[9/2, 15:46] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।मैने छोड कर दुनियादारी को सारशबद अखण्ड से नाता जोड लिया। ऐसी सुगम सहज लखाई सतगुरु जी ने डगरिया-सारशबद अखण्ड से नाता जोड लिया।।00।।काम क्रोध मद लोभ लुटेरे, जनम जनम के बैरी मेरे। तन से दूर भगाई हो, सतगुरु जी ने।।काट दिये सब माया मोह काल जाल के फंदे, सारशब्दी खडग चलाई हो,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो--।।01।।सुरति शबद की संगत कराके, आत्मा को परमात्मा मे मिला कर, मुक्ती की राह चलाई हो,,सतगुरु जी ने।विदेही बेहदी सत कबीर साहेब जे सारशबद अखण्ड धुन चित्त मे लखाया,,भवसागर से हमको उस पार कराया,,आवागमन मिटाई हो,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो--।।02।।साँई अरुण जी महाराज के सतसंग सुन सुन कर, सतधाम का सारशबद अखण्ड को पाकर,,सत साहेब कबीर सुजान के हम गुण गाई हो,,सतगुरु जी के। बिन रंग रूप रेख के सतगुरु सत साहेब को पाया, जनम मरण का रोग मिटाया। ऐसा सहज समाधि योग विहंगम चाल लखाया,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो डगरिया--।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-🙏🏻🌹 [9/2, 16:02] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ तैतीसवां शब्द।।जेहि सरवर बिच मोतिया चुनते, बहु विधि केलि कराय।।00।।सूखे ताल पुर इनि जल छोडे, कमल गयो कुंभिलाई। कहत कबीर जो अबकी बिछुरै, बहुरि मिलै कब आई।।01।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018🙏🏻🌹
राधा स्वामी भाई
Wah ji gazzzzzabb aavaj h
Sat sahib ladu ram ji
[9/2, 15:46] Shalekh Gram Soni: ।।मुक्तक छंद कविता।।मैने छोड कर दुनियादारी को सारशबद अखण्ड से नाता जोड लिया। ऐसी सुगम सहज लखाई सतगुरु जी ने डगरिया-सारशबद अखण्ड से नाता जोड लिया।।00।।काम क्रोध मद लोभ लुटेरे, जनम जनम के बैरी मेरे। तन से दूर भगाई हो, सतगुरु जी ने।।काट दिये सब माया मोह काल जाल के फंदे, सारशब्दी खडग चलाई हो,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो--।।01।।सुरति शबद की संगत कराके, आत्मा को परमात्मा मे मिला कर, मुक्ती की राह चलाई हो,,सतगुरु जी ने।विदेही बेहदी सत कबीर साहेब जे सारशबद अखण्ड धुन चित्त मे लखाया,,भवसागर से हमको उस पार कराया,,आवागमन मिटाई हो,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो--।।02।।साँई अरुण जी महाराज के सतसंग सुन सुन कर, सतधाम का सारशबद अखण्ड को पाकर,,सत साहेब कबीर सुजान के हम गुण गाई हो,,सतगुरु जी के। बिन रंग रूप रेख के सतगुरु सत साहेब को पाया, जनम मरण का रोग मिटाया। ऐसा सहज समाधि योग विहंगम चाल लखाया,,सतगुरु जी ने-ऐसी सुगम सहज लखाई हो डगरिया--।।03।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018-🙏🏻🌹
[9/2, 16:02] Shalekh Gram Soni: ।।कबीर बीजक पुराना।।अथ तैतीसवां शब्द।।जेहि सरवर बिच मोतिया चुनते, बहु विधि केलि कराय।।00।।सूखे ताल पुर इनि जल छोडे, कमल गयो कुंभिलाई। कहत कबीर जो अबकी बिछुरै, बहुरि मिलै कब आई।।01।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।7898158018🙏🏻🌹
Waah ji waah
Wa laduram Ji jeyo Hajar sal
धन्यवाद जी राम राम
Nice ji
Bahut hi sundar 🙏🙏❤️❤️🙏🙏
Jai gurudev 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🎉❤
जयश्री नाथजी
गजब
जय श्री नाथ जी
राम राम जी धन्यवाद आपका
Sat Saheb💞 ji
सुंदर वाणी
धन्यवाद जी
Sat sahib 🙏🏻
Aapki es bani ke bhut jaeruat ha ji🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
🙏🙏
Waah ji waah 💛
वाह जी वाह लाधूराम जी
सत साहेब
Hri om
Supr bhjn
धन्यवाद जी
sat saheb ji
राम राम जी
Bahot khas bhajan
राम राम जी धन्यवाद आपका🙏🙏
❤❤❤😊😊😊😊😊
वाह जी वाह संतो
धन्यवाद
Jai Shiree Nath ji
राम राम जी
Sat saheb ji 💚
❤❤❤❤
Jai ho Satguru Deendyal kii 🙏 🙏
राम राम जी
राम राम जी
@@MRSONI_MUSIC ram ram jii
Jay data hari shah
Sat saheb ji subhash chander ghotter kagdana
राम राम जी
सतगुरू कबीर जी साहेब
राम राम जी
Mo Tata khesari
Radha swmai ji🎉
Sat Sahib ji
धन्यवाद जी राम राम