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Om Ka Arth ||ॐ का अर्थ ||Om Ka Arth in Hindi ||ॐ का अर्थ क्या है ||What is OM

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  • Опубликовано: 23 ноя 2020
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    वर्तमान/आधुनिक विज्ञान जब प्रत्येक वस्तु, विचार और तत्व का मूल्यांकन करता है तो इस प्रक्रिया में धर्म के अनेक विश्वास और सिद्धांत धराशायी हो जाते हैं।
    विज्ञान भी सनातन सत्य को पकड़ने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है किंतु वेदांत में उल्लेखित जिस सनातन सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है|
    विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता नजर आ रहा है।
    मुख्यत: यह समस्त ब्रह्मांड ईश्वर का विस्तृत रूप है। दृश्य ब्रह्मांड ईश्वर के कातिपय गुणों को प्रदर्शित करता है।
    जगत का प्रत्येक पदार्थ उस ईश्वर की रचना है। ओम् जो यह अक्षर है, यह सब उस ओम् का विस्तार है जिसे ब्रह्मांड कहते हैं।
    ॐ शब्द इस दुनिया में किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है|
    ॐ के उच्चारण से ही शरीर के अलग अलग भागों मे कंपन शुरू हो जाती है जैसे की
    ‘अ’:- शरीर के निचले हिस्से में (पेट के करीब) कंपन करता है|
    ‘उ’:- शरीर के मध्य भाग में कंपन होती है जो की (छाती के करीब) .
    ‘म’:- से शरीर के ऊपरी भाग में यानी (मस्तिक) कंपन होती है |
    ॐ शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक लाभ मिलते हैं|
    भूत, वर्तमान और भविष्य में सब ओंकार ही है और जो इसके अतिरिक्त तीन काल से बाहर है, वह भी ओंकार है।
    समय और काल में भेद है। समय सादि और सान्त होता है परन्तु काल, अनादि और अनंत होता है।
    समय की उत्पत्ति सूर्य की उत्पत्ति से आरंभ होती है।
    वर्ष, महीने, दिन, भूत, वर्तमान और भविष्य आदि ये विभाग समय के हैं जबकि काल इससे भी पहले रहता है।
    प्रकृति का विकृत रूप तीन काल के अंदर समझा जाता है।
    प्रकृति तीन कालों से परे की अवस्था है, अत: उसे त्रिकालातीत कहा गया है।
    वह यह आत्मा अक्षर में अधिष्ठित है और वह अक्षर है ओंकार है और वह ओंकार मात्राओं में अधिष्ठित है।
    हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म, ब्रह्मांड और आत्मा के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया था।
    वेदों में ही सर्वप्रथम ब्रह्म और ब्रह्मांड के रहस्य पर से पर्दा हटाकर ‘मोक्ष’ की धारणा को प्रतिपादित कर उसके महत्व को समझाया गया था।

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