ॐ स्वामी महापुरुष विद्या यह अति सुन्दर स्त्रोत्र सबसे पहले देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु के लिए कहा था यह स्तोत्र या स्तुति जिसको कि महापुरुष विद्या भी कहा गया है उसका आरम्भ करे ॐ जितं ते पुंडरीकाक्ष नमस्ते विश्व भावना सुब्रह्म्णाय नमस्ते अस्तु महापुरुष: पूर्वज: नमो हिरण्यगर्भाय प्रधानव्यक्ति रूपिणे ॐ नमो वासुदेवाय शुद्ध ज्ञानस्वरूपिणे देवानाम दान्वानाम च समान्यवसि दैवतम सर्वदा चरन वन्दम वृजामि शरणम तव एकस्यत्वमसि लोकस्य सृष्टा सन्हारकस्तथा अध्यक्षश्चनुमन्ता च गुणमाया समावृता संसार सागरम घोरम अनन्तम क्लेश भाजनम त्वमेव शरणं प्राप्य निस्तरन्ति मनीषिण: ना ते रूपम ना चाकारो नायुधानि ना चाश्पदम तथापि पुरुषाकारो भक्तानाम त्वम् प्रकाशसे नैवे किञ्चित प्रोक्छम ते प्रत्यक्षोऽसि न कश्यचित् नैवे किञ्चित साध्यम ते न च साध्योऽसि कश्यचित् कारणाम कारणम पूर्वम वचसाम वाचम उत्तमम योगिनाम परामाम सिद्धिँ परमम ते वदम विदु: अहं धीतोऽस्मिन देवेश संसारेऽस्मिन महाभय त्राहिमाम् पुण्डरीकाक्ष न जाने शरणम् परम् कालेस्वपि च सर्वेसु दिक्षु सर्वासु च अच्युत शरीरेऽपि गतोचाऽपि वर्तते मे महद्वयम् त्वतपादकमलादनत्र मे जन्मानतरेस्वपि निमित्तम् कुशलस्यऽति येन गच्छामि सदगतिम् विज्ञानम् यदिदम् प्राप्तम् यदिदम् ज्ञान मूर्तिजम् जन्मान्तरेऽपि मे देव मा भूदृश्य परीक्षया दर्गतामपि जातायाम् त्वम् गतिस्त्वम मतिर्मम यदि नाथम् च विज्ञेयम् तावत्ऽस्मि कृतिसदा अकाम कलुषम् चित्त मम ते पाद्यो स्थितम् काम्यैव वैष्णवं तु सर्वजन्मसु केवलम् ॐ नारायणाय विद्महे महापुरुषाय धीमही तन्नो विष्णु प्रचोदयात् | हे पुण्डरीकाक्ष! आपकी जय हो हे विश्वभावन! आपको नमस्कार हे महापुरुषो के पूर्वज सुब्रह्मणाय आपको नमस्कार प्रधान व्यक्तिरूपी हिरण्यगर्भ को नमस्कार शुद्धज्ञान स्वरूप वासुदेव को नमस्कार हे प्रभु! आप दानवो ओर देवो के समानरूप से देवता है| आपके दोनों चरणों की शरण में मैं जाता हूँ | आप अकेले ही संसार के स्रष्टा तथा संहारक हैं गुण और माया से आच्छादित अध्यक्ष और अनुमन्ता हैं यह संसारसागर घोर अनन्त क्लेश का भाजन है मनीषीजन आप ही की शरण प्राप्त करके इसे पार करते हैं आपका ना रूप है ना आकार है ना शस्त्र है ना स्थान है फिर भी आप पुरुषाकार होकर भक्तो को दर्शन देते हैं ना तो आपके अपरोक्ष कुछ है और ना ही आप किसी के प्रत्यक्ष हैं ना तो आपको कुछ असाध्य है और ना ही आप किसी के साध्य हैं | कार्यों के आप पूर्व कारण हैं, वाणियों की आप उत्तम वाणी हैं | आपका परमपद योगियों की परम सिद्धि है | हे देवेश! इस महाभयंकर संसार में मैं बहुत भयभीत हूँ | हे पुण्डरीकाक्ष! मैं आपके अतिरिक्त दूसरे की शरण नही जानता | हे अच्युत! सब दिशाओं में और सब कालों में शरीर की गति में भी मुझे बहुत भय लग रहा है | आपके चरण कमलों के अतिरिक्त जन्म जन्मान्तरों में भी कुशल का ऐसा कारण मैं नहीं देख पा रहा हूँ जिससे मुझे सद्गति प्राप्त हो सके | यह जो अजित विज्ञान मैंने प्राप्त किया है उसका हे देव! जन्म जन्मान्तर में भी विनाश न हो दुर्गति होने पर भी आप ही मेरी गति और मति हैं यदि मैं आपको जान लूँ तो मैं उतने से ही सदा कृतार्थ हूँ कामना कलुष युक्त मेंरा चित्त आपके श्री चरणों में अर्पित है मैं सभी जन्मों में केवल वैष्णव ही बनू | इसके अतिरिक्त मेरी और कोई कामना नहीं है | आप ही के श्रीचरणों को ध्याऊँ, आप ही की आराधना करूँ आप ही में अपने मन को लगाऊँ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय m.ruclips.net/video/RKuNh6cf9Ss/видео.html
This is the best prayer i have ever heard, whenever i opened black lotus, in previous version, i only meditated on this. Heart really melts while meditating on this. आभार 🙏
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ॐ स्वामी महापुरुष विद्या
यह अति सुन्दर स्त्रोत्र सबसे पहले देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु के लिए कहा था
यह स्तोत्र या स्तुति जिसको कि महापुरुष विद्या भी कहा गया है उसका आरम्भ करे
ॐ
जितं ते पुंडरीकाक्ष नमस्ते विश्व भावना
सुब्रह्म्णाय नमस्ते अस्तु महापुरुष: पूर्वज:
नमो हिरण्यगर्भाय प्रधानव्यक्ति रूपिणे
ॐ नमो वासुदेवाय शुद्ध ज्ञानस्वरूपिणे
देवानाम दान्वानाम च समान्यवसि दैवतम
सर्वदा चरन वन्दम वृजामि शरणम तव
एकस्यत्वमसि लोकस्य सृष्टा सन्हारकस्तथा
अध्यक्षश्चनुमन्ता च गुणमाया समावृता
संसार सागरम घोरम अनन्तम क्लेश भाजनम
त्वमेव शरणं प्राप्य निस्तरन्ति मनीषिण:
ना ते रूपम ना चाकारो नायुधानि ना चाश्पदम
तथापि पुरुषाकारो भक्तानाम त्वम् प्रकाशसे
नैवे किञ्चित प्रोक्छम ते प्रत्यक्षोऽसि न कश्यचित्
नैवे किञ्चित साध्यम ते न च साध्योऽसि कश्यचित्
कारणाम कारणम पूर्वम वचसाम वाचम उत्तमम
योगिनाम परामाम सिद्धिँ परमम ते वदम विदु:
अहं धीतोऽस्मिन देवेश संसारेऽस्मिन महाभय
त्राहिमाम् पुण्डरीकाक्ष न जाने शरणम् परम्
कालेस्वपि च सर्वेसु दिक्षु सर्वासु च अच्युत
शरीरेऽपि गतोचाऽपि वर्तते मे महद्वयम्
त्वतपादकमलादनत्र मे जन्मानतरेस्वपि निमित्तम्
कुशलस्यऽति येन गच्छामि सदगतिम्
विज्ञानम् यदिदम् प्राप्तम् यदिदम् ज्ञान मूर्तिजम्
जन्मान्तरेऽपि मे देव मा भूदृश्य परीक्षया
दर्गतामपि जातायाम् त्वम् गतिस्त्वम मतिर्मम
यदि नाथम् च विज्ञेयम् तावत्ऽस्मि कृतिसदा
अकाम कलुषम् चित्त मम ते पाद्यो स्थितम्
काम्यैव वैष्णवं तु सर्वजन्मसु केवलम्
ॐ नारायणाय विद्महे महापुरुषाय धीमही तन्नो विष्णु प्रचोदयात् |
हे पुण्डरीकाक्ष! आपकी जय हो
हे विश्वभावन! आपको नमस्कार
हे महापुरुषो के पूर्वज सुब्रह्मणाय आपको नमस्कार
प्रधान व्यक्तिरूपी हिरण्यगर्भ को नमस्कार
शुद्धज्ञान स्वरूप वासुदेव को नमस्कार
हे प्रभु! आप दानवो ओर देवो के समानरूप से देवता है|
आपके दोनों चरणों की शरण में मैं जाता हूँ |
आप अकेले ही संसार के स्रष्टा तथा संहारक हैं
गुण और माया से आच्छादित अध्यक्ष और अनुमन्ता हैं
यह संसारसागर घोर अनन्त क्लेश का भाजन है
मनीषीजन आप ही की शरण प्राप्त करके इसे पार करते हैं
आपका ना रूप है ना आकार है ना शस्त्र है ना स्थान है
फिर भी आप पुरुषाकार होकर भक्तो को दर्शन देते हैं
ना तो आपके अपरोक्ष कुछ है और ना ही आप किसी के प्रत्यक्ष हैं ना तो आपको कुछ असाध्य है और ना ही आप किसी के साध्य हैं |
कार्यों के आप पूर्व कारण हैं, वाणियों की आप उत्तम वाणी हैं |
आपका परमपद योगियों की परम सिद्धि है |
हे देवेश! इस महाभयंकर संसार में मैं बहुत भयभीत हूँ |
हे पुण्डरीकाक्ष! मैं आपके अतिरिक्त दूसरे की शरण नही जानता |
हे अच्युत! सब दिशाओं में और सब कालों में शरीर की गति में भी मुझे बहुत भय लग रहा है |
आपके चरण कमलों के अतिरिक्त जन्म जन्मान्तरों में भी कुशल का ऐसा कारण मैं नहीं देख पा रहा हूँ जिससे मुझे सद्गति प्राप्त हो सके |
यह जो अजित विज्ञान मैंने प्राप्त किया है उसका हे देव! जन्म जन्मान्तर में भी विनाश न हो
दुर्गति होने पर भी आप ही मेरी गति और मति हैं
यदि मैं आपको जान लूँ तो मैं उतने से ही सदा कृतार्थ हूँ
कामना कलुष युक्त मेंरा चित्त आपके श्री चरणों में अर्पित है
मैं सभी जन्मों में केवल वैष्णव ही बनू | इसके अतिरिक्त मेरी और कोई कामना नहीं है | आप ही के श्रीचरणों को ध्याऊँ, आप ही की आराधना करूँ आप ही में अपने मन को लगाऊँ
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
m.ruclips.net/video/RKuNh6cf9Ss/видео.html
जय श्री हरीकृष्णा 🙏🙏🙏
Pranam Swami ji 🙏
Pranaam hai aapko🙏🙏mujhey aapki awaz sunkar aisa lagaa ki isse meri atma ko shanti mil rahi hai.... Aapko koti koti pranaam 🙏
Thankyou PUJYA SWAMIJI 🙏
Please accept my humble salutations at your divine lotus feet 🌺🙇🏻♀️
Saadar Pranaams to you dear Rev. Sri. Sri. Om Swamiji🙏🕉🌺Jai Sri Hari🙏🕉🌺
🙏Gurudev 🙏Gurudev
This is the best prayer i have ever heard, whenever i opened black lotus, in previous version, i only meditated on this. Heart really melts while meditating on this. आभार 🙏
Om swamiji...Namaskar
Thx sir, universe bless u
Thank you so much Swami ji for Hindi content. I got it after lot of efforts. Finally divine helped me to find this. My request if Black Lotus app can have Hindi version with all Hindi content. I don’t know why, but I am only able to connect with Hindi content. I can feel n think in Hindi only. Although I do understand English but maybe my English is not so great. I am not able to learn meditation. Is there any community I can join to learn meditation.
I am sure their will be many like me. It will benefit all of them. We can use help of AI to change content in other regional languages. If you need my support in this, please do let me know. I would love to volunteer my time.
Bahot badhiya h
Pranam Swamiji
Thank You for sharing the Beautiful Meditation.
My Humble Pranams at Your Lotus Feet.
चरण स्पर्श गुरू जी
Most beautiful prayer i have ever heard .Swami ji Swami ji Swami ji salutations at ur feet .
My HEARTIEST Gratitude 🙏🙏🙏 words are powerless to say something ,
Guru Dev aapke charno me sadar dandvat pranam
Charno mai koti koti Pranam Prabhu
👏🌹👏🌹👏🌹👏🌹👏
Pranams to swamiji 🙏🙏🙏
Pranab mere prabhu
Hare ram swami ji...
Devine
Sri Hari
जय श्री हरी
🌹 ॐ स्वामी नमो नम: 🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Omm 🙏🙏🙏
😊🙏
Please also add the text of the Sanskrit prayer .Jai Om.
Plz aap hindi me bhi video bnayen plz❤️❤️❤️
Black lotus app acchay say nhi chlti i used many time plz usko update kro