स्वामीजी आपके चरणों में कोटी कोटी साष्टांग नमन. भगवन् आपको प्रश्न पूछने लायक मैं बिलकूल नही हूँ. अज्ञानी हूँ पर जिज्ञासा और अस्वथता के कारण आपका पुरी तरह से आदर करके आपकी कोटी कोटी बार क्षमा माँगके आपसे पूँछ रहा हूँ. मुझे क्षमा करे. स्वामीजी कुछ दिनों से मैं भगवान ओशोजी की अष्टावक्र गीता के प्रवचन सुन रहा हूँ. अगर हम देह नही, मन नही, श्वास नही, बुद्धी नही, चैत्तन्य है . तो बोध स्वीकार करणेवाला कौन है, अगर हम है ही नही तो बोध किसको होता है. सच्चिदानंद परब्रह्म है जो सर्वव्यापक है. वही एक सर्वत्र है .वही परिपूर्ण ज्ञान है. भगवान कहते है की खुद को शून्य करो अंहकार को मिटा दो तो उसको पावोगे उसका स्वाद मिलेगा. मेरा प्रश्न ये है की परमात्मा का दर्शन या उसका ज्ञान अथवा उसका बोध किसको होता है जबकी हम यानी मन ,शरीर , बुद्धी नही है ,मैं तो बचता ही नही तो बोध या परमात्मा का दर्शन किसको होता है?.तो जो बचता है वो तो सिर्फ एक परमात्मा ही ज्यो परिपूर्ण है, ज्ञानी है तो बोध किसको होता है. कृपया मेरे इस अज्ञान को दूर करे और इस प्रश्न पूछने के अपराध के लिये मुझे क्षमा करे. आपका शरणार्थी ,आपका आशिर्वाद आपकी कृपा मुझपर हमेशा बनी रहे गुरूवर भगवन्. धन्यवाद
Guruji greetings, I was laughing with embarrassment, when you mentioned about the part of not coming here again, it felt that you were talking to me directly Thank you Guruji, Thank you for your blessings.
Guru dev ko koti koti namn ❤❤❤🙏🙏🙏
❤❤❤
🙏🙏
Thanks Swami ji
❤❤❤❤❤❤❤
👌
Bohot achche dhang se explain Kiya hai
💞🙏💞
Osho Naman.
Very well explained, guruji 🙏
आपके चरणों में कोटि कोटि नमन अर्पित करता हूं ❤❤❤❤❤
Baba apko koti koti naman es kalikal sa Mukti karao God bless you 🙏🙏🙏🙏
Sader Naman 😊
🙏 प्यारे बाबा ❤️🙏❤️🌹
स्वामीजी आपके चरणों में कोटी कोटी साष्टांग नमन. भगवन् आपको प्रश्न पूछने लायक मैं बिलकूल नही हूँ. अज्ञानी हूँ पर जिज्ञासा और अस्वथता के कारण आपका पुरी तरह से आदर करके आपकी कोटी कोटी बार क्षमा माँगके आपसे पूँछ रहा हूँ. मुझे क्षमा करे. स्वामीजी कुछ दिनों से मैं भगवान ओशोजी की अष्टावक्र गीता के प्रवचन सुन रहा हूँ. अगर हम देह नही, मन नही, श्वास नही, बुद्धी नही, चैत्तन्य है . तो बोध स्वीकार करणेवाला कौन है, अगर हम है ही नही तो बोध किसको होता है. सच्चिदानंद परब्रह्म है जो सर्वव्यापक है. वही एक सर्वत्र है .वही परिपूर्ण ज्ञान है. भगवान कहते है की खुद को शून्य करो अंहकार को मिटा दो तो उसको पावोगे उसका स्वाद मिलेगा. मेरा प्रश्न ये है की परमात्मा का दर्शन या उसका ज्ञान अथवा उसका बोध किसको होता है जबकी हम यानी मन ,शरीर , बुद्धी नही है ,मैं तो बचता ही नही तो बोध या परमात्मा का दर्शन किसको होता है?.तो जो बचता है वो तो सिर्फ एक परमात्मा ही ज्यो परिपूर्ण है, ज्ञानी है तो बोध किसको होता है. कृपया मेरे इस अज्ञान को दूर करे और इस प्रश्न पूछने के अपराध के लिये मुझे क्षमा करे. आपका शरणार्थी ,आपका आशिर्वाद आपकी कृपा मुझपर हमेशा बनी रहे गुरूवर भगवन्. धन्यवाद
नमन सदगुरुदेव🙏🏻🙏🏻🙏🏻💓
Mahaan Sadhguru Aapko Dil Ki Gahraiyo Se Naman 🙏🙏🙏🙏🙏
Guru ke charno me sat sat naman
🙏🙏🙏
🙏🙏❤️💐💐
🙏❤️🌹❤️🙇♀️
🙏💞🌹🌹💞🙏
❤ koti koti naman
You have a very good voice. Of course yiur philosophy and way of talking are charismatic. Namaskar...
Swamiji naman❤❤❤
Osho naman
Guruji greetings, I was laughing with embarrassment, when you mentioned about the part of not coming here again, it felt that you were talking to me directly Thank you Guruji, Thank you for your blessings.
ਆਪਕੇ ਚਰਨੋ ਮੈ ਕੋਟੀ ਕੋਟੀ ਪ੍ਰਨਾਮ ਸਵਾਮੀ ਸਲੇਨਦਰ ਜੀ ਜੈ ਊਸੋ 🌹🌹🌹🌹🌹🥳🥳🥳🥳🥳🥳 ilove you osho❤🌷🌺💐💐💐
❤❤❤❤❤❤
❤️❤️❤️