ये बात सही है जैन धर्म सिर्फ वैश लोग तक ही सीमित राहा, जबकी बुद्ध का धर्म हर जाति वर्ग तक pahucha, बुद्ध ने मध्यम मार्ग को स्वीकारा मध्य मे ही कल्याण है.
जैन धर्म ईश्वर के प्रति उदासीन नही है। ईश्वर स्वरूप की स्पष्ट व्याख्या मिलेगी। और जैन धर्म की पूरी साधना स्वयं ईश्वर बनने (मोक्ष प्राप्ति)के लिए ही है.
आपने बहुत ही अच्छे तरह से समझाया है भगवान बुद्ध जी प्रतित्य समुत्पन्न सिध्दांत के अन्तर्गत पुनर्जन्म को समझाया है और वह कहते हैं चित्त ही जगत का अविनाशी अंश है इसे चैतसिक धम्म को समझकर समझा जा सकता है! बुद्ध और उनका धम्म में इसका उल्लेख है!
Very clearly explained . I would like to add that Aristotle followed The Buddha 's Maddham Marg and called it the golden mean . For example : rashness- bravery - cowardice. Bravery is the Golden Mean. Rashness and Cowardice are extremes .
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भगवान बुद्ध से हुई,जबकि जैन धर्म अनादि काल से माना जाता है,भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर थे,उनसे पहिले 23तीर्थंकर हुए है,अहिंसा में जैन धर्म का कोई मुकाबला नहीं है,
कमोबेश जैन धर्म और बौद्ध धम्म पर कुछ विशेष प्रश्न इसलिए नहीं बनता है कि यह उस समय की बात है जब 90 प्रतिशत लोग अधनंगे रहते थे, भोजन का पता नहीं था, दक्षिण पन्थियों से त्रस्त थे, फिर इतने ऊंचे विचारों तक सोच कैसे सकते थे कि जिस पर आज भी लोग चल नहीं पा रहे हैं, या चलने से कतराते हैं या चल पाने में असमर्थ हैं, अंततः चल नहीं पाएंगे, विषय अत्यंत विस्तृत है।नमो बुद्धाय।
असामानताये जैन धर्म के माध्यमसे गलत है... जैन धर्म आत्मा और शरीर को अलग अलग मानता है इस लिये आत्मा के साधना मे शरीर के सुखो का त्याग होता है.. खुद भगवान गौतम स्वामी ने अंतरात्मा का ही द्यान करके ज्ञान को प्राप्त किया था.. तो उन्होने कब कहा की उनके कोई ईश्वर या भगवान है.. और ऐसा क्यू कहेंगे की आत्मा नही है.. फिर संसार का मोह त्याग कर किस राह पर चल दिये..???????? और जैन धर्म के संघ वेवस्था के बारमे आपको 'किताब मे झाकणे के अलवा किसी मुनी संघ को जाण ने की जरुरत है... क्यू की जितने भी जैन आचार्य, उपध्यय, साधू, और साध्वी सब मुनी संघ के ही तो अंग है.. और जैन धर्म का परम मंत्र जो नमोकार मंत्र है.. उसमे आचार्य, उपध्यय, और समस्त साधुओनको नमस्कार किया है...
Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of Jain and Buddhist religion. I am Hindu MARATHA converted into sikh but secular M govt PENSIONER and FARMER by Occupation. My 2children are well educated. Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of...
सर बहुत अच्छा बताया आपने। जीव अजीव दीपक तेल वाती आग ज्योति कैवल्य केवली भाव,शून्य समाधि त्रिरत्न चार सत्य पंचशील और अष्ट सम्यक चौबीस तीर्थंकर और चालिस बौद्ध के बारे में भी बताते तो संक्षिप्त तुलनात्मक समीक्षा हो जाती। धन्यवाद
आपके जाणकारी के लिये बुध्द धम्म है. ना की धर्म ओर एक बात अपने की है की बौद्ध धम्म पुनर्जन्म को स्वीकार करते है... ये गलत है इसके लिये बुद्ध ओर उनका धम्म ये बुक पड लेना.... बौद्ध ने कभी भी देव, आत्मा, पुनर्जन्म, जातभेत पर विश्वास नहीं रका.... जय भीम 🇪🇺💙
भारत में धर्म की परिभाषा west के दीन मज़हब religon से भिन्न है। अगर west के अनुसार हम देखेंगे तो सिख,जैन,बौद्ध,सनातन धर्म एक ही है।केवल सम्प्रदाय- पंथ अलग है।जोकि west के religon/मजहब के समकक्ष है। अगर इस अर्थ में आप बोलेंगे तो भारतीय सम्प्रदाय अलग अलग है। अगर धर्म की भारतीय परिभाषा के अनुसार देखेंगे तो सभी भारतीय विचारधारा दर्शन(philosphy) एक ही धर्म है। क्योंकि भारतीय अध्यात्म दर्शन में चार्वाक सिद्धान्त जोकि पूर्णतया ethist या नास्तिक है वह भी अलग नहीं मानी गई, और ना ही द्वेष की दृष्टि से देखी गई।
कर्मकांड में तो ये दोनों धर्म भी फंसे। धर्म द्वारा अर्जित उपलब्धियों की तार्किक व्याख्या और उसके नवोन्मेष के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा भी की जाने की ज़रूरत है अन्यथा सभी धर्म, वे कोई भी हों, संकीर्णता और कट्टरता में सीमित होने के लिए अभिषप्त होंगे। मैं ये बातें सिर्फ़ जैन या बौद्ध धर्म के संबंध में नहीं कह रहा, यह विचार सभी धर्मों के संदर्भ में है।
कोईभी दो धर्मों में संपुर्ण समानता कभी नहीं हो सक्ति, ओर ना ही कोई धर्म कीसी दुसरे धर्म के विरुद्ध होता है, सत्य केवल एक होता है लेकीन जब आम जनता को समझाने की कोशिश की जाती है वो समय गुजरते बेअसर हो जाये या विक्रुत हो जाय या फीर परीस्थितीया बदल जाए तब पहेले की गै बातें या व्यवस्था में बदलाव जरुरी लगता है तब नये सीरे से कोशिश करनी पड़ती है, तब कुछ लोग पुराने को पकड़े रहेंगे और जो नये होंगे उन्हें नया सही लगेगा, इसी तरह अलग अलग धर्म और संप्रदाय की भेंट हमें मीली है, ईसलीऐ दो धर्मों या संप्रदायों को एक दुसरे के साथ कंपेर करने से सामान्य व्यक्ति कन्फ्युज हो जाते हैं, लेकीन बारीकी से तटस्थ होकर देखा जाए तो उनके मुल तत्व में कोई विरोध नहीं होता, लेकीन प्रोब्लेम इस लीऐ खड़े होते हैं की जब सत्य को नयी रीत से कहा या समझाया जाता है तो पुराने को समाप्त नहीं कीया जा सक्ता,। तब बाद में नये ओर पुराने दोनों में विवाद शुरु होता है, अभी समझो फेस बुक या वोटसेप का नया वर्जन आता है तो, कंपल्सरी पुराने को डीलीट करने के बाद ही नया वर्जन अपडेट होता है, वैसा धर्म में हो सक्ता होता तो कोई विवाद की बात ही ना होती लेकीन वो संभव नहीं है ना, तो कीसी भी व्यक्ति को जींस धर्म में लगाव है उसी को पकड़ कर पहेले तो परम सत्य को पाना पड़े, अगर सत्य का खोजी है उसकी बात करता हु, इस के बाद वो खुद समझ जायेगा की कीसी भी धर्म में आपस में कोई अन्दरोनी विरोध नहीं है, हां बाहर से तो बिल्कुल ही एक दुसरे के विरुद्ध दीखेगे, ओर इन दीखलाई पड़ने वाली विरुद्धता को तर्कों से समझाया भी नहीं जा सक्ता ऐ भी उतना ही सत्य है, मतलब तर्कातित बातें हैं, बस खुद को मीटा देना या संपुर्ण मौन की स्थिती को प्राप्त होने के बाद समजमे आनेवाली बातें हैं ,बुद्ध ओर महावीर ने मौन की स्थिती को प्राप्त करने पर ज्यादा जोर दीया है, आज के समय में बुद्ध सबसे ज्यादा उपयुक्त है, बिल्कुल वर्तमान जनरेशन की अपडेट है, लेकीन कीसी भी दुसरे की v/s में हम बुद्ध को खरा साबित करने के चक्कर में पड़े तो चुक जायेंगे, एक मोबाईल में कोईभी एक ही सोफ्टवेयर के दो वर्जन एक साथ वर्क नहीं करते, वैसे ही धर्म एक सोफ्टवेयर है, पुराना हो या नया एक ही सोफ्टवेयर डाउनलोड कीया रहेगा तो वर्क करेगा, नहीं तो दो वर्जन एकसाथ एक ही हार्डवेयर में चलाने की कोशिश करेंगे तो हेग होना नीस्चित है, ओर हेग हुवा पीस दुसरी सीसटमो को भी ब्लोक कर देता है ना, ऐ सिर्फ मैंने मेरा विचार प्रगट कीया है, जरूरी नहीं है की मेरी बात को आप सही माने, बस आपको मेरी कीसी बात से कोई दुख पहुंचा हो तो अवश्य क्षमा चाहुंगा,
देखिए साहब जो ईश्वर को मानते हैं और ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए इंसान कितने ही धर्मों में बंटाहुआ हो, उनके व्याख्यान करने का अंदाज अलग अलग हो सकता है अगर हम उनके सारांश की ओर ध्यान देंगे तो एक ही सार निकलेगा जिसका नाम है ईश्वर, गीता ग्रंथ रामायण और बाइबल एक गॉड का ही जिक्र है
जिस प्रकार से एक आम के पेड़ से आम प्राप्त होता उसके बाद उस आम की गुठली को मिट्टी में दबा दिया जाता है और एक नया पेड़ उग आता है उसी को उस पेड़ का पुनर जन्म कहा गया है
Sir jain dharma ke sansthapak bhagwan Aadinath h bhagwan mahaveer antim teerthankar h jo buddhji k samkaleen h aapko jain dharma k baare mein apni jankari badani chahiye
जैन धर्मों में दो अलग संप्रदाय हो गए हैं भेजना था दिगंबर संप्रदाय दूसरा श्वेतांबर संप्रदाय बौद्ध धर्म में भी दो अलग संप्रदाय महायान और इन दोनों का फुल समझाइए
Bundelkhand mahoday me aapki respect karta hu pr, aapne kaha vo varn vyavastha ke virodhi the, lekin unke samkaalin, koi varn hone ke pukhta saboot abhi tak nahi mile hai, isiliye ye kehna kathin hai ki vah varn vyavastha ke khilaaf the 🙏❤
सृस्टि को चलाने वाला कोई भगवान नहीं है, ये कुदरत है जरा सोचो सूरज कोई बना सकता है? धरती कोई बना सकता है? अगर बना सकता है तो सूरज कहासे लाया? धरती कहासे लाई, ये कुदरत है और इसमे नव ग्रह है , नव ग्रह की वज़हरासे जीव पैदा होते है और चार तत्व से शरीर बनता है 1) सूर्य - चैतन्य या आत्मा 2)चंद्र -मन, 3)मंगल - शरीर की शक्ति,4)बुध - बुद्धि,5) गुरु - विकास और पुण्य कर्म 6) शुक्र - वासना, sex संसार 7) शनि -कष्ट मेहनत 8) राहु - पाप कर्म 9) केतु - मुक्ति इनकी वज़हरासे सारे जीव, वृक्ष, मनुष्य पैदा होते है, मनुष्य अलग अलग स्वाभाव क्यों होते है? क्यों की 12 रशिया और 27 नक्षत्र होते है इस लिए इस संसार मे कोई बड़ा या छोटा नहीं अपनी अपनी उम्र पहलेसे ही तय होती है, राम, कृष्ण, शंकर, बुद्ध महावीर सब मरते है हमारी तरह, वो अच्छे कर्मोसे याद आते है अमर होते है. एक याद रखो, पुण्य करते रहो और पाप से दूर रहो यही जिंदगी है.
Buddhi & jaini we are best 💯👍friends👭👬 as we are from both same clan & same religious theory as well as same group of sramanas and we both believe as 4 maha vartas & only difference major is we as jain believe in non. Violence more and ahimsa in us treat at vast so we should be a good👍 with each other As we are both from kshtriyaa by birth than other we both are royal blood🩸
कई विद्वानों के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को शंकर भगवान का ही प्रारूप मानते है, इसलिए धार्मिक शक्ति का उदगम कैलाश पर्वत से ही हुआ है 🙏✅
बौद्ध हमारे देश की प्राचीनतम परंपरा है जो पूरी दुनिया में विख्यात है, जैन धर्म ब्राह्मण मानसिक अपंग के नकली धर्म की तरह ही दूसरा नकली धर्म है जो ब्राह्मण मानसिक अपंग की तरह ही लिंग पर आधारित है यानी ये और भी नंगा धर्म है।ये उज़्बेकिस्तान के आए हुए मुगल वैश्या वर्ग का धर्म है इसलिए यह भी हमारे बौद्ध इतिहास से टापे गए नकली धर्म की तरह ही है। भगवान बुद्ध ने भंग अवस्था प्राप्त कर वासना को ही भंग कर दिया था इसलिए ही ब्राह्मण मानसिक अपंग और जैनी वैश्या मानसिक अपंग ने दो नकली धर्म की कहानियों को थोपा
Bodhh dharam ka sadhu bhi nonvage khata h air jain dharam ka Samanya jain bhi nonvage nhi khata dono Me ahinsa ko leke koi Samanta nhi j jainism is great
Samanta toh sab thik hai but difference pe Jain dharm atma ke astitwa ko manne main sahi hai but baki points main bodh dharm sahi hai jaise madhyam marg ahimsa but adhik nahi. Sharir ko adhik peeda naa Dena.
मै बौद्ध हू, अपने दि हुई जाणकारी के प्रति आपका आभारी हू l नमोबुध्दाय ☸️🙏
ये बात सही है जैन धर्म सिर्फ वैश लोग तक ही सीमित राहा, जबकी बुद्ध का धर्म हर जाति वर्ग तक pahucha, बुद्ध ने मध्यम मार्ग को स्वीकारा मध्य मे ही कल्याण है.
बुद्ध धर्म नही है
बुद्ध धम्म है
बुद्ध एक विचार धारा है
Sir जब बौद्ध धर्म आत्मा को नहीं मानता तो पुनर्जन्म को कैसे मान सकता है
जैन धर्म ईश्वर के प्रति उदासीन नही है। ईश्वर स्वरूप की स्पष्ट व्याख्या मिलेगी। और जैन धर्म की पूरी साधना स्वयं ईश्वर बनने (मोक्ष प्राप्ति)के लिए ही है.
आपने बहुत ही अच्छे तरह से समझाया है भगवान बुद्ध जी प्रतित्य समुत्पन्न सिध्दांत के अन्तर्गत पुनर्जन्म को समझाया है और वह कहते हैं चित्त ही जगत का अविनाशी अंश है इसे चैतसिक धम्म को समझकर समझा जा सकता है! बुद्ध और उनका धम्म में इसका उल्लेख है!
Very clearly explained . I would like to add that Aristotle followed The Buddha 's Maddham Marg and called it the golden mean . For example : rashness- bravery - cowardice. Bravery is the Golden Mean. Rashness and Cowardice are extremes .
बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भगवान बुद्ध से हुई,जबकि जैन धर्म अनादि काल से माना जाता है,भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर थे,उनसे पहिले 23तीर्थंकर हुए है,अहिंसा में जैन धर्म का कोई मुकाबला नहीं है,
Buddhism the way of life ❤️
कमोबेश जैन धर्म और बौद्ध धम्म पर कुछ विशेष प्रश्न इसलिए नहीं बनता है कि यह उस समय की बात है जब 90 प्रतिशत लोग अधनंगे रहते थे, भोजन का पता नहीं था, दक्षिण पन्थियों से त्रस्त थे, फिर इतने ऊंचे विचारों तक सोच कैसे सकते थे कि जिस पर आज भी लोग चल नहीं पा रहे हैं, या चलने से कतराते हैं या चल पाने में असमर्थ हैं, अंततः चल नहीं पाएंगे, विषय अत्यंत विस्तृत है।नमो बुद्धाय।
बाैद्द धर्म मे अनुभब अाैर सच्चाइ काे महत्व दिया जाता है।
असामानताये जैन धर्म के माध्यमसे गलत है... जैन धर्म आत्मा और शरीर को अलग अलग मानता है इस लिये आत्मा के साधना मे शरीर के सुखो का त्याग होता है..
खुद भगवान गौतम स्वामी ने अंतरात्मा का ही द्यान करके ज्ञान को प्राप्त किया था.. तो उन्होने कब कहा की उनके कोई ईश्वर या भगवान है..
और ऐसा क्यू कहेंगे की आत्मा नही है.. फिर संसार का मोह त्याग कर किस राह पर चल दिये..????????
और जैन धर्म के संघ वेवस्था के बारमे आपको 'किताब मे झाकणे के अलवा किसी मुनी संघ को जाण ने की जरुरत है... क्यू की जितने भी जैन आचार्य, उपध्यय, साधू, और साध्वी सब मुनी संघ के ही तो अंग है.. और जैन धर्म का परम मंत्र जो नमोकार मंत्र है..
उसमे आचार्य, उपध्यय, और समस्त साधुओनको नमस्कार किया है...
शांती ,आहिंसा सिखाने वाले दोनो धम्म अच्छे है.
Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of Jain and Buddhist religion. I am Hindu MARATHA converted into sikh but secular
M govt PENSIONER and FARMER by Occupation. My 2children are well educated. Thanks dhanayvad sir for giving knowledge of...
दोनों सत्य अनादि अनंत अतिप्राचीन स्रमण ( समण) संस्कृति के वारिस है । नमो जिनसासनाय ।।
मै आपकी बात पर सहमत हू नमो बुद्धाय जय भीम
Buddhism is the peace of world 🙏
I proud of budhist 💙💫🙏
बौद्ध धर्म के लोग मासाहारी होते हैँ और जैन धर्म के लोग शाकाहारी होते हैँ !
Non veg khana glt h kya apni2 jagah sab sahi h
Very academic distinction between bodh and Jain dharm
बौद्ध धर्म से इंसान को जीवन मे सब कूछ मिलता है जो वो चाहता है बस ऊस इंसान का दिलं साफ होना चाहिए
सबपापस, अकारणंग,कुलस, उपसंपदा, सचितपरीयोदनंग, एजंट, बुद्धानु, शाशनंग💐नमोबुद्धाय, जयभीम
जैन धर्म अनादि काल से है जो आदिनाथ भगवान प्रथम तिर्थंकर थे और चोबिसवे तिर्थंकर महावीर स्वामी भगवान थे
जैन धर्म को मानने वाले शाकाहारी होते हैं
जय जैन ✨🇮🇳
जय भारतवर्ष
इस देश का नाम किसके नाम से है पहले देख लो
Sir बुद्ध के समय में श त्र,शब्द थे ही नहीं तो बुद्ध kshatri कैसे हुए ,पाली मे तो लिख नही सकते है?
सर बहुत अच्छा बताया आपने। जीव अजीव दीपक तेल वाती आग ज्योति कैवल्य केवली भाव,शून्य समाधि त्रिरत्न चार सत्य पंचशील और अष्ट सम्यक चौबीस तीर्थंकर और चालिस बौद्ध के बारे में भी बताते तो संक्षिप्त तुलनात्मक समीक्षा हो जाती। धन्यवाद
आपकी जैन धर्म के बारे में जानकारी अधूरी है
as a buddhist we always love Hinduism and Jainism. ❤️🙏🚩😊
आपके जाणकारी के लिये बुध्द धम्म है. ना की धर्म ओर एक बात अपने की है की बौद्ध धम्म पुनर्जन्म को स्वीकार करते है... ये गलत है इसके लिये बुद्ध ओर उनका धम्म ये बुक पड लेना.... बौद्ध ने कभी भी देव, आत्मा, पुनर्जन्म, जातभेत पर विश्वास नहीं रका.... जय भीम 🇪🇺💙
Namo buddhay great information, dono dharm shanti ka marg he
Namo buddha jai mahaveer Jain 🙏🏻 thanks sir very beautiful information.
Agar atma ko nahi mante to dyan ka goal kay hai…..kyunki dyan ke jariye atma ko parmatma se milana hota hai….ye ek bada sawaal hai….❓
Jai jinendra ji jai mahavir
नमो बुद्धाय
Sir aapki voice bahut achhi or clear hai . Thank you so much sir 🙏🙏👏👏👏👏🤟👍👍🤟👍👍💪💪🤗💯💯💯💯💯💯💯💯💯
भारत में धर्म की परिभाषा west के दीन मज़हब religon से भिन्न है।
अगर west के अनुसार हम देखेंगे तो सिख,जैन,बौद्ध,सनातन धर्म एक ही है।केवल सम्प्रदाय- पंथ अलग है।जोकि west के religon/मजहब के समकक्ष है। अगर इस अर्थ में आप बोलेंगे तो भारतीय सम्प्रदाय अलग अलग है। अगर धर्म की भारतीय परिभाषा के अनुसार देखेंगे तो सभी भारतीय विचारधारा दर्शन(philosphy) एक ही धर्म है। क्योंकि भारतीय अध्यात्म दर्शन में चार्वाक सिद्धान्त जोकि पूर्णतया ethist या नास्तिक है वह भी अलग नहीं मानी गई, और ना ही द्वेष की दृष्टि से देखी गई।
जय श्रीराम, काफी अच्छी जानकारी दी है आपने सर🙏
कर्मकांड में तो ये दोनों धर्म भी फंसे। धर्म द्वारा अर्जित उपलब्धियों की तार्किक व्याख्या और उसके नवोन्मेष के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा भी की जाने की ज़रूरत है अन्यथा सभी धर्म, वे कोई भी हों, संकीर्णता और कट्टरता में सीमित होने के लिए अभिषप्त होंगे। मैं ये बातें सिर्फ़ जैन या बौद्ध धर्म के संबंध में नहीं कह रहा, यह विचार सभी धर्मों के संदर्भ में है।
Thanks 🙏🙏 sir for your help and guidance 🙏🙏 bahut hi shaandar session wow
Namo buddhy sabhi sathiyo ko
Video banane ke liye bahut bahut dhanyavad Namo buddhay ji
कोईभी दो धर्मों में संपुर्ण समानता कभी नहीं हो सक्ति, ओर ना ही कोई धर्म कीसी दुसरे धर्म के विरुद्ध होता है, सत्य केवल एक होता है लेकीन जब आम जनता को समझाने की कोशिश की जाती है वो समय गुजरते बेअसर हो जाये या विक्रुत हो जाय या फीर परीस्थितीया बदल जाए तब पहेले की गै बातें या व्यवस्था में बदलाव जरुरी लगता है तब नये सीरे से कोशिश करनी पड़ती है, तब कुछ लोग पुराने को पकड़े रहेंगे और जो नये होंगे उन्हें नया सही लगेगा, इसी तरह अलग अलग धर्म और संप्रदाय की भेंट हमें मीली है, ईसलीऐ दो धर्मों या संप्रदायों को एक दुसरे के साथ कंपेर करने से सामान्य व्यक्ति कन्फ्युज हो जाते हैं, लेकीन बारीकी से तटस्थ होकर देखा जाए तो उनके मुल तत्व में कोई विरोध नहीं होता, लेकीन प्रोब्लेम इस लीऐ खड़े होते हैं की जब सत्य को नयी रीत से कहा या समझाया जाता है तो पुराने को समाप्त नहीं कीया जा सक्ता,। तब बाद में नये ओर पुराने दोनों में विवाद शुरु होता है, अभी समझो फेस बुक या वोटसेप का नया वर्जन आता है तो, कंपल्सरी पुराने को डीलीट करने के बाद ही नया वर्जन अपडेट होता है, वैसा धर्म में हो सक्ता होता तो कोई विवाद की बात ही ना होती लेकीन वो संभव नहीं है ना, तो कीसी भी व्यक्ति को जींस धर्म में लगाव है उसी को पकड़ कर पहेले तो परम सत्य को पाना पड़े, अगर सत्य का खोजी है उसकी बात करता हु, इस के बाद वो खुद समझ जायेगा की कीसी भी धर्म में आपस में कोई अन्दरोनी विरोध नहीं है, हां बाहर से तो बिल्कुल ही एक दुसरे के विरुद्ध दीखेगे, ओर इन दीखलाई पड़ने वाली विरुद्धता को तर्कों से समझाया भी नहीं जा सक्ता ऐ भी उतना ही सत्य है, मतलब तर्कातित बातें हैं, बस खुद को मीटा देना या संपुर्ण मौन की स्थिती को प्राप्त होने के बाद समजमे आनेवाली बातें हैं ,बुद्ध ओर महावीर ने मौन की स्थिती को प्राप्त करने पर ज्यादा जोर दीया है, आज के समय में बुद्ध सबसे ज्यादा उपयुक्त है, बिल्कुल वर्तमान जनरेशन की अपडेट है, लेकीन कीसी भी दुसरे की v/s में हम बुद्ध को खरा साबित करने के चक्कर में पड़े तो चुक जायेंगे, एक मोबाईल में कोईभी एक ही सोफ्टवेयर के दो वर्जन एक साथ वर्क नहीं करते, वैसे ही धर्म एक सोफ्टवेयर है, पुराना हो या नया एक ही सोफ्टवेयर डाउनलोड कीया रहेगा तो वर्क करेगा, नहीं तो दो वर्जन एकसाथ एक ही हार्डवेयर में चलाने की कोशिश करेंगे तो हेग होना नीस्चित है, ओर हेग हुवा पीस दुसरी सीसटमो को भी ब्लोक कर देता है ना, ऐ सिर्फ मैंने मेरा विचार प्रगट कीया है, जरूरी नहीं है की मेरी बात को आप सही माने, बस आपको मेरी कीसी बात से कोई दुख पहुंचा हो तो अवश्य क्षमा चाहुंगा,
देखिए साहब जो ईश्वर को मानते हैं और ईश्वर में विश्वास रखते हैं उनके लिए इंसान कितने ही धर्मों में बंटाहुआ हो, उनके व्याख्यान करने का अंदाज अलग अलग हो सकता है अगर हम उनके सारांश की ओर ध्यान देंगे तो एक ही सार निकलेगा जिसका नाम है ईश्वर, गीता ग्रंथ रामायण और बाइबल एक गॉड का ही जिक्र है
@@ramkrishan2182 Jivet Prani Prani Hi Eshavar Hay,,,, 🙏🌾🌿
Sir apki voice bhut clear or bhut achhi h.
Thank you so much sir 🙏🙏
Jai jinendra.
Nice analysis.
Good information..... Sir bhot accha laga aapki video dekh kar, keep it up ❤️🙏😘
स्वर सम्राट अशोक बौद्ध धर्म को अपनाने से पहले किस धर्म को मानते थे इस पर एक अपना अस्त-व्यस्त वीडियो बनाएं धन्यवाद
I m Budhhist or Budhhism mai atma ,punrjanm,bhagvaan kisi ko nahi manta
जय जिनेन्द्र, महावीर भगवान की जय 🙏
जिस प्रकार से एक आम के पेड़ से आम प्राप्त होता उसके बाद उस आम की गुठली को मिट्टी में दबा दिया जाता है और एक नया पेड़ उग आता है उसी को उस पेड़ का पुनर जन्म कहा गया है
Verygood information jaishrikrishna
💙नमो बुद्धाय
Nice information ye jaroorat insan ki sabhi dharmo ki jankari hona
जय बुद्ध जय ऋषभदेव बहुत बहुत धन्यवाद सर ।
बौद्ध धर्म वास्तविक है ऑर अती अहिंसा नही मानता वो प्रतिकार भी करता है
इन सभी धर्मों की जननी तो हिंदु ही हैं 🔱
हिंदू धर्म की जंननी ब्राह्मण हे
बाकी तो बोद्ध धर्म नही धम्म हे
The great of buddha ☸️☸️☸️☸️☸️☸️💪👌👌👌👌👍
Sir jain dharma ke sansthapak bhagwan Aadinath h bhagwan mahaveer antim teerthankar h jo buddhji k samkaleen h aapko jain dharma k baare mein apni jankari badani chahiye
Bodh dharm is the best of wold 🙏🙏
मैं बुद्धिस्ट हूं, लेकिन जैन धर्म को काफी सपोर्ट करता हूं
बौद्ध और जैन दोनो हिंदू धर्म के पंथ है
जैन और बौद्ध एकही हैं.
फरक तो जुड़वा बहनों-भाइयों में भीं थोडा बहुत होता हैं
Aisi jaankari dene ke liye thank you
Sir Buddhist granth sampada nasht kar di gayi Brahmins ke isharon par videshiyon dwara. Dukhad!
बौद्ध धर्म मे तो मच्छी मटन खाते है तो जैन और बौद्ध अहिंसावादी कैसे हुई सिर्फ जैन अहिंसावादी है
Kash aj v india me Sare bodh Or jain hote to itni dharmik ladaiya nhi hoti or charo or shanti hi shanti hoti
It's too informative
जैन धर्मों में दो अलग संप्रदाय हो गए हैं भेजना था दिगंबर संप्रदाय दूसरा श्वेतांबर संप्रदाय बौद्ध धर्म में भी दो अलग संप्रदाय महायान और इन दोनों का फुल समझाइए
Bundelkhand mahoday me aapki respect karta hu pr, aapne kaha vo varn vyavastha ke virodhi the, lekin unke samkaalin, koi varn hone ke pukhta saboot abhi tak nahi mile hai, isiliye ye kehna kathin hai ki vah varn vyavastha ke khilaaf the 🙏❤
बौद्ध धम्म ग्रंथों मे 28 बुद्धो का उल्लेख आता है, और गौतम बुद्ध के पहले 7 बुद्ध के प्रमाण मिले है संदर्भ हमारा अतीत
बोहत अच्छी जानकारी धन्यवाद 🙏🚩
सृस्टि को चलाने वाला कोई भगवान नहीं है, ये कुदरत है जरा सोचो सूरज कोई बना सकता है? धरती कोई बना सकता है? अगर बना सकता है तो सूरज कहासे लाया? धरती कहासे लाई, ये कुदरत है और इसमे नव ग्रह है , नव ग्रह की वज़हरासे जीव पैदा होते है और चार तत्व से शरीर बनता है 1) सूर्य - चैतन्य या आत्मा 2)चंद्र -मन, 3)मंगल - शरीर की शक्ति,4)बुध - बुद्धि,5) गुरु - विकास और पुण्य कर्म 6) शुक्र - वासना, sex संसार 7) शनि -कष्ट मेहनत 8) राहु - पाप कर्म 9) केतु - मुक्ति इनकी वज़हरासे सारे जीव, वृक्ष, मनुष्य पैदा होते है, मनुष्य अलग अलग स्वाभाव क्यों होते है? क्यों की 12 रशिया और 27 नक्षत्र होते है इस लिए इस संसार मे कोई बड़ा या छोटा नहीं अपनी अपनी उम्र पहलेसे ही तय होती है, राम, कृष्ण, शंकर, बुद्ध महावीर सब मरते है हमारी तरह, वो अच्छे कर्मोसे याद आते है अमर होते है. एक याद रखो, पुण्य करते रहो और पाप से दूर रहो यही जिंदगी है.
जैन धर्म ईश्वर को तो मानता है लेकिन ईश्वर को सृष्टि का संचालक नही मानता।
The light of Asia🌏 namo boudhy
Wonderful !!! bahut sundar !!!
💙Namo buddhay 💛🙏
💛Jai bhim 💙🙏💙
I like boddh dharm
आपने इन्हें क्षत्रिय कह रहे हैं। इनके क्षत्रिय होने का प्रमाण दीजिए।
Namo buddhay
Jai samrat ashok maurya
Mai maurya vansi hu tathagat bhagwaan buddha ka anuyaayi hu
.
दोनो धर्म मानवता का हि पाठ पढाते है.both are good
Buddhi & jaini we are best 💯👍friends👭👬 as we are from both same clan & same religious theory as well as same group of sramanas and we both believe as 4 maha vartas & only difference major is we as jain believe in non. Violence more and ahimsa in us treat at vast so we should be a good👍 with each other
As we are both from kshtriyaa by birth than other we both are royal blood🩸
Aapne sahi shiksha diye
Good information ❣️♥️🙏🙏💯💯
कई विद्वानों के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को शंकर भगवान का ही प्रारूप मानते है, इसलिए धार्मिक शक्ति का उदगम कैलाश पर्वत से ही हुआ है 🙏✅
Both are totally different religions,
Jain and Brahmins religions are similar to each other.
बौद्ध हमारे देश की प्राचीनतम परंपरा है जो पूरी दुनिया में विख्यात है, जैन धर्म ब्राह्मण मानसिक अपंग के नकली धर्म की तरह ही दूसरा नकली धर्म है जो ब्राह्मण मानसिक अपंग की तरह ही लिंग पर आधारित है यानी ये और भी नंगा धर्म है।ये उज़्बेकिस्तान के आए हुए मुगल वैश्या वर्ग का धर्म है इसलिए यह भी हमारे बौद्ध इतिहास से टापे गए नकली धर्म की तरह ही है। भगवान बुद्ध ने भंग अवस्था प्राप्त कर वासना को ही भंग कर दिया था इसलिए ही ब्राह्मण मानसिक अपंग और जैनी वैश्या मानसिक अपंग ने दो नकली धर्म की कहानियों को थोपा
Superb.. Superb.. Superb.. My mind is always confused between this two religion.. You had cleared all doubts. Thanks for making this video.
Mahaveer ko toh pata nahi lekin Buddha chhetriya nahi Shakya jati ke the. aur unke pita ke rajya ka naam shakyavansh tha.
आप सही कह रहे है ये दोनो ही छत्रीय थे।
जब को ये गलत है जब तक जातियां नही थी यह सच है
क्षत्रिय ही सनातन धर्म का मूल है
Bodh dharam amazing👍
बुध्द धम्म ज्यादा relateble है 🤗
Boddha dharm sirf bharat main hi nahi bharat ke baher bhi faila hain jai bhim namo buddhay
Bohot Khub Jankari di
Bodhh dharam ka sadhu bhi nonvage khata h air jain dharam ka Samanya jain bhi nonvage nhi khata dono Me ahinsa ko leke koi Samanta nhi j jainism is great
Thank sir 😊 Dandvat Pranam 🙏
Samanta toh sab thik hai but difference pe Jain dharm atma ke astitwa ko manne main sahi hai but baki points main bodh dharm sahi hai jaise madhyam marg ahimsa but adhik nahi. Sharir ko adhik peeda naa Dena.
*Bhiya rajasthan history ki bi video lek ao na plz* 😊😊😊
जय नमो बुद्धाय
दोनों सनातन की शाखाएं है दोनों महान है जय महावीर जय बुद्ध भगवान 🙏🙏
Jain dharam is great 👍👍👍
Jain dharam pratham tirthankar Bhagwan Rishabh Nath se shuru hua Bhagwan mahaveer bhi bhagwan bodh se pahle hua thea