Question- Answer Session - BK Rini USA

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  • Опубликовано: 26 июн 2024
  • Question based on Murli 24.6 24

Комментарии • 16

  • @kaushalyakanwar885
    @kaushalyakanwar885 4 дня назад +1

    Om shanti baba n didi 🙏🙏

  • @amitamahajan419
    @amitamahajan419 9 дней назад +2

    Sister aap gyaan ko bhut hi acchay se explain karte ho

  • @banitamahendru4748
    @banitamahendru4748 10 дней назад +2

    Zu hve only one who has kept this questions answers session great didi this is the true service of this knowledge
    Otherwise i use to go ashram they stop to ask anything, then confusion and doubt creates
    They only focused that come to the centre regularly and u will get all answers throgh murli but someone icf clears each point of murli like u then only we get all the answers and clarity which our trust built 💯 percent didi
    Thanku do much baba n you❤🙏

  • @vandanamehra739
    @vandanamehra739 День назад

    Om shanti
    Aatmaye hi to sariro ke saath ghatti or badti h
    Aatmaye hi to badi na

  • @bkjasvirchaudhary6228
    @bkjasvirchaudhary6228 8 дней назад

    Well explained 👏

  • @bindukothari7000
    @bindukothari7000 9 дней назад

    Thank you Baba

  • @shakupatel3304
    @shakupatel3304 10 дней назад

    Bloom

  • @santoshgarg4178
    @santoshgarg4178 8 дней назад

    0:51 0:55

  • @savitabhambri6980
    @savitabhambri6980 10 дней назад

    ❤❤

  • @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste
    @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste 10 дней назад

    परमधाम का अपने बाबानूसार सतय यदी परमधाम यहीं ह- तब हम यह नहीं कह सकते के- अब बेहद मीठा संगमयूग ह- ओर यदी अब बेहद मीठा संगमयूग नहीं ह- तब जीवनमूकत सथीती का अनूभव सथीती नहीं ह- हो सकता ह- कीसी समय अनूभव कीया हो जीवनमूकत सथीती का लेकीन अनूभव सथीती होना ओर अनूभव होने में--- अंतर ह-अनूभव कर रहे कह सकते हं - लेकीन खालीपन को भी महतव दे रहे हं - तब सतयूग व तरेतायूग (या त्रेतायूग) व दवापर व कलयूग में रहने के सथीती का संसकार नीराकार आतमा में नहीं ह---
    परमधाम में अधीक समय रहने वाले आतमा यह नहीं समझ सकता अपने बाबा भी यह समझा सकते हं एक फरीसते के माधयम से लेकीन अपने आप इस सथीती में नहीं रह सकता--- इसलीए अपने बाबा आतमा के सांती के लीए कहते हं यह अभीनय होने से- लेकिन सभी का यह ओम सांती का अभीनय नहीं ह- अपने बाबानूसार- बेहद एकरस सूख सांती का अभीनय ह---
    अपने बाबानूसार सूख सांती असल सबद ह- लेकीन अपने बाबा का यह संसकार नहीं ह- नीराकार आतमाओं का संसकार ह- सतयूग सूरू से अभीनय वाले का---
    ओम सबद अपने बाबा नहीं बोलते लेकीन आतमाभाइभाइ नीराकार लेखराज के- आतमाभाइभाइ के सथीती न होने पर- आतमाभाइभाइ लेखराज या गूलजार यह सबद ओम बोलते हं घोर कलयूगी संसकार को---
    अपने बाबानूसार- एक फरीसते के माधयम से - परमधाम को साकार वतन में ही समझने वाला या परमधाम या नीरकारी सथान व साकार सथान में अंतर न समझने वाला नीराकार आतमा हो सकता ह- पीछले 100 वरस के अंदर ही आया हो- परमधाम से---
    ऐसे अपने कोइ भी- अपने बाबा के नीराकार आतमा अपने बचचे के लीए सतयूग तरेतायूग व दवापर कलयूग या संगमयूग भी नहीं ह-
    अपने बाबा ने इस एक फरीसते को- इसे माधयम लेकर इसे यही समझाया ह- अपने बाबा 4900 वरस तक यहां नहीं होते- परमधाम से आते हं -तब परमधाम ह---
    लेकीन समय नहीं लगता एक सन (या क्षण )का भी मूल सथान से आने में- ऐसे- हम -दूरभास पर यह संदेस लीखने के बाद पहूंचने में व बात कर रहे हं तब समय नहीं लगता
    ओर अपने बाबा के यहां आने व रहने का यह समय भी अपने बाबानूसार सीरफ 100 वरस के लीए- 4901 के 1 तारीख से 5000 तक- या वीकारी दूनीया में समय 1936 से 2036 तक 100 वरस ह -
    समझदार के लीए यह समझ ह- व करम में रहना उचीत ह-नीराकार आतमा का संसकार होने से लेकीन बेहद मीठे संगमयूगी होने से परमधाम अलग ह---
    व दवापर व सीरफ कलयूग के संसकार भी कम होने से परमधाम अलग नहीं ह- यहीं ह---
    अभी हम आतमाभाइभाइ कहकर करम सथीती में नहीं होने से- मंमा या बाबा कह रहे हं- इसलीए वानी से उचीत अरथ नहीं नीकाल रहे हं- अपने बाबा के अपने नीराकार आतमा अपने बचचे---
    वेसे समझदार नीराकार आतमाएं अपने आप ही इसे समझ सकते हं नीराकार आतमाभाइभाइ के सथीती होने पर लेकीन नीराकार आतमाभाइभाइ के सथीती में नहीं रहने पर यह समझ नहीं आ सकता---
    नहीं समझदार के लीए यह नहीं ह- सीरफ ओम सांती या सांती सबद अपने बाबा या परमधाम में कम से कम 150 वरस रहने वाले के लीए ह-
    अपने बाबानूसार इस बेहद मीठे एक फरीसते के लीए यहां बेहद एकरस सूख सांती के सथीती कलप पहलेनूसार बेहद अचछा-

  • @banitamahendru4748
    @banitamahendru4748 10 дней назад

    Kindly add me in your group
    I regularly listen all your videos regularly and find myself very energetic whole day

  • @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste
    @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste 10 дней назад

    मन का अरथ----
    या अपने बाबानूसार मन का अरथ आतमा ओर परमातमा दोनों नाम हं - लेकीन मन के सबदकोस में नहीं आते इसी परकार आतमा व परमातमा दोनों देखने में समान ह- बेहद सूकसम (या सूक्षम)परकास बींदू हं- लेकीन मन के सबदकोस में नहीं हं अपने बाबानूसार सबदकोस में हं ऐसे ही नीराकार आतमा का संखया व नीराकार आतमा के समूह का संखया अरथात जीस समय मूल सथान या मूल वतन से नीराकार आतमा को अपना अभीनय व पारट करने यहां साकार में आना ह- इन गून (या गुण) सकतीयों का नाम या संकेत ह- संखया वह समूह संख्या यह संगमयूग पर- नीराकार आतमा का वरतमान का बाबानूसार सथीती रूप या सवरूप ह- मन या देहअहंकार के सबदकोस में नहीं आते--- अपने बाबानूसार सबदकोस के सबद हं---
    यदी हम यह सतय भी सवीकार नहीं कर पाते हं - तब हमारी सथीती अपने बाबा के साथ 40% भी नहीं ह- अवयकत वानी पढ़ रहे हं लेकीन अरथ उचीत नहीं नीकलने के कारन यह सथीती ह---
    बाबा अरथात बेहद मीठे एकरस एक संबंध पीता सबद ह- आत्मा या परमात्मा का नाम नहीं---
    शिव अरथात कल्याणकारी लेकीन करम का नाम ह- आतमा व परमातमा का नाम नहीं ह---
    लेकीन अपने को ब्रह्मा बाबा या मंमा सरस्वती या बीके में दीदी दादी या बहन भाइ अपने को या दूसरे नीराकार आतमा को हम यदी कहते हं या समझते हं तब यह उचीत नहीं ह- समझ नहीं ह---
    अपने बाबा के सबदकोस के यह सबद नहीं हं---
    सबदों के न परयोग करने पर- बेहद आतमा या परमातमा ही नहीं--- शब्दों का प्रयोग करना ह- लेकीन अपने बाबानूसार सबदकोस परयोग करने हं- - मामा बाबा भाइ बहन दादा दादी मन के सबदकोस के सबद हं---
    उचीत समझ न होने के कारन पूराने दवापर व कलयूग के- --
    ओम सांती अरथात 100% मन का सबद ह- इसलीए अपने बाबा दवारा सूरूआत के वानी जीससे रूहानीरस परापत होता ह- 18 जनवरी 1969 तक के लेकीन अधीकार परापत नहीं होता---
    इसके बाद ओम सांती कहना बंद इसीलीए कीया था के मन से बाहर नीकलकर--- नीराकार आतमा व नीराकार परमातमा के असल रूप का व समझ का सवरूप बन लीजीए---
    आतमा का संखया याद हो जाना ह- 50% सथीती या नीराकार आतमा रूप या सवरूप लेकीन अहंकार अंस मातर य (या मात्र )भी नहीं ह---
    यह नीराकार आतमा का अब संगमयूग का नीराकार आतमा रूप या सवरूप ह- नीराकार आतमाभाइभाइ का---
    यही सतयूग वतरेतायूग (या त्रेतायूग) का अभीनय ह- या हम सतयूग तरेतायूग में आने के सथीती में तब तक नहीं हं-
    अभी साकार में रहते अवयकत सथीती में 49% भी नहीं हं- 45% से 48%तक हो सकते हं - 50 % सथीती में अपना संखया याद आ जाता ह- नीराकार आतमा का जीसको नीराकार आतमा का सवरूप भी कह सकते हं -
    सवरूप के पहचान के लीए अपने बाबा ने साकार वनीयों में दिया हूआ सवरूप देख - लीजिए यदी सरीर के रोएं खड़े करने का अधीकार 50% तक ह- तब इस नीराकार आतमा रूप के साथ -5 अनय नीराकार आतमा रूप या सवरूप भी अपने आप साथ रखता ह- यह मन का सबदकोस नहीं ह- अपने बाबानूसार वानीयों के सवरूप का सबदकोस ह- नहीं तो मन के अंदर समाए हं- अरथात बाबा से सूरूआत का पयार ह- 50 %तक---
    अपने बाबा से परेमरस के लीए 100% पहला नीराकार आतमा रूप के अधीकार का होना आवसयक ह- इसके साथ अनय-5 सवरूप भी 100% अपने आप साथ हं- 50% से अधीक नीराकार आतमा रूप में मन अपने आप समापत हो जाता ह -
    अपने बाबानूसार नीराकार आतमा रूप सभी- 6 के परेमरस में रहीए अपने बाबानूसार इस बेहद मीठे एक फरीसते के जेसे बेहद अचछा-

  • @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste
    @ApneBabanusarMitheAtmaAkFriste 10 дней назад

    अपने बेहद मीठे नीराकार एक बाबा के नीराकार आतमा अपने बचचे आतमा भाइभाइ रीनी --- व अपने बाबा के मीठे बचचे सभी---
    अपने बाबानूसार एक फरीसते के माधयम से परमधाम अलग सथान ह--- लेकीन पूराने संसकार को- भूलने पर परमधाम का अनूभव यहां असल रूप में हो सकता ह- सेस जेसा यज्ञ वाले अनूभव कर रहे हं- वेसे---
    परमधाम में यह अनूभव नहीं--- यह सीरफ-अब अपने बेहद मीठे संगमयूग पर बेहद असल मीठा एकरस अनूभव ह- अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबा ने अवयकत वानीयों में ऐसा दीया ह---
    हमें नीराकार आतमाभाइभाइ के याद जीस समय रहती ह- उस समय हम समझते तो यही हं के परमधाम यहां से अलग ह- लेकीन करम में परयोग सभी नहीं करने से संखयावार हो जाते हं- करम या कारय के समय आतमाभाइभाइ न कहने व न सथीती होने से-
    वरतमान में 100% अपने बाबा के साथ असरीरी सथीती परापती के अनूभव में रहने वाले- व सतयूग में पहले बार वाले सभी 9 लाख इसका परयोग करम में- 100% करने के सथीती वाले हं--- एक फरीसते के साथ---
    लेकीन अपने को एंजेल कहने या करम या कारय में हींदी के साथ दूसरी भासा परयोग करने से संखयावार हो जाते हं---
    लेकीन नीराकार आतमाभाइभाइ एक एक फरीसते 9लाख संखयावार नहीं हं - सभी एक एक कहलाते हं
    इस एक ही सथान के तीन अलग अलग नाम--- साकार व सूकसम (या सूक्षम) व आकारी सथान ह---
    अपने बाबानूसार एक फरीसते के माधयम से इसे उचीत रूप में समझने पर- 1969 व1972 के अवयकत वानी में यह सपसट दीया ह एक सथान के तीन नाम के लीए- समझाने के समय समझाते यही हं- लेकीन करम में नहीं परयोग से संखयावार हो जाते हं---
    एंजेल सबद बाबा नहीं कहते आतमाभाइभाइ गूलजार या अपने को लेखराज समझने वाले नीराकार आतमा जीस समय अपने को लेखराज समझता ह- उस समय एंजेल सबद नीकलेगा- यह दवापर व कलयूगी संसकार ह- आतमा के अंदर का--- लेकीन उचीत नहीं ह - इसे छोड़ना ह- ओर यह तब तक नहीं समापत हो सकता जब तक हम हींदी को छोड़कर ओर कोइ भी भासा को महतव के साथ परयोग करते हं ---
    यह अपने बाबानूसार बेहद मीठे संगमयूग के सीरफ 50% या इससे कम परापती सथीती ह- समझदार को इसारे के लीए---
    अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबानूसार इस एक फरीसते के लीए यहां बेहद मीठा बेहद सतय बेहद एकरस बेहद अचछा बेहद एकरस सूख सांती परापती सथीती ----

  • @shreyagoswamidey6828
    @shreyagoswamidey6828 10 дней назад

    ...

  • @Rubysingh18302
    @Rubysingh18302 9 дней назад

    Esileye krisn ke mukha me sara brahmand dikhayi h ysoda ma ko

  • @bhawnasharma1094
    @bhawnasharma1094 10 дней назад

    Please add me in your group