Kyo kya hua sahi to kah rhe hi apko takleef isliye hi rhi hi kyoke ap pakandhi ho😂 pakhandi kabhi bhe sahi rastey par nhi chlega ram or krisha ko iswar ne kyo bheja tha btao pta hi to
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं निराकार में ही हूं। जो मेरे निराकार रूप से सन्तुष्ट नहीं होते उसे मैं साकार रूप में ही प्राप्त हूं। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की मैं निराकार से नहीं निराकार मुझसे है! जिस प्रकर से एक फूल होता है और उसकी खुशबू होती है! फुल सकार का प्रतीक है और उसकी खुशबू निराकार का प्रतीक है!इस प्रकार फूल से खुशबू है खुशबू से फूल नहीं। जो भगवान श्री कृष्ण के अंदर से तेज निकलता है, उसे व्यक्ति देख नहीं पाता जिस कारण उसे निराकार समझ बैठता है, अर्जुन भी भगवान के दिव्य रूप को देखने में असमर्थ था तो उसे भगवान ने दिव्य दृष्टि प्रदान की थी तब वहां भगवान का रूप देख पाया। ईश्वर हां पर मां कृष्णा सच्चिदानंद विग्रह निर्विकार निर्विकार आए। सर्व कारण कारण हा। Hare krishan❤
कृष्ण भगवान अर्जुन को क्या कहते हैं अर्जुन तू उस परमात्मा की शरण में जा जहां से कोई वापस नहीं तो वह किसका कह रहे हैं भगवान कृष्ण कीर्तन मृत्यु होती हैं तो फिर वह परमात्मा कौन है बताइए
ईश्वर साकार है और निराकार भी, जिस तरह जिस तरह जीव का मूल रूप आत्मा निराकार है, और जब शरीर धारण करती है तो साकार कहलाती है, फिर ईश्वर तो सबकुछ कर सकता है, अपनी माया से साकार रूप में प्रकट होता है, ॐ सच्चिदानंद रुपम🙏
स्वामी जी को प्रणाम 🙏 भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा है मैं ही ईश्वर हु और अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया है जिसका वर्णन भगवत गीता मे है और ये आम आदमी से संभव नहीं है 🙏🙏 जय श्री कृष्णा 🙏🙏
Aap se Ek sawal he Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega. UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ? Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ? YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE Ek sawal ka jawab do pandit ji Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
तू अजर अमर मरमेश्वर देह कभी नधरे विन कान सुने बिन पैर चले विन हाथ करोडो काम करे तू पिता है हम सब पुत्र तेरे भोजन दे सव का पेट भरे तू हाकिम सारी दुनिया का तेरा हुक्म कभी टाले न टले हर जगह पे भगवन बास तेरा हो महाप्रलय तो भी न मरे इस सारे संसार की फुल बगीया का तूही माली है सो लीला तेरी अजब निलाली है सो माया तेरी अजव निराली है जै जै श्री श्यम सुन्दर गुरुजी! भजन तो यह बहुत बड़ा है और ग्यान अपरम पार है
@@shubhamsisodiya7131 kalpanik nhi manta, but ishwar bhi nhi manta, agar shri krishna ishwar the to ek particular time period k liye hi kyu aaye, ishwar to sarw wyapak h
आर्य समाज जी महाराज की बात सत्य है जीव जन्म लेता है और जीव ही शरीर छोड़ता है आत्मा और परमात्मा तो दोनों अजन्मा है जीव निराकार का अंश है ईश्वर अंश जीव अविनाशी यह रामायण का तथ्य है लेकिन जहां आत्मा और परमात्मा की बात आती है वह भी रामायण में वर्णन है सोहम मर्सी इति ब्रह्म खंडा दीपशिखा सॉरी परम पर चंदा अर्थात आत्मा और परमात्मा संसार से सर्वदा अलग है इसी बात को वेद कहते हैं परमात्मा ईश्वर जीव प्रकृति से सर्वदा अलग है जैसे कुमार ने गढ़ा बनाया लेकिन कुमार घड़े के अंदर नहीं है घड़े में कुमार की कलाकारी है ऐसे ही परमात्मा ने संसार बनाया लेकिन परमात्मा संसार के अंदर नहीं हैं परमात्मा की सत्ता संसार में काम कर रही है लेकिन परमात्मा संसार से अलग है इसी बात को कबीर जी कहते हैं पिंड में होता मरता ना कोई अर्थात शरीर के अंदर परमात्मा होता तो किसी की भी मृत्यु नहीं होती ब्रह्मांड में होता देखता सब कोई संसार के कण-कण में पारब्रह्म होते सबको दिखाई देता पिंड ब्रह्मांड दो से न्यारा कहे कबीर सोई सोई हमारा यह सारे आंकड़े जागृत बुद्धि से खुलते हैं शास्त्रों में तो सब कुछ बता दिया लेकर जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूं
Aap se Ek sawal he Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega. UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ? Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ? YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE Ek sawal ka jawab do pandit ji Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
अगर ईश्वर हमें बना सकता है तो क्या वो इतना कमजोर है कि वो खुद का रूप नही बना सकता । ? चच्चा भागवद गीता यथारूप पढो तब समझ आएगा , ईश्वर साकार के साथ निराकर भी है
Haa bhai ishwar sakar hai jo ki upanishad mein bhi bataya gya hai aur Geeta mein likha hai ki shri krishna hi us nirakar ishwar ka saakar roop hai to ishwar dono nirakar aur sakar dono hai isliye nirakar ko ishwar aur sakar roop ko bhagwan kaha gya aur saare dev us saakar roop ke avtar hai
क्या देवी देवताओ के पशु पक्षियों के मुख हो सकते है?? *समीक्षा*:: जिन्होने कसम खा ली है कि अन्धविस्वास् , पाखण्ड , अज्ञान व कल्पनाओं से कभी बाहर नही निकलेंगे उन्हें सत्य, सरल व सीधी बाते अनर्गल प्रलाप दिखाई देती है शनि नामक देवता का रथ कौआ रूपी देवता खिंचे तो यह धर्म है, कोई प्रश्न कर दे कि भैया यह उड़ने वाला पक्षी है इसे घोड़े की तरह दौड़ाओ मत, इसे उड़ाओ । तो यह सत्य बात अनर्गल प्रलाप है। सूर्य को एक बालक निगल जाए तो यह धर्म है , कोई प्रश्न कर दे कि पृथ्वी से डेढ़ लाख गुना बड़ा सूर्य भला कोई कैसे अपने मुँह में भर लेगा तो यह सरल सी बात अनर्गल प्रलाप है किसी देवता के हाथी का मुंह किसी के शेर का मुँह किसी देवता के चार चार मुहँ जटायु को पक्षी बनाकर उसकी चोंच बना दी। ये सब व्याकरण के अलंकार है, प्रसंग अनुसार शब्दो के अर्थ बदले जाते है किन्तु गुरुकुलीय शिक्षा नष्ट होने के कारण मूर्ख पंडो ने इन सभी को ज्यों का त्यों सत्य मानकर हिन्दू समाज को मूर्ख बनाया *अब सत्य सरल सिद्धान्त जान लो* संस्क्रत भाषा मे सभी शब्दो के उच्चारण के लिए मनुष्य का मुख होना ही पड़ेगा , मनुष्य की तरह होठ, तालु, जीभ व दांतो का क्रम अनिवार्य है। क्योकि सँस्कृत में कुछ शब्द होठो को दबा कर बोले जाते है, कुछ तालु के प्रयोग से , कुछ दांतो के प्रयोग से , कुछ जीभ के प्रयोग से , कुछ होठो को गोल बनाकर, कुछ फूँक मार कर । मनुष्य की भाषा , मनुष्य के अलावा कोई जानवर नही बोल सकता फिर अगर हनुमान बन्दर होते , गणेश का मुँह हाथी का होता, जटायु के चोंच होती तो वेदो का शुद्ध उच्चारण कैसे करते, वेदो का उच्चारण तो छोड़ो , मनुष्यो की बोली भी नही बोल पाते , किन्तु किष्किंधा कांड में श्री राम कहते है हनुमान जी द्वारा इतना शुद्ध उच्चारण कोई वेदो का ज्ञाता ही कर सकता है। पर देखो , कलपनाओ व अंधविश्वास में जीने वाले हिन्दुओ ने हाथी के मुख से , जटायु व सम्पाती गिद्ध की चोंच से, चूहे के मुख से , बन्दर के मुख से , भैस के मुख से मनुष्यों की बोलियां निकलवा दी । अरे हिन्दुओ ये पशु पक्षी नही थे, महान मनुष्य ही थे। जिन्हें पशु कहकर धर्म का अपमान मत करो।
Kisi machar k sammne agar tum culture, politics, science ke baat kroge ....tho us macchar ko yahi lage ga ke kya baat kr rhe hai...Usko kya samjh ye ho kya baat kr rhe hai...usi parkar hum apni buddhi ko inko hum kalpaniye mante hai...q nirakar k chakkar mein pad rha hai. Hare Krishna hare ram bol sab samjh aayga ke krishna kon hai. Sakar hai ya nirakar...Ek tarfa mat faisla kr.murkh Pradi iskcon mandir aaja jeevan safal ho jayega.
Om SaJal Sradhdha Om Prakhar PraGYa Om Dada Guru Om GaYaTrI MaTa Om SaraSwaTI MaTa Om SaVITrI MaTa Om TaT SaT Prabhu ParmaTa IShwar ParmeShwar Om Om Om Om
Reasons why “Krishna is the Supreme GOD” Why is Krishna God? 1. Lord Brahma confirms in Brahma Samhita Once Lord Brahma wanted to test Krishna’s power, he gave all his calves and cowherds. Hid friends and placed them in a different place. When a full year had passed, Brahma returned and saw that Krishna was still engaged in sports as usual with his friends and calves and cows. Then Krishna displayed all the calves and cowherds in the four arms and armed forms of Narayana. Then Brahma could understand the power of Krishna, Krishna bestowed his innocent mercy on Brahma and freed him from confusion. At that time Lord Brahma prayed to sing the glory of the Supreme Personality of Godhead .. pasyesa me nayam ananta adye paratmani tvayy api mayi-mayini maya vitatyeksitum atma-vaibhava hy aha kiyan aiccham ivarcir agnau My God, just look at my rude disqualification! To test your power I tried to confuse you, you who are unlimited and divine, and also the master of illusion. Who am I comparing you to? I am like a small spark in the presence of a great fire. (Srimad-Bhagavatam 10.14.11) Lord Brahma also says in Brahma-samhita prayers. isvarah paramah krsnah sac-cid-ananda-vigrahah anadir adir govindah sarva-karana-karanam Krishna is the supreme deity known as Govinda. He has an eternal blissful spiritual body. He is the origin of all. He has no origin and is the prime cause of all causes. (Brahma-samhita 5.1) 2. Lord Shiva confirms Lord Shiva is a partial incarnation of Lord Krishna and he is in charge of ignorance or tamo-virtue among the three qualities of material nature. He takes charge of destroying the universe at the time of destruction. He is also considered to be the highest devotee to the highest Vaishnava, or Lord Krishna. They are believed by people to be Gods in the false misconception.Lord Shiva prays while instructing the sons of King Prachinabarhi about the absolute truth: namas ta ashisam isha manave karanatmane namo dharmaya brhate krsnayakuntha-medhase purusaya puranaya sankhya-yogeshvaraya ca My dear lord, you are the supreme blessing giver and always joyful. You are the master of all spiritual philosophies of the world, because you are Lord Krishna, the supreme cause of all causes. You are all religious principles, supremely intelligent, and you have a brain that can never be confused with any condition. So, I salute you again and again. (Srimad Bhagavatam 4.24.42) Lord Shiva, gives further instructions… yah param ramhasah saksat tri-gunai jiva-samjnitat bhagavantam vasudevam prapannah sa priyo hi me Anyone who has surrendered to the Supreme Personality of Godhead, Krishna, who is the physical nature as well as the living entity, the controller of everything, - he is indeed very dear to me. (Srimad-Bhagavatam 4.24.28) All Glories to Srila Prabhupada !!! Hare Krishna !!!
@Satya Sanatan Vedic Dharm Hare Krishna hare Krishna krishna krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare. Krishna tumhe subh buddhi de. Love you brother
Bhai, ye jo aap bata rhe hai na, ISKCON me mujhe ye bataya gya tha me kai mahino se ISKCON se jura hu, aur me to Krishna bhagwan ko hi parmeshwar manta hu, mala bhi krta hu, prasad chadhata hu. Par bhai mene dekha ki vedas padhne wale nirakar ko mante hai, to me bara confuse hua, waha ISKCON me Krishna bhagwan ko parmeshwar batate hai aur sara proof bhi dete hai, me pura satisfy hua tha. But vedas ka study kiya to thora Confusion aa rha hai bhai. Kya sahi hai kya galat samjh nhi aa rha, Gita me bhagwan jo updesh diye hai usse pata chalta hai ki ishwar Krishna hi hai aur sakar hai. Par aese bohot se questions aate hai man me ki Krishna bhagwan ne ran chhor k kyu bhaga to ISKCON me batae ki ye leela hai. Matlab bhai waha ISKCON me kuchh bhi aesa bat hota hai to bol dete hai ye bhagwan ka leela hai, Aur jo vedas padhne wale hai, wo bolte hai ki ye jitni baate gita me likhi hai jo darshata hai ki ishwar sakar hai wo milawati hai, aur purana hai wo likhi gai kahaniya hai asli nhi hai. Asli ved hai, par bhai nirakar kaese, agar nirkar hai na ishwar to bhakti krne ka jada maja nhi hai bhai, kyuki feer ham nirakar ki seva kaese kr sakte hai. Aur jo asli sukh milta hai wo Krishna jo bole hai gita me wo padh k aur unka name leke milta hai, Me to pura confuse ho gya hu bhai, vedo se, ved bhi to jaruri hai na. Par agar gita me milawat kr sakte hai to ved me kyu nhi. Me pura confuse hu, ishwar rashta dikhaye. 🙏🏻💐
@Fk Chinese Virus vedas mai likha hai, atharva veda 11.7.24 mai likha hai ki all the vedas and the puranas and the devas became manifest from the Lord According to Taittriya Aranyak Upanishad 2.9 "Yad brahmanan itihasa puranani." Translation: "The Puranas and Itihasas are the vedas" Chandogya Upanishad 7.1.4 states that "Nama va rig-vedo yajur-vedah sam-veda Atharvanas caturtha itihasa-Puranah panchamo vedanam vedah Translation: "Rig , Yajur , Sam , Atharva are the name of the four vedas and the Puranas and Itihasas are the fifth veda
@@srvpostsvlog Rann chorr ke bhaage thhe kyuki jo asur tha usne Brahmano ki sena banai thi, harr baar KRISHNA se haar jaane par uss asur ne iss baar Brahman Sena banai and isliye Brahmano ko kuch na ho jaaye isliye unhone Rann chorr diya. Now ISKCON says leela hai aisa kyu kehte hai woh log iska reference hame Ramayan mein milta hai jaha ke Parvati maata sita ka roop leke Ram ji ke saamne jaati hai yeh confusion clear karne ko ki asli bhagwan aisa behave thodi karega apne wife ke liye aise royega thodi , shiv ji ne unse kaha yeh leela kar rahe hai doubt nahi karte but Parvati maata ne maana nahi aur sita ji ka roop leke Ram ji ke saamne gyi toh turant Ram ji ne kaha Parvati yaha jungle mein akeli kya kar rahi ho aur pati kaha hai tumhare, wapas roop leke aayi phir se Ram ne kaha Parvati yaha kya kar rahi ho. Parvati jo swayam Maaya hai usse Prabhu Ram ne pehchan liya toh Parvati maata ko vishwash ho gya ki yeh hi bhagwan hai aur leela kar rahe hai. Isliye ISKCON mein kehte hai ki Rann Chorr ke jasna leela hai aap Senior Devotees se pooch sakhte hai (thik hai leela hai but reason kya hai ?)👍👍 Hope I am able to clear your doubts🙏 Hare Krishna 🙏
@Fk Chinese Virus Actually what you are saying as Murti is wrong it is called Vigraha and iske upar ek pura dedicated scripture bhi hai called "Naradapancharatra" you can check yourself 👍 And yes Bhakti zaroori hai but Vigraha seva galat nahi hai and Murti puja and Vigraha seva mein bahut Diffrence hota hai and maine aapko scripture ka name bhi provide kar diya you can check 🙏 Hope I your doubts are cleared Hare Krishna 🙏
@DIABOLIC *आरे निराकार बोलके खुद ही के बात का खंडन करे जा रहे हो क्या...वेद क्या कोई अंतिम सत्य है क्या जिसको आंख बंद करके माने...गलत लिखा है मतलब गलत लिखा है...निराकार जैसी कोई चीज संभव है ही नही...क्या कुछ भी फेके जा रहे हो.*
@DIABOLIC *बात ईश्वर की हो रही है जिसका अस्तित्व है नही...बिचमे Consiousness ये वो मत घुसेडो...सीधा पॉइंट पे बात करो...ईश्वर निराकार कैसे है...पहले तो निराकार का अर्थ बताओ...तभी बात आगे बढ़ेगी.*
ईश्वर साकार और निराकार दोनो रूप में है यह व्यक्ति के नजरिये एवं आस्था पर निर्भर है ।हनुमानजी का सुन्दर काण्ड पढना एवं भगवद गीता पढना सब समझ में आ जाएगा एवं आपके सभी प्रश्नो का उत्तर मिल जाएगा ।
जब ईश्वर प्रकृति और अनन्त जीवन सब अनादि है तो ईश्वर सर्व शक्तिमान कैसे ? यदि ईश्वर सर्वशक्तिमान है तो वह प्रकृति जीव अजीव सब कुछ वना सकता है।वह निमित्त कारण और उपादान कारण भी हो सकता है। स्वामी विवेकानंद जी को सादर प्रणाम
ईश्वर निराकार ही है जिसको ज्ञानीजन "ओम्" नाम से पुकारते हैं ओम् ही सभी कार्यो का कारण है, संस्कृत भाषा के बाद ही हर भाषा का जन्म हुआ है, इसलिये शुद्ध भाषा केवल संस्कृत ही है, जेसे:- एक श्रेष्ठ विद्वानो का कहना है, ऋषियो ने इस सृष्टि बनाने वाला का मुख्य गुण नाम "ओम् " को जाना है, "ओम्" तीन शब्द से मिलकर बना है, "अ" "उ" "म", सँस्कृत वर्णमाला के हिसाब से अकार, उकार और मकार से ईश्वर विराट, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ सिद्ध होता है, उसी ओम् ईश्वर का नाम अलग-अलग भाषा मे बिगाड़ा गया है, सिख कहते है ओंकार, मुस्लिम कहते है आमिन, ईसाई कहते है आमेन, बुद्धिस्त कहते हैं ओम् मणिपद्मे ॐ नम: शिवाय ॐ नम: भगवते वासुदेवाय ॐ नम: हनुमंते ॐ गण गणपति नम: ॐ लक्ष्मीनारायण ॐ साईं राम ये ओम् ही ईश्वर है,🚩🚩🚩
गोवर्धन पर्वत इसके बाप ने उठाया होगा अगर श्री कृष्णा ने नहीं उठाया है। इसके अनुसार आदमी 100 किलोग्राम का हो सकता है गोवर्धन पर्वत कैसे उठा सकता है?भागवत जो सब वेदों का सार है इसकी नजरों में उसकी कोई वैल्यू नहीं है तो दुनिया की नजरों में इसकी भी कोई वैल्यू नहीं है। हरे कृष्णा
आदि शंकराचार्य द्वारा साकारवाद का खंडन :- न स्थानतोSपि परस्योभयलिंगं सर्वत्र हि (वेदांत सूक्त 3.1.11) सूत्र का अर्थ करते हुए निम्न पंक्तियाँ शंकराचार्य ने लिखी हैं, जिनमें परब्रह्म के साकार पक्ष का प्रबल खंडन होता है -- "न तावत स्वत एव परस्य ब्रह्मण उभय लिंगम् उपपद्यते, न ह्योकं वस्तु स्वत एवं रूपादिविशेषाोपेतं तद् विपरीतं शक्यं विरोधात्। अस्तु। तर्हि स्थानतः पृथिव्यादि उपाधि योहादिति? तदपि नोपपद्यते। न हि उपाधि योगादपि अन्यादृशस्य वस्तुनोsन्यादृशः स्वभावः सम्भवति। न हि स्वच्छः सन् स्फटिको मणि अलक्तादिउपाधि योगादस्वच्छो भवति। अतश्चान्तरपिग्रहेsपि समस्तं निर्विकल्पं ब्रह्म प्रतिपत्तव्यम्। इत्यादिषु अपास्तसमस्तविशेषमेव ब्रह्म उपदिश्यते" भावार्थ --प्रथम तो परब्रह्म के अपने दो परस्पर विरोधी रूप नहीं हो सकते। क्योंकि एक वस्तु स्वयं अपने दो विरोधी गुण, कर्म और स्वभाव और स्वरूपादि नहीं रख सकता। अपने स्वभाव का विरोध होने के कारण। यदि पृथ्वी आदि की उपाधि से दो रूप मानों तो भी नहीं। क्योंकि उपाधि संयोग से भी एक अपने स्वाभाविक स्वरूप वाली वस्तु अन्य स्वभाव और स्वरूप वाली नहीं हो सकती। जैसे स्वच्छ स्फटिक, मणि, अलक्तक आदि उपाधि के संयोग से अस्वच्छ नहीं होता। अतः अन्य पृथिव्यादि के उपाधि योग से भी उस परब्रह्म् को निर्विकल्प ही जानना चाहिए । इसके विपरीत परस्पर विभिन्न स्वरूपों में नहीं | नैकस्मिन् सम्भवात् (वेदांत सूत्र -- २.२.३३) इस पर शंकराचार्य जी कहते हैं :-न ह्योकस्मिन् धर्मणि युगपत् सदसदादि विरुद्ध धर्मसमावेशः सम्भवति शीतोष्णवत्। अर्थात् एक द्रव्य में एक साथ दो परस्पर विरोधी गुण सत् और असत् नहीं रह सकते। यथा जल में शैत्य और उष्णता एक समय एक साथ कभी नहीं रह सकते। तथाहि ब्रह्म के दो विरोधी मूर्त और अमूर्त रूप सम्भव नहीं। अरूपवदेव हि तत् प्रधानत्वात्। ( 3.2.24) शंकराचार्य लिखते हैं- "रूपाद् आकार रहितमेव ब्रह्म अवधारयितव्यम्। न रूपादिवत्। कस्मात्? तत्प्रधानत्वात्। तस्मादेवं जातीयकेषु यथाश्रुतं निराकारमेव ब्रहावधारयितव्यम्। इतराणि तु आकारवद् ब्रह्मविषयाणि वाक्यानि न प्रधानानि। उपासनादि विधि प्रधानानि हितानि। तेषु असति विरोधे यथाश्रुतिमाश्रयितव्यम्। सत्सु विरोधेषु ततप्रधानेभ्यो बलवानपि भवन्तीति। एष विनिगमनाय हेतुः।येन उभयोष्वपिश्रुतिषु सतीषु अनाकारमेव ब्रह्मावधार्यम् न पुनर्विपरीतम् इति" भावार्थ- ब्रह्म को रूपदि आकर रहित ही मानना चाहिए ,न,कि रूपदि आकर वाल, निराकार साधक श्रुतियों के प्रधान होने के कारण। इसलिए वेद की पराधीनता से ब्रह्मा निराकार सिद्ध होता हैं। इसके विरुद्ध जो श्रुतियां ( उपनिषदादि वाक्य ) ब्रह्मा को साकार प्रकट करती है। वे वेद के सम्मुख अप्रधान अर्थात तुच्छ है। यदि इन वाक्यों से वेद की विरोध स्थिति उत्पन्न हो तो वेद को प्रधान प्रमाण मान कर उसके सिद्धांत को ही मानना चाहिये। चूँकि यह नियम है कि विरोध होने पर अप्रधान से प्रधान बलवान है अतः दोनों प्रकार के वाक्य मिलने पर ब्रह्मा को वेदानुकूल निराकार ही मानना चाहिये। इसके विपरीत साकार नहीं।
कुछ ऐसी वैचारिक धाराओं को मानने वाले जो हठपूर्वक जिद करते हैं कि ईश्वर निराकार है, मेरे पास उनके लिए निम्न प्रश्न हैं। १.क्या आप मानते हैं कि ईश्वर जो कुछ भी करते हैं उसे देखते हैं? यदि हां, तो आप स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी आँखें हैं, आप मानते हैं कि नहीं? २.क्या आप मानते हैं कि आपका परमेश्वर आपकी प्रार्थना सुनता है? यदि हां, तो आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास कान हैं, है ना? हवा जैसी निराकार चीज़ सुन नहीं सकती है। सही कहा ? ३. क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर दयालु है? तब फिर से आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास एक दिल है। फिर पानी जैसी निराकार चीज में दया के गुण नहीं हो सकते हैं?या हो सकते हैं? ४.क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर सर्वज्ञ है? वह अतीत और भविष्य जानता है? तब आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास एक मस्तिष्क है, क्या आप नहीं मानते हैं? आखिर, कीचड़ जैसी निराकार चीज़ को ज्ञान संबंधित कोई विचार हो सकता है? या यह संभव है? ५. क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर आपकी रक्षा कर सकता है? आपको बनाये रखता है । फिर उसके हाथ और पैर भी होंगे। उसका एक इरादा भी होगा आपकी रक्षा करने की, पोषण करने का। है। कभी किसी निर्जीव, निराकार चीज जैसे हवा के बारे में नहीं सुना कि वह किसी की रक्षा करती है। जब शास्त्र कहते हैं कि भगवान का कोई रूप नहीं है, तो इसका अर्थ केवल यह इंगित करना है कि उनका रूप हमारे जैसा दुनियावी (मंडेन) रूप नहीं है। उनका रूप सर्व शक्तिमान है और वह हमारी सभी भौतिक समझ से परे है । इसलिए ईशोपनिषद के मंत्र में यह कहा गया वह एक ही समय में चलता है और नहीं चलता है।
Pakhandi hai ek Number ka Isne bhagwat Gita bhi theek Se nhi padi...iski boli bhasha se samjh agya.. Geeta me Shri krishna ne Arjun ko Divya Drishti di taki wo krishna ka vishwroop darshan( sakar roop) ker sake ....jisme arjun ne swayam dekha ki unke hazaro mukh, hath ,pair hai unke roop ka na adi hai na ant hai... To unka sakar roop bhi hai aur nirakar bhi hai... jo hume shareer de sakta hai socho wo apna shareer nhi bana sakta...? Mitron Bhagwat gita sare vedo ka sar hai use jarur padhe ,apko aise pakhandi ki jarurat nhi padegi Geeta me krushna ne kaha " Aham sarvasya prabhavo mataha sarvam pravartate.. Arthat ishwer hi sabhi ka mool karan hai aur usi ke hi mat se sabhi bhooto ( jeev) , prakriti , vyakt aur avyakt ka vikas kerne wala hai ...🙏
Bhai hmare 4 वेद है वह भी पढ़ लेना शायद आपकी समझ में आ जाए ईश्वर क्या है सभी धर्म ग्रंथ चाहे गीता हो कुरान हो बाइबल हो कोई भी धर्म वेदों के सामने टिक नहीं सकता।
@@abhisheksihol6657 arre ja ke phle vedo ka saar jaan sanatan hi dharam h hari khathae psdh sunn jaan fir aa ved brahma se h aur wo shri hari se ved maa h hari pita h geeta aur ramcharitmanas h ja bacha tu to nullo se bhi jyada bhatka hua h
Jo arya samaj je chinthan aur Dayanand Saraswati ji ko apamaan kar rhae hei...woh yaad rakhe .arya samaj hi iss desh ko zyada se zyada swatantra senaaniyon ko diya hein
@@cookingwithannu22 जो पूर्ण परमात्मा होते हैं उनकी कभी भी मृत्यु क्यों नहीं होती हैं और भगवान कृष्ण की शिव की बर्मा की इन सब की मृत्यु होती है तो इनकी भक्ति करने वाले लोगों को मोक्ष नहीं मिल सकता
@@jagdishjagdishkarela4494 krishna ne karodo saal pehle Geeta suryadev ko bhi batayi thi 🗿aur rhi baat sakar hone pe koi problem nahi hai kuch banane me.... Parmatma tatv alag tatva he vo kuch bhi kr skte hai 🗿aur vo Krishna hai 🗿 yaha Rushi muni yog tap se chize la skte hai hai to Krishna yog Shakti se ye sristi bana bhi skte hai chala bhi skte hai...apne khud ki Shari ke roshni ko dekh rhe ho aap sirf aur usko tum nirakar man rhe ho 🗿Jai shree krishna
🎉 परमात्मा साकार निराकार नहीं है। 😊 यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। 🎉 परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है सत चेतन और आनन्द स्वरूप है। तो उसे निराकार कैसे कह सकते हैं? 🎉 परमात्मा को देखने के लिए दिव्य चक्षु चाहिए क्योंकि परमात्मा दिव्या साकार स्वरूप है। 🎉 परमात्मा सर्व व्यापक नहीं है संसार सांस परमात्मा की सत्ता से चल रहा है। लेकिन कंण कण में नहीं। परमात्मा सत्य है संसार असत है। परमात्मा चेतन है संसार जड़ है परमात्मा आनंद स्वरूप है संसार दुख रूप है। परमात्मा एक रस है संसार महाप्रलय के अंदर है। इसलिए परमात्मा कण कण में नहीं है।
ये समझने के लिए हमें शास्त्र पढ़ने चाहिए।खुद से नहीं समझना चाहिए।प्रामाणिक गुरु के पास जाना चाहिए।कोई भी निराकार वस्तु की उत्पत्ति साकार वस्तु से ही होती है। ईश्वर के बस में सब है,वो साकार रूप में भी रह सकते है,उसका अपना आकार भी है। ऐसा कहना उनको चुनौती देने के सामान है।हरी बोल
ये मूर्ख अज्ञानी फर्जी झंडू बाबा लोग है। यह क्या जानेगें भगवान और वेदों शास्त्रों को इनके जैसे नाष्तिक दुर्बुद्धि महामूर्ख लोग बहुत है हमारे संसार में और हुए भी ये सब ढोंगी पाखंडी लोग ने शास्त्रों वेदों का अनर्थ कर डाला अपने आप को तो जान नही सके अबतक और उलटा भगवान पर उगली करता हैं। यें गधें क्या जानोगें भगवान श्रीराम श्री कृष्ण कौन हैं। शास्त्रों वेदों का एक ज्ञान भी नही मालूम और फालतू अंडबंड बके जा रहा है ईश्वर निराकार ही हैं यें सब गलत है। भगवान सगुण साकार होते हैं। --- वेद कहता हैं... अणोरणीयान्महतो महीयानात्माऽस्य जन्तोर्निहितो गुहायाम् । तमक्रतुः पश्यति वीतशोको धातुप्रसादान्महिमानमात्मनः। (- कठोपनिषद् १.२.२०) भावार्थ:- इस जीवात्मा के हृदयरुप गुफा में रहने वाला परमात्मा सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म और महान से भी महान है। परमात्मा की उस महिमा को कामनारहित और चिंतारहित (कोई विरला साधक) सर्वाधार परब्रह्म परमेश्वर की कृपा से ही देख पाता हैं। ...फिर वेद कहता है---- विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात् । सं बाहुभ्यां धमति सम्पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन् देव एकः ॥ (- श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.३, यजुर्वेद १७.१९, अतर्ववेद १३.२६ ऋग्वेद १०.८१.३) भावार्थ:- सब जगह आँख वाला तथा सब जगह मुख वाला सब जगह हाथ वाला,और सब जगह पैर वाला, आकाश और पृथ्वी की सृष्टि करने वाला, वह एकमात्र देव (परमात्मा) मनुष्य आदि जीव को दो-दो हाथो से युक्त करता है तथा(पक्षी-पतंग आदि को)पांखों से युक्त करता है। .. फिर आगे और स्पष्ट हो जाता है.. वेद कहता है... या ते रुद्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी । तया नस्तनुवा शन्तमया गिरिशन्ताभिचाकशीहि ॥५॥ - (श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.५, यजुर्वेद १६.२) भावार्थ:- हे रूद्रदेव! तेरी जो भयानकता से सून्य(सौभ्य) पुण्य से प्रकाशित होने वाली तथा कल्याणमयी मूर्ती हैं। हे पर्वत पर रहकर सुख विस्तार करने वाले शिव! उस परम् शांति मूर्ती से (तू कृपा करके) हम लोगो को देख। वेदों ने भगवान की स्तुति किया..... सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् । स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१४॥ - (श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.१४,यजुर्वेद३१.१अतर्ववेद१९.६.१ ऋग्वेद १०.१०.१) भावार्थ:- वह परम् पुरुष हजारो सिर वाला हजारो आँख वाला और हजारों पैर वाला वह समस्त जगत को सब ओर से घेर कर नाभि से दस अङ्गुल ऊपर (हृदय मे)स्थित है। ..फिर आगे वेद कहता है---- त्वं स्त्री पुमानसि त्वं कुमार उत वा कुमारी । त्वं जीर्णो दण्डेन वञ्चसि त्वं जातो भवसि विश्वतोमुखः ॥ - (श्वेताश्वतरोपनिषद् ४.३/अतर्ववेद१०.८.२६) भावार्थ:- तू स्त्री है,तू पुरुष है, तू ही कुमार अथवा कुमारी हैं। तू बुढ़ा होकर लाठी के सहारे चलता है तथा तू ही विराटरुप मे प्रकट होकर सब ओर मुख-वाला हो जाता है।
उपर्युक्त वेदों के प्रमाणों का सार यह है कि भगवान अपने को प्रकट कर आँख,कान,हाथ ,पैर ,नाम (शिव),स्त्री, पुरुष, कुमार, कुमारी, बूढ़ा, तथा विराट रुप वाले हो जाते है और उनकी कृपा से उनको देखा जा सकता हैं। अतएव उपर्युक्त वेदों के प्रमाणों अनुसार भगवान का साकार स्वरुप होता है। हमारे सनातन धर्म में साकार भगवान के स्वरुप को 'परमात्मा' तथा 'भगवान्' कहकर सम्बोधित करते है। वेदों मे भगवान के निराकार स्वरुप का भी निरुपण है। उस परात्पर परब्रह्म परम-तत्त्व के तीन स्वरुप है। वेद में वेदांत में पुराण, गीता और कई ग्रथों में ब्रह्म, परमात्मा, और भगवान शब्दों का प्रयोग किया गया है। परम-तत्त्व के निर्गुण निर्विशेष निराकार स्वरुप को 'ब्रह्म' कहते है। ब्रह्म कुछ नही कर सकता उसमे कोई शक्ति प्रकट ही नहीं होती वह बस एक सत्ता मात्र है उसके (शरीर रुप) कार्य और अन्त:करण तथा इन्द्रिय रुप कारण नहीं है। वह जो जानने में न आने वाला, पकड़ने में न आने वाला, ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों, रंग और आकृति से रहित नित्य, सर्वव्यापक निराकार है। दूसरा है 'परमात्मा' परम-तत्त्व के सर्गुण साकार स्वरुप को परमात्मा कहते है। जैसे महाविष्णु उसके रुप है गुण है धाम(वैकुण्ठ लोक)है। ---गीता में कहा गया... (१५,१७/१३,१६) में.. अतएव परमात्मा साकार रुप है चर्तुभुज महाविष्णु इनका धाम वैकुण्ठ लोक है। परमात्मा ही सभी आत्माओं के अंदर निवास करते है तथा कर्मो का फल देते है परम-तत्त्व इस स्वरुप मे न्याय तथा पालन करता है। और तीसरा है 'भगवान' भगवान साकार होते है भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण इनमे समस्त शक्तिया प्रकट होती है सर्व आकर्षक तथा समस्त आनंद के श्रोत है, वे षड-एश्वेर्य पूर्ण अर्थात (असीमित)परम ईश्वर,परम पुरुष,परम नियंता, समस्त कारणों के कारण है यही परम सत्य है। जीव के कल्याण या लाभ से, भगवान को ग्रथों में ब्रह्म तथा परमात्मा से श्रेष्ठ बताया गया है। भगवान यानी भग+वान। 'वान' का अर्थ है धारण करने वाला जो 'भग' को धारण करें उसे 'भगवान' कहते है। ---भगवान बारे में पुराणों ने कहा-- ज्ञान,शक्ति,बल,ऐश्वर्य,शौर्य,तेज- इनका नाम भग है। ये सब अनन्त रुप से जिसमे वर्तमान हैं, वे भगवान हैं।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5 कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।। पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
No. All are not free to follow any thing . This laziness have destroyed Sanatan Dharm because of which we are worshipping false gods and society is getting destroyed.
@@swarupdas2552 Aap se Ek sawal he Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega. UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ? Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ? YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE Ek sawal ka jawab do pandit ji Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
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@@learngrowandtravel2020 Apne bilkul sahi kaha main bhi murti puja ke khilaf hoon lekin yeh so called sanatani samjh nahi samjh Raha hai toh main kya karun . Yeh murti puja nahi chorenge kyonki ismain ek Vishesh samuday ka fayada hai aur kuch powerful logo ka fayada hai isliye sacchai jante huwe bhi ankh band karke murti puja main lage hai.
💠परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Upnishad jise vedan kehte hein jo hr ved ka antim bhag hai,usme aatma ko paramatma ka ansh bataya hai,toh atma sab jivo mein Ram Krishn mein bhi toh hmm sab idhvsr ka ansh hai aur yhi bhagvad geeta bhi kehti hai.🙏 Hari AUM.🙏
सनातन धर्म का सच्चा हितैषी कौन? सर्व धर्मगुरु, कथावाचक परमेश्वर को निराकार बताते हैं। जबकि संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26-27, कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 52-59, बाईबल उत्पत्ति ग्रंथ आयत 1:26-27, गुरुग्रंथ साहिब पृष्ठ 1257 आदि का प्रमाण देते हुए बताते हैं कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है अर्थात मनुष्य सदृश्य साकार है, उसका नाम कविर्देव यानी कबीर साहेब है और हमें इसी परमेश्वर की भक्ति पूजा करनी चाहिए।
Aap se Ek sawal he Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega. UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ? Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ? YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE Ek sawal ka jawab do pandit ji Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
Niakar h kewal. Iswar bhagwan dewi dewata alag alag hote h. Dewi dewta ki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h vardan shaktiya milti h asali dewi dewata humare swarg lok m baithe h waha se shaktiya ati h dewdoot ate h unki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h Iswar karamyog se milta h use pooja ibadat ki jaroorat nahi h. Allha sakar h allha jabardasti pooja ibadat karwata h .
You are nature bounded living creatue. You have limit knowledge. Perhaps you have not studied Shrimadbhagwat gita properly. You are mayawadi + Other. So you are confused. Universe has been created by God who is Almighty & in both form aakar and sakar. Lord Krishna is God the creater of everything.
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपस्थिति में दिनांक 01/03/2022 को भारत के मध्य क्षेत्र में प्रभु यीशु की आत्मिक कलीसिया की तरफ से यह आदेश पारित हुआ है कि समस्त कलीसियाएँ, समस्त जातियां एवं समस्त अन्य जातियां पवित्र आत्मा का अनुसरण करें। क्योंकि परमेश्वर की योजना के अनुसार पूर्व दिशा के और उत्तर दिशा के भूभागों में (जो कि सफेद रोशनी के अन्दर हैं) परमेश्वर का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिन्हें हम आनेवाले दिनों में देखेंगे। तथा पश्चिम दिशा के और दक्षिण दिशा के भूभाग अन्धकार में रहेंगे।
I appreciate arya samaj that they strongly believe in brahmcharya and following the vedic scriptures. But they do not know that god is Personal not impersonal effulgence. The one gave shape to whole world is nirakar? This is even unacceptable. In arya samaj there no RASA because they are nirasa as they belive in impersonal god.
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It is said in Rigveda Mandal 9 Sukta 96 Mantra 17 that Kavirdev takes the form of a child. He grows up while performing leela. Due to describing the philosophy through poems, he gets the title of poet i.e. people start calling him sage, saint and poet, but in reality he is the Supreme God Kavir (Kabir Saheb) only.
Mind blowing explaining Guru ji kuchh kucch Hindu log ved upnishad our Geeta thik se samajh nahi pata hai esliye woo Eshwar ke doot means massenger ko apna Eshwar maan lete hai
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः | मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् || २५ || मैं मूर्खों तथा अल्पज्ञों के लिए कभी भी प्रकट नहीं हूँ | उनके लिए तो मैं अपनी अन्तरंगा शक्ति द्वारा आच्छादित रहता हूँ, अतः वे यह नहीं जान पाते कि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ | तात्पर्य : यह तर्क दिया जा सकता है कि जब कृष्ण इस पृथ्वी पर विद्यमान थे और सबों के लिए दृश्य थे तो अब वे सबों के समक्ष क्यों नहीं प्रकट होते? किन्तु वास्तव में वे हर एक के समक्ष प्रकट नहीं थे | जब कृष्ण विद्यमान थे तो उन्हें भगवान् रूप में समझने वाले व्यक्ति थोड़े ही थे | जब कुरु सभा में शिशुपाल ने कृष्ण के समाध्यक्ष चुने जाने पर विरोध किया तो भीष्म ने कृष्ण का समर्थन किया और उन्हें परमेश्र्वर घोषित किया | इसी प्रकार पाण्डव तथा कुछ अन्य लोग उन्हें परमेश्र्वर के रूप में जानते थे, किन्तु सभी ऐसे नहीं थे | अभक्तों तथा सामान्य व्यक्ति के लिए वे प्रकट नहीं थे | इसीलिए भगवद्गीता में कृष्ण कहते हैं कि उनके विशुद्ध भक्तों के अतिरिक्त अन्य सारे लोग उन्हें अपनी तरह समझते हैं | वे अपने भक्तों के समक्ष आनन्द के आगार के रूप में प्रकट होते थे, किन्तु अन्यों के लिए, अल्पज्ञ अभक्तों के लिए, वे अपनी अन्तरंगा शक्ति से आच्छादित रहते थे | श्रीमद्भागवत में (१.८.१९) कुन्ती ने अपनी प्रार्थना में कहा है कि भगवान् योगमाया के आवरण से आवृत हैं, अतः सामान्य लोग उन्हें समझ नहीं पाते | ईशोपनिषद् में (मन्त्र १५) भी इस योगमाया आवरण की पुष्टि हुई है, जिससे भक्त प्रार्थना करता है - हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् | तत्त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये || “हे भगवान! आप समग्र ब्रह्माण्ड के पालक हैं और आपकी भक्ति सर्वोच्च धर्म है | अतः मेरी प्रार्थना है कि आप मेरा भी पालन करें | आपका दिव्यरूप योगमाया से आवृत है | ब्रह्मज्योति आपकी अन्तरंगा शक्ति का आवरण है | कृपया इस तेज को हटा ले क्योंकि यह आपके सच्चिदानन्द विग्रह के दर्शन में बाधक है |” भगवान् अपने दिव्य सच्चिदानन्द रूप में ब्रह्मज्योति की अन्तरंगाशक्ति से आवृत हैं, जिसके फलस्वरूप अल्पज्ञानी निर्विशेषवादी परमेश्र्वर को नहीं देख पाते | श्रीमद्भागवत में भी (१०.१४.७) ब्रह्मा द्वारा की गई यह स्तुति है - “हे भगवान्, हे परमात्मा, हे समस्त रहस्यों के स्वामी! संसार में ऐसा कौन है जो आपकी शक्ति तथा लीलाओं का अनुमान लगा सके? आप सदैव अपनी अन्तरंगाशक्ति का विस्तार करते रहते हैं, अतः कोई भी आपको नहीं समझ सकता | विज्ञानी तथा विद्वान भले ही भौतिक जगत् की परमाणु संरचना का या कि विभिन्न ग्रहों का अन्वेषण कर लें, किन्तु अपने समक्ष आपके विद्यमान होते हुए भी वे आपकी शक्ति की गणना करने में असमर्थ हैं |” भगवान् कृष्ण न केवल अजन्मा हैं, अपितु अव्यय भी हैं | वे सच्चिदानन्द रूप हैं और उनकी शक्तियाँ अव्यय हैं |
Bhai ji Mene saare Dharam ke Kitaab padhaye hai Tumne TV serial our Mahabharat me dekha Wahi bataya hai Vedas Upnishad Our Geeta Sanskrit me padh tab jaankari mil jayege
Holy Bible (Genesis, page no. 2, chapter 1:20 - 2:5) Sixth day:- Animals and humans: After creating other creatures 26. Then God said, let us make man in our image and in our likeness, who will control all creatures.
Sirf vedh ki adhyayan hi santaniyon mei ektha lekar aane ka aur jaati ,panth,andhshraddha, paakhand ko dur karega🙏🚩om aryavart, jai dayanand saraswati ji
Guruji aap log ye knyu nhi samjte ki vo bhagvan he ve sarvsaktisali he ve bhagvan apni maya se sakhar bante he or nirakar bhi bante ,or vo hi jagat banate he or jagat ka ant bhi karte he
@@satya-sanatan1592 pehle baat to ye he ki isavar ko tarak ya vitark se jaana ya samaja jata nhi ,me agar javab de dunga to aap ek or saval kroge me ek or javab dunga or ye silsila chalta rehga tarak or vitark ka ,isliye mera javab ye he ki parmatma gayan ,budhi,tatav,panchmahabhut, se bhi unche he ,isliye vo karan ke bhi karan or mahakaran he ,bhgavan ko mana jata he savikar kiya jata he sandehe nhi kiya jata
Tumne iswer ko dekha hai kya ? Bs grantho me jo padha vhi bol rhe ho ved me nirakar iswer hai to geeta me saakar aur nirakaar dono hai , lekin sab milakr iswer ek hai
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः | मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् || २५ || मैं मूर्खों तथा अल्पज्ञों के लिए कभी भी प्रकट नहीं हूँ | उनके लिए तो मैं अपनी अन्तरंगा शक्ति द्वारा आच्छादित रहता हूँ, अतः वे यह नहीं जान पाते कि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ | तात्पर्य : यह तर्क दिया जा सकता है कि जब कृष्ण इस पृथ्वी पर विद्यमान थे और सबों के लिए दृश्य थे तो अब वे सबों के समक्ष क्यों नहीं प्रकट होते? किन्तु वास्तव में वे हर एक के समक्ष प्रकट नहीं थे | जब कृष्ण विद्यमान थे तो उन्हें भगवान् रूप में समझने वाले व्यक्ति थोड़े ही थे | जब कुरु सभा में शिशुपाल ने कृष्ण के समाध्यक्ष चुने जाने पर विरोध किया तो भीष्म ने कृष्ण का समर्थन किया और उन्हें परमेश्र्वर घोषित किया | इसी प्रकार पाण्डव तथा कुछ अन्य लोग उन्हें परमेश्र्वर के रूप में जानते थे, किन्तु सभी ऐसे नहीं थे | अभक्तों तथा सामान्य व्यक्ति के लिए वे प्रकट नहीं थे | इसीलिए भगवद्गीता में कृष्ण कहते हैं कि उनके विशुद्ध भक्तों के अतिरिक्त अन्य सारे लोग उन्हें अपनी तरह समझते हैं | वे अपने भक्तों के समक्ष आनन्द के आगार के रूप में प्रकट होते थे, किन्तु अन्यों के लिए, अल्पज्ञ अभक्तों के लिए, वे अपनी अन्तरंगा शक्ति से आच्छादित रहते थे | श्रीमद्भागवत में (१.८.१९) कुन्ती ने अपनी प्रार्थना में कहा है कि भगवान् योगमाया के आवरण से आवृत हैं, अतः सामान्य लोग उन्हें समझ नहीं पाते | ईशोपनिषद् में (मन्त्र १५) भी इस योगमाया आवरण की पुष्टि हुई है, जिससे भक्त प्रार्थना करता है - हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् | तत्त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये || “हे भगवान! आप समग्र ब्रह्माण्ड के पालक हैं और आपकी भक्ति सर्वोच्च धर्म है | अतः मेरी प्रार्थना है कि आप मेरा भी पालन करें | आपका दिव्यरूप योगमाया से आवृत है | ब्रह्मज्योति आपकी अन्तरंगा शक्ति का आवरण है | कृपया इस तेज को हटा ले क्योंकि यह आपके सच्चिदानन्द विग्रह के दर्शन में बाधक है |” भगवान् अपने दिव्य सच्चिदानन्द रूप में ब्रह्मज्योति की अन्तरंगाशक्ति से आवृत हैं, जिसके फलस्वरूप अल्पज्ञानी निर्विशेषवादी परमेश्र्वर को नहीं देख पाते | श्रीमद्भागवत में भी (१०.१४.७) ब्रह्मा द्वारा की गई यह स्तुति है - “हे भगवान्, हे परमात्मा, हे समस्त रहस्यों के स्वामी! संसार में ऐसा कौन है जो आपकी शक्ति तथा लीलाओं का अनुमान लगा सके? आप सदैव अपनी अन्तरंगाशक्ति का विस्तार करते रहते हैं, अतः कोई भी आपको नहीं समझ सकता | विज्ञानी तथा विद्वान भले ही भौतिक जगत् की परमाणु संरचना का या कि विभिन्न ग्रहों का अन्वेषण कर लें, किन्तु अपने समक्ष आपके विद्यमान होते हुए भी वे आपकी शक्ति की गणना करने में असमर्थ हैं |” भगवान् कृष्ण न केवल अजन्मा हैं, अपितु अव्यय भी हैं | वे सच्चिदानन्द रूप हैं और उनकी शक्तियाँ अव्यय हैं |
@@rahulpaswan5624 haa kyuki shri krishna us ishwar ke saakar roop hai jo vedo mein bataya gya tabhi wah Geeta mein bhi yahi baat kehte hai aur vedo mein bhi likha hai ki us ishwar ka nirakar roop hai lekin ek jo ki hai shri krishna isliye unke sakar roop ko jaan ne ke liye unhone Geeta kahi
ईश्वर निराकार है यह सत्य है
Daya aati he aap jese logo ke upar aap Shree Krishna ji aur Shree Ram ji ko kabhi nahi samaj sakte jo
Kyo kya hua sahi to kah rhe hi apko takleef isliye hi rhi hi kyoke ap pakandhi ho😂 pakhandi kabhi bhe sahi rastey par nhi chlega ram or krisha ko iswar ne kyo bheja tha btao pta hi to
सृष्टि हाथ से नहीं बन सकती ।।। इतनी विशाल सृष्टि परमात्मा के विचार से हि बन सकती ह्
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं निराकार में ही हूं। जो मेरे निराकार रूप से सन्तुष्ट नहीं होते उसे मैं साकार रूप में ही प्राप्त हूं।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं की मैं निराकार से नहीं निराकार मुझसे है! जिस प्रकर से एक फूल होता है और उसकी खुशबू होती है! फुल सकार का प्रतीक है और उसकी खुशबू निराकार का प्रतीक है!इस प्रकार फूल से खुशबू है खुशबू से फूल नहीं।
जो भगवान श्री कृष्ण के अंदर से तेज निकलता है, उसे व्यक्ति देख नहीं पाता जिस कारण उसे निराकार समझ बैठता है,
अर्जुन भी भगवान के दिव्य रूप को देखने में असमर्थ था तो उसे भगवान ने दिव्य दृष्टि प्रदान की थी तब वहां भगवान का रूप देख पाया।
ईश्वर हां पर मां कृष्णा सच्चिदानंद विग्रह निर्विकार निर्विकार आए। सर्व कारण कारण हा।
Hare krishan❤
Ye sab jhut h
Aap galat baat bol rahe ho
कृष्ण भगवान अर्जुन को क्या कहते हैं अर्जुन तू उस परमात्मा की शरण में जा जहां से कोई वापस नहीं तो वह किसका कह रहे हैं भगवान कृष्ण कीर्तन मृत्यु होती हैं तो फिर वह परमात्मा कौन है बताइए
@@jagdishjagdishkarela4494 jaisa tumhe smjhaya gya hai aap vhi bol rhe hai. Bina shktiman k koi shkti nhi hoti.
@@ManojRajput-jv5sx वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान है
ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानंद विग्रह: ।
अनादिरादिर्गोविंद: सर्वकारणकारणम् ।।💯
Bhai jiskebpaas body hai wo loard hai god nahi
@@alilion1608learn english brother
@@alilion1608 achcha to Shri Krishna 7 sal ki umra mein kani ungali mein Govardhan parvat utha lete hain to tu bhi utha le 😂😂🤗🌷🌷🤗🤗
@@kusummahant4186 पुराण छोड़ कर महाभारत पद
@@harsh312harshh mahabharat bhi ek shastra he hai mere bhai
Ishwar sakar aur nirakar dono he
Hare Krishna
ईश्वर साकार है और निराकार भी, जिस तरह जिस तरह जीव का मूल रूप आत्मा निराकार है, और जब शरीर धारण करती है तो साकार कहलाती है,
फिर ईश्वर तो सबकुछ कर सकता है, अपनी माया से साकार रूप में प्रकट होता है,
ॐ सच्चिदानंद रुपम🙏
स्वामी जी को प्रणाम 🙏 भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा है मैं ही ईश्वर हु और अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया है जिसका वर्णन भगवत गीता मे है और ये आम आदमी से संभव नहीं है 🙏🙏 जय श्री कृष्णा 🙏🙏
Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ?
Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ?
YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE
PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
तू अजर अमर मरमेश्वर देह कभी नधरे विन कान सुने बिन पैर चले विन हाथ करोडो काम करे तू पिता है हम सब पुत्र तेरे भोजन दे सव का पेट भरे तू हाकिम सारी दुनिया का तेरा हुक्म कभी टाले न टले हर जगह पे भगवन बास तेरा हो महाप्रलय तो भी न मरे इस सारे संसार की फुल बगीया का तूही माली है सो लीला तेरी अजब निलाली है सो माया तेरी अजव निराली है जै जै श्री श्यम सुन्दर गुरुजी! भजन तो यह बहुत बड़ा है और ग्यान अपरम पार है
भगवान साकार भी है और निराकार भी है
Sakar bhe hi 😂 to phir ye pure duniya ko dikhye kya nhi deta
जय श्री राम 🚩
Swami Dayanand ki kismat itne bekar thi ki vo Aankh ho kar bhi bhagwan ka itna sunder chehra nahi dekh saka. Mayavadi
Wo vedo k gyata the, tum logo ki tarah pakhandi nhi jo khud se bhagwan bana k u ki puja kro
@@आदित्यप्रतापसिंह and all mayavadi including him . Jo krishna or ram ko kalpanik batay mujhe ese log se hate hai
@@आदित्यप्रतापसिंह hum pakhandi nahi . Me to krishna ka❤️
@@shubhamsisodiya7131 kalpanik nhi manta, but ishwar bhi nhi manta, agar shri krishna ishwar the to ek particular time period k liye hi kyu aaye, ishwar to sarw wyapak h
@@shubhamsisodiya7131 aapka pauranik mat vedo k virudhh hai
Param pita Parmatma niraakar hai ji dass ne iss param pita Parmatma ke Darshan kr liye hai ji 🙏
Nirakar ke darshan kis rupe mai kiya ??
Kis rup me Darshan kiye jiska roop hi nahi hai o Darshan kaise diye
. APNE HRUDAY ME..❤
Krishna param Bhagwan hai
Sheemad Bhagwad Geeta
Is the Best Praman which is
Accepted by Samvidhan of
BHARAT….that is India
आर्य समाज जी महाराज की बात सत्य है जीव जन्म लेता है और जीव ही शरीर छोड़ता है आत्मा और परमात्मा तो दोनों अजन्मा है जीव निराकार का अंश है ईश्वर अंश जीव अविनाशी यह रामायण का तथ्य है लेकिन जहां आत्मा और परमात्मा की बात आती है वह भी रामायण में वर्णन है सोहम मर्सी इति ब्रह्म खंडा दीपशिखा सॉरी परम पर चंदा अर्थात आत्मा और परमात्मा संसार से सर्वदा अलग है इसी बात को वेद कहते हैं परमात्मा ईश्वर जीव प्रकृति से सर्वदा अलग है जैसे कुमार ने गढ़ा बनाया लेकिन कुमार घड़े के अंदर नहीं है घड़े में कुमार की कलाकारी है ऐसे ही परमात्मा ने संसार बनाया लेकिन परमात्मा संसार के अंदर नहीं हैं परमात्मा की सत्ता संसार में काम कर रही है लेकिन परमात्मा संसार से अलग है इसी बात को कबीर जी कहते हैं पिंड में होता मरता ना कोई अर्थात शरीर के अंदर परमात्मा होता तो किसी की भी मृत्यु नहीं होती ब्रह्मांड में होता देखता सब कोई संसार के कण-कण में पारब्रह्म होते सबको दिखाई देता पिंड ब्रह्मांड दो से न्यारा कहे कबीर सोई सोई हमारा यह सारे आंकड़े जागृत बुद्धि से खुलते हैं शास्त्रों में तो सब कुछ बता दिया लेकर जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूं
Dhan nirankar Swami ji🙏❤❤
Hare Krishna ❤️🙏
सादर नमस्ते स्वामीजी महाराज 🙏🙏💐💐💐🌺🌺🥀🌹
भ्रमित ज्ञान दे रहे हैं। ईश्वर परम् कृष्ण सच्चिदानंद विग्रह🙏
आप समझ नहीं पा रहे ज्ञान को ये आपकी समस्या है अज्ञान मूल कारण है
Ramanand sampradaya follow Karo Arya samaj ke matter pe interfere mat karo
तुज सगुण म्हणू की निर्गुण रे
सगुण निर्गुण एकू गोविंदू रे
तुज साकारू म्हणू की निराकारू रे
साकारू निराकारू एकू गोविंदू रे
शरीर कि छम्ता के हिशाब् से वजन् उठाता हैं अगर इंसान तो श्री कृष्णा जी ने कैसे उठाया भाई श्री गोवर्घन पर्वत्
Lord Krishna said in Geeta Fools not knowing my supreme nature
You are a Fool to beleive Krishna as supreme. The supreme has no Name.
Aur usi Krishna ko charon Vedon ka gyata kaha gaya hai. Kisi Puraan ka nahi bewakuf
Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ?
Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ?
YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE
PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
भगवान मे सगुण साकार और निर्गुण निराकार दोन्होही रूप की क्षमता समाई हुयी है,,,भगवान के शक्ती से सारा विश्व बना है,,,जय श्रीकृष्ण भगवान
अगर ईश्वर हमें बना सकता है तो क्या वो इतना कमजोर है कि वो खुद का रूप नही बना सकता । ? चच्चा भागवद गीता यथारूप पढो तब समझ आएगा , ईश्वर साकार के साथ निराकर भी है
Ishwar itna kamzor hain ki apne rules khud todna pare ?
Agar wo sakar hoga to 5 indriyo k under aajayega, aur ishwar kisi k adheen nhi ho sakta
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।
हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।।
Haa bhai ishwar sakar hai jo ki upanishad mein bhi bataya gya hai aur Geeta mein likha hai ki shri krishna hi us nirakar ishwar ka saakar roop hai to ishwar dono nirakar aur sakar dono hai isliye nirakar ko ishwar aur sakar roop ko bhagwan kaha gya aur saare dev us saakar roop ke avtar hai
@@vivekpal9780 kaun sa upanishad me padh liye bhai 😂
@@आदित्यप्रतापसिंह shweta shrot upanishad4:1 said ki ishwar sakar aur nirakar dono hai
ISHWAR PARAM KRISHNA
ADI SACHIDANAND VIGRAHA
ANADIR ADI GOVINDA SARVA KARANA KARANAM.
Right ❤❤❤❤
Ye Lok Krishna Bhagwan ko sarir dharan kheta ha lakin sarir or sarup bilkul alagh❤
क्या देवी देवताओ के पशु पक्षियों के मुख हो सकते है??
*समीक्षा*:: जिन्होने कसम खा ली है कि अन्धविस्वास् , पाखण्ड , अज्ञान व कल्पनाओं से कभी बाहर नही निकलेंगे उन्हें सत्य, सरल व सीधी बाते अनर्गल प्रलाप दिखाई देती है
शनि नामक देवता का रथ कौआ रूपी देवता खिंचे तो यह धर्म है, कोई प्रश्न कर दे कि भैया यह उड़ने वाला पक्षी है इसे घोड़े की तरह दौड़ाओ मत, इसे उड़ाओ । तो यह सत्य बात अनर्गल प्रलाप है।
सूर्य को एक बालक निगल जाए तो यह धर्म है , कोई प्रश्न कर दे कि पृथ्वी से डेढ़ लाख गुना बड़ा सूर्य भला कोई कैसे अपने मुँह में भर लेगा तो यह सरल सी बात अनर्गल प्रलाप है
किसी देवता के हाथी का मुंह
किसी के शेर का मुँह
किसी देवता के चार चार मुहँ
जटायु को पक्षी बनाकर उसकी चोंच बना दी।
ये सब व्याकरण के अलंकार है, प्रसंग अनुसार शब्दो के अर्थ बदले जाते है किन्तु गुरुकुलीय शिक्षा नष्ट होने के कारण मूर्ख पंडो ने इन सभी को ज्यों का त्यों सत्य मानकर हिन्दू समाज को मूर्ख बनाया
*अब सत्य सरल सिद्धान्त जान लो*
संस्क्रत भाषा मे सभी शब्दो के उच्चारण के लिए मनुष्य का मुख होना ही पड़ेगा , मनुष्य की तरह होठ, तालु, जीभ व दांतो का क्रम अनिवार्य है।
क्योकि सँस्कृत में कुछ शब्द होठो को दबा कर बोले जाते है, कुछ तालु के प्रयोग से , कुछ दांतो के प्रयोग से , कुछ जीभ के प्रयोग से , कुछ होठो को गोल बनाकर, कुछ फूँक मार कर ।
मनुष्य की भाषा , मनुष्य के अलावा कोई जानवर नही बोल सकता फिर अगर हनुमान बन्दर होते , गणेश का मुँह हाथी का होता, जटायु के चोंच होती तो वेदो का शुद्ध उच्चारण कैसे करते, वेदो का उच्चारण तो छोड़ो , मनुष्यो की बोली भी नही बोल पाते , किन्तु किष्किंधा कांड में श्री राम कहते है हनुमान जी द्वारा इतना शुद्ध उच्चारण कोई वेदो का ज्ञाता ही कर सकता है।
पर देखो , कलपनाओ व अंधविश्वास में जीने वाले हिन्दुओ ने हाथी के मुख से , जटायु व सम्पाती गिद्ध की चोंच से, चूहे के मुख से , बन्दर के मुख से , भैस के मुख से मनुष्यों की बोलियां निकलवा दी ।
अरे हिन्दुओ ये पशु पक्षी नही थे, महान मनुष्य ही थे। जिन्हें पशु कहकर धर्म का अपमान मत करो।
Kisi machar k sammne agar tum culture, politics, science ke baat kroge ....tho us macchar ko yahi lage ga ke kya baat kr rhe hai...Usko kya samjh ye ho kya baat kr rhe hai...usi parkar hum apni buddhi ko inko hum kalpaniye mante hai...q nirakar k chakkar mein pad rha hai. Hare Krishna hare ram bol sab samjh aayga ke krishna kon hai. Sakar hai ya nirakar...Ek tarfa mat faisla kr.murkh Pradi iskcon mandir aaja jeevan safal ho jayega.
सत्य
यह पोस्ट मुजे भेजो
सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक कहाँ मिलेगा ?
Ise hindu nhi balki moorkh kah rhe he
Om SaJal Sradhdha Om Prakhar PraGYa Om Dada Guru Om GaYaTrI MaTa Om SaraSwaTI MaTa Om SaVITrI MaTa Om TaT SaT Prabhu ParmaTa IShwar ParmeShwar Om Om Om Om
Reasons why “Krishna is the Supreme GOD”
Why is Krishna God?
1. Lord Brahma confirms in Brahma Samhita
Once Lord Brahma wanted to test Krishna’s power, he gave all his calves and cowherds. Hid friends and placed them in a different place. When a full year had passed, Brahma returned and saw that Krishna was still engaged in sports as usual with his friends and calves and cows. Then Krishna displayed all the calves and cowherds in the four arms and armed forms of Narayana. Then Brahma could understand the power of Krishna, Krishna bestowed his innocent mercy on Brahma and freed him from confusion. At that time Lord Brahma prayed to sing the glory of the Supreme Personality of Godhead ..
pasyesa me nayam ananta adye
paratmani tvayy api mayi-mayini
maya vitatyeksitum atma-vaibhava
hy aha kiyan aiccham ivarcir agnau
My God, just look at my rude disqualification! To test your power I tried to confuse you, you who are unlimited and divine, and also the master of illusion. Who am I comparing you to? I am like a small spark in the presence of a great fire. (Srimad-Bhagavatam 10.14.11)
Lord Brahma also says in Brahma-samhita prayers.
isvarah paramah krsnah
sac-cid-ananda-vigrahah
anadir adir govindah
sarva-karana-karanam
Krishna is the supreme deity known as Govinda. He has an eternal blissful spiritual body. He is the origin of all. He has no origin and is the prime cause of all causes. (Brahma-samhita 5.1)
2. Lord Shiva confirms
Lord Shiva is a partial incarnation of Lord Krishna and he is in charge of ignorance or tamo-virtue among the three qualities of material nature. He takes charge of destroying the universe at the time of destruction. He is also considered to be the highest devotee to the highest Vaishnava, or Lord Krishna. They are believed by people to be Gods in the false misconception.Lord Shiva prays while instructing the sons of King Prachinabarhi about the absolute truth:
namas ta ashisam isha
manave karanatmane
namo dharmaya brhate
krsnayakuntha-medhase
purusaya puranaya
sankhya-yogeshvaraya ca
My dear lord, you are the supreme blessing giver and always joyful. You are the master of all spiritual philosophies of the world, because you are Lord Krishna, the supreme cause of all causes. You are all religious principles, supremely intelligent, and you have a brain that can never be confused with any condition. So, I salute you again and again. (Srimad Bhagavatam 4.24.42)
Lord Shiva, gives further instructions…
yah param ramhasah saksat
tri-gunai jiva-samjnitat
bhagavantam vasudevam
prapannah sa priyo hi me
Anyone who has surrendered to the Supreme Personality of Godhead, Krishna, who is the physical nature as well as the living entity, the controller of everything, - he is indeed very dear to me. (Srimad-Bhagavatam 4.24.28)
All Glories to Srila Prabhupada !!! Hare Krishna !!!
@Satya Sanatan Vedic Dharm Hare Krishna hare Krishna krishna krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare.
Krishna tumhe subh buddhi de.
Love you brother
Bhai, ye jo aap bata rhe hai na, ISKCON me mujhe ye bataya gya tha me kai mahino se ISKCON se jura hu, aur me to Krishna bhagwan ko hi parmeshwar manta hu, mala bhi krta hu, prasad chadhata hu.
Par bhai mene dekha ki vedas padhne wale nirakar ko mante hai, to me bara confuse hua, waha ISKCON me Krishna bhagwan ko parmeshwar batate hai aur sara proof bhi dete hai, me pura satisfy hua tha.
But vedas ka study kiya to thora Confusion aa rha hai bhai.
Kya sahi hai kya galat samjh nhi aa rha,
Gita me bhagwan jo updesh diye hai usse pata chalta hai ki ishwar Krishna hi hai aur sakar hai.
Par aese bohot se questions aate hai man me ki Krishna bhagwan ne ran chhor k kyu bhaga to ISKCON me batae ki ye leela hai.
Matlab bhai waha ISKCON me kuchh bhi aesa bat hota hai to bol dete hai ye bhagwan ka leela hai,
Aur jo vedas padhne wale hai, wo bolte hai ki ye jitni baate gita me likhi hai jo darshata hai ki ishwar sakar hai wo milawati hai, aur purana hai wo likhi gai kahaniya hai asli nhi hai.
Asli ved hai, par bhai nirakar kaese, agar nirkar hai na ishwar to bhakti krne ka jada maja nhi hai bhai, kyuki feer ham nirakar ki seva kaese kr sakte hai.
Aur jo asli sukh milta hai wo Krishna jo bole hai gita me wo padh k aur unka name leke milta hai,
Me to pura confuse ho gya hu bhai, vedo se, ved bhi to jaruri hai na.
Par agar gita me milawat kr sakte hai to ved me kyu nhi.
Me pura confuse hu, ishwar rashta dikhaye.
🙏🏻💐
@Fk Chinese Virus vedas mai likha hai, atharva veda 11.7.24 mai likha hai ki all the vedas and the puranas and the devas became manifest from the Lord
According to Taittriya Aranyak Upanishad 2.9
"Yad brahmanan itihasa puranani."
Translation: "The Puranas and Itihasas are the vedas"
Chandogya Upanishad 7.1.4 states that
"Nama va rig-vedo yajur-vedah sam-veda
Atharvanas caturtha itihasa-Puranah panchamo vedanam vedah
Translation: "Rig , Yajur , Sam , Atharva are the name of the four vedas and the Puranas and Itihasas are the fifth veda
@@srvpostsvlog Rann chorr ke bhaage thhe kyuki jo asur tha usne Brahmano ki sena banai thi, harr baar KRISHNA se haar jaane par uss asur ne iss baar Brahman Sena banai and isliye Brahmano ko kuch na ho jaaye isliye unhone Rann chorr diya.
Now ISKCON says leela hai aisa kyu kehte hai woh log iska reference hame Ramayan mein milta hai jaha ke Parvati maata sita ka roop leke Ram ji ke saamne jaati hai yeh confusion clear karne ko ki asli bhagwan aisa behave thodi karega apne wife ke liye aise royega thodi , shiv ji ne unse kaha yeh leela kar rahe hai doubt nahi karte but Parvati maata ne maana nahi aur sita ji ka roop leke Ram ji ke saamne gyi toh turant Ram ji ne kaha Parvati yaha jungle mein akeli kya kar rahi ho aur pati kaha hai tumhare, wapas roop leke aayi phir se Ram ne kaha Parvati yaha kya kar rahi ho.
Parvati jo swayam Maaya hai usse Prabhu Ram ne pehchan liya toh Parvati maata ko vishwash ho gya ki yeh hi bhagwan hai aur leela kar rahe hai.
Isliye ISKCON mein kehte hai ki Rann Chorr ke jasna leela hai aap Senior Devotees se pooch sakhte hai (thik hai leela hai but reason kya hai ?)👍👍
Hope I am able to clear your doubts🙏
Hare Krishna 🙏
@Fk Chinese Virus Actually what you are saying as Murti is wrong it is called Vigraha and iske upar ek pura dedicated scripture bhi hai called "Naradapancharatra" you can check yourself 👍
And yes Bhakti zaroori hai but Vigraha seva galat nahi hai and Murti puja and Vigraha seva mein bahut Diffrence hota hai and maine aapko scripture ka name bhi provide kar diya you can check 🙏
Hope I your doubts are cleared
Hare Krishna 🙏
ईश्वर साकार हे
निराकार ही अपना साकार रूप लेता है।। मृत्यु लोक में आकर लीला करने के लिए।। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को भी अपनी बनाई हुई सृष्टि में विचरण करना चाहिए।।
Nirakar Nice explained ....almost same as islamic believe.
Mohammad sahab read ved after that wrote kuran
Bina shaktiman ki Shakti ho hi Nahi Sakti, eshoupnishad pado sab samjaayega,
Sach much Mai aap hin satguru hai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*इस सारे समस्त ब्रह्मांड मे निराकार जैसी कोई चीज संभव नहीं है...फिर चाहे ईश्वर हो या कोई और.*
@DIABOLIC
*आरे निराकार बोलके खुद ही के बात का खंडन करे जा रहे हो क्या...वेद क्या कोई अंतिम सत्य है क्या जिसको आंख बंद करके माने...गलत लिखा है मतलब गलत लिखा है...निराकार जैसी कोई चीज संभव है ही नही...क्या कुछ भी फेके जा रहे हो.*
@DIABOLIC
*मेरे कौनसे ग्रंथ ये मूझे पता नही था...कौनसे ग्रंथो की बात कर रहा है?*
@DIABOLIC
*बात ईश्वर की हो रही है जिसका अस्तित्व है नही...बिचमे Consiousness ये वो मत घुसेडो...सीधा पॉइंट पे बात करो...ईश्वर निराकार कैसे है...पहले तो निराकार का अर्थ बताओ...तभी बात आगे बढ़ेगी.*
@@Confucianism03030
*कॉमेंट पहले ठीक से पढ़ गधे...ब्रह्मांड है वो ब्राह्मण नही.*
Death nirakar h Jo Param balwan h so Jo nirakar h vhi iswar h
ईश्वर साकार और निराकार दोनो रूप में है यह व्यक्ति के नजरिये एवं आस्था पर निर्भर है ।हनुमानजी का सुन्दर काण्ड पढना एवं भगवद गीता पढना सब समझ में आ जाएगा एवं आपके सभी प्रश्नो का उत्तर मिल जाएगा ।
Jai shri krishna 🙏🙏🙏bhala karen
जब ईश्वर प्रकृति और अनन्त जीवन सब अनादि है तो ईश्वर सर्व शक्तिमान कैसे ? यदि ईश्वर सर्वशक्तिमान है तो वह प्रकृति जीव अजीव सब कुछ वना सकता है।वह निमित्त कारण और उपादान कारण भी हो सकता है। स्वामी विवेकानंद जी को सादर प्रणाम
ईश्वर साकार बि हे निरकार बि हे दोनो हे ईश्वर माता बि हे पिता भि हे सत्या सनातन कि जय
सही बात
Dhruv maharaj,prahlad maharaj in sab ne Vishnu bhakti ki thi,aur Vishnu sakar hai❤❤
परमात्मा साकार है या निराकार नहीं है परमात्मा के हम दर्शन कर सकते हैं
परमात्मा निराकार है
ईश्वर निराकार ही है जिसको ज्ञानीजन "ओम्" नाम से पुकारते हैं ओम् ही सभी कार्यो का कारण है,
संस्कृत भाषा के बाद ही हर भाषा का जन्म हुआ है, इसलिये शुद्ध भाषा केवल संस्कृत ही है, जेसे:-
एक श्रेष्ठ विद्वानो का कहना है, ऋषियो ने इस सृष्टि बनाने वाला का मुख्य गुण नाम "ओम् " को जाना है, "ओम्" तीन शब्द से मिलकर बना है, "अ" "उ" "म", सँस्कृत वर्णमाला के हिसाब से अकार, उकार और मकार से ईश्वर विराट, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ सिद्ध होता है, उसी ओम् ईश्वर का नाम अलग-अलग भाषा मे बिगाड़ा गया है,
सिख कहते है ओंकार,
मुस्लिम कहते है आमिन,
ईसाई कहते है आमेन,
बुद्धिस्त कहते हैं ओम् मणिपद्मे
ॐ नम: शिवाय
ॐ नम: भगवते वासुदेवाय
ॐ नम: हनुमंते
ॐ गण गणपति नम:
ॐ लक्ष्मीनारायण
ॐ साईं राम
ये ओम् ही ईश्वर है,🚩🚩🚩
गोवर्धन पर्वत इसके बाप ने उठाया होगा अगर श्री कृष्णा ने नहीं उठाया है। इसके अनुसार आदमी 100 किलोग्राम का हो सकता है गोवर्धन पर्वत कैसे उठा सकता है?भागवत जो सब वेदों का सार है इसकी नजरों में उसकी कोई वैल्यू नहीं है तो दुनिया की नजरों में इसकी भी कोई वैल्यू नहीं है। हरे कृष्णा
😂😂
हरे कृष्ण
Hare krishana
आदि शंकराचार्य द्वारा साकारवाद का खंडन :-
न स्थानतोSपि परस्योभयलिंगं सर्वत्र हि
(वेदांत सूक्त 3.1.11)
सूत्र का अर्थ करते हुए निम्न पंक्तियाँ शंकराचार्य ने लिखी हैं, जिनमें परब्रह्म के साकार पक्ष का प्रबल खंडन होता है
-- "न तावत स्वत एव परस्य ब्रह्मण उभय लिंगम् उपपद्यते, न ह्योकं वस्तु स्वत एवं रूपादिविशेषाोपेतं तद् विपरीतं शक्यं विरोधात्। अस्तु। तर्हि स्थानतः पृथिव्यादि उपाधि योहादिति? तदपि नोपपद्यते। न हि उपाधि योगादपि अन्यादृशस्य वस्तुनोsन्यादृशः स्वभावः सम्भवति। न हि स्वच्छः सन् स्फटिको मणि अलक्तादिउपाधि योगादस्वच्छो भवति। अतश्चान्तरपिग्रहेsपि समस्तं निर्विकल्पं ब्रह्म प्रतिपत्तव्यम्। इत्यादिषु अपास्तसमस्तविशेषमेव ब्रह्म उपदिश्यते"
भावार्थ --प्रथम तो परब्रह्म के अपने दो परस्पर विरोधी रूप नहीं हो सकते। क्योंकि एक वस्तु स्वयं अपने दो विरोधी गुण, कर्म और स्वभाव और स्वरूपादि नहीं रख सकता। अपने स्वभाव का विरोध होने के कारण। यदि पृथ्वी आदि की उपाधि से दो रूप मानों तो भी नहीं। क्योंकि उपाधि संयोग से भी एक अपने स्वाभाविक स्वरूप वाली वस्तु अन्य स्वभाव और स्वरूप वाली नहीं हो सकती। जैसे स्वच्छ स्फटिक, मणि, अलक्तक आदि उपाधि के संयोग से अस्वच्छ नहीं होता। अतः अन्य पृथिव्यादि के उपाधि योग से भी उस परब्रह्म् को निर्विकल्प ही जानना चाहिए । इसके विपरीत परस्पर विभिन्न स्वरूपों में नहीं |
नैकस्मिन् सम्भवात् (वेदांत सूत्र -- २.२.३३)
इस पर शंकराचार्य जी कहते हैं :-न ह्योकस्मिन् धर्मणि युगपत् सदसदादि विरुद्ध धर्मसमावेशः सम्भवति शीतोष्णवत्।
अर्थात् एक द्रव्य में एक साथ दो परस्पर विरोधी गुण सत् और असत् नहीं रह सकते। यथा जल में शैत्य और उष्णता एक समय एक साथ कभी नहीं रह सकते। तथाहि ब्रह्म के दो विरोधी मूर्त और अमूर्त रूप सम्भव नहीं।
अरूपवदेव हि तत् प्रधानत्वात्। ( 3.2.24) शंकराचार्य लिखते हैं- "रूपाद् आकार रहितमेव ब्रह्म अवधारयितव्यम्। न रूपादिवत्। कस्मात्? तत्प्रधानत्वात्। तस्मादेवं जातीयकेषु यथाश्रुतं निराकारमेव ब्रहावधारयितव्यम्। इतराणि तु आकारवद् ब्रह्मविषयाणि वाक्यानि न प्रधानानि। उपासनादि विधि प्रधानानि हितानि। तेषु असति विरोधे यथाश्रुतिमाश्रयितव्यम्। सत्सु विरोधेषु ततप्रधानेभ्यो बलवानपि भवन्तीति। एष विनिगमनाय हेतुः।येन उभयोष्वपिश्रुतिषु सतीषु अनाकारमेव ब्रह्मावधार्यम् न पुनर्विपरीतम् इति"
भावार्थ- ब्रह्म को रूपदि आकर रहित ही मानना चाहिए ,न,कि रूपदि आकर वाल, निराकार साधक श्रुतियों के प्रधान होने के कारण। इसलिए वेद की पराधीनता से ब्रह्मा निराकार सिद्ध होता हैं। इसके विरुद्ध जो श्रुतियां ( उपनिषदादि वाक्य ) ब्रह्मा को साकार प्रकट करती है। वे वेद के सम्मुख अप्रधान अर्थात तुच्छ है। यदि इन वाक्यों से वेद की विरोध स्थिति उत्पन्न हो तो वेद को प्रधान प्रमाण मान कर उसके सिद्धांत को ही मानना चाहिये। चूँकि यह नियम है कि विरोध होने पर अप्रधान से प्रधान बलवान है अतः दोनों प्रकार के वाक्य मिलने पर ब्रह्मा को वेदानुकूल निराकार ही मानना चाहिये। इसके विपरीत साकार नहीं।
कुछ ऐसी वैचारिक धाराओं को मानने वाले जो हठपूर्वक जिद करते हैं कि ईश्वर निराकार है, मेरे पास उनके लिए निम्न प्रश्न हैं।
१.क्या आप मानते हैं कि ईश्वर जो कुछ भी करते हैं उसे देखते हैं? यदि हां, तो आप स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी आँखें हैं, आप मानते हैं कि नहीं?
२.क्या आप मानते हैं कि आपका परमेश्वर आपकी प्रार्थना सुनता है? यदि हां, तो आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास कान हैं, है ना? हवा जैसी निराकार चीज़ सुन नहीं सकती है। सही कहा ?
३. क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर दयालु है? तब फिर से आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास एक दिल है। फिर पानी जैसी निराकार चीज में दया के गुण नहीं हो सकते हैं?या हो सकते हैं?
४.क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर सर्वज्ञ है? वह अतीत और भविष्य जानता है? तब आप स्वीकार कर रहे हैं कि उसके पास एक मस्तिष्क है, क्या आप नहीं मानते हैं? आखिर, कीचड़ जैसी निराकार चीज़ को ज्ञान संबंधित कोई विचार हो सकता है? या यह संभव है?
५. क्या आप मानते हैं कि आपका ईश्वर आपकी रक्षा कर सकता है? आपको बनाये रखता है । फिर उसके हाथ और पैर भी होंगे। उसका एक इरादा भी होगा आपकी रक्षा करने की, पोषण करने का। है। कभी किसी निर्जीव, निराकार चीज जैसे हवा के बारे में नहीं सुना कि वह किसी की रक्षा करती है। जब शास्त्र कहते हैं कि भगवान का कोई रूप नहीं है, तो इसका अर्थ केवल यह इंगित करना है कि उनका रूप हमारे जैसा दुनियावी (मंडेन) रूप नहीं है। उनका रूप सर्व शक्तिमान है और वह हमारी सभी भौतिक समझ से परे है । इसलिए ईशोपनिषद के मंत्र में यह कहा गया वह एक ही समय में चलता है और नहीं चलता है।
वेद से साबित करिए धर्म ग्रंथ वेद हैं
Ap manushy hai manushy ki tarah HI soch sakte iswar bahoot badi satta hai
Fir तुलसीदास क्यों कह रहे है बीन पग चलत सुनही बिन काना वो तो ईश्वर को शरीर धारी नही मान रहे
परब्रह्म परमात्मा सर्वोपरि है और सर्व संपन्न हैं जिनको श्याम कहां है सारे गुण उनके अंदर हैं उसी को परमात्मा कहते हैं
Pakhandi hai ek Number ka Isne bhagwat Gita bhi theek Se nhi padi...iski boli bhasha se samjh agya..
Geeta me Shri krishna ne Arjun ko Divya Drishti di taki wo krishna ka vishwroop darshan( sakar roop) ker sake ....jisme arjun ne swayam dekha ki unke hazaro mukh, hath ,pair hai unke roop ka na adi hai na ant hai... To unka sakar roop bhi hai aur nirakar bhi hai...
jo hume shareer de sakta hai socho wo apna shareer nhi bana sakta...?
Mitron Bhagwat gita sare vedo ka sar hai use jarur padhe ,apko aise pakhandi ki jarurat nhi padegi
Geeta me krushna ne kaha
" Aham sarvasya prabhavo mataha sarvam pravartate..
Arthat ishwer hi sabhi ka mool karan hai aur usi ke hi mat se sabhi bhooto ( jeev) , prakriti , vyakt aur avyakt ka vikas kerne wala hai ...🙏
Well said bro jaishri hari
Bhai hmare 4 वेद है
वह भी पढ़ लेना शायद आपकी समझ में आ जाए ईश्वर क्या है
सभी धर्म ग्रंथ चाहे गीता हो कुरान हो बाइबल हो कोई भी धर्म वेदों के सामने टिक नहीं सकता।
@@abhisheksihol6657 arre ja ke phle vedo ka saar jaan sanatan hi dharam h hari khathae psdh sunn jaan fir aa ved brahma se h aur wo shri hari se ved maa h hari pita h geeta aur ramcharitmanas h ja bacha tu to nullo se bhi jyada bhatka hua h
Geeta ka ling chahie to batana
@Prashant Pratap Singh bache jisne shiv hari ko joat hi jaana wo shivdrohi h
यही भगवान का एक ध्यान प्रेम है हमारी आत्मा और परमात्मा का रूप भगवान निराकार रूप की जय हो ॐ
Bhagwan radha krishna ki jay
Hare Krishna
Dhan Nirankar ji
Jay shree ram 🙏
Shiva nirakar he
ईश्वर को निराकार ही माना जावे तो वो हमारे किसी भी काम का नही
ईश्वर साकार है। हरे कृष्ण।
Jo arya samaj je chinthan aur Dayanand Saraswati ji ko apamaan kar rhae hei...woh yaad rakhe .arya samaj hi iss desh ko zyada se zyada swatantra senaaniyon ko diya hein
Jai Rishi Dev Dayanand 🙏
Satya arya samaj amer rhe
Bharat mein shastrarth ki parampara shuru honi chahiye tabhi jaakar aise mandbuddhi logo ka pardafaash hoga
ईश्वर अपने शक्ति से सृष्टि उत्पत्ति करते हैं
जब कृष्ण भगवान आए तो सृष्टि रची हुई थी
@@jagdishjagdishkarela4494 aatma ko dekho body ki baat kar rahe ho
@@cookingwithannu22 आत्मा तो सबकी अमर
@@cookingwithannu22 जो पूर्ण परमात्मा होते हैं उनकी कभी भी मृत्यु क्यों नहीं होती हैं और भगवान कृष्ण की शिव की बर्मा की इन सब की मृत्यु होती है तो इनकी भक्ति करने वाले लोगों को मोक्ष नहीं मिल सकता
@@jagdishjagdishkarela4494 krishna ne karodo saal pehle Geeta suryadev ko bhi batayi thi 🗿aur rhi baat sakar hone pe koi problem nahi hai kuch banane me.... Parmatma tatv alag tatva he vo kuch bhi kr skte hai 🗿aur vo Krishna hai 🗿 yaha Rushi muni yog tap se chize la skte hai hai to Krishna yog Shakti se ye sristi bana bhi skte hai chala bhi skte hai...apne khud ki Shari ke roshni ko dekh rhe ho aap sirf aur usko tum nirakar man rhe ho 🗿Jai shree krishna
साकार और निराकार इन दोनों से परे एक पूर्णब्रह्म परमात्मा को माना गया है साकार निराकार माया है यह यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभव भूति
गीता अध्याय 12
🎉 परमात्मा साकार निराकार नहीं है।
😊 यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
🎉 परमात्मा सच्चिदानंद स्वरुप है सत चेतन और आनन्द स्वरूप है। तो उसे निराकार कैसे कह सकते हैं?
🎉 परमात्मा को देखने के लिए दिव्य चक्षु चाहिए क्योंकि परमात्मा दिव्या साकार स्वरूप है।
🎉 परमात्मा सर्व व्यापक नहीं है संसार सांस परमात्मा की सत्ता से चल रहा है। लेकिन कंण कण में नहीं। परमात्मा सत्य है संसार असत है। परमात्मा चेतन है संसार जड़ है परमात्मा आनंद स्वरूप है संसार दुख रूप है। परमात्मा एक रस है संसार महाप्रलय के अंदर है। इसलिए परमात्मा कण कण में नहीं है।
Aapko bolna ni aata... Krishna bhag gaya, lakshman gir gaya kya....
Aapko apne vichar rakhna chahiye par aise ni
Krishna is supreme lord
ये समझने के लिए हमें शास्त्र पढ़ने चाहिए।खुद से नहीं समझना चाहिए।प्रामाणिक गुरु के पास जाना चाहिए।कोई भी निराकार वस्तु की उत्पत्ति साकार वस्तु से ही होती है। ईश्वर के बस में सब है,वो साकार रूप में भी रह सकते है,उसका अपना आकार भी है। ऐसा कहना उनको चुनौती देने के सामान है।हरी बोल
सही. बोला. नीरकार. साकार. बना. ही
नहीं. सकता
मैं भी आपके बात से सहमत हु भाई हरे कृष्ण हरे हरे
ये मूर्ख अज्ञानी फर्जी झंडू बाबा लोग है।
यह क्या जानेगें भगवान और वेदों शास्त्रों को इनके जैसे नाष्तिक दुर्बुद्धि महामूर्ख लोग बहुत है हमारे संसार में और हुए भी ये सब ढोंगी पाखंडी लोग ने शास्त्रों वेदों का अनर्थ कर डाला अपने आप को तो जान नही सके अबतक और उलटा भगवान पर उगली करता हैं। यें गधें क्या जानोगें भगवान श्रीराम श्री कृष्ण कौन हैं। शास्त्रों वेदों का एक ज्ञान भी नही मालूम और फालतू अंडबंड बके जा रहा है ईश्वर निराकार ही हैं यें सब गलत है।
भगवान सगुण साकार होते हैं। --- वेद कहता हैं...
अणोरणीयान्महतो महीयानात्माऽस्य
जन्तोर्निहितो गुहायाम् ।
तमक्रतुः पश्यति वीतशोको धातुप्रसादान्महिमानमात्मनः।
(- कठोपनिषद् १.२.२०)
भावार्थ:- इस जीवात्मा के हृदयरुप गुफा में रहने वाला
परमात्मा सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म और महान से भी महान है।
परमात्मा की उस महिमा को कामनारहित और चिंतारहित
(कोई विरला साधक) सर्वाधार परब्रह्म परमेश्वर की कृपा से
ही देख पाता हैं। ...फिर वेद कहता है----
विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात् ।
सं बाहुभ्यां धमति सम्पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन् देव एकः ॥
(- श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.३, यजुर्वेद १७.१९, अतर्ववेद १३.२६ ऋग्वेद १०.८१.३)
भावार्थ:- सब जगह आँख वाला तथा सब जगह मुख वाला
सब जगह हाथ वाला,और सब जगह पैर वाला, आकाश और पृथ्वी की सृष्टि करने वाला, वह एकमात्र देव (परमात्मा) मनुष्य आदि जीव को दो-दो हाथो से युक्त करता है तथा(पक्षी-पतंग आदि को)पांखों से युक्त करता
है। .. फिर आगे और स्पष्ट हो जाता है.. वेद कहता है...
या ते रुद्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी । तया नस्तनुवा शन्तमया गिरिशन्ताभिचाकशीहि ॥५॥
- (श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.५, यजुर्वेद १६.२)
भावार्थ:- हे रूद्रदेव! तेरी जो भयानकता से सून्य(सौभ्य)
पुण्य से प्रकाशित होने वाली तथा कल्याणमयी मूर्ती हैं।
हे पर्वत पर रहकर सुख विस्तार करने वाले शिव! उस परम् शांति मूर्ती से (तू कृपा करके) हम लोगो को देख।
वेदों ने भगवान की स्तुति किया.....
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।
स भूमिं विश्वतो वृत्वा अत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१४॥
- (श्वेताश्वतरोपनिषद् ३.१४,यजुर्वेद३१.१अतर्ववेद१९.६.१ ऋग्वेद १०.१०.१) भावार्थ:- वह परम् पुरुष हजारो सिर वाला हजारो आँख वाला और हजारों पैर वाला वह समस्त
जगत को सब ओर से घेर कर नाभि से दस अङ्गुल ऊपर
(हृदय मे)स्थित है। ..फिर आगे वेद कहता है----
त्वं स्त्री पुमानसि त्वं कुमार उत वा कुमारी ।
त्वं जीर्णो दण्डेन वञ्चसि त्वं जातो भवसि विश्वतोमुखः ॥
- (श्वेताश्वतरोपनिषद् ४.३/अतर्ववेद१०.८.२६)
भावार्थ:- तू स्त्री है,तू पुरुष है, तू ही कुमार अथवा कुमारी हैं। तू बुढ़ा होकर लाठी के सहारे चलता है तथा तू ही विराटरुप मे प्रकट होकर सब ओर मुख-वाला हो जाता है।
उपर्युक्त वेदों के प्रमाणों का सार यह है कि भगवान अपने को प्रकट कर आँख,कान,हाथ ,पैर ,नाम (शिव),स्त्री, पुरुष, कुमार, कुमारी, बूढ़ा, तथा विराट रुप वाले हो जाते है और उनकी कृपा से उनको देखा जा सकता हैं।
अतएव उपर्युक्त वेदों के प्रमाणों अनुसार भगवान का साकार स्वरुप होता है। हमारे सनातन धर्म में साकार भगवान के स्वरुप को 'परमात्मा' तथा 'भगवान्' कहकर
सम्बोधित करते है। वेदों मे भगवान के निराकार स्वरुप
का भी निरुपण है। उस परात्पर परब्रह्म परम-तत्त्व के
तीन स्वरुप है। वेद में वेदांत में पुराण, गीता और कई
ग्रथों में ब्रह्म, परमात्मा, और भगवान शब्दों का प्रयोग किया गया है। परम-तत्त्व के निर्गुण निर्विशेष निराकार स्वरुप को 'ब्रह्म' कहते है। ब्रह्म कुछ नही कर सकता
उसमे कोई शक्ति प्रकट ही नहीं होती वह बस एक सत्ता मात्र है उसके (शरीर रुप) कार्य और अन्त:करण तथा इन्द्रिय रुप कारण नहीं है। वह जो जानने में न आने वाला,
पकड़ने में न आने वाला, ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों, रंग और
आकृति से रहित नित्य, सर्वव्यापक निराकार है।
दूसरा है 'परमात्मा' परम-तत्त्व के सर्गुण साकार स्वरुप को परमात्मा कहते है। जैसे महाविष्णु
उसके रुप है गुण है धाम(वैकुण्ठ लोक)है।
---गीता में कहा गया... (१५,१७/१३,१६) में..
अतएव परमात्मा साकार रुप है चर्तुभुज महाविष्णु इनका धाम वैकुण्ठ लोक है। परमात्मा ही सभी आत्माओं के अंदर निवास करते है तथा कर्मो का फल देते है परम-तत्त्व
इस स्वरुप मे न्याय तथा पालन करता है।
और तीसरा है 'भगवान' भगवान साकार होते है भगवान
श्रीराम, श्रीकृष्ण इनमे समस्त शक्तिया प्रकट होती है
सर्व आकर्षक तथा समस्त आनंद के श्रोत है, वे षड-एश्वेर्य
पूर्ण अर्थात (असीमित)परम ईश्वर,परम पुरुष,परम नियंता, समस्त कारणों के कारण है यही परम सत्य है। जीव के कल्याण या लाभ से, भगवान को ग्रथों में ब्रह्म तथा परमात्मा से श्रेष्ठ बताया गया है। भगवान यानी भग+वान।
'वान' का अर्थ है धारण करने वाला जो 'भग' को धारण
करें उसे 'भगवान' कहते है। ---भगवान बारे में पुराणों ने
कहा-- ज्ञान,शक्ति,बल,ऐश्वर्य,शौर्य,तेज- इनका नाम भग
है। ये सब अनन्त रुप से जिसमे वर्तमान हैं, वे भगवान हैं।
जय श्री कृष्ण
Nirakar swaroop shakti hai jo sabhi jeev jantu prakriti ka roop leke sabhi karyo ko karta hai.
Krishna the supreme lord, 6 ayeshawarya purn hai, bhagvatgeeta yatha rup.pado,iskon.
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।
हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे।।
Pagal h kiya . Krishn arajun poorav janam m nar aur narayan the vishanu ke ansh the
🕉️ नारायण
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 5
कूचिज्जायते सनयासु नव्यो वने तस्थौ पलितो धूमकेतुः। अस्नातापो वृषभो न प्रवेति सचेतसो यं प्रणयन्त मर्ताः।।5 ।।
पूर्ण परमात्मा जब मानव शरीर धारण कर पृथ्वी लोक पर आता है उस समय अन्य वृद्ध रूप धारण करके पूर्व जन्म के भक्ति युक्त भक्तों के पास तथा नए मनुष्यों को नए भक्ति संस्कार उत्पन्न करने के लिए विद्युत जैसी तीव्रता से जाता है अर्थात् जब चाहे जहाँ प्रकट हो जाता है। उन्हें सत्य भक्ति प्रदान करके मोक्ष प्राप्त कराता है।
I believe in one Single God. But respect every sect of Hinduism. We are free to follow anything.
No. All are not free to follow any thing . This laziness have destroyed Sanatan Dharm because of which we are worshipping false gods and society is getting destroyed.
@@swarupdas2552 Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ?
Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ?
YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE
PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
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PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
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@@learngrowandtravel2020 Apne bilkul sahi kaha main bhi murti puja ke khilaf hoon lekin yeh so called sanatani samjh nahi samjh Raha hai toh main kya karun . Yeh murti puja nahi chorenge kyonki ismain ek Vishesh samuday ka fayada hai aur kuch powerful logo ka fayada hai isliye sacchai jante huwe bhi ankh band karke murti puja main lage hai.
@@learngrowandtravel2020 Are main khud hi virodh main hoon mujhse kyon question karte ho . Question unse karo jo Murti Puja karte hai.
💠परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1
जय जय राम कृष्ण हरि प्रत्यक्ष भगवान है
कृष्ण से बडी कोई सत्ता नही है
स्वामी जी नमस्ते, आपको शत शत प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद l बहुत अच्छी तरह सरल करके समझाया गया l
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
Upnishad jise vedan kehte hein jo hr ved ka antim bhag hai,usme aatma ko paramatma ka ansh bataya hai,toh atma sab jivo mein Ram Krishn mein bhi toh hmm sab idhvsr ka ansh hai aur yhi bhagvad geeta bhi kehti hai.🙏
Hari AUM.🙏
❤❤ sahi gyan ki baat hai
नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: |
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् samja murkha sanskrit aata hai to padh lena matlab😂😂😂
🤣🤣🤣😂😂👍 hare krishna
Geeta ka slok hai
सनातन धर्म का सच्चा हितैषी कौन?
सर्व धर्मगुरु, कथावाचक परमेश्वर को निराकार बताते हैं। जबकि संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 26-27, कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 52-59, बाईबल उत्पत्ति ग्रंथ आयत 1:26-27, गुरुग्रंथ साहिब पृष्ठ 1257 आदि का प्रमाण देते हुए बताते हैं कि परमात्मा राजा के समान दर्शनीय है अर्थात मनुष्य सदृश्य साकार है, उसका नाम कविर्देव यानी कबीर साहेब है और हमें इसी परमेश्वर की भक्ति पूजा करनी चाहिए।
तोमे तो मरनेके बाद यमराज नर्क लेजायेंगे 😭😭😭😭
pahale tu jayega
Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ?
Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ?
YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE
PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
वेदों में प्रमाण है परमात्म साकार है।
Niakar h kewal.
Iswar bhagwan dewi dewata alag alag hote h.
Dewi dewta ki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h vardan shaktiya milti h asali dewi dewata humare swarg lok m baithe h waha se shaktiya ati h dewdoot ate h unki pooja hoti h pooja se koi bhi paresani ho thik hoti h
Iswar karamyog se milta h use pooja ibadat ki jaroorat nahi h.
Allha sakar h allha jabardasti pooja ibadat karwata h .
You are nature bounded living creatue. You have limit knowledge. Perhaps you have not studied Shrimadbhagwat gita properly. You are mayawadi + Other. So you are confused. Universe has been created by God who is Almighty & in both form aakar and sakar. Lord Krishna is God the creater of everything.
The teachings of Bhagvad Gita summarises the Vedic literature.
Mayavadi Krishaner apradahi. These people will never understand. It's useless even to talk to them.
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपस्थिति में दिनांक 01/03/2022 को भारत के मध्य क्षेत्र में प्रभु यीशु की आत्मिक कलीसिया की तरफ से यह आदेश पारित हुआ है कि समस्त कलीसियाएँ, समस्त जातियां एवं समस्त अन्य जातियां पवित्र आत्मा का अनुसरण करें। क्योंकि परमेश्वर की योजना के अनुसार पूर्व दिशा के और उत्तर दिशा के भूभागों में (जो कि सफेद रोशनी के अन्दर हैं) परमेश्वर का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिन्हें हम आनेवाले दिनों में देखेंगे। तथा पश्चिम दिशा के और दक्षिण दिशा के भूभाग अन्धकार में रहेंगे।
I appreciate arya samaj that they strongly believe in brahmcharya and following the vedic scriptures. But they do not know that god is Personal not impersonal effulgence. The one gave shape to whole world is nirakar? This is even unacceptable. In arya samaj there no RASA because they are nirasa as they belive in impersonal god.
Aap se Ek sawal he
Agar pranprathista SE mantar padhkar jis murti ko Apne Khudh Apne hath SE banaya he usme aap pran Atma Dalte he to wo kese paramatma ban jate aur Apne Jo mantar padhe unka meaning batayega
Aur Ek sawal tha apse agar bhagwan ki pranprathishta Kar rhe to aur unki Atma agar murti me aai he to koi chiz me pran hota he to vastu apni jagah SE chalti he hilti he aur apni jagah ko badalti agar apki pran pratishtha SE aesa ho rha he to murti me koi change q nai aaraha he please ye mujhe samjha dijiyega.
UPANISHAD ME BHI 5 PRANO KO MENTION KIA USME SABSE UNCHA PRAN ATMA HE SO MURTI ME ATMA AAI HE TO MURTI ME KOI PHYSICAL ACTIVITY Q NAI HE ?
Jis murti ko khud banaya usko bhagwan banadena Apne hi padhe hue mantar SE ?
YAJURVEDA ME BHI YAHI LIKHA HE
PARMATMA NIRAAKAAR HE USKI KOI MURTI NAI HE
AAP US ISHWAR KO NIRAAKAAR MANTE HO
TO NIRAAKAAR TIME SPACE HAR CHIZ SE PAK HOTA HE
Ek sawal ka jawab do pandit ji
Bhagwan ki definition kya he Tumhre nazdeek
Agar wo NIRAAKAAR he... infinite powerful he.limit less he
So wo time space me aa nai sakta q ki time aur space limited he
भज गोविन्दम
Izzat se baat karo Ram ji ke bare me , arya samaj me acharya agnivrat se acha koi nhi hai
Sahi kha😂
प्रकृति तो एक सामग्री है सृष्टि के
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी इस वीडियो के लीए ...🙏🏻🙏🏻🙏🏻
It is said in Rigveda Mandal 9 Sukta 96 Mantra 17 that Kavirdev takes the form of a child. He grows up while performing leela. Due to describing the philosophy through poems, he gets the title of poet i.e. people start calling him sage, saint and poet, but in reality he is the Supreme God Kavir (Kabir Saheb) only.
ईश्वर साकार है
Nirakar h bebkoof iswar vedo m likha h .
Lekin allha ke hath pair h wo allha saitan h
@@poweryog4866 Hath pair hone se Saitan hote he 🤭 toh sab manushya Saitan he🤣
@@riyazhazarika3463 tera allha ki nabaj cha rahi h dhadakan dhadakta h dil .
@@poweryog4866 mera iswar Allah ram ek hai 🙂
@@riyazhazarika3463 allha iswar m jamin asman ka fark h . Ek vedio dekh le bhejata hu . Ek baar dekh lena usme koi gali nahi de raha .
ईश्वर निर्गुण निराकार और सगुण साकार है..यही सत्य है...
Mind blowing explaining Guru ji kuchh kucch Hindu log ved upnishad our Geeta thik se samajh nahi pata hai esliye woo Eshwar ke doot means massenger ko apna Eshwar maan lete hai
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः |
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् || २५ ||
मैं मूर्खों तथा अल्पज्ञों के लिए कभी भी प्रकट नहीं हूँ | उनके लिए तो मैं अपनी अन्तरंगा शक्ति द्वारा आच्छादित रहता हूँ, अतः वे यह नहीं जान पाते कि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ |
तात्पर्य : यह तर्क दिया जा सकता है कि जब कृष्ण इस पृथ्वी पर विद्यमान थे और सबों के लिए दृश्य थे तो अब वे सबों के समक्ष क्यों नहीं प्रकट होते? किन्तु वास्तव में वे हर एक के समक्ष प्रकट नहीं थे | जब कृष्ण विद्यमान थे तो उन्हें भगवान् रूप में समझने वाले व्यक्ति थोड़े ही थे | जब कुरु सभा में शिशुपाल ने कृष्ण के समाध्यक्ष चुने जाने पर विरोध किया तो भीष्म ने कृष्ण का समर्थन किया और उन्हें परमेश्र्वर घोषित किया | इसी प्रकार पाण्डव तथा कुछ अन्य लोग उन्हें परमेश्र्वर के रूप में जानते थे, किन्तु सभी ऐसे नहीं थे | अभक्तों तथा सामान्य व्यक्ति के लिए वे प्रकट नहीं थे | इसीलिए भगवद्गीता में कृष्ण कहते हैं कि उनके विशुद्ध भक्तों के अतिरिक्त अन्य सारे लोग उन्हें अपनी तरह समझते हैं | वे अपने भक्तों के समक्ष आनन्द के आगार के रूप में प्रकट होते थे, किन्तु अन्यों के लिए, अल्पज्ञ अभक्तों के लिए, वे अपनी अन्तरंगा शक्ति से आच्छादित रहते थे |
श्रीमद्भागवत में (१.८.१९) कुन्ती ने अपनी प्रार्थना में कहा है कि भगवान् योगमाया के आवरण से आवृत हैं, अतः सामान्य लोग उन्हें समझ नहीं पाते | ईशोपनिषद् में (मन्त्र १५) भी इस योगमाया आवरण की पुष्टि हुई है, जिससे भक्त प्रार्थना करता है -
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् |
तत्त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ||
“हे भगवान! आप समग्र ब्रह्माण्ड के पालक हैं और आपकी भक्ति सर्वोच्च धर्म है | अतः मेरी प्रार्थना है कि आप मेरा भी पालन करें | आपका दिव्यरूप योगमाया से आवृत है | ब्रह्मज्योति आपकी अन्तरंगा शक्ति का आवरण है | कृपया इस तेज को हटा ले क्योंकि यह आपके सच्चिदानन्द विग्रह के दर्शन में बाधक है |” भगवान् अपने दिव्य सच्चिदानन्द रूप में ब्रह्मज्योति की अन्तरंगाशक्ति से आवृत हैं, जिसके फलस्वरूप अल्पज्ञानी निर्विशेषवादी परमेश्र्वर को नहीं देख पाते |
श्रीमद्भागवत में भी (१०.१४.७) ब्रह्मा द्वारा की गई यह स्तुति है - “हे भगवान्, हे परमात्मा, हे समस्त रहस्यों के स्वामी! संसार में ऐसा कौन है जो आपकी शक्ति तथा लीलाओं का अनुमान लगा सके? आप सदैव अपनी अन्तरंगाशक्ति का विस्तार करते रहते हैं, अतः कोई भी आपको नहीं समझ सकता | विज्ञानी तथा विद्वान भले ही भौतिक जगत् की परमाणु संरचना का या कि विभिन्न ग्रहों का अन्वेषण कर लें, किन्तु अपने समक्ष आपके विद्यमान होते हुए भी वे आपकी शक्ति की गणना करने में असमर्थ हैं |” भगवान् कृष्ण न केवल अजन्मा हैं, अपितु अव्यय भी हैं | वे सच्चिदानन्द रूप हैं और उनकी शक्तियाँ अव्यय हैं |
Bhai ji Mene saare Dharam ke Kitaab padhaye hai Tumne TV serial our Mahabharat me dekha Wahi bataya hai Vedas Upnishad Our Geeta Sanskrit me padh tab jaankari mil jayege
Is murkh ko itna v nahi pata ki iswar bhale sakar roop me rahe lekin unki shakti anant hi rehti
tu agayani hai
Holy Bible (Genesis, page no. 2, chapter 1:20 - 2:5)
Sixth day:- Animals and humans:
After creating other creatures
26. Then God said, let us make man in our image and in our likeness, who will control all creatures.
ईश्वर परम कृष्ण
Namaste ji
Sirf vedh ki adhyayan hi santaniyon mei ektha lekar aane ka aur jaati ,panth,andhshraddha, paakhand ko dur karega🙏🚩om aryavart, jai dayanand saraswati ji
Baijayanti sadare namastey swamiji 🙏
Guruji aap log ye knyu nhi samjte ki vo bhagvan he ve sarvsaktisali he ve bhagvan apni maya se sakhar bante he or nirakar bhi bante ,or vo hi jagat banate he or jagat ka ant bhi karte he
Iswar ko sakar ban ne ka koi Karan hai to batao please wo kyon sakar bnega jabki uska kaam to nirakar me hi sucharu roop se chal rha hai
@@satya-sanatan1592 pehle baat to ye he ki isavar ko tarak ya vitark se jaana ya samaja jata nhi ,me agar javab de dunga to aap ek or saval kroge me ek or javab dunga or ye silsila chalta rehga tarak or vitark ka ,isliye mera javab ye he ki parmatma gayan ,budhi,tatav,panchmahabhut, se bhi unche he ,isliye vo karan ke bhi karan or mahakaran he ,bhgavan ko mana jata he savikar kiya jata he sandehe nhi kiya jata
आपकी बात बिल्कुल सत्य है रामकृष्ण विष्णु के बड़े अवतार हैं वह परमात्मा नहीं है
Tumne iswer ko dekha hai kya ? Bs grantho me jo padha vhi bol rhe ho ved me nirakar iswer hai to geeta me saakar aur nirakaar dono hai , lekin sab milakr iswer ek hai
Swami ji bilkul saty farmya apne sahi gyaan diya Pranam apko
Mil gaya mauka agyanio ko🤣🤣🤣
Wrong information
नाहं प्रकाशः सर्वस्य योगमायासमावृतः |
मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् || २५ ||
मैं मूर्खों तथा अल्पज्ञों के लिए कभी भी प्रकट नहीं हूँ | उनके लिए तो मैं अपनी अन्तरंगा शक्ति द्वारा आच्छादित रहता हूँ, अतः वे यह नहीं जान पाते कि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ |
तात्पर्य : यह तर्क दिया जा सकता है कि जब कृष्ण इस पृथ्वी पर विद्यमान थे और सबों के लिए दृश्य थे तो अब वे सबों के समक्ष क्यों नहीं प्रकट होते? किन्तु वास्तव में वे हर एक के समक्ष प्रकट नहीं थे | जब कृष्ण विद्यमान थे तो उन्हें भगवान् रूप में समझने वाले व्यक्ति थोड़े ही थे | जब कुरु सभा में शिशुपाल ने कृष्ण के समाध्यक्ष चुने जाने पर विरोध किया तो भीष्म ने कृष्ण का समर्थन किया और उन्हें परमेश्र्वर घोषित किया | इसी प्रकार पाण्डव तथा कुछ अन्य लोग उन्हें परमेश्र्वर के रूप में जानते थे, किन्तु सभी ऐसे नहीं थे | अभक्तों तथा सामान्य व्यक्ति के लिए वे प्रकट नहीं थे | इसीलिए भगवद्गीता में कृष्ण कहते हैं कि उनके विशुद्ध भक्तों के अतिरिक्त अन्य सारे लोग उन्हें अपनी तरह समझते हैं | वे अपने भक्तों के समक्ष आनन्द के आगार के रूप में प्रकट होते थे, किन्तु अन्यों के लिए, अल्पज्ञ अभक्तों के लिए, वे अपनी अन्तरंगा शक्ति से आच्छादित रहते थे |
श्रीमद्भागवत में (१.८.१९) कुन्ती ने अपनी प्रार्थना में कहा है कि भगवान् योगमाया के आवरण से आवृत हैं, अतः सामान्य लोग उन्हें समझ नहीं पाते | ईशोपनिषद् में (मन्त्र १५) भी इस योगमाया आवरण की पुष्टि हुई है, जिससे भक्त प्रार्थना करता है -
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् |
तत्त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ||
“हे भगवान! आप समग्र ब्रह्माण्ड के पालक हैं और आपकी भक्ति सर्वोच्च धर्म है | अतः मेरी प्रार्थना है कि आप मेरा भी पालन करें | आपका दिव्यरूप योगमाया से आवृत है | ब्रह्मज्योति आपकी अन्तरंगा शक्ति का आवरण है | कृपया इस तेज को हटा ले क्योंकि यह आपके सच्चिदानन्द विग्रह के दर्शन में बाधक है |” भगवान् अपने दिव्य सच्चिदानन्द रूप में ब्रह्मज्योति की अन्तरंगाशक्ति से आवृत हैं, जिसके फलस्वरूप अल्पज्ञानी निर्विशेषवादी परमेश्र्वर को नहीं देख पाते |
श्रीमद्भागवत में भी (१०.१४.७) ब्रह्मा द्वारा की गई यह स्तुति है - “हे भगवान्, हे परमात्मा, हे समस्त रहस्यों के स्वामी! संसार में ऐसा कौन है जो आपकी शक्ति तथा लीलाओं का अनुमान लगा सके? आप सदैव अपनी अन्तरंगाशक्ति का विस्तार करते रहते हैं, अतः कोई भी आपको नहीं समझ सकता | विज्ञानी तथा विद्वान भले ही भौतिक जगत् की परमाणु संरचना का या कि विभिन्न ग्रहों का अन्वेषण कर लें, किन्तु अपने समक्ष आपके विद्यमान होते हुए भी वे आपकी शक्ति की गणना करने में असमर्थ हैं |” भगवान् कृष्ण न केवल अजन्मा हैं, अपितु अव्यय भी हैं | वे सच्चिदानन्द रूप हैं और उनकी शक्तियाँ अव्यय हैं |
7.25 गिता
राम कृष्ण को चाहे ईश्वर न कहिए फिरभी वह महामानव तो कहेना चाहिए, आम आदमी उन्होंने जो किया वो नहीं कर पाये हैं ।
जी
कृष्ण ही ईश्वर है प्रमाण भगवत गीता है ये पाखंडी क्या बताएं गे इससे पूछे इनका आकार कहा से आया
@@rahulpaswan5624 haa kyuki shri krishna us ishwar ke saakar roop hai jo vedo mein bataya gya tabhi wah Geeta mein bhi yahi baat kehte hai aur vedo mein bhi likha hai ki us ishwar ka nirakar roop hai lekin ek jo ki hai shri krishna isliye unke sakar roop ko jaan ne ke liye unhone Geeta kahi