| Pokaran Fort | 14 वीं शताब्दी में निर्मित राजस्थान में थार रेगिस्तान के मध्य में पोखरण किला (Ep-1)
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- Опубликовано: 24 ноя 2024
- | Pokaran Fort | राजस्थान में थार रेगिस्तान के मध्य में पोखरण किला @Gyanvikvlogs
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पोकरण का किला पश्चिमी राजस्थान के प्राचीनतम किलों में से एक है । जोधपुर और जैसलमेर राज्य की सीमा पर अवस्थित होने के कारण यह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था । इसी वजह से यह दुर्ग दोनो राज्यों के मध्य संघर्ष का बड़ा कारण बना । लगभग 90 वर्षों को छोड़कर यह किला जोधपुर राज्य के अधीन रहा । अल्पकाल के लिए यह राव मालदेव के समय सुल्तान शेरशाह सूरी के समय दिल्ली सल्तनत के अधीन रहा जिसने राव मालदेव का पीछा करते हुए पोकरण पर अधिकार किया और अपना एक थाना यहां स्थापित किया । कुछ समय के लिए यहाँ मुगलवंशी औरंगजेब का भी अधिकार रहा । बालागढ़ के रूप में जाना जाने वाला पोखरण किला 14 वीं सदी में निर्मित एक प्राचीन किला है । यह स्मारक थार रेगिस्तान में स्थित है । यह एक प्राचीन ऐतिहासिक व्यापार मार्ग पर स्थित है जहां से मसाले , नमक , और रेशम का फारस और अन्य देशों को निर्यात किया जाता था । यह राठौड़ वंश के चम्पावत शासकों का किला है । यह किला मुगल और वास्तुकला राजपूत शैली का एक शानदार उदाहरण है । किले में हथियार , कपड़े , चित्र , और हस्तशिल्प के शाही संग्रह को प्रदर्शित करता एक संग्रहालय है । इसके अलावा , यहाँ एक शानदार पुस्तकालय है जिसमें महान राव बहादुर राजश्री , ठाकुर चैन सिंह जी पोकरन से सम्बद्ध पुस्तकों का अच्छा संग्रह है । पोकरण के किले का निर्माण किसने और कब करवाया , इससे जुड़े अनेक मिथक प्रचलित है । किन्तु इस बात को लेकर सर्वसम्मति है कि पोकरण किला का जो वर्तमान स्वरूप है , वह इसकी स्थापना के समय ऐसा नहीं रहा होगा ।
श्री विजयेन्द्र कुमार माथुर ने पोकरण को महाभारतकालीन पुष्कराराण्य नगर माना जहां उत्सवसंकेत गण रहा करते थे । इस मान्यता की स्वीकृति से पोकरण का इतिहास ईसा से कई शताब्दी पूर्व चला जाता है । उस काल में भी लोग प्रशासनिक केन्द्र के रूप में दुर्ग या गढ़िया बनाया करते थे । अतः पोकरण में किला महाभारत काल में ही बन गया होगा । श्री विजयेन्द्र कुमार माथुर ने श्री हरप्रसाद शास्त्री को उद्धृत किया जिनके अनुसार महरौली ( दिल्ली ) के प्रसिद्ध लौह स्तम्भ का चन्द्र वर्मा और समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति का चन्द्र वर्मा एवं मंदसौर अभिलेख ( 404-05 ई . ) का चन्द्रवर्मा यहीं का शासक था । जब शासक था तो उसका प्रशासनिक केन्द्र दुर्ग भी अवश्य ही रहा होगा । पोकरण से प्राप्त 1013 ई . के अभिलेख से इस क्षेत्र में पहले गुहिलों और फिर परमारों के वर्चस्व की ओर इशारा करते हैं । इसके बाद लगभग तीन शताब्दी से भी अधिक समय तक यहां परमारों का राज रहा । निश्चित रूप से परमारों के समय यहां कोई गढ़ या छोटी गढ़ी रही होगी । उस काल में परमारों द्वारा पश्चिमी राजस्थान में दुर्ग श्रृंखला बनाए जाने के निश्चित प्रमाण मिलते हैं । कालान्तर में पंवार पुरूरवा ने नानग छाबडा को गोद लिया जिससे पोकरण में छाबड़ा वंश का शासन प्रारंभ हुआ । मुहता नैणसी जनश्रुति के आधार पर भैरव राक्षस द्वारा छाबड़ा वंशी शासक महिध्वल को पकड़ कर मार डालने का वर्णन करता है । यह घटना तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभ की रही होगी । इस घटना के बाद पोकरण भैरव राक्षस के भय से उजड़ गया । कालान्तर में तेरहवीं शताब्दी के चैथे पांचवे दशक में तंवर अजमाल जी ने राव मल्लिनाथ जी से पोकरण बसाने की स्वीकृति ली
उन्होंने पंवारों ( परमार ) के दुर्ग में आश्रय लेकर पोकरण पुनः बसाने की स्वीकृति ली । पंवारों ( परमार ) के दुर्ग में आश्रय लेकर पोकरण पुनः बसाने के प्रयास प्रारंभ किये । इसी दौरान अपनी किशोरावस्था में ( लोककथाओं के अनुसार ) अजमाल तंवर के पुत्र रामदेव ने भैरव राक्षस को पराजित कर सिन्ध भगा दिया । संभवतः अजमाल जी , वीरमदेव जी तथा रामदेवजी द्वारा दुर्ग का पुनर्निमाण करवाया गया । कुछ समय पश्चात् तंवरों ने अपने वंश की एक कन्या राव मल्लिनाथ के पौत्र हमीर जगपालोत ( पोकरणा राठौड़ों के आदि पुरुष ) से ब्याही । विवाह के पश्चात् रामदेव जी ने कन्या से कुछ मांगने के लिए कहा । हमीर जगपालोत के कहे अनुसार उसने गढ़ के कंगूरे मांग लिए । रामदेवजी ने उदारता पूर्वक इसे स्वीकार कर लिया जिससे पोकरण गढ़ पर राव हम्मीर का अधिकार हो गया । कालान्तर में जोधपुर के शासक राव सूजा के पुत्र नरा ने छल से पोकरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया । उसने पोकरण से कुछ दूर पहाड़ी पर किला बनाकर सातलमेर बसाया । पोकरण गढ़ पर अपना अधिकार रखा किन्तु आबादी को सातलमेर स्थानान्तरित कर दिया । 1503 ई . के लगभग पोकरणा राठौड़ों से हुए युद्ध में नरा वीरगति को प्राप्त हुआ में जिससे पोकरण - सातलमेर दुर्गों पर पोकरणा राठौड़ों का अधिकार हो गया । यह अधिकार अल्पकालिक स्थापित हुआ । क्योंकि जोधपुर के राव सूजा ने उन्हें परास्त कर खदेड़ दिया । कालान्तर में 1550 ई . में राव मालदेव ने पोकरण सातलमेर दुर्गों पर अधिकार कर लिया । उसने सातलमेर के दुर्ग को नष्ट कर दिया तथा पोकरण के पुराने गढ़ का पुनर्निर्माण करके उसे सुदृढ़ स्वरूप दिया!
सातलमेर गढ़ के पत्थरों को मेड़ता भिजवाकर मालकोट बनवाया । कुछ वर्षों बाद जब मारवाड़ पर मुगल प्रभुत्व स्थापित हो गया तब राव चन्द्रसेन ने एक लाख फदिये में पोकरण दुर्ग और उससे लगे क्षेत्र जैसलमेर के भाटियों को गिरवी रूप में दे दिए । अनन्तर 100 वर्षों के बाद महाराजा जसवंतसिंह के समय मुहता नैणसी के नेतृत्व में आई एक सेना ने पोकरण पर अधिकार कर लिया । इस प्रकार पोकरण दुर्ग पर प्रभुत्व बदलता रहा और अन्ततः स्थायी रूप से आजादी तक जोधपुर राज्य के स्वामित्व में रहा ।
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पोकरण में लाल पत्थरों से निर्मित सुन्दर दुर्ग है। इसका निर्माण सन 1550 में राव मालदेव(राव जोधा के वंशज राव गांगा का पुत्र व राव चन्द्रसेन का पिता था) ने कराया था।
लोकदेवता बाबा रामदेव जी के समय पोकरण किला नहीं था, पोकरण जागीर लोकदेवता राव मल्लीनाथ जी के अधीन थी, जो मेवानगर के शासक थे।
उस समय पोकरण में भैरव राक्षस का आतंक होने पर लोगों ने वहां रहना छोड़ दिया था।
तब ठाकुर अजमाल जी तंवर और लोकदेवता बाबा रामदेव जी, राव मल्लीनाथ जी के पास गये और सूनी पड़ी पोकरण जागीर में भैरव राक्षस के आतंक का अंत कर पुनः बसाने के लिए आग्रह किया। तब राव मल्लीनाथ जी ने पोकरण जागीर ठाकुर अजमाल जी और बाबा रामदेव जी को दे दी।
लोकदेवता बाबा रामदेव जी द्वारा भैरव राक्षस के आतंक का अंत कर पोकरण को पुनः बसाया और ठाकुर अजमाल जी और बाबा रामदेव जी उण्डू काश्मीर छोड़ कर पोकरण आ कर बस गये।
कुछ वर्षों बाद राव मल्लीनाथ जी के पौत्र हम्मीर की शादी बाबा रामदेव जी की भतीजी (वीरमदेव तंवर की पुत्री) के साथ हुई। तब ये पोकरण जागीर भतीजी को दहेज में दे दिया।
फिर बाबा रामदेव जी ने पोकरण छोड़कर रणूॅंचा बसाया।
जय बाबा री 🙏🚩
भाई जी आपको सत सत नमन जो आप
हम सभी को
एतिहासिक चीजों को घर बैठे दिखाते और हमको उनसे रूब
रु कराते हो धन्यवाद आपको
रंग रंगीलो राजस्थान पधारो म्हारे देश
بہت اچھی معلومات فراہم کی گئی ہے ماضی کے دور کی راجاؤں کے بارے میں
Kya shandar kila hai Rajasthan ka pokhran kila lajawab excellent
Bhut hi acha explore.karte ho aap very intresting place i see this first time thanks aap har baar achi or nyi jagah dikhate ho
❤❤❤❤ बहुत सुंदर विक्रम भईया
Kya baat hai sir jai hind jai bharat sir ji aap ko Jai shri Ram ji Raja sb ji ki jai ho
Rajasthan Mei bhut Sundar Sundar kile hai isiliye Ek bar Rajasthan Jana hai kile ghumne
बहुत सुंदर विक्रम बईया
Jay Baba Ramdev ji 🚩🚩
बहुत बहुत सुदर दरसय हॅ सा
Mind blowing but nest video jaldi add kare ✨
ThanksSirVeryWell
Nice information video 📹 👍 👌
Werigud wikram bhai
Gyanvik bhai aek QNA video layo jo sehmat hai vo like thoko 👍👍🙏🙏
nice
Super Video Bhai
शानदार
Suryavanshi rajputs ⚔️⚔️
Your videos are best
Very very nice Bhai Sahab Ji.
Bahut hi badia laga thanks bhaiya❤❤
Bhut sundar ❤❤❤❤❤❤❤
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
I'm from pokaran✨
👌
waiting for next part..very interesting
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤ ଖୁବ୍ ❤❤❤❤❤❤❤ ସୁନ୍ଦର୍ ❤❤❤❤❤❤❤ ଭିଡିଓ ❤❤❤❤❤❤❤
Bahut khub bhai ❤
❤
🙏🙏🌹👌
पोकरण is bast
I am big fan ❤❤❤
First 🥇 viewer and first 🥇 like love you Bhai 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Oh my God 😍😍😍😍👍🏻👍🏻
Good video 🎉
Nice 🎉🎉🎉
Great 👍 sir
Thank you so much
જય રામદેવપીર મંદિર
Nice
Good 👍🏼
👌👌👌👌👌
Apki voice bahut pyri h bhai
nice voice bro
The way you explain is too excellent 🙏🙏🙏🙏🙏
👍👍👍👍👍👍
નાઈસ ❤
V nice bro ❤ Soon ,will reach there ,, amazing 😍
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Tanwar rajputo ki hasti 🙏🏻🚩🚩
Hmare mamosaa bhi tamwar rajput hi hai 🙏
@@rahulkumarsharma8727 par tum to sharma ho 😂
@@sarunddjremix1808 meine mere Rajput maataji aur pitaji bhi Bana rakhe hain kyoki mein aik Brahm kshtriya Hun 🙏
@@rahulkumarsharma8727 ok I understand 😃🙏🏻
Very nice❤❤
So cute ❤
😊🙏🏽🧡😉
Behtareen Work Bhaiya... Loving the way, how you have divided different locations and points across different platforms... About vlog, this is such a huge, big and important fort in terms of both size and information. Great Coverage ❤️💯
राम राम सभी दोस्तों को 🙏🙏🙏🙏
विक्रम भाई साहब सारी की सारी वीडियो सर्द मौसम में शूट किया है 😊😊😊😊,, मौके पर कहां हो
विदेश चले गए हैं क्या
Pahle k logon ki height bhi bahut tall hoti thi 😊
Bhai humne to suna h isko Ramdev baba ke pita Shri ajmal ji ne banaya tha
600 saal purana huwa na bhai, 14th century ke hessab se
भाई इस पत्थर के बर्तन में कुछ आकृति दिख रही है गौर से देखो...?
Vikram Bhai Ram ram kab aa rhe ho hmari trf
Iss kille ka name kya he ?
Bro i am a huge fan of your videos. Your videos are really very informative and the way you explain is very unique.Your videos attracted me to visit Rajasthan. Love from Bangladesh ❣️❣️❣️
Aap grmi me bhi blejr knyu phne ho
Video kahi thand mein shoot Kiya gya ho
Yu
Pravesh nor pervesh
purana video h
Ye sab gupt or mory kal me huva he. Videshi brahman no itihas me sedsad ki.
Bahut ganda najar aati Pakistan ke kile Bharat Jaise Nahin
Muze videos dekhna pasand he old chije par teri voice sunkar kantaka aya he avadh sun kar boring lagta he koi vor hoto rakho voice ke liye chuuuu
nice