नागरी लिपि ११वीं-१२वीं सदी में विकसित हुई। इससे पहले ब्राह्मण को किसी भी अन्य लिपि का ज्ञान नहीं था। वे तो अंग्रेजों द्वारा बुलाए जाने पर सम्राट असोक के स्तंभ पर लिखी पाली भाषा की बम्बी लिपि को भी नहीं पढ़ सके थे। सन 1464 से पहले वेदों के लिखे जाने का कोई पुरातत्व सबूत उपलब्ध नहीं है।
क्या ११वीं १२वीं सदी से पहले लोग समय नहीं देखते थे क्या वो गणना करना नहीं जानते थे पश्चिमी सभ्यता से इतने भी आकर्षित मत हो जाओ की अपनी संस्कृति अपने इतिहास को ही भूल जाओ ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के रचयिता अनेक ऋषि हैं जबकि द्वितीय के गृत्समय, तृतीय के विश्वासमित्र, चतुर्थ के वामदेव, पंचम के अत्रि, षष्ठम् के भारद्वाज, सप्तम के वसिष्ठ, अष्ठम के कण्व व अंगिरा, नवम् और दशम मंडल के अनेक ऋषि हुए हैं ऋग्वेद का ज्ञान हजारों वर्ष पुराना है जिसे वाचिक परंपरा के माध्यम से संवरक्षित रखा गया। हालांकि संस्कृत पांडुलिपियां बनाने की शुरुआत हुई तब ऋग्वेद को लिपिबद्ध किया गया। इसीलिए यह नहीं समझना चाहिए कि वैदिक काल 1500 ई.पू. विद्यमान था।
@kshatriyachambal वो सब महात्मा बुध के अनुयायी थे। पाली पाकित उनकी भाषा थी और वे बंबी लिपि का प्रयोग करते थे। उनका अपना कलैंडर और ज्ञान विज्ञान था। ईसा से पहले और हजार साल बाद तक भारत आते रहे विदेशी यात्रियों के संस्मरणों में वैदिक काल, संस्कृत वाङ्मय, वर्तमान तीज त्योहारों के स्वरूप का कोई जिक्र नहीं आता है जबकि संस्कृत साहित्य में बुध के संबंध में काफी कुछ लिखा हुआ मिल जाता है जो साबित करता है कि २८ बुधों का समय संस्कृत साहित्य से डेढ़ दो हजार साल पहले से चला आ रहा था । तथाकथित वैदिक काल का कोई भी पुरातात्विक सबूत अभी तक उपलब्ध नहीं है। धन्यवाद।
बौद्ध धर्म हिंदू धर्म की ही एक शाखा है दोनों धर्म भारतीय हैं दोनों धर्म अतिप्राचीन हैं दोनों धर्मों के ज़्यादातर अनुयायी एशिया में रहते हैं दोनों धर्मों में कर्म, धर्म, बुद्ध, अवतार जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है दोनों धर्मों में मुद्रा, तिलक, शिखा, रुद्राक्ष, धर्मचक्र, और स्वस्तिक जैसे प्रतीक हैं दोनों धर्मों में मंत्र, योग, और ध्यान जैसे कर्मकांड होते हैं दोनों धर्मों में आध्यात्मिक मुक्ति के लिए निर्वाण शब्द का इस्तेमाल होता है दोनों धर्मों में पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति या आध्यात्मिक ज्ञान को सर्वोच्च लक्ष्य माना जाता है दोनों धर्मों में उन मुक्त प्राणियों की पूजा की जाती है जिन्होंने आध्यात्मिक मुक्ति हासिल कर ली है बौद्ध धर्म की जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं. सिद्धार्थ गौतम, हिंदू राजघराने के सदस्य थे, जिनका मोहभंग हो गया था और उन्होंने जवाब तलाशने के लिए बोधि वृक्ष के नीचे छह साल ध्यान लगाया था
Very.nice veda
More and more knowledge.
बहुत बढ़िया जानकारी
नागरी लिपि ११वीं-१२वीं सदी में विकसित हुई। इससे पहले ब्राह्मण को किसी भी अन्य लिपि का ज्ञान नहीं था। वे तो अंग्रेजों द्वारा बुलाए जाने पर सम्राट असोक के स्तंभ पर लिखी पाली भाषा की बम्बी लिपि को भी नहीं पढ़ सके थे। सन 1464 से पहले वेदों के लिखे जाने का कोई पुरातत्व सबूत उपलब्ध नहीं है।
क्या ११वीं १२वीं सदी से पहले लोग समय नहीं देखते थे क्या वो गणना करना नहीं जानते थे पश्चिमी सभ्यता से इतने भी आकर्षित मत हो जाओ की अपनी संस्कृति अपने इतिहास को ही भूल जाओ ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के रचयिता अनेक ऋषि हैं जबकि द्वितीय के गृत्समय, तृतीय के विश्वासमित्र, चतुर्थ के वामदेव, पंचम के अत्रि, षष्ठम् के भारद्वाज, सप्तम के वसिष्ठ, अष्ठम के कण्व व अंगिरा, नवम् और दशम मंडल के अनेक ऋषि हुए हैं ऋग्वेद का ज्ञान हजारों वर्ष पुराना है जिसे वाचिक परंपरा के माध्यम से संवरक्षित रखा गया। हालांकि संस्कृत पांडुलिपियां बनाने की शुरुआत हुई तब ऋग्वेद को लिपिबद्ध किया गया। इसीलिए यह नहीं समझना चाहिए कि वैदिक काल 1500 ई.पू. विद्यमान था।
@kshatriyachambal वो सब महात्मा बुध के अनुयायी थे। पाली पाकित उनकी भाषा थी और वे बंबी लिपि का प्रयोग करते थे। उनका अपना कलैंडर और ज्ञान विज्ञान था।
ईसा से पहले और हजार साल बाद तक भारत आते रहे विदेशी यात्रियों के संस्मरणों में वैदिक काल, संस्कृत वाङ्मय, वर्तमान तीज त्योहारों के स्वरूप का कोई जिक्र नहीं आता है जबकि संस्कृत साहित्य में बुध के संबंध में काफी कुछ लिखा हुआ मिल जाता है जो साबित करता है कि २८ बुधों का समय संस्कृत साहित्य से डेढ़ दो हजार साल पहले से चला आ रहा था । तथाकथित वैदिक काल का कोई भी पुरातात्विक सबूत अभी तक उपलब्ध नहीं है। धन्यवाद।
बौद्ध धर्म हिंदू धर्म की ही एक शाखा है दोनों धर्म भारतीय हैं
दोनों धर्म अतिप्राचीन हैं
दोनों धर्मों के ज़्यादातर अनुयायी एशिया में रहते हैं
दोनों धर्मों में कर्म, धर्म, बुद्ध, अवतार जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है
दोनों धर्मों में मुद्रा, तिलक, शिखा, रुद्राक्ष, धर्मचक्र, और स्वस्तिक जैसे प्रतीक हैं
दोनों धर्मों में मंत्र, योग, और ध्यान जैसे कर्मकांड होते हैं
दोनों धर्मों में आध्यात्मिक मुक्ति के लिए निर्वाण शब्द का इस्तेमाल होता है
दोनों धर्मों में पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति या आध्यात्मिक ज्ञान को सर्वोच्च लक्ष्य माना जाता है
दोनों धर्मों में उन मुक्त प्राणियों की पूजा की जाती है जिन्होंने आध्यात्मिक मुक्ति हासिल कर ली है
बौद्ध धर्म की जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं. सिद्धार्थ गौतम, हिंदू राजघराने के सदस्य थे, जिनका मोहभंग हो गया था और उन्होंने जवाब तलाशने के लिए बोधि वृक्ष के नीचे छह साल ध्यान लगाया था
बौद्ध धर्म की शुरुआत महात्मा बुद्ध द्वारा 483 ईसा पूर्व में हुई। बल्कि इससे पहले ही हिंदू धर्म और जैन धर्म की शुरुआत हो चुकी थी।