ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्.. अर्थ Om Purnamadah Purnamidam... Logical meaning / understanding
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- Опубликовано: 9 фев 2025
- ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् , पूर्णमुदच्यते,
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्णमेवाव शिष्यते।
ॐ शांति: शांति: शांतिः
यह मंत्र बृहदारण्यक उपनिषद के पांचवें अध्याय से है और ईशावास्योपनिषद का शांति पाठ है।
पूर्णमद: = पूर्णम (पूर्ण, अनंत, infinite) + अदः (वह- ईश्वर, ब्रह्म)
पूर्णमिदं = पूर्णम (पूर्ण, अनंत, infinite) + इदं (यह - ब्रम्हाण्ड, जगत)
पूर्णात् = पूर्ण से (ईश्वर से)
पूर्णमुदच्यते = पूर्णम + उदच्यते (उदय होना)
पूर्णस्य = पूर्ण में से
पूर्णमादाय = पूर्णम + अदाय (अदा करना, घटाना, निकालना)
पूर्णमेवाव शिष्यते = पूर्णम +एव + शिष्यते (शेष बचना)
वह (ब्रह्म) पूर्ण है, यह (जगत्) भी पूर्ण है । (उस) पूर्ण ब्रह्म से ही यह पूर्ण विश्र्व प्रादुर्भूत हुआ है । उस पूर्ण ब्रह्म में से इस पूर्ण जगत् को निकाल लेने पर पूर्ण ब्रह्म ही शेष रहता है ।
यहाँ पूर्ण से पूर्ण निकाल देने पर भी पूर्ण बचना - थोड़ा अजीब लग सकता है। लेकिन यहाँ पूर्ण से तात्पर्य 1)अनंत या अथाह से है या 2) गुणात्मक तात्पर्य है।
अनंत - अनंत = अनंत की संभावना एक सर्वमान्य गणितीय अवधारणा है।( ∞ - ∞ = ∞ )
और यदि गुणात्मक तौर पर देखें तो, पूर्ण परमात्मा से जो भी भी उत्पन्न होगा उसमें वह सारी पूर्णता होगी।
अति सुन्दर 👌👌
गणित के साथ इसकी व्याख्या बहुत अच्छी लगी 🙏🙏
आपका हृदय से धन्यवाद। यह मंत्र बहुत हि गहन है।
अति उत्तम प्रस्तुतिकारण, अति शुद्ध उच्चारण ।धन्यवाद ।
Thanks
Excellent explanation....This Universe is manifested form of Unseen All Pervading Bramhan.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।
Dhanyvaad..!!
आपका प्रयास बहुत सराहनीय है।
हम सबको इस से अवगत करना भी ईश्वर की सेवा ही है।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव भी समझा सकें तो बहुत कृपा होगी।
हार्दिक धन्यवाद।
सादर प्रणाम।
It's very clear.Thanks
Thanks for so nice explanation
Aapki poorna explanation ne hame poornta pradan ki guruji🙏🙏🪷🪷
बहुत बढ़िया समझाया, एक एक शब्द का सही अर्थ बताया। धन्यवाद 🙏
Sanatan Dharma ki jai. Dhanyawad.
Beautifully explained....God bless you
Thanks a lot
बहुत अच्छा ❤
Beautifully explained Sir.......
Exact and clear explanation
Dhanyavad ji.
Sir ji Dhanyawad, seedha dimag me baith gaya
Dhanyawaad🙏🏻🙏🏻
Jay ShriKrushnabhagavaan🙏🏻🙏🏻😊
First time I heard from my yoga teacher before starting yoga ❤❤😊
Superb sir
बहुत सुंदर प्रयास🙏🏻
Jay Shree Krishna
Very good
Good job 👏👍
Parmatma ka maha jaijaikar
सुन्दर व्याख्या , आभार
Super message 🎉
Fine explained ❤
Thank you for this video 😊
Very great
And aapaka mentra ka meaning bahut good hai
Nice
😊😊😊🙏🙏🙏🙏 Jay hoShree Krishna ji ki 🙏🙏🙏 Jay Shree Ram Lakhan Janki ji ki Jay ho Hanuman ji ki
Very nice ji
एक्सेल्लेंत सर
उत्कृष्ट
🙏🏻
Namastey 😊😊
आदाय : व्यय करना , व्यवहार में लाना ।
Excellent
Thank you so much 😀
Thanks sir
अल्पेश जी आपने यह चैनल चालू किया है वह बहुत ही अच्छा कार्य है। ऐसे विडिओ से आने वाली पीढ़ी को बहुत अच्छा ज्ञान मिलेगा मेरा आपसे अनुरोध है की आप ऐसेही अच्छे विडिओ बनाते रहे और हमे आपका ज्ञान मिलता रहे।
Thanks..Ji
I liked it... Thanks 🙏
Well explained.
thanks
🙏🙏🙏
My culture language many words from sangkrit..at first I don't know but after learn yoga only know the truth become big Ah ha..
Om shanno devi rabhistaye etc ka arth batayen krioya
Sir, आप कृपया संकल्प मंत्र का अर्थ बताते,
धन्यवाद
Sir Geetha ke important shlokon ka bhavanuvaad kar dijiye pls one by one🙏
Very nice
Thanks
Ashar bahi
Sirji,gayatri mantra ka artha samajhayiye🙏🏼
Beautiful
जी धन्यवाद🙏
🙏🏼
ओं भद्रं कर्णेभी श्रूनुयाम देवा -. अर्थ
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥
(ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89, मंत्र 8)
(भद्रम् कर्णेभिः शृणुयाम देवाः भद्रम् पश्येम अक्षभिः यजत्राः स्थिरैः अङ्गैः तुष्टुवांसः तनूभिः वि-अशेम देव-हितम् यत् आयुः ।)
भावार्थ: हे देववृंद, हम अपने कानों से कल्याणमय वचन सुनें । जो याज्ञिक अनुष्ठानों के योग्य हैं (यजत्राः) ऐसे हे देवो, हम अपनी आंखों से मंगलमय घटित होते देखें । नीरोग इंद्रियों एवं स्वस्थ देह के माध्यम से आपकी स्तुति करते हुए (तुष्टुवांसः) हम प्रजापति ब्रह्मा द्वारा हमारे हितार्थ (देवहितं) सौ वर्ष अथवा उससे भी अधिक जो आयु नियत कर रखी है उसे प्राप्त करें (व्यशेम) । तात्पर्य है कि हमारे शरीर के सभी अंग और इंद्रियां स्वस्थ एवं क्रियाशील बने रहें और हम सौ या उससे अधिक लंबी आयु पावें ।
मेरा एक जिज्ञासा है कि ब्रह्म अाैर ईश्वर एक ही है या अलग अस्तित्व है??
ब्रह्म व ईश्वर पर्यायवाची है, अर्थात् एक ही है!
Thanks
Welcome
Mudacchyte ka arth shee nhee kiya gya.
ओम स्तुता मया वरदा वेद माता---का अर्थ कृपया समझाएं
स्तुता मया वरदा वेदमाता प्र चोदयन्तां पावमानी द्विजानाम् |
आयु: प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम् |
मह्यं दत्त्वा व्रजत ब्रह्मलोकम् ||
अथर्ववेद 19/71/1
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हे मनुष्यों ! द्विजों को पवित्र करने वाली वरदा वेदमाता मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई वा स्तुत की गई है तुम भी उसका प्रचार करो, उससे औरों को प्रेरित करो | यह आयु, प्राण, प्रजा, पशु कीर्ति, धन-बल और ब्रह्मतेज-ब्रह्मबल रूप वरों को देने वाली है | तुम यह सब-कुछ मुझे प्रदान कर ब्रह्मलोक की ओर चलो |
🙏 हाथ जोड़कर धन्यवाद। अर्थ पढ़ कर मैं अन्दर तक प्रफुल्लित हो गई!!
पुर्णस्य का मतलब "पूर्ण का" होना चाहिए था क्या?
क्या ब्रह्माण्ड को ईश्वर ने कैसे बनाया, कौन सी सी डी डाली थी, कहाँ सीधी रखकर बना रहा था, बताए तो जरा सीधी कहाँ डालकर बना रहा था, कैसे बना रहा था, कहाँ खड़ा हो रहा था
Very nice.
Vedic and vaidic ka antar samjo.
जी नमस्ते🙏
वेद से वेदिक..! उचित होगा
यदि, वैद हो तो वैदिक उचित होता।
कृपया आप मार्गदर्शन करे🙏
Kahan khada hokar banaa raha tha yah Jo music bataya aap kahan khada hokar vah banaa raha tha kaise banaya aur kaise usko Nijam kya Nirman Kiya nahin to yah bahut bada hai pura yah kaise banaen kitna bada vah kitna bada hai faltu bakwas karne ke liye ismein Tum samay pura logon Ko Gumrah banate Ho khatra banaa dete Ho
Excellent