Anjanshalaka Aai Hai
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- Опубликовано: 13 дек 2016
- पुरखो की ये विरासत है,
त्याग और तप की अमानत है,
है इतिहास ये गौरव का,
जीर्णोद्धार है सपनो का,
फर्ज निभाने आना है,
क़र्ज़ चुकाने आना है (२),
नवयुग की अंगडाई है
प्रभु प्रतिष्ठा...
शुभ गणधर के शुभ हस्ते,
अट्ठाईस सदियों पहले,
अंजन विधि हुयी संपन्न,
हुए प्रतिष्ठित पार्श्व जिनंद,
दूध और बालू से मूर्ति बनी,
प्रभु पार्श्व जिवित स्वामी (२),
बीते युग की गवाही है
प्रभु प्रतिष्ठा...
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pukho ki Virasat hai