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  • Опубликовано: 10 окт 2024
  • ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि, मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप हुए। कश्यप और अदिति के वंश से जो (सूर्यवंश) हुआ उसी के इक्ष्वाकु कुल में चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में श्री राम का जन्म हुआ। इन्हें रामचंद्र भी कहते हैं।
    रामायण के अनुसार,महाराज दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।
    ५००(500) वर्षो बाद अयोध्या जी में श्री राम जन्मभूमि पर पुनः नवनिर्मित भव्य मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का राम लला स्वरूप में निज गृह आगमन 22(२२) जनवरी (२०२४) 2024 को हुआ।।
    वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीराम का जन्म वैवस्वत मन्वंतर में 23 वें चतुर्युग के त्रेता में हुआ था । उन्होंने करीब 11000 वर्ष अयोध्या का शासन किया था , श्री राम विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा के लिए छोटे भाई लक्ष्मण के साथ गए और ताड़का आदि राक्षस मारे उसके बाद गुरु के साथ राजा जनक के यहां उनकी पुत्री सीता के स्वयंवर में पहुंच कर शिव के धनुष को तोड़ सीता से विवाह किया,जब उन्होंने अगला राजा बनाया जा रहा था तब उनके पिता के वचन के लिए 14 वर्ष वनवास जाना हुआ जहां पर लक्ष्मण ने राक्षसों के राजा रावण की बहन शूर्पणखा के नाक कान काट दिए और उसके भाई खर दूषण का राम ने वध कर दिया।
    सूपनखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
    खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली।।
    माता सीता का अपहरण रावण द्वारा किया गया, जिसकी खोज में जटायु पक्षी जो बात करता था, जिसने रावण का प्रतिकार किया था , उनका पिता के समान अन्त्येष्टि संस्कार किया। आगे वानर द्वय हनुमान और सुग्रीव से मिले। सुग्रीव के साथ मैत्री की और उसके भाई बालि का वध कर सुग्रीव को वानरों और रीछों का राजा बनाया। हनुमान जी ने 100 योजन समुद्र लांघ कर लंका में माता सीता की खोज की। श्री राम ने रावण के भाई विभीषण को शरण दी। रावण और इसके पुत्र मेघनाद, भाई कुंभकर्ण सहित मार गिराए । रामेश्वरम् में शिवलिंग स्थापित किया जो की ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि में शक्ति की पूजा के उपरांत समुद्र पर पुल बनाया और रावण को विभीषण के द्वारा बताए रहस्य से जान कर मार गिराया। पुष्पक विमान के द्वारा माता सीता को लेकर शीघ्र भरत भैया के पास अयोध्या पहुंचे। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा का प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की थी। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभाव पूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की थी, जो कि अवधी भाषा की श्रेष्ठ एवं वृहत्तम रचना भी है। संप्रति, यह अत्यंत प्रसिद्ध है। इसे एक ग्रन्थ की संज्ञा दी गई है। दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएँ हुई हैं, जो बहुत प्रसिद्ध भी हैं। स्वामी करपात्री ने रामायण मीमांसा में विश्व की समस्त रामायण का लेखा हैं , दक्षिण के क्रांतिकारी पेरियार रामास्वामी व ललई सिंह की रामायण भी मान्यताप्राप्त है। भारत में श्री राम अत्यन्त पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा विश्व के कई देशों में भी श्रीराम आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं जैसे नेपाल, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया आदि । श्री राम रघुकुल क्षत्रिय वंश में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्रान जाहुँ बरु #india #viral
    #indian #ganga बचनु न जाई।।[1] की थी जोकि वर्तमान में भी सूर्यवंशी क्षत्रिय (राजपूतों) द्वारा व्यवस्थित की जा रही| ब्राह्मणों के अनुसार राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं।
    दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्या

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