बहुत सन्दर सवाल-जवाब, बेहतरीन प्रस्तुती | संतों के द्वारा सुना है कि- द्वारिका से लौटते समय सुदामा जी को कन्हैया ने प्रत्यक्ष रूप से नगद-नरायन कुछ नहीं दिया तो सुदामा जी ने कन्हैया को मन ही मन श्राप दे दिया कि- लरिकइयां के मीत हो, काह देउं तोहे श्राप | जैसी देनी है तेरी, वैसेहिं पावौ आप || कृष्ण ने दो लोक का राज्य दिया था वह लौटकर फिर कन्हैया के पास चला गया | सुदामा जी के पास सिर्फ सम्पदा बची रह गई |
❤❤ श्रीमती क्रांति माला जी को हृदय से प्रणाम करता हूं बहुत अच्छा गीत गया है बहुत बहुत आभार धन्यवाद है ❤ दादा शशि राजकमल जी को हृदय से प्रणाम करता हूं बहुत अच्छा लगा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद है ❤❤❤
Bahut sunder rachana
Dada sachirajkamal❤❤❤❤❤ 3:06
बहुत सुंदर 🙏😊
Radhe radhe bhaiya
श्री शशि राजकमल जी को सादर प्रणाम करता हूं आनंद आ गया ऐसे गीतों का आप दोनों की जोड़ी लाजवाबहै
Gajab ka geet
Bahut hi lajawab sawal aur jawab
भौजी का सवाल और जवाब एकदम सटीक ❤❤❤
Very Good .
❤❤❤❤❤nice Dada shashi raj ji aap kirtan ki shan ho ❤❤❤❤❤❤Manu foam bareilly se satya Prakash Sharma
बहुत सन्दर सवाल-जवाब, बेहतरीन प्रस्तुती |
संतों के द्वारा सुना है कि-
द्वारिका से लौटते समय सुदामा जी को कन्हैया ने प्रत्यक्ष रूप से नगद-नरायन कुछ नहीं दिया तो सुदामा जी ने कन्हैया को मन ही मन श्राप दे दिया कि-
लरिकइयां के मीत हो, काह देउं तोहे श्राप |
जैसी देनी है तेरी, वैसेहिं पावौ आप ||
कृष्ण ने दो लोक का राज्य दिया था वह लौटकर फिर कन्हैया के पास चला गया |
सुदामा जी के पास सिर्फ सम्पदा बची रह गई |
❤❤ श्रीमती क्रांति माला जी को हृदय से प्रणाम करता हूं बहुत अच्छा गीत गया है बहुत बहुत आभार धन्यवाद है ❤ दादा शशि राजकमल जी को हृदय से प्रणाम करता हूं बहुत अच्छा लगा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद है ❤❤❤