Same culture Uttarakhand ke jaunsar me bhi hai or hamaare bhi devta mahasu maharaaj hain , mana jata hai ki jaunsar bhi kabhi sirmor me aata tha lekin baad me ye himachal se alag hua or ab Uttarakhand me jud gaya lekin sirmor or jaunsari culture same hai ❤❤
I don’t understand the divide of region It’s the festival of almost all mahasu belt of uttrakhand and Himachal ,or even areas from Yamuna valley of uttrakhand to Himachal It is celebrated mostly where devta( Maharaj) is residing for the time period and also in villages.
भाई पहले पूरी रिसर्च किया करो वीडियो बनाने से पहले यह hatti tribe में ही नहीं पूरे अप्पर हिमाचल में मनाई जाती है । Nirmand kullu में बूढ़ी दिवाली वैदिक काल से मनाई जाती है ।
जय देवभूमि हिमाचल प्रदेश आपका वीडियो बहुत ही सराहनीय कदम है गढ़वाल में मुख्यतः मेरा गांव यहां पर आदिकाल से भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर है पिछला इतिहास बताता है शांकासुर राक्षस के वध करने के लिए भगवान लक्ष्मी नारायण दीपावली से पूर्व यहां से चले गए थे दीपावली पर यहां पर के लोगों ने दीपावली नहीं मनाई थी राक्षस के बाद करने के बाद भगवान् क्षीरसागर में नाग सैया पर लेट गए दीपावली के ठीक 11 दिन बाद एकादशी पर भगवान अपने स्थान पर लौट आए फिर गांव के लोगों ने दीपावली मनाई थी जिसको बूढ़ी दिवाली कैसे हैं इस दिवाली को संपूर्ण गढ़वाल में बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं हमारा गढ़वाल कुमाऊं हिमाचल प्रदेश एक जैसा रीति रिवाज है मैं देवभूमि को प्रणाम करता हूं भगवान लक्ष्मी नारायण हमारे इस देवभूमि क्षेत्र को खुशी खुशहाल रखें मैं सेना में कार्यरत रहते हुए हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र भ्रमण किया बहुत अच्छे ईमानदार लोग हैं सबकी खुशहाली के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं जय श्री लक्ष्मी नारायण
आप गलत हिस्ट्री बता रहे है ये दिवाली पांडव के आगमन पर पर मनाई गए है रामचंद्र वाली दिवाली का तो पता है 1 महीने लेट पता की तो कोई बात नहीं है. आप गलत मत बताओ...
महोदय हां मेरा मानना यह है की, मुझे लगता है की इस वीडियो में इनके द्वारा दिया गई जानकारी ज्यादा सटीक बैठती है। ऐसा कैसे हो सकता है कि श्री रामचंद्र के अयोध्या लौटने का पता दक्षिणी भारत में तो समय पे लग गया परंतु हमारे क्षेत्र में इस जानकारी को पहुंचने के लिए 1 महीना लग गया, जबकि दक्षिणी भारत का क्षेत्र तो दूर है। ⛳
Upper Mandi,Upper Kullu aur Upper Shimla mei bhi budhi Diwali manaye jati hai bahut utsah ke sath 🙏🙏
Same culture Uttarakhand ke jaunsar me bhi hai or hamaare bhi devta mahasu maharaaj hain , mana jata hai ki jaunsar bhi kabhi sirmor me aata tha lekin baad me ye himachal se alag hua or ab Uttarakhand me jud gaya lekin sirmor or jaunsari culture same hai ❤❤
Jaunpur me bhi manate hain
मेरे गढ़वाल में बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है,बिलकुल उसी प्रकार जैसे हिमांचल में मनाई जाती है ।
Garhwal mein nahin, Jaunsar-Bawar aur Jaun pur kshetra mein......kyun k humaara culture same hai. 🙄😐
Apna sirmaur ❤😮
I don’t understand the divide of region
It’s the festival of almost all mahasu belt of uttrakhand and Himachal ,or even areas from Yamuna valley of uttrakhand to Himachal
It is celebrated mostly where devta( Maharaj) is residing for the time period and also in villages.
😊😊😊
True gems of Himalayan culture ❤
Wow. Beautifully documented.
nice video....
भाई पहले पूरी रिसर्च किया करो वीडियो बनाने से पहले यह hatti tribe में ही नहीं पूरे अप्पर हिमाचल में मनाई जाती है । Nirmand kullu में बूढ़ी दिवाली वैदिक काल से मनाई जाती है ।
mandi me mnate ha vese
YOU ARE RIGHT 👍▶️
सही कहा
Absolutely right
In uttrakhand too but we celebrate it after 15 days of diwali.
This is an amazing video😍
Thanks dear ...
Ati sundar presentation ❤
Thanks
hope next generation will carry this culture
Brother 🙌👏👏
Great indeed. Keep it up Nishant. 👍
Thanks
Very nice Nishant ji…..
Great ❤❤❤❤❤
Thanks
Great
Nice1
अति सुन्दर प्रस्तुति (DOCUMENTRY)
जय देवभूमि हिमाचल प्रदेश आपका वीडियो बहुत ही सराहनीय कदम है गढ़वाल में मुख्यतः मेरा गांव यहां पर आदिकाल से भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का मंदिर है पिछला इतिहास बताता है शांकासुर राक्षस के वध करने के लिए भगवान लक्ष्मी नारायण दीपावली से पूर्व यहां से चले गए थे दीपावली पर यहां पर के लोगों ने दीपावली नहीं मनाई थी राक्षस के बाद करने के बाद भगवान् क्षीरसागर में नाग सैया पर लेट गए दीपावली के ठीक 11 दिन बाद एकादशी पर भगवान अपने स्थान पर लौट आए फिर गांव के लोगों ने दीपावली मनाई थी जिसको बूढ़ी दिवाली कैसे हैं इस दिवाली को संपूर्ण गढ़वाल में बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं हमारा गढ़वाल कुमाऊं हिमाचल प्रदेश एक जैसा रीति रिवाज है मैं देवभूमि को प्रणाम करता हूं भगवान लक्ष्मी नारायण हमारे इस देवभूमि क्षेत्र को खुशी खुशहाल रखें मैं सेना में कार्यरत रहते हुए हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र भ्रमण किया बहुत अच्छे ईमानदार लोग हैं सबकी खुशहाली के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं जय श्री लक्ष्मी नारायण
धनय्वाद महोदय
Budhi Diwali is celebrated in Uttarakhand, Himachal and Nepal.
Sangla may b manai jati hai... Diwall bolte hai yaha
Same as jaunsari culture of uttarakhand
Hatti ki maati....
आप गलत हिस्ट्री बता रहे है
ये दिवाली पांडव के आगमन पर पर मनाई गए है
रामचंद्र वाली दिवाली का तो पता है
1 महीने लेट पता की तो कोई बात नहीं है.
आप गलत मत बताओ...
महोदय हां मेरा मानना यह है की, मुझे लगता है की इस वीडियो में इनके द्वारा दिया गई जानकारी ज्यादा सटीक बैठती है।
ऐसा कैसे हो सकता है कि श्री रामचंद्र के अयोध्या लौटने का पता दक्षिणी भारत में तो समय पे लग गया परंतु हमारे क्षेत्र में इस जानकारी को पहुंचने के लिए 1 महीना लग गया, जबकि दक्षिणी भारत का क्षेत्र तो दूर है।
⛳
हर एक गांव की अपनी अलग अलग मान्यताएं हैं। इस गांव में ये प्रचलित हैं।
आप ने सब ठीक बोला परन्तु आपने 1 महीने वाली बात गलत बोली है जो गलत जानकारी आप दे रहे हो.....
ये दिवाली पांडव के आगमन के लिए मनाई गयी जनाब....
victory of khasyas
poeple in himalays
leads to the celebration
ऐसा नहीं है ,,, इसका संबंध पांडवों और खशों की जीत से है ।
सुंदर। लेकिन कितनी विडंबना देखने को मिली। इस ख़ुशी में महिलाएं, नाचती गातीं कम दिख रही है। पुरुषों ने कहीं यहां भी उनके हिस्से को अतिक्रमण न किया?