नया बयान - २०२३ || कर्बला की जंग और आप किसके साथ है ? || Sayyed Aminul Qadri || Zikre Karbala
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- Опубликовано: 3 дек 2024
- नया बयान - २०२३ || कर्बला की जंग और आप किसके साथ है ? || Sayyed Aminul Qadri || Zikre Karbala
Topic : कर्बला की जंग और आप किसके साथ है ? - नया बयान - २०२३
Orator : Syed Aminul Qadri
Date : 18/07/2023
Place : Zikre Sahide Karbala - Kalavad Gujarat
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Subhaanalla keep it up.labbaik.yaa.hussain
Masa Allan bahut hi lajwab bayan hai allah aapko salamat rakhe
Beshak subhanallah 😊
Mashallah bahut khoob tarir Kari ❤❤❤❤❤❤
Mashallah ❤❤❤❤
Shukriya bhai
SubhAn allah
Aaj kal sab yajid jaise log hai apki baat haq hai
bilkul sahi baat ❤❤❤❤❤
Subhanallah
Alhadolillah
beshaq
Beshaq subhanallah
subhan Allha
Subhan Allah ❤
Ya Husein
Beshak haq haiy
Subhan Allah
Beshaq haq hai
Allah hame hidayat de tamam momin ko
Mashallh subhanallah bahot acha bayan hai
Subhanallah 🌹🌹🌹🌹
Subhanallah ❤❤❤
Subhanallah
Mashallah app ko hamesha Allah salamat rakhe
Mashaallah 🌹 Subhanallah 🌹Alhamdulillah 🌹
Bhaglpur
Bihar
😢❤
Besaq hum imam hasan our hussin ke sath hain z.k.ali rampur .u.p. India
Imamy Husain ke saath hai
Beshak dil Ropda 😭😭😭🕋🕋🤲
Sayyed Shahb imaam Hassan ko zher kisne diya tha plz bataye
Ek aurat ne diya tha dushmano ke kahne pe
🥁🪘👌
*मुहर्रम में ढ़ोल बजाना कैसा?*
*मोहर्रम में ताजिया बनाना कैसा?*
*उलमा-ए-बरेलवी का यज़ीद के बारे में अकीदा कैसा?*
आप उलमा-ए-बरेलवी का शहादत ए इमाम हुसैन पर *हजारों तकरीर* सुनें लेकिन आपको किसी भी तकरीर में यजीद को काफ़िर कहते हुए नहीं सुनाई देगा।
*उस बरेलवी आलिम की तकरीर सुने जो यजीद को काफिर बोलता हो ताकि अकीदा बच जाए*
अक्सर *मोहर्रम में ढोल और ताजिया* के खिलाफ वही लोग हैं जो यजीद को काफिर नहीं बोलते हैं
अक्सर मोहर्रम में ढोल वही लोग मना करते हैं जो यजीद को काफिर कहने से गुरेज करते हैं
किस हदीस में *ढ़ोल* मुहर्रम में मना है, ढोल का तसव्वर डफ से आया है डफ बजाना सुन्नत है अगर *ढ़ोल* हराम होगा तो सिर्फ मुहर्रम में हराम नहीं होगा, बल्कि हर जगह हराम होगा, जैसे औलिया-ए-कराम के उर्स में भी *ढ़ोल* बजाना हराम होगा लेकिन उर्स में तो ढ़ोल बजाया जाता है। उर्स तो उसी दिन मनाते हैं जिस दिन वली का इंतकाल (विसाल) होता है और उर्स में ढ़ोल बजाया जाता है। इसी तरह शराब अगर हराम है तो हर जगह हराम है, ऐसा नहीं है कि शराब मस्जिद में हराम है और मस्जिद के बाहर जायज़ है। अगर शराब हराम है तो मस्जिद के अंदर भी हराम है और मस्जिद के बाहर भी हराम होगा, यानी हर जगह हराम होगा। इसी तरह अगर ढ़ोल मुहर्रम में हराम है तो उर्स में भी हराम होगा लेकिन ऐसी बात नहीं है। जायज़ नाजायज़ उसके इस्तेमाल पर है।
इसी तरह माइक और मोबाइल नेक काम के लिए इस्तेमाल किया जाए तो इबादत है, अगर नाच गाने और बदी फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो गुनाह है। माइक और मोबाइल खुद हराम और हलाल नही होता, उसका इस्तेमाल हराम और हलाल होता है।
ढ़ोल, माइक, ताजिया और तलवार के ज़रिए सिर्फ इमाम हुसैन का याद आना मकसूद है और कुछ नहीं।
*आप क्या समझते हैं कि ढ़ोल अस्तगफीरुल्ला माज़ल्लाह इमाम हुसैन के शहादत की खुशी में बजाते हैं?, यह बात हरगिज़ नहीं।* इसका इस्तेमाल गम में भी किया जाता है।
*ढ़ोल* बजाते खुद हराम नहीं होता, इसका इस्तेमाल हराम या हलाल होता है। बहुत सारे औलिया अल्लाह उर्स में ढ़ोल की आवाज़ से रोते हैं क्योंकि उनको ढ़ोल की आवाज़ के ज़रिए उन्हें खुदा और रसूल याद आता है।
इसी तरह बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें मुहर्रम में ढ़ोल की आवाज़ से इमाम हुसैन की शहादत की याद आती है और वो गम में भी मुब्तला होते हैं और रोते भी हैं।
अगर किसी को मुहर्रम के *ढ़ोल* की आवाज़ से इमाम हुसैन का याद नहीं आता तो उनके लिए नाजायज़ है, और जिनको याद आता है उनके लिए जायज़ और इबादत है।
अगर मुहर्रम के त्योहार में कुछ खराबी दाखिल हो गया है तो उस खराबी को हटाओ, ना कि त्योहार को हटाओ और बंद करो।
यह सवाल सबको भेज दें
Share to all ✌✌✌
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*यह सवाल सबको भेज दें*
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Azid sharabi tha to Hazrat amir. Mawiya kyu badsha banaya
Neack hidayt le lo
Beshak haq hi
Subhanallah subhanallah