guru granth sahib ji k roop m hain to maine Amrit chaka .uske baad se m bhakti krta hu or bhut khush hu . satisfied hu
Jai bagheshwar dham sarkar.... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 Jay shri hari.... Har har mahadev 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Meri jigyasa purn hui... Bahot thanks.
Bhagwaan Shiv aur Bhagwaan Vishnu ek hi hai Katter Sanatani
Jay Bhageshwar dhaam Maharaj🙏🙏
Shakti ek hi hai , Kewal roop alag-alag hai....
ऊँ नमः शिवाय 🚩
Shree Ram jay Ram jay jay Ram jay Shree Sita Ram jay Shree Radhe Krishna jay Shree Hanuman ji Mahraj ki jay jay Shree sanyasi Baba ki jay jay Shree Bageshwar Bala ji Sarkar ki jay jay Shree Divay darbar ki jay jay Shree Guru ji Mahraj ki jay aapko charno me koti koti parnam karta hu 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai shree ram ❤❤❤❤❤❤❤ Jai bajrang bali 🏵️🤗❤️🕉️🇮🇳💪🌹🙏🌺🌺💪❤️🤗🏵️🕉️💥🇮🇳🙏🙏❤️🕉️🕉️🙏🙏🙏
Sitaram Hanuman हरि विष्णु हरि हर हर महादेव ❤😊
Shiva and Vishnu are like the heart and brain, and the body is related to Bramha. The transformation works like, The Shiva surrenders its Shakti to Vishnu, who transforms the Shakti into Laxmi (gravity) and value by navigating the right path, and the transformation from one state to another is finally converted into knowledge (Sarasvati) by the Bramha (body/existence).
Every action/creation/Shakti starts from Shiva and end on Shiva.
Every action/creation need a path/Vishnu.
Vishnu converts all actions into the value/gravity by moving it into right path.
Bramha converts value/gravity/Laxmi into the Knowledge/Sarasvati.
Jai shri ram ❤❤❤❤❤❤ Jai shri ram ❤❤❤❤❤❤❤❤ har har mahadev ❤❤❤❤
OM BAGESHWARAY NAMAH GURU JI AAP SATYA HAI SREE SREE 1008 punj guru ji
Jai Gurudev 🙏🙏🙏
जय श्री सीताराम 🙏🙏🙏
Jai shree Ram ap ne mera dil jit liya guruji yeh bat bolkar🙏
बहुत अच्छा बताया है अपने.. परम शांति... 🙏🧡🤗💫
शिव सभी में श्रेष्ठ हैं ये उनकी वेश भूषा भी बताती है की वो सब देवों में भिन्न हैं । एक मात्र शिव ही हैं जिनकी वंदना हर कोई करता है चाहे फिर ब्रह्मा जी हों या विष्णु जी । एक मात्र वही हैं जिनको ओंकारेश्वर अर्थात ओम का आकार स्वरूप हैं वो, और हमारे वेदों में ॐ से ही सबकी उत्पत्ति हुई है
Jay sanyasi baba jay baba bageshwar balaji ki jay
Bahut hi sundar jabab guru dev maharaj 🙏🙏🙏🙏