कपिलेश्वर महादेव मंदिर में होली मेले का दिव्य दर्शन Holi EP 1
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- Опубликовано: 3 окт 2024
- कपिलेश्वर महादेव मंदिर में होली मेले का दिव्य दर्शन Holi EP 1
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है।[1] रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।[2] पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।[3]
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।[4] राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।[5] गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है। नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है जहाँ उनका स्वागत गुझिया,नमकीन व ठंडाई से किया जाता है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।
Ati sundar
जय हो
बहुत अच्छे से समझाया आपने ।बहुत बहुत धन्यवाद् भाई जी
Jai Ho
Happy Holi
🙏🙏
Bhut bdiya bhaiji🙏
Hard work, salute uk02 team
शानदार बहुत बहुत धन्यवाद आभार आपका बिष्ट जी
Sir 👍👍👍 bhut sandar
बचपन याद आ गया है आज कपिलेश्वर मे होली का विडियो देख कर।
आप का बहुत बहुत धन्यवाद ।
😍😍
विडियों को देख कर सब से ज्यादा खुशी इस बात की हो रही है, कि आप लोग जो पैदल पारम्परिक मार्ग से होली मिलन कार्यक्रम में कपिलेश्वर मन्दिर गये है।
वह बरबस याद आ गया, दिल गार्डन गार्डन हो गया।
ह्रदय से आभार जोशी जी ।।।।।। सब महादेव की कृपा आप लोगों का स्नेह है ।।।।।
हर हर महादेव आप सभी को होली की सुभकामनायें होली मुबारक हो 🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌
आपको भी सपरिवार होली की शुभकामनाएं हर हर हर महादेव ।।।
@@ravibisht7073 सर, नमस्कार
Bhai aap par hamesha inka as his bana rahe 👉🙏☺
Bhutt khubb gurudev 👌👌....
Sapriwar holi ki hardik shubhkamnaye 💐💐
आपको भी होली की सपरिवार शुभकामनाएं डॉक्टर साहब ।।।।।
@@ravibisht7073 hardik sadhuwad gurudev 🙏🏻🕉️🙏🏻💓
Jai shiv shambhoo 🙏
Good evening ji Bahut Sundar Prastuti Natural UK०२ Kapilashwar v Tureshwar Mahadev Mandiro ka Sundar Vivaran, hum bhi ishi gaw se hai, v Holi mai bhi the, aapka bahut bahut Aabhar Dil ki gahrayio se dhanyabad
ये सब आपके स्नेह प्रेम और भोलेनाथ के आशीर्वाद से सम्भव हो पाया है । हर हर हर महादेव ।।।।
Happy holi daa
होली की सपरिवार बधाइयां एवम शुभकामनाएं हर हर हर महादेव ।।।।।
लेकिन तुरेश्वर मन्दिर के आगे गधेरे का पानी मटमैला क्यों है???
ज्यु ज्यु विडियो में आगे बढ़ रहा हुं बहुत आनंद आ रहा है, लेकिन कपिलेश्वर मन्दिर के पास भी जो पानी बह रहा है, वो भी मटमैला लग रहा है।
आखिर ऐसा क्यो है?
जोशी जी पानी एकदम स्वच्छ और निर्मल है परंतु जल स्तर कम होने के कारण ऐसा लग रहा है । जल एकदम स्वच्छ है। आपके परिवार पर महादेव की कृपा बनी रहे । हर हर हर महादेव ।।।।
@@ravibisht7073 जय हो जह हो....
शंका का समधान किया आपने, बहुत अच्छा लगा ।
आपकी जय हो भाई साहब