छात्रावासों में कोई मानीटीरिंग नहीं होती है न सही नास्ता और भोजन की गुणवत्ता निम्न श्रेणी का होता है अधीक्षकें हमेशा बचत करने में लगे रहते हैं यही हर छात्रावास की कहानी है।
हमारे तरफ भी इसी प्रकार की हालत है, लेकिन सरकारी काम में हस्तक्षेप कौन करे,,कब न कब का पावडर, केमिकल मिला चांवल भेजते हैं जाहिर है बीमार होना है, अस्पताल जाएंगे फिर डॉक्टरों की बल्ले-बल्ले, वहां भी आयुष्मान के नाम से लूटमार,, पिछड़े, ग़रीबों की कोई मान्यता नहीं, भैय्या
छात्रावासों में कोई मानीटीरिंग नहीं होती है न सही नास्ता और भोजन की गुणवत्ता निम्न श्रेणी का होता है अधीक्षकें हमेशा बचत करने में लगे रहते हैं यही हर छात्रावास की कहानी है।
हर आश्रम छात्रावास में चेकिंग होनी चाहिए खान पान में पैसा बचत करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं अधिक्षक
लोग
एकलव्य आवासीय विद्यालय का अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है अन्य छात्रावासों की क्या स्थिति होगी।
हमेशा से आदिवासियों के जान से खिलवाड़ किया जाता है
हमारे तरफ भी इसी प्रकार की हालत है, लेकिन सरकारी काम में हस्तक्षेप कौन करे,,कब न कब का पावडर, केमिकल मिला चांवल भेजते हैं जाहिर है बीमार होना है, अस्पताल जाएंगे फिर डॉक्टरों की बल्ले-बल्ले, वहां भी आयुष्मान के नाम से लूटमार,, पिछड़े, ग़रीबों की कोई मान्यता नहीं, भैय्या
ज्यादा बोल दो तो सरकार विरोधी फिर जेल, कोर्ट कचहरी, घूमते रहो ईधर उधर,ऊपर वाले दो बोल सांत्वना के बोल के 2-4 दिन में भूल जाएंगे
क्या टीक है कारवाई कारो ना जल्दी