वेद प्रमाणित करते हैं कि कबीर भगवान हैं ईश्वर, जिसने सारी सृष्टि बनाई है कविर्देव (कबीर परमेश्वर) #आदिपुरुष_कबीर #GodNightSaturday ♦️सुनें ईश्वर चैनल पर संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन सुबह 6:00 AM से 7:00 AM
१०१%यह ज्ञान सत्य है। आप ने सही बताया मैंने अनुभव किया है। धन्य हैं सुखराम जी महाराज। कड़क , और कड़वा माया के ज्ञान से पुरा उल्टा है कोई शूरवीर ही धारण करेगा 🙏🙏 राम राम जी
राम राम सा राम राम सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम हमे भी मीले महाराज और जीसको मीले महाराज वही जाने दूजा क्या जाने भाई सतसवरूप राम राम सा राम राम
राम राम सा राम राम संतो बहूत अच्छी तरह से समजा रहे है आप कोटी कोटी प्रणाम राम राम महाराज कहते मेरी तो शरण हंस जो भी आसी परमपद पा सी बाकी तो सकल पसतासी बांदा राम राम सा राम राम
Jo aap satsang sun rhe ho vo to Prmatma ka kary kar rhe hai.. Vo kohi dikhava Nhi kr rhe.. Vo to yh gyan dekar jeevo ko kal ke mukh se bachane ka Rasta dikha rhe hai. Aise santo ka gyan Milne bhagya walekohi Milta hai
@@महेन्द्रममम परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं। परमात्मा तुम्हारे जप तप साधना और मेडिटेशन का भूखा नहीं वह न कोई सेवा न कोई प्रार्थना और रोने धोने से रीझता या कुछ मांगने पर देगा आजतक मन बुद्धि से प्राप्त मिथ्या ज्ञान के आवरण को उतार कर फेंक दे परमात्मा तो हाजिर ही है उसकी शरण ही मुक्ती दायक। शरीर, मन, बुद्धि से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में समाजाने वाली प्रकर्ती की रचना है। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है सब ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं। समस्त चराचर में जो भी कुछ हो रहा है और जिसके द्वारा हो रहा है वह कोई भी भलाई का पात्र नहीं है और ना ही बुराई का पात्र है कारण हम सब प्रकृति की रचना हैं और उसकी कठपुतली मात्र है। जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा। पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है। इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका खावोगे अब भी चेत जावो। *नि: शब्द*के अतिरिक्त कोई सत्य नहीं। मनुष्य क्रत सभी जाति धर्म पंथ संप्रदाय मजहब जिन्होंने जप तप नाम सुमीरण साधना मेडीटेशन मंत्र तंत्र तथाअनेकानेक भक्ती साधना का ही प्रचार किया जिससे पाखंडों की फसल लहलहाती हैं और मानव मद होष होकर मानव का शारीरिक आर्थिक मानसिक शोषण करता है और आत्मिक विमुख होकर सिर्फ मन का विवेक बढा लेता है मैं का कारोबार फैलता है फिर काल का ही भयंकर ताण्डव नृत्य होता है। मनुष्य क्रत धर्म पंथ मजहब महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों के बनाये हुये अखाड़े हैं जिससे लोगों का ब्रैन वाष करके गुलाम बनाकर राज किया जासके। परमात्मा का क्या धर्म है?? विचार करो। समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं आपके दो हाथ है उनमें से ऐक हाथ से आप आठ महीने तक कुछ भी काम न लें हिलायें भी नहीं ऐसा साधन करलें...आठ माह बाद आप अनुभव कर सकते हैं कि जिस हाथ से आपने कोई काम नहीं लिया वह दूसरे हाथ की अपेक्षा कमजोर हो गया है। ईसी तरह से ... आप ने मन-बुद्धि,आंख कान की ईन्द्रियों से परमात्मा प्राप्ती के लिये अन्य लोगों के सत्संग विचार जो सिर्फ विचार ही थे.. तथा किताबों का ही सहयोग लिया है कभी अपने आत्मिक विवेक जो स्वस्फूर्त विवेक है का सहयोग लिया ही नहीं इसलिए मन का विवेक बहुत शक्तिशाली होगया जो सच्चे परमात्मा की तरफ जाने ही नहीं देता। सबकी सुनें पर समझें सिर्फ आत्मिक विवेक से.. शान्त होकर मन के सभी संस्कारों मान्यताओं से परे हटकर निस्पक्ष होकर समझने का प्रयत्न करें हालांकि आत्मिक विवेक को काम में न लेने से कफी क्षीण हो गया होगा पर कौशिष करने पर आत्मिक विवेक जरूर समझ में आयेगा उसपर लगातार विश्वास करते रहें कुछ समय बाद आपका स्वस्फूर्त विवेक बढ जायेगा यही आपको अवश्य परमात्मा के सच्चे अनुभव को प्राप्त करने में सहयोगी होगा। *नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा, परम गुरु ऐक ही है।
Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram
परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं। परमात्मा तुम्हारे जप तप साधना और मेडिटेशन का भूखा नहीं वह न कोई सेवा न कोई प्रार्थना और रोने धोने से रीझता या कुछ मांगने पर देगा आजतक मन बुद्धि से प्राप्त मिथ्या ज्ञान के आवरण को उतार कर फेंक दे परमात्मा तो हाजिर ही है उसकी शरण ही मुक्ती दायक। शरीर, मन, बुद्धि से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में समाजाने वाली प्रकर्ती की रचना है। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है सब ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं। समस्त चराचर में जो भी कुछ हो रहा है और जिसके द्वारा हो रहा है वह कोई भी भलाई का पात्र नहीं है और ना ही बुराई का पात्र है कारण हम सब प्रकृति की रचना हैं और उसकी कठपुतली मात्र है। जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा। पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है। इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका खावोगे अब भी चेत जावो। *नि: शब्द*के अतिरिक्त कोई सत्य नहीं। मनुष्य क्रत सभी जाति धर्म पंथ संप्रदाय मजहब जिन्होंने जप तप नाम सुमीरण साधना मेडीटेशन मंत्र तंत्र तथाअनेकानेक भक्ती साधना का ही प्रचार किया जिससे पाखंडों की फसल लहलहाती हैं और मानव मद होष होकर मानव का शारीरिक आर्थिक मानसिक शोषण करता है और आत्मिक विमुख होकर सिर्फ मन का विवेक बढा लेता है मैं का कारोबार फैलता है फिर काल का ही भयंकर ताण्डव नृत्य होता है। मनुष्य क्रत धर्म पंथ मजहब महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों के बनाये हुये अखाड़े हैं जिससे लोगों का ब्रैन वाष करके गुलाम बनाकर राज किया जासके। परमात्मा का क्या धर्म है?? विचार करो। समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं आपके दो हाथ है उनमें से ऐक हाथ से आप आठ महीने तक कुछ भी काम न लें हिलायें भी नहीं ऐसा साधन करलें...आठ माह बाद आप अनुभव कर सकते हैं कि जिस हाथ से आपने कोई काम नहीं लिया वह दूसरे हाथ की अपेक्षा कमजोर हो गया है। ईसी तरह से ... आप ने मन-बुद्धि,आंख कान की ईन्द्रियों से परमात्मा प्राप्ती के लिये अन्य लोगों के सत्संग विचार जो सिर्फ विचार ही थे.. तथा किताबों का ही सहयोग लिया है कभी अपने आत्मिक विवेक जो स्वस्फूर्त विवेक है का सहयोग लिया ही नहीं इसलिए मन का विवेक बहुत शक्तिशाली होगया जो सच्चे परमात्मा की तरफ जाने ही नहीं देता। सबकी सुनें पर समझें सिर्फ आत्मिक विवेक से.. शान्त होकर मन के सभी संस्कारों मान्यताओं से परे हटकर निस्पक्ष होकर समझने का प्रयत्न करें हालांकि आत्मिक विवेक को काम में न लेने से कफी क्षीण हो गया होगा पर कौशिष करने पर आत्मिक विवेक जरूर समझ में आयेगा उसपर लगातार विश्वास करते रहें कुछ समय बाद आपका स्वस्फूर्त विवेक बढ जायेगा यही आपको अवश्य परमात्मा के सच्चे अनुभव को प्राप्त करने में सहयोगी होगा। *नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा, परम गुरु ऐक ही है।
कबीर साहेब ने तो सांचों सांस में जाप करने का मना बोला सार शब्द एक धुन है वो बोलने में और लिखने में नही अति वो सार शब्द की धुन आपने अंदर ही है बाहर से नही आयेगी कोई भेदी गुरु भेद खोलेगा तो वो धुन बिना ध्यान , बिना जाप, बिना मंत्र के लगातार अखंड धुन एक ताल एक सुर में अखंड निरंतर बजती हैं इसी को ही सार शब्द बोला इसका सुमिरन करना कबीर साहेब कहते है राम हमारा जाप करे में पायो विश्राम ये अखंड धुन सतलोक में आदि अनादि से हैं इसका भेद किसी को मालूम नही था सदगुरु कबीर साहेब और सदगुरु सुखराम जी महाराज ने भेद खोला अखंड धुन का सुमरन करो सहज में धुन बज रही
Vo ram ram hi hai.. Par vo ramchandra ka ram nahi.. Jo Aadhi sadgurune sukhramji maharajne Kaha hai. Vo ram Prmatma ka nam hai..jisne Sbko banaya es dividevtako hamre liye banaya. Par Hm Prmatma ko bhulker en Devi devtako puj rhe hai
सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम श्वास के साथ राम राम अंदर श्वास बाहर गया राम राम ऐसा 20 अंदर व बाहर श्वास गया राम राम ऐसा भजन सूरू करके महाराज को शरण आने से भजन होता है महाराज कहते मेरी तो शरण हंस जो भी आसी परमपद पा सी बाकी तो सकल पसतासी बांदा राम राम सा राम राम
वेद प्रमाणित करते हैं कि कबीर भगवान हैं
ईश्वर, जिसने सारी सृष्टि बनाई है
कविर्देव (कबीर परमेश्वर)
#आदिपुरुष_कबीर
#GodNightSaturday
♦️सुनें ईश्वर चैनल पर संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन सुबह 6:00 AM से 7:00 AM
Ram ram sa ram ram guruji parnam
धन्य हो धन्य ।रामजी राय सा
राम राम जी कोटि प्रणाम सुखराम जी महाराज
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सभी संत को राम राम सा
धन्य है रामस्नेही जो आदि सतगुरू सुखराम जी महाराज जीका केवल्य ज्ञान कडक तरीकेसे समजा रहे है
राम राम सा सभा टालनपुर
राम राम सा
सतस्वरूपी संतो ने धन्य हो
सतज्ञान
सतनाम
अनन्त सुख सम्राट सतगुरु सुखराम जी महाराज ने धन्य हो, धन्य हो, धन्य हो,
!! राम राम सा !!
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अननंत सुख सम्राट सतगुरु सूखरामजी महाराज नै धन्य है धन्य हैं
Sukhram das Ji maharaj ki jai
🙏 राम जी राम सा 🙏
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
Ram ram ji koti koti pranam sukhdev Ji Maharaj 🙏🙏
राम जी राम गुरुदेव आपको कोटी कोटी प्रणाम
Samast ram sanehi Bhai aur bahinon ko mahara Ghana Ghana ram ram saa, satguru Sukh Samrat sukhram Ji Maharaj ne dhinya ho dhinya ho
केवली महापुरषों ने धन्य हो धन्य हो अमर लोक रा वासियों ने धन्य हो धन्य हो
रामजी राम..!!
राम राम सा कोटि-कोटि प्रणाम सुखराम जी महाराज
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राम सभा में सब सन्तो को राम राम सा
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सतगुरु देव जी के चरणों में कोटी कोटी naman
अनंत कोटी सुखराम जी महाराज ने प्रणाम 🙏🙏
रामराम रामराम घणा घणा रामराम . रामराम स।
१०१%यह ज्ञान सत्य है। आप ने सही बताया मैंने अनुभव किया है। धन्य हैं सुखराम जी महाराज। कड़क , और कड़वा माया के ज्ञान से पुरा उल्टा है कोई शूरवीर ही धारण करेगा 🙏🙏 राम राम जी
राम राम सा राम राम सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम हमे भी मीले महाराज और जीसको मीले महाराज वही जाने दूजा क्या जाने भाई सतसवरूप राम राम सा राम राम
Ram.ram.sa
:
@@vijayakhapre1750😅ka
.
😊) (
रामजी राम महाराज रामजी राम रामजी�राम रामरामजी राम रामजी�राम रामरामजी रामजी
धन्य है रामस्नेही संत जो सुखराम जी महाराज जी का केवल ज्ञान कड़क तरीके से बता रहे राम राम जी ,🌹🙏🌹
राम राम सा भाई
सत्ता सवरूपी सनतौ नै दणवत प्रणाम है
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
राम राम सा राम राम संतो बहूत अच्छी तरह से समजा रहे है आप कोटी कोटी प्रणाम राम राम महाराज कहते मेरी तो शरण हंस जो भी आसी परमपद पा सी बाकी तो सकल पसतासी बांदा राम राम सा राम राम
Ram ji ram ram ji ram
Ram maharaj ji 🙏🙏🌹🌹
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Ram Ji Maharaj ne dhinya ho dhinya ho
Ram ji ram maharaj sbhi maha pruso ko dhaniy ho.
बीना हुकुम लागीयो चाकरी अर्ज करे कीण आगे असंग जुगां रो सुतो हंसो सतगुरु हेला जागे 🙏 ये बाणीजी सिर्फ़ सतगुरु जी को ही सोभा देती है 🙏
Right
आप ने एकदम सही कहा
सतगुरु जी कौन हे
Ye aapki bhul hai aap bahut abhagi jeev Ho jo Prmatma ka es gyan ko zhut sabit kr rhe hai
Jo aap satsang sun rhe ho vo to Prmatma ka kary kar rhe hai.. Vo kohi dikhava Nhi kr rhe.. Vo to yh gyan dekar jeevo ko kal ke mukh se bachane ka Rasta dikha rhe hai. Aise santo ka gyan Milne bhagya walekohi Milta hai
Ram Ram ji Maharaj ji ❤❤❤❤❤
राम राम राम सा🙏🙏🙏🙏🙏
सत्तगुरू सुखसम्राट श्री श्री सुखरामजी महाराज ने धन्य हो धन्य हो.... बिराई धाम की जय....
आपको बहुत बहुत साधुवाद
जो हो युक्ति राम जी महाराज
Jai ho ram ji maharaj
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@@ravichoudhary9813youtube.com/@satguruvaani
जय श्री राम बावजी आपरी चरणा मं जय श्री राम
Jay shri ram nahi sirp satswroop ram
RAM RAM SA
जय सुखराम जी महाराज राम नाम की अनुपम कथा बताए
रामजी राम राम महाराज
Ram shabha m Ram Ram SA 🙏
🎉 राम जी राम राम राम राम राम राम राम राम राम
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राम राम सा राम राम कोटी कोटी प्रणाम राम राम
सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम
youtube.com/@satguruvaani
Dev
RAM G.ram
Satgurusukhramjimaharajne dhanyahodhanyaho dariyavjimaharajne dhanyahodhanyaho ramjiram
Ram ram sa
त
@@महेन्द्रममम
परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं।
परमात्मा तुम्हारे जप तप साधना और मेडिटेशन का भूखा नहीं वह न कोई सेवा न कोई प्रार्थना और रोने धोने से रीझता या कुछ मांगने पर देगा आजतक मन बुद्धि से प्राप्त मिथ्या ज्ञान के आवरण को उतार कर फेंक दे परमात्मा तो हाजिर ही है उसकी शरण ही मुक्ती दायक।
शरीर, मन, बुद्धि से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में समाजाने वाली प्रकर्ती की रचना है। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है सब ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं।
समस्त चराचर में जो भी कुछ हो रहा है और जिसके द्वारा हो रहा है वह कोई भी भलाई का पात्र नहीं है और ना ही बुराई का पात्र है कारण हम सब प्रकृति की रचना हैं और उसकी कठपुतली मात्र है।
जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं
इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा।
पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है।
इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी
उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका
खावोगे अब भी चेत जावो।
*नि: शब्द*के अतिरिक्त कोई सत्य नहीं।
मनुष्य क्रत सभी जाति धर्म पंथ संप्रदाय मजहब जिन्होंने जप तप नाम सुमीरण साधना मेडीटेशन मंत्र तंत्र तथाअनेकानेक भक्ती साधना का ही प्रचार किया जिससे पाखंडों की फसल लहलहाती हैं और मानव मद होष होकर मानव का शारीरिक आर्थिक मानसिक शोषण करता है और आत्मिक विमुख होकर सिर्फ मन का विवेक बढा लेता है मैं का कारोबार फैलता है फिर काल का ही भयंकर ताण्डव नृत्य होता है। मनुष्य क्रत धर्म पंथ मजहब महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों के बनाये हुये अखाड़े हैं जिससे लोगों का ब्रैन वाष करके गुलाम बनाकर राज किया जासके।
परमात्मा का क्या धर्म है?? विचार करो।
समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं
आपके दो हाथ है उनमें से ऐक हाथ
से आप आठ महीने तक कुछ भी काम न लें हिलायें भी नहीं ऐसा साधन करलें...आठ माह बाद आप अनुभव कर सकते हैं कि जिस हाथ से आपने कोई काम नहीं लिया वह दूसरे हाथ की अपेक्षा कमजोर हो गया है।
ईसी तरह से ...
आप ने मन-बुद्धि,आंख कान की ईन्द्रियों से
परमात्मा प्राप्ती के लिये अन्य लोगों के सत्संग विचार जो सिर्फ विचार ही थे.. तथा किताबों का ही सहयोग लिया है कभी अपने आत्मिक विवेक जो स्वस्फूर्त विवेक है का सहयोग लिया ही नहीं इसलिए मन का विवेक बहुत शक्तिशाली होगया जो सच्चे परमात्मा की तरफ जाने ही
नहीं देता।
सबकी सुनें पर समझें सिर्फ आत्मिक विवेक से..
शान्त होकर मन के सभी संस्कारों मान्यताओं से परे
हटकर निस्पक्ष होकर समझने का प्रयत्न करें हालांकि
आत्मिक विवेक को काम में न लेने से कफी क्षीण हो गया होगा पर कौशिष करने पर आत्मिक विवेक जरूर समझ में आयेगा उसपर लगातार विश्वास करते रहें कुछ समय बाद आपका स्वस्फूर्त विवेक बढ जायेगा यही आपको अवश्य परमात्मा के सच्चे अनुभव को प्राप्त करने में सहयोगी होगा।
*नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा, परम गुरु ऐक ही है।
Sadguru Maharaj din ho dinho Din Ho
राम राम सा
Jay shree ram 🙏🙏🙏
Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram ji Ram
सभी. संत.ने.राम.राम.सा......
सत साहेब
Ram ram saaa
सत सत सत साहेब
Ram ram sa
राम जी महाराज ने धन्य हो धन्य हो भाई संता जी 🙏🙏
Sukram ji maharaj ne mera koti koti or am
Suk Ram ji maharaj ne mera koti koti Parnam
Ram
Bhaeeji. App. Ko. ...shath. Shath. Ram,_Ram..Dadiji. Shisiya. M: L p
Ram ram sa 🙏
परम गुरु तो परमात्मा(नि:शब्द) ही है वह बिमारी का ज्ञान नहीं देता बिना किसी भी तरह के भेद भाव के मनुष्य ही नहीं समस्त चराचर के शुन्य ,तत्त्व ,अतत्व,सजीव निर्जीव पिंड ब्रह्मंड जोभी उसकी शरण मे आजाये उसे निरबन्ध करके प्रकर्ति के माया जाल से मुक्त कर देते हैं।
परमात्मा तुम्हारे जप तप साधना और मेडिटेशन का भूखा नहीं वह न कोई सेवा न कोई प्रार्थना और रोने धोने से रीझता या कुछ मांगने पर देगा आजतक मन बुद्धि से प्राप्त मिथ्या ज्ञान के आवरण को उतार कर फेंक दे परमात्मा तो हाजिर ही है उसकी शरण ही मुक्ती दायक।
शरीर, मन, बुद्धि से अनुभव में आनेवाले सब शुन्य से उत्पन्न होकर शुन्य में समाजाने वाली प्रकर्ती की रचना है। सजीव या निर्जीव --जीव अवस्था ही है सब ऐक दूसरे पर आधारित हैं अर्थात सब परजीवी।आत्मनिर्भर कोई नहीं।
समस्त चराचर में जो भी कुछ हो रहा है और जिसके द्वारा हो रहा है वह कोई भी भलाई का पात्र नहीं है और ना ही बुराई का पात्र है कारण हम सब प्रकृति की रचना हैं और उसकी कठपुतली मात्र है।
जितने भी पंथ, धर्म, ग्रंथ किताबें हैं यह मनुष्य क्रत हैं
इनमें कभी भी आपको पूर्ण सत्य नहीं मिलेगा।
पूर्ण सत्य का अनुभव मन के पार ही होता है।
इस प्रथ्वी पर सबसे निक्रष्ट प्राणी मनुष्य ही है जिसने अपने स्वार्थ के लिए हवा, पानी,जमीन को प्रदूषित करदी
उसकी क्रतियों पर विश्वास करते हो भयंकर धोका
खावोगे अब भी चेत जावो।
*नि: शब्द*के अतिरिक्त कोई सत्य नहीं।
मनुष्य क्रत सभी जाति धर्म पंथ संप्रदाय मजहब जिन्होंने जप तप नाम सुमीरण साधना मेडीटेशन मंत्र तंत्र तथाअनेकानेक भक्ती साधना का ही प्रचार किया जिससे पाखंडों की फसल लहलहाती हैं और मानव मद होष होकर मानव का शारीरिक आर्थिक मानसिक शोषण करता है और आत्मिक विमुख होकर सिर्फ मन का विवेक बढा लेता है मैं का कारोबार फैलता है फिर काल का ही भयंकर ताण्डव नृत्य होता है। मनुष्य क्रत धर्म पंथ मजहब महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों के बनाये हुये अखाड़े हैं जिससे लोगों का ब्रैन वाष करके गुलाम बनाकर राज किया जासके।
परमात्मा का क्या धर्म है?? विचार करो।
समरस,भेदभाव रहित, अजर,अमर,अखन्ड, अविनाशी, अजन्मा, विदेही, सर्व व्यापक, सर्व समर्थ,अकर्ता, सबका आधार सर्जन विसर्जन से परे,निर्लिप्त, निर्मोही है। *नि: शब्द* ही ऐसा हैअन्य कोई नहीं
आपके दो हाथ है उनमें से ऐक हाथ
से आप आठ महीने तक कुछ भी काम न लें हिलायें भी नहीं ऐसा साधन करलें...आठ माह बाद आप अनुभव कर सकते हैं कि जिस हाथ से आपने कोई काम नहीं लिया वह दूसरे हाथ की अपेक्षा कमजोर हो गया है।
ईसी तरह से ...
आप ने मन-बुद्धि,आंख कान की ईन्द्रियों से
परमात्मा प्राप्ती के लिये अन्य लोगों के सत्संग विचार जो सिर्फ विचार ही थे.. तथा किताबों का ही सहयोग लिया है कभी अपने आत्मिक विवेक जो स्वस्फूर्त विवेक है का सहयोग लिया ही नहीं इसलिए मन का विवेक बहुत शक्तिशाली होगया जो सच्चे परमात्मा की तरफ जाने ही
नहीं देता।
सबकी सुनें पर समझें सिर्फ आत्मिक विवेक से..
शान्त होकर मन के सभी संस्कारों मान्यताओं से परे
हटकर निस्पक्ष होकर समझने का प्रयत्न करें हालांकि
आत्मिक विवेक को काम में न लेने से कफी क्षीण हो गया होगा पर कौशिष करने पर आत्मिक विवेक जरूर समझ में आयेगा उसपर लगातार विश्वास करते रहें कुछ समय बाद आपका स्वस्फूर्त विवेक बढ जायेगा यही आपको अवश्य परमात्मा के सच्चे अनुभव को प्राप्त करने में सहयोगी होगा।
*नि: शब्द*आत्मा, परमात्मा, परम गुरु ऐक ही है।
राम राम
RAM RAM RAM RAM RAM RAM SA
वेदोमे प्रमाण है कबीर साहेब ही भगवान है
Geeta me proof h....krishna is god
Sb ki alg alg thinking h...
Right?
Nice sant garu ji
youtube.com/@satguruvaani
राम जी राम महराज
Sat
Guru
Ram ji ram ram Maharaj Varun Neetu divyank pareek
Ram ram
Sataguru sukhramji maharaj ne dhanye ho dhanye ho
Maharaj ji ki or vani do
🙏Ram🙏 ram
🙏Ram🙏 🙏ram🙏🙏🙏🙏🙏 sa
Raam ji Raam
ramramsa
Sab Ram snehyo ko mera 🙏🙏🙏🙏 Ram ji ram maharaj
Ram Ram sa 🙏🙏🙏🙏Bahuthi gahri bat batai hai
Ram ji ram sa
Jai ho ram hi ri
Parnaam Ram ram sab santo ko
राम जी राम
सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम कोटी कोटी प्रणाम राम राम सा
Vijaya Khapre ८
Ram ram sa
@@vloggerpawar2565 राम राम अनंत कोटी कोटी प्रणाम राम राम सा
Dhanyahodhanyaho
Laxmi Pawar you in I'm by chance by tomorrow to
Thanks
Ram ram SAtswrupi ram
Ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram ram
राम राम सा
Ram Ram sa santo
Rameshwar Jadhav Ram Ram sa
RAM Ji RAM saaa
ram ji ram
Ram ji ram maharaj
तारा जी अग्रवाल का कथन सत्य है या चढ़ावा नहीं होना चाहिए
Satguru sukhram ji to photo ,murti pooja h nhi vaniji me to app ke to satag photo rakh rahi h
Ram ram ram ram
Ram
ram ram ram ram saaaaaaaaaaa
Ramsnehi Santa Pune
Ramsnehi prawachan
Mujhe bhi like do Ram Ram sa
Ram sa ram
Sumer Sumer 'UGC
कबीर साहेब ने तो सांचों सांस में जाप करने का मना बोला सार शब्द एक धुन है वो बोलने में और लिखने में नही अति वो सार शब्द की धुन आपने अंदर ही है बाहर से नही आयेगी कोई भेदी गुरु भेद खोलेगा तो वो धुन बिना ध्यान , बिना जाप, बिना मंत्र के लगातार अखंड धुन एक ताल एक सुर में अखंड निरंतर बजती हैं इसी को ही सार शब्द बोला इसका सुमिरन करना कबीर साहेब कहते है राम हमारा जाप करे में पायो विश्राम ये अखंड धुन सतलोक में आदि अनादि से हैं इसका भेद किसी को मालूम नही था सदगुरु कबीर साहेब और सदगुरु सुखराम जी महाराज ने भेद खोला अखंड धुन का सुमरन करो सहज में धुन बज रही
वह जो सतशब्द है वह केवल राम नाम से प्रगट होता है , रामपाल भ्रमित कर रहा है,
राम राम
Ram ram 🙏
Ram ji ram sa🙏🏻🙏🏻
Jai ho🙏🙏
Hay
सुखराम जी महाराज ने स्वांसों सांस का सिमरण बताइए वह राम-राम है या अलग
Vo ram ram hi hai.. Par vo ramchandra ka ram nahi.. Jo Aadhi sadgurune sukhramji maharajne Kaha hai. Vo ram Prmatma ka nam hai..jisne Sbko banaya es dividevtako hamre liye banaya. Par Hm Prmatma ko bhulker en Devi devtako puj rhe hai
@@rekharathod7547 और हु भी
@@कोमलवर्मा-प2फ kya matlab
सतगुरू सुखरामजी महाराजांनी धन्य हो धन्य हो राम राम सा राम राम श्वास के साथ राम राम अंदर श्वास बाहर गया राम राम ऐसा 20 अंदर व बाहर श्वास गया राम राम ऐसा भजन सूरू करके महाराज को शरण आने से भजन होता है महाराज कहते मेरी तो शरण हंस जो भी आसी परमपद पा सी बाकी तो सकल पसतासी बांदा राम राम सा राम राम
Ye sant guru ji ka kya naam hai
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Nise
अधिक जाणकार के लिये देखे साधना टी व्ही 7:30 बजे