कमेंट्स में कुछ मित्र प्रमाणों की बात कर रहे हैं जो जीवन की गहराई में उतरे बिना हम सिर्फ़ प्रमाणों को देखते रह जाते हैं ।और सामने जो सत्य वर्तमान है उससे चुके जाते हैं,तब वे मित्र कबीर जी के इतने अद्भूत और सागर जैसे वृहद, विशुद्ध ज्ञान वानी भी प्रमाण कैसे हो सकता है।धन्य है .......।
सामाजिक चेतना को प्रश्न उठा कर ही झकझोरने का काम किया जा सकता है। रास्ता साफ़ होगा, जब सब धर्म को फैलाने की साज़िश रचने से मुक्त होंगे। तोरे मेरे नाते अनेक, मानिए जो भाए। तूँ तेरी मान, मैं मेरी मानूँ। हाँ, वास्तविकता जानने के लिए,, जानने के लिए स्वयं को अपने अपने शरीर में, अपने मन से, शांत चित्त से, मात्र बैठकर अनुभव करने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता होती है। बस मैं मेरा शरीर उसमें हो रही संवेदनाएँ, स्वभाविक संवेदनाओं का स्वभाव, कितनी देर तक रहती है। बस इतना सा करने पर सभी समस्याओं का समाधान प्रकट होने लगता है। जय हो। किसी ने यह मार्गदर्शन किया है। तकनीक बतलाई है।
वास्तव में वो किसी एक जाति और धर्म से जुड़े ही नहीं थे, वो तो बाद के लोगों ने उन्हें अपने - अपने राम की तरह जोड़ना आरंभ कर दिया। इसी विवाद के कारण यद्यपि कबीर की समाधि से लोगों को केवल कुछ फूल ही मिले , ऐसा कहा जाता है। सही कहा आपने sir कि 'बहुत तरह के कबीर हैं।' बहुत सारगर्भित व्याख्यान sir 🙏
कमेंट्स में कुछ मित्र प्रमाणों की बात कर रहे हैं जो जीवन की गहराई में उतरे बिना हम सिर्फ़ प्रमाणों को देखते रह जाते हैं ।और सामने जो सत्य वर्तमान है उससे चुके जाते हैं,तब वे मित्र कबीर जी के इतने अद्भूत और सागर जैसे वृहद, विशुद्ध ज्ञान वानी भी प्रमाण कैसे हो सकता है।धन्य है .......।
सामाजिक चेतना को प्रश्न उठा कर ही झकझोरने का काम किया जा सकता है।
रास्ता साफ़ होगा, जब सब धर्म को फैलाने की साज़िश रचने से मुक्त होंगे।
तोरे मेरे नाते अनेक, मानिए जो भाए।
तूँ तेरी मान, मैं मेरी मानूँ।
हाँ, वास्तविकता जानने के लिए,,
जानने के लिए स्वयं को अपने अपने शरीर में,
अपने मन से, शांत चित्त से, मात्र बैठकर अनुभव करने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता होती है।
बस मैं
मेरा शरीर
उसमें हो रही संवेदनाएँ,
स्वभाविक संवेदनाओं का स्वभाव, कितनी देर तक रहती है।
बस इतना सा करने पर सभी समस्याओं का समाधान प्रकट होने लगता है। जय हो। किसी ने यह मार्गदर्शन किया है। तकनीक बतलाई है।
बहुत बहुत आभार
बहुत बढ़िया वर्णन किया है कबीर दास जी के बारे में सर्
धन्यबाद
बहुत महत्वपूर्ण व्याख्यान sir 🙏 कबीर को समझने के लिए इससे बेहतर व्याख्यान कोई और नहीं हो सकती।
great discussion sir
jay hind
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 आभार अभिनंदन आपका प्रभु जी
🙏
Great sir
Ati aabhar sir
Wonderful lecture
Thanks sir
वास्तव में वो किसी एक जाति और धर्म से जुड़े ही नहीं थे, वो तो बाद के लोगों ने उन्हें अपने - अपने राम की तरह जोड़ना आरंभ कर दिया। इसी विवाद के कारण यद्यपि कबीर की समाधि से लोगों को केवल कुछ फूल ही मिले , ऐसा कहा जाता है। सही कहा आपने sir कि 'बहुत तरह के कबीर हैं।' बहुत सारगर्भित व्याख्यान sir 🙏
नमस्ते sir 🙏