16:32 क्या हम ऐसे, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में मंत्रों का उच्चारण, वेदों का ज्ञान, अध्यात्म, योग के बारे में आयोजन नहीं कर सकते? कितना सही है, की ऐसे कार्यक्रम जो समाज को शिष्टाचार, ज्ञान, स्नांस्कर देने के लिए बने है, उसे हमने आनंद का एक विषय मात्र बना लिया है, ईश्वर नृत्य कर रहे है लड़कियों के साथ, लोग पैसे देते है अपना नाम स्टेज पे लेने के लिए, रासलीला जैसी पवन जगाओ पर साधुओं और संन्यासियों की जगह हम नृत्य का आनंद लेने जाते है। दुर्भाग्य है देश, यह देश जिसने उन सितारों को जन्म दिया जिनका मुकाबला इस विश्व में नहीं है , राम, कृष्ण, पतंजलि, स्वामी विवेकानंद, बुद्ध, महावीर, आदि ! जब तक हम अपने अंदर परिवर्तन नहीं लाएंगे, तब तक कुछ नहीं होगा। राम मंदिर क्या राम की बिना पूरा दिखेगा? क्या राम की संताने (हम सब) उनके विचारों, आदर्शो के बिना पूरे दिखेंगे। क्या हम अपने ज्ञान, अपनी संस्कृति के बिना पूरे दिखेंगे ? इसी प्रकार यह देश भी, जान के बिना, संस्कार के बिना, मर्यादा के बिना कभी पूरा न हो सकेगा। ना ही राम का मंदिर बनने से, और न ही काशी मथुरा में मंदिर बनने से। वह भी जरूरी है, परन्तु राम को मंदिर में लाने से पहले, राम को स्वयं के भीतर लाओ, मोबाइल की फोटो से पहले, रील बनाने से पहले, अपने ग्रंथों की ओर आओ , कितने युवा होंगे कुंभ में जाने वाले, जिन्हें भगवत गीता आधी भी पढ़ी होगी? जा रहे है गली देते हुए, 10 बुरे काम करते हुए, रील बनाने, फोटो खिंचाने, और किसलिए गंगा में डुबकी लगाने, ताकि सारे पाप मिट जाए! यह है हालात इस देश के पढ़े लिखे युवक की, क्योंकि उसे ज्ञान कभी मिला ही नहीं ! वाह रे मेरे देशवासियों, कितना गर्व होगा श्री राम को आपके ऊपर!
16:33 क्या प्रभाव पड़ेगा उन बच्चों पर, जो जाते है धार्मिक कार्यक्रमों में, पर उन्हें देखने को मिलता है नचनियों का नाच, कुछ वीडियो बनाते लोग, कुछ आनंद से उछलते अधेड़ उम्र के पुरुष, और कुछ मूर्ख पैसों के लिए लोगों का नाम स्टेज पे लेते हुए बाबा ! क्या ये वही भारत है, जहां से योग शुरू हुआ, जहां से विज्ञान शुरू हुआ, जहां पे 0, Quadratic equation, Algebraic Equations, Trigonometry जैसे कठिन सूत्रों ने जन्म लिया, जिनके बिना आज हम शायद यह मंदिर भी न बना पाते! क्या यह वही भारत है? जहां पतंजलि हुए, आयुर्दवेद लिखा गया, जहां पंचतंत्र लिखा गया, जहां दुनिया के सभी प्रश्नों का जवाब रखने वाली पुस्तक, श्री भगवत गीता लिखी गई? क्या यह वही भारत है ? क्यों अब ऐसी रचनाएं बंद हो गई? क्या अब युवाओं में वह बुद्धि नहीं, क्या युवाओं में वह ताकत नहीं? क्या अब ऐसे आविष्कार सनातनी संस्कृति नहीं करेगी? करेगी कहा से, क्योंकि लोग अपनी विरासत भूल चुके है, वे 10 बुरे काम करेंगे परन्तु यह भी चाहेंगे कि गंगा में डुबकी से उनके सारे पाप मिट जाएंगे, क्या यह सही है?
16:33 अयोध्या, कुंभ, काशी में भक्ति भाव कम और अब मनोरंजन ज्यादा होता है, यह जगह केंद्र होनी चाहिए हमारी संतान शिक्षा की, हमारे ग्रंथों की, Reaserch On Vedic science की, परन्तु आज का युवा तो रील में, कैमरे में व्यस्त है!
Jai shree Ram
जय जय श्री राम जय जय श्री राम
😮😅
Ayodhya ring road ka kaam shuru ho gya hai distt basti ki taraf se bhi
Bhai kund ke charo aur compound wall banta tho acha hota
Kund ki rakheakhav ke liye guard aur caretaker hona chahiye aur park entry fees bhi hona chahiye jisase park ki rakhrakhav achha se ho sake
अयोध्या में बहुत तेजी से डेवलपमेंट का काम हो रहा है
लेकिन लोग गंदगी फैलाना नहीं छोड़े
गंदगी देखकर बहुत ज्यादा बुरा लगता है
16:32 क्या हम ऐसे, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में मंत्रों का उच्चारण, वेदों का ज्ञान, अध्यात्म, योग के बारे में आयोजन नहीं कर सकते? कितना सही है, की ऐसे कार्यक्रम जो समाज को शिष्टाचार, ज्ञान, स्नांस्कर देने के लिए बने है, उसे हमने आनंद का एक विषय मात्र बना लिया है, ईश्वर नृत्य कर रहे है लड़कियों के साथ, लोग पैसे देते है अपना नाम स्टेज पे लेने के लिए, रासलीला जैसी पवन जगाओ पर साधुओं और संन्यासियों की जगह हम नृत्य का आनंद लेने जाते है।
दुर्भाग्य है देश, यह देश जिसने उन सितारों को जन्म दिया जिनका मुकाबला इस विश्व में नहीं है , राम, कृष्ण, पतंजलि, स्वामी विवेकानंद, बुद्ध, महावीर, आदि ! जब तक हम अपने अंदर परिवर्तन नहीं लाएंगे, तब तक कुछ नहीं होगा।
राम मंदिर क्या राम की बिना पूरा दिखेगा? क्या राम की संताने (हम सब) उनके विचारों, आदर्शो के बिना पूरे दिखेंगे। क्या हम अपने ज्ञान, अपनी संस्कृति के बिना पूरे दिखेंगे ?
इसी प्रकार यह देश भी, जान के बिना, संस्कार के बिना, मर्यादा के बिना कभी पूरा न हो सकेगा। ना ही राम का मंदिर बनने से, और न ही काशी मथुरा में मंदिर बनने से।
वह भी जरूरी है, परन्तु राम को मंदिर में लाने से पहले, राम को स्वयं के भीतर लाओ, मोबाइल की फोटो से पहले, रील बनाने से पहले, अपने ग्रंथों की ओर आओ , कितने युवा होंगे कुंभ में जाने वाले, जिन्हें भगवत गीता आधी भी पढ़ी होगी? जा रहे है गली देते हुए, 10 बुरे काम करते हुए, रील बनाने, फोटो खिंचाने, और किसलिए गंगा में डुबकी लगाने, ताकि सारे पाप मिट जाए! यह है हालात इस देश के पढ़े लिखे युवक की, क्योंकि उसे ज्ञान कभी मिला ही नहीं !
वाह रे मेरे देशवासियों, कितना गर्व होगा श्री राम को आपके ऊपर!
16:33 क्या प्रभाव पड़ेगा उन बच्चों पर, जो जाते है धार्मिक कार्यक्रमों में, पर उन्हें देखने को मिलता है नचनियों का नाच, कुछ वीडियो बनाते लोग, कुछ आनंद से उछलते अधेड़ उम्र के पुरुष, और कुछ मूर्ख पैसों के लिए लोगों का नाम स्टेज पे लेते हुए बाबा !
क्या ये वही भारत है, जहां से योग शुरू हुआ, जहां से विज्ञान शुरू हुआ, जहां पे 0, Quadratic equation, Algebraic Equations, Trigonometry जैसे कठिन सूत्रों ने जन्म लिया, जिनके बिना आज हम शायद यह मंदिर भी न बना पाते! क्या यह वही भारत है? जहां पतंजलि हुए, आयुर्दवेद लिखा गया, जहां पंचतंत्र लिखा गया, जहां दुनिया के सभी प्रश्नों का जवाब रखने वाली पुस्तक, श्री भगवत गीता लिखी गई? क्या यह वही भारत है ? क्यों अब ऐसी रचनाएं बंद हो गई? क्या अब युवाओं में वह बुद्धि नहीं, क्या युवाओं में वह ताकत नहीं? क्या अब ऐसे आविष्कार सनातनी संस्कृति नहीं करेगी? करेगी कहा से, क्योंकि लोग अपनी विरासत भूल चुके है, वे 10 बुरे काम करेंगे परन्तु यह भी चाहेंगे कि गंगा में डुबकी से उनके सारे पाप मिट जाएंगे, क्या यह सही है?
Aap muje fhon nahi kiya
16:33 अयोध्या, कुंभ, काशी में भक्ति भाव कम और अब मनोरंजन ज्यादा होता है, यह जगह केंद्र होनी चाहिए हमारी संतान शिक्षा की, हमारे ग्रंथों की, Reaserch On Vedic science की, परन्तु आज का युवा तो रील में, कैमरे में व्यस्त है!
भाई, रजिस्टर मोबाइल नंबर भी दो, क्यूँ की अनजान Bar code स्कैन करना ठीक नहीं होता