सांय सांय के बीच गया भीतर; फांसी घर का अद्भुत कुआं! ब्रिटिश काल का डरावना फांसी घर।
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- Опубликовано: 9 фев 2025
- काफी डरावना परिदृश्य था जब हम सीढ़ियों के सहारे काफी पुराने भवन पर सबसे ऊपर गए।
भवन के बुर्ज पर कुएं की जगत थी और वहां से यह कुआं सीधे-सीधे पाताल तक गया था।
यहां से मात्र 70 मीटर की दूरी पर गंगा की लहरें मंदिर के पत्थरों पर लगातार अपनी जीवंतता का एहसास कराती हैं।
बाढ़ के समय में पानी इस भवन तक आ जाता है, इसे लोग फांसी घर के रूप में जानते हैं।
बताया जाता है कि इसका निर्माण 17 वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था।
यहां लोगों को फांसी दी जाती थी और उनके शव सीधे फांसी के बाद कुए की तलहटी में आते थे जो गंगा के बीच सुरंग के माध्यम से गंगा में चले जाते थे।
इस भवन की सीढ़ियां, इसका बुर्ज व भवन का कुआं काफी डरावना था।
चुकी सभी के जेहन में यह बात भीतर तक है कि यह फांसी घर है।
वहीं कुछ जानकार लोगों का कहना है कि यह शेख अब्दुल्ला का महल था इस महल के स्थापित होने का तर्क भी वे अपने ढंग से देते हैं।
इस भवन पर अब लोगों का कब्जा हो गया है।
शासन प्रशासन ने गाजीपुर शहर स्थित पोस्ता घाट के इस इमारत को संरक्षित करने के लिए कभी कोई ध्यान नहीं दिया।
यहां हजारों लोग प्रतिदिन दाह संस्कार के उपरांत स्नान और दर्शन के लिए आते हैं, जो एक बार ऊपर से नीचे तक जरूर देखते हैं।
उन्हें बताया जाता है कि ब्रिटिश काल का या फांसी घर है।
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