धन्यवाद ,माननीय रतन सिंह जी shekhwat हमे आपके उपर गर्व है की , आपने एक कदम उठाया, अपने समाज तथा , अपने पूर्वजों द्वारा दिय गए बलिदान को जिंदा रखने के प्रयास जो किए जा रहे है, बहुत सरानिए काम ह । आपको इस सरानिये कार्य के लिय , आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी आपको, में एक asprint हु जब सफल हो जाऊंगा तो , आपसे मिलने का प्रयास करूंगा , धन्यवाद 🙏
सत्यता के निकट प्रतीत होती है ये कहानी। क्योंकि हम कहते सुनते जरूर हैं की चूरू का नाम चुहरू जाट के नाम पर पड़ा। लेकिन विचारणीय बात ये है की चुहरु जाट के जीवन, आगा पीछा की कोई कहानी अभी तक कहीं नहीं मिला। उनके वंश, माता, पिता, निवास, कहां से आए उनके बाद उनकी संतान आदि का कोई जिक्र नहीं मिलता।
चुहड़ जाट वाली कहानी घड़ी हुई है। कहानीकार दलील देते हैं कि चुरू से पहले यहां कालेरों का बास था जो आज भी चुरू का एक मोहल्ला है। यह बात सही है कि वहां कालेरो का बास था और चुरू उसके पास बसाया गया और कालांतर में कालेरो का बास चुरू में समाहित हो गया। जाटों में कालेर गोत्र होता है पर कालेरो के बास में एस सी वर्ग में भी कालेर गोत्र के लोग हैं।
@@manojjat3338tumhara bhi alag hi chalta rhta hai Agar aesi koi bat hoti to unke vansaj kaha hai aur ek sahar basane k liye kitne resources chahiye, administration chahiye wo kon the, contemporary time koi inscription koi scripture kuch to hota Hawa me tukke nhi lagaye jate, churu se milane k liye chuhru nain Kabhi to bolte ho hame ghode par nhi bethne dete the abb recharge aa gaya to bol rhe ho ek sahar bana dia
चूरु का स्थापना का संबंध चौधरी चूहडा (चूहरु) जाट से है जो नैन गौत्र से थे और कालेर बास के थे और यहां जाटों ने धुल का किला भी बनाया था। जो बातें इतिहास में दर्ज है बाकी उतरीं राजस्थान 1400 से पहले जाटों की छोटी गांवों की तरह रियासतें थीं जो जाटों के अधीन थी सिधमुख के कस्वा , राजगढ़ के पुनिया या इस क्षेत्र के सारण, गोदारा जाट हो जो सबको पता है। झुठी कहानियां बनाकर पेश न करें। 🙏
यह हराम जादा सबसे ही झूठा निकला,, जाटियै हर जगह ही टांग अड़ातै है, कि हमने भी राज किया है, अरै उमर मै बडगा भैडां चराता,, लोगां गा खऴा छोरता,ला़ंगड़ बांसता , और अ कहवै म्हारा बडगा राज कर्यो,,बीं ईतिहास मै लिखैड़ो है, फलानी जगह हमारा राज था,,,, अरै पक्कौ घर तो कोनी हो थारै,, गढ किला तो दूर रहग्या।। कदी जाट दूसरी गैर जाट नै पाणी प्यागै तो निहाल कोनी कर्या म्है राज कर्यों।।, ,,
आपने सुना चूरू की स्थापना सन 1620 ई से बहुत पहले सन1541 में ही हौ चुकी थी इसके लिये क्र्पया चुरू मंडल का शोधपुरन इतिहास लेखक श्री गोविंद्जी अग्रवाल को पढें साथ ही कायमखानी तंब और अब के लेखक कंवर सरवर को पढें इसके अलावा बीकानेर का इतिहास तथा महाराजा करनी सिंघजीका बीकानेर राजघराने का केंद्र से सम्बंध नामक शोधग्रंथ पढें। 1620ई वालि ।कोई एतिहासिक घटना नीँ है और ना इतिहास सम्मत है ।
बिल्कुल सही कहा है आपने पुराना धुल्कोट का गढ तो मालदेवजी द्वारा1541 ईस्वी में बनाया गया था और वर्तमान गढ रॉ कुशल सिंह जी द्वारा सन 1727 मे बनाया गया था इन्दर सिंह जी इन्हीं कुशल सिंह जी के बड़े कुंवर थे जिन्होने फतेहपुर पर चढाई की थी।
Inder singh ne koi Fatehpur pr chadhai nhi ki Inder Singh Sardarkhan ka samdhi tha Amir Khan ne Sardar khan ke us putar Mehboob ki hatya krdi Inder singh Fatehpur ke senapati the kayam khani Jaisingh se har kar Fatehpurse Churu aa gaye
चुरू जहाँ बसाया उसके पास कालेरों का बास था, उससे कुछ दूरी पर मालदेव ने कोट बनवाकर उसका नामकरण चुरू किया था | कालेर जाट भी होते हैं और एससी भी | वर्तमान में कालेरों का बास चुरू में समाहित हो गया |
Fajal khan ne Jhunjhunu kile badal gadh ka nirman kiya Jorawar gadh Ruhel khan ke datak putra Jorawar gadh banaya is liye unke pita sardul singh se anban rahti thi
इसके लिए मेने गर्न्थो के नाम भी बताएं हैं क्र्पया उनका अवलोकन आप कर सकते हैं आपको न मिले मेरेपास देख लें। ये ग्रंथ मेने नहीं लिखे ओर नाही मेरे किसी स्व जातीय ने लिखे हैं आपके पास चुह्ड़ या चुहर का कोई प्रमाणिक इतिहास हो तो बताये केवल कहानि नीँ घड़े।
Balkh bukhara ke jis badshah ka jikar kiya h wo prithvi raj se bhi bahut pahle hua h Nagaur churu area me bahut pahle wo lagan lene lag gaye the us Samay maldev ji kaise ho sakte han shaudh ka vishay h Fatehkhan ne Fatehpur ke sath jin panch kilon ki neew rakhi unme Bhadang ka kila bhi tha Ibrahim Mohmmad gajnavi ka purvaj tha yani1025 se pahle hua h
1541 के आसपास हिसार तक जोधपुर वालों का राज्य फैल गया था। बीकानेर भी उस समय एक वर्ष तक जोधपुर वालों के अधीन रहा। ऐसे में उस समय चुरू बीच में कैसे बचा रहा? मेड़ता, डीडवाना, झून्झनू से हांसी और हिसार तक पूरी पट्टी जोधपुर राज्य में थी। इस पर भी कुछ प्रकाश डालना चाहिए था। कहीं जोधपुर के राव मालदेव से कोई भ्रम तो नहीं है?
@@gyandarpan ठीक है। परन्तु राव मालदेव जोधपुर का उल्लेख कहीं नहीं आया? क्या उनका चुरू पर अधिकार कभी नहीं रहा? वो कौन था जो शेरशाह की टुकड़ी से हारने पर जोधपुर चला गया?
चुरू उस समय इतना बड़ा नहीं था कि उसका नाम मालदेव जोधपुर के साथ आये | दोनों का समय लगभग एक हो सकता है | ये भी हो सकता है कि किसी इतिहासकार ने एक की बात दूसरे से जोड़ दी हो | पर दोनों मालदेव अलग अलग है इसके लिए आप जोधपुर और चुरू के इतिहास का तुलनात्मक अध्ययन करें तभी स्थित क्लियर होगी |
@@gyandarpan आप मेरे बिन्दु पर विचार कीजिए कि जब डीडवाना, झून्झूनू, बीकानेर, हासी और हिसार जोधपुर राज्य में थे तब चुरू की क्या स्थिति थी? वह जोधपुर के अधीन था या नहीं था? था तो कब था? इस पर साहब ने प्रकाश नहीं डाला। राव वीरमदेव के विरूद्ध जो अभियान चला था मेड़ता से रियाँ, अजमेर, डीडवाना, झून्झूनू और हिसार तक। हिसार के बाद राव वीरमदेव शेरशाह के पास चला गया। यह अभियान राव मालदेव के आदेश पर राव जैता और राव कूम्पा द्वारा किया गया था। राव मालदेव ने बीकानेर की सेना को पराजित किया था। राव कूम्पा को डीडवाना के साथ बीकानेर की जागीर दी थी। राव कूम्पा ने बीकानेर पर अधिकार कर लिया था। राव कल्याणमल भी शेरशाह के पास चला गया। एक वर्ष तक बीकानेर राव कूम्पा के पास रहा। शेरशाह के आने तक। ऐसे में चुरू की क्या स्थिति थी?
@@drsantoshsinghrathore9308 दस पन्द्रह मिनट के वीडियो में सोशियल मिडिया पर इतना गहरा कोई नहीं जाता | ये सब इतिहास शोध का विषय है और हम शोधार्थी नहीं | इसके लिए आप जोधपुर, बीकानेर और चुरू मंडल के इतिहास का तुलनात्मक अध्ययन स्वयं करें |
धन्यवाद ,माननीय रतन सिंह जी shekhwat हमे आपके उपर गर्व है की , आपने एक कदम उठाया, अपने समाज तथा , अपने पूर्वजों द्वारा दिय गए बलिदान को जिंदा रखने के प्रयास जो किए जा रहे है, बहुत सरानिए काम ह । आपको इस सरानिये कार्य के लिय , आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी आपको, में एक asprint हु जब सफल हो जाऊंगा तो , आपसे मिलने का प्रयास करूंगा , धन्यवाद 🙏
Ratan singh shekhwat ji ka fhone number do please hume
Rajputon ke etihas se kayamkhaniyon ke etihasik tathayon ka bhi pata lagta h
आप धन्य है हुकुम बहुत ही उत्तम जानकारी🙏🙏
एकदम स्पष्ट और सटीक जानकारी धन्यवाद आपका कोई अंधेरे मे तीर नहीं मारा तभी चूरू के दिलावर खानी इतने बोल्ड है बाकी फेंक कोई कुछ भी सकता हैं 🙏
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी गई हैं इस वीडियो में । धन्यवाद जी ।
बहुत बहुत आभार है सा आपको, जो इती ग्यानवर्धक ऐतिहासिक जानकारी साझा की आपने🙏
सत्यता के निकट प्रतीत होती है ये कहानी। क्योंकि हम कहते सुनते जरूर हैं की चूरू का नाम चुहरू जाट के नाम पर पड़ा। लेकिन विचारणीय बात ये है की चुहरु जाट के जीवन, आगा पीछा की कोई कहानी अभी तक कहीं नहीं मिला। उनके वंश, माता, पिता, निवास, कहां से आए उनके बाद उनकी संतान आदि का कोई जिक्र नहीं मिलता।
चुहड़ जाट वाली कहानी घड़ी हुई है। कहानीकार दलील देते हैं कि चुरू से पहले यहां कालेरों का बास था जो आज भी चुरू का एक मोहल्ला है।
यह बात सही है कि वहां कालेरो का बास था और चुरू उसके पास बसाया गया और कालांतर में कालेरो का बास चुरू में समाहित हो गया।
जाटों में कालेर गोत्र होता है पर कालेरो के बास में एस सी वर्ग में भी कालेर गोत्र के लोग हैं।
चूहर जाट की. धर्म पत्नि के नाम पर आज भी undermining Park होना. बताया जाता है l सत्यता. का मुझे पता नहीं l एतिहासिक साक्ष्य शोध का विषय है l
Indermani Park
प्राचीन काल में शासक के अधीनस्थ सेवक शासक कि गोत्र का ही उपयोग करते थे जैसे आज. भी falodhi एरिया. में sc वर्ग के लोग राठौर नाम के. आगे लगाते. है l
इस मरु भाग में पहले जाटों के गणराज्य थे l
Bahut hi badiya video
Bahut sundar
चुरू के संस्थापक-चुहरू जी नैण (जाट) द्वारा बसाया गया ।
Rav Bika G,rav jodha G bhi Jaat the
Shyad ho sakta h..?
@@manojjat3338tumhara bhi alag hi chalta rhta hai
Agar aesi koi bat hoti to unke vansaj kaha hai aur ek sahar basane k liye kitne resources chahiye, administration chahiye wo kon the, contemporary time koi inscription koi scripture kuch to hota
Hawa me tukke nhi lagaye jate, churu se milane k liye chuhru nain
Kabhi to bolte ho hame ghode par nhi bethne dete the abb recharge aa gaya to bol rhe ho ek sahar bana dia
जै जै राजस्थान 🙏
बाबोसा ने अच्छी जोरदार जानकारी दी है
Sahi jaankari ke liye bahut Dhanyavaad Hukum
Achi jankari
Thank you.
Very good
बहुत ही सुन्दर और सार्थक जानकारी।
एक दम सही यह है ❤❤❤
Jankari ke liye dhanyvad
जोरदार जानकारी
Bhut achi jankari
❤❤❤❤❤
चूरु का स्थापना का संबंध चौधरी चूहडा (चूहरु) जाट से है जो नैन गौत्र से थे और कालेर बास के थे
और यहां जाटों ने धुल का किला भी बनाया था। जो बातें इतिहास में दर्ज है
बाकी उतरीं राजस्थान 1400 से पहले जाटों की छोटी गांवों की तरह रियासतें थीं जो जाटों के अधीन थी सिधमुख के कस्वा , राजगढ़ के पुनिया या इस क्षेत्र के सारण, गोदारा जाट हो जो सबको पता है।
झुठी कहानियां बनाकर पेश न करें। 🙏
आप कौनसे इतिहास की बातकर रहे हो क्र्पया कोट करें किसने ओर कब लिखा गया।केवल बातों से शहर नहीं बसते है।
यह हराम जादा सबसे ही झूठा निकला,, जाटियै हर जगह ही टांग अड़ातै है, कि हमने भी राज किया है, अरै उमर मै बडगा भैडां चराता,, लोगां गा खऴा छोरता,ला़ंगड़ बांसता , और अ कहवै म्हारा बडगा राज कर्यो,,बीं ईतिहास मै लिखैड़ो है, फलानी जगह हमारा राज था,,,, अरै पक्कौ घर तो कोनी हो थारै,, गढ किला तो दूर रहग्या।। कदी जाट दूसरी गैर जाट नै पाणी प्यागै तो निहाल कोनी कर्या म्है राज कर्यों।।, ,,
Y to Bheru singh (cm) ka Bhla ho nhi to rajesthan k Sare kele Jaat ki virasat hote
Bhai ji ye kaler baas kaha h me bhi kalher hu aur hamara bhi ek gaon h district charkhi dadri so please your number
@@vinodchoudhary3534 Churu शहर में है कालेर बास लेकिन वर्तमान में यहां नैन गौत्री जाट नहीं रहते है
नजदीकि गांवो में खूब है
Jai Rajputana 🙏
धन्यवाद हुकुम
बाबोसा ने जोरदार जानकारी दी
जय हो चुरू
Please tell about history of Chiwraba. Our native place
सन 1620 में चूहड़ा जाट ने स्थापना करी बताई उस पर प्रकाश नही डाला राठौड़ जी ने
आपने सुना चूरू की स्थापना सन 1620 ई से बहुत पहले सन1541 में ही हौ चुकी थी इसके लिये क्र्पया चुरू मंडल का शोधपुरन इतिहास लेखक श्री गोविंद्जी अग्रवाल को पढें साथ ही कायमखानी तंब और अब के लेखक कंवर सरवर को पढें इसके अलावा बीकानेर का इतिहास तथा महाराजा करनी सिंघजीका बीकानेर राजघराने का केंद्र से सम्बंध नामक शोधग्रंथ पढें। 1620ई वालि ।कोई एतिहासिक घटना नीँ है और ना इतिहास सम्मत है ।
Bahut achhi jankari
1730me fatehpur jaipur ka yudh hua usme Inder singhji ne hissa liya tha to us samay churu kile ka nirman ho gya hoga
बिल्कुल सही कहा है आपने पुराना धुल्कोट का गढ तो मालदेवजी द्वारा1541 ईस्वी में बनाया गया था और वर्तमान गढ रॉ कुशल सिंह जी द्वारा सन 1727 मे बनाया गया था इन्दर सिंह जी इन्हीं कुशल सिंह जी के बड़े कुंवर थे जिन्होने फतेहपुर पर चढाई की थी।
Inder singh ne koi Fatehpur pr chadhai nhi ki Inder Singh Sardarkhan ka samdhi tha Amir Khan ne Sardar khan ke us putar Mehboob ki hatya krdi
Inder singh Fatehpur ke senapati the kayam khani Jaisingh se har kar Fatehpurse Churu aa gaye
Bidasar ka itihaas bhi bataye
thasildar ji ka gyan anupam hai
हमने सुना है चूरु जाटों कि रियासत रही चूहडा जाट के नाम से चूरू बना यह रहस्य बना हुआ है व सिगडी कुवा चूरू से पहले का है
चुरू जहाँ बसाया उसके पास कालेरों का बास था, उससे कुछ दूरी पर मालदेव ने कोट बनवाकर उसका नामकरण चुरू किया था | कालेर जाट भी होते हैं और एससी भी | वर्तमान में कालेरों का बास चुरू में समाहित हो गया |
चूहरू नाम के कालेर जाट ने बसाया था।बड़वा बही प्रमाण है।
चूरू में जाट आबादी काफी कम है। बनिस्पत मुस्लिम आबादी के। ऐसे में ये कहानी सही प्रतीत होती है कि यहां किसी मुस्लिम शासक का राज रहा होगा।
Jhunjhunu fort ka bhi btaye
Fajal khan ne Jhunjhunu kile badal gadh ka nirman kiya
Jorawar gadh Ruhel khan ke datak putra Jorawar gadh banaya is liye unke pita sardul singh se anban rahti thi
churu ka raja yudh harn k baad jodhpur aa gya or jodhpur raja n nagaur jila m Laba gaav Diya Jo merta m h.
BORN TEHSILDAR PERSONALITY. WAH.
कोई बात बताओ तो उसका तथ्य भी साथ में
इसके लिए मेने गर्न्थो के नाम भी बताएं हैं क्र्पया उनका अवलोकन आप कर सकते हैं आपको न मिले मेरेपास देख लें। ये ग्रंथ मेने नहीं लिखे ओर नाही मेरे किसी स्व जातीय ने लिखे हैं आपके पास चुह्ड़ या चुहर का कोई प्रमाणिक इतिहास हो तो बताये केवल कहानि नीँ घड़े।
Rav ranmal ji ka itihas batao
Ranmalot rathoro ka itihas batao 🙏🙏
Balkh bukhara ke jis badshah ka jikar kiya h wo prithvi raj se bhi bahut pahle hua h Nagaur churu area me bahut pahle wo lagan lene lag gaye the us Samay maldev ji kaise ho sakte han shaudh ka vishay h
Fatehkhan ne Fatehpur ke sath jin panch kilon ki neew rakhi unme Bhadang ka kila bhi tha
Ibrahim Mohmmad gajnavi ka purvaj tha yani1025 se pahle hua h
Pakhand aur andhvishwas ko parhe l8khe log bhi badhava de rahe hain. Bhagwan hi Malik hai aise logon ka.
Rav ranmal ka itihas batao
तीर कमान तो बलख की बात का भगवान राम के पास भी तीर कमान था।
Rav ranmal ji ka garh batao
1541 के आसपास हिसार तक जोधपुर वालों का राज्य फैल गया था। बीकानेर भी उस समय एक वर्ष तक जोधपुर वालों के अधीन रहा। ऐसे में उस समय चुरू बीच में कैसे बचा रहा? मेड़ता, डीडवाना, झून्झनू से हांसी और हिसार तक पूरी पट्टी जोधपुर राज्य में थी। इस पर भी कुछ प्रकाश डालना चाहिए था। कहीं जोधपुर के राव मालदेव से कोई भ्रम तो नहीं है?
कोई भ्रम नहीं। ये घांघू के बनीर जी के पुत्र थे।
@@gyandarpan ठीक है। परन्तु राव मालदेव जोधपुर का उल्लेख कहीं नहीं आया? क्या उनका चुरू पर अधिकार कभी नहीं रहा? वो कौन था जो शेरशाह की टुकड़ी से हारने पर जोधपुर चला गया?
चुरू उस समय इतना बड़ा नहीं था कि उसका नाम मालदेव जोधपुर के साथ आये | दोनों का समय लगभग एक हो सकता है | ये भी हो सकता है कि किसी इतिहासकार ने एक की बात दूसरे से जोड़ दी हो | पर दोनों मालदेव अलग अलग है इसके लिए आप जोधपुर और चुरू के इतिहास का तुलनात्मक अध्ययन करें तभी स्थित क्लियर होगी |
@@gyandarpan आप मेरे बिन्दु पर विचार कीजिए कि जब डीडवाना, झून्झूनू, बीकानेर, हासी और हिसार जोधपुर राज्य में थे तब चुरू की क्या स्थिति थी? वह जोधपुर के अधीन था या नहीं था? था तो कब था? इस पर साहब ने प्रकाश नहीं डाला। राव वीरमदेव के विरूद्ध जो अभियान चला था मेड़ता से रियाँ, अजमेर, डीडवाना, झून्झूनू और हिसार तक। हिसार के बाद राव वीरमदेव शेरशाह के पास चला गया। यह अभियान राव मालदेव के आदेश पर राव जैता और राव कूम्पा द्वारा किया गया था। राव मालदेव ने बीकानेर की सेना को पराजित किया था। राव कूम्पा को डीडवाना के साथ बीकानेर की जागीर दी थी। राव कूम्पा ने बीकानेर पर अधिकार कर लिया था। राव कल्याणमल भी शेरशाह के पास चला गया। एक वर्ष तक बीकानेर राव कूम्पा के पास रहा। शेरशाह के आने तक। ऐसे में चुरू की क्या स्थिति थी?
@@drsantoshsinghrathore9308 दस पन्द्रह मिनट के वीडियो में सोशियल मिडिया पर इतना गहरा कोई नहीं जाता | ये सब इतिहास शोध का विषय है और हम शोधार्थी नहीं |
इसके लिए आप जोधपुर, बीकानेर और चुरू मंडल के इतिहास का तुलनात्मक अध्ययन स्वयं करें |
मालदेव कोन से राठौड़ थे🙏
मालदेव जी कांधलजी राठौड के पौत्र और बणीर जी कांधलोत ठीकाना घान्घू के आठ वें कुंवर थे इनसे ही।इनके वंशज बणीरोत कांन्धल राठौड़ कहलाते हैं ।
ये चुरू के 84 गाँवों के शासक रहे।
बकवास बता रहे हैं साहेब
आज भी कालेरा बास सुनने में आता है
मालदेव और नाम, यह नाम सेट नही हुआ।।
वीडियो पूरा सुनें
सौ प्रतिशत झूठ का ड्रामा कर रहा है,,
जो तुमने सुन रखा है वही सच नहीं होता ।
@@gyandarpanha tu to bada sacha hai 😂😂😂😂😂. Full fake raha hai
Jankari ke liye dhanyvad