JAI Mata ji ki hukum 🙏🏻🙏🏻🌹🌹 bahut dino baad prastuti di hukum aapne to.......... DINKAR ji ke shabd or SANDIP ji ki aawaz.........waaah hukum ....shaandaar.....🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹
संदीप जी सर्वप्रथम प्रणाम आपको 🙏🙏 जब आप रश्मिरथी का काव्य पाठ करते है तो ऐसा प्रतीत होता है कि हम उस कल खण्ड के हिस्सा है। आपके काव्य पाठ के दौरान जो आपके मुखमंडल पे जो भाव प्रस्फुतित होते है, ऐसा लगता है जैसे ये काव्य पाठ ना होकर ये वास्तविकता सा अनुभव कराने लगता है। मैं जब आपको सुनता हूं तो थोड़ा लालची भी हो जाता हूं और उसी लालच में ये सोचता हूं की काश पुरे रश्मिरथी का काव्य पाठ आपके मुखमण्डल से होता तो कितना अच्छा होता,अगर आपके पास समय हो तो जरूर इसपे विचार कीजिएगा। 🙏🙏 धन्यवाद 🙏🙏
अपनी पहली सफलता के बाद बड़े विश्राम ना करे क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो जाएंगे तो, कई लोग यह बोलने के लिए इंतजार नहीं करेंगे की, आपकी पहली सफलता तो बस एक इत्तेफाक थी🎯📚💓👌
Varsho tak van me ghoom-ghoom Baadhaa vighno ko choom-choom Sah dhoop gham pani patthar Pandav aaye kuchh aur nikhar Saubhaagya na sab din hota hai Dekhe aage kya hota hai Maitri ki raah dikhaane ko Sab ko sumaarg pe laane ko Duryodhan ko samjhaane ko Bheeshan vidhwans bachaane ko Bhagwan hastinapur aaye Pandav ka sandesha laaye Do nyay agar to aadha do Par isme bhi yadi baadha ho To de do kewal paach gram Rakho apni dharti tamaam Hum vahi khushi se khaayenge Parijan pe asi na uthayenge Duryodhan woh bhi de na saka Aashish samaaj ki le na saka Ulte hari ko baandhne chala Jo tha asaadhya saadhne chala Jab naash manuj par chhaata hai Pehle vivek mar jata hai Hari ne bheeshan hoonkaar kiya Apna swaroop vistar kiya Dagmag-Dagmag diggaj dole Bhagwan kupit hokar bole Janjeer badhaa ab saadh mujhe Haan haan duryodhan baandh mujhe Yeh dekh gagan mujhme lay hai Yeh dekh pawan mujhme lay hai Mujhme wilin jhankaar sakal Mujhme lay hai sansaar sakal Amaratva phoolta hai mujh mein Sanhaar jhoolta hai mujh mein Udayachal mere dipt bhaal Bhu-mandal vaksh-sthal vishaal Bhuj paridhi bandh ke ghere hain Mainaak meru pag mere hain Dipte jo grah nakshatra nikar Sab hain mere mukh ke andar Drig ho to drishya akaand dekh Mujhme saara brahmaand dekh Char-achar jeev, jag kshar akshar Nashwar manushya, surjati amar Shat koti surya, shat koti chandra Shat koti sarit shat sindhu mandra Shat koti brahma vishnu mahesh Shat koti jalpati jishnu dhanesh Shat koti rudra, shat koti kaal Shat koti dand dhar lokpaal Janjeer badhaa kar saadh inhe Haan haan duryodhan baandh inhe Bhutal atal paatal dekh Gat aur anagat kaal dekh Yeh dekh jagat ka aadi srijan Yeh dekh mahabhaarat ka rann Mritako se pati hui bhu hai Pahchaan kahan isme tu hai? Ambar ka kuntal jaal dekh Pad ke niche paatal dekh Mutthi mein tino kaal dekh Mera swaroop vikraal dekh Sab janm mujhi se paate hain Phir laut mujhi mein aate hain Jihwa se kadhti jwaal saghan Saanso se paata janm pawan Pad jati meri drishti jidhar Hansne lagti hai srishti udhar Mein jabhi moondta hoon lochan Chha jata charo ore maran Baandhne mujhe to aaya hai Janjeer badi kya laaya hai? Yadi mujhe baandhna chahe mann Pehle tu baandh anant gagan Sune ko saadh na sakta hai Wo mujhe baandh kab sakta hai? Hit wachan nahi tune maana Maitri ka moolya na pahchana To le ab main bhi jata hoon Antim sankalp sunaata hoon Yaachna nahi ab rann hoga Jivan jai ya ki maran hoga Takrayenge nakshatra nikar Barsegi bhu par wahni prakhar Phan sheshnaag ka dolega Vikraal kaal mukh kholega Duryodhan rann aisa hoga Phir kabhi na waisa hoga Bhai par bhai tootenge Vish-baan boond-se chutenge Saubhag manuj ke phootenge Vaayas shrigaal sukh lootenge Aakhir tu bhushayi hoga Hinsa ka par, dayi hoga Thi sabha sann, sab log dare Chup the ya the behosh pade Kewal do nar na aghate the Dhrishtrashtra-Vidur sukh paate the Kar jod khare pramudit nirbhay Dono pukaarte the jai-jai..
रामधारी सिंह दिनकर: याचना नहीं, अब रण होगा...(कृष्ण की चेतावनी) वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! दुर्योधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला। जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुंकार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- ‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे। यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें। ‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल, भूमंडल वक्षस्थल विशाल, भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं, मैनाक-मेरु पग मेरे हैं। दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर, सब हैं मेरे मुख के अन्दर। ‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख, मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख, चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर, नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर। शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र, शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र। ‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश, शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश, शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल, शत कोटि दण्डधर लोकपाल। जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें, हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें। ‘भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख, यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण, मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, इसमें कहाँ तू है। ‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख, पद के नीचे पाताल देख, मुट्ठी में तीनों काल देख, मेरा स्वरूप विकराल देख। सब जन्म मुझी से पाते हैं, फिर लौट मुझी में आते हैं। ‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन, साँसों में पाता जन्म पवन, पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर, हँसने लगती है सृष्टि उधर! मैं जभी मूँदता हूँ लोचन, छा जाता चारों ओर मरण। ‘बाँधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है? यदि मुझे बाँधना चाहे मन, पहले तो बाँध अनन्त गगन। सूने को साध न सकता है, वह मुझे बाँध कब सकता है? ‘हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना, तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ। याचना नहीं, अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा। ‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर, फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा। फिर कभी नहीं जैसा होगा। ‘भाई पर भाई टूटेंगे, विष-बाण बूँद-से छूटेंगे, वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे, सौभाग्य मनुज के फूटेंगे। आखिर तू भूशायी होगा, हिंसा का पर, दायी होगा।’ थी सभा सन्न, सब लोग डरे, चुप थे या थे बेहोश पड़े। केवल दो नर ना अघाते थे, धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे। कर जोड़ खड़े प्रमुदित, निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’! 🙏🙏जय श्री कृष्णा🙏🙏
Sir 👏👏👏👏 Aapki Hindi or bolne ka tarika.....nd jo fluency maintain krte ho Meko toh kya bolu......Wow....wow...wow Main toh bs sunti ich reh jati Beautiful..... as well as motivational too Bt abhi aap toh bhot ich km poem late ho..... Weekends pe bhi ni 🙄
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे ही सही है। विदुर सुख पाए थे क्योंकि वह कृष्ण भक्त थे, धर्मज्ञ थे। धृतराष्ट्र इसीलिए सुख पाए थे क्योंकि वह अंधे थे। अंधा मतलब अज्ञान । सत्य से दूर। अज्ञानी लोग अपने ही अज्ञान के सुख में रहते हैं।
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे ही सही है। विदुर सुख पाए थे क्योंकि वह कृष्ण भक्त थे, धर्मज्ञ थे। धृतराष्ट्र इसीलिए सुख पाए थे क्योंकि वह अंधे थे। अंधा मतलब अज्ञान । सत्य से दूर। अज्ञानी लोग अपने ही अज्ञान के सुख में रहते हैं।
Hypocraccy ki bat to ye hein ki jo log ye vdo dekhte hein vo aj bhi apne maata pita ke sath bura bartav karte hein. Aj bhi उन्हें सार kharacha उठाने bolte hein jab ki vo log खुद Bahut kamate hein aisa log ko toh narak mein bhi jaga nhi milne chahiye. Hein bhahvan aise पापीओ se is prithvi ko मुक्त करो
बहुत सुन्दर संदिप द्विवेदी जी आपके मुंह से यह कविता लगता है👌❤
🙏🙏😊
जय पूर्ण परमब्रह्म परमात्मा योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण की 🚩🚩 जय श्री कृष्ण जय द्वारिकाधीश जय परम पवित्र पूज्य सनातनी यदुवंश 🚩🚩🙏💖
ruclips.net/video/Gt8RWk62PeI/видео.htmlsi=MvrhtachtwVCo3oP
We want rashmirathi wala videos...
रोंगटे खड़े हो गए हैं , क्या कला है ।
मुग्ध हो गया प्रभु 😊❤️🙏
Bahut sundar 👌
Heart touching lines Sirr.... Dinkar ji ki kavita ki har line har sabd ko apne jis bhaav se kaha aankhon me poora drishya chha gaya 💐💐🌹🌹🙏🙏🙏
✨🇮🇳 વાહ
જબ નાશ મનુજ પર...!!
જય શ્રી રામ
बहुत शानदार
बेजोड़
अद्भुत
दिनकर जी को शत शत नमन 🙏आपने भी bhut achhe से सुनाया mja आ gya सुनकर
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रवि पूजन के समय जो भी याचक आता था।
मुंह मांगा वह दान कर्ण से अनायास पाता था।।
🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄🌄
सूर्य पुत्र राधे 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय सियाराम जी सादर प्रणाम 🙏🙏
Great presentation Sir...ur voice is amazing...🙏💞
Sir maine phale bhi ya suna h par aakpi muh se or bhi acha lg rha h
धन्य है आप जो कुछ मुख से वोल देते है वहीं अच्छा वन जाता है
Bahut bahut dhanyavad guru ji
Aapni jis tarah se ye kavita sunayi hai 🙂 Bahot Dhanyavad🙏
आपकी आवाज इतनी मधुर है कि आप कुछ भी बोले बस सुनने का मन करता है
रश्मिरथी तो इतनी बार सुन चुकी हूँ कि याद हो गया है.....
वाह, गजब की प्रस्तुति की आपने 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अत्यंत प्रेरणादायक कविता है बड़े भैया।😊😊❤️🙏👌
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App jaise beta har ghar me hona Chahiye❤😊
Sadar pranam.jay shri.krishna.bhiya ji.jay.mata di.💖💕🙏
He mahakavi divedi ji aapko satt satt Naman 🙏🙏 , mai dhanya huyi aapki in vani sunkar
JAI Mata ji ki hukum 🙏🏻🙏🏻🌹🌹 bahut dino baad prastuti di hukum aapne to..........
DINKAR ji ke shabd or SANDIP ji ki aawaz.........waaah hukum ....shaandaar.....🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🌹
Dinkar ji ke sabd aur aapki aawaj aesa lagta he 3d me Mahabharat dekh rha hu sb kuchh mere samne ho rha ho❤
Maa Saraswati ka ashirvad hai aapki vaani ko. Mera pranam suikaar karein 🙏🏻
स्व: श्री रामधारी सिंह दिनकर जी को आकाश भर प्रणाम 🙏🙏।।
रश्मिरथी एक अमर महाकाव्य
Jai shree krishna 🙏🙏
Jai ho Mangal ho !
संदीप जी सर्वप्रथम प्रणाम आपको 🙏🙏
जब आप रश्मिरथी का काव्य पाठ करते है तो ऐसा प्रतीत होता है कि हम उस कल खण्ड के हिस्सा है। आपके काव्य पाठ के दौरान जो आपके मुखमंडल पे जो भाव प्रस्फुतित होते है, ऐसा लगता है जैसे ये काव्य पाठ ना होकर ये वास्तविकता सा अनुभव कराने लगता है।
मैं जब आपको सुनता हूं तो थोड़ा लालची भी हो जाता हूं और उसी लालच में ये सोचता हूं की काश पुरे रश्मिरथी का काव्य पाठ आपके मुखमण्डल से होता तो कितना अच्छा होता,अगर आपके पास समय हो तो जरूर इसपे विचार कीजिएगा।
🙏🙏 धन्यवाद 🙏🙏
राधे राधे भैय्या जी🙏
अपनी पहली सफलता के बाद बड़े विश्राम ना करे क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो जाएंगे तो, कई लोग यह बोलने के लिए इंतजार नहीं करेंगे की, आपकी पहली सफलता तो बस एक इत्तेफाक थी🎯📚💓👌
Dil chhu liya sir❣️❣️❣️
अंगराज कर्ण को मेरा नमन 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Lines are awsm sir
आपकी हर बात बहुत बहुत प्रेरणा से भर देती है।
Jai shree radhe krishna🙏🙏💐
Thanku sir
ruclips.net/video/Gt8RWk62PeI/видео.htmlsi=MvrhtachtwVCo3oP
❤❤❤
Very nice kvita
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Sir mere pas koi shabd nhi h tarif krne k liye itna acha itne energy ❤❤❤🙏🙏🙏
जय हो गुरुदेव
thnku sir❣️😍
क्या बात है सर आपने तो प्रत्यक्ष दर्शन करवाए कृष्ण के उस विकराल रूप के । गजब प्रस्तुति है आपकी।
ruclips.net/video/Gt8RWk62PeI/видео.htmlsi=MvrhtachtwVCo3oP
Sir your voice does judgement with this poem 🙏🏻
Waah
Kripya apna purana wala video bhi upload karen jisme manav ke baare me bhi dinar ji ne bohot accha varnan kiya hai....
Please upload karen
Varsho tak van me ghoom-ghoom
Baadhaa vighno ko choom-choom
Sah dhoop gham pani patthar
Pandav aaye kuchh aur nikhar
Saubhaagya na sab din hota hai
Dekhe aage kya hota hai
Maitri ki raah dikhaane ko
Sab ko sumaarg pe laane ko
Duryodhan ko samjhaane ko
Bheeshan vidhwans bachaane ko
Bhagwan hastinapur aaye
Pandav ka sandesha laaye
Do nyay agar to aadha do
Par isme bhi yadi baadha ho
To de do kewal paach gram
Rakho apni dharti tamaam
Hum vahi khushi se khaayenge
Parijan pe asi na uthayenge
Duryodhan woh bhi de na saka
Aashish samaaj ki le na saka
Ulte hari ko baandhne chala
Jo tha asaadhya saadhne chala
Jab naash manuj par chhaata hai
Pehle vivek mar jata hai
Hari ne bheeshan hoonkaar kiya
Apna swaroop vistar kiya
Dagmag-Dagmag diggaj dole
Bhagwan kupit hokar bole
Janjeer badhaa ab saadh mujhe
Haan haan duryodhan baandh mujhe
Yeh dekh gagan mujhme lay hai
Yeh dekh pawan mujhme lay hai
Mujhme wilin jhankaar sakal
Mujhme lay hai sansaar sakal
Amaratva phoolta hai mujh mein
Sanhaar jhoolta hai mujh mein
Udayachal mere dipt bhaal
Bhu-mandal vaksh-sthal vishaal
Bhuj paridhi bandh ke ghere hain
Mainaak meru pag mere hain
Dipte jo grah nakshatra nikar
Sab hain mere mukh ke andar
Drig ho to drishya akaand dekh
Mujhme saara brahmaand dekh
Char-achar jeev, jag kshar akshar
Nashwar manushya, surjati amar
Shat koti surya, shat koti chandra
Shat koti sarit shat sindhu mandra
Shat koti brahma vishnu mahesh
Shat koti jalpati jishnu dhanesh
Shat koti rudra, shat koti kaal
Shat koti dand dhar lokpaal
Janjeer badhaa kar saadh inhe
Haan haan duryodhan baandh inhe
Bhutal atal paatal dekh
Gat aur anagat kaal dekh
Yeh dekh jagat ka aadi srijan
Yeh dekh mahabhaarat ka rann
Mritako se pati hui bhu hai
Pahchaan kahan isme tu hai?
Ambar ka kuntal jaal dekh
Pad ke niche paatal dekh
Mutthi mein tino kaal dekh
Mera swaroop vikraal dekh
Sab janm mujhi se paate hain
Phir laut mujhi mein aate hain
Jihwa se kadhti jwaal saghan
Saanso se paata janm pawan
Pad jati meri drishti jidhar
Hansne lagti hai srishti udhar
Mein jabhi moondta hoon lochan
Chha jata charo ore maran
Baandhne mujhe to aaya hai
Janjeer badi kya laaya hai?
Yadi mujhe baandhna chahe mann
Pehle tu baandh anant gagan
Sune ko saadh na sakta hai
Wo mujhe baandh kab sakta hai?
Hit wachan nahi tune maana
Maitri ka moolya na pahchana
To le ab main bhi jata hoon
Antim sankalp sunaata hoon
Yaachna nahi ab rann hoga
Jivan jai ya ki maran hoga
Takrayenge nakshatra nikar
Barsegi bhu par wahni prakhar
Phan sheshnaag ka dolega
Vikraal kaal mukh kholega
Duryodhan rann aisa hoga
Phir kabhi na waisa hoga
Bhai par bhai tootenge
Vish-baan boond-se chutenge
Saubhag manuj ke phootenge
Vaayas shrigaal sukh lootenge
Aakhir tu bhushayi hoga
Hinsa ka par, dayi hoga
Thi sabha sann, sab log dare
Chup the ya the behosh pade
Kewal do nar na aghate the
Dhrishtrashtra-Vidur sukh paate the
Kar jod khare pramudit nirbhay
Dono pukaarte the jai-jai..
Bahot khub,bahot maja Aa gaya
Thanku so much sir ❤🙏🙏
Ramdhari Singh dinkar ye rasmirathi mere college ke jab principal the tab likhe the Langhat Singh college, Muzaffarpur🙏
रामधारी सिंह दिनकर: याचना नहीं, अब रण होगा...(कृष्ण की चेतावनी)
वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है,
यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,
मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,
संहार झूलता है मुझमें।
‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,
भूमंडल वक्षस्थल विशाल,
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
‘दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख,
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख,
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर,
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर।
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
‘शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश,
शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश,
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल,
शत कोटि दण्डधर लोकपाल।
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें,
हाँ-हाँ दुर्योधन! बाँध इन्हें।
‘भूलोक, अतल, पाताल देख,
गत और अनागत काल देख,
यह देख जगत का आदि-सृजन,
यह देख, महाभारत का रण,
मृतकों से पटी हुई भू है,
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
‘अम्बर में कुन्तल-जाल देख,
पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख,
मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।
‘जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन,
साँसों में पाता जन्म पवन,
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर,
हँसने लगती है सृष्टि उधर!
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन,
छा जाता चारों ओर मरण।
‘बाँधने मुझे तो आया है,
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे बाँधना चाहे मन,
पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है,
वह मुझे बाँध कब सकता है?
‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ,
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
‘टकरायेंगे नक्षत्र-निकर,
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
‘भाई पर भाई टूटेंगे,
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे,
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे,
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा,
हिंसा का पर, दायी होगा।’
थी सभा सन्न, सब लोग डरे,
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे,
धृतराष्ट्र-विदुर सुख पाते थे।
कर जोड़ खड़े प्रमुदित,
निर्भय, दोनों पुकारते थे ‘जय-जय’!
🙏🙏जय श्री कृष्णा🙏🙏
Great bade bhyya
Gurudev🙏🙏
Very nice presentation sir👍👍
Sir 👏👏👏👏
Aapki Hindi or bolne ka tarika.....nd jo fluency maintain krte ho
Meko toh kya bolu......Wow....wow...wow
Main toh bs sunti ich reh jati
Beautiful..... as well as motivational too
Bt abhi aap toh bhot ich km poem late ho..... Weekends pe bhi ni 🙄
Great voice and presentation.
Aapki aawaz mein koi bhi kahani aur kavita bahut achchi lagti hai..!!
❤️🙏🏻
Thanks sir
Suprb 🙏🙏🙏
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे ही सही है।
विदुर सुख पाए थे क्योंकि वह कृष्ण भक्त थे, धर्मज्ञ थे।
धृतराष्ट्र इसीलिए सुख पाए थे क्योंकि वह अंधे थे। अंधा मतलब अज्ञान ।
सत्य से दूर। अज्ञानी लोग अपने ही अज्ञान के सुख में रहते हैं।
Aapne bahut accha gaya
Or mai shrota gan s kehna chahunga
Same poem ko Manoj muntashir ji ki aawaj m ek bar suniye dil khush ho jayega 💕
NAMASTE BHAIYA
Superb
Nice aage videos daily bnaya kro time gap ko kam kro plz bhut ache bolte ho aap
😊😊❤❣🙌🙌👏
भैया कल आप बुंदेलखंड विश्वविदायल मे आये थे तब हम भी वहाँ पर उपस्थित थे
ruclips.net/video/Gt8RWk62PeI/видео.htmlsi=MvrhtachtwVCo3oP
Sir please please request hai krujetr le kar aaiye n
Why you removed all the episodes of Rashmirathi 😒
First view
Plz recite the poem as a veer ras kavi because it is a veer ras poem not a fantasy or love poem recite like ashutosh rana
आपने एक जगह कुछ परिवर्तन भी किया था ।वह यह था भीष्म विदुर सुख पाते थे ।ये ज्यादा अच्छा लगता है।क्योंकि धृतराष्ट्र तो पुत्र मोह में था
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे ही सही है।
विदुर सुख पाए थे क्योंकि वह कृष्ण भक्त थे, धर्मज्ञ थे।
धृतराष्ट्र इसीलिए सुख पाए थे क्योंकि वह अंधे थे। अंधा मतलब अज्ञान ।
सत्य से दूर। अज्ञानी लोग अपने ही अज्ञान के सुख में रहते हैं।
@@abhishek_raman गजब का विश्लेषण बताया आपने साधुवाद
Plek bar fir puri rasamirathi pad dijiye
Hypocraccy ki bat to ye hein ki jo log ye vdo dekhte hein vo aj bhi apne maata pita ke sath bura bartav karte hein. Aj bhi उन्हें सार kharacha उठाने bolte hein jab ki vo log खुद Bahut kamate hein aisa log ko toh narak mein bhi jaga nhi milne chahiye. Hein bhahvan aise पापीओ se is prithvi ko मुक्त करो
Is video pr bhi dislikes.!!!😠